shabd-logo

शायरी

hindi articles, stories and books related to shayari


featured image

समझना चाहता हूँ तेरे सवालों को

जवाब जिस का हमेशा कठिन होता है

कल से सोच रहा हूं उन्

हर बार ख़ुद को खुद से ही संभाला है मैंने
चोट लगाई किसी ने खुद से ही मरहम लगाया मैंने<

✒✒अश्विनी कुमार मिश्रा की कलम✒✒


बात हो मुलाकात हो

साथ हो तुम्हारा हर पल

✒✒अश्विनी कुमार मिश्रा की कलम✒✒

भूल जाता हूं मैं

क्या लिखा था मैंने

बस लिख द

जीवन के पथ पर

जीवन के पथ पर हैं कठिनाई बहुत

हार मिले मुझे चाहे जीत मिले

जीवन

मेरी समझ से बाहर हैं बातें तेरी।

कभी निगाहों से गुफ्तगू भी किया करो।।

🖊️सौरभ चक्

मुहोब्बत किस्मत वालों को
मिलती हैं 
ये वो कली है जो बहोत मुश्किल से

मेरे सर पर भी मुहोब्बत का ताज होता 
मेरी चाहत पर सबको नाज होता
तुम सिर


मुशीबत क्या आई

तू भी मुकर गया

ऐ दोस्त

यूं ही बिछड़ गया।

featured image

क्यूँ आप खफा हैं हमारी ज़िद पे ,क्या ईदी नहीं चाहिए ईद पे ,इतना सिर्फ कहना था आपको "रंजन",मत कीजिये गुरुर अपनी दीद पे !!https://ghazalsofghalib.comhttps://sahityasangeet.com

अब कहां रह गई फुरसतें जमाने को जीने की,तिजारती रिश्तों के बीच कहां कद्र है सीने की। ---श्रीधर

featured image

💓💓अतीत की आवाज़💓💓गुज़रा सब भुला कर यारब,गले लगा मौजूदा हालात ओ' जज्बात को।मन को साद न कर साहेब,मत दोहरा काली बंद अपनी किताब को।।समय की आवाज़ पकड़,रख नहीं पाया महफ़ूज़ ईक प्यार को।बुरे वख़्त पर चाह कर,बुला न पाए अपने अहबाब को।।💓💓💓💓💓💓💓मयपन में ढुंढता रहे,अब तलक- बरबाद प्यार को।बचपन से हीं चाहा ह

featured image

★●☆🌷 🌹 🌷☆●★◇◆महफ़िल का जलवा●◇मैंने पूछा, "कैसी हो?"बदली हो, या वैसी हीं हो?रूप वही- अंदाज वही,या कोई और बात सही!या फिर कोई कमी दिखी।हिज़्र का कुछ एहसास होगा।कोई तुम्हारे पास होगा।मैं बिछड़ा ये मज़बूरी थी।कब मंज़ूर मुझे दूरी थी।साथ हमारा कब छूटा है?रूह का रिश्ता कब टूटा है?आँख से जो आँस बहते हैं।तुमको

featured image

एहसान मेरे दिल पे रहेगा, रहेगा हमेशा मेरे दोस्त ,"रंजन" को पढ़ने के लिए कबाड़ी तक जाना पड़ेगा।।https://ghazalsofghalib.com https://sahityasangeet.com

featured image

मंजिल की तलाश में हर मुकाम को छोड़ता गया ,"रंजन" को फिर मंजिल ने कहीं का ना छोड़ा हैफ़।। https://ghazalsofghalib.comhttps://sahityasangeet.com

featured image

`इशक़ से तबी`अत ने ज़ीसत का मज़ा पायादरद की दवा पाई दरद-ए बे-दवा पाया.(Ghalib)Translation by Rabindranath Banerjee(Ranjan)Through love, my temperament found the flavor of life,It found a remedy of agony and a pain incurable.Interpretation by Rabindranath Banerjee(Ranjan)F

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए