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नाई के दूसरे भाई बकबारह की कहानी

29 जनवरी 2022

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दूसरे रोज खलीफा के सामने पहुँच कर मैं ने कहा कि मेरा दूसरा भाई बकबारह पोपला है। एक दिन उससे एक बुढ़िया ने कहा, मैं तुम्हारे लाभ की एक बात कहती हूँ। एक बड़े घर की स्वामिनी तुम से आकृष्ट है। मैं तुम्हें उसके घर ले जा सकती हूँ। उस की कृपा हो गई तो तुम शीघ्र ही धनवान हो जाओगे। मेरे भाई ने उसका बड़ा अहसान माना और कुछ पैसे भी बुढ़िया को दिए।

बुढ़िया ने कहा, लेकिन मैं एक चेतावनी तुम्हें देती हूँ। उस सुंदरी की उम्र कम है और उसका बचपन और खिलंदरापन अभी नहीं गया है। वह अपने मित्रों और उन सभी लोगों के साथ तरह-तरह के तंग करनेवाले मजाक करती है, इसी में उसे आनंद आता है। और अगर कोई उसके शारीरिक परिहासों का बुरा मानता है तो वह उससे हमेशा के लिए बिगड़ जाती है और कभी उसका मुँह नहीं देखती। इसलिए यह जरूरी है कि वह और उस की सहेलियाँ और दासियाँ तुम से कितनी ही छेड़छाड़ या खींचतान करें तुम किसी बात का बुरा न मानना। मेरे भाई ने यह बात स्वीकार कर ली।

फिर एक दिन वह बुढ़िया मेरे भाई को वहाँ ले गई। मेरे भाई बकबारह को उस भवन की विशालता और भव्यता को देख कर अति आश्चर्य हुआ। बुढ़िया के साथ होने से उसे किसी द्वारपाल ने नहीं रोका। बुढ़िया ने फिर ताकीद की कि वह सुंदरी या उसके साथ की स्त्रियाँ हँसी-मजाक करें तो बुरा न मानना। महल बहुत ही शानदार था और निवास कक्षों के सामने एक मनोहर उद्यान था। बुढ़िया उसे एक दालान में बिठा कर अंदर गई कि उसके आने का समाचार गृहस्वामिनी को दे। कुछ देर में उसने कई स्त्रियों के आने की आवाज सुनी।

वह चैतन्य हो कर बैठ गया। बहुत सी स्त्रियों का समूह वहाँ आ गया। वे सब परिचारिकाएँ लग रही थीं। बकबारह को देख कर वे सब हँसने लगी। उन सेविकाओं के बीच में एक अति सुंदर रमणी मूल्यवान वस्त्राभूषण पहने शालीनतापूर्वक आ रही थी। स्पष्टतः वह उनकी स्वामिनी थी।

बकबारह इतने स्त्रियों को देख कर घबरा-सा गया। उसने उसे झुक कर सलाम किया। उस सुंदरी ने उसे बैठ जाने को कहा और मुस्कुरा कर बोली, हम लोगों को तुम्हारे आगमन से बड़ी प्रसन्नता हुई है, अब तुम बताओ कि तुम क्या चाहते हो। मेरे भाई ने कहा कि मैं केवल यह चाहता हूँ कि आपकी सेवा में रहूँ। उसने कहा कि अच्छी बात है, मैं भी यही चाहती हँ कि हम लोग चार घड़ी हँस-बोल कर काटें।

यह कह कर उसने अपनी दासियों को भोजन लाने की आज्ञा दी। दासियों ने भोजन परोसा और भोजन के लिए बकबारह को अपनी स्वामिनी के सम्मुख ही बिठाया। जब बकबारह ने खाने के लिए मुँह खोला तो उसने देखा कि इसके मुँह में एक भी दाँत नहीं है। उसने अपनी सेविकाओं को इशारे से यह दिखाया और हँसने लगी। वे सब भी हँसीं। मेरा भाई समझा कि मेरी संगत से यह प्रसन्न है इसलिए वह भी हँसने लगा। फिर उस सुंदरी ने अपनी दासियों को हट जाने का इशारा किया और अपने हाथ से कौर उठा- उठा कर उसे खिलाना शुरू किया। खाने के बाद सुंदरी की परिचारिकाएँ आईं और नाचने- गाने लगीं। मेरा भाई भी उन लोगों के साथ नाचने-गाने लगा। केवल वह सुंदरी ही चुपचाप बैठी रही।

नाच-गाना समाप्त होने के बाद सब सेविकाएँ बैठ कर आराम करने लगीं। मेरे भाई को उस सुंदरी ने एक गिलास भर कर शराब दी और एक गिलास खुद पी। मेरे भाई ने कृतज्ञतावश खड़े हो कर पिया क्योंकि स्वयं अपने हाथों से मदिरा दे कर सुंदरी ने उसे सम्मानित किया था। सुंदरी ने उसे अपने पास बिठाया। वह सलाम कर के बैठ गया। सुंदरी ने उसके गले में बाँह डाल दी और उसके मुँह पर धीरे-धीरे तमाचे मारने लगी।

मेरा भाई स्वयं को संसार का सबसे भाग्यशाली मनुष्य समझ रहा था कि ऐसी सुंदर और धनवान स्त्री उसे इतना प्यार दे रही है। किंतु अचानक ही उस स्त्री ने उसे जोर-जोर से तमाचे मारना शुरू कर दिया। अब वह बिगड़ कर उस सुंदरी से दूर जा बैठा। बुढ़िया भी कुछ दूर पर मौजूद थी। वह इशारा करने लगी कि तुम नाराज हो कर ठीक नहीं कर रहे हो, मैं ने तुम से क्या कहा था। मेरा मूर्ख भाई फिर उस सुंदरी के पास जा कर बैठ गया और कहने लगा कि आप यह न समझें कि मैं नाराज हो कर आप से दूर जा बैठा था। दरअसल दूसरी ही बात थी। उस सुंदरी ने उसका हाथ पकड़ कर अपने पास बिठा लिया।

सुंदरी ने प्रकट में तो उस पर बड़ी कृपा की किंतु अपनी दासियों को इशारा कर दिया और वे उसे भाँति-भाँति से दुखी करे लगीं। उन्होंने मेरे भाई को बिल्कुल विदूषक बना डाला। कोई उस की नाक पकड़ कर खींचती कोई उसके सिर पर धौलें मारती। इसी बीच मौका पा कर मेरे भाई ने बुढ़िया से कहा कि तुम ठीक कहती थीं, ऐसे विचित्र स्वभाव की स्त्री कहीं संसार में नहीं मिलेगी और तुम भी देखो कि मैं इन लोगों को प्रसन्न करने के लिए कैसे-कैसे दुख सह रहा हूँ। उसने कहा कि अभी देखते जाओ क्या होता है।

फिर उस सुंदरी ने मेरे भाई से कहा, तुम तो बड़े बिगड़ैल जान पड़ते हो। हम लोग जरा-सा हँसी-मजाक करते है तो तुम बुरा मान जाते हो। हम तो तुम से खुश हैं और तुम पर मेहरबानियाँ करना चाहते हैं और तुम्हारे मिजाज ही नहीं मिलते। मेरे भाई ने कहा, नहीं मेरी सरकार, ऐसी कोई बात नहीं है। मैं आपकी प्रसन्नता के लिए प्रस्तुत हूँ। जैसा चाहेंगी वैसा ही करूँगा। जब उस स्त्री ने देखा कि वह निपट मूर्ख उसके कहने में पूरी तरह आ गया और हर बात बर्दाश्त कर लेगा तो उसके गले में बाँहें डाल कर कहने लगी कि अगर तुम वास्तव में हमें प्रसन्न करना चाहते हो तो हमारी तरह हो जाओ। मूर्ख बकबारह बिल्कुल न समझा कि उसका क्या तात्पर्य है।

उस मदमाती नवयौवना ने अपनी सेविकाओं से कहा कि गुलाब जल और इत्र- फुलेल लाओ ताकि हम अपने मेहमान का आदर-सत्कार करें। यह चीजें आने पर उसने अपने हाथ से मेरे भाई पर गुलाब जल छिड़का और उसके कपड़ों पर इत्र लगाया। वह यह सब देख कर फूला नहीं समाता था। फिर उस सुंदरी ने अपनी सेविकाओं को फिर राग रंग की आज्ञा दी और उन्होंने फिर नाचना-गाना शुरू किया। फिर उसने दासियों से कहा कि इस आदमी को दूसरे कमरे में ले जाओ और जिस तरह मैं चाहती हूँ इसे सजा-सँवार कर ले आओ। बकबारह यह सुन कर बुढ़िया के पास गया और पूछा कि यह लोग मेरे साथ क्या करेंगी। उसने कहा, यह सुंदरी तुम्हें स्त्री रूप में देखना चाहती हैं। अब यह परिचारकाएँ तुम्हारी भौंहों को रंग कर सजाएँगी और तुम्हारी मूँछें मूड़ कर तुम्हें स्त्रियों जैसे वस्त्र पहनाएँगी।

बकबारह ने कहा, स्त्रियों के कपड़े मैं पहन लूँगा और भौंहें भी रँगवा लूँगा क्योंकि उन्हें पानी से धो सकता हूँ किंतु मूँछें नहीं मुड़वाऊँगा। इससे तो मेरी सूरत बड़ी अजीब लगेगी। बुढ़िया ने कहा, इस मामले में कोई बहस या कोई जिद न करना। यह सुंदरी तुम पर मोहित है। तुम से जरा-सा हँसी-ठट्ठा करना चाहती है तो कर लेने दो, क्या हर्ज है। यह तुम्हें इतना धन देगी जिसकी तुम कल्पना भी नहीं कर सकते। इस मामले में अगर तुमने हुज्जत की तो सारा मामला खराब हो जाएगा। तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा।

इस पर वह बेचारा राजी हो गया और दासियों से कहने लगा कि मेरे साथ जो चाहो वह करो। दासियाँ उसे दूसरे कमरे में ले गईं। उन्होंने तरह-तरह से उस की भौंहों को रँगा और उस की मूँछें मूँड़ दीं। फिर उन्होंने उस की दाढ़ी मूँड़नी चाही तो उसने फिर प्रतिरोध किया। वे कहने लगीं कि यदि दाढ़ी बचानी थी तो मूँछें क्यों मुड़वाईं, स्त्रियों के वस्त्रों के साथ दाढ़ी कैसे चलेगी। अब वह बेचारा दाढ़ी मुड़वाने को भी तैयार हो गया। दासियों ने उस की दाढ़ी मूड़ कर उसे स्त्रियों के कपड़े पहनाए। इसके बाद वे उसे सुंदरी के पास ले आईं। वह इसका यह रूप देख कर हँसते-हँसते लोट-पोट हो गई। उसने कहा, तुम ने यहाँ तक मेरी बात मानी है तो एक बात और मान लो। तुम सर पर हाथ रख कर और नाक पर उँगली रख कर स्त्रियों की भाँति नाच कर दिखाओ। वह उसी प्रकार नाचने लगा। सारी सेविकाएँ यहाँ तक कि गृहस्वामिनी भी उसके साथ नाचने लगी। वे सब इस तमाशे पर हँसते-हँसते पागल-सी होती जा रही थीं।

उन स्त्रियों ने उसे केवल नचाया ही नहीं, और भी दुर्गति की। उन्होंने उसके हाथ-पाँव बाँध दिए, उसे खूब थप्पड़ और लातें मारीं और उसे उठा-उठा कर एक दूसरे पर फेंकने लगीं। यह देख कर बुढ़िया ने पूर्व योजनानुसार उन सब को डाँटा कि यह बेहूदगी बंद करो। अभिप्राय यह था कि वह बुढ़िया को हितचिंतक समझे और उसके कहने से और तमाशे करे।

अब बुढ़िया ने उसे एक ओर ले जा कर कहा, तुम्हें दुखी तो बहुत किया गया किंतु अब केवल एक बात ही रह गई है। उसमें सफल हो गए तो पौ बारह समझो। यह सुंदरी जब किसी पर प्रसन्न होती है तो उसके साथ एक खेल जरूर करती है। शराब पीने के बाद यह उस व्यक्ति को, उसके सारे कपड़े उतरवा कर और कमर पर एक छोटा कपड़ा भर बँधवा कर अपने सामने बुलाती है और उसके आगे दौड़ती हुई उससे कहती है कि मुझे पकड़ो और कमरे-कमरे और दालान-दालान में दौड़ती फिरती है। जब वह थक कर खड़ी हो जाती है और वह व्यक्ति उसे पकड़ लेता है तो उस की बाँहों में चली जाती है।

अतएव मेरे भाई ने एक लँगोट को छोड़ कर सारे कपड़े उतार डाले और वह स्त्री उससे बीस कदम आगे भागने लगी। भागते-भागते वह उसे एक बिल्कुल अँधेरे कमरे में ले गई। वह स्वयं तो न जाने कहाँ निकल गई, वह बेचारा अँधेरे में भटकता रहा।

अंत में एक ओर प्रकाश देख कर वह उधर दौड़ा। वह पिछवाड़े का दरवाजा था। मेरा भाई वहाँ से ज्यों ही निकला कि वह द्वार बंद हो गया। पिछवाड़े की गली में चर्मकार रहते थे। उन्होंने एक दाढ़ी, मूँछ मुड़ाए, भौंहे रँगाए, लँगोट पहने आदमी को देखा तो उन्हें आश्चर्य हुआ और शरारत भी सूझी। उन्होंने हँसना और तालियाँ बजाना और चपतियाना शुरू किया। फिर वे एक गधा पकड़ लाए और उस पर उसे बिठा दिया और बाजार की तरफ ले जाने लगे। मेरे भाई के दुर्भाग्य से रास्ते में काजी का घर पड़ता था। काजी ने शोर सुन कर अपने नौकर से पुछवाया कि क्या बात है।

नौकरों ने सब लोगों को काजी के सामने ला खड़ा किया। काजी के पूछने पर चर्मकारों ने कहा, सरकार, हमने इस आदमी को इसी दशा में उस गली में पाया जो मंत्री के महल के पिछवाड़े खुलती है। यह वहीं घूम रहा था। काजी ने मंत्री के महल का नाम सुन कर कहा, यह पागल और खतरनाक आदमी मालूम होता है। इसे लिटा कर इसके पाँव उठवा कर तलवों पर सौ डंडे मारे जाएँ और उसके बाद इसे शहर से निकाल दिया जाए। इसके बाद इसके नगर में प्रवेश पर हमेशा के लिए रोक लगा दी जाए। अतएव ऐसा ही किया गया।

इसके बाद नाई ने कहा कि सरकार, यह मेरे दूसरे भाई बकबारह की कहानी है जो मैं ने आपको सुनाई है। अब मैं आपको अपने तीसरे भाई की कहानी सुनाता हूँ। यह कह कर बगैर खलीफा की अनुमति लिए वह कहानी सुनाने लगा। 

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रचनाएँ
अलिफ लैला
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अलिफ लैला की कहानी अरब देश की एक प्रचलित लोक कथा है जो पूरी दुनिया में सदियों से सुनी व पढ़ी जाती रही है। ... इस कथा के अनुसार, बादशाह शहरयार अपनी मलिका की बेवपफाई से दुःखी होकर उसका और उसकी सभी दासियों का कत्ल कर देता है और प्रतिज्ञा करता है कि रोजाना एक स्त्री के साथ विवाह करूंगा और अगली सुबह उसे कत्ल कर दूंगा।
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भूमिका

29 जनवरी 2022
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भूमिका (1)-अलिफ़ लैला सहस्र-रजनी चरित्र, जो अब भी भारत में अपने अरबी नाम 'अल्फ लैला' के प्रचलित बिगड़े हुए रूप 'अलिफ लैला' के नाम से अधिक जाना जाता है, वास्तव में लोक कथाओं का ऐसा संग्रह है जिसकी लोक

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शहरयार और शाहजमाँ

29 जनवरी 2022
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फारस देश भी हिंदुस्तान और चीन के समान था और कई नरेश उसके अधीन थे। वहाँ का राजा महाप्रतापी और बड़ा तेजस्वी था और न्यायप्रिय होने के कारण प्रजा को प्रिय था। उस बादशाह के दो बेटे थे जिनमें बड़े लड़के का

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किस्सा गधे, बैल और उनके मालिक

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एक बड़ा व्यापारी था जिसके गाँव में बहुत-से घर और कारखाने थे जिनमें तरह-तरह के पशु रहते थे। एक दिन वह अपने परिवार सहित कारखानों को देखने के लिए गाँव गया। उसने अपनी पशुशाला भी देखी जहाँ एक गधा और एक बैल

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किस्सा व्यापारी और दैत्य का-

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा : प्राचीन काल में एक अत्यंत धनी व्यापारी बहुत-सी वस्तुओं का कारोबार किया करता था। यद्यपि प्रत्येक स्थान पर उसकी कोठियाँ, गुमाश्ते और नौकर-चाकर रहते थे तथापि वह स्वयं भी व्यापार के लिए द

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किस्सा बूढ़े और उसकी हिरनी का

29 जनवरी 2022
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वृद्ध बोला, 'हे दैत्यराज, अब ध्यान देकर मेरा वृत्तांत सुनें। यह हिरनी मेरे चचा की बेटी और मेरी पत्नी है। जब यह बारह वर्ष की थी तो इसके साथ मेरा विवाह हुआ। यह अत्यंत पतिव्रता थी और मेरे प्रत्येक आदेश क

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किस्सा तीसरे बूढ़े का जिसके साथ एक खच्चर था

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तीसरे बूढ़े ने कहना शुरू किया : 'हे दैत्य सम्राट, यह खच्चर मेरी पत्नी है। मैं व्यापारी था। एक बार मैं व्यापार के लिए परदेश गया। जब मैं एक वर्ष बाद घर लौटकर आया तो मैंने देखा कि मेरी पत्नी एक हब्शी गुल

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मछुवारे की कहानी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि हे स्वामी, एक वृद्ध और धार्मिक प्रवृत्ति का मुसलमान मछुवारा मेहनत करके अपने स्त्री-बच्चों का पेट पालता था। वह नियमित रूप से प्रतिदिन सवेरे ही उठकर नदी के किनारे जाता और चार बार नदी मे

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गरीक बादशाह और हकीम दूबाँ की कथा

29 जनवरी 2022
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फारस देश में एक रूमा नामक नगर था। उस नगर के बादशाह का नाम गरीक था। उस बादशाह को कुष्ठ रोग हो गया। इससे वह बड़े कष्ट में रहता था। राज्य के वैद्य-हकीमों ने भाँति-भाँति से उसका रोग दूर करने के उपाय किए क

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भद्र पुरुष और उसके तोते की कथा

29 जनवरी 2022
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पूर्वकाल में किसी गाँव में एक बड़ा भला मानस रहता था। उसकी पत्नी अतीव सुंदरी थी और भला मानस उससे बहुत प्रेम करता था। अगर कभी घड़ी भर के लिए भी वह उसकी आँखों से ओझल होती थी तो वह बेचैन हो जाता था। एक बा

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अमात्य की कहानी

29 जनवरी 2022
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प्राचीन समय में एक राजा था उसके राजकुमार को मृगया का बड़ा शौक था। राजा उसे बहुत चाहता था, राजकुमार की किसी इच्छा को अस्वीकार नहीं करता था। एक दिन राजकुमार ने शिकार पर जाना चाहा। राजा ने अपने एक अमात्य

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काले द्वीपों के बादशाह की कहानी

29 जनवरी 2022
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उस जवान ने अपना वृत्तांत कहना आरंभ किया। उसने कहा 'मेरे पिता का नाम महमूद शाह था। वह काले द्वीपों का अधिपति था, वे काले द्वीप चार विख्यात पर्वत हैं। उसकी राजधानी उसी स्थान पर थी जहाँ वह रंगीन मछलियों

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किस्सा तीन राजकुमारों और पाँच सुंदरियों का

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शहरजाद की कहानी रात रहे समाप्त हो गई तो दुनियाजाद ने कहा - बहन, यह कहानी तो बहुत अच्छी थी, कोई और भी कहानी तुम्हें आती है? शहरजाद ने कहा कि आती तो है किंतु बादशाह की अनुमति हो तो कहूँ। बादशाह ने अनुमत

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मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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मजदूर बोला, 'हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया।

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मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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मजदूर बोला, 'हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया।

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पहले फकीर की कहानी

29 जनवरी 2022
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पहले फकीर ने अदब से घुटनों के बल खड़े होकर कहा 'सुंदरी, अब ध्यान लगाकर सुनो कि मेरी आँख किस प्रकार गई और मैं क्यों फकीर बना। मैं एक बड़े बादशाह का बेटा था। बादशाह का भाई यानी मेरा चचा भी एक समीपवर्ती

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दूसरे फकीर की कहानी

29 जनवरी 2022
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अभी पहले फकीर की अद्भुत आप बीती सुनकर पैदा होने वाले आश्चर्य से लोग उबरे नहीं थे कि जुबैदा ने दूसरे फकीर से कहा कि तुम बताओ कि तुम कौन हो और कहाँ से आए हो। उसने कहा कि आपकी आज्ञानुसार मैं आप को बताऊँग

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भले आदमी और ईर्ष्यालु पुरुष

29 जनवरी 2022
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किसी नगर में दो आदमियों का घर एक दूसरे से लगा हुआ था। उनमें से एक पड़ोसी दूसरे के प्रति ईर्ष्या और द्वेष रखता था। भले मानस ने सोचा कि मकान छोड़कर कहीं जा बसूँ क्योंकि मैं इस आदमी के प्रति उपकार करता ह

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किस्सा तीसरे फकीर का

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हे दयालु सुंदरी, मेरी कहानी बहुत ही आश्चर्यकारी है। इन दोनों शहजादों की दाहिनी आँखें परिस्थितिवश गईं किंतु मेरी आँख मेरी ही मूर्खता और मेरे ही अपराध के कारण फूटी। मैं इसका विस्तृत वर्णन करता हूँ। मेरा

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किस्सा जुबैदा का

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जुबैदा ने खलीफा के सामने सर झुका कर निवेदन किया है राजाधिराज, मेरी कहानी बड़ी ही विचित्र है, आपने इस प्रकार की कोई कहानी नहीं सुनी होगी। मैं और वे दोनों काली कुतियाँ तीनों सगी बहिनें हैं और यह दो स्त्

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किस्सा अमीना का

29 जनवरी 2022
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अमीना ने कहा, 'जुबैदा की कहानी आप उसके मुँह से सुन चुके, अब मैं अपनी कहानी आपके सम्मुख प्रस्तुत करती हूँ। मेरी माँ मुझे लेकर अपने घर में आई कि रँड़ापे का अकेलापन उसे न खले। फिर उसने मेरा विवाह इसी नगर

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सिंदबाज जहाजी की कहानी

29 जनवरी 2022
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जब शहरजाद ने यह कहानी पूरी की तो शहरयार ने, जिसे सारी कहानियाँ बड़ी रोचक लगी थीं, पूछा कि तुम्हें कोई और कहानी भी आती हैं। शहरजाद ने कहा कि बहुत कहानियाँ आती हैं। यह कह कर उसने सिंदबाद जहाजी की कहानी

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सिंदबाद जहाजी की पहली यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा कि मैंने अच्छी-खासी पैतृक संपत्ति पाई थी किंतु मैंने नौजवानी की मूर्खताओं के वश में पड़कर उसे भोग-विलास में उड़ा डाला। मेरे पिता जब जीवित थे तो कहते थे कि निर्धनता की अपेक्षा मृत्यु श्र

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सिंदबाद जहाजी की दूसरी यात्रा

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मित्रो, पहली यात्रा में मुझ पर जो विपत्तियाँ पड़ी थीं उनके कारण मैंने निश्चय कर लिया था कि अब व्यापार यात्रा न करूँगा और अपने नगर में सुख से रहूँगा। किंतु निष्क्रियता मुझे खलने लगी, यहाँ तक कि मैं बेच

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सिंदबाद जहाजी की तीसरी यात्रा

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सिंदबाद ने कहा कि घर आकर मैं सुखपूर्वक रहने लगा। कुछ ही दिनों में जैसे पिछली दो यात्राओं के कष्ट और संकट भूल गया और तीसरी यात्रा की तैयारी शुरू कर दी। मैंने बगदाद से व्यापार की वस्तुएँ लीं और कुछ व्या

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सिंदबाद जहाजी की चौथी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा, कुछ दिन आराम से रहने के बाद मैं पिछले कष्ट और दुख भूल गया था और फिर यह सूझी कि और धन कमाया जाए तथा संसार की विचित्रताएँ और देखी जाएँ। मैंने चौथी यात्रा की तैयारी की और अपने देश की वे व

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सिंदबाद जहाजी की पाँचवी यात्रा

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सिंदबाद ने कहा कि मेरी विचित्र दशा थी। चाहे जितनी मुसीबत पड़े मैं कुछ दिनों के आनंद के बाद उसे भूल जाता था और नई यात्रा के लिए मेरे तलवे खुजाने लगते थे। इस बार भी यही हुआ। इस बार मैंने अपनी इच्छानुसार

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सिंदबाद जहाजी की छठी यात्रा

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सिंदबाद ने हिंदबाद और अन्य लोगों से कहा कि आप लोग स्वयं ही सोच सकते हैं कि मुझ पर कैसी मुसीबतें पड़ीं और साथ ही मुझे कितना धन प्राप्त हुआ। मुझे स्वयं इस पर आश्चर्य होता था। एक वर्ष बाद मुझ पर फिर यात्

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सिंदबाद जहाजी की सातवीं यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा, दोस्तो, मैंने दृढ़ निश्चय किया था कि अब कभी जल यात्रा न करूँगा। मेरी अवस्था भी इतनी हो गई थी कि मैं कहीं आराम के साथ बैठ कर दिन गुजारता। इसीलिए मैं अपने घर में आनंदपूर्वक रहने लगा। एक

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एक स्त्री और तीन नौकरों का वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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शहरयार को सिंदबाद की यात्राओं की कहानी सुन कर बड़ा आनंद हुआ। उसने शहरजाद से और कहानी सुनाने को कहा। शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद का नियम था कि वह समय-समय पर वेश बदल कर बगदाद की सड़कों पर प्रजा का

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जवान और मृत स्त्री

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उस जवान ने कहा कि 'मृत स्त्री मेरी पत्नी और इन वृद्ध सज्जन की बेटी थी और यह मेरे चचा हैं। ग्यारह वर्ष पूर्व उससे मेरा विवाह हुआ था। हमारे तीन बेटे हैं जो जीवित हैं। मेरी पत्नी अत्यंत सुशील और पतिव्रता

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नूरुद्दीन अली और बदरुद्दीन हसन

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मंत्री जाफर ने कहा कि पहले जमाने में मिस्र देश में एक बड़ा प्रतापी और न्यायप्रिय बादशाह था। वह इतना शक्तिशाली था कि आस-पड़ोस के राजा उससे डरते थे। उसका मंत्री बड़ा शासन- कुशल, न्यायप्रिय और काव्य आदि

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काशगर के दरजी और बादशाह के कुबड़े सेवक

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दूसरी रात को मलिका शहरजाद ने पिछले पहर अपनी बहन दुनियाजाद के कहने से यह कहानी सुनाना आरंभ किया। पुराने जमाने में तातार देश के समीपवर्ती नगर काशगर में एक दरजी था जो अपनी दुकान में बैठ कर कपड़े सीता था।

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ईसाई द्वारा सुनाई गई

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ईसाई ने कहा, मैं मिस्र की राजधानी काहिरा का निवासी हूँ। मेरा बाप दलाल था। उस के पास काफी पैसा हो गया। उस ने मरने के बाद मैं ने भी वही व्यापार आरंभ किया। एक दिन मैं अनाज की मंडी में अपने दैनिक व्यापार

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अनाज के व्यापारी

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अनाज का व्यापारी बोला कि कल मैं एक धनी व्यक्ति की पुत्री के विवाह में गया था। नगर के बहुत-से प्रतिष्ठित व्यक्ति उसमें शामिल थे। शादी की रस्में पूरी होने पर दावत हुई और नाना प्रकार के व्यंजन परोसे गए।

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उस आदमी की कहानी जिसके चारों अँगूठे कटे थे

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उस ने कहा कि दोस्तो, मेरा पिता बगदाद का रहनेवाला था और खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में था। मैं भी उसी समय पैदा हुआ। मेरा पिता यद्यपि धनवान तथा बड़े व्यापारियों में गिना जाता था तथापि वह बहुत ही विलासी औ

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यहूदी हकीम द्वारा वर्णित

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यहूदी हकीम ने बादशाह के सामने झुक कर जमीन चूमी और कहा कि पहले मैं दमिश्क नगर में हकीमी किया करता था। अपनी चिकित्सा विधि के कारण वहाँ मेरी बड़ी प्रतिष्ठा हो गई थी। एक दिन वहाँ के हाकिम ने मुझ से कहा कि

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काशगर के बादशाह के सामने दरजी की कथा

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दरजी ने कहा कि इस नगर के व्यापारी ने एक बार अपने मित्रों को भोज दिया और उनके लिए भाँति-भाँति के व्यंजन बनवाए। मुझे भी बुलाया गया। मैं जब वहाँ पहुँचा तो देखा कि बहुत-से निमंत्रित लोग मौजूद हैं किंतु मक

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लँगड़े आदमी की कहानी

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मेरा पिता बगदाद के सम्मानित व्यक्तियों में से था और हम लोग आनंदपूर्वक वहाँ रह रहे थे। मैं अपने पिता का अकेला बेटा था। जिस समय मेरे पिता की मृत्यु हुई उस समय तक मैं न केवल विद्याध्ययन पूरा कर चुका था ब

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दरजी की जबानी नाई की कहानी

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खलीफा हारूँ रशीद के काल में बगदाद के आसपास दस कुख्यात डाकू थे जो राहगीरों को लूटते ओर मार डालते थे। खलीफा ने प्रजा के कष्ट का विचार कर के कोतवाल से कहा कि उन डाकुओं को पकड़ कर लाओ वरना मैं तुम्हें प्र

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नाई के कुबड़े भाई

29 जनवरी 2022
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सरकार, मेरा सबसे बड़ा भाई जिसका नाम बकबक था, कुबड़ा था। उसने दरजीगीरी सीखी और जब यह काम सीख लिया तो उसने अपना कारबार चलाने के लिए एक दुकान किराए पर ली। उस की दुकान के सामने ही एक आटा चक्कीवाले की दुका

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नाई के दूसरे भाई बकबारह की कहानी

29 जनवरी 2022
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दूसरे रोज खलीफा के सामने पहुँच कर मैं ने कहा कि मेरा दूसरा भाई बकबारह पोपला है। एक दिन उससे एक बुढ़िया ने कहा, मैं तुम्हारे लाभ की एक बात कहती हूँ। एक बड़े घर की स्वामिनी तुम से आकृष्ट है। मैं तुम्हें

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नाई के तीसरे भाई अंधे बूबक की कहानी

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा, सरकार, मेरा तीसरा भाई बूबक था जो बिल्कुल अंधा था। वह बड़ा अभागा था। वह भिक्षा से जीवन निर्वाह करता था। उसका नियम था कि अकेला ही लाठी टेकता हुआ भीख माँगने जाता और किसी दानी का द्वार खटखटा क

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नाई के चौथे भाई काने अलकूज

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि मेरा चौथा भाई काना था और उसका नाम अलकूज था। अब यह भी सुन लीजिए कि उसकी एक आँख किस प्रकार गई। मेरा भाई कसाई का काम करता था। उसे भेड़-बकरियों की अच्छी पहचान थी। वह मेढ़ों को लड़ाने के लिए

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नाई के पाँचवें भाई अलनसचर

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि मेरे पाँचवें भाई का नाम अलनसचर था। वह बड़ा आलसी और निकम्मा था। वह रोज किसी न किसी मित्र के पास जा कर बेशर्मी से कुछ भीख माँग लेता और खा-पी कर पड़ा रहता। मेरा बाप कुछ समय बाद बूढ़ा हो कर

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नाई के छठे भाई कबक जिसके होंठ खरगोश की तरह के थे

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि अब मेरे आखिरी भाई शाह कबक का वृत्तांत रह गया है। इसे भी सुन लीजिए, फिर मैं आप से विदा लूँ। इस भाई का नाम शाह कबक था और उसके होंठ खरगोश की तरह ऊपर को चढ़े हुए थे और वह चलता भी खरगोश की तर

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शहजादा अबुल हसन और हारूँ रशीद की प्रेयसी शमसुन्निहार

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के शासनकाल में बगदाद में एक अत्यंत धनाढ्य और सुसंस्कृत व्यापारी रहता था। वह शारीरिक रूप से तो सुंदर था ही, मानसिक रूप से और भी सुंदर था। वहाँ के अमीर-उमरा उसका बड़ा मान करते। यहाँ तक

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कमरुज्जमाँ और बदौरा

29 जनवरी 2022
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फारस देश में बीस दिन की राह पर एक देश खलदान है। उस देश में कई टापू भी शामिल हैं। बहुत दिन पहले वहाँ का बादशाह शाहजमाँ था। उसके चार पत्नियाँ थीं और सात विशेष दासियाँ। वह बड़ा प्रतापी राजा था, उसके दे

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नूरुद्दीन और पारस देश की दासी

29 जनवरी 2022
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अगली सुबह से पहले शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि पहले जमाने में बसरा बगदाद के अधीन था। बगदाद में खलीफा हारूँ रशीद का राज था और उसने अपने चचेरे भाई जुबैनी को बसरा का हाकिम बनाया था। जुबैनी के

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ईरानी बादशाह बद्र और शमंदाल की शहजादी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि बादशाह सलामत, ईरान बहुत बड़ा देश है। पुराने जमाने में वहाँ बड़े शक्तिशाली और प्रतापी नरेश हुआ करते थे और उन्हें शहंशाह यानी बादशाहों का बादशाह कहा जाता था। उसी काल का वहाँ का एक बादशा

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गनीम और फितना

29 जनवरी 2022
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दुनियाजाद ने मलिका शहरजाद से नई कहानी सुनाने को कहा और बादशाह शहरजाद ने भी अपनी मौन स्वीकृति दे दी तो शहरजाद ने नई कहानी शुरू कर दी। उसने कहा कि पुराने जमाने में दमिश्क नगर में एक व्यापारी रहता था जिस

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शहजादा जैनुस्सनम और जिन्नों के बादशाह

29 जनवरी 2022
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पुराने जमाने में बसरा में एक बड़ा ऐश्वर्यवान और न्यायप्रिय बादशाह राज करता था। उसे सबकुछ प्राप्त था किंतु उसे बहुत दिनों तक कोई संतान नहीं हुई जिससे वह बहुत दुखी रहता था। नगर निवासी भी बादशाह के साथ म

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शहजादा खुदादाद और दरियाबार की शहजादी-

29 जनवरी 2022
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उपर्युक्त कहानी के मध्य में एक यात्रा में जैनुस्सनम के दरियाबार देश मे जाने का भी उल्लेख है। वहाँ की एक चित्ताकर्षक कथा उस ने सुनी थी। वह कथा भी इस जगह कही जाती है। हैरन नगर में एक बड़ा प्रतापी बादशा

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दरियाबार की शहजादी

29 जनवरी 2022
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उस सुंदरी ने कहा कि काहिरा के निकट दरियाबार नाम एक द्वीप है। उस का बादशाह सब प्रकार से सुखी था किंतु उसे संतान न होने का बड़ा दुख था। वर्षों की प्रार्थनाओं और सिद्धों के आशीर्वादों से उस के यहाँ एक पु

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सोते-जागते आदमी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में बगदाद में एक धनी व्यापारी था। उस का एक ही पुत्र था जिसका नाम अबुल हसन था। व्यापारी बड़ा कंजूस था। वह धन एकत्र ही करता था, खर्च बहुत कम करता था। इसलिए जब

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अलादीन और जादुई चिराग

29 जनवरी 2022
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चीन की राजधानी में मुस्तफा नाम का एक दरजी रहता था। वह गरीब आदमी था और बड़ी कठिनाई से अपने परिवारवालों का पेट भरता था। उस के पुत्र का नाम अलादीन था जो कुछ काम-काज नहीं करता था सिर्फ खेल-कूद में समय ब

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खलीफा हारूँ रशीद और बाबा अब्दुल्ला

29 जनवरी 2022
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दुनियाजाद के प्रस्ताव और शहरयार की अनुमति से नई कहानी प्रारंभ करते हुए शहरजाद ने कहा कि कभी-कभी आदमी का चित्त प्रसन्न होता है और उसकी कोई साफ वजह भी नहीं होती। ऐसी स्थिति भी होती है जब आदमी खुश तो होत

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अंधे बाबा अब्दुल्ला

29 जनवरी 2022
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बाबा अब्दुल्ला ने कहा कि मैं इसी बगदाद नगर में पैदा हुआ था। मेरे माँ बाप मर गए तो उनका धन उत्तराधिकार में मैंने पाया। वह धन इतना था कि उससे मैं जीवन भर आराम से रह सकता था किंतु मैंने भोग-विलास में सार

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सीदी नोमान

29 जनवरी 2022
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भिखारी की कहानी सुनने के बाद खलीफा ने बराबर घोड़ी दौड़ानेवाले पर ध्यान दिया और उससे पूछा कि तुम्हारा क्या नाम है। उसने अपना नाम सीदी नोमान बताया। खलीफा ने कहा, मैंने बहुत-से घुड़सवारों और साईसों को दे

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ख्वाजा हसन हव्वाल

29 जनवरी 2022
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ख्वाजा हसन ने कहा कि मैं अपनी बात बताने के पहले अपने दो मित्रों के बारे में बताना चाहता हूँ। वे अभी जीवित हैं और यहीं बगदाद में रहते हैं। वे मेरे प्रत्येक कथन की पुष्टि करेंगे। उनमें से एक का नाम सादी

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अलीबाबा और चालीस लुटेरों की कहानी

29 जनवरी 2022
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अगली रात को मलिका शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि फारस देश में कासिम और अलीबाबा नाम के दो भाई रहते थे। उन्हें पैतृक संपत्ति थोड़ी ही मिली थी। किंतु कासिम का विवाह एक धनी-मानी व्यक्ति की पुत्री

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बगदाद के व्यापारी अली ख्वाजा

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के राज्य काल में बगदाद में अलीख्वाजा नामक एक छोटा व्यापारी रहता था। वह अपने पुश्तैनी मकान में, जो छोटा-सा ही था, अकेला रहता था। उसने विवाह नहीं किया था और उसके माता पिता की भी मृत्यु

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यंत्र के घोड़े

29 जनवरी 2022
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बादशाह सलामत, आपको यह मालूम ही है कि हजारों वर्ष से फारस में नौरोज यानी वर्ष का प्रथम दिवस बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। उसमें सभी लोग विशेषतः अग्निपूजक, भाँति-भाँति के नृत्यों और खेल-तमाशों का आय

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शहजादा अहमद और परीबानू

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा, बादशाह सलामत, पुराने जमाने में हिंदोस्तान का एक बादशाह बड़ा प्रतापी और ऐश्वर्यवान था। उसके तीन बेटे थे। बड़े का नाम हुसैन, मँझले का अली और छोटे का अहमद था। बादशाह का एक भाई जब मरा तो उस

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ईर्ष्यालु बहनों की कहानी

29 जनवरी 2022
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पुराने जमाने में फारस में खुसरो शाह नामी शहजादा था। वह रातों को अक्सर भेस बदल कर सिर्फ एक सेवक को अपने साथ रख कर नगर की सैर किया करता था और संसार की विचित्र बातें देख कर अपना ज्ञान बढ़ाया करता था। ज

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बैल और गधा

29 जनवरी 2022
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एक बार एक सौदागर था जो बहुत अमीर था। उसके पास बहुत सारे नौकर चाकर और जानवर थे। उसकी एक पत्नी थी और परिवार था और वह अपने खाने पीने के लिये खेती करता था। उसके पास जंगली जानवरों और हर तरह की चिड़िया की बो

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भेड़िये और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक लोमड़ा और एक भेड़िया एक ही घर में रहते थे। भेड़िया बहुत ही बेरहम था जबकि लोमड़ा बहुत नरम दिल था। इसी तरह से रहते हुए उन्हें कुछ दिन हो गये कि एक दिन वह लोमड़ा भेड़िये से बोला — “अगर तुम इसी तरीके

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लोमड़े और कौए की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक लोमड़ा एक पहाड़ की एक गुफा में रहता था। जब भी उसको एक बच्चा पैदा होता और वह बड़ा हो जाता तो वह उसको खा जाता क्योंकि उसको भूख बहुत लगती थी। अगर वह अपने बच्चों को न खाता तो उसके वे बच्चे बड़े हो जाते और

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साही और कबूतर

29 जनवरी 2022
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एक बार एक साही एक खजूर के पेड़ के नीचे रहने के लिये आया। उसी पेड़ के ऊपर एक कबूतर अपनी पत्नी के साथ रहता था। साही ने सोचा कि यह कबूतर का जोड़ा तो इस पेड़ के फल खाता है पर मुझे इस पेड़ के फल खाने का कोई मौ

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बतख और कछुए की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक बतख बहुत ऊपर उड़ा और बहते हुए पानी में खड़ी एक चट्टान पर जा कर बैठ गया। जब वह वहाँ बैठा हुआ था तो पानी की एक लहर एक आदमी का ढाँचा उसके पास ला कर छोड़ गयी। बतख ने उसको ठीक से देखा तो उसको पता लग

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चुहिया और एक ततैये की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक चुहिया और एक मादा ततैया एक गरीब किसान के घर में एक साथ ही रहते थे। एक बार उस किसान का एक दोस्त बीमार पड़ गया तो डाक्टर ने उसको धुले तिल21 खाने की सलाह दी। सो उस किसान ने एक आदमी से अपने दोस्

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कौआ और बिल्ला

29 जनवरी 2022
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एक समय की बात है कि एक कौआ और एक बिल्ला दोनों आपस में बड़े गहरे दोस्त थे और साथ साथ रहते थे। एक दिन वे दोनों एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे कि उन्होंने एक चीते23 को अपनी तरफ आते हुए देखा। उनको उसके अपनी त

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चिड़ा और मोर

29 जनवरी 2022
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एक बार की बात है एक चिड़ा रोज सुबह सुबह चिड़ियों के राजा से मिलने जाता था और सारा दिन उसकी सेवा में खड़ा रहता था। वह सबसे पहले वहाँ पहुँचता था और सबसे बाद में वहाँ से वापस आता था। एक बार कुछ चिड़ियों ने

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मुर्गे और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक गाँव में एक शेख रहता था। उसकी अपने गाँव में बहुत अच्छी साख थी और वह एक बहुत ही समझदार आदमी था। उसके अपने पास बहुत सारे मुर्गे मुर्गियाँ थे। वह उनको बढ़ाने के लिये उनकी बहुत अच्छी देखभाल करता

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चिड़ियें, जानवर और बढ़ई

29 जनवरी 2022
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जानवरों की यह कहानी बहुत ही मजेदार है। हो सकता है कि तुम इसको बार बार पढ़ना पसन्द करो और हर किसी को खास करके अपने छोटे भाई बहिनों को बार बार सुनाना पसन्द करो। बहुत पुरानी बात है कि एक मोर अपनी पत्नी क

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