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किस्सा जुबैदा का

29 जनवरी 2022

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जुबैदा ने खलीफा के सामने सर झुका कर निवेदन किया है राजाधिराज, मेरी कहानी बड़ी ही विचित्र है, आपने इस प्रकार की कोई कहानी नहीं सुनी होगी। मैं और वे दोनों काली कुतियाँ तीनों सगी बहिनें हैं और यह दो स्त्रियाँ जो मेरे साथ बैठी हैं मेरी सौतेली बहनें हैं। जिस स्त्री के कंधों पर काले निशान हैं उसका नाम अमीना है, जो अन्य स्त्री मेरे साथ है उसका नाम साफी है और मेरा नाम जुबैदा है। अब मैं आपको बताती हूँ कि मेरी सगी बहनें कुतिया किस तरह से बन गईं।

जुबैदा ने कहा कि पिता के मरने के बाद हम पाँचों बहनों ने उनकी संपत्ति को आपस में बाँट लिया। मेरी सौतेली बहनें अपना-अपना भाग लेकर अपनी माता के साथ रहने लगीं और हम तीनों अपनी माता के पास रहने लगीं, क्योंकि उस समय हमारी माता जीवित थी। मेरी दोनों बहनें मुझ से बड़ी थीं। उन्होंने विवाह कर लिए और अपने-अपने पतियों के घर जाकर रहने लगीं और मैं अकेली रहने लगी।

कुछ समय के पश्चात मेरी बड़ी बहन के पति ने अपना सारा माल बेच डाला और मेरी बहन का रुपया भी उस रुपए में मिलाकर व्यापार के इरादे से वह अफ्रीका को चला गया और मेरी बहन को भी ले गया। किंतु वहाँ जाकर उसने व्यापार के बजाय भोग- विलास आरंभ किया और कुछ ही दिनों में अपना और मेरी बहन का सारा धन उड़ा डाला बल्कि उसके वस्त्राभूषण आदि भी बेच खाए। फिर उसने किसी बहाने से मेरी बहन को तलाक दे दिया और घर से भी निकाल दिया। वह अत्यंत दीन-हीन अवस्था में हजार दुख उठाती हुई बगदाद पहुँची और चूँकि उसके लिए और कोई स्थान नहीं था अतएव मेरे घर आई।

मैंने उसका बड़ा स्वागत-सत्कार किया और उससे पूछा कि तुम्हारी यह दुर्दशा कैसे हुई। उसने अपनी करुण कथा सुनाई जिसे सुनकर मैं बहुत रोई। फिर मैंने उसे स्नान कराया और अपने वस्त्रों के भंडार से अच्छे कपड़े निकाल कर उसे पहनाए। मैंने उससे कहा, 'अब तुम आराम से यहाँ रहो। तुम मेरी माँ की जगह हो। भगवान ने मुझ पर बड़ी दया की है कि तुम्हारे जाने के बाद मैंने रेशमी वस्त्रों का व्यापार किया जिससे मुझे बहुत लाभ हुआ है। अब जो कुछ मेरे पास है वह भी अपना समझो और तुम भी मेरे साथ मिलकर यही व्यापार करो।'

नितांत उसके बाद से हम दोनों बहनें संतोष और सुख के साथ रहने लगीं। अकसर ही हम लोग अपनी तीसरी बहन को याद करते कि वह न जाने कहाँ होगी। बहुत दिनों तक हमें उसका कोई समाचार नहीं मिला कि वह कहाँ है और किस दिशा में है किंतु अचानक एक दिन वह मँझली बहन भी बड़ी बहन के समान दीन-हीन अवस्था में मेरे पास आई क्योंकि उसके पति ने भी उसकी संपूर्ण संपत्ति को उड़ा डाला था और फिर उसे तलाक देकर अपने घर से निकाल दिया था ओर वह भी गिरती-पड़ती बगदाद पहुँच कर मेरे घर में शरण लेने के लिए आई थी।

मैंने उसका भी बड़ी बहन की भाँति स्वागत-सत्कार किया और उसे बड़ा दिलासा दिया। वह भी आराम से रहने लगी। लेकिन कुछ दिनों बाद इन दोनों ने मुझसे कहा कि हमारे रहने से तुम्हें कष्ट भी होता है और हम पर तुम्हारा पैसा भी खर्च होता है इसलिए हम लोग फिर से विवाह करेंगे। मैंने कहा, 'यदि मेरी असुविधा भर से तुम्हें यह खयाल पैदा हुआ कि विवाह कर लेना चाहिए तो यह बेकार बात है क्योंकि भगवान की दया से व्यापार में मुझे इतना लाभ हो रहा है कि हम तीनों बहनें जीवनपर्यंत आनंद और सुख-सुविधा से रह सकती हैं। तुम्हें मेरे पास कोई कष्ट न होगा। तुम्हारे विवाह करने की इच्छा को सुनकर मुझे बड़ा आश्चर्य है। तुम लोगों ने अपने-अपने पतियों के हाथों इतने कष्ट उठाए हैं। फिर भी मुसीबत में पड़ना चाहती हो। अच्छे पतियों का मिलना अत्यंत दुष्कर है। इसलिए तुम विवाह का विचार छोड़ दो।'

इस प्रकार मैंने उन्हें बहुत समझाया। लेकिन वे दोनों अपनी बात पर दृढ़ रहीं। वे मुझसे कहने लगीं, 'तू हमसे अवस्था में कम है किंतु बुद्धि में अधिक है। किंतु जितने दिन रह लिया उससे अधिक हम तेरे घर में न रहेंगे क्योंकि आखिर तू हमें अपनी आश्रिता ही समझती होगी और अपने हृदय में हमारा सम्मान दासियों से अधिक नहीं करती होगी।' मैंने कहा, 'यह तुम लोग क्या कह रही हो? मैं तो तुम्हें वैसा ही अपने से ज्येष्ठ और सम्मानीय समझती हूँ जैसा पहले जमाने में समझती थी। मेरे पास जो भी धन-संपत्ति है वह तुम्हारी ही है।' यह कह कर मैंने उनको गले लगाया और बहुत दिलासा दिया। और हम तीनों मिल कर पहले की तरह रहने लगे।

एक वर्ष के पश्चात भगवान की दया से मेरा व्यापार ऐसा चमका कि मेरी इच्छा हुई कि उसे अन्य नगरों तक बढ़ाऊँ। अतएव मैंने जहाज पर सामान लाद कर किसी अन्य देश में भी व्यापार जमाने की सोची। मैं व्यापार की वस्तुओं और अपनी दोनों बहनों को लेकर बगदाद से बूशहर में आई और एक छोटा-सा जहाज खरीद कर मैंने अपनी व्यापार की वस्तुओं को उस पर लाद दिया और चल पड़ी। वायु हमारे अनुकूल थी इसीलिए हम लोग फारस की खाड़ी में पहुँच गए और वहाँ से हमारा जहाज हिंदोस्तान के लिए चल पड़ा। बीस दिन बाद हम लोग एक टापू पर पहुँचे जिसके पिछले भाग में एक बहुत ऊँचा पर्वत था। द्वीप में समुद्र के किनारे ही एक बड़ा और सुंदर नगर बसा था।

मैं जहाज पर बैठे-बैठे बहुत ऊब गई थी इसलिए अपनी बहनों को जहाज ही पर छोड़कर एक डोंगी पर बैठ कर तट पर गई। नगर के द्वार पर काफी संख्या में सेना रक्षा के लिए नियुक्त थी और कई सिपाही चुस्ती से अपनी जगहों पर खड़े थे। उनका रूप बड़ा भयोत्पादक था। मैं कुछ डरी किंतु मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उनके हाथ-पाँव में कोई हरकत नहीं होती थी बल्कि उनकी पलकें भी नहीं झपकती थीं। मैं पास पहुँची तो देखा कि सारे सैनिक पत्थर के बने हैं। मैं नगर के भीतर चली गई। वहाँ भी देखा कि हर चीज पत्थर की है। बाजार की दुकानें बंद थीं। भाड़ों में से भी धुआँ नहीं निकल रहा था और न घरों से। चुनांचे मैं समझ गई कि यहाँ भी सब लोग पत्थर के हो गए होंगे।

मैंने नगर के एक ओर एक बड़ा मैदान देखा जिसके एक ओर एक बड़ा फाटक था और उसमें सोने के पत्तर लगे थे। खुले फाटक के अंदर गई तो एक बड़ा दरवाजा देखा जिस पर रेशमी परदा लटक रहा था। स्पष्टता ही वह राजमहल लगता था। मैं परदा उठाकर अंदर गई तो देखा कि कई चोबदार वहाँ मौजूद हैं - कुछ खड़े हैं कुछ बैठे हैं - किंतु वे सबके सब पत्थर के बने हुए थे। मैं और अंदर गई फिर वहाँ से तीसरे भवन में प्रविष्ट हुई। सभी जगह देखा कि जीता-जागता कोई मनुष्य नहीं है, जो भी है वह पत्थर का बना हुआ है। चौथा मकान अत्यंत सुंदर बना था, उसके द्वार और जंजीरें सभी सोने के बने हुए थे। मैंने समझ लिया कि यह कक्ष रानी का निवास स्थान होगा। अंदर जाकर देखा कि एक दालान में बहुत-से हब्शी काले संगमरमर के बने हुए हैं। दालान के अंदर एक सजा हुआ कमरा था जिसमें एक पत्थर की स्त्री सिर पर रत्नजड़ित मुकुट पहने बैठी है। मैंने समझ लिया कि यह रानी होगी। उसके गले में एक नीलम का हार पड़ा था जिसका हर एक दाना सुपारी के बराबर था। मैंने पास जाकर देखा कि इतने बड़े होने पर भी वे रत्न बिल्कुल गोल और चिकने थे। वहाँ के बहुमूल्य रत्नों और वस्त्रों को देखकर मुसे आश्चर्य हुआ। वहाँ फर्श पर गलीचे बिछे हुए थे और मसनद और गद्दे आदि अलस कमरव्वाब आदि बहुमूल्य वस्त्रों के बने हुए थे।

मैं वहाँ से और अंदर गई। कई मकान बड़े सुंदर दिखाई दिए। उन सब से होती हुई एक विशाल भवन में गई जहाँ एक सोने का सिंहासन पृथ्वी से काफी ऊँचा रखा था और उसके चारों ओर मोतियों की झालरें लटक रही थीं। एक अजीब बात यह थी कि उस सिंहासन के ऊपर से प्रकाश की लपटें जैसी निकल रही थीं। मुझे कौतूहल हुआ और मैंने ऊपर चढ़कर देखा कि एक छोटी तिपाई पर एक हीरा रखा है जिसका आकार शतुरमुर्ग के अंडे जैसा है और उसमें ऐसी चमक थी कि निगाहें उस पर नहीं ठहरती थीं। प्रकाश की लपटें उसी विशालकाय हीरे से निकल रही थीं। फर्श पर चारों ओर तकिए रखे थे और एक मोम का दीया जल रहा था। उसे देखकर मैंने जाना कि वहाँ कोई जीवित मनुष्य होगा क्योंकि दिया बगैर जलाए नहीं जलता।

मैं घूमते-घामते दफ्तरखानों और गोदामों में गई जिनमें बड़ी मूल्यवान वस्तुएँ रखी थीं। इस सब को देखकर मुझे ऐसा आश्चर्य हुआ कि मैं जहाज और अपनी बहनों को भूल गई और इस रहस्य को जानने के लिए उत्सुक हुई कि इस जगह के सारे लोग पत्थर के क्यों बन गए।

इसी तरह घूमने-फिरने में मुझे समय का खयाल न रहा और रात हो गई। मैं परेशान हुई कि अँधेरे में कहाँ जाऊँगी। अतएव जिस कक्ष में हीरा रखा था मैं उसी में चली गई। वहाँ जाकर लेटी रही और सोचा कि सुबह होने पर अपने जहाज पर चली जाऊँगी। किंतु वह अद्भुत और निर्जन स्थान था इसलिए मुझे नींद न आई। आधी रात को मुझे कुछ ऐसी आवाज आई जैसे कोई मधुर स्वर से कुरान का पाठ कर रहा हो। मैं यह जानने को उत्सुक हुई कि यह जीवित मनुष्य कौन है। मोम का एक दीपक उठाकर चल दी और कई कमरों को लाँघने के बाद उस कमरे में पहुँची जहाँ से कुरान पाठ की ध्वनि आ रही थी।

वहाँ जाकर देखा कि एक छोटी-सी मसजिद बनी है। इससे मुझे याद आया कि परमेश्वर के धन्यवाद के स्वरूप मुझे नमाज पढ़नी जरूरी है। वहाँ मैंने देखा कि दो बड़े-बड़े मोम के दीए जल रहे हैं और वहाँ एक अत्यंत रूपवान नवयुवक बैठा हुआ कुरान पाठ कर रहा है और पूरा ध्यान उसमें लगाए है। मुझे उस युवक को देखकर अतीव प्रसन्नता हुई क्योंकि पत्थर के मनुष्यों की भीड़ देखने के बाद वह अकेला आदमी देखा था जो जीता-जागता था। मैंने मसजिद में जाकर नमाज पढ़ी फिर स्पष्ट ध्वनि में वजीफा पढ़ने लगी और भगवान को धन्यवाद देने लगी कि हमारी समुद्र यात्रा कुशलपूर्वक बीती और इसी प्रकार आशा है कि दैवी कृपा से मैं कुशलपूर्वक अपने देश वापस पहुँच जाऊँगी।

उस नवयुवक ने मेरी आवाज सुनकर मेरी ओर देखा और कहा, 'हे सुंदरी, मुझे बताओ कि तुम कौन हो और इस सुनसान नगर और महल में कैसे आ गई हो। इसके बाद में तुम्हें अपनी बात बताऊँगा कि मैं कौन हूँ और यह भी बताऊँगा कि इस नगर के निवासी पत्थर के क्यों हो गए।'

मैंने उसे अपना हाल बताया कि किस तरह मेरा जहाज बीस दिन की यात्रा के बाद यहाँ के तट पर पहुँचा और वहाँ से अकेली उतर कर मैं किस तरह इस महल में आई और यहाँ क्या-क्या देखा। मैंने उससे कहा कि आप, जैसा आपने अभी वादा किया है, मुझे अपना हाल बताएँ और यहाँ की अद्भुत बातों का भी रहस्योद्घाटन करें।

उस युवक ने मुझे कुछ देर प्रतीक्षा करने को कहा। फिर उसने कुरान का निर्धारित पाठ भाग पढ़ना खत्म करके कुरान को एक जरी के वस्त्र में लपेटा और उसे एक आले में रख दिया। इस बीच मैं उस जवान को देखती रही और उसका सुंदर रूप देखकर उस पर मोहित हो गई। उसने मुझे अपने पास बिठाया और कहा, 'तुम्हारी नमाज से ज्ञात होता है कि तुम हमारे सच्चे धर्म पर पूर्णतः विश्वास करती हो। अब मैं तुम्हें अपना पूरा हाल सुनाता हूँ।'

'इस नगर का बादशाह मेरा पिता था। उसका राज्य बड़ा विस्तृत था। किंतु बादशाह और उसके सभी अधीनस्थ लोग अग्निपूजक थे। यही नहीं, वे नारदीन की उपासना भी किया करते थे जो प्राचीन काल में जिन्नों का सरदार था। यद्यपि मेरा पिता और उसके साथी अग्निपूजक थे किंतु मैं बचपन से ही मुसलमान था। कारण यह था कि मेरे लालन-पालन के लिए जो दाई रखी गई थी वह मुसलमान थी। उसने मुझे सारा कुरान कंठाग्र करा दिया। उसने मुझे शिक्षा दी कि केवल एक ईश्वर ही पूज्य है, तुम उसे छोड़कर किसी और को न पूजना। उसने मुझे अरबी भी पढ़ाई और तफ्सीर (कुरान की व्याख्या) की भी शिक्षा दी। यह सारा काम उसने दूसरों से छुपाकर किया।

'कुछ दिन बाद दाई तो मर गई किंतु मैं उसके बताए हुए धर्म पर दृढ़ रहा। मुझे इस बात का बड़ा दुख होता है कि मेरे सारे देशवासी अग्निपूजक और जिन्न के उपासक हैं। दाई की मृत्यु के कई मास बीत जाने पर आकाशवाणी हुई कि हे नगरवासियो, तुम लोग नारदीन और आग की पूजा छोड़ दो और एकमात्र सर्व शक्तिमान परमेश्वर की पूजा करो। यह आकाशवाणी तीन वर्षों तक निरंतर होती रही किंतु न बादशाह ने न किसी अन्य नगर निवासी ने उस पर ध्यान दिया। वे अपने झूठे धर्म पर दृढ़ रहे। तीन वर्षों बाद इस नगर पर ईश्वरीय प्रकोप हुआ और जो व्यक्ति जिस स्थान और जिस दशा में था, वैसे ही पत्थर बन गया। मेरा पिता ही काले संगमरमर का बन गया और मेरी माँ सिंहासन पर बैठी-बैठी ही पत्थर बन गई जैसा तुमने देखा है। एक मैं ही मुसलमान होने के कारण इस दंड से बचा रहा। उस समय से और भी निष्ठापूर्वक मैं इस्लाम को मानने लगा। हे सुंदरी, मैं जानता हूँ कि भगवान ने तुम्हें मुझ पर कृपा करके यहाँ भेजा है क्योंकि मैं यहाँ अकेलेपन से बहुत ऊबा करता था।'

मुझे उसकी बातें सुनकर उससे और प्रेम बढ़ गया। मैंने कहा, 'मैं बगदाद की निवासिनी हूँ। यहाँ किनारे पर बहुत-से माल-असबाब से लदा मेरा जहाज खड़ा है। जितना माल इसमें है उतना ही बगदाद में अपने घर छोड़ आई हूँ। मैं आपको यहाँ से ले चलूँगी और अपने घर में आराम से रखूँगी।

'बगदाद में खलीफा बड़े न्यायप्रिय हैं। वे आपके सम्मान योग्य कोई पदवी आपको जरूर देंगे। मेरा जहाज आपकी सेवा में है। आप इस स्थान को छोड़िए और मेरे साथ चलिए।'

नौजवान ने मेरा प्रस्ताव सहर्ष स्वीकार कर लिया। मैं सारी रात उस आकर्षक युवक से बातें करती रही। दूसरे दिन सुबह उसे लेकर अपने जहाज पर पहुँची। मेरी बहिनें मेरी चिंता में दुखी थीं। मैंने अपने पिछले दिन के अनुभव सुनाए और उस नौजवान की कहानी भी बताई। फिर मेरी आज्ञा से जहाज के माँझियों ने जहाज से व्यापार वस्तुएँ उतार लीं और उनकी जहाज वे अमूल्य रत्न आदि भर लिए जो मुझे महल में मिले थे। महल का सारा सामान तो एक जहाज में आ नहीं सकता था इसलिए मैंने चुनी-चुनी बहुमूल्य वस्तुएँ ही भरीं और खाने-पीने का सामान भी महल से लेकर जहाज पर लाद लिया। साथ ही शहजादे को भी जहाज पर चढ़ा लिया। इसके बाद, असंख्य धन की स्वामिनी होने के साथ अपने प्रिय शहजादे के सान्निध्य का सुख पाते हुए मैंने स्वदेश की ओर यात्रा आरंभ कर दी।

किंतु मेरी बहनों को प्रसन्नता न हुई। शहजादा अत्यंत रूपवान और मिष्टभाषी था। वे मुझसे ईर्ष्या करने लगीं। एक दिन उन्होंने मुझसे पूछा कि तुम इस शहजादे को ले जाकर कहाँ रखोगी और इसके साथ क्या करोगी। मुझे उनकी दशा देखकर हँसी आई और मैंने उन्हें चिढ़ाने के लिए कहा कि मैं बगदाद में इसके साथ विवाह करूँगी। मैंने शहजादे से कहा कि मैं चाहती हूँ कि आपकी दासियों में हो जाऊँ और जी-जान से आपकी सेवा करूँ। शहजादा भी मेरे परिहास को समझ गया और हँसकर बोला, 'तुम्हारी जो इच्छा हो वह करो। मैं तुम्हारी बहनों के समक्ष प्रतिज्ञा करता हूँ कि तुम्हारी प्रसन्नता के लिए तुम्हें अपनी पत्नी बनाऊँगा। दासी होने की बात न करो, मैं तो स्वयं तुम्हारा दास बन जाऊँगा।'

यह सुनकर मेरी बहनों के चेहरे का रंग उड़ गया और उनके हृदय में मेरे लिए घोर शत्रुता जागृत हो गई। सारी यात्रा उनकी यही दशा रही बल्कि उनका वैर भाव बढ़ता ही गया। जब हमारा जहाज बूशहर के इतना समीप आ गया कि अनुकूल वायु होने पर वहाँ एक दिन में पहुँच जाता तो रात को जब मैं गहरी नींद सो रही थी, मुझे और शहजादे को उठाकर समुद्र में फेंक दिया।

शहजादा बेचारा तो उसी समय डूब गया क्योंकि तैरना नहीं जानता था लेकिन मैंने पानी में गिरते ही उछाल मारी और तैरने लगी। मेरी आयु पूरी नहीं हुई थी इसलिए मैं अँधेरे में भी संयोग से ठीक दिशा में बढ़ने लगी और कुछ घंटों में एक उजाड़ द्वीप के तट पर जा लगी। बूशहर का बंदरगाह उस स्थान से दस कोस दूर था।

मैंने अपने कपड़े उतारकर सुखाए और फिर उन्हें पहन लिया। इधर-उधर घूमकर देखा तो कुछ फलों के वृक्ष दिखाई दिए। मैंने पेट भर फल खाए फिर एक मीठे पानी के स्रोत से जल पीकर अपनी थकान दूर की थी। फिर एक पेड़ के साए में जाकर लेट गई। कुछ देर बाद मुझे एक लंबा साँप दिखाई दिया जिसके शरीर में दोनों ओर पंख भी लगे हुए थे। वह साँप पहले मेरी दाहिनी ओर आया और फिर बाईं ओर और इस सारे समय अपनी जीभ लपलपाता रहा। मैंने इससे जाना कि इसे कुछ कष्ट है और यह मेरी सहायता चाहता है। मैंने उठकर चारों ओर दृष्टिपात किया। मुझे दिखाई दिया कि एक दूसरा साँप उसके पीछे पड़ा है और उसे खाना चाहता है। मैंने पहले साँप को बचाने के लिए एक बड़ा पत्थर उठाकर बड़े साँप के सिर पर मारा जिससे उसका सिर फट गया और वह वहीं मर गया।

पहला साँप अब पंख खोलकर आसमान में उड़ गया। मुझे यह सब देखकर आश्चर्य हुआ किंतु मैं बहुत थकी थी इसलिए वहाँ से कुछ दूर एक सुरक्षित स्थान पर जाकर सो रही। जागने पर देखा कि एक हरितवसना सुंदरी मेरे सिरहाने दो काली कुतियाँ लिए बैठी है। मैं उसे देखकर खड़ी हो गई और उससे पूछा कि तुम कौन हो। उसने कहा, मैं वही साँप हूँ जिसकी जान उसके दुश्मन से तुमने बचाई थी, अब मैं चाहती हूँ कि जो उपकार तुमने मेरे साथ किया है उसका बदला तुम्हें दूँ। उसने कहा कि मैं वास्तव में एक परी हूँ, यहाँ से जाने के बाद मैं अपनी जाति बहनों यानी परियों को साथ में लेकर तुम्हारे जहाज पर गई जहाँ हम लोगों ने तुम्हारी बहनों को - जिन्होंने तुम्हारे उपकार का बदला तुम्हारी जान लेने का प्रयत्न करके दिया था - कुतियाँ बना डाला, तुम्हारे जहाज का सारा माल उठा कर बगदाद में तुम्हारे घर पहुँचा दिया और जहाज को वहीं डुबो दिया। यह कहने के बाद उस परी ने एक हाथ से मुझे उठाया और दूसरे से दोनों कुतियों को और उड़कर हम सब को बगदाद में मेरे मकान के अंदर पहुँचा दिया।

वहाँ पर परी ने मुझ से कहा कि मैं ईश्वर की सौंगंध खाकर कहती हूँ कि तुम्हारी बहनों की सजा पूरी नहीं हुई है, मेरी आज्ञा है कि तुम हर रात उन्हें सौ कोड़े लगाना और तुमने यह बात न मानी तो तुम्हारा सब कुछ बरबाद हो जाएगा। वैसे हम परियाँ तुम्हारी मित्र हो गई हैं और तुम जब भी हमें बुलाओगी हम आ जाएँगे। जुबैदा ने कहा कि मैं उस परी की आज्ञानुसार हर रात को अपनी बहनों को, जो कुतियाँ बनी हुई हैं, सौ-सौ कोड़े मारती हूँ लेकिन खून का जोश भी काम करता है इसलिए रोती हूँ और उनके आँसू पोंछती हूँ। अब अमीना की कहानी उसके मुँह से सुनिए।

खलीफा को यह वृत्तांत सुन कर बड़ा आश्चर्य हुआ। उसने अमीना से पूछा कि तुम्हारे कंधों और सीनों पर काले निशान क्यों है। उसने यह बताया। 

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रचनाएँ
अलिफ लैला
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अलिफ लैला की कहानी अरब देश की एक प्रचलित लोक कथा है जो पूरी दुनिया में सदियों से सुनी व पढ़ी जाती रही है। ... इस कथा के अनुसार, बादशाह शहरयार अपनी मलिका की बेवपफाई से दुःखी होकर उसका और उसकी सभी दासियों का कत्ल कर देता है और प्रतिज्ञा करता है कि रोजाना एक स्त्री के साथ विवाह करूंगा और अगली सुबह उसे कत्ल कर दूंगा।
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भूमिका

29 जनवरी 2022
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भूमिका (1)-अलिफ़ लैला सहस्र-रजनी चरित्र, जो अब भी भारत में अपने अरबी नाम 'अल्फ लैला' के प्रचलित बिगड़े हुए रूप 'अलिफ लैला' के नाम से अधिक जाना जाता है, वास्तव में लोक कथाओं का ऐसा संग्रह है जिसकी लोक

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शहरयार और शाहजमाँ

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फारस देश भी हिंदुस्तान और चीन के समान था और कई नरेश उसके अधीन थे। वहाँ का राजा महाप्रतापी और बड़ा तेजस्वी था और न्यायप्रिय होने के कारण प्रजा को प्रिय था। उस बादशाह के दो बेटे थे जिनमें बड़े लड़के का

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किस्सा गधे, बैल और उनके मालिक

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एक बड़ा व्यापारी था जिसके गाँव में बहुत-से घर और कारखाने थे जिनमें तरह-तरह के पशु रहते थे। एक दिन वह अपने परिवार सहित कारखानों को देखने के लिए गाँव गया। उसने अपनी पशुशाला भी देखी जहाँ एक गधा और एक बैल

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किस्सा व्यापारी और दैत्य का-

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शहरजाद ने कहा : प्राचीन काल में एक अत्यंत धनी व्यापारी बहुत-सी वस्तुओं का कारोबार किया करता था। यद्यपि प्रत्येक स्थान पर उसकी कोठियाँ, गुमाश्ते और नौकर-चाकर रहते थे तथापि वह स्वयं भी व्यापार के लिए द

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किस्सा बूढ़े और उसकी हिरनी का

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वृद्ध बोला, 'हे दैत्यराज, अब ध्यान देकर मेरा वृत्तांत सुनें। यह हिरनी मेरे चचा की बेटी और मेरी पत्नी है। जब यह बारह वर्ष की थी तो इसके साथ मेरा विवाह हुआ। यह अत्यंत पतिव्रता थी और मेरे प्रत्येक आदेश क

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किस्सा तीसरे बूढ़े का जिसके साथ एक खच्चर था

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तीसरे बूढ़े ने कहना शुरू किया : 'हे दैत्य सम्राट, यह खच्चर मेरी पत्नी है। मैं व्यापारी था। एक बार मैं व्यापार के लिए परदेश गया। जब मैं एक वर्ष बाद घर लौटकर आया तो मैंने देखा कि मेरी पत्नी एक हब्शी गुल

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गरीक बादशाह और हकीम दूबाँ की कथा

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फारस देश में एक रूमा नामक नगर था। उस नगर के बादशाह का नाम गरीक था। उस बादशाह को कुष्ठ रोग हो गया। इससे वह बड़े कष्ट में रहता था। राज्य के वैद्य-हकीमों ने भाँति-भाँति से उसका रोग दूर करने के उपाय किए क

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भद्र पुरुष और उसके तोते की कथा

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पूर्वकाल में किसी गाँव में एक बड़ा भला मानस रहता था। उसकी पत्नी अतीव सुंदरी थी और भला मानस उससे बहुत प्रेम करता था। अगर कभी घड़ी भर के लिए भी वह उसकी आँखों से ओझल होती थी तो वह बेचैन हो जाता था। एक बा

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प्राचीन समय में एक राजा था उसके राजकुमार को मृगया का बड़ा शौक था। राजा उसे बहुत चाहता था, राजकुमार की किसी इच्छा को अस्वीकार नहीं करता था। एक दिन राजकुमार ने शिकार पर जाना चाहा। राजा ने अपने एक अमात्य

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उस जवान ने अपना वृत्तांत कहना आरंभ किया। उसने कहा 'मेरे पिता का नाम महमूद शाह था। वह काले द्वीपों का अधिपति था, वे काले द्वीप चार विख्यात पर्वत हैं। उसकी राजधानी उसी स्थान पर थी जहाँ वह रंगीन मछलियों

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किस्सा तीन राजकुमारों और पाँच सुंदरियों का

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मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

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पहले फकीर ने अदब से घुटनों के बल खड़े होकर कहा 'सुंदरी, अब ध्यान लगाकर सुनो कि मेरी आँख किस प्रकार गई और मैं क्यों फकीर बना। मैं एक बड़े बादशाह का बेटा था। बादशाह का भाई यानी मेरा चचा भी एक समीपवर्ती

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भले आदमी और ईर्ष्यालु पुरुष

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किसी नगर में दो आदमियों का घर एक दूसरे से लगा हुआ था। उनमें से एक पड़ोसी दूसरे के प्रति ईर्ष्या और द्वेष रखता था। भले मानस ने सोचा कि मकान छोड़कर कहीं जा बसूँ क्योंकि मैं इस आदमी के प्रति उपकार करता ह

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किस्सा तीसरे फकीर का

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हे दयालु सुंदरी, मेरी कहानी बहुत ही आश्चर्यकारी है। इन दोनों शहजादों की दाहिनी आँखें परिस्थितिवश गईं किंतु मेरी आँख मेरी ही मूर्खता और मेरे ही अपराध के कारण फूटी। मैं इसका विस्तृत वर्णन करता हूँ। मेरा

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किस्सा जुबैदा का

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जुबैदा ने खलीफा के सामने सर झुका कर निवेदन किया है राजाधिराज, मेरी कहानी बड़ी ही विचित्र है, आपने इस प्रकार की कोई कहानी नहीं सुनी होगी। मैं और वे दोनों काली कुतियाँ तीनों सगी बहिनें हैं और यह दो स्त्

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किस्सा अमीना का

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अमीना ने कहा, 'जुबैदा की कहानी आप उसके मुँह से सुन चुके, अब मैं अपनी कहानी आपके सम्मुख प्रस्तुत करती हूँ। मेरी माँ मुझे लेकर अपने घर में आई कि रँड़ापे का अकेलापन उसे न खले। फिर उसने मेरा विवाह इसी नगर

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सिंदबाज जहाजी की कहानी

29 जनवरी 2022
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जब शहरजाद ने यह कहानी पूरी की तो शहरयार ने, जिसे सारी कहानियाँ बड़ी रोचक लगी थीं, पूछा कि तुम्हें कोई और कहानी भी आती हैं। शहरजाद ने कहा कि बहुत कहानियाँ आती हैं। यह कह कर उसने सिंदबाद जहाजी की कहानी

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सिंदबाद जहाजी की पहली यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा कि मैंने अच्छी-खासी पैतृक संपत्ति पाई थी किंतु मैंने नौजवानी की मूर्खताओं के वश में पड़कर उसे भोग-विलास में उड़ा डाला। मेरे पिता जब जीवित थे तो कहते थे कि निर्धनता की अपेक्षा मृत्यु श्र

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सिंदबाद जहाजी की दूसरी यात्रा

29 जनवरी 2022
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मित्रो, पहली यात्रा में मुझ पर जो विपत्तियाँ पड़ी थीं उनके कारण मैंने निश्चय कर लिया था कि अब व्यापार यात्रा न करूँगा और अपने नगर में सुख से रहूँगा। किंतु निष्क्रियता मुझे खलने लगी, यहाँ तक कि मैं बेच

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सिंदबाद जहाजी की तीसरी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा कि घर आकर मैं सुखपूर्वक रहने लगा। कुछ ही दिनों में जैसे पिछली दो यात्राओं के कष्ट और संकट भूल गया और तीसरी यात्रा की तैयारी शुरू कर दी। मैंने बगदाद से व्यापार की वस्तुएँ लीं और कुछ व्या

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सिंदबाद जहाजी की चौथी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा, कुछ दिन आराम से रहने के बाद मैं पिछले कष्ट और दुख भूल गया था और फिर यह सूझी कि और धन कमाया जाए तथा संसार की विचित्रताएँ और देखी जाएँ। मैंने चौथी यात्रा की तैयारी की और अपने देश की वे व

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सिंदबाद जहाजी की पाँचवी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा कि मेरी विचित्र दशा थी। चाहे जितनी मुसीबत पड़े मैं कुछ दिनों के आनंद के बाद उसे भूल जाता था और नई यात्रा के लिए मेरे तलवे खुजाने लगते थे। इस बार भी यही हुआ। इस बार मैंने अपनी इच्छानुसार

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सिंदबाद जहाजी की छठी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने हिंदबाद और अन्य लोगों से कहा कि आप लोग स्वयं ही सोच सकते हैं कि मुझ पर कैसी मुसीबतें पड़ीं और साथ ही मुझे कितना धन प्राप्त हुआ। मुझे स्वयं इस पर आश्चर्य होता था। एक वर्ष बाद मुझ पर फिर यात्

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सिंदबाद जहाजी की सातवीं यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा, दोस्तो, मैंने दृढ़ निश्चय किया था कि अब कभी जल यात्रा न करूँगा। मेरी अवस्था भी इतनी हो गई थी कि मैं कहीं आराम के साथ बैठ कर दिन गुजारता। इसीलिए मैं अपने घर में आनंदपूर्वक रहने लगा। एक

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एक स्त्री और तीन नौकरों का वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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शहरयार को सिंदबाद की यात्राओं की कहानी सुन कर बड़ा आनंद हुआ। उसने शहरजाद से और कहानी सुनाने को कहा। शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद का नियम था कि वह समय-समय पर वेश बदल कर बगदाद की सड़कों पर प्रजा का

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जवान और मृत स्त्री

29 जनवरी 2022
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उस जवान ने कहा कि 'मृत स्त्री मेरी पत्नी और इन वृद्ध सज्जन की बेटी थी और यह मेरे चचा हैं। ग्यारह वर्ष पूर्व उससे मेरा विवाह हुआ था। हमारे तीन बेटे हैं जो जीवित हैं। मेरी पत्नी अत्यंत सुशील और पतिव्रता

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नूरुद्दीन अली और बदरुद्दीन हसन

29 जनवरी 2022
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मंत्री जाफर ने कहा कि पहले जमाने में मिस्र देश में एक बड़ा प्रतापी और न्यायप्रिय बादशाह था। वह इतना शक्तिशाली था कि आस-पड़ोस के राजा उससे डरते थे। उसका मंत्री बड़ा शासन- कुशल, न्यायप्रिय और काव्य आदि

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काशगर के दरजी और बादशाह के कुबड़े सेवक

29 जनवरी 2022
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दूसरी रात को मलिका शहरजाद ने पिछले पहर अपनी बहन दुनियाजाद के कहने से यह कहानी सुनाना आरंभ किया। पुराने जमाने में तातार देश के समीपवर्ती नगर काशगर में एक दरजी था जो अपनी दुकान में बैठ कर कपड़े सीता था।

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ईसाई द्वारा सुनाई गई

29 जनवरी 2022
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ईसाई ने कहा, मैं मिस्र की राजधानी काहिरा का निवासी हूँ। मेरा बाप दलाल था। उस के पास काफी पैसा हो गया। उस ने मरने के बाद मैं ने भी वही व्यापार आरंभ किया। एक दिन मैं अनाज की मंडी में अपने दैनिक व्यापार

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अनाज के व्यापारी

29 जनवरी 2022
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अनाज का व्यापारी बोला कि कल मैं एक धनी व्यक्ति की पुत्री के विवाह में गया था। नगर के बहुत-से प्रतिष्ठित व्यक्ति उसमें शामिल थे। शादी की रस्में पूरी होने पर दावत हुई और नाना प्रकार के व्यंजन परोसे गए।

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उस आदमी की कहानी जिसके चारों अँगूठे कटे थे

29 जनवरी 2022
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उस ने कहा कि दोस्तो, मेरा पिता बगदाद का रहनेवाला था और खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में था। मैं भी उसी समय पैदा हुआ। मेरा पिता यद्यपि धनवान तथा बड़े व्यापारियों में गिना जाता था तथापि वह बहुत ही विलासी औ

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यहूदी हकीम द्वारा वर्णित

29 जनवरी 2022
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यहूदी हकीम ने बादशाह के सामने झुक कर जमीन चूमी और कहा कि पहले मैं दमिश्क नगर में हकीमी किया करता था। अपनी चिकित्सा विधि के कारण वहाँ मेरी बड़ी प्रतिष्ठा हो गई थी। एक दिन वहाँ के हाकिम ने मुझ से कहा कि

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काशगर के बादशाह के सामने दरजी की कथा

29 जनवरी 2022
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दरजी ने कहा कि इस नगर के व्यापारी ने एक बार अपने मित्रों को भोज दिया और उनके लिए भाँति-भाँति के व्यंजन बनवाए। मुझे भी बुलाया गया। मैं जब वहाँ पहुँचा तो देखा कि बहुत-से निमंत्रित लोग मौजूद हैं किंतु मक

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लँगड़े आदमी की कहानी

29 जनवरी 2022
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मेरा पिता बगदाद के सम्मानित व्यक्तियों में से था और हम लोग आनंदपूर्वक वहाँ रह रहे थे। मैं अपने पिता का अकेला बेटा था। जिस समय मेरे पिता की मृत्यु हुई उस समय तक मैं न केवल विद्याध्ययन पूरा कर चुका था ब

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दरजी की जबानी नाई की कहानी

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के काल में बगदाद के आसपास दस कुख्यात डाकू थे जो राहगीरों को लूटते ओर मार डालते थे। खलीफा ने प्रजा के कष्ट का विचार कर के कोतवाल से कहा कि उन डाकुओं को पकड़ कर लाओ वरना मैं तुम्हें प्र

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नाई के कुबड़े भाई

29 जनवरी 2022
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सरकार, मेरा सबसे बड़ा भाई जिसका नाम बकबक था, कुबड़ा था। उसने दरजीगीरी सीखी और जब यह काम सीख लिया तो उसने अपना कारबार चलाने के लिए एक दुकान किराए पर ली। उस की दुकान के सामने ही एक आटा चक्कीवाले की दुका

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नाई के दूसरे भाई बकबारह की कहानी

29 जनवरी 2022
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दूसरे रोज खलीफा के सामने पहुँच कर मैं ने कहा कि मेरा दूसरा भाई बकबारह पोपला है। एक दिन उससे एक बुढ़िया ने कहा, मैं तुम्हारे लाभ की एक बात कहती हूँ। एक बड़े घर की स्वामिनी तुम से आकृष्ट है। मैं तुम्हें

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नाई के तीसरे भाई अंधे बूबक की कहानी

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा, सरकार, मेरा तीसरा भाई बूबक था जो बिल्कुल अंधा था। वह बड़ा अभागा था। वह भिक्षा से जीवन निर्वाह करता था। उसका नियम था कि अकेला ही लाठी टेकता हुआ भीख माँगने जाता और किसी दानी का द्वार खटखटा क

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नाई के चौथे भाई काने अलकूज

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि मेरा चौथा भाई काना था और उसका नाम अलकूज था। अब यह भी सुन लीजिए कि उसकी एक आँख किस प्रकार गई। मेरा भाई कसाई का काम करता था। उसे भेड़-बकरियों की अच्छी पहचान थी। वह मेढ़ों को लड़ाने के लिए

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नाई के पाँचवें भाई अलनसचर

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि मेरे पाँचवें भाई का नाम अलनसचर था। वह बड़ा आलसी और निकम्मा था। वह रोज किसी न किसी मित्र के पास जा कर बेशर्मी से कुछ भीख माँग लेता और खा-पी कर पड़ा रहता। मेरा बाप कुछ समय बाद बूढ़ा हो कर

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नाई के छठे भाई कबक जिसके होंठ खरगोश की तरह के थे

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि अब मेरे आखिरी भाई शाह कबक का वृत्तांत रह गया है। इसे भी सुन लीजिए, फिर मैं आप से विदा लूँ। इस भाई का नाम शाह कबक था और उसके होंठ खरगोश की तरह ऊपर को चढ़े हुए थे और वह चलता भी खरगोश की तर

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शहजादा अबुल हसन और हारूँ रशीद की प्रेयसी शमसुन्निहार

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के शासनकाल में बगदाद में एक अत्यंत धनाढ्य और सुसंस्कृत व्यापारी रहता था। वह शारीरिक रूप से तो सुंदर था ही, मानसिक रूप से और भी सुंदर था। वहाँ के अमीर-उमरा उसका बड़ा मान करते। यहाँ तक

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कमरुज्जमाँ और बदौरा

29 जनवरी 2022
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फारस देश में बीस दिन की राह पर एक देश खलदान है। उस देश में कई टापू भी शामिल हैं। बहुत दिन पहले वहाँ का बादशाह शाहजमाँ था। उसके चार पत्नियाँ थीं और सात विशेष दासियाँ। वह बड़ा प्रतापी राजा था, उसके दे

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नूरुद्दीन और पारस देश की दासी

29 जनवरी 2022
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अगली सुबह से पहले शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि पहले जमाने में बसरा बगदाद के अधीन था। बगदाद में खलीफा हारूँ रशीद का राज था और उसने अपने चचेरे भाई जुबैनी को बसरा का हाकिम बनाया था। जुबैनी के

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ईरानी बादशाह बद्र और शमंदाल की शहजादी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि बादशाह सलामत, ईरान बहुत बड़ा देश है। पुराने जमाने में वहाँ बड़े शक्तिशाली और प्रतापी नरेश हुआ करते थे और उन्हें शहंशाह यानी बादशाहों का बादशाह कहा जाता था। उसी काल का वहाँ का एक बादशा

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गनीम और फितना

29 जनवरी 2022
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दुनियाजाद ने मलिका शहरजाद से नई कहानी सुनाने को कहा और बादशाह शहरजाद ने भी अपनी मौन स्वीकृति दे दी तो शहरजाद ने नई कहानी शुरू कर दी। उसने कहा कि पुराने जमाने में दमिश्क नगर में एक व्यापारी रहता था जिस

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शहजादा जैनुस्सनम और जिन्नों के बादशाह

29 जनवरी 2022
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पुराने जमाने में बसरा में एक बड़ा ऐश्वर्यवान और न्यायप्रिय बादशाह राज करता था। उसे सबकुछ प्राप्त था किंतु उसे बहुत दिनों तक कोई संतान नहीं हुई जिससे वह बहुत दुखी रहता था। नगर निवासी भी बादशाह के साथ म

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शहजादा खुदादाद और दरियाबार की शहजादी-

29 जनवरी 2022
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उपर्युक्त कहानी के मध्य में एक यात्रा में जैनुस्सनम के दरियाबार देश मे जाने का भी उल्लेख है। वहाँ की एक चित्ताकर्षक कथा उस ने सुनी थी। वह कथा भी इस जगह कही जाती है। हैरन नगर में एक बड़ा प्रतापी बादशा

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दरियाबार की शहजादी

29 जनवरी 2022
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उस सुंदरी ने कहा कि काहिरा के निकट दरियाबार नाम एक द्वीप है। उस का बादशाह सब प्रकार से सुखी था किंतु उसे संतान न होने का बड़ा दुख था। वर्षों की प्रार्थनाओं और सिद्धों के आशीर्वादों से उस के यहाँ एक पु

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सोते-जागते आदमी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में बगदाद में एक धनी व्यापारी था। उस का एक ही पुत्र था जिसका नाम अबुल हसन था। व्यापारी बड़ा कंजूस था। वह धन एकत्र ही करता था, खर्च बहुत कम करता था। इसलिए जब

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अलादीन और जादुई चिराग

29 जनवरी 2022
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चीन की राजधानी में मुस्तफा नाम का एक दरजी रहता था। वह गरीब आदमी था और बड़ी कठिनाई से अपने परिवारवालों का पेट भरता था। उस के पुत्र का नाम अलादीन था जो कुछ काम-काज नहीं करता था सिर्फ खेल-कूद में समय ब

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खलीफा हारूँ रशीद और बाबा अब्दुल्ला

29 जनवरी 2022
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दुनियाजाद के प्रस्ताव और शहरयार की अनुमति से नई कहानी प्रारंभ करते हुए शहरजाद ने कहा कि कभी-कभी आदमी का चित्त प्रसन्न होता है और उसकी कोई साफ वजह भी नहीं होती। ऐसी स्थिति भी होती है जब आदमी खुश तो होत

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अंधे बाबा अब्दुल्ला

29 जनवरी 2022
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बाबा अब्दुल्ला ने कहा कि मैं इसी बगदाद नगर में पैदा हुआ था। मेरे माँ बाप मर गए तो उनका धन उत्तराधिकार में मैंने पाया। वह धन इतना था कि उससे मैं जीवन भर आराम से रह सकता था किंतु मैंने भोग-विलास में सार

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सीदी नोमान

29 जनवरी 2022
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भिखारी की कहानी सुनने के बाद खलीफा ने बराबर घोड़ी दौड़ानेवाले पर ध्यान दिया और उससे पूछा कि तुम्हारा क्या नाम है। उसने अपना नाम सीदी नोमान बताया। खलीफा ने कहा, मैंने बहुत-से घुड़सवारों और साईसों को दे

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ख्वाजा हसन हव्वाल

29 जनवरी 2022
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ख्वाजा हसन ने कहा कि मैं अपनी बात बताने के पहले अपने दो मित्रों के बारे में बताना चाहता हूँ। वे अभी जीवित हैं और यहीं बगदाद में रहते हैं। वे मेरे प्रत्येक कथन की पुष्टि करेंगे। उनमें से एक का नाम सादी

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अलीबाबा और चालीस लुटेरों की कहानी

29 जनवरी 2022
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अगली रात को मलिका शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि फारस देश में कासिम और अलीबाबा नाम के दो भाई रहते थे। उन्हें पैतृक संपत्ति थोड़ी ही मिली थी। किंतु कासिम का विवाह एक धनी-मानी व्यक्ति की पुत्री

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बगदाद के व्यापारी अली ख्वाजा

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के राज्य काल में बगदाद में अलीख्वाजा नामक एक छोटा व्यापारी रहता था। वह अपने पुश्तैनी मकान में, जो छोटा-सा ही था, अकेला रहता था। उसने विवाह नहीं किया था और उसके माता पिता की भी मृत्यु

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यंत्र के घोड़े

29 जनवरी 2022
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बादशाह सलामत, आपको यह मालूम ही है कि हजारों वर्ष से फारस में नौरोज यानी वर्ष का प्रथम दिवस बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। उसमें सभी लोग विशेषतः अग्निपूजक, भाँति-भाँति के नृत्यों और खेल-तमाशों का आय

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शहजादा अहमद और परीबानू

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा, बादशाह सलामत, पुराने जमाने में हिंदोस्तान का एक बादशाह बड़ा प्रतापी और ऐश्वर्यवान था। उसके तीन बेटे थे। बड़े का नाम हुसैन, मँझले का अली और छोटे का अहमद था। बादशाह का एक भाई जब मरा तो उस

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ईर्ष्यालु बहनों की कहानी

29 जनवरी 2022
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पुराने जमाने में फारस में खुसरो शाह नामी शहजादा था। वह रातों को अक्सर भेस बदल कर सिर्फ एक सेवक को अपने साथ रख कर नगर की सैर किया करता था और संसार की विचित्र बातें देख कर अपना ज्ञान बढ़ाया करता था। ज

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बैल और गधा

29 जनवरी 2022
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एक बार एक सौदागर था जो बहुत अमीर था। उसके पास बहुत सारे नौकर चाकर और जानवर थे। उसकी एक पत्नी थी और परिवार था और वह अपने खाने पीने के लिये खेती करता था। उसके पास जंगली जानवरों और हर तरह की चिड़िया की बो

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भेड़िये और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक लोमड़ा और एक भेड़िया एक ही घर में रहते थे। भेड़िया बहुत ही बेरहम था जबकि लोमड़ा बहुत नरम दिल था। इसी तरह से रहते हुए उन्हें कुछ दिन हो गये कि एक दिन वह लोमड़ा भेड़िये से बोला — “अगर तुम इसी तरीके

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लोमड़े और कौए की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक लोमड़ा एक पहाड़ की एक गुफा में रहता था। जब भी उसको एक बच्चा पैदा होता और वह बड़ा हो जाता तो वह उसको खा जाता क्योंकि उसको भूख बहुत लगती थी। अगर वह अपने बच्चों को न खाता तो उसके वे बच्चे बड़े हो जाते और

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साही और कबूतर

29 जनवरी 2022
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एक बार एक साही एक खजूर के पेड़ के नीचे रहने के लिये आया। उसी पेड़ के ऊपर एक कबूतर अपनी पत्नी के साथ रहता था। साही ने सोचा कि यह कबूतर का जोड़ा तो इस पेड़ के फल खाता है पर मुझे इस पेड़ के फल खाने का कोई मौ

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बतख और कछुए की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक बतख बहुत ऊपर उड़ा और बहते हुए पानी में खड़ी एक चट्टान पर जा कर बैठ गया। जब वह वहाँ बैठा हुआ था तो पानी की एक लहर एक आदमी का ढाँचा उसके पास ला कर छोड़ गयी। बतख ने उसको ठीक से देखा तो उसको पता लग

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चुहिया और एक ततैये की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक चुहिया और एक मादा ततैया एक गरीब किसान के घर में एक साथ ही रहते थे। एक बार उस किसान का एक दोस्त बीमार पड़ गया तो डाक्टर ने उसको धुले तिल21 खाने की सलाह दी। सो उस किसान ने एक आदमी से अपने दोस्

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कौआ और बिल्ला

29 जनवरी 2022
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एक समय की बात है कि एक कौआ और एक बिल्ला दोनों आपस में बड़े गहरे दोस्त थे और साथ साथ रहते थे। एक दिन वे दोनों एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे कि उन्होंने एक चीते23 को अपनी तरफ आते हुए देखा। उनको उसके अपनी त

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चिड़ा और मोर

29 जनवरी 2022
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एक बार की बात है एक चिड़ा रोज सुबह सुबह चिड़ियों के राजा से मिलने जाता था और सारा दिन उसकी सेवा में खड़ा रहता था। वह सबसे पहले वहाँ पहुँचता था और सबसे बाद में वहाँ से वापस आता था। एक बार कुछ चिड़ियों ने

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मुर्गे और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक गाँव में एक शेख रहता था। उसकी अपने गाँव में बहुत अच्छी साख थी और वह एक बहुत ही समझदार आदमी था। उसके अपने पास बहुत सारे मुर्गे मुर्गियाँ थे। वह उनको बढ़ाने के लिये उनकी बहुत अच्छी देखभाल करता

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चिड़ियें, जानवर और बढ़ई

29 जनवरी 2022
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जानवरों की यह कहानी बहुत ही मजेदार है। हो सकता है कि तुम इसको बार बार पढ़ना पसन्द करो और हर किसी को खास करके अपने छोटे भाई बहिनों को बार बार सुनाना पसन्द करो। बहुत पुरानी बात है कि एक मोर अपनी पत्नी क

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