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भूमिका

29 जनवरी 2022

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भूमिका (1)-अलिफ़ लैला

सहस्र-रजनी चरित्र, जो अब भी भारत में अपने अरबी नाम 'अल्फ लैला' के प्रचलित बिगड़े हुए रूप 'अलिफ लैला' के नाम से अधिक जाना जाता है, वास्तव में लोक कथाओं का ऐसा संग्रह है जिसकी लोकप्रियता का मुकाबला पंचतंत्र की कथा माला के अलावा और कोई कथा-माला नहीं कर सकती। अरबी साहित्य इतिहास के लेखक प्रोफेसर आ.ए. निकलसन के कथनानुसार यूरोपवासियों में कुरआन से भी अधिक जिस अरबी साहित्य को जाना जाता है वह अल्फ लैला ही है। अरबी में अल्फ का अर्थ है एक हजार और लैला का अर्थ है रात। इस लिहाज से इस कथामाला का हिंदी नाम 'सहस्र रजनी चरित्र' बहुत उपयुक्त अनुवाद है।

प्रोफेसर निकलसन ने दसवीं शताब्दी ईस्वी के अरब लेखक और इतिहासकार मसऊदी के हवाले से कहा है कि अल्फ लैला की कथामाला का आधार फारसी की प्राचीन कथामाला 'हजार अफसाना' है। अल्फ लैला की कई कहानियाँ जैसे 'मछुवारा और जिन्न' 'कमरुज्जमा और बदौरा' आदि कहानियाँ सीधे 'हजार अफसाना' से जैसी की तैसी ली गई हैं। निकलसन के अनुसार सब से अधिक कल्पनाशील कथाएँ यही हैं, शेष कहानियाँ जो अरब स्रोतों से आई हैं उनमें हास्यजनित मनोरंजन का तत्व अधिक है। निकलसन और मसऊदी का अपना एक विशेष दृष्टिकोण हो सकता है। मेरे विचार से जिसे इन लोगों ने कल्पनाशीलता का नाम दिया है वह जादू-टोने के बल खड़ा हुआ कल्पना का महल है। जिन अरब स्रोतों की कहानियों को इन लोगों ने हास्यात्मक मनोरंजन कहा है मेरे विचार से वे आधुनिकता के अधिक समीप हैं। यह सही है कि उनमें मानव मन की किन्हीं गहराइयों के दर्शन नहीं होते किंतु उनमें मिलने वाले उन्मुक्त वर्णन में हमें तत्कालीन समाज की जो झलकियाँ मिलती हैं वे उस समय के सामाजिक जीवन और सामाजिक मान्यताओं का अच्छा दिग्दर्शन कराती हैं। मैं इस पर बाद में कुछ कहूँगा, यहाँ मुझे सिर्फ यही कहना है कि जादू-टोने का सहारा पुराने कथाकार केवल इसलिए लिया करते थे कि स्वाभाविक वातावरण में श्रोताओं के कौतूहल को कायम रख सकें।

ऐसा मालूम होता है कि पुराने ईरानी कथा साहित्य का लगभग पूरा आधार ही जादू-टोने पर स्थापित है। फिरदौसी के शाहनामे में, जिसे एक प्रकार से प्राचीन ईरान का इतिहास कहा जा सकता है, अच्छे-खासे अनुपात में अलौलिक बातें पाई जाती हैं, जैसे जुह्हाक के कंधों पर साँप निकल आना, रुस्तम के पिता जाल का एक काल्पनिक पक्षी सीमुर्ग द्वारा पालन-पोषण, रुस्तम की देवों (राक्षसों) से लड़ाइयाँ आदि। हजार अफसाना की आधारकथा वही है जो अल्फ लैला में ज्यों की त्यों ले ली गई है। यह कथा है : एक बादशाह अपनी रानी के व्यभिचार को देख कर संन्यास ग्रहण का निर्णय लेता है और इस निर्णय को तभी बदलता है जब उसे और उसके भाई को एक जिन्न की रक्षिता स्त्री अपने साथ संभोग करने के लिए विवश कर देती है। इसके बाद वह बादशाह वापस आकर रानी को मरवा देता है और बाद में यह नियम बना लेता है कि रोज शाम को एक कन्या से विवाह करे और अगली सुबह उसे मरवा दे। अंत में उसी के मंत्री की बेटी बादशाह से विवाह करती है और एक हजार रातों तक मनोरंजक कहानियाँ कह कर अपनी मृत्यु टालती रहती है और इस काल के अंत तक बादशाह का हृदय ऐसा बदल जाता है कि वह न केवल मंत्री-कन्या को जीवित रहने देता है बल्कि अपना रोज शादी कर अगली सुबह रानी को मरवाने का नियम भी छोड़ देता है।

कुछ कहानियों में - विशेषतः उनमें जो खलीफा हारूँ रशीद के नाम के साथ जुड़ी हैं, इतिहास और जादू-टोने को ऐसी दिलचस्प सूरत में मिला दिया गया है जिसमें आम लोगों की कहानी में दिलचस्पी बढ़ जाए। हारूँ रशीद 787 ईस्वी में खलीफा बना और 808 ईस्वी में मर गया। उसने वजीर जाफर बरमकी को 783 ईस्वी में अपना पूर्ण विश्वस्त बनाया और 803 ईस्वी में मरवा भी दिया। लेकिन अल्फ लैला के कथाकारों के लिए हारूँ के काल का यही सात-आठ साल का जमाना सब से अधिक महत्वपूर्ण है।

निकलसन के कथनानुसार अल्फ लैला की अंतिम कथाओं की रचना मिस्र के ममलूक खलीफाओं (1250-1517 ईस्वी) के काल में हुई है। स्पष्ट है कि अंतिम कहानियों ही में, जो हारूँ रशीद के चार-पाँच सौ बरस बाद रची गई हैं, हारूँ का उल्लेख है। यह भी संभव है कि इस काल में पुरानी कथाओं को और रोचक बनाने के लिए उनमें हारूँ रशीद जोड़ दिया गया हो।

बहरहाल, ये कहानियाँ लोक-कथाओं के अलावा कुछ नहीं हैं। प्राचीन काल ही से मुस्लिम इतिहासकार इतिहास रचना कर रहे थे किंतु लोक कथाकारों को इससे कुछ लेना-देना न था। इतिहासकारों ने हारूँ की विलासप्रियता से इनकार नहीं किया है किंतु उन्होंने अधिक जोर उसकी शासन कुशलता, विद्याप्रेम और न्यायप्रियता पर दिया है (वैसे अपने कृत्यों में हारूँ बहुत न्यायप्रिय साबित नहीं होता, न वह बहुत गंभीर प्रकृति का आदमी ही मालूम होता है)। लोक कथाकारों को उसके विद्याप्रेम और कलाप्रेम से इतना ही सरोकार है कि वह संगीतज्ञों को प्रश्रय देता था। उसकी न्यायप्रियता से उन्होंने केवल उसके वेश बदल कर बगदाद का मुआइना करने का तत्व ही लिया किंतु ऐसी हालत में भी वह न्याय तो बाद में और वह भी कभी-कभी करता है, पहले तमाशा देखता है और तमाशों में भाग लेता है, यहाँ तक कि कभी-कभी अपमानित भी होता है।

हारूँ रशीद की बड़ी बेगम जुबैदा थी। वह ऐतिहासिक तथ्य है किंतु अल्फ लैला में हारूँ से संबद्ध पहली कहानी में जुबैदा का जो वर्णन किया गया है उसमें वह विवाह के पहले अच्छी-खासी जादूगरनी के रूप में उभरती है जिससे एक बार खलीफा की जान को भी खतरा पैदा हो जाता है। यह दूसरी बात है कि बाद में वह मामूली रानियों की तरह सिर्फ महल के अंदर ही षड्यंत्र कर पाती है और जब खलीफा को इसका पता चलता है तो वह यद्यपि उसे मरवाता नहीं लेकिन उसका जी कुढ़ाने के लिए उसकी सौत ले आता है और वह इस स्थिति में समझौता कर लेती है।

ऐतिहासिक तथ्य इससे बिल्कुल अलग हैं। जुबैदा का विवाह राज घरानों के साधारण विवाहों जैसा ही था। उसे महल के अंदर दासियों के विरुद्ध षड्यंत्र करने की फुरसत ही नहीं थी। वह शासन के संचालन में भी अपना प्रभाव रखती थी। जाफर बरमकी को हारूँ ने उसी के भड़काने से मरवाया था। जाफर को प्राणदंड दिए जाने का अल्फ लैला में कहीं उल्लेख नहीं है। इस ठेठ राजनीतिक घटना से कहानी की लोकप्रियता, रोमांचकता खत्म हो जाती।

अब यह देखिए कि अल्फ लैला से हमें मध्यकालीन पश्चिम एशिया के जीवन की कौन-सी झलकियाँ मिलती हैं। चूँकि यह लोक कथाकारों की रचनाएँ हैं इसलिए इनमें उस राजनीतिजन्य कृत्रिमता की संभावना नहीं है जो राज्याश्रित विद्वान इतिहासकारों के लिए आवश्यक हो जाती है। अतएव ये वर्णन अधिक विश्वसनीय हैं।

सबसे पहले निगाह जाती है धार्मिक विश्वासों पर। कथाकार और श्रोता दोनों मुसलमान थे इसलिए हर जगह इस्लाम का प्राधान्य दिखाई देता है। हिंदुस्तान के वर्णन में सारा समाज मुसलमान दिखाई देता है - यहाँ तक कि बंगाल (यंत्रचालित घोड़े की कहानी) में भी, जिसे हिंदुस्तान से अलग समझा गया है, राज परिवार मुस्लिम ही है और संभवतः प्रजा में भी गैरमुस्लिम लोग लगभग नहीं के बराबर हैं। हाँ, श्रीलंका में (सिंदबाद की कथा) तथा एक-आध जगह और मूर्ति पूजकों का उल्लेख जरूर मिलता है। ज्ञातव्य बात यह है कि इन कहानियों में अरबों तथा मूर्ति पूजक लोगों में कोई संघर्ष नहीं दिखाई देता। इसका एक संभव कारण दक्षिण भारत में अरबों का प्रवास हो सकता है। उत्तर भारत में मुस्लिम आक्रमण तुर्किस्तान और अफगानिस्तान ही से हुए जिनका अरब मानस पर संभवतः कोई प्रभाव नहीं पड़ा। दोनों जातियों में, राजकीय स्तर ही पर सही, पूर्ण सहयोग और सौहार्द दिखाई देता है। कहानियों के मुसलमान नायकों का धार्मिक संघर्ष केवल अग्निपूजकों से होता है। मुसलमान राजाओं के राज्यों में भी अग्निपूजक दिखाई देते हैं जो अपने आराध्य देव अग्नि को मुसलमानों की बलि देते हैं और तारीफ की बात यह है कि मुस्लिम शासकों को इसका पता भी नहीं चलता है क्योंकि ये अग्निपूजक यह काम बहुत गुप्त रूप से करते हैं। हाँ, उनका अपराध ज्ञात होने पर उनको जबरन मुसलमान बना लिया जाता है।

अग्निपूजक उस काल में केवल जरथुस्त्र मतावलंबी पारसी ही थे। उक्त धर्म में नरबलि का कहीं विधान नहीं है। यह बात जरूर है कि तेरहवीं-चौदहवीं ईस्वी शताब्दी में अग्निपूजक जहाँ भी थे वे मुसलमानों को, जिन्होंने उन्हें अपना देश छोड़ने को विवश किया था, बहुत ही नापसंद करते थे और उनसे कोई सामाजिक संबंध नहीं रखना चाहते थे। यह भी याद रहे कि सारी धार्मिक कट्टरताओं के बावजूद ईसाइयों और यहूदियों के मुसलमानों से व्यापारिक संबंध थे और ये लोग मुसलमानों के बीच घुलमिल कर रहते थे। मुसलमान भी अन्य धर्मावलंबियों की अपेक्षा ईसाइयों और यहूदियों को उनके एकेश्वरवाद और दैवी ग्रंथ पर विश्वास (अह्ले-किताब होने) के कारण अधिक क्षम्य समझते थे। अग्निपूजकों को इसी अलगाव के कारण आम मुसलमानों ने अपनी कल्पना में बहुत नीची जगह दी थी और उनकी दुष्टता की कहानियाँ गढ़ ली थीं।

हब्शियों का जहाँ भी उल्लेख आया है, गुलामों ही के रूप में आया है। इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है। उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य तक अफ्रीका वासियों को सारे संसार में इसी रूप में देखा जाता था। साथ ही उन्हें बड़ा ओछा भी दिखाया गया है। जाफर का गुलाम, जिसे खाने-पीने की कोई तंगी नहीं हो सकती थी, बालक के हाथ से सेब छीन कर भागता है। जल्लाद का काम करने के लिए भी हब्शी रखे जाते थे। ताज्जुब की बात यह है कि व्यभिचारिणी स्त्रियों की काम-पिपासा शांत करने के लिए भी हब्शी ही प्रयुक्त किए गए हैं। यूँ तो गोरे रंग के गुलाम भी बाजारों में खूब बिकते थे, किंतु बेगमों को हब्शियों के अलावा कोई पसंद ही नहीं आता था। यहाँ तक कि एक कथा (मछुवारा और जिन्न) में परम शक्तिशालिनी जादूगरनी मलिका अपने हब्शी गुलाम पर ऐसी आसक्त दिखाई गई है कि उसकी लगातार खुशामद किया करती है और उस गुलाम के घायल और बोलने से लाचार होने पर बरसों तक उसकी सुश्रूषा करती रहती है।

इसका कारण केवल यही नहीं मालूम होता कि हब्शी लोग आम अरबों से शारीरिक रूप से अधिक पुष्ट होते थे। इसकी जड़ में यह बात दिखाई देती है कि कथाकार को जहाँ भी किसी स्त्री की दुष्टता को उभारना होता है वहीं उसका संबंध किसी हब्शी से करा दिया जाता है, क्योंकि तत्कालीन अरब समाज में हब्शियों को नर-पशु से अधिक नहीं समझा जाता था। जहाँ मधुर प्रेम-संबंध दिखाए गए हैं वहाँ मुसलमान शहजादों या धनाढ्य लोगों की भी नमाज दिखाई गई है, किंतु आम लोगों और निर्धनों की नमाज का उल्लेख नहीं के बराबर है। यह स्थिति आज की स्थिति से भिन्न हैं क्योंकि आज मुसलमानों में नमाज के पाबंद गरीब ही अधिक दिखाई देते हैं। हज का उल्लेख भी कहानियों में एक-आध जगह ही प्रकारांतर से हुआ है। उसका कोई विवरण नहीं दिया गया है जबकि शाही महलों और जादू के महलों की सजावट के वर्णन में पृष्ठ के पृष्ठ रंग दिए गए हैं।

हाँ, एक इस्लामी विश्वास जरूर उभर कर आता है। वह यह कि इस्लाम में आत्महत्या जघन्य अपराध समझी गई है। कई कहानियों में नायक निराश होकर आत्महत्या की बात सोचता है, फिर इसे घोर पाप समझ कर रुक जाता है। यह इस्लामी मान्यता कथा के प्रवाह को आगे बढ़ाने में बड़ी सहायक सिद्ध हुई है और इसीलिए इसका खूब सहारा लिया गया है।

किंतु इस्लामी मान्यताओं ने मदिरापान पर कहीं रोक नहीं लगाई। राजा हो या रंक, अगर उन्हें पेट भर खाने को मिलता है तो कुछ देर बाद शराब जरूर पीते हैं। शराब के साथ अनिवार्य रूप से फल और मिठाई खाने का रिवाज भी आम है। हर सम्मानित अतिथि का स्वागत सामिष भोज्य पदार्थों और फिर मदिरा से किया जाता है। इस्लाम में शराब और हर तरह के नशे की मनाही है किंतु यह धार्मिक निषेध किसी कहानी में प्रकारांतर से भी उल्लिखित नहीं हुआ है। तत्कालीन मुस्लिम समाज स्पष्टतः ही मद्यपान को बुराई समझना छोड़ चुका था। इसी तरह कोई हँसी-खुशी का मौका नाच-गाने के बगैर नहीं होता। बादशाहों और खलीफाओं के यहाँ तो यह दैनिक कार्यक्रम में शामिल है ही, आम लोग भी जहाँ खुशी मनाते हैं वहाँ नाच-गाना जरूर होता है और इस सिलसिले में इस बात का जिक्र तक नहीं होता कि इस्लाम ने नृत्य, संगीत, कविता (ईशभक्ति के काव्य के अतिरिक्त) आदि का निषेध किया है।

सामाजिक प्रतिष्ठा के प्रथम सोपान पर स्वभावतः ही बादशाह, शहजादे और वजीर दिखाई देते हैं। लेकिन उसके बाद व्यापारियों ही का नंबर आता है। बड़े व्यापारी, विशेषतः जौहरी, तो अति प्रतिष्ठित हैं ही, मामूली व्यापारी भी और लोगों से अधिक प्रतिष्ठित हैं। इसे मध्यपूर्व के सारे सामाजिक जीवन की विशेषता समझना चाहिए। समुद्री व्यापार का महत्व स्थलमार्ग के व्यापार से भी अधिक है। सभी जहाजों के कप्तान बादशाहों की दृष्टि में भी प्रतिष्ठित हैं। व्यापारी वर्ग को अतिशय ईमानदार माना गया है। वे लोग बरसों बाद भी खोए हुए व्यक्ति की धरोहर ज्यों की त्यों वापस कर देते हैं और मालिक के आग्रह करने पर भी उसमें से थोड़ा-सा हिस्सा भी नहीं लेते। एक कहानी में धरोहर को हथियाने वाले व्यापारी को दिखाया गया है किंतु उसकी घोर दुर्दशा भी दिखाई गई है।

इसके विरुद्ध पुलिसवालों और अन्य राजकर्मचारियों को कहीं भी ईमानदार नहीं दिखाया गया है। वे तभी तक ईमानदारी से काम करते हैं जब तक तात्कालिक दंड का डर रहता है। इस वर्ग का चरित्र और प्रतिष्ठा व्यापारी वर्ग से बिल्कुल उल्टी दिखाई देती है। बाद के जमाने की ईरान की कहानियों और नाटकों में भी व्यापारी वर्ग को राज कर्मचारी वर्ग से कहीं अधिक प्रतिष्ठित दिखाया गया है। यह मान्यता भारत के सामंती काल के समाज की मान्यताओं से बिल्कुल उल्टी है। हाँ, सारे संसार के सामंती समाजों की भाँति मध्यपूर्व के सामंती समाज में भी मजदूरों, हस्तशिल्पियों आदि का मान बहुत कम है, यानी गुलामों से कुछ ही अधिक है।

प्राकृतिक तथा अन्य दृश्यों में पहाड़ों, नदियाँ, वनों आदि का उल्लेख तो हर देश की कथाओं में है किंतु अल्फ लैला में जिस प्रकार से हर कहानी में बागों, नहरों और पालतू जानवरों और चिड़ियों का वर्णन है उससे यह मालूम होता है कि ये चीजें उस जमाने में वहाँ आम लोगों की पहुँच के अंदर थीं यानी वे लोग इन चीजों के बारे में इतना जानते थे कि उनके विशद वर्णन से आनंद उठा सकें। शहरों की सूरत ऐसी ही दिखाई देती है जैसी मध्य युग में हर देश के शहरों की थी। तंग गलियों में मामूली मकानों के साथ-साथ बने हुए भव्य भवन, जिनके बाहरी दरवाजों पर कोई शान-शौकत नहीं दिखाई देती, इन शहरों की विशेषता है। भारत के वाराणसी तथा अन्य पुरानी बस्तियों में भी शहरों की ऐसी ही सूरत दिखाई देती है।

हास्यात्मक कथाओं में हास्य अधिकतर बादशाहों और सामंतों के आम आदमी की मूर्खताओं पर हँसने या अपने मनोरंजन के लिए उन्हें बेवकूफ बनाने तक ही सीमित मालूम होता है। शिष्ट हास्य इन लोक कथाकारों की पहुँच के बाहर मालूम होता है।

वास्तव में यह कथामाला किसी सर्वमान्य रूप में नहीं है। कई संग्रहों में कई ऐसी कहानियाँ हैं जो अन्य संग्रहों में नहीं हैं। ऐसा मालूम होता है कि यूरोपियनों या उनके प्रभाव में आने वाले अन्य लोगों ने ऐसी अजीब-अजीब कहानियाँ गढ़कर इसमें शामिल कर दी हैं, जो दूसरी कहानियों के मिजाज से मेल नहीं खाती। इन लोगों ने शायद यह समझ लिया है कि कोई भी कामुकतापूर्ण घटना अल्फ लैला में चल जाएगी।

प्रस्तुत संग्रह में केवल सर्वमान्य कहानियाँ दी गई हैं, यद्यपि उनका ऐसा संक्षिप्तीकरण नहीं किया गया है जो कहानी को कथानक तक सीमित कर दे क्योंकि लोकसाहित्य का मूल्य उसके कथानक में नहीं, उसके वर्णन में निहित होता है।

(सरस्वती सरन 'कैफ')

भूमिका (2)

अलिफ लैला की कहानी अरब देश की एक प्रचलित लोक कथा है जो पूरी दुनिया में सदियों से सुनी व पढ़ी जाती रही है। 'अलिफ लैला' भारत में अपने अरबी नाम "अल्फ लैला" के प्रचलित बिगड़े हुए रूपके नाम से अधिक जाना जाता है। अरबी में अल्फ का अर्थ है एक हजार और लैला का अर्थ है रात।

यह हज़ार कहानियों का एक खूबसूरत गुलदस्ता है, जिसमें प्रत्येक कहानियां एक फूल की तरह है। इन कहानियों में प्यार, सुख, दुःख, दर्द, धेखा, बेवपफाई, ईमानदारी, कर्तव्य, भावनाएं जैसे भावों का अद्भुत संतुलन है, जिसको पाठकों और श्रोताओं को हमेशा लुभाया है।

दसवीं शताब्दी ईस्वी के अरब लेखक और इतिहासकार मसऊदी के अनुसार अल्फ लैला की कथामाला का आधार फारसी की प्राचीन कथामाला 'हजार अफसाना' है। अल्फ लैला की कई कहानियाँ जैसे 'मछुवारा और जिन्न' 'कमरुज्जमा और बदौरा' आदि कहानियाँ सीधे 'हजार अफसाना' से जैसी की तैसी ली गई हैं।

अलिफ लैला एक ऐसी नवयुवती की कहानी है, जिसने एक ज़ालिम बादशाह से विवाह करने के बाद न केवल उसका हृदय परिवर्तित कर दिया, अपितु अनेक नवयुवतियों का जीवन भी बचा लिया।

इस कथा के अनुसार, बादशाह शहरयार अपनी मलिका की बेवपफाई से दुःखी होकर उसका और उसकी सभी दासियों का कत्ल कर देता है और प्रतिज्ञा करता है कि रोजाना एक स्त्री के साथ विवाह करूंगा और अगली सुबह उसे कत्ल कर दूंगा।

बादशाह के नफऱत से उत्पन्न नारी जाति के प्रति इस अत्याचार को रोकने के लिए बादशाह के वजीर की पुत्री शहरजाद उससे शादी कर लेती है। वह किस्से-कहानी सुनने के शौकीन बादशाह को विविध् प्रकार की कहानियां सुनाती है, जो हज़ार रातों में पूरी होती है। कहानी पूरी सुनने की लालसा में बादशाह अपनी दुल्हन का कत्ल नहीं कर पाता और उसे अपनी बेगम से प्यार हो जाता है। अपनी बेगम की बुद्धिमिता से प्रभावित बादशाह औरतों के प्रति अपने मन में उत्पन्न नफऱत को खत्म करने के अलावा अपनी प्रतिज्ञा भी तोड़ देता है और अंत में अपनी बेगम के साथ हंसी-खुशी रहने लगता है।
 

ममता

ममता

बहुत ही सुन्दर भूमिका कहानी की और रूचिकर भी है। आपकी लेखन शैली प्रभावी है पाठक के मन में जिज्ञासा जगाती हैं मै आपकी इन कहानियों को पूरा पढूंगी कयुंकि ये वास्तव में पठनीय हैं। अलीफ लैला पहले भी पढ चुकीं हू लेकिन आपके लेखन से विस्तृत संदर्भ मिलने की आशा है।

29 जनवरी 2022

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रचनाएँ
अलिफ लैला
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अलिफ लैला की कहानी अरब देश की एक प्रचलित लोक कथा है जो पूरी दुनिया में सदियों से सुनी व पढ़ी जाती रही है। ... इस कथा के अनुसार, बादशाह शहरयार अपनी मलिका की बेवपफाई से दुःखी होकर उसका और उसकी सभी दासियों का कत्ल कर देता है और प्रतिज्ञा करता है कि रोजाना एक स्त्री के साथ विवाह करूंगा और अगली सुबह उसे कत्ल कर दूंगा।
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भूमिका

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भूमिका (1)-अलिफ़ लैला सहस्र-रजनी चरित्र, जो अब भी भारत में अपने अरबी नाम 'अल्फ लैला' के प्रचलित बिगड़े हुए रूप 'अलिफ लैला' के नाम से अधिक जाना जाता है, वास्तव में लोक कथाओं का ऐसा संग्रह है जिसकी लोक

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शहरयार और शाहजमाँ

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फारस देश भी हिंदुस्तान और चीन के समान था और कई नरेश उसके अधीन थे। वहाँ का राजा महाप्रतापी और बड़ा तेजस्वी था और न्यायप्रिय होने के कारण प्रजा को प्रिय था। उस बादशाह के दो बेटे थे जिनमें बड़े लड़के का

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किस्सा गधे, बैल और उनके मालिक

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एक बड़ा व्यापारी था जिसके गाँव में बहुत-से घर और कारखाने थे जिनमें तरह-तरह के पशु रहते थे। एक दिन वह अपने परिवार सहित कारखानों को देखने के लिए गाँव गया। उसने अपनी पशुशाला भी देखी जहाँ एक गधा और एक बैल

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किस्सा व्यापारी और दैत्य का-

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शहरजाद ने कहा : प्राचीन काल में एक अत्यंत धनी व्यापारी बहुत-सी वस्तुओं का कारोबार किया करता था। यद्यपि प्रत्येक स्थान पर उसकी कोठियाँ, गुमाश्ते और नौकर-चाकर रहते थे तथापि वह स्वयं भी व्यापार के लिए द

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किस्सा बूढ़े और उसकी हिरनी का

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वृद्ध बोला, 'हे दैत्यराज, अब ध्यान देकर मेरा वृत्तांत सुनें। यह हिरनी मेरे चचा की बेटी और मेरी पत्नी है। जब यह बारह वर्ष की थी तो इसके साथ मेरा विवाह हुआ। यह अत्यंत पतिव्रता थी और मेरे प्रत्येक आदेश क

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किस्सा तीसरे बूढ़े का जिसके साथ एक खच्चर था

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तीसरे बूढ़े ने कहना शुरू किया : 'हे दैत्य सम्राट, यह खच्चर मेरी पत्नी है। मैं व्यापारी था। एक बार मैं व्यापार के लिए परदेश गया। जब मैं एक वर्ष बाद घर लौटकर आया तो मैंने देखा कि मेरी पत्नी एक हब्शी गुल

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मछुवारे की कहानी

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शहरजाद ने कहा कि हे स्वामी, एक वृद्ध और धार्मिक प्रवृत्ति का मुसलमान मछुवारा मेहनत करके अपने स्त्री-बच्चों का पेट पालता था। वह नियमित रूप से प्रतिदिन सवेरे ही उठकर नदी के किनारे जाता और चार बार नदी मे

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गरीक बादशाह और हकीम दूबाँ की कथा

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फारस देश में एक रूमा नामक नगर था। उस नगर के बादशाह का नाम गरीक था। उस बादशाह को कुष्ठ रोग हो गया। इससे वह बड़े कष्ट में रहता था। राज्य के वैद्य-हकीमों ने भाँति-भाँति से उसका रोग दूर करने के उपाय किए क

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भद्र पुरुष और उसके तोते की कथा

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पूर्वकाल में किसी गाँव में एक बड़ा भला मानस रहता था। उसकी पत्नी अतीव सुंदरी थी और भला मानस उससे बहुत प्रेम करता था। अगर कभी घड़ी भर के लिए भी वह उसकी आँखों से ओझल होती थी तो वह बेचैन हो जाता था। एक बा

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अमात्य की कहानी

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प्राचीन समय में एक राजा था उसके राजकुमार को मृगया का बड़ा शौक था। राजा उसे बहुत चाहता था, राजकुमार की किसी इच्छा को अस्वीकार नहीं करता था। एक दिन राजकुमार ने शिकार पर जाना चाहा। राजा ने अपने एक अमात्य

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काले द्वीपों के बादशाह की कहानी

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उस जवान ने अपना वृत्तांत कहना आरंभ किया। उसने कहा 'मेरे पिता का नाम महमूद शाह था। वह काले द्वीपों का अधिपति था, वे काले द्वीप चार विख्यात पर्वत हैं। उसकी राजधानी उसी स्थान पर थी जहाँ वह रंगीन मछलियों

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किस्सा तीन राजकुमारों और पाँच सुंदरियों का

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शहरजाद की कहानी रात रहे समाप्त हो गई तो दुनियाजाद ने कहा - बहन, यह कहानी तो बहुत अच्छी थी, कोई और भी कहानी तुम्हें आती है? शहरजाद ने कहा कि आती तो है किंतु बादशाह की अनुमति हो तो कहूँ। बादशाह ने अनुमत

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मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

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मजदूर बोला, 'हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया।

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मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

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मजदूर बोला, 'हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया।

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पहले फकीर की कहानी

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पहले फकीर ने अदब से घुटनों के बल खड़े होकर कहा 'सुंदरी, अब ध्यान लगाकर सुनो कि मेरी आँख किस प्रकार गई और मैं क्यों फकीर बना। मैं एक बड़े बादशाह का बेटा था। बादशाह का भाई यानी मेरा चचा भी एक समीपवर्ती

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दूसरे फकीर की कहानी

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अभी पहले फकीर की अद्भुत आप बीती सुनकर पैदा होने वाले आश्चर्य से लोग उबरे नहीं थे कि जुबैदा ने दूसरे फकीर से कहा कि तुम बताओ कि तुम कौन हो और कहाँ से आए हो। उसने कहा कि आपकी आज्ञानुसार मैं आप को बताऊँग

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भले आदमी और ईर्ष्यालु पुरुष

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किसी नगर में दो आदमियों का घर एक दूसरे से लगा हुआ था। उनमें से एक पड़ोसी दूसरे के प्रति ईर्ष्या और द्वेष रखता था। भले मानस ने सोचा कि मकान छोड़कर कहीं जा बसूँ क्योंकि मैं इस आदमी के प्रति उपकार करता ह

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किस्सा तीसरे फकीर का

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हे दयालु सुंदरी, मेरी कहानी बहुत ही आश्चर्यकारी है। इन दोनों शहजादों की दाहिनी आँखें परिस्थितिवश गईं किंतु मेरी आँख मेरी ही मूर्खता और मेरे ही अपराध के कारण फूटी। मैं इसका विस्तृत वर्णन करता हूँ। मेरा

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किस्सा जुबैदा का

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जुबैदा ने खलीफा के सामने सर झुका कर निवेदन किया है राजाधिराज, मेरी कहानी बड़ी ही विचित्र है, आपने इस प्रकार की कोई कहानी नहीं सुनी होगी। मैं और वे दोनों काली कुतियाँ तीनों सगी बहिनें हैं और यह दो स्त्

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किस्सा अमीना का

29 जनवरी 2022
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अमीना ने कहा, 'जुबैदा की कहानी आप उसके मुँह से सुन चुके, अब मैं अपनी कहानी आपके सम्मुख प्रस्तुत करती हूँ। मेरी माँ मुझे लेकर अपने घर में आई कि रँड़ापे का अकेलापन उसे न खले। फिर उसने मेरा विवाह इसी नगर

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सिंदबाज जहाजी की कहानी

29 जनवरी 2022
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जब शहरजाद ने यह कहानी पूरी की तो शहरयार ने, जिसे सारी कहानियाँ बड़ी रोचक लगी थीं, पूछा कि तुम्हें कोई और कहानी भी आती हैं। शहरजाद ने कहा कि बहुत कहानियाँ आती हैं। यह कह कर उसने सिंदबाद जहाजी की कहानी

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सिंदबाद जहाजी की पहली यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा कि मैंने अच्छी-खासी पैतृक संपत्ति पाई थी किंतु मैंने नौजवानी की मूर्खताओं के वश में पड़कर उसे भोग-विलास में उड़ा डाला। मेरे पिता जब जीवित थे तो कहते थे कि निर्धनता की अपेक्षा मृत्यु श्र

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सिंदबाद जहाजी की दूसरी यात्रा

29 जनवरी 2022
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मित्रो, पहली यात्रा में मुझ पर जो विपत्तियाँ पड़ी थीं उनके कारण मैंने निश्चय कर लिया था कि अब व्यापार यात्रा न करूँगा और अपने नगर में सुख से रहूँगा। किंतु निष्क्रियता मुझे खलने लगी, यहाँ तक कि मैं बेच

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सिंदबाद जहाजी की तीसरी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा कि घर आकर मैं सुखपूर्वक रहने लगा। कुछ ही दिनों में जैसे पिछली दो यात्राओं के कष्ट और संकट भूल गया और तीसरी यात्रा की तैयारी शुरू कर दी। मैंने बगदाद से व्यापार की वस्तुएँ लीं और कुछ व्या

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सिंदबाद जहाजी की चौथी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा, कुछ दिन आराम से रहने के बाद मैं पिछले कष्ट और दुख भूल गया था और फिर यह सूझी कि और धन कमाया जाए तथा संसार की विचित्रताएँ और देखी जाएँ। मैंने चौथी यात्रा की तैयारी की और अपने देश की वे व

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सिंदबाद जहाजी की पाँचवी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा कि मेरी विचित्र दशा थी। चाहे जितनी मुसीबत पड़े मैं कुछ दिनों के आनंद के बाद उसे भूल जाता था और नई यात्रा के लिए मेरे तलवे खुजाने लगते थे। इस बार भी यही हुआ। इस बार मैंने अपनी इच्छानुसार

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सिंदबाद जहाजी की छठी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने हिंदबाद और अन्य लोगों से कहा कि आप लोग स्वयं ही सोच सकते हैं कि मुझ पर कैसी मुसीबतें पड़ीं और साथ ही मुझे कितना धन प्राप्त हुआ। मुझे स्वयं इस पर आश्चर्य होता था। एक वर्ष बाद मुझ पर फिर यात्

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सिंदबाद जहाजी की सातवीं यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा, दोस्तो, मैंने दृढ़ निश्चय किया था कि अब कभी जल यात्रा न करूँगा। मेरी अवस्था भी इतनी हो गई थी कि मैं कहीं आराम के साथ बैठ कर दिन गुजारता। इसीलिए मैं अपने घर में आनंदपूर्वक रहने लगा। एक

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एक स्त्री और तीन नौकरों का वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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शहरयार को सिंदबाद की यात्राओं की कहानी सुन कर बड़ा आनंद हुआ। उसने शहरजाद से और कहानी सुनाने को कहा। शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद का नियम था कि वह समय-समय पर वेश बदल कर बगदाद की सड़कों पर प्रजा का

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जवान और मृत स्त्री

29 जनवरी 2022
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उस जवान ने कहा कि 'मृत स्त्री मेरी पत्नी और इन वृद्ध सज्जन की बेटी थी और यह मेरे चचा हैं। ग्यारह वर्ष पूर्व उससे मेरा विवाह हुआ था। हमारे तीन बेटे हैं जो जीवित हैं। मेरी पत्नी अत्यंत सुशील और पतिव्रता

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नूरुद्दीन अली और बदरुद्दीन हसन

29 जनवरी 2022
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मंत्री जाफर ने कहा कि पहले जमाने में मिस्र देश में एक बड़ा प्रतापी और न्यायप्रिय बादशाह था। वह इतना शक्तिशाली था कि आस-पड़ोस के राजा उससे डरते थे। उसका मंत्री बड़ा शासन- कुशल, न्यायप्रिय और काव्य आदि

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काशगर के दरजी और बादशाह के कुबड़े सेवक

29 जनवरी 2022
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दूसरी रात को मलिका शहरजाद ने पिछले पहर अपनी बहन दुनियाजाद के कहने से यह कहानी सुनाना आरंभ किया। पुराने जमाने में तातार देश के समीपवर्ती नगर काशगर में एक दरजी था जो अपनी दुकान में बैठ कर कपड़े सीता था।

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ईसाई द्वारा सुनाई गई

29 जनवरी 2022
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ईसाई ने कहा, मैं मिस्र की राजधानी काहिरा का निवासी हूँ। मेरा बाप दलाल था। उस के पास काफी पैसा हो गया। उस ने मरने के बाद मैं ने भी वही व्यापार आरंभ किया। एक दिन मैं अनाज की मंडी में अपने दैनिक व्यापार

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अनाज के व्यापारी

29 जनवरी 2022
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अनाज का व्यापारी बोला कि कल मैं एक धनी व्यक्ति की पुत्री के विवाह में गया था। नगर के बहुत-से प्रतिष्ठित व्यक्ति उसमें शामिल थे। शादी की रस्में पूरी होने पर दावत हुई और नाना प्रकार के व्यंजन परोसे गए।

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उस आदमी की कहानी जिसके चारों अँगूठे कटे थे

29 जनवरी 2022
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उस ने कहा कि दोस्तो, मेरा पिता बगदाद का रहनेवाला था और खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में था। मैं भी उसी समय पैदा हुआ। मेरा पिता यद्यपि धनवान तथा बड़े व्यापारियों में गिना जाता था तथापि वह बहुत ही विलासी औ

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यहूदी हकीम द्वारा वर्णित

29 जनवरी 2022
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यहूदी हकीम ने बादशाह के सामने झुक कर जमीन चूमी और कहा कि पहले मैं दमिश्क नगर में हकीमी किया करता था। अपनी चिकित्सा विधि के कारण वहाँ मेरी बड़ी प्रतिष्ठा हो गई थी। एक दिन वहाँ के हाकिम ने मुझ से कहा कि

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काशगर के बादशाह के सामने दरजी की कथा

29 जनवरी 2022
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दरजी ने कहा कि इस नगर के व्यापारी ने एक बार अपने मित्रों को भोज दिया और उनके लिए भाँति-भाँति के व्यंजन बनवाए। मुझे भी बुलाया गया। मैं जब वहाँ पहुँचा तो देखा कि बहुत-से निमंत्रित लोग मौजूद हैं किंतु मक

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लँगड़े आदमी की कहानी

29 जनवरी 2022
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मेरा पिता बगदाद के सम्मानित व्यक्तियों में से था और हम लोग आनंदपूर्वक वहाँ रह रहे थे। मैं अपने पिता का अकेला बेटा था। जिस समय मेरे पिता की मृत्यु हुई उस समय तक मैं न केवल विद्याध्ययन पूरा कर चुका था ब

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दरजी की जबानी नाई की कहानी

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के काल में बगदाद के आसपास दस कुख्यात डाकू थे जो राहगीरों को लूटते ओर मार डालते थे। खलीफा ने प्रजा के कष्ट का विचार कर के कोतवाल से कहा कि उन डाकुओं को पकड़ कर लाओ वरना मैं तुम्हें प्र

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नाई के कुबड़े भाई

29 जनवरी 2022
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सरकार, मेरा सबसे बड़ा भाई जिसका नाम बकबक था, कुबड़ा था। उसने दरजीगीरी सीखी और जब यह काम सीख लिया तो उसने अपना कारबार चलाने के लिए एक दुकान किराए पर ली। उस की दुकान के सामने ही एक आटा चक्कीवाले की दुका

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नाई के दूसरे भाई बकबारह की कहानी

29 जनवरी 2022
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दूसरे रोज खलीफा के सामने पहुँच कर मैं ने कहा कि मेरा दूसरा भाई बकबारह पोपला है। एक दिन उससे एक बुढ़िया ने कहा, मैं तुम्हारे लाभ की एक बात कहती हूँ। एक बड़े घर की स्वामिनी तुम से आकृष्ट है। मैं तुम्हें

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नाई के तीसरे भाई अंधे बूबक की कहानी

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा, सरकार, मेरा तीसरा भाई बूबक था जो बिल्कुल अंधा था। वह बड़ा अभागा था। वह भिक्षा से जीवन निर्वाह करता था। उसका नियम था कि अकेला ही लाठी टेकता हुआ भीख माँगने जाता और किसी दानी का द्वार खटखटा क

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नाई के चौथे भाई काने अलकूज

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि मेरा चौथा भाई काना था और उसका नाम अलकूज था। अब यह भी सुन लीजिए कि उसकी एक आँख किस प्रकार गई। मेरा भाई कसाई का काम करता था। उसे भेड़-बकरियों की अच्छी पहचान थी। वह मेढ़ों को लड़ाने के लिए

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नाई के पाँचवें भाई अलनसचर

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि मेरे पाँचवें भाई का नाम अलनसचर था। वह बड़ा आलसी और निकम्मा था। वह रोज किसी न किसी मित्र के पास जा कर बेशर्मी से कुछ भीख माँग लेता और खा-पी कर पड़ा रहता। मेरा बाप कुछ समय बाद बूढ़ा हो कर

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नाई के छठे भाई कबक जिसके होंठ खरगोश की तरह के थे

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि अब मेरे आखिरी भाई शाह कबक का वृत्तांत रह गया है। इसे भी सुन लीजिए, फिर मैं आप से विदा लूँ। इस भाई का नाम शाह कबक था और उसके होंठ खरगोश की तरह ऊपर को चढ़े हुए थे और वह चलता भी खरगोश की तर

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शहजादा अबुल हसन और हारूँ रशीद की प्रेयसी शमसुन्निहार

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के शासनकाल में बगदाद में एक अत्यंत धनाढ्य और सुसंस्कृत व्यापारी रहता था। वह शारीरिक रूप से तो सुंदर था ही, मानसिक रूप से और भी सुंदर था। वहाँ के अमीर-उमरा उसका बड़ा मान करते। यहाँ तक

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कमरुज्जमाँ और बदौरा

29 जनवरी 2022
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फारस देश में बीस दिन की राह पर एक देश खलदान है। उस देश में कई टापू भी शामिल हैं। बहुत दिन पहले वहाँ का बादशाह शाहजमाँ था। उसके चार पत्नियाँ थीं और सात विशेष दासियाँ। वह बड़ा प्रतापी राजा था, उसके दे

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नूरुद्दीन और पारस देश की दासी

29 जनवरी 2022
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अगली सुबह से पहले शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि पहले जमाने में बसरा बगदाद के अधीन था। बगदाद में खलीफा हारूँ रशीद का राज था और उसने अपने चचेरे भाई जुबैनी को बसरा का हाकिम बनाया था। जुबैनी के

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ईरानी बादशाह बद्र और शमंदाल की शहजादी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि बादशाह सलामत, ईरान बहुत बड़ा देश है। पुराने जमाने में वहाँ बड़े शक्तिशाली और प्रतापी नरेश हुआ करते थे और उन्हें शहंशाह यानी बादशाहों का बादशाह कहा जाता था। उसी काल का वहाँ का एक बादशा

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गनीम और फितना

29 जनवरी 2022
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दुनियाजाद ने मलिका शहरजाद से नई कहानी सुनाने को कहा और बादशाह शहरजाद ने भी अपनी मौन स्वीकृति दे दी तो शहरजाद ने नई कहानी शुरू कर दी। उसने कहा कि पुराने जमाने में दमिश्क नगर में एक व्यापारी रहता था जिस

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शहजादा जैनुस्सनम और जिन्नों के बादशाह

29 जनवरी 2022
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पुराने जमाने में बसरा में एक बड़ा ऐश्वर्यवान और न्यायप्रिय बादशाह राज करता था। उसे सबकुछ प्राप्त था किंतु उसे बहुत दिनों तक कोई संतान नहीं हुई जिससे वह बहुत दुखी रहता था। नगर निवासी भी बादशाह के साथ म

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शहजादा खुदादाद और दरियाबार की शहजादी-

29 जनवरी 2022
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उपर्युक्त कहानी के मध्य में एक यात्रा में जैनुस्सनम के दरियाबार देश मे जाने का भी उल्लेख है। वहाँ की एक चित्ताकर्षक कथा उस ने सुनी थी। वह कथा भी इस जगह कही जाती है। हैरन नगर में एक बड़ा प्रतापी बादशा

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दरियाबार की शहजादी

29 जनवरी 2022
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उस सुंदरी ने कहा कि काहिरा के निकट दरियाबार नाम एक द्वीप है। उस का बादशाह सब प्रकार से सुखी था किंतु उसे संतान न होने का बड़ा दुख था। वर्षों की प्रार्थनाओं और सिद्धों के आशीर्वादों से उस के यहाँ एक पु

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सोते-जागते आदमी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में बगदाद में एक धनी व्यापारी था। उस का एक ही पुत्र था जिसका नाम अबुल हसन था। व्यापारी बड़ा कंजूस था। वह धन एकत्र ही करता था, खर्च बहुत कम करता था। इसलिए जब

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अलादीन और जादुई चिराग

29 जनवरी 2022
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चीन की राजधानी में मुस्तफा नाम का एक दरजी रहता था। वह गरीब आदमी था और बड़ी कठिनाई से अपने परिवारवालों का पेट भरता था। उस के पुत्र का नाम अलादीन था जो कुछ काम-काज नहीं करता था सिर्फ खेल-कूद में समय ब

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खलीफा हारूँ रशीद और बाबा अब्दुल्ला

29 जनवरी 2022
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दुनियाजाद के प्रस्ताव और शहरयार की अनुमति से नई कहानी प्रारंभ करते हुए शहरजाद ने कहा कि कभी-कभी आदमी का चित्त प्रसन्न होता है और उसकी कोई साफ वजह भी नहीं होती। ऐसी स्थिति भी होती है जब आदमी खुश तो होत

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अंधे बाबा अब्दुल्ला

29 जनवरी 2022
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बाबा अब्दुल्ला ने कहा कि मैं इसी बगदाद नगर में पैदा हुआ था। मेरे माँ बाप मर गए तो उनका धन उत्तराधिकार में मैंने पाया। वह धन इतना था कि उससे मैं जीवन भर आराम से रह सकता था किंतु मैंने भोग-विलास में सार

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सीदी नोमान

29 जनवरी 2022
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भिखारी की कहानी सुनने के बाद खलीफा ने बराबर घोड़ी दौड़ानेवाले पर ध्यान दिया और उससे पूछा कि तुम्हारा क्या नाम है। उसने अपना नाम सीदी नोमान बताया। खलीफा ने कहा, मैंने बहुत-से घुड़सवारों और साईसों को दे

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ख्वाजा हसन हव्वाल

29 जनवरी 2022
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ख्वाजा हसन ने कहा कि मैं अपनी बात बताने के पहले अपने दो मित्रों के बारे में बताना चाहता हूँ। वे अभी जीवित हैं और यहीं बगदाद में रहते हैं। वे मेरे प्रत्येक कथन की पुष्टि करेंगे। उनमें से एक का नाम सादी

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अलीबाबा और चालीस लुटेरों की कहानी

29 जनवरी 2022
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अगली रात को मलिका शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि फारस देश में कासिम और अलीबाबा नाम के दो भाई रहते थे। उन्हें पैतृक संपत्ति थोड़ी ही मिली थी। किंतु कासिम का विवाह एक धनी-मानी व्यक्ति की पुत्री

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बगदाद के व्यापारी अली ख्वाजा

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के राज्य काल में बगदाद में अलीख्वाजा नामक एक छोटा व्यापारी रहता था। वह अपने पुश्तैनी मकान में, जो छोटा-सा ही था, अकेला रहता था। उसने विवाह नहीं किया था और उसके माता पिता की भी मृत्यु

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यंत्र के घोड़े

29 जनवरी 2022
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बादशाह सलामत, आपको यह मालूम ही है कि हजारों वर्ष से फारस में नौरोज यानी वर्ष का प्रथम दिवस बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। उसमें सभी लोग विशेषतः अग्निपूजक, भाँति-भाँति के नृत्यों और खेल-तमाशों का आय

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शहजादा अहमद और परीबानू

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा, बादशाह सलामत, पुराने जमाने में हिंदोस्तान का एक बादशाह बड़ा प्रतापी और ऐश्वर्यवान था। उसके तीन बेटे थे। बड़े का नाम हुसैन, मँझले का अली और छोटे का अहमद था। बादशाह का एक भाई जब मरा तो उस

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ईर्ष्यालु बहनों की कहानी

29 जनवरी 2022
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पुराने जमाने में फारस में खुसरो शाह नामी शहजादा था। वह रातों को अक्सर भेस बदल कर सिर्फ एक सेवक को अपने साथ रख कर नगर की सैर किया करता था और संसार की विचित्र बातें देख कर अपना ज्ञान बढ़ाया करता था। ज

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बैल और गधा

29 जनवरी 2022
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एक बार एक सौदागर था जो बहुत अमीर था। उसके पास बहुत सारे नौकर चाकर और जानवर थे। उसकी एक पत्नी थी और परिवार था और वह अपने खाने पीने के लिये खेती करता था। उसके पास जंगली जानवरों और हर तरह की चिड़िया की बो

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भेड़िये और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक लोमड़ा और एक भेड़िया एक ही घर में रहते थे। भेड़िया बहुत ही बेरहम था जबकि लोमड़ा बहुत नरम दिल था। इसी तरह से रहते हुए उन्हें कुछ दिन हो गये कि एक दिन वह लोमड़ा भेड़िये से बोला — “अगर तुम इसी तरीके

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लोमड़े और कौए की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक लोमड़ा एक पहाड़ की एक गुफा में रहता था। जब भी उसको एक बच्चा पैदा होता और वह बड़ा हो जाता तो वह उसको खा जाता क्योंकि उसको भूख बहुत लगती थी। अगर वह अपने बच्चों को न खाता तो उसके वे बच्चे बड़े हो जाते और

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साही और कबूतर

29 जनवरी 2022
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एक बार एक साही एक खजूर के पेड़ के नीचे रहने के लिये आया। उसी पेड़ के ऊपर एक कबूतर अपनी पत्नी के साथ रहता था। साही ने सोचा कि यह कबूतर का जोड़ा तो इस पेड़ के फल खाता है पर मुझे इस पेड़ के फल खाने का कोई मौ

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बतख और कछुए की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक बतख बहुत ऊपर उड़ा और बहते हुए पानी में खड़ी एक चट्टान पर जा कर बैठ गया। जब वह वहाँ बैठा हुआ था तो पानी की एक लहर एक आदमी का ढाँचा उसके पास ला कर छोड़ गयी। बतख ने उसको ठीक से देखा तो उसको पता लग

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चुहिया और एक ततैये की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक चुहिया और एक मादा ततैया एक गरीब किसान के घर में एक साथ ही रहते थे। एक बार उस किसान का एक दोस्त बीमार पड़ गया तो डाक्टर ने उसको धुले तिल21 खाने की सलाह दी। सो उस किसान ने एक आदमी से अपने दोस्

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कौआ और बिल्ला

29 जनवरी 2022
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एक समय की बात है कि एक कौआ और एक बिल्ला दोनों आपस में बड़े गहरे दोस्त थे और साथ साथ रहते थे। एक दिन वे दोनों एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे कि उन्होंने एक चीते23 को अपनी तरफ आते हुए देखा। उनको उसके अपनी त

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चिड़ा और मोर

29 जनवरी 2022
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एक बार की बात है एक चिड़ा रोज सुबह सुबह चिड़ियों के राजा से मिलने जाता था और सारा दिन उसकी सेवा में खड़ा रहता था। वह सबसे पहले वहाँ पहुँचता था और सबसे बाद में वहाँ से वापस आता था। एक बार कुछ चिड़ियों ने

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मुर्गे और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक गाँव में एक शेख रहता था। उसकी अपने गाँव में बहुत अच्छी साख थी और वह एक बहुत ही समझदार आदमी था। उसके अपने पास बहुत सारे मुर्गे मुर्गियाँ थे। वह उनको बढ़ाने के लिये उनकी बहुत अच्छी देखभाल करता

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चिड़ियें, जानवर और बढ़ई

29 जनवरी 2022
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जानवरों की यह कहानी बहुत ही मजेदार है। हो सकता है कि तुम इसको बार बार पढ़ना पसन्द करो और हर किसी को खास करके अपने छोटे भाई बहिनों को बार बार सुनाना पसन्द करो। बहुत पुरानी बात है कि एक मोर अपनी पत्नी क

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