सुविचार,,,
आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है,
असली शत्रु आपके भीतर रहते हैं, वो शत्रु हैं क्रोध, घमंड, लालच, आसक्ति और नफरत..
सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं,
और वे खुद अपनी गलती सुधार कर सुखी हो सकते हैं..
स्वयं से लड़ो , बाहरी दुश्मन से क्या लड़ना ?
वह जो स्वयम पर विजय कर लेगा उसे आनंद की प्राप्ति होगी...
किसी आत्मा की सबसे बड़ी गलती अपने असल रूप को ना पहचानना है ,
और यह केवल आत्म ज्ञान प्राप्त कर के ठीक की जा सकती है..