समझना चाहता हूँ तेरे सवालों को जवाब जिस का हमेशा कठिन होता है कल से सोच रहा हूं उन्
✒✒अश्विनी कुमार मिश्रा की कलम✒✒ बात हो मुलाकात हो साथ हो तुम्हारा हर पल
✒✒अश्विनी कुमार मिश्रा की कलम✒✒ भूल जाता हूं मैं क्या लिखा था मैंने बस लिख द
जीवन के पथ पर जीवन के पथ पर हैं कठिनाई बहुत हार मिले मुझे चाहे जीत मिले जीवन
मेरी समझ से बाहर हैं बातें तेरी। 🖊️सौरभ चक्
कभी निगाहों से गुफ्तगू भी किया करो।।
मुशीबत क्या आई
तू भी मुकर गया
ऐ दोस्त
यूं ही बिछड़ गया।
क्यूँ आप खफा हैं हमारी ज़िद पे ,क्या ईदी नहीं चाहिए ईद पे ,इतना सिर्फ कहना था आपको "रंजन",मत कीजिये गुरुर अपनी दीद पे !!https://ghazalsofghalib.comhttps://sahityasangeet.com
अब कहां रह गई फुरसतें जमाने को जीने की,तिजारती रिश्तों के बीच कहां कद्र है सीने की। ---श्रीधर
💓💓अतीत की आवाज़💓💓गुज़रा सब भुला कर यारब,गले लगा मौजूदा हालात ओ' जज्बात को।मन को साद न कर साहेब,मत दोहरा काली बंद अपनी किताब को।।समय की आवाज़ पकड़,रख नहीं पाया महफ़ूज़ ईक प्यार को।बुरे वख़्त पर चाह कर,बुला न पाए अपने अहबाब को।।💓💓💓💓💓💓💓मयपन में ढुंढता रहे,अब तलक- बरबाद प्यार को।बचपन से हीं चाहा ह
★●☆🌷 🌹 🌷☆●★◇◆महफ़िल का जलवा●◇मैंने पूछा, "कैसी हो?"बदली हो, या वैसी हीं हो?रूप वही- अंदाज वही,या कोई और बात सही!या फिर कोई कमी दिखी।हिज़्र का कुछ एहसास होगा।कोई तुम्हारे पास होगा।मैं बिछड़ा ये मज़बूरी थी।कब मंज़ूर मुझे दूरी थी।साथ हमारा कब छूटा है?रूह का रिश्ता कब टूटा है?आँख से जो आँस बहते हैं।तुमको
एहसान मेरे दिल पे रहेगा, रहेगा हमेशा मेरे दोस्त ,"रंजन" को पढ़ने के लिए कबाड़ी तक जाना पड़ेगा।।https://ghazalsofghalib.com https://sahityasangeet.com
मंजिल की तलाश में हर मुकाम को छोड़ता गया ,"रंजन" को फिर मंजिल ने कहीं का ना छोड़ा हैफ़।। https://ghazalsofghalib.comhttps://sahityasangeet.com
`इशक़ से तबी`अत ने ज़ीसत का मज़ा पायादरद की दवा पाई दरद-ए बे-दवा पाया.(Ghalib)Translation by Rabindranath Banerjee(Ranjan)Through love, my temperament found the flavor of life,It found a remedy of agony and a pain incurable.Interpretation by Rabindranath Banerjee(Ranjan)F