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दूसरे फकीर की कहानी

29 जनवरी 2022

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अभी पहले फकीर की अद्भुत आप बीती सुनकर पैदा होने वाले आश्चर्य से लोग उबरे नहीं थे कि जुबैदा ने दूसरे फकीर से कहा कि तुम बताओ कि तुम कौन हो और कहाँ से आए हो। उसने कहा कि आपकी आज्ञानुसार मैं आप को बताऊँगा कि मैं कौन हूँ, कहाँ से आया हूँ और मेरी आँख कैसे फूटी। मैं एक बड़े राजा का पुत्र था। बाल्यकाल ही से मेरी विद्यार्जन में गहरी रुचि थी। अतएव मेरे पिता ने दूर-दूर से प्रख्यात शिक्षक बुलाकर मेरी शिक्षा के लिए रखे। थोड़े ही समय में मैंने न केवल लिखना-पढ़ना सीख लिया बल्कि कुरान शरीफ भी कंठस्थ कर लिया। इसके अतिरिक्त नबी के कथनों यानी हदीसों और धर्म और दर्शनशास्त्र की शिक्षा भी प्राप्त कर ली। इसके अतिरिक्त भाँति-भाँति के कला- कौशल भी सीख लिए और इतिहास, पहेली और मनोरंजन वार्ता में भी पारंगत हो गया। मैंने काव्यशास्त्र और गणित में भी अच्छा अभ्यास कर लिया जैसा एक राजकुमार होने के नाते मुझसे आशा की जाती थी। इन सबके साथ ही मैंने सुलेखन में भी दक्षता प्राप्त कर ली और अरबी लिपि की सातों लेखन पद्धतियों का मुझे ऐसा अभ्यास हो गया कि मेरे जैसा सुलेखक दूर-दूर तक नहीं पाया जाता था।

इतने गुणों और कौशलों को प्राप्त करने पर भी मैं अपने दुर्भाग्य के लेख को न मिटा सका और इस दुरवस्था में पहुँच गया जो तुम लोग देख रही हो। हुआ यह कि मेरे विद्यार्जन और कला-कौशल में पारंगत होने की ख्याति जब दूर-दूर पहुँची तो हिंदोस्तान के बादशाह ने मुझे देखने की इच्छा प्रकट की। उसने मुझे भेंट करने के लिए एक दूत के हाथ बहुत-सी बहुमूल्य वस्तुएँ भेजीं और संदेशा भिजवाया कि मैं जाकर उससे मिलूँ। मेरे पिता इस बात से बड़े प्रसन्न हुए क्योंकि एक तो एक महान सम्राट से उनके संबंध बन रहे थे, फिर राजकुमार होने के नाते मुझे देश-देश की जानकारी और राजाओं-महाराजाओं से मेल-जोल बढ़ाना ही चाहिए था।

अतएव मैं अपने पिता की आज्ञानुसार थोड़ी-सी यात्रा की सामग्री और कुछ चुने हुए सेवक लेकर हिंदोस्तान की ओर रवाना हुआ क्योंकि बड़ी सेना ले आने की न तो आवश्यकता ही थी न यह बात उचित ही होती। कुछ दिन तक चलने के बाद हम लोगों को पचास के लगभग घुड़सवार डाकुओं ने घेर लिया और सबसे पहले वे दस घोड़े पकड़ लिए जिन पर मेरे पिता की ओर से हिंदोस्तान के बादशाह को भेंट में दी जाने वाली बहुमूल्य वस्तुएँ लदी थीं। मेरे सेवकों ने कुछ देर तक डाकुओं का सामना किया किंतु हार गए। मैंने यह सोचकर कि डाकुओं पर रोब पड़ेगा, उनसे कहा कि मैं हिंदोस्तान के बादशाह का दूत हूँ। उसने घृणापूर्वक कहा, हमें हिंदोस्तान के बादशाह की क्या परवा है; हम न तो उसके शासित देश में रहते हैं न उसके नौकर हैं। फिर उन डाकुओं ने हम लोगों पर आक्रमण किया। हम भी कुछ देर तक लड़े लेकिन उनका क्या सामना करते। मेरे कई साथी मारे गए और मैं भी घायल हो गया और मेरा घोड़ा भी। नितांत मैं जान बचाकर अपने घोड़े पर भाग निकला और डाकुओं की पहुँच से दूर हो गया। कुछ दूर तक दौड़ने के बाद मेरा घोड़ा भी थकन और घावों के कारण गिर कर मर गया। मैंने भगवान को धन्यवाद दिया कि माल-असबाब जाता रहा लेकिन जान तो बच गई।

किंतु मैं नितांत अकेला और द्रव्यहीन था। यह डर भी था कि कहीं डाकुओं ने देख लिया तो बगैर जान से मारे न रहेंगे। इसलिए किसी तरह कपड़ों की पट्टी फाड़कर अपने घाव बाँधे और एक ओर को चल दिया। शाम को एक पहाड़ की गुफा के पास पहुँचा और रात उसी गुफा में बिताई। सुबह को उठा, जंगली फल खाकर भूख मिटाई और चल पड़ा। कई दिन तक इसी तरह भटकता रहा। फिर एक बड़े नगर में पहुँच गया जो बड़ा सुशोभित लग रहा था। वहाँ एक नदी भी बहती थी जिससे वह प्रदेश हरा-भरा और धन- धान्य से पूर्ण था। मैं नंगे और बिवाइयों से फटे पाँव, बढ़े बालों और दाढ़ी तथा गंदे फटे वस्त्रों के साथ उस नगर में गया कि मालूम करूँ यह कौन-सा देश है और यहाँ से मेरा देश कितना दूर है।

यह सोचकर मैं एक आदमी के पास, जो सरकारी लिपिक था और शहर में आने-जाने वालों का हिसाब रखता था गया। उसने मेरा वृत्तांत पूछा और मैंने सब कुछ जो मुझ पर बीता था उसे बताया। उसने धैर्यपूर्वक मेरी बातें सुनीं किंतु फिर उसने जो कुछ कहा उससे मेरे हृदय में शांति आने की जगह भय भर गया। उसने कहा कि तुमने मुझे अपना पूरा हाल बता दिया है सो तो ठीक है लेकिन यहाँ के किसी और व्यक्ति को कुछ न बताना क्योंकि यहाँ का बादशाह तुम्हारे पिता का शत्रु है और उसे तुम्हारा पता चला तो तुम्हारे साथ बुरी बीतेगी।

मैंने उस बूढ़े लिपिक को बहुत धन्यवाद दिया कि उसने मुझ पर दया दिखाई और मुझे खतरे से चेतावनी दे दी। मैंने उससे वादा किया, अब मैं यहाँ के किसी आदमी को अपनी सच्ची कहानी नहीं बताऊँगा। वह लिपिक यह सुनकर प्रसन्न हुआ। मेरा भूख से बुरा हाल हो रहा था इसलिए उसने अपने घर से खाना लाकर मुझे खिलाया और वहीं एक कोने में लेटकर थकावट दूर करने को कहा। मैंने ऐसा ही किया। जब मेरे शरीर में शक्ति और स्फूर्ति आ गई तो मैं फिर उसके पास गया। उसने पूछा कि तुम्हें कोई हुनर ऐसा आता है जिससे तुम अपनी जीविका चला सको। मैंने साहित्य, काव्य, कला, व्याकरण, सुलेखन आदि की निपुणता की बात कही तो उसने कहा, यह सब यहाँ बेकार है, यहाँ विद्या की कोई पूछ नहीं, तुम्हें इस विद्या से एक पैसा भी यहाँ नहीं मिलेगा।

उसने कहा कि तुम शरीर से तगड़े हो, तुम्हें चाहिए कि एक जाँघिया पहन कर जंगल में चले जाओ और लकड़ियाँ काट कर शहर में लाकर बेचा करो। उससे तुम्हें इतनी आय तो हो ही जाएगी कि किसी का आश्रय लिए बगैर अपना खर्च चला लो। कुछ दिन इसी प्रकार दुख उठाकर मेहनत करके समय बिताओ। आशा है कि इसके बाद भगवान तुम पर कृपा करेगा और तुम फिर सुख-समृद्धि प्राप्त करोगे। मैं तुम्हारी इतनी सहायता कर दूँगा कि तुम्हें एक कुल्हाड़ी और एक रस्सी दे दूँ।

मरता क्या न करता। यद्यपि यह कार्य मेरे योग्य किसी प्रकार नहीं था फिर भी मैंने यह करना स्वीकार कर लिया क्योंकि कोई और रास्ता नही था। दूसरे दिन लिपिक ने मुझे एक जाँघिया, एक कुल्हाड़ी और एक रस्सा लाकर दे दिया और मेरा परिचय थोड़े- से लकड़हारों से करा दिया और कहा कि इस आदमी को भी लकड़ी काटने के लिए साथ ले जाया करो। मैं लकड़हारों के साथ जंगल में जाता और लकड़ियाँ काटकर उनका गट्ठा बना कर शहर में ला बेचने लगा। मुझे एक गट्ठे का मूल्य एक स्वर्ण मुद्रा मिलती थी। यद्यपि जंगल उस शहर से दूर था तथापि नगर निवासी बड़े आलसी थे और श्रम करने के अभ्यस्त न थे इसलिए लकड़ी शहर में बहुत महँगी मिलती थी। कुछ ही दिनों में मेरे पास काफी स्वर्ण मुद्राएँ हो गईं जिनमें से कुछ अपने उपकारी लिपिक को मैंने दे दीं।

इसी प्रकार मेरा एक वर्ष व्यतीत हो गया। एक दिन लकड़ी काटते-काटते अपने साधारण स्थान से आगे बढ़ गया। आगे का जंगल मुझे और अच्छा लगा। मैंने एक वृक्ष काटा। जब उसकी डालें और तना काट चुका तो मैंने उसकी जड़ भी काट कर ले जानी चाही। कुल्हाड़ी चलाते-चलाते मुझे एक लोहे का कड़ा दिखाई दिया। और मिट्टी हटाई तो देखा कि कड़ा लोहे के दरवाजे में लगा है।

मैंने जोर लगा कर उसे ऊपर उठाया तो नीचे जाती हुई सीढ़ियाँ दिखाई दीं। मैं रस्सा और कुल्हाड़ी सहित नीचे उतर गया। नीचे एक बड़ा मकान था जिसमें ऐसा प्रकाश हो रहा था जैसे वह धरती के ऊपर बना हो। मैं आगे बढ़ता गया तो देखा कि सामने एक बारादरी है जिसके पाए संगे-मूसा के बने हुए हैं और खंभे नीचे से ऊपर तक खालिस सोने के बने हैं। बारादरी में एक अत्यंत रूपवती स्त्री बैठी थी। मैंने उसे देखा तो ठगा-सा रह गया। मैंने उसके निकट जाकर अभिवादन किया।

स्त्री ने मुझ से पूछा, 'तुम कौन हो, मनुष्य या जिन्न?' मैंने सिर उठा कर कहा, 'हे सुंदरी, मैं मनुष्य हूँ, जिन्न नहीं हूँ।' वह स्त्री शोकयुक्त स्वर में बोली, 'तुम मनुष्य हो तो यहाँ मरने के लिए क्यों आए हो; मैं यहाँ पच्चीस वर्षों से रह रही हूँ और इस काल में तुम्हारे सिवाय और कोई मनुष्य नहीं देख सकी हूँ।' उस स्त्री के अनुपम रूप के साथ ही उसके स्वर की मधुरता का मुझ पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि कुछ देर तक मेरे मुँह से कोई बात नहीं निकली।

कुछ देर में स्वस्थ हो कर मैंने उस स्त्री से कहा, 'सुंदरी, मुझे तुम्हारा कुछ हाल नहीं मालूम किंतु तुम्हारे दर्शन मात्र से मुझे अतीव सुख मिला है और मैं अपना सारा दुख-दर्द भूल गया हूँ। मेरी अतीव इच्छा है कि तुम्हें यहाँ से छुड़ा दूँ क्योंकि यह स्पष्ट है कि तुम यहाँ सुखी नहीं हो।' और मैंने अपना सारा जीवन वृत्त उस स्त्री के समक्ष वर्णन किया। मेरा पूरा हाल सुनने के बाद वह स्त्री ठंडी साँस भर कर बोली, 'शहजादे, तुम ठीक कहते हो। यह मकान जादू का है और यहाँ प्रचुर धन और समस्त सुविधाएँ उपलब्ध हैं फिर भी मुझे यहाँ रहना तनिक भी पसंद नही। तुमने आबनूस के द्वीपों के बादशाह अबू तैमुरस का नाम सुना होगा। मैं उसकी बेटी हूँ। मेरे पिता ने मेरा विवाह अपने भतीजे के साथ कर दिया। जब मैं शादी के बाद अपने पति के घर जाने लगी तो रास्ते में मुझे एक दुष्ट जिन्न ने उड़ा लिया। मैं भय के कारण लगभग तीन पहर तक अचेत रही। जब मुझे होश आया तो मैंने अपने को इस मकान में पाया। अब केवल उसी जिन्न के साथ मेरा उठना-बैठना है। यह सारा धन और सुख-सामग्री जो यहाँ दिखाई देती है मुझे कुछ भी संतोष नहीं दे पाती। हर दसवें दिन जिन्न यहाँ आता है और मेरे साथ रात बिताता है। उसका विवाह पहले तो उसी की जाति की एक स्त्री से हो चुका है और वह अपनी स्त्री के भय से मेरे पास इससे अधिक नहीं रह पाता। दस दिन के अंदर यदि किसी दिन मैं उसे बुलाना चाहूँ तो उसका भी प्रबंध उसने कर दिया है। यदि मैं यह इधर रखा हुआ जादू का यंत्र छू दूँ तो उसे खबर हो जाती है और वह आ जाता है।'

स्त्री ने आगे कहा, 'उस जिन्न को यहाँ से गए चार दिन हो गए है। वह छह दिन बाद फिर यहाँ आएगा। यदि तुम्हें यहाँ की सुख-सुविधाएँ और मेरा साथ पसंद है तो पाँच दिनों तक यहाँ आराम से रह सकते हो, मैं तुम्हारा हर प्रकार से आदर-सत्कार करूँगी और तुम्हे सुख पहुँचाऊँगी।'

मैं उसकी बातें सुनकर बड़ा प्रसन्न हुआ। मुझे इसमें क्या आपत्ति हो सकती थी कि ऐसी सुंदरी के साथ रहूँ। मैंने बड़ी प्रसन्नता से यह बात स्वीकार कर ली। वह मुझे एक स्नानागार तक ले गई। मैंने अंदर जाकर अच्छी तरह स्नान किया और बाहर निकला। वह मेरे पहनने के लिए जरी के वस्त्र ले आई। मैंने वह शाही पोशाक पहनी तो वह मुझे देखकर मुझ पर और भी कृपालु हो गई। फिर एक सजे हुए दालान में उसने मुझे एक सुनहरे कमख्वाब की मसनद पर बिठाया। फिर वह नाना प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन लाई और हम दोनों ने साथ बैठकर भोजन किया। दिन भर हम लोग इधर-उधर की बातें करते रहे। रात के भोजन के बाद उसने अपने साथ मुझे सुलाया। सुबह होने पर उसने और भी स्वादिष्ट व्यंजन बनाए और मेरे विशेष सत्कार के लिए पुरानी शराब की बोतलें ले आई। मैं बहुत-सी शराब पीकर मदमस्त हो गया।

मैंने उससे कहा, 'प्रिये, तुम पच्चीस वर्षों से इस मकान में जिसे कब्र कहना चाहिए बंद हो। यह बात ठीक नहीं है। तुम मेरे साथ यहाँ से निकल चलो और बाहर की ताजा हवा खाओ। इस दिखावे के ऐश-आराम को छोड़ो क्योंकि यह जादू से अधिक कुछ नहीं है। तुम मेरे साथ चलो।'

वह सुंदरी बोली, 'ऐसी बातें जिह्वा पर भी न लाना। तुम जिसे सूर्य का प्रकाश कहते हो वह मैं भूल चुकी हूँ। मुझे यहीं रहने की आदत पड़ गई है, मुझे यहीं रहने दो। एक दिन छोड़कर जबकि वह जिन्न यहाँ आता है, तुम बाकी नौ दिन यहाँ आराम से रह सकते हो।'

मुझे नशा चढ़ गया था। मैंने कहा, 'तुम उस जिन्न से इतना क्यों डरती हो। मैं तुम्हारे लिए अपनी जान भी दे सकता हूँ। मैं इस जादू के यंत्र को मय उसकी जादुई लिखावट के तोड़-फोड़ कर बराबर कर दूँगा। अपने जिन्न को आने दो। मैं भी तो देखूँ उसमें कितनी ताकत हैं। मैंने निश्चय कर लिया है कि संसार के सारे जिन्नों का अंत कर दूँगा और सबसे पहले इसी जिन्न को मारूँगा जिसने तुम्हें कैद कर रखा है।'

वह स्त्री भली भाँति जानती थी कि मेरी मूर्खता का क्या फल होगा। उसने मुझे बहुत समझाया, हर तरह रोका, कसमें दीं कि यंत्र को छुआ तो हम दोनों मारे जाएँगे क्योंकि उस जिन्न की शक्ति को मैं जानती हूँ, तुम नहीं जानते।

मैं नशे में धुत था इसलिए मैंने उसकी चेतावनी को अनसुना कर दिया और ठोकर मार कर जादू के यंत्र को तोड़ डाला। यकायक ही सारा मकान काँपने लगा और एक महाभयानक शब्द हुआ। सारी रोशनियाँ बुझ गईं और अंधकार छा गया जिसमें रह-रह कर बिजली चमकने लगती थी। यह हाल देखकर मेरा नशा हिरन हो गया। मैंने सोचा कि वास्तव में मुझसे भयानक भूल हो गई। मैंने अब उस सुंदरी से पूछा कि क्या करना चाहिए। उसने कहा कि मुझे अपने प्राण जाने का भय नहीं, मैं तो वैसे ही दुखी थी। तुम्हारी जान को जरूर खतरा है और इसी से मैं अत्यंत व्याकुल हूँ। तुमने खुद ही अपनी जान के लिए यह आफत मोल ली। अब यहाँ से तुरंत भाग कर जान बचाओ।

यह सुनकर मैं ऐसा बेतहाशा भागा कि अपनी कुल्हाड़ी और रस्सा भी वहीं भूल गया और गिरते-पड़ते उस सीढ़ी तक आया जिससे उतर कर उस मकान में गया था। इतने में वह जिन्न भी अत्यंत क्रुद्ध होकर वहाँ आ पहुँचा और गरज कर स्त्री से पूछने लगा कि तूने मुझे क्यों बुलाया है। वह डर के मारे पत्ते की तरह काँपने लगी और बोली, मैंने तुम्हें बुलाया नहीं है। मैंने इस बोतल से थोड़ी-सी मदिरा पी ली थी। मुझ पर ऐसा नशा चढ़ा कि हाथ-पाँव काबू में न रहे। नशे की हालत में मैंने इस यंत्र पर पाँव रख दिया जिससे यह टूट गया। जिन्न यह सुनकर और भी कुपित हुआ और बोला, तू झूठी, मक्कार और दुराचारिणी है। इस कुल्हाड़ी और रस्से को यहाँ कौन लाया है? स्त्री बोली, मैंने तो इन्हें अभी-अभी देखा है। तुम भागते-दौड़ते आए हो, इसीलिए तुम्हारे साथ लगी हुई यह चीजें आ गई होंगी। तुमने अपनी जल्दी में ध्यान न रखा होगा कि तुम्हारे पास कुल्हाड़ी और रस्सा भी है।

इस पर जिन्न का क्रोध और भी बढ़ा। उसने स्त्री को भूमि पर पटक दिया और उसे निर्दयता से पीटने लगा और साथ में गालियाँ भी देने लगा। स्त्री तड़पने और रोने- चिल्लाने लगी। उसका करुण क्रंदन मुझसे नहीं सुना जाता था। लेकिन मैं कुछ कर भी नहीं सकता था। मैंने स्त्री के दिए वस्त्र उतारे और वही फटे-पुराने लकड़हारों के वस्त्र पहन लिए जिन्हें पहन कर मैं पिछले दिन आया था। फिर मैं सीढ़ी से चढ़कर ऊपर आ गया। मैं अपने का बराबर कोसता जा रहा था कि मेरी मूर्खता और जिद्दीपन के कारण उसे बेचारी स्त्री पर ऐसा अत्याचार हो रहा है। बाहर आकर मैंने फिर सीढ़ी के मुँह पर लोहे का दरवाजा रखा और उस पर मिट्टी डाल कर उसे छुपा दिया।

फिर मैंने पिछले दिन की जमा की हुई लकड़ियाँ किसी तरह बाँधीं और नगर में आकर लकड़ी का गट्ठा बेच दिया। फिर भी मैं बराबर सोच रहा था कि न जाने उस सुंदर स्त्री पर क्या बीत रही होगी। लकड़ी बेचकर जब मैं अपने निवास स्थान पर आया तो लिपिक मुझे देखकर अत्यंत प्रसन्न हुआ। उसने कहा कि तुम कल नहीं आए तो मुझे बड़ी चिंता हो गई थी, मैंने सोचा कि कहीं ऐसा तो नही है कि यहाँ के बादशाह को तुम्हारे यहाँ पर रहने की बात मालूम हो गई हो और उसने तुम्हें पकड़वा मँगाया हो, भगवान का लाख-लाख धन्यवाद है कि तुम सकुशल वापस गए हो।

मैंने उसकी बातों पर उसे हृदय से धन्यवाद दिया किंतु यह न बताया कि कल मेरे साथ क्या बीती थी। मैं अपने कमरे में चला गया और फिर उसी शोक में निमग्न हो गया कि मैंने अपने दुराग्रह से अपनी उपकारिणी स्त्री को कैसा दुख पहुँचाया और अगर मैं वह यंत्र न तोड़ डालता तो उस राजकुमारी पर भी दुख न पड़ता और मैं पाँच दिन बड़े सुख से रहता। मैं यह सोच ही रहा था कि लिपिक मेरे पास आकर कहने लगा कि एक बूढ़ा एक कुल्हाड़ी और रस्सा लेकर आया है और कहता है कि तुम शायद इन्हें जंगल में भूल आए थे। लेकिन वह इन चीजों को तभी वापस करेगा जब तुम बाहर चलकर उसे इनकी पहचान बताओंगे।

यह सुनकर मेरा चेहरा पीला पड़ गया और मैं भय के कारण सिर से पाँव तक थर-थर काँपने लगा। लिपिक ने मुझ से पूछा, यह तुम्हें क्या हो रहा है। मैं अभी उसे उत्तर भी नहीं दे सका था कि कमरे की धरती फट गई और बूढ़ा जिन्न मेरे बाहर आने की राह न देखकर कुल्हाड़ी और रस्सी लिए वहीं आ गया। उसने मुझ से कहा, 'तू जानता है मैं कौन हूँ? मैं ऐसा-वैसा जिन्न नहीं हूँ, स्वयं इबलीस (शैतान) का दौहित्र हूँ। तू जानता है कि इबलीस सारे जिन्नों और दैत्यों का सरताज है। बोल, यह कुल्हाड़ी और यह रस्सा तेरे है या नहीं?

मैं उसे देखकर ऐसा भयभीत हुआ कि मेरी वाक शक्ति ही समाप्त-सी हो गई और मैं अचेत होकर गिरने लगा। जिन्न ने मेरे होश में आने की प्रतीक्षा नहीं की। वह मुझे कमर से पकड़ कर ले उड़ा और दो क्षण में ही मैं इतने ऊँचे पर्वत पर ले जा कर रख दिया जिस पर चढ़ने में महीनों लगते। फिर उसने पहाड़ की चोटी पर पाँव पटका। इससे धरती फट गई। जिन्न मुझे लेकर उस गड्ढे में उतर गया और पलक झपकते ही मुझे उठाए हुए उस मकान में आ गया जहाँ मैंने राजकुमारी के साथ पिछला दिन बिताया था।

यह देख कर मेरे दुख का पाराबार न रहा कि राजकुमारी अब भी जमीन पर पड़ी तड़प रही थी और अधमरी-सी अवस्था में चीख-पुकार कर रही थी। उस जिन्न ने कहा, देख, यह कुलटा तुझ पर मोहित है। स्त्री ने मुझ पर सरसरी निगाह डालकर कहा कि मैं इसे बिल्कुल नहीं जानती, इससे पहले मैंने कभी इसे देखा ही नहीं। जिन्न बोला, तू झूठी है जो कहती है इसे कभी नहीं देखा, इसी आदमी के कारण तेरी जान जाएगी। स्त्री ने कहा कि तुम किसी न किसी बहाने से इसे मार डालना चाहते हो, इसी से मुझ से झूठ कहलवा रहे हो।

जिन्न ने कहा कि अगर तू वास्तव में इससे अपरिचित है तो तलवार उठा और इसका सिर काट दे। राजकुमारी ने कहा, मुझ से तलवार कहाँ उठेगी, इसक अतिरिक्त यह कैसे हो सकता है कि मैं किसी निर्दोष व्यक्ति के प्राण लूँ। जिन्न ने कहा कि ऐसी हालत में भी तू इसे मारने से इनकार करती है, इसी बात से तेरा पापाचार सिद्ध हो जाता है। फिर जिन्न ने मुझ से पूछा कि तू इस स्त्री को जानता है या नहीं। मैंने जी में सोचा कि राजकुमारी स्त्री होकर भी इतना साहस दिखा रही है, मैं मर्द होकर यदि इसका भेद खोलूँ तो इससे अधिक अशोभनीय क्या होगा। इसलिए मैंने भी कहा कि मैंने इससे पहले इस स्त्री को कभी नहीं देखा है। जिन्न बोला, अगर तू सच कहता है तो उठा तलवार और काट दे इसका सिर।

मैं मन में सोचने लगा कि यह तो अत्यंत अनुचित बात होगी कि उस स्त्री को जो मेरे कारण इस दुख में पड़ी थी अपने हाथ से मारूँ। स्त्री ने मुझ से संकेत से कहा कि तुम सोच-विचार न करो, मेरी जान बचने ही की नहीं है, तुम अपने हाथ से मुझे मार डालो, और इस प्रकार अपनी जान बचाओ, मुझे इसी में संतोष मिलेगा। किंतु मैं ऐसा न कर सका। मैं दो पग पीछे हट गया और तलवार हाथ से फेंक कर जिन्न से बोला, तुमने मुझे बिल्कुल कायर पुरुष समझ लिया है कि तुम्हारे कहने भर से किसी अपरिचिता को मार डालूँ। फिर इस सुंदरी की तो तुमने वैसे ही दुर्दशा कर रखी है, मैं इस पर क्या हाथ उठाऊँ। तुम्हें अधिकार है कि जो चाहो वह करो किंतु इस प्रकार का काम मुझसे न होगा।

जिन्न ने कहा, तुम दोनों ही मेरे क्रोध को निरंतर बढ़ा रहे हो। तुम शायद यह नहीं जानते कि मुझ में कितनी शक्ति है।' यह कहकर उस अत्याचारी ने स्त्री के दोनों हाथ काट डाले। वह अधमरी तो पहले ही से हो रही थी, यह चोट खाकर तुरंत मर गई। मैं यह देखकर मूर्छित हो गया। कुछ होश आया तो मैंने जिन्न से कहा कि अब तुम मुझे भी मार डालो और अपना क्रोध शांत करो।

जिन्न ने कहा, हम लोगों का नियम है कि जब किसी को व्यभिचार का दोषी पाते हैं तो उसका वध कर देते हैं। तुम पर मुझे व्यभिचार का संदेह भर है। इसलिए तुझे मारूँगा नहीं, किंतु मानव नहीं रहने दूँगा। अब तू कुत्ता, गधा, सूअर या जो भी पशु-पक्षी बनना चाहे बता दे, मैं तुझे वही बना दूँगा। मैंने उसका क्रोध कुछ कम देखा तो बोला, 'जिन्नों के सरताज, मेरी प्रार्थना है कि एक भले आदमी ने अपने बुरा करने वाले के साथ जैसे उपकार किया था वैसे ही तू मुझे क्षमा कर दे और मुझे आदमी ही रहने दे।' जिन्न ने कहा, यह भले आदमी का क्या किस्सा है। मैंने बताना शुरू किया। 

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रचनाएँ
अलिफ लैला
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अलिफ लैला की कहानी अरब देश की एक प्रचलित लोक कथा है जो पूरी दुनिया में सदियों से सुनी व पढ़ी जाती रही है। ... इस कथा के अनुसार, बादशाह शहरयार अपनी मलिका की बेवपफाई से दुःखी होकर उसका और उसकी सभी दासियों का कत्ल कर देता है और प्रतिज्ञा करता है कि रोजाना एक स्त्री के साथ विवाह करूंगा और अगली सुबह उसे कत्ल कर दूंगा।
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भूमिका

29 जनवरी 2022
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भूमिका (1)-अलिफ़ लैला सहस्र-रजनी चरित्र, जो अब भी भारत में अपने अरबी नाम 'अल्फ लैला' के प्रचलित बिगड़े हुए रूप 'अलिफ लैला' के नाम से अधिक जाना जाता है, वास्तव में लोक कथाओं का ऐसा संग्रह है जिसकी लोक

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शहरयार और शाहजमाँ

29 जनवरी 2022
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फारस देश भी हिंदुस्तान और चीन के समान था और कई नरेश उसके अधीन थे। वहाँ का राजा महाप्रतापी और बड़ा तेजस्वी था और न्यायप्रिय होने के कारण प्रजा को प्रिय था। उस बादशाह के दो बेटे थे जिनमें बड़े लड़के का

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किस्सा गधे, बैल और उनके मालिक

29 जनवरी 2022
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एक बड़ा व्यापारी था जिसके गाँव में बहुत-से घर और कारखाने थे जिनमें तरह-तरह के पशु रहते थे। एक दिन वह अपने परिवार सहित कारखानों को देखने के लिए गाँव गया। उसने अपनी पशुशाला भी देखी जहाँ एक गधा और एक बैल

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किस्सा व्यापारी और दैत्य का-

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा : प्राचीन काल में एक अत्यंत धनी व्यापारी बहुत-सी वस्तुओं का कारोबार किया करता था। यद्यपि प्रत्येक स्थान पर उसकी कोठियाँ, गुमाश्ते और नौकर-चाकर रहते थे तथापि वह स्वयं भी व्यापार के लिए द

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किस्सा बूढ़े और उसकी हिरनी का

29 जनवरी 2022
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वृद्ध बोला, 'हे दैत्यराज, अब ध्यान देकर मेरा वृत्तांत सुनें। यह हिरनी मेरे चचा की बेटी और मेरी पत्नी है। जब यह बारह वर्ष की थी तो इसके साथ मेरा विवाह हुआ। यह अत्यंत पतिव्रता थी और मेरे प्रत्येक आदेश क

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किस्सा तीसरे बूढ़े का जिसके साथ एक खच्चर था

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तीसरे बूढ़े ने कहना शुरू किया : 'हे दैत्य सम्राट, यह खच्चर मेरी पत्नी है। मैं व्यापारी था। एक बार मैं व्यापार के लिए परदेश गया। जब मैं एक वर्ष बाद घर लौटकर आया तो मैंने देखा कि मेरी पत्नी एक हब्शी गुल

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मछुवारे की कहानी

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शहरजाद ने कहा कि हे स्वामी, एक वृद्ध और धार्मिक प्रवृत्ति का मुसलमान मछुवारा मेहनत करके अपने स्त्री-बच्चों का पेट पालता था। वह नियमित रूप से प्रतिदिन सवेरे ही उठकर नदी के किनारे जाता और चार बार नदी मे

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गरीक बादशाह और हकीम दूबाँ की कथा

29 जनवरी 2022
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फारस देश में एक रूमा नामक नगर था। उस नगर के बादशाह का नाम गरीक था। उस बादशाह को कुष्ठ रोग हो गया। इससे वह बड़े कष्ट में रहता था। राज्य के वैद्य-हकीमों ने भाँति-भाँति से उसका रोग दूर करने के उपाय किए क

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भद्र पुरुष और उसके तोते की कथा

29 जनवरी 2022
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पूर्वकाल में किसी गाँव में एक बड़ा भला मानस रहता था। उसकी पत्नी अतीव सुंदरी थी और भला मानस उससे बहुत प्रेम करता था। अगर कभी घड़ी भर के लिए भी वह उसकी आँखों से ओझल होती थी तो वह बेचैन हो जाता था। एक बा

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अमात्य की कहानी

29 जनवरी 2022
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प्राचीन समय में एक राजा था उसके राजकुमार को मृगया का बड़ा शौक था। राजा उसे बहुत चाहता था, राजकुमार की किसी इच्छा को अस्वीकार नहीं करता था। एक दिन राजकुमार ने शिकार पर जाना चाहा। राजा ने अपने एक अमात्य

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काले द्वीपों के बादशाह की कहानी

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उस जवान ने अपना वृत्तांत कहना आरंभ किया। उसने कहा 'मेरे पिता का नाम महमूद शाह था। वह काले द्वीपों का अधिपति था, वे काले द्वीप चार विख्यात पर्वत हैं। उसकी राजधानी उसी स्थान पर थी जहाँ वह रंगीन मछलियों

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किस्सा तीन राजकुमारों और पाँच सुंदरियों का

29 जनवरी 2022
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शहरजाद की कहानी रात रहे समाप्त हो गई तो दुनियाजाद ने कहा - बहन, यह कहानी तो बहुत अच्छी थी, कोई और भी कहानी तुम्हें आती है? शहरजाद ने कहा कि आती तो है किंतु बादशाह की अनुमति हो तो कहूँ। बादशाह ने अनुमत

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मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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मजदूर बोला, 'हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया।

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मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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मजदूर बोला, 'हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया।

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पहले फकीर की कहानी

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पहले फकीर ने अदब से घुटनों के बल खड़े होकर कहा 'सुंदरी, अब ध्यान लगाकर सुनो कि मेरी आँख किस प्रकार गई और मैं क्यों फकीर बना। मैं एक बड़े बादशाह का बेटा था। बादशाह का भाई यानी मेरा चचा भी एक समीपवर्ती

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दूसरे फकीर की कहानी

29 जनवरी 2022
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अभी पहले फकीर की अद्भुत आप बीती सुनकर पैदा होने वाले आश्चर्य से लोग उबरे नहीं थे कि जुबैदा ने दूसरे फकीर से कहा कि तुम बताओ कि तुम कौन हो और कहाँ से आए हो। उसने कहा कि आपकी आज्ञानुसार मैं आप को बताऊँग

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भले आदमी और ईर्ष्यालु पुरुष

29 जनवरी 2022
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किसी नगर में दो आदमियों का घर एक दूसरे से लगा हुआ था। उनमें से एक पड़ोसी दूसरे के प्रति ईर्ष्या और द्वेष रखता था। भले मानस ने सोचा कि मकान छोड़कर कहीं जा बसूँ क्योंकि मैं इस आदमी के प्रति उपकार करता ह

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किस्सा तीसरे फकीर का

29 जनवरी 2022
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हे दयालु सुंदरी, मेरी कहानी बहुत ही आश्चर्यकारी है। इन दोनों शहजादों की दाहिनी आँखें परिस्थितिवश गईं किंतु मेरी आँख मेरी ही मूर्खता और मेरे ही अपराध के कारण फूटी। मैं इसका विस्तृत वर्णन करता हूँ। मेरा

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किस्सा जुबैदा का

29 जनवरी 2022
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जुबैदा ने खलीफा के सामने सर झुका कर निवेदन किया है राजाधिराज, मेरी कहानी बड़ी ही विचित्र है, आपने इस प्रकार की कोई कहानी नहीं सुनी होगी। मैं और वे दोनों काली कुतियाँ तीनों सगी बहिनें हैं और यह दो स्त्

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किस्सा अमीना का

29 जनवरी 2022
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अमीना ने कहा, 'जुबैदा की कहानी आप उसके मुँह से सुन चुके, अब मैं अपनी कहानी आपके सम्मुख प्रस्तुत करती हूँ। मेरी माँ मुझे लेकर अपने घर में आई कि रँड़ापे का अकेलापन उसे न खले। फिर उसने मेरा विवाह इसी नगर

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सिंदबाज जहाजी की कहानी

29 जनवरी 2022
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जब शहरजाद ने यह कहानी पूरी की तो शहरयार ने, जिसे सारी कहानियाँ बड़ी रोचक लगी थीं, पूछा कि तुम्हें कोई और कहानी भी आती हैं। शहरजाद ने कहा कि बहुत कहानियाँ आती हैं। यह कह कर उसने सिंदबाद जहाजी की कहानी

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सिंदबाद जहाजी की पहली यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा कि मैंने अच्छी-खासी पैतृक संपत्ति पाई थी किंतु मैंने नौजवानी की मूर्खताओं के वश में पड़कर उसे भोग-विलास में उड़ा डाला। मेरे पिता जब जीवित थे तो कहते थे कि निर्धनता की अपेक्षा मृत्यु श्र

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सिंदबाद जहाजी की दूसरी यात्रा

29 जनवरी 2022
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मित्रो, पहली यात्रा में मुझ पर जो विपत्तियाँ पड़ी थीं उनके कारण मैंने निश्चय कर लिया था कि अब व्यापार यात्रा न करूँगा और अपने नगर में सुख से रहूँगा। किंतु निष्क्रियता मुझे खलने लगी, यहाँ तक कि मैं बेच

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सिंदबाद जहाजी की तीसरी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा कि घर आकर मैं सुखपूर्वक रहने लगा। कुछ ही दिनों में जैसे पिछली दो यात्राओं के कष्ट और संकट भूल गया और तीसरी यात्रा की तैयारी शुरू कर दी। मैंने बगदाद से व्यापार की वस्तुएँ लीं और कुछ व्या

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सिंदबाद जहाजी की चौथी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा, कुछ दिन आराम से रहने के बाद मैं पिछले कष्ट और दुख भूल गया था और फिर यह सूझी कि और धन कमाया जाए तथा संसार की विचित्रताएँ और देखी जाएँ। मैंने चौथी यात्रा की तैयारी की और अपने देश की वे व

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सिंदबाद जहाजी की पाँचवी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा कि मेरी विचित्र दशा थी। चाहे जितनी मुसीबत पड़े मैं कुछ दिनों के आनंद के बाद उसे भूल जाता था और नई यात्रा के लिए मेरे तलवे खुजाने लगते थे। इस बार भी यही हुआ। इस बार मैंने अपनी इच्छानुसार

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सिंदबाद जहाजी की छठी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने हिंदबाद और अन्य लोगों से कहा कि आप लोग स्वयं ही सोच सकते हैं कि मुझ पर कैसी मुसीबतें पड़ीं और साथ ही मुझे कितना धन प्राप्त हुआ। मुझे स्वयं इस पर आश्चर्य होता था। एक वर्ष बाद मुझ पर फिर यात्

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सिंदबाद जहाजी की सातवीं यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा, दोस्तो, मैंने दृढ़ निश्चय किया था कि अब कभी जल यात्रा न करूँगा। मेरी अवस्था भी इतनी हो गई थी कि मैं कहीं आराम के साथ बैठ कर दिन गुजारता। इसीलिए मैं अपने घर में आनंदपूर्वक रहने लगा। एक

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एक स्त्री और तीन नौकरों का वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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शहरयार को सिंदबाद की यात्राओं की कहानी सुन कर बड़ा आनंद हुआ। उसने शहरजाद से और कहानी सुनाने को कहा। शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद का नियम था कि वह समय-समय पर वेश बदल कर बगदाद की सड़कों पर प्रजा का

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जवान और मृत स्त्री

29 जनवरी 2022
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उस जवान ने कहा कि 'मृत स्त्री मेरी पत्नी और इन वृद्ध सज्जन की बेटी थी और यह मेरे चचा हैं। ग्यारह वर्ष पूर्व उससे मेरा विवाह हुआ था। हमारे तीन बेटे हैं जो जीवित हैं। मेरी पत्नी अत्यंत सुशील और पतिव्रता

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नूरुद्दीन अली और बदरुद्दीन हसन

29 जनवरी 2022
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मंत्री जाफर ने कहा कि पहले जमाने में मिस्र देश में एक बड़ा प्रतापी और न्यायप्रिय बादशाह था। वह इतना शक्तिशाली था कि आस-पड़ोस के राजा उससे डरते थे। उसका मंत्री बड़ा शासन- कुशल, न्यायप्रिय और काव्य आदि

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काशगर के दरजी और बादशाह के कुबड़े सेवक

29 जनवरी 2022
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दूसरी रात को मलिका शहरजाद ने पिछले पहर अपनी बहन दुनियाजाद के कहने से यह कहानी सुनाना आरंभ किया। पुराने जमाने में तातार देश के समीपवर्ती नगर काशगर में एक दरजी था जो अपनी दुकान में बैठ कर कपड़े सीता था।

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ईसाई द्वारा सुनाई गई

29 जनवरी 2022
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ईसाई ने कहा, मैं मिस्र की राजधानी काहिरा का निवासी हूँ। मेरा बाप दलाल था। उस के पास काफी पैसा हो गया। उस ने मरने के बाद मैं ने भी वही व्यापार आरंभ किया। एक दिन मैं अनाज की मंडी में अपने दैनिक व्यापार

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अनाज के व्यापारी

29 जनवरी 2022
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अनाज का व्यापारी बोला कि कल मैं एक धनी व्यक्ति की पुत्री के विवाह में गया था। नगर के बहुत-से प्रतिष्ठित व्यक्ति उसमें शामिल थे। शादी की रस्में पूरी होने पर दावत हुई और नाना प्रकार के व्यंजन परोसे गए।

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उस आदमी की कहानी जिसके चारों अँगूठे कटे थे

29 जनवरी 2022
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उस ने कहा कि दोस्तो, मेरा पिता बगदाद का रहनेवाला था और खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में था। मैं भी उसी समय पैदा हुआ। मेरा पिता यद्यपि धनवान तथा बड़े व्यापारियों में गिना जाता था तथापि वह बहुत ही विलासी औ

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यहूदी हकीम द्वारा वर्णित

29 जनवरी 2022
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यहूदी हकीम ने बादशाह के सामने झुक कर जमीन चूमी और कहा कि पहले मैं दमिश्क नगर में हकीमी किया करता था। अपनी चिकित्सा विधि के कारण वहाँ मेरी बड़ी प्रतिष्ठा हो गई थी। एक दिन वहाँ के हाकिम ने मुझ से कहा कि

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काशगर के बादशाह के सामने दरजी की कथा

29 जनवरी 2022
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दरजी ने कहा कि इस नगर के व्यापारी ने एक बार अपने मित्रों को भोज दिया और उनके लिए भाँति-भाँति के व्यंजन बनवाए। मुझे भी बुलाया गया। मैं जब वहाँ पहुँचा तो देखा कि बहुत-से निमंत्रित लोग मौजूद हैं किंतु मक

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लँगड़े आदमी की कहानी

29 जनवरी 2022
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मेरा पिता बगदाद के सम्मानित व्यक्तियों में से था और हम लोग आनंदपूर्वक वहाँ रह रहे थे। मैं अपने पिता का अकेला बेटा था। जिस समय मेरे पिता की मृत्यु हुई उस समय तक मैं न केवल विद्याध्ययन पूरा कर चुका था ब

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दरजी की जबानी नाई की कहानी

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के काल में बगदाद के आसपास दस कुख्यात डाकू थे जो राहगीरों को लूटते ओर मार डालते थे। खलीफा ने प्रजा के कष्ट का विचार कर के कोतवाल से कहा कि उन डाकुओं को पकड़ कर लाओ वरना मैं तुम्हें प्र

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नाई के कुबड़े भाई

29 जनवरी 2022
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सरकार, मेरा सबसे बड़ा भाई जिसका नाम बकबक था, कुबड़ा था। उसने दरजीगीरी सीखी और जब यह काम सीख लिया तो उसने अपना कारबार चलाने के लिए एक दुकान किराए पर ली। उस की दुकान के सामने ही एक आटा चक्कीवाले की दुका

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नाई के दूसरे भाई बकबारह की कहानी

29 जनवरी 2022
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दूसरे रोज खलीफा के सामने पहुँच कर मैं ने कहा कि मेरा दूसरा भाई बकबारह पोपला है। एक दिन उससे एक बुढ़िया ने कहा, मैं तुम्हारे लाभ की एक बात कहती हूँ। एक बड़े घर की स्वामिनी तुम से आकृष्ट है। मैं तुम्हें

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नाई के तीसरे भाई अंधे बूबक की कहानी

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा, सरकार, मेरा तीसरा भाई बूबक था जो बिल्कुल अंधा था। वह बड़ा अभागा था। वह भिक्षा से जीवन निर्वाह करता था। उसका नियम था कि अकेला ही लाठी टेकता हुआ भीख माँगने जाता और किसी दानी का द्वार खटखटा क

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नाई के चौथे भाई काने अलकूज

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि मेरा चौथा भाई काना था और उसका नाम अलकूज था। अब यह भी सुन लीजिए कि उसकी एक आँख किस प्रकार गई। मेरा भाई कसाई का काम करता था। उसे भेड़-बकरियों की अच्छी पहचान थी। वह मेढ़ों को लड़ाने के लिए

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नाई के पाँचवें भाई अलनसचर

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि मेरे पाँचवें भाई का नाम अलनसचर था। वह बड़ा आलसी और निकम्मा था। वह रोज किसी न किसी मित्र के पास जा कर बेशर्मी से कुछ भीख माँग लेता और खा-पी कर पड़ा रहता। मेरा बाप कुछ समय बाद बूढ़ा हो कर

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नाई के छठे भाई कबक जिसके होंठ खरगोश की तरह के थे

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि अब मेरे आखिरी भाई शाह कबक का वृत्तांत रह गया है। इसे भी सुन लीजिए, फिर मैं आप से विदा लूँ। इस भाई का नाम शाह कबक था और उसके होंठ खरगोश की तरह ऊपर को चढ़े हुए थे और वह चलता भी खरगोश की तर

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शहजादा अबुल हसन और हारूँ रशीद की प्रेयसी शमसुन्निहार

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के शासनकाल में बगदाद में एक अत्यंत धनाढ्य और सुसंस्कृत व्यापारी रहता था। वह शारीरिक रूप से तो सुंदर था ही, मानसिक रूप से और भी सुंदर था। वहाँ के अमीर-उमरा उसका बड़ा मान करते। यहाँ तक

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कमरुज्जमाँ और बदौरा

29 जनवरी 2022
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फारस देश में बीस दिन की राह पर एक देश खलदान है। उस देश में कई टापू भी शामिल हैं। बहुत दिन पहले वहाँ का बादशाह शाहजमाँ था। उसके चार पत्नियाँ थीं और सात विशेष दासियाँ। वह बड़ा प्रतापी राजा था, उसके दे

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नूरुद्दीन और पारस देश की दासी

29 जनवरी 2022
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अगली सुबह से पहले शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि पहले जमाने में बसरा बगदाद के अधीन था। बगदाद में खलीफा हारूँ रशीद का राज था और उसने अपने चचेरे भाई जुबैनी को बसरा का हाकिम बनाया था। जुबैनी के

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ईरानी बादशाह बद्र और शमंदाल की शहजादी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि बादशाह सलामत, ईरान बहुत बड़ा देश है। पुराने जमाने में वहाँ बड़े शक्तिशाली और प्रतापी नरेश हुआ करते थे और उन्हें शहंशाह यानी बादशाहों का बादशाह कहा जाता था। उसी काल का वहाँ का एक बादशा

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गनीम और फितना

29 जनवरी 2022
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दुनियाजाद ने मलिका शहरजाद से नई कहानी सुनाने को कहा और बादशाह शहरजाद ने भी अपनी मौन स्वीकृति दे दी तो शहरजाद ने नई कहानी शुरू कर दी। उसने कहा कि पुराने जमाने में दमिश्क नगर में एक व्यापारी रहता था जिस

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शहजादा जैनुस्सनम और जिन्नों के बादशाह

29 जनवरी 2022
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पुराने जमाने में बसरा में एक बड़ा ऐश्वर्यवान और न्यायप्रिय बादशाह राज करता था। उसे सबकुछ प्राप्त था किंतु उसे बहुत दिनों तक कोई संतान नहीं हुई जिससे वह बहुत दुखी रहता था। नगर निवासी भी बादशाह के साथ म

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शहजादा खुदादाद और दरियाबार की शहजादी-

29 जनवरी 2022
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उपर्युक्त कहानी के मध्य में एक यात्रा में जैनुस्सनम के दरियाबार देश मे जाने का भी उल्लेख है। वहाँ की एक चित्ताकर्षक कथा उस ने सुनी थी। वह कथा भी इस जगह कही जाती है। हैरन नगर में एक बड़ा प्रतापी बादशा

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दरियाबार की शहजादी

29 जनवरी 2022
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उस सुंदरी ने कहा कि काहिरा के निकट दरियाबार नाम एक द्वीप है। उस का बादशाह सब प्रकार से सुखी था किंतु उसे संतान न होने का बड़ा दुख था। वर्षों की प्रार्थनाओं और सिद्धों के आशीर्वादों से उस के यहाँ एक पु

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सोते-जागते आदमी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में बगदाद में एक धनी व्यापारी था। उस का एक ही पुत्र था जिसका नाम अबुल हसन था। व्यापारी बड़ा कंजूस था। वह धन एकत्र ही करता था, खर्च बहुत कम करता था। इसलिए जब

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अलादीन और जादुई चिराग

29 जनवरी 2022
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चीन की राजधानी में मुस्तफा नाम का एक दरजी रहता था। वह गरीब आदमी था और बड़ी कठिनाई से अपने परिवारवालों का पेट भरता था। उस के पुत्र का नाम अलादीन था जो कुछ काम-काज नहीं करता था सिर्फ खेल-कूद में समय ब

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खलीफा हारूँ रशीद और बाबा अब्दुल्ला

29 जनवरी 2022
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दुनियाजाद के प्रस्ताव और शहरयार की अनुमति से नई कहानी प्रारंभ करते हुए शहरजाद ने कहा कि कभी-कभी आदमी का चित्त प्रसन्न होता है और उसकी कोई साफ वजह भी नहीं होती। ऐसी स्थिति भी होती है जब आदमी खुश तो होत

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अंधे बाबा अब्दुल्ला

29 जनवरी 2022
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बाबा अब्दुल्ला ने कहा कि मैं इसी बगदाद नगर में पैदा हुआ था। मेरे माँ बाप मर गए तो उनका धन उत्तराधिकार में मैंने पाया। वह धन इतना था कि उससे मैं जीवन भर आराम से रह सकता था किंतु मैंने भोग-विलास में सार

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सीदी नोमान

29 जनवरी 2022
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भिखारी की कहानी सुनने के बाद खलीफा ने बराबर घोड़ी दौड़ानेवाले पर ध्यान दिया और उससे पूछा कि तुम्हारा क्या नाम है। उसने अपना नाम सीदी नोमान बताया। खलीफा ने कहा, मैंने बहुत-से घुड़सवारों और साईसों को दे

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ख्वाजा हसन हव्वाल

29 जनवरी 2022
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ख्वाजा हसन ने कहा कि मैं अपनी बात बताने के पहले अपने दो मित्रों के बारे में बताना चाहता हूँ। वे अभी जीवित हैं और यहीं बगदाद में रहते हैं। वे मेरे प्रत्येक कथन की पुष्टि करेंगे। उनमें से एक का नाम सादी

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अलीबाबा और चालीस लुटेरों की कहानी

29 जनवरी 2022
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अगली रात को मलिका शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि फारस देश में कासिम और अलीबाबा नाम के दो भाई रहते थे। उन्हें पैतृक संपत्ति थोड़ी ही मिली थी। किंतु कासिम का विवाह एक धनी-मानी व्यक्ति की पुत्री

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बगदाद के व्यापारी अली ख्वाजा

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के राज्य काल में बगदाद में अलीख्वाजा नामक एक छोटा व्यापारी रहता था। वह अपने पुश्तैनी मकान में, जो छोटा-सा ही था, अकेला रहता था। उसने विवाह नहीं किया था और उसके माता पिता की भी मृत्यु

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यंत्र के घोड़े

29 जनवरी 2022
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बादशाह सलामत, आपको यह मालूम ही है कि हजारों वर्ष से फारस में नौरोज यानी वर्ष का प्रथम दिवस बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। उसमें सभी लोग विशेषतः अग्निपूजक, भाँति-भाँति के नृत्यों और खेल-तमाशों का आय

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शहजादा अहमद और परीबानू

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा, बादशाह सलामत, पुराने जमाने में हिंदोस्तान का एक बादशाह बड़ा प्रतापी और ऐश्वर्यवान था। उसके तीन बेटे थे। बड़े का नाम हुसैन, मँझले का अली और छोटे का अहमद था। बादशाह का एक भाई जब मरा तो उस

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ईर्ष्यालु बहनों की कहानी

29 जनवरी 2022
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पुराने जमाने में फारस में खुसरो शाह नामी शहजादा था। वह रातों को अक्सर भेस बदल कर सिर्फ एक सेवक को अपने साथ रख कर नगर की सैर किया करता था और संसार की विचित्र बातें देख कर अपना ज्ञान बढ़ाया करता था। ज

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बैल और गधा

29 जनवरी 2022
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एक बार एक सौदागर था जो बहुत अमीर था। उसके पास बहुत सारे नौकर चाकर और जानवर थे। उसकी एक पत्नी थी और परिवार था और वह अपने खाने पीने के लिये खेती करता था। उसके पास जंगली जानवरों और हर तरह की चिड़िया की बो

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भेड़िये और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक लोमड़ा और एक भेड़िया एक ही घर में रहते थे। भेड़िया बहुत ही बेरहम था जबकि लोमड़ा बहुत नरम दिल था। इसी तरह से रहते हुए उन्हें कुछ दिन हो गये कि एक दिन वह लोमड़ा भेड़िये से बोला — “अगर तुम इसी तरीके

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लोमड़े और कौए की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक लोमड़ा एक पहाड़ की एक गुफा में रहता था। जब भी उसको एक बच्चा पैदा होता और वह बड़ा हो जाता तो वह उसको खा जाता क्योंकि उसको भूख बहुत लगती थी। अगर वह अपने बच्चों को न खाता तो उसके वे बच्चे बड़े हो जाते और

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साही और कबूतर

29 जनवरी 2022
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एक बार एक साही एक खजूर के पेड़ के नीचे रहने के लिये आया। उसी पेड़ के ऊपर एक कबूतर अपनी पत्नी के साथ रहता था। साही ने सोचा कि यह कबूतर का जोड़ा तो इस पेड़ के फल खाता है पर मुझे इस पेड़ के फल खाने का कोई मौ

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बतख और कछुए की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक बतख बहुत ऊपर उड़ा और बहते हुए पानी में खड़ी एक चट्टान पर जा कर बैठ गया। जब वह वहाँ बैठा हुआ था तो पानी की एक लहर एक आदमी का ढाँचा उसके पास ला कर छोड़ गयी। बतख ने उसको ठीक से देखा तो उसको पता लग

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चुहिया और एक ततैये की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक चुहिया और एक मादा ततैया एक गरीब किसान के घर में एक साथ ही रहते थे। एक बार उस किसान का एक दोस्त बीमार पड़ गया तो डाक्टर ने उसको धुले तिल21 खाने की सलाह दी। सो उस किसान ने एक आदमी से अपने दोस्

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कौआ और बिल्ला

29 जनवरी 2022
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एक समय की बात है कि एक कौआ और एक बिल्ला दोनों आपस में बड़े गहरे दोस्त थे और साथ साथ रहते थे। एक दिन वे दोनों एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे कि उन्होंने एक चीते23 को अपनी तरफ आते हुए देखा। उनको उसके अपनी त

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चिड़ा और मोर

29 जनवरी 2022
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एक बार की बात है एक चिड़ा रोज सुबह सुबह चिड़ियों के राजा से मिलने जाता था और सारा दिन उसकी सेवा में खड़ा रहता था। वह सबसे पहले वहाँ पहुँचता था और सबसे बाद में वहाँ से वापस आता था। एक बार कुछ चिड़ियों ने

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मुर्गे और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक गाँव में एक शेख रहता था। उसकी अपने गाँव में बहुत अच्छी साख थी और वह एक बहुत ही समझदार आदमी था। उसके अपने पास बहुत सारे मुर्गे मुर्गियाँ थे। वह उनको बढ़ाने के लिये उनकी बहुत अच्छी देखभाल करता

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चिड़ियें, जानवर और बढ़ई

29 जनवरी 2022
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जानवरों की यह कहानी बहुत ही मजेदार है। हो सकता है कि तुम इसको बार बार पढ़ना पसन्द करो और हर किसी को खास करके अपने छोटे भाई बहिनों को बार बार सुनाना पसन्द करो। बहुत पुरानी बात है कि एक मोर अपनी पत्नी क

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