फूलों के कुल काँटे, दल, बल ।
कवलित जीवन की कला अकल ।
विष, असगुन, चिन्ता और सोच,
उकसाये , खाये बुरे लोच,
कर गये पोच से और पोच;
मुरझे तरु-जीवन के सम्बल ।
नीरस फल, मुरझाई डाली,
जलहीन, सजल लोचन माली;
पल्लव-ज्वाला उर की पाली,
सुर की वाणी फूटी उत्कल ।