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सिंदबाद जहाजी की चौथी यात्रा

29 जनवरी 2022

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सिंदबाद ने कहा, कुछ दिन आराम से रहने के बाद मैं पिछले कष्ट और दुख भूल गया था और फिर यह सूझी कि और धन कमाया जाए तथा संसार की विचित्रताएँ और देखी जाएँ। मैंने चौथी यात्रा की तैयारी की और अपने देश की वे वस्तुएँ जिनकी विदेशों में माँग है प्रचुर मात्रा में खरीदीं। फिर मैं माल लेकर फारस की ओर चला। वहाँ के कई नगरों में व्यापार करता हुआ मैं एक बंदरगाह पर पहुँचा और व्यापार किया।

एक दिन हमारा जहाज तूफान में फँस गया। कप्तान ने जहाज को सँभालने का बहुत प्रयत्न किया किंतु सँभाल न सका। जहाज समुद्र की तह से ऊपर उठी पानी में डूबी एक चट्टान से टकरा कर चूर-चूर हो गया। कई लोग तो वहीं डूब गए किंतु मैं और कुछ अन्य व्यापारी टूटे तख्तों के सहारे किसी प्रकार तट पर आ लगे। हम लोग एक द्वीप में आ गए थे। इधर-उधर घूम कर हम लोगों ने वृक्षों के फल तोड़-तोड़ कर खाए और अपनी भूख मिटाई।

फिर हम समुद्र तट पर आ कर लेट गए और अपने दुर्भाग्य को कोसने लगे। किंतु इससे क्या होना था। हमें नींद आ गई और रात भर गहरी नींद में सोते रहे। सवेरे उठ कर फिर द्वीप में घूमने और फल आदि इकट्ठा करने लगे। अचानक काले रंग के आदमियों की एक बड़ी भीड़ ने हमें घेर लिया। उन्होंने हमारे गले में रस्सियाँ बाँध दीं और भेड़-बकरियों की भाँति हमें हाँक-हाँककर बहुत दूर पर बसे अपने गाँव में ले गए। फिर उन्होंने हमारे सामने एक खाद्य पदार्थ रखकर इशारे से कहा कि इसे खाओ। मेरे साथियों ने बगैर कुछ सोचे-समझे उसे पेट भर खाया और तुरंत ही नशे मे मतवाले हो गए। मैंने वह चीज बहुत कम खाई और काले लोगों की हरकतों को ध्यान से देखने लगा। मेरे साथी तो कुछ न समझ सके लेकिन मैंने समझ लिया कि इन लोगों की नीयत अच्छी नहीं है। फिर उन्होंने खाने के लिए हमें नारियल के तेल में पका हुआ चावल दिया। इस खाद्य से आदमी मोटे हो जाते हैं। मैं समझ गया कि काले लोगों का इरादा है कि हमें मोटा करें और फिर अपने कबीले की दावत करके हम लोगों का मांस पका कर सब लोग खाएँ। मेरे साथी तो नशे में खूब पेट भर कर खाते थे किंतु मैं बहुत थोड़ा खाता था ताकि मोटा न होऊँ और नर भक्षियों का आहार न बनूँ। मैं कम खाने और अपने प्राणों की चिंता में इतना दुबला हो गया कि बदन में हड्डी-चमड़े के सिवाय कुछ न रहा।

मैं दिन में उस द्वीप में घूमा-फिरा करता था। एक दिन मैंने देखा कि गाँव के सब लोग काम पर चले गए हैं। केवल एक बूढ़ा बैठा था। मैं अवसर पाकर भाग निकला। बूढ़े ने मुझे बहुतेरा चिल्ला-चिल्लाकर बुलाया किंतु मैं न रुका। शाम को गाँव में लोग आए तो मेरी खोज में निकले। किंतु तब तक मैं बहुत ही दूर निकल चुका था। मैं दिन भर भागता रात में कहीं छुपकर सो जाता। रास्ते में फल आदि से भूख मिटाता या नारियल तोड़कर उसका पानी पी लेता जिससे भूख और प्यास दोनों शांत होती थी।

आठवें दिन मैं समुद्र के तट पर पहुँचा। वहाँ देखा कि मेरी तरह के बहुत-से श्वेत वर्ण मनुष्य काली मिर्च इकट्ठी कर रहे हैं क्योंकि वहाँ काली मिर्च बहुत पैदा होती थी। उन्हें देख कर मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई और मैं उनके पास पहुँच गया। वे भी चारों ओर जमा हो गए और अरबी भाषा में मुझसे पूछने लगे कि तुम कहाँ से आ रहे हो। मैं अरबी बोली सुनकर और भी हर्षित हुआ और मैंने विस्तार से उन्हें बताया कि जहाज टूटने पर हम लोग द्वीप के किसी अन्य तट पर लगे जहाँ से हमें बहुत-से श्याम वर्ण लोग पकड़ कर ले गए।

उन लोगों को यह सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ। वे बोले, 'अरे वे लोग नरभक्षी हैं। तुम्हें उन्होंने छोड़ कैसे दिया?' मैंने उन्हें आगे का हाल बताया कि किस प्रकार कम खाकर और मौका पाकर भाग कर मैंने जान बचाई।

उन लोगों को मेरे जीते-जागते बच निकलने पर अति आश्चर्य और प्रसन्नता हुई। जब तक उनका काम पूरा न हुआ मैं उनके साथ मिलकर काम करता रहा, फिर वे लोग मुझे अपने साथ जहाज पर लेकर अपने देश आए और अपने बादशाह के सामने मुझे यह कह कर पेश किया कि यह व्यक्ति नरभक्षियों के चंगुल से सही-सलामत निकल आया है। बादशाह को जब मैंने अपना पूरा हाल सुनाया तो उसे भी सुनकर बड़ा आश्चर्य और प्रसन्नता हुई। वह बादशाह बड़ा दयालु प्रकृति का था। उसने मुझे पहनने के लिए वस्त्र तथा अन्य सुख-सुविधाएँ दीं।

बादशाह के कब्जे में जो द्वीप था वह बहुत बड़ा और धन-धान्य से पूर्ण था। वहाँ के व्यापारी अन्य देशों में अपने यहाँ की चीजें ले जाते थे और बाहर के कई व्यापारी भी आते थे। मुझे आशा होने लगी कि किसी दिन मैं अपने देश पहुँच जाऊँगा। बादशाह मुझ पर बड़ा कृपालु था। उसने मुझे अपना दरबारी बना लिया। लोग मुझे देखकर ऐसा बर्ताव करने लगे जैसे मैं उनके देश का निवासी हूँ।

मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि वहाँ लोग बगैर जीन-लगाम ही घोड़ों पर सवार होते थे। यहाँ तक कि बादशाह भी घोड़े की नंगी पीठ पर सवारी करता था। मैंने एक दिन बादशाह से पूछा कि आप लोग जीन-लगाम लगाकर घोड़े पर क्यों नहीं चढ़ते। उसने कहा, जीन लगाम क्या होती है। उसने यह भी कहा कि मैं उसके लिए ये चीजें बना दूँ।

मैंने एक नमूना बनाकर लकड़ी के कारीगर को दिया। उसने मेरे नमूने के अनुसार जीन बना दी। मैंने उसे चमड़े से मढ़वाया और उस पर अतलस और कमरख्वाब का आवरण चढ़ाया। एक लोहार से रकाबे बनाने को कहा और लगाम का सामान भी बनवाया। जब सारा सामान तैयार हो गया तो मैं उसे घोड़े पर सजाकर घोड़ा बादशाह के सामने ले गया। वह उस पर सवार हुआ तो उसे बहुत प्रसन्नता और संतोष हुआ। उसने मुझे बहुत इनाम-इकराम दिया और पहले से भी अधिक मुझे मानने लगा। फिर मैंने बहुत-सी जीनें और लगामें बनवा कर राज्य परिवार के सदस्यों, मंत्रियों आदि को दीं। उन्होंने उनके बदले हजारों रुपए तथा अन्य बहुमूल्य वस्तुएँ मुझे प्रदान कीं। राज दरबार में मेरा मान बढ़ा तो नगरवासी भी मेरा बहुत सम्मान करने लगे।

एक दिन बादशाह ने मेरे साथ एकांत बातचीत की। वह बोला, 'मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ और तुम पर अधिकाधिक कृपा करना चाहता हूँ। मेरे दरबार के लोग और साधारण प्रजाजन भी तुम्हारी बुद्धिमत्ता के कारण तुम्हें बहुत मानते हैं। मैं चाहता हूँ कि तुम एक काम करो। मुझे पूर्ण विश्वास है कि जो मैं कहूँगा तुम उससे इनकार नहीं करोगे।' मैंने कहा, 'आप जो भी आज्ञा करेंगे वह मेरे हित में होगी क्योंकि आपकी मुझ पर कृपा रहती है। मैं क्यों आपकी आज्ञा का उल्लंघन करूँगा?' उसने कहा, 'मैं चाहता हूँ कि तुम स्थायी रूप से यहाँ बस जाओ और अपने देश जाने का विचार छोड़ दो। इसलिए मैं यहाँ की एक सुंदर और सुशील कन्या से तुम्हारा विवाह करना चाहता हूँ।' मैंने सहर्ष इसे स्वीकार किया।

उसने एक अत्यंत रूपवती और गुणवती नव यौवना से मेरा विवाह करा दिया। मैं उसे पाकर बगदाद में बसे अपने परिवार को भूल-सा गया। कुछ दिनों बाद मेरे पड़ोसी की पत्नी बीमार हो गई और कुछ दिन बाद मर गई। पड़ोसी से मेरी अच्छी दोस्ती थी इसलिए मातमपुर्सी को उसके घर गया। वह आदमी अत्यंत शोक में डूबा था और उसके आँसू ही नहीं थमते थे। मैंने उसे समझाया कि वह धैर्य रखे, भगवान चाहेगा तो दूसरी शादी के बाद और अच्छा जीवन बीतेगा। उसने कहा, 'तुम कुछ नहीं जानते इसीलिए ऐसी तसल्ली दे रहे हो। मैं तो दो-चार घंटे का ही मेहमान हूँ।'

मैंने परेशान होकर उससे स्थिति स्पष्ट करने को कहा तो वह बोला, 'आज मुझे मृत पत्नी के साथ जीते जी दफन किया जाएगा। हमारे यहाँ बहुत पुराने जमाने से यह रस्म चली आ रही है कि पति मरता है तो पत्नी उसके साथ दफन कर दी जाती है और पत्नी मरती है तो पति को उसके साथ गाड़ दिया जाता है। अब मेरी जान बचने की कोई सूरत ही नहीं है। यहाँ के निवासी एकमत हो कर इस रिवाज को स्वीकार करते हैं। कोई इसके विरुद्ध कुछ नहीं कर सकता।'

इस भयंकर रिवाज की बात सुनते ही मेरे होश उड़ गए। मैं उसी समय से अपने बारे में चिंता करने लगा क्योंकि मेरा भी विवाह हो चुका था। थोड़ी देर में उसके सगे संबंधी एकत्र हो गए। उन्होंने कफन आदि का प्रबंध किया। उन्होंने औरत की लाश को नहला-धुलाकर बहुमूल्य वस्त्र पहनाए और एक खुली अर्थी पर रख कर ले चले। उसका पति भी शोकसूचक वस्त्र पहने रोता-पीटता उनके पीछे चला।

सब लोग एक बड़े पहाड़ पर पहुँचे। वहाँ पर उन्होंने एक बड़ी चट्टान हटाई तो उसके नीचे बड़ा गहरा और अँधेरा गड्ढा दिखाई दिया। सब लोगों ने रस्सी के द्वारा अर्थी को गड्ढे की तह तक उतार दिया। उसके बाद मृत स्त्री के पति को भी गड्ढे में उतार दिया। उन्होंने उसके साथ सात रोटियाँ और जल से भरा पात्र भी रख दिया और उसे उतारने के बाद गढ्ढे का मुँह चट्टान से बंद कर दिया। वह पहाड़ बहुत लंबा-चौड़ा था। उसके दूसरी ओर समुद्र था और उस ओर का क्षेत्र दुर्गम और निर्जन था। चट्टान को यथावत रख कर और पति-पत्नी के लिए शोक करके सब लोग वापस हुए।

मैं बहुत ही डर गया था और सोचता था कि ऐसी अमानुषिक रीति जो दुनिया के किसी देश में नहीं है यहाँ क्यों मानी जाती है। किंतु जिससे भी बात करता वह इस रिवाज का समर्थन करता और मेरी बात को गलत कहता था। यहाँ तक कि जब मैंने बादशाह से बात की तो उसने कहा, 'सिंदबाद, यह हमारे बुजुर्गों की बहुत पुरानी चलाई गई रस्म है। मैं अगर चाहूँ भी तो इसे रोक नहीं सकता। यह रस्म मुझ पर भी लागू होती है। भगवान न करे अगर रानी का देहांत हो जाय तो मुझे भी उसके साथ जीते जी दफन कर दिया जाएगा।' मैंने पूछा कि यह रस्म क्या उन अन्य देशवासियों पर भी लागू होती है जो यहाँ पर रहने लगे हैं। बादशाह मुस्कराने लगा और बोला, 'यह रस्म देशी-विदेशी सब के लिए है। इससे कोई व्यक्ति बाहर नहीं समझा जाता।'

इसके बाद मैं बहुत घबराया रहने लगा। मैं बराबर सोचता था कि कहीं मेरी पत्नी मर गई तो मुझे भी ऐसी भयानक मौत मरना पड़ेगा। मैं इसीलिए अपनी पत्नी के स्वास्थ्य की बहुत देखभाल करने लगा। किंतु ईश्वर की इच्छा कौन टाल सकता है। कुछ समय के बाद मेरी पत्नी सख्त बीमार हुई और कुछ दिनों में काल कवलित हो गई। मुझ पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा। मैं सर पीटता था और कहता था कि मैं बेकार ही उस द्वीप से भागा। इस प्रकार जीते जी गाड़े जाने से कहीं अच्छा था कि नरभक्षी मुझे मार कर खा जाते।

इतने में बादशाह अपने दरबारियों और सेवकों के साथ मेरे घर आया। नगर के अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति भी वहाँ एकत्र हो गए और उसे अर्थी पर रख कर लोग ले चले और उनके पीछे मैं भी रोता-पीटता आँसू बहाता चला। दफन के पहाड़ पर पहुँच कर मैंने एक बार फिर अपने प्राण बचाने का प्रयत्न किया। मैंने बादशाह से कहा, स्वामी, मैं तो यहाँ का रहने वाला नहीं हूँ। मुझे यह कठोरतम दंड क्यों दिया जा रहा है। मुझ पर दया करके मुझे जीवन प्रदान कर दीजिए। मैं अकेला भी नहीं हूँ, मेरे देश में स्त्री-बच्चे मौजूद हैं। उनका खयाल करके मुझे छोड़ दीजिए।

मैंने हजार फरियाद की किंतु बादशाह या अन्य किसी व्यक्ति को मुझ पर दया न आई। पहले मेरी पत्नी की अर्थी को गड्ढे में उतारा गया फिर मुझे एक दूसरी अर्थी पर बिठाकर मेरे साथ रोटियाँ और पानी का घड़ा रख कर उतार दिया गया और गड्ढे पर चट्टान को वापस रख दिया गया।

वह कंदरा लगभग पचास हाथ गहरी थी। उसमें उतरते ही वहाँ उठने वाली बदबू से, जो लाशों के सड़ने से पैदा हो रही थी, मेरा दिमाग फटने लगा। मैं अपनी अर्थी से उठकर दूर भागा। मैं चीख-चीखकर रोने लगा और अपने भाग्य को कोसने लगा। मैं कहता था 'भगवान जो करता है उसे अच्छा ही कहा जाता है। जाने मेरे इस दुर्भाग्य में क्या अच्छाई है। मैं तीन-तीन यात्रा के कष्टों और खतरों से भी चैतन्य नहीं हुआ और फिर मरने के लिए चौथी यात्रा पर चला आया। अब तो यहाँ से निकलने का कोई रास्ता ही नहीं है।' इसी प्रकार मैं घंटों रोता रहा।

किंतु सुख हो या दुख, मनुष्य को भूख तो सताती ही है। मैं नाक-मुँह बंद करके अपनी अर्थी पर पहुँचा और थोड़ी रोटी खाकर पानी पिया। कुछ दिनों इस तरह जिया। रोटियाँ खत्म हो गईं तो सोचा कि अब तो भूखा मरना ही है। इतने में ऊपर उजाला हुआ। ऊपर की चट्टान खोल कर लोगों ने एक मृत पुरुष और उसके साथ उसकी विधवा को गढ्ढे में उतार दिया। जब लोग चट्टान बंद कर चुके तो मैंने एक मुर्दे की पाँव की हड्डी उठाई और चुपचाप पीछे से आकर स्त्री के सिर पर उसे इतनी जोर से मारा कि वह गश खाकर गिर पड़ी। मैंने लगातार चोटें करके उसे मार डाला और साथ रखी हुई रोटियाँ और पानी लेकर अपने कोने में चला गया। दो-चार दिन बाद एक आदमी को उसकी मृत पत्नी के साथ उतारा गया। मैंने पहले की तरह आदमी को खत्म करके उसकी रोटियाँ और पानी ले लिया। मेरे भाग्य से नगर में महामारी पड़ी और रोज दो-एक लाशें और उसके साथ जीवित व्यक्ति आने लगे जिन्हें मारकर मैं उनकी रोटियाँ ले लेता।

एक दिन मैंने वहाँ ऐसी आवाज सुनी जैसे कोई साँस ले रहा हो। वहाँ अँधेरा तो इतना रहता था कि दिन-रात का पता नहीं चलता था। मैंने आवाज ही पर ध्यान दिया तो साँस के साथ पाँवों की भी हलकी आहट आई। मैं उठा तो मालूम हुआ कि कोई चीज एक तरफ दौड़ रही है। मैं भी उसके पीछे दौड़ा। कुछ देर इसी प्रकार दौड़ने के बाद मुझे दूर एक तारे जैसी चमक दिखाई दी जो झिलमिला-सी रही थी। मैंने उस तरफ दौड़ना आरंभ किया तो देखा कि एक इतना बड़ा छेद है जिसमें से मैं बाहर जा सकता हूँ।

वास्तव में मैं पहाड़ के दूसरी ओर के ढाल पर निकल आया था। पहाड़ इतना ऊँचा था कि नगर निवासी जानते ही नहीं थे कि उधर क्या है। उस छेद में से होकर कोई जंतु मुर्दों को खाने के लिए अंदर आया करता था और उसी के सहारे मुझे बाहर निकलने का रास्ता मिला। मैं उस छेद से बाहर खुले आकाश के नीचे आ निकला और भगवान को उनकी अनुकंपा के लिए धन्यवाद दिया। मुझे अब अपने बच निकलने की आशा हो गई थी।

अब मैने कुछ सोचना आरंभ किया क्योंकि अभी तक तो मुर्दों की दुर्गंध के कारण कुछ सोच नहीं पाता था। थोड़ा-थोड़ा भोजन करके मैंने इतने दिन तक किसी प्रकार अपने को जीवित रखा था। मैं एक बार फिर जी कड़ा करके उस मुर्दों की गुफा में घुस गया। बहुत-से मुर्दों के साथ बहुमूल्य रत्न भूषण, आदि रख दिए जाते थे। मैंने टटोल-टटोल कर अंदाज से बहुत-से हीरे जवाहरात इकट्ठे किए।

मुर्दों के कफनों ही में उनकी अर्थियों की रस्सियों से हीरे-जवाहरात की कई गठरियाँ बाँधीं और एक-एक करके उन्हें बाहर ले आया, जहाँ से सामने समुद्र दिखाई देता था। मैंने समुद्र तट पर दो-तीन दिन फल फूल खाकर बिताए।

चौथे दिन मैंने तट के पास से एक जहाज गुजरता देखा। मैंने पगड़ी खोलकर उसे हवा में उड़ाते हुए खूब चिल्लाकर आवाजें दीं। जहाज के कप्तान ने मुझे देख लिया। उसने जहाज रोककर एक नाव मुझे लेने को भेजी। नाविक लोग मुझसे पूछने लगे कि तुम इस निर्जन स्थान पर कैसे आए। मैंने उन्हें पूरा वृत्तांत सुनाने के बजाय कह दिया कि दो दिन पहले हमारा जहाज डूब गया था, मेरे सभी साथी भी डूब गए, सिर्फ मैं कुछ तख्तों के सहारे अपनी जान और कुछ सामान बचा लाया। वे लोग मुझे गठरियों समेत जहाज पर ले गए।

जहाज पर कप्तान से भी मैंने यही बात कही और उसकी कृपा के बदले उसे कुछ रत्न देने लगा किंतु उसने लेने से इनकार कर दिया। हम वहाँ से चल कर कई द्वीपों में गए। हम सरान द्वीप से दस दिन की राह पर स्थित नील द्वीप गए। वहाँ से हम कली द्वीप पहुँचे जहाँ सीसे की खाने हैं और हिंदुस्तान की कई वस्तुएँ ईख, कपूर आदि भी होती हैं। कली द्वीप बहुत बड़ा है और वहाँ व्यापार बहुत होता है। हम लोग अपनी चीजें खरीदते-बेचते कुछ समय के बाद बसरा पहुँचे जहाँ से मैं बगदाद आ गया। मुझे असीमित धन मिला था। मैंने कई मसजिदें आदि बनवाईं और आनंदपूर्वक रहने लगा। यह कहकर सिंदबाद ने हिंदबाद को चार सौ दीनारें और दीं और दूसरे रोज भी आने को कहा। अगले दिन सब लोग फिर एकत्र हुए और भोजनोपरांत सिंदबाद ने अपनी पाँचवीं यात्रा का वर्णन शुरू किया। 

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रचनाएँ
अलिफ लैला
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अलिफ लैला की कहानी अरब देश की एक प्रचलित लोक कथा है जो पूरी दुनिया में सदियों से सुनी व पढ़ी जाती रही है। ... इस कथा के अनुसार, बादशाह शहरयार अपनी मलिका की बेवपफाई से दुःखी होकर उसका और उसकी सभी दासियों का कत्ल कर देता है और प्रतिज्ञा करता है कि रोजाना एक स्त्री के साथ विवाह करूंगा और अगली सुबह उसे कत्ल कर दूंगा।
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भूमिका

29 जनवरी 2022
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भूमिका (1)-अलिफ़ लैला सहस्र-रजनी चरित्र, जो अब भी भारत में अपने अरबी नाम 'अल्फ लैला' के प्रचलित बिगड़े हुए रूप 'अलिफ लैला' के नाम से अधिक जाना जाता है, वास्तव में लोक कथाओं का ऐसा संग्रह है जिसकी लोक

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शहरयार और शाहजमाँ

29 जनवरी 2022
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फारस देश भी हिंदुस्तान और चीन के समान था और कई नरेश उसके अधीन थे। वहाँ का राजा महाप्रतापी और बड़ा तेजस्वी था और न्यायप्रिय होने के कारण प्रजा को प्रिय था। उस बादशाह के दो बेटे थे जिनमें बड़े लड़के का

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किस्सा गधे, बैल और उनके मालिक

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एक बड़ा व्यापारी था जिसके गाँव में बहुत-से घर और कारखाने थे जिनमें तरह-तरह के पशु रहते थे। एक दिन वह अपने परिवार सहित कारखानों को देखने के लिए गाँव गया। उसने अपनी पशुशाला भी देखी जहाँ एक गधा और एक बैल

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किस्सा व्यापारी और दैत्य का-

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शहरजाद ने कहा : प्राचीन काल में एक अत्यंत धनी व्यापारी बहुत-सी वस्तुओं का कारोबार किया करता था। यद्यपि प्रत्येक स्थान पर उसकी कोठियाँ, गुमाश्ते और नौकर-चाकर रहते थे तथापि वह स्वयं भी व्यापार के लिए द

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किस्सा बूढ़े और उसकी हिरनी का

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वृद्ध बोला, 'हे दैत्यराज, अब ध्यान देकर मेरा वृत्तांत सुनें। यह हिरनी मेरे चचा की बेटी और मेरी पत्नी है। जब यह बारह वर्ष की थी तो इसके साथ मेरा विवाह हुआ। यह अत्यंत पतिव्रता थी और मेरे प्रत्येक आदेश क

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किस्सा तीसरे बूढ़े का जिसके साथ एक खच्चर था

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तीसरे बूढ़े ने कहना शुरू किया : 'हे दैत्य सम्राट, यह खच्चर मेरी पत्नी है। मैं व्यापारी था। एक बार मैं व्यापार के लिए परदेश गया। जब मैं एक वर्ष बाद घर लौटकर आया तो मैंने देखा कि मेरी पत्नी एक हब्शी गुल

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मछुवारे की कहानी

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शहरजाद ने कहा कि हे स्वामी, एक वृद्ध और धार्मिक प्रवृत्ति का मुसलमान मछुवारा मेहनत करके अपने स्त्री-बच्चों का पेट पालता था। वह नियमित रूप से प्रतिदिन सवेरे ही उठकर नदी के किनारे जाता और चार बार नदी मे

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गरीक बादशाह और हकीम दूबाँ की कथा

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फारस देश में एक रूमा नामक नगर था। उस नगर के बादशाह का नाम गरीक था। उस बादशाह को कुष्ठ रोग हो गया। इससे वह बड़े कष्ट में रहता था। राज्य के वैद्य-हकीमों ने भाँति-भाँति से उसका रोग दूर करने के उपाय किए क

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भद्र पुरुष और उसके तोते की कथा

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पूर्वकाल में किसी गाँव में एक बड़ा भला मानस रहता था। उसकी पत्नी अतीव सुंदरी थी और भला मानस उससे बहुत प्रेम करता था। अगर कभी घड़ी भर के लिए भी वह उसकी आँखों से ओझल होती थी तो वह बेचैन हो जाता था। एक बा

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अमात्य की कहानी

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प्राचीन समय में एक राजा था उसके राजकुमार को मृगया का बड़ा शौक था। राजा उसे बहुत चाहता था, राजकुमार की किसी इच्छा को अस्वीकार नहीं करता था। एक दिन राजकुमार ने शिकार पर जाना चाहा। राजा ने अपने एक अमात्य

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काले द्वीपों के बादशाह की कहानी

29 जनवरी 2022
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उस जवान ने अपना वृत्तांत कहना आरंभ किया। उसने कहा 'मेरे पिता का नाम महमूद शाह था। वह काले द्वीपों का अधिपति था, वे काले द्वीप चार विख्यात पर्वत हैं। उसकी राजधानी उसी स्थान पर थी जहाँ वह रंगीन मछलियों

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किस्सा तीन राजकुमारों और पाँच सुंदरियों का

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शहरजाद की कहानी रात रहे समाप्त हो गई तो दुनियाजाद ने कहा - बहन, यह कहानी तो बहुत अच्छी थी, कोई और भी कहानी तुम्हें आती है? शहरजाद ने कहा कि आती तो है किंतु बादशाह की अनुमति हो तो कहूँ। बादशाह ने अनुमत

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मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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मजदूर बोला, 'हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया।

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मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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मजदूर बोला, 'हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया।

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पहले फकीर की कहानी

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पहले फकीर ने अदब से घुटनों के बल खड़े होकर कहा 'सुंदरी, अब ध्यान लगाकर सुनो कि मेरी आँख किस प्रकार गई और मैं क्यों फकीर बना। मैं एक बड़े बादशाह का बेटा था। बादशाह का भाई यानी मेरा चचा भी एक समीपवर्ती

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दूसरे फकीर की कहानी

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अभी पहले फकीर की अद्भुत आप बीती सुनकर पैदा होने वाले आश्चर्य से लोग उबरे नहीं थे कि जुबैदा ने दूसरे फकीर से कहा कि तुम बताओ कि तुम कौन हो और कहाँ से आए हो। उसने कहा कि आपकी आज्ञानुसार मैं आप को बताऊँग

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भले आदमी और ईर्ष्यालु पुरुष

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किसी नगर में दो आदमियों का घर एक दूसरे से लगा हुआ था। उनमें से एक पड़ोसी दूसरे के प्रति ईर्ष्या और द्वेष रखता था। भले मानस ने सोचा कि मकान छोड़कर कहीं जा बसूँ क्योंकि मैं इस आदमी के प्रति उपकार करता ह

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किस्सा तीसरे फकीर का

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हे दयालु सुंदरी, मेरी कहानी बहुत ही आश्चर्यकारी है। इन दोनों शहजादों की दाहिनी आँखें परिस्थितिवश गईं किंतु मेरी आँख मेरी ही मूर्खता और मेरे ही अपराध के कारण फूटी। मैं इसका विस्तृत वर्णन करता हूँ। मेरा

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किस्सा जुबैदा का

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जुबैदा ने खलीफा के सामने सर झुका कर निवेदन किया है राजाधिराज, मेरी कहानी बड़ी ही विचित्र है, आपने इस प्रकार की कोई कहानी नहीं सुनी होगी। मैं और वे दोनों काली कुतियाँ तीनों सगी बहिनें हैं और यह दो स्त्

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किस्सा अमीना का

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अमीना ने कहा, 'जुबैदा की कहानी आप उसके मुँह से सुन चुके, अब मैं अपनी कहानी आपके सम्मुख प्रस्तुत करती हूँ। मेरी माँ मुझे लेकर अपने घर में आई कि रँड़ापे का अकेलापन उसे न खले। फिर उसने मेरा विवाह इसी नगर

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सिंदबाज जहाजी की कहानी

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जब शहरजाद ने यह कहानी पूरी की तो शहरयार ने, जिसे सारी कहानियाँ बड़ी रोचक लगी थीं, पूछा कि तुम्हें कोई और कहानी भी आती हैं। शहरजाद ने कहा कि बहुत कहानियाँ आती हैं। यह कह कर उसने सिंदबाद जहाजी की कहानी

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सिंदबाद जहाजी की पहली यात्रा

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सिंदबाद ने कहा कि मैंने अच्छी-खासी पैतृक संपत्ति पाई थी किंतु मैंने नौजवानी की मूर्खताओं के वश में पड़कर उसे भोग-विलास में उड़ा डाला। मेरे पिता जब जीवित थे तो कहते थे कि निर्धनता की अपेक्षा मृत्यु श्र

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सिंदबाद जहाजी की दूसरी यात्रा

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मित्रो, पहली यात्रा में मुझ पर जो विपत्तियाँ पड़ी थीं उनके कारण मैंने निश्चय कर लिया था कि अब व्यापार यात्रा न करूँगा और अपने नगर में सुख से रहूँगा। किंतु निष्क्रियता मुझे खलने लगी, यहाँ तक कि मैं बेच

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सिंदबाद जहाजी की तीसरी यात्रा

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सिंदबाद ने कहा कि घर आकर मैं सुखपूर्वक रहने लगा। कुछ ही दिनों में जैसे पिछली दो यात्राओं के कष्ट और संकट भूल गया और तीसरी यात्रा की तैयारी शुरू कर दी। मैंने बगदाद से व्यापार की वस्तुएँ लीं और कुछ व्या

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सिंदबाद जहाजी की चौथी यात्रा

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सिंदबाद ने कहा, कुछ दिन आराम से रहने के बाद मैं पिछले कष्ट और दुख भूल गया था और फिर यह सूझी कि और धन कमाया जाए तथा संसार की विचित्रताएँ और देखी जाएँ। मैंने चौथी यात्रा की तैयारी की और अपने देश की वे व

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सिंदबाद जहाजी की पाँचवी यात्रा

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सिंदबाद ने कहा कि मेरी विचित्र दशा थी। चाहे जितनी मुसीबत पड़े मैं कुछ दिनों के आनंद के बाद उसे भूल जाता था और नई यात्रा के लिए मेरे तलवे खुजाने लगते थे। इस बार भी यही हुआ। इस बार मैंने अपनी इच्छानुसार

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सिंदबाद जहाजी की छठी यात्रा

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सिंदबाद ने हिंदबाद और अन्य लोगों से कहा कि आप लोग स्वयं ही सोच सकते हैं कि मुझ पर कैसी मुसीबतें पड़ीं और साथ ही मुझे कितना धन प्राप्त हुआ। मुझे स्वयं इस पर आश्चर्य होता था। एक वर्ष बाद मुझ पर फिर यात्

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सिंदबाद जहाजी की सातवीं यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा, दोस्तो, मैंने दृढ़ निश्चय किया था कि अब कभी जल यात्रा न करूँगा। मेरी अवस्था भी इतनी हो गई थी कि मैं कहीं आराम के साथ बैठ कर दिन गुजारता। इसीलिए मैं अपने घर में आनंदपूर्वक रहने लगा। एक

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एक स्त्री और तीन नौकरों का वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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शहरयार को सिंदबाद की यात्राओं की कहानी सुन कर बड़ा आनंद हुआ। उसने शहरजाद से और कहानी सुनाने को कहा। शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद का नियम था कि वह समय-समय पर वेश बदल कर बगदाद की सड़कों पर प्रजा का

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जवान और मृत स्त्री

29 जनवरी 2022
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उस जवान ने कहा कि 'मृत स्त्री मेरी पत्नी और इन वृद्ध सज्जन की बेटी थी और यह मेरे चचा हैं। ग्यारह वर्ष पूर्व उससे मेरा विवाह हुआ था। हमारे तीन बेटे हैं जो जीवित हैं। मेरी पत्नी अत्यंत सुशील और पतिव्रता

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नूरुद्दीन अली और बदरुद्दीन हसन

29 जनवरी 2022
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मंत्री जाफर ने कहा कि पहले जमाने में मिस्र देश में एक बड़ा प्रतापी और न्यायप्रिय बादशाह था। वह इतना शक्तिशाली था कि आस-पड़ोस के राजा उससे डरते थे। उसका मंत्री बड़ा शासन- कुशल, न्यायप्रिय और काव्य आदि

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काशगर के दरजी और बादशाह के कुबड़े सेवक

29 जनवरी 2022
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दूसरी रात को मलिका शहरजाद ने पिछले पहर अपनी बहन दुनियाजाद के कहने से यह कहानी सुनाना आरंभ किया। पुराने जमाने में तातार देश के समीपवर्ती नगर काशगर में एक दरजी था जो अपनी दुकान में बैठ कर कपड़े सीता था।

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ईसाई द्वारा सुनाई गई

29 जनवरी 2022
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ईसाई ने कहा, मैं मिस्र की राजधानी काहिरा का निवासी हूँ। मेरा बाप दलाल था। उस के पास काफी पैसा हो गया। उस ने मरने के बाद मैं ने भी वही व्यापार आरंभ किया। एक दिन मैं अनाज की मंडी में अपने दैनिक व्यापार

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अनाज के व्यापारी

29 जनवरी 2022
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अनाज का व्यापारी बोला कि कल मैं एक धनी व्यक्ति की पुत्री के विवाह में गया था। नगर के बहुत-से प्रतिष्ठित व्यक्ति उसमें शामिल थे। शादी की रस्में पूरी होने पर दावत हुई और नाना प्रकार के व्यंजन परोसे गए।

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उस आदमी की कहानी जिसके चारों अँगूठे कटे थे

29 जनवरी 2022
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उस ने कहा कि दोस्तो, मेरा पिता बगदाद का रहनेवाला था और खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में था। मैं भी उसी समय पैदा हुआ। मेरा पिता यद्यपि धनवान तथा बड़े व्यापारियों में गिना जाता था तथापि वह बहुत ही विलासी औ

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यहूदी हकीम द्वारा वर्णित

29 जनवरी 2022
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यहूदी हकीम ने बादशाह के सामने झुक कर जमीन चूमी और कहा कि पहले मैं दमिश्क नगर में हकीमी किया करता था। अपनी चिकित्सा विधि के कारण वहाँ मेरी बड़ी प्रतिष्ठा हो गई थी। एक दिन वहाँ के हाकिम ने मुझ से कहा कि

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काशगर के बादशाह के सामने दरजी की कथा

29 जनवरी 2022
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दरजी ने कहा कि इस नगर के व्यापारी ने एक बार अपने मित्रों को भोज दिया और उनके लिए भाँति-भाँति के व्यंजन बनवाए। मुझे भी बुलाया गया। मैं जब वहाँ पहुँचा तो देखा कि बहुत-से निमंत्रित लोग मौजूद हैं किंतु मक

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लँगड़े आदमी की कहानी

29 जनवरी 2022
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मेरा पिता बगदाद के सम्मानित व्यक्तियों में से था और हम लोग आनंदपूर्वक वहाँ रह रहे थे। मैं अपने पिता का अकेला बेटा था। जिस समय मेरे पिता की मृत्यु हुई उस समय तक मैं न केवल विद्याध्ययन पूरा कर चुका था ब

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दरजी की जबानी नाई की कहानी

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के काल में बगदाद के आसपास दस कुख्यात डाकू थे जो राहगीरों को लूटते ओर मार डालते थे। खलीफा ने प्रजा के कष्ट का विचार कर के कोतवाल से कहा कि उन डाकुओं को पकड़ कर लाओ वरना मैं तुम्हें प्र

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नाई के कुबड़े भाई

29 जनवरी 2022
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सरकार, मेरा सबसे बड़ा भाई जिसका नाम बकबक था, कुबड़ा था। उसने दरजीगीरी सीखी और जब यह काम सीख लिया तो उसने अपना कारबार चलाने के लिए एक दुकान किराए पर ली। उस की दुकान के सामने ही एक आटा चक्कीवाले की दुका

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नाई के दूसरे भाई बकबारह की कहानी

29 जनवरी 2022
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दूसरे रोज खलीफा के सामने पहुँच कर मैं ने कहा कि मेरा दूसरा भाई बकबारह पोपला है। एक दिन उससे एक बुढ़िया ने कहा, मैं तुम्हारे लाभ की एक बात कहती हूँ। एक बड़े घर की स्वामिनी तुम से आकृष्ट है। मैं तुम्हें

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नाई के तीसरे भाई अंधे बूबक की कहानी

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा, सरकार, मेरा तीसरा भाई बूबक था जो बिल्कुल अंधा था। वह बड़ा अभागा था। वह भिक्षा से जीवन निर्वाह करता था। उसका नियम था कि अकेला ही लाठी टेकता हुआ भीख माँगने जाता और किसी दानी का द्वार खटखटा क

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नाई के चौथे भाई काने अलकूज

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि मेरा चौथा भाई काना था और उसका नाम अलकूज था। अब यह भी सुन लीजिए कि उसकी एक आँख किस प्रकार गई। मेरा भाई कसाई का काम करता था। उसे भेड़-बकरियों की अच्छी पहचान थी। वह मेढ़ों को लड़ाने के लिए

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नाई के पाँचवें भाई अलनसचर

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नाई ने कहा कि मेरे पाँचवें भाई का नाम अलनसचर था। वह बड़ा आलसी और निकम्मा था। वह रोज किसी न किसी मित्र के पास जा कर बेशर्मी से कुछ भीख माँग लेता और खा-पी कर पड़ा रहता। मेरा बाप कुछ समय बाद बूढ़ा हो कर

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नाई के छठे भाई कबक जिसके होंठ खरगोश की तरह के थे

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नाई ने कहा कि अब मेरे आखिरी भाई शाह कबक का वृत्तांत रह गया है। इसे भी सुन लीजिए, फिर मैं आप से विदा लूँ। इस भाई का नाम शाह कबक था और उसके होंठ खरगोश की तरह ऊपर को चढ़े हुए थे और वह चलता भी खरगोश की तर

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शहजादा अबुल हसन और हारूँ रशीद की प्रेयसी शमसुन्निहार

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खलीफा हारूँ रशीद के शासनकाल में बगदाद में एक अत्यंत धनाढ्य और सुसंस्कृत व्यापारी रहता था। वह शारीरिक रूप से तो सुंदर था ही, मानसिक रूप से और भी सुंदर था। वहाँ के अमीर-उमरा उसका बड़ा मान करते। यहाँ तक

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कमरुज्जमाँ और बदौरा

29 जनवरी 2022
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फारस देश में बीस दिन की राह पर एक देश खलदान है। उस देश में कई टापू भी शामिल हैं। बहुत दिन पहले वहाँ का बादशाह शाहजमाँ था। उसके चार पत्नियाँ थीं और सात विशेष दासियाँ। वह बड़ा प्रतापी राजा था, उसके दे

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नूरुद्दीन और पारस देश की दासी

29 जनवरी 2022
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अगली सुबह से पहले शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि पहले जमाने में बसरा बगदाद के अधीन था। बगदाद में खलीफा हारूँ रशीद का राज था और उसने अपने चचेरे भाई जुबैनी को बसरा का हाकिम बनाया था। जुबैनी के

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ईरानी बादशाह बद्र और शमंदाल की शहजादी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि बादशाह सलामत, ईरान बहुत बड़ा देश है। पुराने जमाने में वहाँ बड़े शक्तिशाली और प्रतापी नरेश हुआ करते थे और उन्हें शहंशाह यानी बादशाहों का बादशाह कहा जाता था। उसी काल का वहाँ का एक बादशा

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गनीम और फितना

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दुनियाजाद ने मलिका शहरजाद से नई कहानी सुनाने को कहा और बादशाह शहरजाद ने भी अपनी मौन स्वीकृति दे दी तो शहरजाद ने नई कहानी शुरू कर दी। उसने कहा कि पुराने जमाने में दमिश्क नगर में एक व्यापारी रहता था जिस

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शहजादा जैनुस्सनम और जिन्नों के बादशाह

29 जनवरी 2022
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पुराने जमाने में बसरा में एक बड़ा ऐश्वर्यवान और न्यायप्रिय बादशाह राज करता था। उसे सबकुछ प्राप्त था किंतु उसे बहुत दिनों तक कोई संतान नहीं हुई जिससे वह बहुत दुखी रहता था। नगर निवासी भी बादशाह के साथ म

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शहजादा खुदादाद और दरियाबार की शहजादी-

29 जनवरी 2022
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उपर्युक्त कहानी के मध्य में एक यात्रा में जैनुस्सनम के दरियाबार देश मे जाने का भी उल्लेख है। वहाँ की एक चित्ताकर्षक कथा उस ने सुनी थी। वह कथा भी इस जगह कही जाती है। हैरन नगर में एक बड़ा प्रतापी बादशा

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दरियाबार की शहजादी

29 जनवरी 2022
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उस सुंदरी ने कहा कि काहिरा के निकट दरियाबार नाम एक द्वीप है। उस का बादशाह सब प्रकार से सुखी था किंतु उसे संतान न होने का बड़ा दुख था। वर्षों की प्रार्थनाओं और सिद्धों के आशीर्वादों से उस के यहाँ एक पु

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सोते-जागते आदमी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में बगदाद में एक धनी व्यापारी था। उस का एक ही पुत्र था जिसका नाम अबुल हसन था। व्यापारी बड़ा कंजूस था। वह धन एकत्र ही करता था, खर्च बहुत कम करता था। इसलिए जब

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अलादीन और जादुई चिराग

29 जनवरी 2022
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चीन की राजधानी में मुस्तफा नाम का एक दरजी रहता था। वह गरीब आदमी था और बड़ी कठिनाई से अपने परिवारवालों का पेट भरता था। उस के पुत्र का नाम अलादीन था जो कुछ काम-काज नहीं करता था सिर्फ खेल-कूद में समय ब

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खलीफा हारूँ रशीद और बाबा अब्दुल्ला

29 जनवरी 2022
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दुनियाजाद के प्रस्ताव और शहरयार की अनुमति से नई कहानी प्रारंभ करते हुए शहरजाद ने कहा कि कभी-कभी आदमी का चित्त प्रसन्न होता है और उसकी कोई साफ वजह भी नहीं होती। ऐसी स्थिति भी होती है जब आदमी खुश तो होत

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अंधे बाबा अब्दुल्ला

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बाबा अब्दुल्ला ने कहा कि मैं इसी बगदाद नगर में पैदा हुआ था। मेरे माँ बाप मर गए तो उनका धन उत्तराधिकार में मैंने पाया। वह धन इतना था कि उससे मैं जीवन भर आराम से रह सकता था किंतु मैंने भोग-विलास में सार

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सीदी नोमान

29 जनवरी 2022
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भिखारी की कहानी सुनने के बाद खलीफा ने बराबर घोड़ी दौड़ानेवाले पर ध्यान दिया और उससे पूछा कि तुम्हारा क्या नाम है। उसने अपना नाम सीदी नोमान बताया। खलीफा ने कहा, मैंने बहुत-से घुड़सवारों और साईसों को दे

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ख्वाजा हसन हव्वाल

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ख्वाजा हसन ने कहा कि मैं अपनी बात बताने के पहले अपने दो मित्रों के बारे में बताना चाहता हूँ। वे अभी जीवित हैं और यहीं बगदाद में रहते हैं। वे मेरे प्रत्येक कथन की पुष्टि करेंगे। उनमें से एक का नाम सादी

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अलीबाबा और चालीस लुटेरों की कहानी

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अगली रात को मलिका शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि फारस देश में कासिम और अलीबाबा नाम के दो भाई रहते थे। उन्हें पैतृक संपत्ति थोड़ी ही मिली थी। किंतु कासिम का विवाह एक धनी-मानी व्यक्ति की पुत्री

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बगदाद के व्यापारी अली ख्वाजा

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खलीफा हारूँ रशीद के राज्य काल में बगदाद में अलीख्वाजा नामक एक छोटा व्यापारी रहता था। वह अपने पुश्तैनी मकान में, जो छोटा-सा ही था, अकेला रहता था। उसने विवाह नहीं किया था और उसके माता पिता की भी मृत्यु

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यंत्र के घोड़े

29 जनवरी 2022
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बादशाह सलामत, आपको यह मालूम ही है कि हजारों वर्ष से फारस में नौरोज यानी वर्ष का प्रथम दिवस बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। उसमें सभी लोग विशेषतः अग्निपूजक, भाँति-भाँति के नृत्यों और खेल-तमाशों का आय

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शहजादा अहमद और परीबानू

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शहरजाद ने कहा, बादशाह सलामत, पुराने जमाने में हिंदोस्तान का एक बादशाह बड़ा प्रतापी और ऐश्वर्यवान था। उसके तीन बेटे थे। बड़े का नाम हुसैन, मँझले का अली और छोटे का अहमद था। बादशाह का एक भाई जब मरा तो उस

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ईर्ष्यालु बहनों की कहानी

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पुराने जमाने में फारस में खुसरो शाह नामी शहजादा था। वह रातों को अक्सर भेस बदल कर सिर्फ एक सेवक को अपने साथ रख कर नगर की सैर किया करता था और संसार की विचित्र बातें देख कर अपना ज्ञान बढ़ाया करता था। ज

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बैल और गधा

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एक बार एक सौदागर था जो बहुत अमीर था। उसके पास बहुत सारे नौकर चाकर और जानवर थे। उसकी एक पत्नी थी और परिवार था और वह अपने खाने पीने के लिये खेती करता था। उसके पास जंगली जानवरों और हर तरह की चिड़िया की बो

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भेड़िये और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक लोमड़ा और एक भेड़िया एक ही घर में रहते थे। भेड़िया बहुत ही बेरहम था जबकि लोमड़ा बहुत नरम दिल था। इसी तरह से रहते हुए उन्हें कुछ दिन हो गये कि एक दिन वह लोमड़ा भेड़िये से बोला — “अगर तुम इसी तरीके

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लोमड़े और कौए की कहानी

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एक लोमड़ा एक पहाड़ की एक गुफा में रहता था। जब भी उसको एक बच्चा पैदा होता और वह बड़ा हो जाता तो वह उसको खा जाता क्योंकि उसको भूख बहुत लगती थी। अगर वह अपने बच्चों को न खाता तो उसके वे बच्चे बड़े हो जाते और

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साही और कबूतर

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एक बार एक साही एक खजूर के पेड़ के नीचे रहने के लिये आया। उसी पेड़ के ऊपर एक कबूतर अपनी पत्नी के साथ रहता था। साही ने सोचा कि यह कबूतर का जोड़ा तो इस पेड़ के फल खाता है पर मुझे इस पेड़ के फल खाने का कोई मौ

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बतख और कछुए की कहानी

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एक बार एक बतख बहुत ऊपर उड़ा और बहते हुए पानी में खड़ी एक चट्टान पर जा कर बैठ गया। जब वह वहाँ बैठा हुआ था तो पानी की एक लहर एक आदमी का ढाँचा उसके पास ला कर छोड़ गयी। बतख ने उसको ठीक से देखा तो उसको पता लग

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चुहिया और एक ततैये की कहानी

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एक बार एक चुहिया और एक मादा ततैया एक गरीब किसान के घर में एक साथ ही रहते थे। एक बार उस किसान का एक दोस्त बीमार पड़ गया तो डाक्टर ने उसको धुले तिल21 खाने की सलाह दी। सो उस किसान ने एक आदमी से अपने दोस्

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कौआ और बिल्ला

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एक समय की बात है कि एक कौआ और एक बिल्ला दोनों आपस में बड़े गहरे दोस्त थे और साथ साथ रहते थे। एक दिन वे दोनों एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे कि उन्होंने एक चीते23 को अपनी तरफ आते हुए देखा। उनको उसके अपनी त

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चिड़ा और मोर

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एक बार की बात है एक चिड़ा रोज सुबह सुबह चिड़ियों के राजा से मिलने जाता था और सारा दिन उसकी सेवा में खड़ा रहता था। वह सबसे पहले वहाँ पहुँचता था और सबसे बाद में वहाँ से वापस आता था। एक बार कुछ चिड़ियों ने

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मुर्गे और लोमड़े की कहानी

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एक बार एक गाँव में एक शेख रहता था। उसकी अपने गाँव में बहुत अच्छी साख थी और वह एक बहुत ही समझदार आदमी था। उसके अपने पास बहुत सारे मुर्गे मुर्गियाँ थे। वह उनको बढ़ाने के लिये उनकी बहुत अच्छी देखभाल करता

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चिड़ियें, जानवर और बढ़ई

29 जनवरी 2022
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जानवरों की यह कहानी बहुत ही मजेदार है। हो सकता है कि तुम इसको बार बार पढ़ना पसन्द करो और हर किसी को खास करके अपने छोटे भाई बहिनों को बार बार सुनाना पसन्द करो। बहुत पुरानी बात है कि एक मोर अपनी पत्नी क

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