खिला कमल, किरण पड़ी,
निखर-निखर गयी घड़ी ।
चुने डली में सुथरे
बडे-बड़े भरे-भरे,
गन्ध के गले संवरे;
जादू की आँख लड़ी ।
तारों में जीवन के
हार सुघर उपवन के,
फूल रश्मि के तन के,
यौवन की अमर कड़ी ।
विरह की भरी चितवन
करुण मधुर ज्योति-पतन,
क्षीण उर, अलख-लेखन
आँखें है बड़ी-बड़ी ।