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-व्यंग

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भाग रहे है..लेकिन क्यों?


जब कभी हम बीच में रह कर निकल जाने की कोशिश में रहते हैं तो अक्सर भूल जाते हैं कि युधि

प्रकृति को आज परेशा हमने देखा है...

जो कल पेड लगा गए थे उन्हें काट

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तुम आते हीं रहो देर से हम रोज हीं बतातें है,चलो चलो हम अपनी अपनी आदतें दुहराते हैं।लेट लतीफी तुझे प्रियकर नहीं समय पर आते हो,मैं राही हूँ सही समय का नाहक हीं खिसियाते हो।तुम कहते हो नित दिन नित दिन ये क्या ज्ञान बताता हूँ?नही समय पर तुम आते हो कह क्यों शोर मचाता हूँ?जाओ ज

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जब से सेक्सी और प्रसिद्द विदेशी बालाओं ने किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट किया। बल्लू सींग का जोश बढ़ गया। उनमें रेहाना नाम की गायिका है। उसका गाना तो समझ में न आया। किन्त

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चौबे चले छब्बे बनने , दुबे बन कर लौटेजब से ई मुआ कोरोना आया है तब से चौबाइन बड़ी परेशान है। चौबाइन अपने घर के अंदर से कोरोना को गरियाते हुये बाहर निकली तो कुछ लौंडे लपारिए निहायत ही निठल्ले से उसके घर के स

हाँस्यम, व्यंग्य और हाँस्य "दोहा"झूठ मूठ का हास्य है, झूठ मूठ का व्यंग।झूठी ताली दे सजन, कहाँ प्रेम का रंग।।"मुक्तक"अजब गजब की बात आप करते हैं भैया।हँसने की उम्मीद लगा आए हैं सैंया।महँगाई की मार ले गई चढ़ी जवानी-अब क्या दूँ जेवनार रसोई बिगड़ी दैया।।आलू सा था गाल टमाटर सा पिचका है।कजरारे थे नैन प्याज क

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राजनैतिक पत्रकारिता पहले में यह बताना चाहता हूँ कि मैंमीडिया का सम्मान करता हूँ और इसकी अनिवार्यता, उपयोगिता और सार्थकता मेंकोई संदेह नहीं है। पत्रकारों का काम कभी बहुत कठिन लगता है और कभीबडा आसान।आजकल पत्रकारों के नाम से सिर्फ राजनीतिके क्षेत्र में काम करने वाले पत्रकार ही ध्यान में आते। कह सकते है

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चुनावी मौसम में झूठ पर झूठ बोली जाएगी,खाई जाएगी,परोसी जाएगी,झूठ चासनी में डुबायी जाएगी। बड़े प्यार से खिलायी जाएगी। उसकी बन्दिशें हटायी जाएंगी। चुनाव की होली है। कई हफ्तों खेली जायेगी। कीचड़ उछाल खेली जायेगी। झूठ को मौका है अभी जी भर के इतराएगी । आखिर में उसकी असली जगह जनमत द्वारा दिखा दी जायेगी।

प्रयागराज vs इलाहबाद अब अल्लाह+आबाद मतलब इलाहबाद का नाम “प्रयागराज“ के नाम से ही जाना जायेगा। दो नदियों के संगम स्थल को प्रयाग कहते हैं। यह स्थान नदियों का ऐसा एकलौता संगम स्थल है जहाँ पर दो नहीं बल्की तीन नदियाँ आपस मे मिलती है और इसलिए प्राचिन भारत मे इस पवित्

Monday, November 12, 201!! घर वापसी !! चलो माना की कानून बनाकर हलाला बंद करवा दोगे पर जो १४ सौ सालों से नस्ल खराब होकर बने उस गंदे खून को कैसे साफ करोगे....? Family Tree बनवाकर देख लो, कुछ को तो अपने बाप-दादाओं तक का पता नही होगा। मुल्लियों को एक मुफ्त मे सलाह द

वो #मुस्लिम होकर भी #हिन्दू प्रेम का #कर्तव्य समझा गये---वो #हिन्दू होकर #मुस्लिम की #अहमियत को दर्शा गये ---#संवेदना यह है फिर भी दोनों के #बंदे#समाज को #चूर्णित कर गये--- - अरुण मलिहाबादी

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*आदिकाल से सनातन धर्म यदि दिव्य एवं अलौकिक रहा है तो उसका कारण हमारे सनातन धर्म के विद्वान एवं उनकी विद्वता को ही मानना चाहिए | संसार भर में फैले हुए सभी धर्मों में सनातन धर्म को सबका मूल माना जाता है | हमारे विद्वानों ने अपने ज्ञान का प्रचार किया सतसंग के माध्यम से इन्हीं सतसंगों का सार निकालकर ग्र

पात्र – परिचय लड़का --- दिनेश (ऑफिसमें अकाउंटेंट)लडके का पिता श्री सतीश बहल -- (पेशे से टीचर)लडके कि माँ शशिबाला --------- (गृहणी)लड़के का छोटा भाई ------------ वरुणलडके की बहन-------------------- कल्पनारिश्ता करवाने वाला व्यक्ति---- शास्त्री जी लडकी का परिवारलड़की – संजनालडकी की बहन –रंजनालडकी

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सुबह टी वी पर न्यूज़ में दिखारहे थे किसी स्कूल के कुछ छात्र एक अध्यापक को पीट रहे थे । अध्यापक से वे छात्रइस बात से खफा हो गये थे कि उसने उनके नकल करने पर आपत्ति जतायी थी और उसमेंव्यवधान डाला था। मन खिन्न हो गया । किन्तु अगले ही पलों में खुलासा हुआ मामलामात्र नकल का नह

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ठहरे पानी में पत्थर उछाल दिया है । उसने यह बड़ा कमाल किया है ।वह तपाक से गले मिलता है आजकल । शायद कोई नया पाठ पढ़ रहा है आजकल । आँखों की भाषा भी कमाल है । एक गलती और सब बंटाधार है ।

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गरीबों के लिये टसुए न टपकाइये ,कुछ कर सकते हैं तो करिये ,बेचारगी न फैलाइये . गरीबी पर राजनीति होती रही है और होती रहेगी .गरीबों पर तरस न फैशन बनाइये .साल भर में क्या किया जरा वो गिनाइये .एन त्यौहार पर आत्मग्लानि न पसराइये पर्व

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गुस्सा तो समझे ,था किसबात पे ?नाराज तो समझे ,थे किनसे ?ये आगजनी और हिंसा,किन लोगों पर ?कुछ नहीं सूझ रहा था। तो अपने सर फोड़ लेते। गुलाम, मालिक के वास्ते ,इतना तो कर सकते थे । -र र

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कवि श्री सम्पत 'सरल' जी की अच्छे दिन पर एक व्यंग रचना...

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