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भेड़िये और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022

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एक बार एक लोमड़ा और एक भेड़िया एक ही घर में रहते थे। भेड़िया बहुत ही बेरहम था जबकि लोमड़ा बहुत नरम दिल था। इसी तरह से रहते हुए उन्हें कुछ दिन हो गये कि एक दिन वह लोमड़ा भेड़िये से बोला — “अगर तुम इसी तरीके से बरताव करते रहे तो अल्लाह तुम्हारे ऊपर राज करने की ताकत आदमी को दे देगा।

क्या तुम्हें मालूम है कि वह चिड़ियों को नीचे ला सकता है, वह मछलियों को पकड़ सकता है, वह पहाड़ तोड़ सकता है। और वह यह सब अपनी होशियारी और चालाकी की वजह से कर सकता है?”

पर भेड़िये ने उसकी यह सलाह नहीं मानी और उससे कुछ गुस्से से में बोला — “तुम मुझसे ऐसा किस अधिकार से बोल सकते हो? आगे से तुम मुझसे इस तरह मत बोलना। कहीं ऐसा न हो कि तुम्हें मुझसे कोई खराब बात सुननी पड़ जाये।”

लोमड़ा बोला — “ठीक है ठीक है। मैं तुमसे ऐसा कुछ नहीं कहूँगा जो तुमको खराब लगे।” पर अपने दिल में उसने सोच लिया था कि एक दिन वह उसको मार कर ही रहेगा।

एक दिन लोमड़ा भेड़िये से बोला — “अल्लाह अपने नौकरों की गलतियों को माफ कर देते हैं। काश तुम जान सकते कि तुम्हारी वजह से मुझे कितना दर्द सहना पड़ा। उतना दर्द तो हाथी भी नहीं सह सकता पर मैं तुमसे कोई शिकायत नहीं कर रहा हूँ। संत लोग कह गये हैं कि गुरू की मार पहले तो तकलीफ देती है पर बाद में फिर आराम देती है।”

भेड़िया बोला — “चलो मैंने तुमको माफ किया पर तुमको हमेशा मेरी ताकत की जानकारी रहनी चाहिये। समझे।” इस पर लोमड़े ने जमीन पर लेट कर उसको सलाम किया और वहाँ से चला गया।

अब एक दिन ऐसा हुआ कि लोमड़ा एक बागीचे में गया तो उसने उसकी दीवार के पास जमीन में एक गड्ढा खुदा हुआ देखा जिसे बन्द नहीं किया गया था। उसको देख कर उसे लगा कि शायद वह गड्ढा किसी मतलब से खोदा गया होगा। ऐसा कौन होगा जो इस गड्ढे को देखे और इसे बन्द न करे क्योंकि इससे तो वह गड्ढा खोदने वाला खुद भी खतरे में पड़ सकता है।

हालँकि यह बात सब अच्छी तरह से जानते हैं कि लोग अपने बागीचों मे लोमड़े की मूर्ति इसलिये बनवाते हैं कि जब कोई लोमड़ा उधर आये तो वह उनके जाल में फँस जाये। पर फिर भी मैं इस गड्ढे का ठीक से ध्यान रखूँगा क्योंकि कहा गया है कि बच के रहना भी आधी होशियारी के बराबर ही है। पर ज़रा देखूँ तो मैं यह गड्ढा है कैसा।”

कह कर वह गड्ढे के पास तक गया और उसने उसके चारों तरफ एक चक्कर लगाया। उसने देखा कि वह गड्ढा काफी गहरा था।

उसने सोचा कि “उस बागीचे के मालिक ने वह गड्ढा शायद इसलिये बनवाया होगा कि जो भी जंगली जानवर उसके बागीचे को खराब करने आये वह उस गड्ढे में गिर जाये और वह उसको पकड़ ले।

वह इस बात से बहुत खुश था कि उसने उस गड्ढे को देख लिया था और वह उस गड्ढे में गिरने से बच गया था। वह गड्ढा मिट्टी और चटाई से ढका हुआ था। उसको लगा कि काश उसका दुश्मन भेड़िया उस गड्ढे में गिर पड़े। बस यह सोचते ही वह वापस घर लौट पड़ा।

वह घर आ कर भेड़िये से बोला — “अल्लाह ने तुम्हारे लिये बागीचे में घुसने का एक बहुत ही आसान रास्ता निकाल कर रखा है ताकि तुम उसके अन्दर जा कर उस बगीचे का आनन्द ले सको।”

भेड़िये ने पूछा — “इसका क्या सबूत है कि तुम सच बोल रहे हो?”

लोमड़ा बोला — “मैं खुद वहाँ उस बागीचे तक गया था तो पता चला कि उस बागीचे का मालिक मर गया है। भेड़ियों ने उसे खा लिया है। सो मैं उस बागीचे चला गया और वहाँ मैंने पेड़ों पर बहुत सुन्दर सुन्दर फल लगे देखे।”

भेड़िये को लोमड़े की बातों पर ज़रा सा भी शक नहीं हुआ सो वह उस बागीचे की तरफ चल दिया। लोमड़ा भी उसके पीछे पीछे चल दिया।

जब वह भेड़िया उस गड्ढे के पास पहुँचा तो पीछे से लोमड़ा बोला — “बस अब तुम बागीचे में घुस जाओ। तुमको यहाँ कोई सीढ़ी इस्तेमाल करने की भी जरूरत नहीं है क्योंकि बागीचे की दीवार तो पहले से ही टूटी हुई है।”

यह सुन कर भेड़िया यह सोच कर उस गड्ढे के ऊपर से चला कि वहाँ से वह बागीचे में घुस जायेगा पर जैसे ही वह गड्ढे के बीच में आया वह उस गड्ढे में गिर पड़ा।

इससे लोमड़ा बहुत खुश हुआ और खुशी से नाचने गाने लगा। कुछ देर बाद लोमड़े ने गड्ढे में झाँका तो देखा कि भेड़िया रो रहा था सो दिखाने के लिये वह भी उसके साथ रोने लगा।

भेड़िये ने लोमड़े से पूछा — “क्या तुम मुझ पर रहम दिखाने के लिये रो रहे हो?”

लोमड़ा बोला — “नहीं नहीं, अल्लाह की कसम नहीं। मैं तो इसलिये रो रहा हूँ कि मुझे इस बात का बहुत अफसोस है तुम इस गड्ढे में बहुत पहले क्यों नहीं गिर पड़े?”

भेड़िया बोला — “ओ बुरा काम करने वाले, अभी तुम मेरी माँ के पास जाओ और उसे बताना कि मैं इस गड्ढे में गिर पड़ा हूँ। वह मेरे यहाँ से निकलने का कोई न कोई रास्ता जरूर ही निकाल लेगी।”

लोमड़ा बोला — “तुम्हारे अपने लालच की वजह से ही तुम्हारी यह हालत हुई है। अब तुम यहाँ से कभी बच कर बाहर नहीं निकल सकते। क्या तुमको इस कहावत का पता नहीं है “जो अपने अन्त के बारे में नहीं सोचता किस्मत भी उसकी कोई सहायता नहीं करती और न ही वह खतरों से सुरक्षित रह सकता है।”

भेड़िया बोला — “तुम मेरी दोस्ती के बारे में नहीं सोच रहे हो लोमड़े भाई। केवल अल्लाह ही मुझे इसका इनाम देगा।”

लोमड़ा बोला — “अरे ओ बेवकूफ़ और तुम अपना जिद्दी बरताव और मेरी सलाह की बेइज़्ज़ती भूल गये।”

भेड़िया बोला — “मेरे पुराने पापों के लिये मुझे मत चिढ़ाओ क्योंकि दयावान लोगों से तो केवल माफी की ही उम्मीद रखी जाती है।”

और फिर उसने लोमड़े के साथ बहुत ही नरमी का बरताव किया। वह उसके सामने बहुत रोया बहुत गिड़गिड़ाया और शिकायत की और प्रार्थना की कि वह उसके साथ इतनी बेरहमी का बरताव न करे। इस मुसीबत के समय में उसकी वहाँ से बाहर निकलने में उसकी सहायता करे।

सो वह लोमड़े से फिर बोला — “जाओ और एक रस्सी ले कर आओ। उसका एक सिरा वहाँ ऊपर एक पेड़ से बाँध दो और उसका दूसरा सिरा मुझे दे दो ताकि मैं उसको पकड़ कर इस गड्ढे में से बाहर आ सकूँ। बाहर आने के बाद मैं तुमको जो कुछ भी मेरे पास है मैं वह सब तुमको दे दूँगा। मेरा यकीन करो।”

लोमड़ा बोला — “तुम मुझसे यों ही बेकार की बात कर रहे हो क्योंकि तुम्हारी ये बातें तुमको इस गड्ढे में से बाहर नहीं निकालने वाली। तुमने मेरे साथ जो जो बुरे काम किये हैं उनको तुम एक बार फिर याद कर लो और सोचो कि तुम पत्थरों की मार से मारे जाने के कितने करीब हो।”

भेड़िया बोला — “तुम ऐसा क्यों नहीं सोचते कि जो कोई एक आदमी को मरने से बचाता है वह सारी जाति को मरने से बचाता है इसलिये तुम मुझे यहाँ से आजाद कराने की पूरी कोशिश करो लोमड़े भाई।”

लोमड़ा बोला — “मैं तुम्हारे इरादों को बाज़ और तीतर के बराबर रख सकता हूँ।”

भेड़िया बोला — “वह कैसे?” और लोमड़े ने कहना शुरू किया — “एक बार मैं अंगूर खाने के लिये एक अंगूर के बागीचे में घुस गया तो मैंने वहाँ एक बाज़ को एक तीतर को पकड़ते हुए देखा पर तीतर उसकी पकड़ से निकल गया।

बाज़ उसके पीछे भागा और उससे बोला — “मुझे लगा कि तुम भूखे हो सो मुझे तुम्हारे ऊपर दया आ गयी। मैं तुम्हारे खाने के लिये कुछ दाने ले कर आया और तुमको पकड़ा ताकि मैं उन दानों को तुमको खाने के लिये दे सकूँ पर तुम तो मुझसे दूर भाग गये। मुझे नहीं मालूम कि तुम मुझसे दूर क्यों भागे। आओ बाहर आ जाओ और ये दाने ले लो जो मैं तुम्हारे खाने के लिये ले कर आया हूँ। इससे तुम्हारी तन्दुरुस्ती अच्छी हो जायेगी।”

जब तीतर ने यह सुना तो उसे बाज़ के ऊपर विश्वास हो गया और वह बाहर आ गया। इसी समय बाज़ ने उसे अपने पंख से मारा और फिर से पकड़ लिया।

तीतर बोला — “तो तुमने मुझसे झूठ बोला। अल्लाह करे कि जब तुम मेरा माँस खाओ तो वह तुम्हारे लिये जहर बन जाये।” सो जब बाज़ ने तीतर का माँस खाया तो उसका माँस सचमुच में ही उसके लिये जहर बन गया। उस माँस के खाते ही बाज़ के पंख नीचे गिर पड़े, वह कमजोर हो गया और वहीं मर गया।

लोमड़ा आगे बोला — “सो ओ भेड़िये, जो अपने भाइयों के लिये गड्ढा खोदता है वह खुद भी उसमें जल्दी ही गिर जाता है। पहले तुमने मुझे धोखा दिया था और अब तुम मुझसे दया की भीख माँग रहे हो।”

भेड़िया बोला — “तुम मुझे ये सब कहानियाँ मत सुनाओ। मेरे बुरे कामों की भी मुझे याद मत दिलाओ। एक सच्चे दोस्त की तरह से मेरे ऊपर दया करो। सच्चा दोस्त तो सच्चे भाई से भी कहीं ज़्यादा अच्छा होता है।

अगर तुम मुझे आज बचा लोगे तो मैं तुम्हें कुछ खास चालें सिखाऊँगा, जैसे बागीचे का दरवाजा खोलना, पेड़ों से फल तोड़ना, आदि आदि।”

लोमड़ा बोला — “तुम्हारे जैसे बेवकूफ के मुँह से ऐसी बातें बड़ी अजीब सी लगती हैं।”

“तो फिर अक्लमन्द लोग क्या कहते हैं?”

लोमड़ा बोला — “अक्लमन्द लोगों का कहना है कि मोटे शरीर में मोटी अक्ल रहती है – अक्लमन्दी से कहीं दूर और इसी लिये तुम बेवकूफ हो।

मैं तुम्हारे बुरे बरताव को देखते हुए तुम्हारा सच्चा दोस्त कैसे हो सकता हूँ। मैं तो तुमको अपना सच्चा दुश्मन मानता हूँ जो अपनी मुश्किलों में भी खुश हो रहा है।

तुम कहते हो कि तुम मुझे चालें सिखाओगे। पहले तुम यहाँ से अपने बाहर निकलने के लिये अपनी चाल तो इस्तेमाल कर लो। तुम तो उस बीमार आदमी की तरह हो जो दूसरे बीमार आदमी से कह रहा हो — “मैं तुम्हें ठीक कर सकता हूँ।”

तो दूसरा बीमार आदमी कहता है — “पहले तुम अपने आपको ठीक क्यों नहीं कर लेते?”

यह सुन कर पहला बीमार आदमी वहाँ से चला गया और दूसरे बीमार को वही छोड़ गया। अब तुम भी वहीं रहो जहाँ हो।”

भेड़िया समझ गया कि उसको इस लोमड़े से कोई सहायता नहीं मिलने वाली सो वह रोने लगा।

फिर वह अपने आपसे बोला — “अगर मैं यहाँ से बाहर निकल गया तो मैंने अपने से कमजोर लोगों के साथ जो बुरे काम किये हैं उनका प्रायश्चित जरूर करूँगा। मैं पहाड़ पर चला जाऊँगा और अल्लाह की प्रार्थना करूँगा। मैं जंगली जानवरों के साथ नहीं रहूँगा और गरीबों को खाना खिलाऊँगा।”

यह सुन कर लोमड़े को भेड़िये पर दया आ गयी। वह खुशी से भर गया। वह अपने पिछले पैरों पर खड़ा हो गया और उसने अपनी पूँछ उस गड्ढे में लटका दी ताकि भेड़िया उसकी पूँछ पकड़ कर उस गड्ढे से बाहर आ सके।

पर लोमड़ा तो यह देख कर बहुत गुस्सा हो गया कि भेड़िया उठा और उसने लोमड़े की पूँछ पकड़ कर बाहर आने की बजाय उसे खींच लिया जिससे वह लोमड़ा भी उस गड्ढे में गिर गया।

भेड़िया बोला — “अब बताओ तुम मेरे दुख में क्यों खुशी मना रहे थे? अब तुम मेरे पास आ गये हो तो साथ साथ मरने में ज़्यादा मजा आयेगा। अब इससे पहले कि तुम मुझे मारो मैं तुमको मार दूँगा।”

लोमड़ा बोला — “मुझे मत मारो। मुझे मार कर तुमको कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि इससे तो हम दोनों ही यहाँ मर जायेंगे।”

भेड़िया बोला — “तो बताओ कि यहाँ से बाहर निकलने की तुम्हारे पास क्या तरकीब है?”

लोमड़ा बोला — “जब मैंने तुम्हारे वायदों को सुना तो मुझे तुम्हारे ऊपर दया आ गयी और मैंने अपनी पूँछ तुमको पकड़ने के लिये इसलिये इस गड्ढे के अन्दर डाल दी ताकि तुम उसे पकड़ कर बाहर आ जाओ।पर तुमने अपनी गन्दी आदत नहीं छोड़ी। अब हम लोगों को केवल एक ही तरकीब बचा सकती है, अगर तुम उस पर राजी हो तो।”

भेड़िये ने पूछा — “वह क्या?”

लोमड़ा बोला — “मैं तुम्हारे ऊपर चढ़ जाता हूँ। तुम अपनी पूरी लम्बाई पर खड़े हो जाओ जब तक मैं जमीन के बराबर आ जाऊँ। फिर मैं जमीन पर कूद जाऊँगा और जब मैं गड्ढे के बाहर निकल जाऊँगा तो फिर मैं तुमको जो कुछ भी तुम पकड़ कर बाहर आ सकोगे तुमको पकड़ा कर बाहर निकाल लूँगा।”

भेड़िया बोला — “मुझे तुम्हारे ऊपर भरोसा नहीं है।” इस पर लोमड़े ने पूछा — “तो क्या फिर इस गड्ढे से बाहर निकलने की तुम्हारे पास कोई दूसरी तरकीब है? अगर है तो मुझे बताओ और अगर नहीं है तो मेरे ऊपर भरोसा करो। तुमको मेरे ऊपर किसी एक चीज़ के लिये तो भरोसा करना ही पड़ेगा – या तो मैं तुमको निकालने के लिये किसी को ले कर आऊँगा या फिर तुमको यहाँ मरने के लिये छोड़ जाऊँगा। “भरोसा करना अच्छी बात है और भरोसा न करना बुरी बात है।” इसलिये तुम मुझ पर भरोसा रखो।”

भेड़िया बोला — “ठीक है। मैं तुम्हारी बात माने लेता हूँ पर अगर तुमने मुझे धोखा दिया तो देख लेना कि तुम भी बचोगे नहीं।”

इतना कह कर भेड़िया बिल्कुल सीधा खड़ा हो गया और लोमड़े को उसने अपने कंधों पर उठा लिया और जमीन के बराबर तक पहुँचा दिया। लोमड़े ने उसके कंधों पर से एक कूद मारी और वह जमीन के ऊपर पहुँच गया। उ

सके बाहर कूदते ही भेड़िया चिल्लाया — “मुझे यहाँ से बाहर निकालना नहीं भूलना।”

लोमड़ा भी चिल्लाया — “मैंने अपनी पूँछ नीचे गिरा कर तुम्हें बचाने का अपना काम कर दिया है लेकिन तुमने तो मुझे भी गिरा दिया। अब तुम मुझसे क्या उम्मीद रखते हो?”

यह सुन कर भेड़िये ने तो अपना सिर पीट लिया और लोमड़े से बोला — “अगर तुम मुझको बाहर निकाल दोगे तो मैं तुमको भारी इनाम दूँगा।”

लोमड़ा बोला — “तुम्हारे इनाम देने के इस वायदे से तो मुझे एक साँपिन की कहानी याद आ गयी।

एक साँपिन थी जो भागी चली जा रही थी। उसको भागते हुए देख कर एक आदमी ने पूछा — “ओ साँपिन तुम इतनी तेज़ तेज़ क्यों भाग रही हो?”

साँपिन बोली — “मैं एक सँपेरे से डर कर भाग रही हूँ जो मुझे पकड़ कर बन्द कर लेना चाहता है। अगर तुम मुझे उससे बचा लोगे तो मैं तुमको अच्छा इनाम दूँगी।”

उस आदमी ने उसको उठा कर अपनी छाती के पास वाली जेब में रख लिया।जब सँपेरा वहाँ से चला गया तब उसने उस साँपिन को अपनी जेब से बाहर निकाल दिया।

अब साँपिन को उससे कोई डर नहीं था सो वह जाने लगी तो आदमी ने कहा — “मेरा इनाम कहाँ है जो तुमने मुझे देने का वायदा किया था?”

साँपिन बोली — “तो फिर तुम ही बताओ कि मैं तुम्हारे शरीर के किस हिस्से में काटूँ?” इतना कह कर उसने उसको तुरन्त ही काट लिया और वह वहीं मर गया।”

यह कह कर लोमड़ा एक पहाड़ी पर चढ़ गया और बागीचे के रखवालों को जगाने के लिये बहुत ज़ोर से चिल्लाया। वे जाग गये और गड्ढे के पास आ गये जहाँ भेड़िया उसमें गिरा पड़ा था। लोमड़ा उनको आते देख कर वहाँ से भी भाग चुका था।

बागीचे के रखवालों ने भेड़िये को इतने पत्थर मारे कि वह मर गया। लोमड़ा फिर वहीं अपने घर लौट आया और वहाँ ज़िन्दगी भर खुशी खुशी रहा। 

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रचनाएँ
अलिफ लैला
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अलिफ लैला की कहानी अरब देश की एक प्रचलित लोक कथा है जो पूरी दुनिया में सदियों से सुनी व पढ़ी जाती रही है। ... इस कथा के अनुसार, बादशाह शहरयार अपनी मलिका की बेवपफाई से दुःखी होकर उसका और उसकी सभी दासियों का कत्ल कर देता है और प्रतिज्ञा करता है कि रोजाना एक स्त्री के साथ विवाह करूंगा और अगली सुबह उसे कत्ल कर दूंगा।
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भूमिका

29 जनवरी 2022
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भूमिका (1)-अलिफ़ लैला सहस्र-रजनी चरित्र, जो अब भी भारत में अपने अरबी नाम 'अल्फ लैला' के प्रचलित बिगड़े हुए रूप 'अलिफ लैला' के नाम से अधिक जाना जाता है, वास्तव में लोक कथाओं का ऐसा संग्रह है जिसकी लोक

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शहरयार और शाहजमाँ

29 जनवरी 2022
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फारस देश भी हिंदुस्तान और चीन के समान था और कई नरेश उसके अधीन थे। वहाँ का राजा महाप्रतापी और बड़ा तेजस्वी था और न्यायप्रिय होने के कारण प्रजा को प्रिय था। उस बादशाह के दो बेटे थे जिनमें बड़े लड़के का

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किस्सा गधे, बैल और उनके मालिक

29 जनवरी 2022
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एक बड़ा व्यापारी था जिसके गाँव में बहुत-से घर और कारखाने थे जिनमें तरह-तरह के पशु रहते थे। एक दिन वह अपने परिवार सहित कारखानों को देखने के लिए गाँव गया। उसने अपनी पशुशाला भी देखी जहाँ एक गधा और एक बैल

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किस्सा व्यापारी और दैत्य का-

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा : प्राचीन काल में एक अत्यंत धनी व्यापारी बहुत-सी वस्तुओं का कारोबार किया करता था। यद्यपि प्रत्येक स्थान पर उसकी कोठियाँ, गुमाश्ते और नौकर-चाकर रहते थे तथापि वह स्वयं भी व्यापार के लिए द

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किस्सा बूढ़े और उसकी हिरनी का

29 जनवरी 2022
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वृद्ध बोला, 'हे दैत्यराज, अब ध्यान देकर मेरा वृत्तांत सुनें। यह हिरनी मेरे चचा की बेटी और मेरी पत्नी है। जब यह बारह वर्ष की थी तो इसके साथ मेरा विवाह हुआ। यह अत्यंत पतिव्रता थी और मेरे प्रत्येक आदेश क

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किस्सा तीसरे बूढ़े का जिसके साथ एक खच्चर था

29 जनवरी 2022
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तीसरे बूढ़े ने कहना शुरू किया : 'हे दैत्य सम्राट, यह खच्चर मेरी पत्नी है। मैं व्यापारी था। एक बार मैं व्यापार के लिए परदेश गया। जब मैं एक वर्ष बाद घर लौटकर आया तो मैंने देखा कि मेरी पत्नी एक हब्शी गुल

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मछुवारे की कहानी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि हे स्वामी, एक वृद्ध और धार्मिक प्रवृत्ति का मुसलमान मछुवारा मेहनत करके अपने स्त्री-बच्चों का पेट पालता था। वह नियमित रूप से प्रतिदिन सवेरे ही उठकर नदी के किनारे जाता और चार बार नदी मे

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गरीक बादशाह और हकीम दूबाँ की कथा

29 जनवरी 2022
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फारस देश में एक रूमा नामक नगर था। उस नगर के बादशाह का नाम गरीक था। उस बादशाह को कुष्ठ रोग हो गया। इससे वह बड़े कष्ट में रहता था। राज्य के वैद्य-हकीमों ने भाँति-भाँति से उसका रोग दूर करने के उपाय किए क

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भद्र पुरुष और उसके तोते की कथा

29 जनवरी 2022
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पूर्वकाल में किसी गाँव में एक बड़ा भला मानस रहता था। उसकी पत्नी अतीव सुंदरी थी और भला मानस उससे बहुत प्रेम करता था। अगर कभी घड़ी भर के लिए भी वह उसकी आँखों से ओझल होती थी तो वह बेचैन हो जाता था। एक बा

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अमात्य की कहानी

29 जनवरी 2022
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प्राचीन समय में एक राजा था उसके राजकुमार को मृगया का बड़ा शौक था। राजा उसे बहुत चाहता था, राजकुमार की किसी इच्छा को अस्वीकार नहीं करता था। एक दिन राजकुमार ने शिकार पर जाना चाहा। राजा ने अपने एक अमात्य

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काले द्वीपों के बादशाह की कहानी

29 जनवरी 2022
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उस जवान ने अपना वृत्तांत कहना आरंभ किया। उसने कहा 'मेरे पिता का नाम महमूद शाह था। वह काले द्वीपों का अधिपति था, वे काले द्वीप चार विख्यात पर्वत हैं। उसकी राजधानी उसी स्थान पर थी जहाँ वह रंगीन मछलियों

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किस्सा तीन राजकुमारों और पाँच सुंदरियों का

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शहरजाद की कहानी रात रहे समाप्त हो गई तो दुनियाजाद ने कहा - बहन, यह कहानी तो बहुत अच्छी थी, कोई और भी कहानी तुम्हें आती है? शहरजाद ने कहा कि आती तो है किंतु बादशाह की अनुमति हो तो कहूँ। बादशाह ने अनुमत

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मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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मजदूर बोला, 'हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया।

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मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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मजदूर बोला, 'हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया।

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पहले फकीर की कहानी

29 जनवरी 2022
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पहले फकीर ने अदब से घुटनों के बल खड़े होकर कहा 'सुंदरी, अब ध्यान लगाकर सुनो कि मेरी आँख किस प्रकार गई और मैं क्यों फकीर बना। मैं एक बड़े बादशाह का बेटा था। बादशाह का भाई यानी मेरा चचा भी एक समीपवर्ती

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दूसरे फकीर की कहानी

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अभी पहले फकीर की अद्भुत आप बीती सुनकर पैदा होने वाले आश्चर्य से लोग उबरे नहीं थे कि जुबैदा ने दूसरे फकीर से कहा कि तुम बताओ कि तुम कौन हो और कहाँ से आए हो। उसने कहा कि आपकी आज्ञानुसार मैं आप को बताऊँग

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भले आदमी और ईर्ष्यालु पुरुष

29 जनवरी 2022
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किसी नगर में दो आदमियों का घर एक दूसरे से लगा हुआ था। उनमें से एक पड़ोसी दूसरे के प्रति ईर्ष्या और द्वेष रखता था। भले मानस ने सोचा कि मकान छोड़कर कहीं जा बसूँ क्योंकि मैं इस आदमी के प्रति उपकार करता ह

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किस्सा तीसरे फकीर का

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हे दयालु सुंदरी, मेरी कहानी बहुत ही आश्चर्यकारी है। इन दोनों शहजादों की दाहिनी आँखें परिस्थितिवश गईं किंतु मेरी आँख मेरी ही मूर्खता और मेरे ही अपराध के कारण फूटी। मैं इसका विस्तृत वर्णन करता हूँ। मेरा

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किस्सा जुबैदा का

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जुबैदा ने खलीफा के सामने सर झुका कर निवेदन किया है राजाधिराज, मेरी कहानी बड़ी ही विचित्र है, आपने इस प्रकार की कोई कहानी नहीं सुनी होगी। मैं और वे दोनों काली कुतियाँ तीनों सगी बहिनें हैं और यह दो स्त्

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किस्सा अमीना का

29 जनवरी 2022
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अमीना ने कहा, 'जुबैदा की कहानी आप उसके मुँह से सुन चुके, अब मैं अपनी कहानी आपके सम्मुख प्रस्तुत करती हूँ। मेरी माँ मुझे लेकर अपने घर में आई कि रँड़ापे का अकेलापन उसे न खले। फिर उसने मेरा विवाह इसी नगर

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सिंदबाज जहाजी की कहानी

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जब शहरजाद ने यह कहानी पूरी की तो शहरयार ने, जिसे सारी कहानियाँ बड़ी रोचक लगी थीं, पूछा कि तुम्हें कोई और कहानी भी आती हैं। शहरजाद ने कहा कि बहुत कहानियाँ आती हैं। यह कह कर उसने सिंदबाद जहाजी की कहानी

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सिंदबाद जहाजी की पहली यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा कि मैंने अच्छी-खासी पैतृक संपत्ति पाई थी किंतु मैंने नौजवानी की मूर्खताओं के वश में पड़कर उसे भोग-विलास में उड़ा डाला। मेरे पिता जब जीवित थे तो कहते थे कि निर्धनता की अपेक्षा मृत्यु श्र

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सिंदबाद जहाजी की दूसरी यात्रा

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मित्रो, पहली यात्रा में मुझ पर जो विपत्तियाँ पड़ी थीं उनके कारण मैंने निश्चय कर लिया था कि अब व्यापार यात्रा न करूँगा और अपने नगर में सुख से रहूँगा। किंतु निष्क्रियता मुझे खलने लगी, यहाँ तक कि मैं बेच

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सिंदबाद जहाजी की तीसरी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा कि घर आकर मैं सुखपूर्वक रहने लगा। कुछ ही दिनों में जैसे पिछली दो यात्राओं के कष्ट और संकट भूल गया और तीसरी यात्रा की तैयारी शुरू कर दी। मैंने बगदाद से व्यापार की वस्तुएँ लीं और कुछ व्या

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सिंदबाद जहाजी की चौथी यात्रा

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सिंदबाद ने कहा, कुछ दिन आराम से रहने के बाद मैं पिछले कष्ट और दुख भूल गया था और फिर यह सूझी कि और धन कमाया जाए तथा संसार की विचित्रताएँ और देखी जाएँ। मैंने चौथी यात्रा की तैयारी की और अपने देश की वे व

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सिंदबाद जहाजी की पाँचवी यात्रा

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सिंदबाद ने कहा कि मेरी विचित्र दशा थी। चाहे जितनी मुसीबत पड़े मैं कुछ दिनों के आनंद के बाद उसे भूल जाता था और नई यात्रा के लिए मेरे तलवे खुजाने लगते थे। इस बार भी यही हुआ। इस बार मैंने अपनी इच्छानुसार

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सिंदबाद जहाजी की छठी यात्रा

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सिंदबाद ने हिंदबाद और अन्य लोगों से कहा कि आप लोग स्वयं ही सोच सकते हैं कि मुझ पर कैसी मुसीबतें पड़ीं और साथ ही मुझे कितना धन प्राप्त हुआ। मुझे स्वयं इस पर आश्चर्य होता था। एक वर्ष बाद मुझ पर फिर यात्

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सिंदबाद जहाजी की सातवीं यात्रा

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सिंदबाद ने कहा, दोस्तो, मैंने दृढ़ निश्चय किया था कि अब कभी जल यात्रा न करूँगा। मेरी अवस्था भी इतनी हो गई थी कि मैं कहीं आराम के साथ बैठ कर दिन गुजारता। इसीलिए मैं अपने घर में आनंदपूर्वक रहने लगा। एक

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एक स्त्री और तीन नौकरों का वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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शहरयार को सिंदबाद की यात्राओं की कहानी सुन कर बड़ा आनंद हुआ। उसने शहरजाद से और कहानी सुनाने को कहा। शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद का नियम था कि वह समय-समय पर वेश बदल कर बगदाद की सड़कों पर प्रजा का

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जवान और मृत स्त्री

29 जनवरी 2022
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उस जवान ने कहा कि 'मृत स्त्री मेरी पत्नी और इन वृद्ध सज्जन की बेटी थी और यह मेरे चचा हैं। ग्यारह वर्ष पूर्व उससे मेरा विवाह हुआ था। हमारे तीन बेटे हैं जो जीवित हैं। मेरी पत्नी अत्यंत सुशील और पतिव्रता

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नूरुद्दीन अली और बदरुद्दीन हसन

29 जनवरी 2022
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मंत्री जाफर ने कहा कि पहले जमाने में मिस्र देश में एक बड़ा प्रतापी और न्यायप्रिय बादशाह था। वह इतना शक्तिशाली था कि आस-पड़ोस के राजा उससे डरते थे। उसका मंत्री बड़ा शासन- कुशल, न्यायप्रिय और काव्य आदि

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काशगर के दरजी और बादशाह के कुबड़े सेवक

29 जनवरी 2022
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दूसरी रात को मलिका शहरजाद ने पिछले पहर अपनी बहन दुनियाजाद के कहने से यह कहानी सुनाना आरंभ किया। पुराने जमाने में तातार देश के समीपवर्ती नगर काशगर में एक दरजी था जो अपनी दुकान में बैठ कर कपड़े सीता था।

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ईसाई द्वारा सुनाई गई

29 जनवरी 2022
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ईसाई ने कहा, मैं मिस्र की राजधानी काहिरा का निवासी हूँ। मेरा बाप दलाल था। उस के पास काफी पैसा हो गया। उस ने मरने के बाद मैं ने भी वही व्यापार आरंभ किया। एक दिन मैं अनाज की मंडी में अपने दैनिक व्यापार

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अनाज के व्यापारी

29 जनवरी 2022
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अनाज का व्यापारी बोला कि कल मैं एक धनी व्यक्ति की पुत्री के विवाह में गया था। नगर के बहुत-से प्रतिष्ठित व्यक्ति उसमें शामिल थे। शादी की रस्में पूरी होने पर दावत हुई और नाना प्रकार के व्यंजन परोसे गए।

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उस आदमी की कहानी जिसके चारों अँगूठे कटे थे

29 जनवरी 2022
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उस ने कहा कि दोस्तो, मेरा पिता बगदाद का रहनेवाला था और खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में था। मैं भी उसी समय पैदा हुआ। मेरा पिता यद्यपि धनवान तथा बड़े व्यापारियों में गिना जाता था तथापि वह बहुत ही विलासी औ

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यहूदी हकीम द्वारा वर्णित

29 जनवरी 2022
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यहूदी हकीम ने बादशाह के सामने झुक कर जमीन चूमी और कहा कि पहले मैं दमिश्क नगर में हकीमी किया करता था। अपनी चिकित्सा विधि के कारण वहाँ मेरी बड़ी प्रतिष्ठा हो गई थी। एक दिन वहाँ के हाकिम ने मुझ से कहा कि

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काशगर के बादशाह के सामने दरजी की कथा

29 जनवरी 2022
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दरजी ने कहा कि इस नगर के व्यापारी ने एक बार अपने मित्रों को भोज दिया और उनके लिए भाँति-भाँति के व्यंजन बनवाए। मुझे भी बुलाया गया। मैं जब वहाँ पहुँचा तो देखा कि बहुत-से निमंत्रित लोग मौजूद हैं किंतु मक

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लँगड़े आदमी की कहानी

29 जनवरी 2022
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मेरा पिता बगदाद के सम्मानित व्यक्तियों में से था और हम लोग आनंदपूर्वक वहाँ रह रहे थे। मैं अपने पिता का अकेला बेटा था। जिस समय मेरे पिता की मृत्यु हुई उस समय तक मैं न केवल विद्याध्ययन पूरा कर चुका था ब

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दरजी की जबानी नाई की कहानी

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खलीफा हारूँ रशीद के काल में बगदाद के आसपास दस कुख्यात डाकू थे जो राहगीरों को लूटते ओर मार डालते थे। खलीफा ने प्रजा के कष्ट का विचार कर के कोतवाल से कहा कि उन डाकुओं को पकड़ कर लाओ वरना मैं तुम्हें प्र

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नाई के कुबड़े भाई

29 जनवरी 2022
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सरकार, मेरा सबसे बड़ा भाई जिसका नाम बकबक था, कुबड़ा था। उसने दरजीगीरी सीखी और जब यह काम सीख लिया तो उसने अपना कारबार चलाने के लिए एक दुकान किराए पर ली। उस की दुकान के सामने ही एक आटा चक्कीवाले की दुका

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नाई के दूसरे भाई बकबारह की कहानी

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दूसरे रोज खलीफा के सामने पहुँच कर मैं ने कहा कि मेरा दूसरा भाई बकबारह पोपला है। एक दिन उससे एक बुढ़िया ने कहा, मैं तुम्हारे लाभ की एक बात कहती हूँ। एक बड़े घर की स्वामिनी तुम से आकृष्ट है। मैं तुम्हें

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नाई के तीसरे भाई अंधे बूबक की कहानी

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा, सरकार, मेरा तीसरा भाई बूबक था जो बिल्कुल अंधा था। वह बड़ा अभागा था। वह भिक्षा से जीवन निर्वाह करता था। उसका नियम था कि अकेला ही लाठी टेकता हुआ भीख माँगने जाता और किसी दानी का द्वार खटखटा क

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नाई के चौथे भाई काने अलकूज

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि मेरा चौथा भाई काना था और उसका नाम अलकूज था। अब यह भी सुन लीजिए कि उसकी एक आँख किस प्रकार गई। मेरा भाई कसाई का काम करता था। उसे भेड़-बकरियों की अच्छी पहचान थी। वह मेढ़ों को लड़ाने के लिए

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नाई के पाँचवें भाई अलनसचर

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नाई ने कहा कि मेरे पाँचवें भाई का नाम अलनसचर था। वह बड़ा आलसी और निकम्मा था। वह रोज किसी न किसी मित्र के पास जा कर बेशर्मी से कुछ भीख माँग लेता और खा-पी कर पड़ा रहता। मेरा बाप कुछ समय बाद बूढ़ा हो कर

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नाई के छठे भाई कबक जिसके होंठ खरगोश की तरह के थे

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नाई ने कहा कि अब मेरे आखिरी भाई शाह कबक का वृत्तांत रह गया है। इसे भी सुन लीजिए, फिर मैं आप से विदा लूँ। इस भाई का नाम शाह कबक था और उसके होंठ खरगोश की तरह ऊपर को चढ़े हुए थे और वह चलता भी खरगोश की तर

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शहजादा अबुल हसन और हारूँ रशीद की प्रेयसी शमसुन्निहार

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खलीफा हारूँ रशीद के शासनकाल में बगदाद में एक अत्यंत धनाढ्य और सुसंस्कृत व्यापारी रहता था। वह शारीरिक रूप से तो सुंदर था ही, मानसिक रूप से और भी सुंदर था। वहाँ के अमीर-उमरा उसका बड़ा मान करते। यहाँ तक

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कमरुज्जमाँ और बदौरा

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फारस देश में बीस दिन की राह पर एक देश खलदान है। उस देश में कई टापू भी शामिल हैं। बहुत दिन पहले वहाँ का बादशाह शाहजमाँ था। उसके चार पत्नियाँ थीं और सात विशेष दासियाँ। वह बड़ा प्रतापी राजा था, उसके दे

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नूरुद्दीन और पारस देश की दासी

29 जनवरी 2022
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अगली सुबह से पहले शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि पहले जमाने में बसरा बगदाद के अधीन था। बगदाद में खलीफा हारूँ रशीद का राज था और उसने अपने चचेरे भाई जुबैनी को बसरा का हाकिम बनाया था। जुबैनी के

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ईरानी बादशाह बद्र और शमंदाल की शहजादी

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शहरजाद ने कहा कि बादशाह सलामत, ईरान बहुत बड़ा देश है। पुराने जमाने में वहाँ बड़े शक्तिशाली और प्रतापी नरेश हुआ करते थे और उन्हें शहंशाह यानी बादशाहों का बादशाह कहा जाता था। उसी काल का वहाँ का एक बादशा

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गनीम और फितना

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दुनियाजाद ने मलिका शहरजाद से नई कहानी सुनाने को कहा और बादशाह शहरजाद ने भी अपनी मौन स्वीकृति दे दी तो शहरजाद ने नई कहानी शुरू कर दी। उसने कहा कि पुराने जमाने में दमिश्क नगर में एक व्यापारी रहता था जिस

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शहजादा जैनुस्सनम और जिन्नों के बादशाह

29 जनवरी 2022
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पुराने जमाने में बसरा में एक बड़ा ऐश्वर्यवान और न्यायप्रिय बादशाह राज करता था। उसे सबकुछ प्राप्त था किंतु उसे बहुत दिनों तक कोई संतान नहीं हुई जिससे वह बहुत दुखी रहता था। नगर निवासी भी बादशाह के साथ म

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शहजादा खुदादाद और दरियाबार की शहजादी-

29 जनवरी 2022
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उपर्युक्त कहानी के मध्य में एक यात्रा में जैनुस्सनम के दरियाबार देश मे जाने का भी उल्लेख है। वहाँ की एक चित्ताकर्षक कथा उस ने सुनी थी। वह कथा भी इस जगह कही जाती है। हैरन नगर में एक बड़ा प्रतापी बादशा

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दरियाबार की शहजादी

29 जनवरी 2022
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उस सुंदरी ने कहा कि काहिरा के निकट दरियाबार नाम एक द्वीप है। उस का बादशाह सब प्रकार से सुखी था किंतु उसे संतान न होने का बड़ा दुख था। वर्षों की प्रार्थनाओं और सिद्धों के आशीर्वादों से उस के यहाँ एक पु

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सोते-जागते आदमी

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शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में बगदाद में एक धनी व्यापारी था। उस का एक ही पुत्र था जिसका नाम अबुल हसन था। व्यापारी बड़ा कंजूस था। वह धन एकत्र ही करता था, खर्च बहुत कम करता था। इसलिए जब

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अलादीन और जादुई चिराग

29 जनवरी 2022
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चीन की राजधानी में मुस्तफा नाम का एक दरजी रहता था। वह गरीब आदमी था और बड़ी कठिनाई से अपने परिवारवालों का पेट भरता था। उस के पुत्र का नाम अलादीन था जो कुछ काम-काज नहीं करता था सिर्फ खेल-कूद में समय ब

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खलीफा हारूँ रशीद और बाबा अब्दुल्ला

29 जनवरी 2022
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दुनियाजाद के प्रस्ताव और शहरयार की अनुमति से नई कहानी प्रारंभ करते हुए शहरजाद ने कहा कि कभी-कभी आदमी का चित्त प्रसन्न होता है और उसकी कोई साफ वजह भी नहीं होती। ऐसी स्थिति भी होती है जब आदमी खुश तो होत

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अंधे बाबा अब्दुल्ला

29 जनवरी 2022
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बाबा अब्दुल्ला ने कहा कि मैं इसी बगदाद नगर में पैदा हुआ था। मेरे माँ बाप मर गए तो उनका धन उत्तराधिकार में मैंने पाया। वह धन इतना था कि उससे मैं जीवन भर आराम से रह सकता था किंतु मैंने भोग-विलास में सार

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सीदी नोमान

29 जनवरी 2022
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भिखारी की कहानी सुनने के बाद खलीफा ने बराबर घोड़ी दौड़ानेवाले पर ध्यान दिया और उससे पूछा कि तुम्हारा क्या नाम है। उसने अपना नाम सीदी नोमान बताया। खलीफा ने कहा, मैंने बहुत-से घुड़सवारों और साईसों को दे

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ख्वाजा हसन हव्वाल

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ख्वाजा हसन ने कहा कि मैं अपनी बात बताने के पहले अपने दो मित्रों के बारे में बताना चाहता हूँ। वे अभी जीवित हैं और यहीं बगदाद में रहते हैं। वे मेरे प्रत्येक कथन की पुष्टि करेंगे। उनमें से एक का नाम सादी

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अलीबाबा और चालीस लुटेरों की कहानी

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अगली रात को मलिका शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि फारस देश में कासिम और अलीबाबा नाम के दो भाई रहते थे। उन्हें पैतृक संपत्ति थोड़ी ही मिली थी। किंतु कासिम का विवाह एक धनी-मानी व्यक्ति की पुत्री

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बगदाद के व्यापारी अली ख्वाजा

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खलीफा हारूँ रशीद के राज्य काल में बगदाद में अलीख्वाजा नामक एक छोटा व्यापारी रहता था। वह अपने पुश्तैनी मकान में, जो छोटा-सा ही था, अकेला रहता था। उसने विवाह नहीं किया था और उसके माता पिता की भी मृत्यु

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यंत्र के घोड़े

29 जनवरी 2022
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बादशाह सलामत, आपको यह मालूम ही है कि हजारों वर्ष से फारस में नौरोज यानी वर्ष का प्रथम दिवस बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। उसमें सभी लोग विशेषतः अग्निपूजक, भाँति-भाँति के नृत्यों और खेल-तमाशों का आय

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शहजादा अहमद और परीबानू

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शहरजाद ने कहा, बादशाह सलामत, पुराने जमाने में हिंदोस्तान का एक बादशाह बड़ा प्रतापी और ऐश्वर्यवान था। उसके तीन बेटे थे। बड़े का नाम हुसैन, मँझले का अली और छोटे का अहमद था। बादशाह का एक भाई जब मरा तो उस

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ईर्ष्यालु बहनों की कहानी

29 जनवरी 2022
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पुराने जमाने में फारस में खुसरो शाह नामी शहजादा था। वह रातों को अक्सर भेस बदल कर सिर्फ एक सेवक को अपने साथ रख कर नगर की सैर किया करता था और संसार की विचित्र बातें देख कर अपना ज्ञान बढ़ाया करता था। ज

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बैल और गधा

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एक बार एक सौदागर था जो बहुत अमीर था। उसके पास बहुत सारे नौकर चाकर और जानवर थे। उसकी एक पत्नी थी और परिवार था और वह अपने खाने पीने के लिये खेती करता था। उसके पास जंगली जानवरों और हर तरह की चिड़िया की बो

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भेड़िये और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक लोमड़ा और एक भेड़िया एक ही घर में रहते थे। भेड़िया बहुत ही बेरहम था जबकि लोमड़ा बहुत नरम दिल था। इसी तरह से रहते हुए उन्हें कुछ दिन हो गये कि एक दिन वह लोमड़ा भेड़िये से बोला — “अगर तुम इसी तरीके

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लोमड़े और कौए की कहानी

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एक लोमड़ा एक पहाड़ की एक गुफा में रहता था। जब भी उसको एक बच्चा पैदा होता और वह बड़ा हो जाता तो वह उसको खा जाता क्योंकि उसको भूख बहुत लगती थी। अगर वह अपने बच्चों को न खाता तो उसके वे बच्चे बड़े हो जाते और

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साही और कबूतर

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एक बार एक साही एक खजूर के पेड़ के नीचे रहने के लिये आया। उसी पेड़ के ऊपर एक कबूतर अपनी पत्नी के साथ रहता था। साही ने सोचा कि यह कबूतर का जोड़ा तो इस पेड़ के फल खाता है पर मुझे इस पेड़ के फल खाने का कोई मौ

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बतख और कछुए की कहानी

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एक बार एक बतख बहुत ऊपर उड़ा और बहते हुए पानी में खड़ी एक चट्टान पर जा कर बैठ गया। जब वह वहाँ बैठा हुआ था तो पानी की एक लहर एक आदमी का ढाँचा उसके पास ला कर छोड़ गयी। बतख ने उसको ठीक से देखा तो उसको पता लग

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चुहिया और एक ततैये की कहानी

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एक बार एक चुहिया और एक मादा ततैया एक गरीब किसान के घर में एक साथ ही रहते थे। एक बार उस किसान का एक दोस्त बीमार पड़ गया तो डाक्टर ने उसको धुले तिल21 खाने की सलाह दी। सो उस किसान ने एक आदमी से अपने दोस्

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कौआ और बिल्ला

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एक समय की बात है कि एक कौआ और एक बिल्ला दोनों आपस में बड़े गहरे दोस्त थे और साथ साथ रहते थे। एक दिन वे दोनों एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे कि उन्होंने एक चीते23 को अपनी तरफ आते हुए देखा। उनको उसके अपनी त

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चिड़ा और मोर

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एक बार की बात है एक चिड़ा रोज सुबह सुबह चिड़ियों के राजा से मिलने जाता था और सारा दिन उसकी सेवा में खड़ा रहता था। वह सबसे पहले वहाँ पहुँचता था और सबसे बाद में वहाँ से वापस आता था। एक बार कुछ चिड़ियों ने

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मुर्गे और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक गाँव में एक शेख रहता था। उसकी अपने गाँव में बहुत अच्छी साख थी और वह एक बहुत ही समझदार आदमी था। उसके अपने पास बहुत सारे मुर्गे मुर्गियाँ थे। वह उनको बढ़ाने के लिये उनकी बहुत अच्छी देखभाल करता

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चिड़ियें, जानवर और बढ़ई

29 जनवरी 2022
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जानवरों की यह कहानी बहुत ही मजेदार है। हो सकता है कि तुम इसको बार बार पढ़ना पसन्द करो और हर किसी को खास करके अपने छोटे भाई बहिनों को बार बार सुनाना पसन्द करो। बहुत पुरानी बात है कि एक मोर अपनी पत्नी क

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