गुलाबसिंह को साथ लेकर प्रभाकर सिंह नौगढ़ चले गये। वहाँ उन्हें फौज में एक ऊँचे दर्जे की नौकरी मिल गई और चुनार पर चढ़ाई होने से उन्होंने दिल का हौसला खूब ही निकाला। वे मुद्दत तक लौटकर इंदुमति के पास न आ
भूतनाथ के हाथ से छुटकारा पाकर प्रभाकर सिंह अपनी स्त्री से मिलने के लिये उस घाटी में चले गये जिसमें कला और बिमला रहती थीं। संध्या का समय था जब वे उस घाटी में पहुँचकर कला, बिमला और इंदुमति से मिले। उस स
दोपहर का समय है मगर सूर्यदेव नहीं दिखाई देते। आसमान गहरे बादलों से भरा हुआ है। ठंडी-ठंडी हवा चल रही है और जान पड़ता है कि मूसलाधार पानी बरसा ही चाहता है। भूतनाथ अपनी घाटी के बाहर निकल कर अकेला ही तैय
अबकी दफे भूतनाथ ने प्रभाकर सिंह को बड़ी सख्ती के साथ कैद किया, पैरों में बेड़ी और हाथों में दोहरी हथकड़ी डाल दी और उसी गुफा के अन्दर रख दिया जिसमें स्वयं रहता था और उसके (गुफा के) बाहर आप चारपाई डाल र
भूतनाथ को जब अपनी घाटी में घुसने का रास्ता नहीं मिला तो वह प्रभाकर सिंह को एक दूसरे ही स्थान में ले जाकर रख आया था और अपने दो आदमी उनकी हिफाजत के लिए छोड़ दिये थे। अब जब भूतनाथ महात्मा जी की कृपा से अ
जमानिया वाला दलीपशाह का मकान बहुत ही सुन्दर और अमीराना ढंग पर गुजारा करने लायक बना हुआ है। उसमें जनाना और मर्दाना किला इस ढंग से बना है कि भीतर से दरवाजा खोलकर जब चाहे एक कर ले और अगर भीतर रास्ता बंद
दिन तीन पहर से ज्यादा बढ़ चुका है। इस समय हम भूतनाथ को एक घने जंगल में अपने तीन साथियों के साथ पेड़ के नीचे बैठे हुए देखते हैं। यह जंगल उस घाटी से बहुत दूर न था जिसमें भूतनाथ रहता था और जिसका रास्ता ब
ऊपर लिखी वारदात को गुजरे आज कई दिन हो चुके हैं। इस बीच में कहाँ और क्या-क्या नई बातें पैदा हुईं उनका हाल तो पीछे मालूम होगा, इस समय हम पाठकों को कला और बिमला की उसी सुन्दर घाटी में ले चलते हैं जिसकी स
गुलाबसिंह की जब आँख खुली तो रात बीत चुकी थी और सुबह की सुफेदी में पूरब तरफ लालिमा दिखाई देने लग गई थी। वह घबराकर उठ बैठा और इधर-उधर देखने लगा। जब प्रभाकर सिंह को वहाँ न पाया तब बोल उठा, “बेशक् मैं धोख
क्या भूतनाथ को कोई अपना दोस्त कह सकता था? क्या भूतनाथ के दिल में किसी की मुहब्बत कायम रह सकती थी? क्या भूतनाथ किसी के एहसान का पाबंद रह सकता था? क्या भूतनाथ पर किसी का दबाव पड़ सकता था? क्या भूतनाथ पर
दिन पहर भर से कुछ ज्यादा हो चुका है। यद्यपि अभी दोपहर होने में बहुत देर है तो भी धूप की गर्मी इस तरह बढ़ रही है कि अभी से पहाड़ के पत्थर गर्म हो रहे हैं और उन पर पैरी रखने की इच्छा नहीं होती, दो पहर द
रात बहुत कम बाकी थी जब बिमला और इंदुमति लौट कर घर में आईं जहाँ कला को अकेली छोड़ गई थीं। यहाँ आते ही बिमला ने देखा कि उसकी प्यारी लौंडी चंदो जमीन पर पड़ी हुई मौत का इंतजार कर रही है। उसका दम टूटा ही च
मैंने जब होश संभाला तब हमारे घर में ब्लैक एंड व्हाइट टीवी था। उस समय कई लोगों पर लकड़ी के शटर वाले टीवी थे। कई लोग टीवी पर प्लास्टिक की रंगीन स्क्रीन लगाकर उसे रंगीन टीवी बना लेते थे। ये स्क्रीन पारदर
वफा के बदले , ज़फा मिली . क्याइश्क़ करने की सज़ा मिली । अपनी यादों का घर बसाकर , इस दिल से,, चले गए तुम . एक बार किये गुनाह की सज़ा , हमें कई दफ़ा मिली । ज़ख्म जो सूखे भी नहीं थे अब
बात है उन दिनों की जब मैं कालेज में थी। फतेहपुर में BSc फाइनल year मे थी चूँकि मेरा घर यही था इसलिए मैं अपने घर से ही अपने कालेज आना जाना करती थी लेकिन मेरी कुछ सहेलियाँ जो फतेहपुर से बाहर के गांव से
प्यार तो सभी लोग करते हैं, लेकिन सच्चा प्यार मिल पाना बहुत आसान नहीं होता। सच्चे प्यार को दुर्लभ कहा गया है। आजकल लोगों के रिश्ते जितनी जल्दी बनते हैं, उतनी जल्दी टूट भी जाते हैं। अगर किसी रिश्ते क
एक असमंजस प्रेम.. हम अक्सर कई लोगो से बात करते हैं जिनमें से कुछ लोंगो से हमें बाते करना अच्छा लगता हैं कभी - कभी हमारे विचार कुछ लोंगो से मिलने लगते हैं तो कभी किसी की शैतानियाँ, नादानिय
सखि, आज का दिन मेरे लिए बहुत खास है । स्टोरी मिरर एप जो प्रतिलपि जैसा ही है , ने मुझे वर्ष 2021का "ऑथर ऑफ द ईयर अवार्ड : एडीटर्स चॉइस" दिया है । इस अवार्ड की घोषणा तो बहुत पहले ही हो गई थी
🌹सिंदूर का यूँ ही लाल नहीं होता🌹औरत के सिंदूर का रंग यूँ ही लाल नहीं होता,मांग में जो कयी अरमानों कत्ल दबे होते है ।सपने दबे होते है खुशियाँ दबी होती है,फरियाद करें किससे ये पुरूषों की गली में रहती