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आत्मकथा

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       काॅलेज के टाइम की बात है। जब मैं बी.काॅम. द्वितीय वर्ष में पढ़ती थी। एक दिन मैं और मेरी सहेली कविता फ्री लेक्चर में कालेज के बगीचे में बैठे बातें कर रहे थे। बातों बातों में

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अक्सर हम लड़कियों को पापा की परी कह कर चिढाया जाता हैं, हाँ, शायद सच भी होगा के हमेशा हम पापा की परीयाँ ही रहती हैं .. . बहुत ही लॉजिकल सी बात हैं इसके पिछे भी.. एक मर्द अपने बचपन में हर प्रका

         जीवन में कभी-कभी ऐसी घटनाएं होती हैं जिन्हें हम कभी नहीं भूल पाते हैं। खासकर वो घटनाएं जिसमें मौत सामने झूलती नजर आए।         

मेरे जीवन मे बहुत सी ऐसी घटना हुई है जहां मुझे चैलेंज किया गया है कि मैं जीत नहीं पाऊँगी या ये जताया गया है कि मुझमे क़ाबिलियत नहीं है और कई बार परिस्थिति बिल्कुल मेरे विरोध में रही है और मैंने भी ह

अंशू खो खो टीम की कैप्टन बनकर नेशनल खेलने कानपुर गई थी तब वो आठवीं कक्षा में थी। उनकी टीम द्वितीय पुरस्कार जीती ।             अंशू में कुछ गुण&nb

  अंशु को पहली सील्ड तब मिली जब वह पहली क्लास में थी ।             गणतंत्र दिवस आने वाला था । अंशु का ग्रुप डांस में सिलेक्शन हो गया था । व

अंशु अब छः साल की हो गई।  धीरे-धीरे पढ़ने में रुचि लेने लगी । लेकिन खेलना कम नहीं हुआ था । और वह टीवी भी खूब देखने लगी थी। अपने भाई से वो खूब प्यार करती है। टीवी देख देख कर थोड़ा बहुत डांस करना स

अंशू  पांच साल की हो गई और काफी समझदार हो गई।  खेलना ही खेलना काम है। पढ़ने लिखने से कोई मतलब नहीं।            अंशू का पांचवां जन्मदिन धूमध

अंशू चार साल दो  महीने की हो गई । इस बार उसका जन्मदिन थोड़ा अच्छे से मनाया । अंशू की पढ़ाई को लेकर बड़ी उलझन है । अभी वह संस्कार पब्लिक स्कूल में पढ़ती है क्योंकि रूम चेंज करने के बाद उसका पहले व

अंशू चार साल दो  महीने की हो गई । इस बार उसका जन्मदिन थोड़ा अच्छे से मनाया । अंशू की पढ़ाई को लेकर बड़ी उलझन है । अभी वह संस्कार पब्लिक स्कूल में पढ़ती है क्योंकि रूम चेंज करने के बाद उसका पहले व

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 सूमो  तीन साल की हो गई । उसके जन्मदिन पर उसे साइकिल दिलाई। जिसे वह अभी चला नहीं पाती है । सूमो रोज स्कूल जाती है । स्कूल से आने के बाद भी अपनी कॉपी निकाल कर लिखती रहती है। उसकी  टीचर भ

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सूमो दो साल की हो गई । उसकी भोली सी सूरत बहुत अच्छी लगती और वो बहुत प्यारी प्यारी बातें करती । उसे मेकअप करने का बहुत शौक था। बिन्नी लानूमा , किम लानूमा   , लिपटिक लानूमा। अब उसका बोलने का त

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साढ़े तीन महीने की मेरी सूमो।                            साढ़े तीन  महीने पर छः किलो की थी । नटखट चुलबुली, चंचल ,फुर्तीली यह

         नवा महीना कंप्लीट होने के बाद एक दिन सुबह  से ही धीरे-धीरे दर्द शुरू हो गया । दर्द बढ़ ही नहीं रहा था बस धीरे-धीरे हो रहा था जो कि रात भर होता रहा । और सुबह 17 अ

             मां बनना एक औरत को कुदरत का दिया हुआ सबसे अनमोल तोहफा है । बच्चे को नौ महीने गर्भ में महसूस करना और जन्म के बाद बाल लीलाओं का आनंद लेना सचमुच बहुत सुंदर

4 मई 2022     बुधवार  समय 11:45  मेरी प्यारी सहेली,     मौसम ने आज एक अलग ही रुक अख्तियार कर लिया है। यकायक हवाएं ऐसी बदल जाएंगी सोचा भी ना था। महिला

हैलो सखी ।  कैसी हो।पता नही आजकल क्या हो गया है कुछ लिखने बैठती हूं तो निंदिया रानी आकर आंखों पर कब्जा कर लेती है ।और काफी सारे मंचों पर बहुत सी स्पर्धाओं में भाग ले रखा है एक जगह सहलेखन भी चल रह

बहुत याद आये वो गुजरा ज़माना वो मामी वो मामा वो नानी औ नाना बड़ी खूबसूरत थी गर्मी की रातें थी ठंडी हवायें और परियों की बातें है बचपन में सीखा कहानी सुनाना बहुत याद आये वो गुजरा ज़माना सुबह उठ के

"प्यार का बुखार"  प्यार एक ऐसा बीमारी होता है जो कि अगर इंसान हो एक बार पकड़ ले तो वो जिंदगी भर तड़पता रहता है और इस बीमारी का इलाज भी नहीं है इस दुनिया में ।।लेकिन ये भगवान ने जो लड़की नामक

यै कहानी मैरी है ,,जो मैरी ना होकर भी मैरै जैसै ना जानै कितनै लोगों कि है । मुझै आज भी याद है वो शाम जब उसनै आखरी बार मुझै स बात कि थी ,उस दिन कुछ तो टुटा था ,,,पर उसकै चहैरै पर हंसी थी हमैशा कि तरह न

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