बातें चलीं सारी रात तुम्हारी;
आंखें नहीं खुलीं प्रात तुम्हारी ।
पुरवाई के झोंके लगे हैं,
जादू के जीवन में आ जगे हैं,
पारस पास कि राग रंगे हैं,
कांपी सुकोमल गात तुम्हारी ।
अनजाने जग को बढ़ने की
अनपढ़-पड़े पाठ पढ़ने की
जगी सुरति चोटी चढ़ने की;
यौवन की बरसात तुम्हारी ।