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रहस्य

hindi articles, stories and books related to Rahasya


अगले दिन, सूरज की पहली किरण के साथ, सूरजभान ने उस कमरे को ताला लगवाया और गांव में यह खबर फैला दी कि चंद्रिका और उसका बेटा आग में गलती से जलकर मर गए। लोगों ने अफसोस जताया, लेकिन सूरजभान का चेहरा देखकर

समय धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था, और चंद्रिका बेसब्री से अमावस्या की रात का इंतजार कर रही थी। उसने कई दिनों से खुद को इस रात के लिए तैयार कर रखा था। उसकी आँखों में एक अनोखी चमक थी—एक अजीब सी बेचैनी, जिसमे

कुछ और दिन बीत चुके थे। चंद्रिका का हृदय अब और अधिक निर्मम और ठंडा हो चुका था। अपनी पहली बलि के बाद उसका आत्मविश्वास बढ़ गया था, और वह अब दूसरी बलि के लिए अपना शिकार ढूंढ रही थी।चंद्रिका अब अपने मकसद

सूरजभान और चंद्रिका की शादीहवेली की भव्यता आज किसी त्योहार से कम नहीं थी। हर कोने में दीयों की रोशनी झिलमिलाती थी, और हवेली के दरवाजों के बाहर रंगीन फूलों से सजावट की गई थी। हवेली का माहौल जैसे एक खास

यह कहानी आज से दो सौ साल पहले की है जब दिल्ली को दौलताबाद के नाम से जाना जाता था, तब दौलताबाद एक गाँव था, वह गांव जो कभी व्यापार और समृद्धि का प्रतीक था, अपनी धूमधाम में था। यह गाँव अपनी हरियाली, शानद

चारों हवेली के विशाल दरवाजे तक पहुंचे। हवेली पहले से भी अधिक डरावनी लग रही थी। टूटे हुए झरोखों और जंग खाए दरवाजों से ठंडी हवा की सरसराहट उनके दिलों में डर और बेचैनी भर रही थी।"यह वही जगह है," अरमान ने

जैसे ही कमरे की ठंडी हवा और अजीब सी फुसफुसाहट तेज़ होने लगी, रुद्र ने डायरी को अपने हाथों में कसकर पकड़ लिया। उसने कहा,"हमें यहां से निकलना होगा। अगर ज्यादा देर रुके, तो कोई नहीं बचेगा।"रिया कांपते हु

रुद्र ने डायरी को हाथ में कसकर पकड़ा और दीवार पर लिखे खून के संदेश को घूरते हुए कहा, "हमें इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। ये शुरुआत है।"इतने में अचानक, फ्लैट की खिड़कियां तेज आवाज के साथ खुल गईं। ठंडी

रुद्र के घर की घड़ी की टिक-टिक उस सन्नाटे को और भी डरावना बना रही थी। अरमान, रिया, तनु और रुद्र बैठक में बैठे थे। अरमान ने धीमे स्वर में कहा, "मुझे माफ करना, पर मैंने अक्षय खन्ना की डायरी अपने साथ लान

अरमान, तनु और रुद्र अब हवेली के उस रहस्यमय स्थान की ओर बढ़ रहे थे, जहाँ आत्मा की शक्ति सबसे ज्यादा महसूस होती थी। हवेली का यह हिस्सा बाकी हिस्सों से बिलकुल अलग था—सर्द, अंधेरा और जैसे पूरी हवेली की सा

अरमान, तनु और रुद्र हवेली के अंदर एक घनी अंधेरी कोठरी में दाखिल हुए थे। कमरे में कदम रखते ही एक ठंडी सिहरन ने उनका स्वागत किया, जैसे हवेली की दीवारें खुद को उनके खिलाफ खड़ा कर रही हों। कमरे की दीवारों

अरमान, तनु और रुद्र हवेली के उस कमरे में खड़े थे, जहां उन्होंने फोन को रखने का फैसला किया था। हवेली के अंदर का माहौल और भी अजीब हो गया था। जैसे ही उन्होंने फोन को रखकर कदम पीछे हटाए, एक सर्द हवा का झो

रहस्यमयी फोन जिसको उन्होंने किसी भी हालत में वापस हवेली में रखने का फैसला किया था, अब उनका पीछा नहीं छोड़ रहा था। यह एक ऐसा रहस्य था, जिससे उनका पीछा छूटना नामुमकिन सा लग रहा था।"हमें इसे यहाँ रखना हो

अरमान जब फ्लैट पर वापस पहुंचा तो वहां पर रिया नहीं थी। अरमान अब बुरी तरह से घबरा गया था। अरमान के फोन पर दुबारा एक संदेश उभरा: "मौत पक्की है"अरमान ने ये देखा, उसको कुछ समझ नहीं आया कि अब क्या करू

अरमान ने अक्षय खन्ना की डायरी को अपने पास ही रख लिया, उसके बाद अरमान और तनु ने हवेली से बाहर निकलते हुए फैसला किया कि वे रुद्र से मदद लेंगे। रुद्र उनका पुराना दोस्त था, एक मशहूर फोटोग्राफर, जो अक्सर अ

तनु के जाने के बाद अरमान ने फोन को एक बार फिर से उठाया। अब वह डर के साथ-साथ जिद्दी भी हो गया था। उसने फोन को ऑन किया और गैलरी खंगालने की कोशिश की। उसमें एक वीडियो था, जिसे उसने पहले नहीं देखा था।वीडिय

उस रात अरमान को नींद नहीं आई। फोन को उसने अलमारी में रख दिया, लेकिन ऐसा लगा जैसे उस अलमारी से भी एक ठंडी लहर बाहर आ रही हो।“क्या करूं इस फोन का? फेंक दूं?” उसने खुद से कहा।लेकिन फिर दिमाग ने उसे टोका।

अगली सुबह, अरमान बेमन से उठा। रात भर उसे नींद नहीं आई थी। “पता नहीं ये नया फ्लैट है, फोन का वह अजीब मैसेज, या मैं ही कुछ ज्यादा सोच रहा हूं,” उसने अपने आप से कहा।फ्लैट में बने छोटे से किचन में उसने चा

दिल्ली की सर्द रातें अपने साथ न जाने कितने किस्से और कहानियां छुपाए रहती हैं। अरमान अपने पुराने बैग के साथ उस नए फ्लैट में पहुंचा, जो कुछ दिन पहले ही उसे बेहद सस्ते किराए पर मिला था।“किराया कम है, लेक

 नरेश जीत चेतन और सूचित यह चारों बहुत अच्छे दोस्त द चारों दोस्त नदी किनारे कैंप लगाकर वहां के शुद्ध वातावरण में कुछ दिन रहने आए द एक रात चारों जंग कैंप फायर जलाकर उसके इर्द गिर्द बैठे हुए द बगल में ही

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