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दरियाबार की शहजादी

29 जनवरी 2022

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उस सुंदरी ने कहा कि काहिरा के निकट दरियाबार नाम एक द्वीप है। उस का बादशाह सब प्रकार से सुखी था किंतु उसे संतान न होने का बड़ा दुख था। वर्षों की प्रार्थनाओं और सिद्धों के आशीर्वादों से उस के यहाँ एक पुत्री जन्मी। मैं ही वह अभागी हूँ। मेरे जन्म पर मेरे पिता ने बड़ा समारोह किया। मैं बड़ी हुई तो उस ने मुझे सारी विद्याओं और कलाओं की शिक्षा दिलवाई। उस ने मुझे राज्य के प्रबंध की स्वयं शिक्षा दी। उस का विचार यह था कि उस की मृत्यु के बाद मैं ही राज्य की अधिष्ठात्री बनूँ।

एक दिन मेरा पिता शिकार खेलने गया। उस ने एक हिरन के पीछे घोड़ा डाल दिया और अपने साथियों से बिछुड़ गया। शाम हो गई किंतु हिरन हाथ न आया। मेरा पिता एक पेड़ के नीचे जा बैठा और सोचने लगा कि राजधानी को किस प्रकार वापस हुआ जाए। रात होने पर उस ने देखा कि गहन वन के बीच एक जगह से प्रकाश आ रहा है। वह उधर चला। उसे आशा थी कि यह प्रकाश किसी गाँव से आ रहा होगा किंतु काफी दूर चलने के बाद उस ने देखा कि प्रकाश एक विशाल भवन से आ रहा है। वह उस ओर बढ़ा तो देखा कि घर में एक लंबा-चौड़ा हब्शी बैठा मांस खा रहा है और हाँडियाँ उठा कर उनसे शराब पी रहा है। उस ने यह भी देखा कि पास ही में एक अति सुंदर स्त्री बैठी है जिसके हाथ बँधे हैं और उस के पास ही दो-तीन वर्ष का एक लड़का बैठा है।

मेरे पिता को उस स्त्री पर दया आई और उस ने इरादा किया कि हब्शी को मार कर इस सुंदरी को छुड़ाऊँ। वह अवसर की प्रतीक्षा से खड़ा रहा। हब्शी जब आधा बैल खा चुका और सारी हाँडियों की शराब पी चुका तो स्त्री से कहने लगा, ओ मनमोहनी, तू कब तक मुझ से अलग-अलग रहेगी और कब तक मेरी इच्छा पूरी नहीं करेगी। तू यह तो देख कि मैं तुझ से कितना अधिक प्यार करता हूँ ओर कैसे तेरे ही ध्यान में मरता हूँ। तुझे भी चाहिए कि मुझ से इसी तरह प्रेम करे। स्त्री ने कहा, दुष्ट जंगली, क्या बकवास लगा रखी है। मैं, और तुम से प्रेम करूँगी। पहले अपनी सूरत तो आईने में देख। तू मुझे बराबर दुख दे रहा है। तू चाहे इस से भी अधिक दुख मुझे दे बल्कि मेरी जान भी ले ले तो भी मैं तेरी ओर मुँह कर के थूकूँगी भी नहीं।

हब्शी यह सुन कर क्रोध से पागल हो गया। उस ने उठ कर बाएँ हाथ से स्त्री को पकड़ा और दाहिने से तलवार निकाल कर उस का सिर काटने को उद्यत हुआ। इतने ही में मेरे पिता का छोड़ा हुआ तीर उस की छाती में घुस गया और वह मर कर गिर पड़ा। मेरे पिता ने अंदर जा कर सुंदरी की रस्सियाँ खोलीं और उस से पूछा कि तुम कौन हो और कैसे इस राक्षस के हाथ पड़ी। उस ने कहा, यहाँ से कुछ ही दूर सरासंग नामी एक कबीला रहता है। उस के निवासी अर्धसभ्य हैं। वहाँ का बादशाह मेरा पति है। यह दुष्ट हब्शी, जिसे अभी तुमने मारा है, मेरे पति का दरबारी था। यह मुझ पर बहुत दिनों से मुग्ध था। यह बराबर मुझे भगाने की ताक में रहता था। एक दिन मेरे पति को असावधान देख कर यह मुझे और मेरे इस बच्चे को ले भागा। यहाँ ला कर उस ने मुझे बाँध रखा और रोजाना चाहता था कि मेरे साथ संभोग करे। अभी तक भगवान ने कुछ ऐसी कृपा की कि यह मुझ पर हाथ न डाल सका। आज यह तुम्हारे हाथों मारा गया। मेरे पिता ने कहा, फिक्र न करो, मैं दरियाबार का बादशाह हूँ। मैं तुम्हें अपने महल में ले जाऊँगा। तुम जितने दिन चाहना वहीं रहना। सुंदरी ने यह मान लिया।

दूसरे दिन मेरा पिता उसे और उस के बालक को लिए हुए चला। कुछ देर में मेरे पिता के छूटे हुए साथी भी मिल गए। उन सभी को इस गहन वन में ऐसी सुंदरी को देख कर आश्चर्य हुआ। साथ ही वे बादशाह को देख कर खुश भी हुए। बादशाह ने विस्तारपूर्वक उन्हें बताया कि किस तरह यह युवती हब्शी के पंजे से छुड़ाई गई। बादशाह के साथियों में से एक ने स्त्री और दूसरे ने उस के लड़के को अपने पीछे घोड़े पर बिठा लिया और कुछ दिनों में पूरा काफिला राजमहल में जा पहुँचा।

मेरे पिता ने एक बड़ा और सुंदर महल उस स्त्री को दे दिया। उस ने उस के पुत्र की शिक्षा का भी प्रबंध कर दिया। एक वर्ष तक उस स्त्री ने अपने पति की राह देखी किंतु उस का कुछ भी समाचार न मिला तो उस से निराश हो गई और मेरे पिता को रिझाने लगी। वह उस से पहले ही आकृष्ट था इसलिए दोनों का विवाह हो गया। वह बच्चा भी कुछ वर्षों में सजीला जवान हो गया। वह सारी विद्याओं और राज्य संचालन आदि में भी प्रवीण हो गया। मेरे पिता और दरबार के सारे लोग उसे बहुत पसंद करने लगे। सब की राय हुई कि उस जवान के साथ मेरा विवाह कर दिया जाय और मेरे पिता के बाद राज गद्दी उसी को मिले। मेरे पिता भी इस से सहमत हो गए और वह नौजवान अपने भविष्य की कल्पना में मग्न रहने लगा।

किंतु मेरे पिता ने शादी की एक शर्त यह रखी कि वह फिर किसी अन्य स्त्री से विवाह नहीं करेगा। मुसलमानों में चार विवाह तक जायज हैं, इसलिए यह शर्त उसे अपमानजनक लगी और उस ने यह शर्त अस्वीकार कर दी। चुनांचे विवाह न हुआ। वह इस बात से बहुत नाराज हुआ और बदला लेने के लिए षड्यंत्र करने लगा। एक दिन अवसर पा कर उस ने मेरे पिता को मार डाला और मेरी हत्या के इरादे से मेरे महल में आया। किंतु हमारे मंत्री ने मुझे पहले ही एक गुप्त मार्ग से निकाल लिया था। मंत्री ने एक मित्र के घर रखा। दो दिन में एक जहाज के कप्तान से बात करके मुझे ऐसे बादशाह के देश की ओर रवाना कर दिया जिसका राजा मेरे पिता का मित्र था।

जहाज चला तो सब ठीक-ठाक था कि किंतु कुछ दिनों बाद ऐसा तूफान आया जिसे देख कर कप्तान और नाविक तक गश खा कर गिर पड़े। कुछ ही देर में जहाज के टुकड़े-टुकड़े हो गए और उस में के सब लोग डूब गए। किंतु मुझे एक तख्ता मिल गया जिस पर मैं बैठ गई और एक दिन बाद किनारे आ लगी। किंतु मुझे यह नहीं मालूम था कि भगवान ने और दुख देने के लिए मेरी जान बचाई है। मैं किनारे लगी और मैं ने भगवान को धन्यवाद दिया। मैं बहुत देर तक तलाश करती रही कि शायद मंत्री या जहाज का कोई अन्य व्यक्ति मुझे जीवित मिल जाए किंतु ऐसा नहीं हुआ।

मैं अपने पिता की याद करके और उस निर्जन स्थान में अपने को निपट अकेला पा कर रोने लगी और सोचने लगी कि समुद्र में डूब मरूँ।

इतने में मैं ने अपने पीछे कई मनुष्यों और घोड़ों की आवाज सुनी। पलट कर देखा तो कई घुड़सवार थे जिनके हाथों में शस्त्रास्त्र थे और जिनके मध्य एक नवयुवक था। वह जवान जरी की पोशाक पहने था और रत्नजटित पेटी कमर में बाँधे था। उनको मुझे उस स्थान पर देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ। उन के नायक नवयुवक ने, जो वास्तव में एक शहजादा था, मेरे पास यह जानने के लिए भेजा कि मैं कौन हूँ और वहाँ कैसे पहुँची। उस आदमी ने तरह-तरह से मेरा हाल पूछा। मुझे और भी भय लगा कि यह लोग न जाने कौन हैं और जाने मेरी क्या दशा करें। इसलिए मैं जोर-जोर से रोने लगी। वह परेशान हो कर लौट गया। फिर शहजादे ने कई लोगों को एक साथ मेरे पास भेजा। उन लोगों ने भी मुझ से बहुत पूछा किंतु मैं रोती रही और मैं ने कोई उत्तर नहीं दिया। उन लोगों ने तट पर बहुत-से तख्ते, मस्तूल आदि टूटे हुए पाए और समझ गए कि कोई जहाज टूट कर डूबा है और यह लड़की उस में से बच कर किनारे आ लगी है।

उन्होंने जा कर यह बात शहजादे को बताई। वह स्वयं मेरे पास आ कर मृदुलता से मेरा हाल पूछने लगा। उस ने यह भी कहा कि तुम अपना हाल बताओगी तो हम तुम्हारी मदद करेंगे और मैं तुम्हें अपनी माँ के पास ले जाऊँगा जो तुम्हें बड़े प्यार से रखेगी। मैं ने उसे पूरा हाल बताया। मेरा हाल सुन कर उस के आँसू आ गए। उस ने मुझे हर तरह से धैर्य बँधाया। फिर वह मुझे अपने साथ ले गया और अपनी माता का सौंप दिया। मैं ने उस वृद्धा को अपनी कहानी सुनाई तो उसे भी बड़ा दुख हुआ। वह मुझे पसंद तो पहले ही से करती थी इसलिए उस ने अपने पुत्र के साथ मेरा विवाह कर दिया।

किंतु यहाँ तक मुझे पहुँचा कर मेरी किस्मत फिर पलट गई। उस राज्य का एक पड़ोसी राजा उस का पुराना दुश्मन था। जिस रोज मेरी सुहागरात होनी थी उसी दिन उस ने आक्रमण कर दिया।

उस की सेना अति विशाल थी और उस ने कुछ घंटों ही में नगर को रौंद डाला। उस ने मेरे पति को और मुझे पकड़ने के लिए आदमी भेजे किंतु हम पहले ही बच निकले और छुपते-छुपाते समुद्र तट पर रात के समय पहुँचे। वहाँ एक मछुवारे की नाव बँधी थी। हम दोनों उसे खोल कर समुद्र में बढ़ने लगे। कुछ दूर जा कर वह नाव एक समुद्री धारा में पड़ गई। हमें कुछ नहीं पता था कि नाव किधर जा रही है। दो दिन बाद देखा कि एक जहाज हमारी ओर आ रहा है। हम समझे कि वह कोई व्यापारी जहाज है। इसलिए हमने सहायता के लिए आवाज दी। लेकिन यहाँ फिर धोखा हुआ। जहाज पर पाँच-सात डाकू थे। वे गदाएँ लिए हुए हमारी डोंगी पर आए और हमे बाँध कर अपने जहाज पर ले गए।

जहाज पर उन्होंने मेरा नकाब उठाया तो सब ठगे-से रह गए क्योंकि उन्होंने ऐसी सुंदर स्त्री कभी नहीं देखी थी। फिर उनमें झगड़ा होने लगा। हर एक चाहता था कि मेरा मालिक बने। फिर उनमें तलवार चलने लगी और एक अति बलवान डाकू को छोड़ कर सभी मारे गए। उस डाकू ने कहा, मैं तुझे काहिरा ले जा कर एक मित्र को भेंट करूँगा, उस ने मुझ से एक सुंदर दासी माँगी थी। लेकिन यह आदमी कौन है? तेरा भाई-बंद है या प्रेमी? मैं ने बताया कि यह मेरा पति है तो वह बोला, फिर तो इसका दुख दूर होना चाहिए, इस से तेरी दशा कब तक देखी जाएगी। यह कह कर उस ने मेरे पति को बँधा-बँधा ही समुद्र में डाल दिया।

मैं बहुत रोई-पीटी और पति के पीछे समुद्र में कूदने को तैयार हो गई किंतु डाकू ने मुझे मस्तूल से बाँध दिया और जहाज को चलाने लगा। वायु अनुकूल थी। और हमारा जहाज कुछ ही दिनों में एक छोटे-से नगर के तट पर आ लगा। डाकू ने वहाँ कई दास और कई ऊँट मोल लिए और स्थल मार्ग से काहिरा की ओर प्रस्थान किया। हम कई दिनों की यात्रा के बाद इस जंगल से गुजर रहे थे तो हमने उस राक्षस जैसे हब्शी को अपनी ओर आते देखा। पहले हमें आश्चर्य हुआ कि यह मीनार कैसे चल रही है। पास पहुँचा तो देखा कि आदमी है।

इस दुष्ट ने पास आ कर अपनी गदा उठाई और डाकू से कहा, अपने आदमियों के हाथ बाँध और अपने भी बाँध और इस सुंदरी को ले कर मेरे पीछे चला आ। किंतु डाकू और उस के दासों ने उस के साथ युद्ध किया फिर वे सब के सब मारे गए। नर भक्षी ने और लाशें छोड़ कर सिर्फ डाकू की लाश एक ऊँट पर रखी और ऊँट पर मुझे बिठाया और इस किले में ले आया। यह कल ही की बात है। शाम को उस ने डाकू की लाश को भून कर खाया और मुझे सारा हाल बताया कि किस तरह वह खाने को आदमी लाया करता है और कैसे उस ने तहखाने में आदमी बंद कर रखे हैं कि अगर किसी दिन नया भोजन न मिले तो इन्हीं में से किसी को भून खाए। उस ने कहा, मांस तो तेरा भी नरम होगा किंतु मैं तुझे मारूँगा नहीं बल्कि तुझ से विलास करूँगा। आज तो तू थकित और दुखी है इसलिए आज छोड़ता हूँ कल से तुझे मेरी शैय्या पर सोना पड़ेगा। किंतु इस की नौबत नहीं आई, आज तुमने इसे मार डाला।

खुदादाद ने कहा, अब तुम कुछ फिक्र न करो। यह उनचास शहजादे हैरन राज्य के हैं, इनमें से जिसके साथ तुम चाहो तुम्हें ब्याह दिया जाए। उस ने कहा, मैं तो अपने उद्धारकर्ता को ब्याहना चाहती हूँ। अन्य लोगों ने भी उस का समर्थन किया और वहीं खुदादाद के साथ दरियाबार को शहजादी ब्याह दी गई।

वह दिन तो विवाह समारोह और हँसी-खुशी में बीता, दूसरे दिन सब लोग वहाँ से हैरन की ओर चल दिए। दिन भर चलने के बाद शाम को एक अच्छी जगह देख कर उन्होंने रात के लिए पड़ाव डाला। शाम को भोजन करके सब ने खूब शराब पी। इसी उल्लास में खुदादाद सब लोगों के सामने अपनी पत्नी से बोला, अभी तक मैं ने सभी से अपनी वास्तविकता छुपाई थी। अब मैं अपना सच्चा हाल कहता हूँ। मैं भी इन उनचास शहजादों का भाई यानी हैरन के बादशाह का पुत्र हूँ। मुझे मेरे चचेरे भाई शहजादा सुमेर ने पाला-पोसा है। मेरी माँ का नाम पीरोज है। अब तुम्हें इस बात से भी संतोष होना चाहिए कि तुमने साधारण व्यक्ति से नहीं, एक शहजादे से विवाह किया है। दरियाबार की शहजादी ने कहा, तुमने अपने को छुपाया जरूर किंतु मुझे तुम्हारी चाल-ढाल और व्यवहार से अंदाजा हो गया था कि तुम अवश्य ही राजकुमार होंगे। साधारण आदमी में वे बातें बिल्कुल नहीं होतीं जो तुम में हैं।

खुदादाद के सौतेले भाई यह सुन कर प्रकटतः तो बड़े प्रसन्न हुए किंतु उन के दिलों में बैर की आग सुलगने लगी। वे चुपके-चुपके आपस में परामर्श करने लगे। वे इस बात को भूल गए कि एक दिन पहले ही खुदादाद ने उन्हें मौत के मुँह से बचाया था। उनमें से एक ने कहा, इसे विदेशी समझ कर तो हमारे पिता ने इसे हमारा अभिभावक बना दिया है, जब उसे मालूम होगा कि यह उस का पुत्र है तो स्पष्टतः इसे सारा राज-पाट सौंप देगा और हम कहीं के नहीं रहेंगे। इसलिए अच्छा है कि हम इसे यहीं खत्म कर दें। इस पर सारे शहजादे एकमत हो गए। उन्होंने रात गए खुदादाद के खेमे में घुस कर उस पर गदाओं की चोटें कीं और जब वह निश्चेष्ट हो गया तो स्वयं सारे ऊँट और सामान ले कर रात ही रात हैरन की ओर रवाना हो गए। हैरन पहुँच कर उन्होंने अपने पिता की चिंता यह कह कर दूर कर दी कि हम लोग बहुत दिन तक शिकार खेलते रहे। उन्होंने हब्शी के हाथों अपनी गिरफ्तारी और खुदादाद द्वारा मुक्ति की बात बिल्कुल छुपा ली।

उधर सुबह जब शहजादी ने खुदादाद के खेमे में उस का हाल देखा और शहजादों को गायब पाया तो वह सारी बात समझ गई और पति के लिए विलाप करने लगी। कुछ देर में जब उस का शोक कुछ कम हुआ तो उस ने ध्यान में खुदादाद को देखा। उस ने उस की साँस भी कुछ चलती देखी ओर शरीर भी गर्म पाया। वह खेमे को बंद करके एक निकटवर्ती कस्बे में गई और वहाँ से एक जर्राह को ले आई। किंतु वापस आ कर देखा तो खुदादाद अपने खेमे में नहीं था। उस ने समझा कि इस बीच कोई खूनी जानवर आ कर उसे उठा ले गया। अब वह सिर पीट-पीट कर रोने लगी। जर्राह दयावान था। वह उसे कस्बे में ले गया और एक मकान में उसे रख कर उस की सेवा के लिए दो दासियाँ नियुक्त कर दीं और कभी-कभी खुद भी जा कर हाल-चाल पूछ लेता।

एक दिन उस ने शहजादी को उदास देख कर कहा, सुंदरी, तुम कुछ विस्तार से अपना हाल कहो तो तुम्हारी सहायता का प्रयत्न करूँ। शहजादी ने उसे अनुभवी और हमदर्द देखा तो अपना और खुदादाद का हाल सुनाया। जर्राह को मलिका पीरोज का हाल मालूम था जिसे हैरन के बादशाह ने फिर अपने पास बुला लिया था और उस ने जान लिया था कि खुदादाद उसी का पुत्र था। जर्राह ने किराए पर दो ऊँट लिए और शहजादी के साथ हैरन को रवाना हुआ और एक सराय में पहुँच कर डेरा डाला। सरायवाले से नगर का हाल पूछने पर उस ने बताया, बादशाह अपने पुत्र खुदादाद के गायब होने से बहुत परेशान है। उस की माँ पीरोज ने उसे बहुत ढुँढ़वाया किंतु कहीं पता नहीं है। उस की याद करके उस के माँ-बाप और सरदार-सामंत सभी दुखी रहते थे। यूँ तो बादशाह के और भी उनचास बेटे हैं किंतु खुदादाद को कोई नहीं पहुँचता। वास्तव में खेद की बात है कि ऐसा शहजादा लापता हो जाए।

जर्राह ने दरियाबार की शहजादी को यह बताया तो बादशाह के पास जा कर उसे पूरा हाल बताने के लिए तैयार हो गई। जर्राह ने कहा, यह ठीक नहीं है। इसमें खतरा है। उनचास शहजादों में से किसी को भी तुम्हारे बारे में मालूम हुआ तो तुम्हारे बादशाह के पास पहुँचने के पहले ही वे तुम्हें मरवा देंगे। अच्छा यह होगा कि वह स्वयं खुदादाद की माँ के पास किसी तरह पहुँचूँ और जब उसे पूरा हाल बता दूँ तो तुम्हें बुलाऊँ। तब तक के लिए तुम यहीं सराय में ठहरो।

शहजादी ने यह मान लिया। जर्राह शहर में गया तो एक बड़े रास्ते में देखा कि एक भव्य महिला एक ऊँट पर सवार आ रही है। उस ऊँट का साज-सामान बहुत ही मूल्यवान था और उस ऊँट के पीछे बहुत-से गुलाम चल रहे थे। पुरवासी भी ऊँट को देख कर विनयपूर्वक सड़के के किनारे खड़े हो जाते और उस का अभिवादन करते थे। जर्राह ने भी एक किनारे खड़े हो कर उस का अभिवादन किया।

फिर उस ने एक आदमी से पूछा कि यह कौन है। उस ने बताया कि यह खुदादाद की माँ मलिका पीरोज है। यह सुन कर जर्राह उस की सवारी के पीछे लग गया। उस महिला ने एक मसजिद में जा कर नमाज पढ़ी और निर्धनों तथा भिखारियों को खूब दान दिया। बादशाह ने उस से कहा था कि तुम खुदादाद की वापसी का आशीर्वाद पाने के लिए भिखारियों को खूब दान दिया करो। जर्राह भीड़ में घुस गया और उस ने एक दास से कहा कि मैं मलिका से बात करना चाहता हूँ। उस ने कहा, भाई, इस समय तो उसे रात-दिन खुदादाद की ही चिंता है। वह इस विषय के अलावा किसी से कोई बात नहीं करती। जर्राह ने दास के कान में कहा, मुझे इसी बारे में उस से बात करनी है। दास ने कहा, अच्छी बात है। लेकिन रास्ते में तो बात हो नहीं सकती, तुम हमारे साथ महल तक चलो फिर मैं बात करवाने की कोशिश करूँगा।

महल पहुँच कर दास ने मलिका पीरोज से कहा कि एक परदेशी आप से बात करना चाहता है और कहता है कि आप ही के लाभ की बात है। मलिका ने जर्राह को अपने सामने बुलाया और कृपापूर्वक पूछा कि क्या बात है। जर्राह ने धरती चूम कर कहा कि मैं एक लंबी कहानी कहना चाहता हूँ। यह कह कर उस ने हब्शी से शहजादों और दरियाबार की शहजादी की रिहाई और फिर उस के घायल और लापता होने का हाल कहा।

पीरोज यह सुन कर बेहोश हो गई। दासियाँ गुलाब और केवड़े का पानी छिड़क कर उसे होश में लाईं। फिर उस ने जर्राह से कहा कि तुम सराय जा कर बहू शहजादी को मेरा और बादशाह का आशीर्वाद दो। यह कह कर उस ने जर्राह को विदा किया और खुद खुदादाद को याद करके रोने लगी।

कुछ देर में बादशाह वहाँ आया और मलिका से उस के रोने का कारण पूछा। पीरोज ने जो कुछ उस जर्राह से सुना था वह विस्तार से कह सुनाया।

शहजादों की कमीनगी सुन कर बादशाह को आग लग गई। वह कुछ कहे-सुने बगैर दरबार में आया। उस का लाल चेहरा देख कर सारा दरबार थर्रा उठा। बादशाह ने मंत्री को आदेश दिया कि हजार सिपाही ले जा कर उनचासों शहजादों को पकड़ो और रस्सियों में बाँध कर खूनी कैदियों के बीच डाल दो। मंत्री ने कुछ ही देर में इस आदेश का पालन किया और आ कर बादशाह को यह सूचना दे दी। बादशाह ने ऐलान किया कि एक महीने तक दरबार नहीं होगा।

फिर वह मंत्री के साथ मलिका पीरोज के महल में आया। कुछ देर के सलाह- मशविरे के बाद उस ने मंत्री को आदेश दिया कि अमुक सराय में जा कर दरियाबार की शहजादी और जर्राह को आदरपूर्वक यहाँ ले आओ। मंत्री एक सजा-सजाया ऊँट और एक उम्दा घोड़ा ले कर सराय को गया और ऊँट पर शहजादी और घोड़े पर जर्राह को सवार करा के चला। मार्ग में यह सवारी बड़ी शान से निकली और सभी को मालूम हो गया कि शहजादा खुदादाद की पत्नी दरियाबार की शहजादी है। सब लोग खुश हुए, उन्हें आशा बँधी कि अब शहजादे का भी पता चल जाएगा। सवारी जब महल के द्वार पहुँची तो तो बादशाह खुद अगवानी के लिए आया। शहजादी ने सवारी से उतर कर बादशाह और मलिका के पाँव चूमे। फिर तीनों गले मिल कर खुदादाद की याद में देर तक रोते रहे।

जब उन लोगों की तबीयत कुछ सँभली तो दरियाबार की शहजादी ने कहा कि मुझे आशा है कि जिन लोगों ने मेरे निर्दोष पति की इतनी निर्दयता से हत्या की हैं उनसे इसका बदला लिया जाएगा। बादशाह ने कहा, तुम भरोसा रखो यद्यपि वे मेरे पुत्र हैं तथापि मैं उन्हें जीता न छोड़ूँगा। उस के बाद वह कहने लगा, अपने बेटे खुदादाद का शव नहीं मिला है फिर भी मैं चाहता हूँ कि उस की याद बनाए रखने के लिए एक मकबरा बनवाऊँ। इस के बाद उस ने मंत्री को आदेश दिया। मंत्री ने नगर के बीच में एक जगह ले कर उस में सफेद संगमरमर का एक विशाल और सुंदर मकबरा कुशल कारीगरों से बनवा दिया। बादशाह को जब यह सूचना मिली कि मकबरा तैयार है तो उस ने एक दिन तय किया जब सारे लोग वहाँ जा कर मातम और कुरान पाठ करें।

वह दिन भी आ पहुँचा। नगर के सभी निवासी मकबरे पर पहुँच गए। बादशाह भी अपने दरबारियों और सरदारों-सामंतों के साथ वहाँ पहुँचा। कब्र पर एक काली मखमल की सुनहरे काम की चादर बिछी थी। बादशाह और अमीर उस पर बैठे। कुछ देर बाद फौजी सवारों की एक टुकड़ी आई। इस के जवान सिर नीचा और आँखें आधी बंद किए थे। उन्होंने कब्र की दो बार परिक्रमा की और फिर कब्र के सामने खड़े हो कर बोले, राजपुत्र, यदि हमारी शक्ति और शौर्य से तुम जीवित हो सको तो हम अपने प्राण दे कर भी तुम्हें जीवित कर देंगे किंतु यदि ईश्वर की इच्छा कुछ और हो तो हम लोग मजबूर हैं। यह कह कर वे लोग चले गए। फिर एक गिरोह महात्माओं का आया जो कुटीरों में रहते थे और किसी से मिलते-जुलते नहीं थे। उनका अगुआ एक वृद्ध था जिसने एक मोटी पुस्तक अपने सिर पर रखी थी। वे भी कब्र की तीन बार परिक्रमा कर के कब्र के सामने खड़े हो गए और बोले, हे राजकुमार, यदि हमारी सारी तपस्याओं के फलस्वरूप तुम पुनः जीवित हो जाओ तो हम इस के लिए तपस्याओं का फल अर्पित कर देंगे। यह कहने के बाद वे लोग भी जिधर से आए थे उधर ही चले गए।

इस के बाद सफेद टट्टुओं पर सवार और भव्य वस्त्राभूषण पहने सिरों पर रत्नों की मंजूषाएँ लिए हुए पचास अतीव सुंदर कुमारियाँ आईं। उन्होंने भी कब्र की कई बार परिक्रमा की। फिर उनमें सबसे अल्पायु और सुंदर स्त्री कब्र के सामने खड़े हो कर बड़े उच्च स्वर में बोली, शहजादे, हम तुम्हारी दासियाँ है। हमारा सौंदर्य तुम पर न्योछावर है। यदि इस के बदले तुम्हें जीवनदान मिले तो हम इस के लिए प्रस्तुत हैं। यद्यपि हमें ज्ञात है कि तुम जिस स्थान पर हो वहाँ यह चीजें काम नहीं आतीं। यह कहने के बाद सुंदरियों का गिरोह भी चला गया।

फिर बादशाह अपने दरबारियों और सरदारों के साथ खड़ा हो गया। इन सब ने भी तीन बार कब्र की परिक्रमा की। फिर बादशाह उच्च स्वर में बोला, ओ शहजादे, तुम कहाँ हो? तुम्हारे वियोग में मेरी आँखों की ज्योति जाने लगी है। यह कह कर वह फूट-फूट कर रोने लगा। उस के साथ के लोग भी रोने और मातम करने लगे। कुछ देर बार सब लोग अपने-अपने स्थानों को लौट गए और मकबरे का दरवाजा बंद कर दिया गया। बादशाह ने नियम बना दिया कि सप्ताह में एक दिन शहजादे के मकबरे पर इसी तरह का मातम हुआ करे।

फिर बादशाह ने आज्ञा दी कि उस के उनचास दुष्ट पुत्रों को निर्दोष खुदादाद की हत्या के अपराध में मृत्युदंड दिया जाए। सारे नगर में यह समाचार फैल गया। उन के लिए फाँसी की टिकटियाँ तैयार की जाने लगीं। लेकिन इस बीच एक व्यवधान उपस्थित हो गया। बादशाह द्वारा पहले पराजित हुआ एक शत्रु राज्य पर एक बड़ी सेना ले कर चढ़ दौड़ा। बादशाह ने खेदपूर्वक कहा कि आज खुदा बख्शे, साथ ही उस ने पराजय की स्थिति में भाग जाने की तैयारी भी कर रखी थी। युद्ध अभी शुरू भी नहीं हुआ था कि एक ओर से सवारों की एक बड़ी टुकड़ी आई। पहले किसी को मालूम न था कि वे मित्र हैं या शत्रु किंतु उन्होंने आ कर शत्रु पर हमला किया और उसे मार भगाया।

हैरन का बादशाह बड़े आश्चर्य में पड़ा कि यह दैवी सहायता कहाँ से आ गई। उस ने भगवान को धन्यवाद दिया और अपने भृत्यों से कहा कि सहायक सेना में जा कर पूछो कि उस का सरदार कौन है और कहाँ से आया है। भृत्यों ने जा कर उस के सिपाहियों से पूछा तो उन्होंने कहा कि हमारा सरदार खुद ही बादशाह से मिलने जाएगा। शत्रुओं का संपूर्ण रूप से सफाया करने के बाद जब बादशाह की खुशी का ठिकाना न रहा तो वह इतना अभिभूत हुआ कि कुछ बोल भी न सका।

खुदादाद ने कहा, पिता जी, मैं आप का पुत्र खुदादाद ही हूँ जिसे आप सब लोग मरा हुआ समझते थे। ईश्वर ने मुझे शायद इसीलिए जीवित रखा कि मैं आज के कठिन समय पर आप के काम आऊँ। बादशाह ने कहा, बेटे, मुझे तो विजय से अधिक तेरे मिलने की प्रसन्नता है। मैं तो यह आशा ही छोड़ बैठा था कि कभी तेरा मुँह देख सकूँगा। इस के बाद पिता-पुत्र दोनों अपनी सवारियों से उतरे और एक-दूसरे से लिपट गए। बादशाह ने कहा, मुझे तुम्हारी वीरता की गाथा पहले ही मालूम हो चुकी है कि किस तरह तुमने हब्शी दानव को मार कर अपने भाइयों को छुड़ाया किंतु उन्होंने तुम से दगा किया। अब तुम अपनी माँ के पास चलो क्योंकि वह तुम्हारे वियोग से सूख कर काँटा हो गई है।

रास्ते में खुदादाद ने पूछा, मेरा हाल आप को मेरे भाइयों ने बताया? बादशाह ने कहा, वे दुष्ट क्या बताते। वे तो बंदीगृह में मौत की घड़ियाँ गिन रहे हैं। मुझे यह सब तुम्हारी पत्नी यानी दरियाबार की शहजादी ने बताया। उसी ने मुझ से माँग की कि तुम्हारे भाइयों से तुम्हारी मौत का बदला लूँ। खुदादाद यह सुन कर बहुत प्रसन्न हुआ कि उस की पत्नी भी सही-सलामत यहीं पर मौजूद है। खुदादाद महल में पहुँचा तो उस की माँ और उस की पत्नी ने उसे गले लगा कर बहुत देर तक रोती रहीं। प्रजाजनों को मालूम हुआ कि खुदादाद जीवित है और अंत के युद्ध का विजेता है तो सारे नगर में उत्सव होने लगे और जगह-जगह पर नाच-गाना और खेल-तमाशे होने लगे।

बादशाह के पूछने पर खुदादाद ने अपना हाल यह बताया, जब मेरे भाइयों ने मुझे मरा जान कर रात में प्रस्थान किया तो सुबह वहाँ से एक किसान निकला। उस ने मुझे अचेत और रक्तरंजित देखा तो अपने गाँव में उठा लाया। उस ने मेरे घावों पर जड़ी-बूटियाँ पीस कर लगाईं और मुझे अच्छा कर दिया। स्वस्थ हो कर मैं सोच रहा था कि मैं यहाँ आऊँ। इतने में सुना कि आप का पुराना शत्रु आप पर आक्रमण करनेवाला है। मैं ने कई गाँवों के जवान इकट्ठे किए। वे सब आप की रक्षा के लिए जान देने को तैयार हो गए। मैं ने उनकी फौज बनाई और अवसर रहते आप की सेवा में आ गया।

बादशाह ने खुदादाद की बड़ी प्रशंसा की और मंत्री को आदेश दिया कि उनचास पुत्रों को फाँसी दी जाए। खुदादाद ने हाथ जोड़ कर कहा, निस्संदेह न्याय की दृष्टि से उन्हें यही दंड मिलना चाहिए। किंतु आखिरकार वे आप के पुत्र और मेरे भाई हैं। मैं ने हृदय से उनका अपराध क्षमा किया और आप से भी निवेदन करता हूँ कि उन्हें क्षमा करें। बादशाह ने कहा कि तुम कहते हो तो मैं उन्हें क्षमा करता हूँ। खुदादाद ने बंदीगृह से अपने भाइयों को बुलाया। उस ने एक बार फिर उसी तरह उन के बंधन खोले और उन्हें गले लगाय जैसे हब्शी दैत्य के महल में किया था। प्रमुख नागरिकों और सामंतों ने खुदादाद के हृदय की विशालता की भूरि-भूरि प्रशंसा की। बादशाह ने खुदादाद को उसी समय युवराज और राज्य का स्वामी घोषित कर दिया। उस ने जर्राह और खुदादाद के सहायक किसान को अपार धन-संपदा दे कर विदा किया और खुदादाद के सैनिकों को भी इनाम दिया।

शहरजाद ने यह कहानी खत्म की तो दुनियाजाद ने इस की बड़ी प्रशंसा की। शहरजाद ने कहा कि मेरे पास एक और अति मनोरंजक कथा सोते-जागते आदमी की है, यदि बादशाह मुझे प्राणदंड न दे तो मैं यह कहानी भी सुनाऊँगी, क्योंकि सवेरा हो गया है और कल ही कहानी सुनाई जा सकती है। बादशाह ने दूसरे दिन नई कहानी आरंभ करने की अनुमति दे दी। 

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रचनाएँ
अलिफ लैला
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अलिफ लैला की कहानी अरब देश की एक प्रचलित लोक कथा है जो पूरी दुनिया में सदियों से सुनी व पढ़ी जाती रही है। ... इस कथा के अनुसार, बादशाह शहरयार अपनी मलिका की बेवपफाई से दुःखी होकर उसका और उसकी सभी दासियों का कत्ल कर देता है और प्रतिज्ञा करता है कि रोजाना एक स्त्री के साथ विवाह करूंगा और अगली सुबह उसे कत्ल कर दूंगा।
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भूमिका

29 जनवरी 2022
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भूमिका (1)-अलिफ़ लैला सहस्र-रजनी चरित्र, जो अब भी भारत में अपने अरबी नाम 'अल्फ लैला' के प्रचलित बिगड़े हुए रूप 'अलिफ लैला' के नाम से अधिक जाना जाता है, वास्तव में लोक कथाओं का ऐसा संग्रह है जिसकी लोक

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शहरयार और शाहजमाँ

29 जनवरी 2022
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फारस देश भी हिंदुस्तान और चीन के समान था और कई नरेश उसके अधीन थे। वहाँ का राजा महाप्रतापी और बड़ा तेजस्वी था और न्यायप्रिय होने के कारण प्रजा को प्रिय था। उस बादशाह के दो बेटे थे जिनमें बड़े लड़के का

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किस्सा गधे, बैल और उनके मालिक

29 जनवरी 2022
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एक बड़ा व्यापारी था जिसके गाँव में बहुत-से घर और कारखाने थे जिनमें तरह-तरह के पशु रहते थे। एक दिन वह अपने परिवार सहित कारखानों को देखने के लिए गाँव गया। उसने अपनी पशुशाला भी देखी जहाँ एक गधा और एक बैल

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किस्सा व्यापारी और दैत्य का-

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा : प्राचीन काल में एक अत्यंत धनी व्यापारी बहुत-सी वस्तुओं का कारोबार किया करता था। यद्यपि प्रत्येक स्थान पर उसकी कोठियाँ, गुमाश्ते और नौकर-चाकर रहते थे तथापि वह स्वयं भी व्यापार के लिए द

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किस्सा बूढ़े और उसकी हिरनी का

29 जनवरी 2022
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वृद्ध बोला, 'हे दैत्यराज, अब ध्यान देकर मेरा वृत्तांत सुनें। यह हिरनी मेरे चचा की बेटी और मेरी पत्नी है। जब यह बारह वर्ष की थी तो इसके साथ मेरा विवाह हुआ। यह अत्यंत पतिव्रता थी और मेरे प्रत्येक आदेश क

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किस्सा तीसरे बूढ़े का जिसके साथ एक खच्चर था

29 जनवरी 2022
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तीसरे बूढ़े ने कहना शुरू किया : 'हे दैत्य सम्राट, यह खच्चर मेरी पत्नी है। मैं व्यापारी था। एक बार मैं व्यापार के लिए परदेश गया। जब मैं एक वर्ष बाद घर लौटकर आया तो मैंने देखा कि मेरी पत्नी एक हब्शी गुल

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मछुवारे की कहानी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि हे स्वामी, एक वृद्ध और धार्मिक प्रवृत्ति का मुसलमान मछुवारा मेहनत करके अपने स्त्री-बच्चों का पेट पालता था। वह नियमित रूप से प्रतिदिन सवेरे ही उठकर नदी के किनारे जाता और चार बार नदी मे

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गरीक बादशाह और हकीम दूबाँ की कथा

29 जनवरी 2022
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फारस देश में एक रूमा नामक नगर था। उस नगर के बादशाह का नाम गरीक था। उस बादशाह को कुष्ठ रोग हो गया। इससे वह बड़े कष्ट में रहता था। राज्य के वैद्य-हकीमों ने भाँति-भाँति से उसका रोग दूर करने के उपाय किए क

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भद्र पुरुष और उसके तोते की कथा

29 जनवरी 2022
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पूर्वकाल में किसी गाँव में एक बड़ा भला मानस रहता था। उसकी पत्नी अतीव सुंदरी थी और भला मानस उससे बहुत प्रेम करता था। अगर कभी घड़ी भर के लिए भी वह उसकी आँखों से ओझल होती थी तो वह बेचैन हो जाता था। एक बा

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अमात्य की कहानी

29 जनवरी 2022
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प्राचीन समय में एक राजा था उसके राजकुमार को मृगया का बड़ा शौक था। राजा उसे बहुत चाहता था, राजकुमार की किसी इच्छा को अस्वीकार नहीं करता था। एक दिन राजकुमार ने शिकार पर जाना चाहा। राजा ने अपने एक अमात्य

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काले द्वीपों के बादशाह की कहानी

29 जनवरी 2022
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उस जवान ने अपना वृत्तांत कहना आरंभ किया। उसने कहा 'मेरे पिता का नाम महमूद शाह था। वह काले द्वीपों का अधिपति था, वे काले द्वीप चार विख्यात पर्वत हैं। उसकी राजधानी उसी स्थान पर थी जहाँ वह रंगीन मछलियों

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किस्सा तीन राजकुमारों और पाँच सुंदरियों का

29 जनवरी 2022
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शहरजाद की कहानी रात रहे समाप्त हो गई तो दुनियाजाद ने कहा - बहन, यह कहानी तो बहुत अच्छी थी, कोई और भी कहानी तुम्हें आती है? शहरजाद ने कहा कि आती तो है किंतु बादशाह की अनुमति हो तो कहूँ। बादशाह ने अनुमत

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मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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मजदूर बोला, 'हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया।

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मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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मजदूर बोला, 'हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया।

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पहले फकीर की कहानी

29 जनवरी 2022
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पहले फकीर ने अदब से घुटनों के बल खड़े होकर कहा 'सुंदरी, अब ध्यान लगाकर सुनो कि मेरी आँख किस प्रकार गई और मैं क्यों फकीर बना। मैं एक बड़े बादशाह का बेटा था। बादशाह का भाई यानी मेरा चचा भी एक समीपवर्ती

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दूसरे फकीर की कहानी

29 जनवरी 2022
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अभी पहले फकीर की अद्भुत आप बीती सुनकर पैदा होने वाले आश्चर्य से लोग उबरे नहीं थे कि जुबैदा ने दूसरे फकीर से कहा कि तुम बताओ कि तुम कौन हो और कहाँ से आए हो। उसने कहा कि आपकी आज्ञानुसार मैं आप को बताऊँग

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भले आदमी और ईर्ष्यालु पुरुष

29 जनवरी 2022
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किसी नगर में दो आदमियों का घर एक दूसरे से लगा हुआ था। उनमें से एक पड़ोसी दूसरे के प्रति ईर्ष्या और द्वेष रखता था। भले मानस ने सोचा कि मकान छोड़कर कहीं जा बसूँ क्योंकि मैं इस आदमी के प्रति उपकार करता ह

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किस्सा तीसरे फकीर का

29 जनवरी 2022
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हे दयालु सुंदरी, मेरी कहानी बहुत ही आश्चर्यकारी है। इन दोनों शहजादों की दाहिनी आँखें परिस्थितिवश गईं किंतु मेरी आँख मेरी ही मूर्खता और मेरे ही अपराध के कारण फूटी। मैं इसका विस्तृत वर्णन करता हूँ। मेरा

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किस्सा जुबैदा का

29 जनवरी 2022
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जुबैदा ने खलीफा के सामने सर झुका कर निवेदन किया है राजाधिराज, मेरी कहानी बड़ी ही विचित्र है, आपने इस प्रकार की कोई कहानी नहीं सुनी होगी। मैं और वे दोनों काली कुतियाँ तीनों सगी बहिनें हैं और यह दो स्त्

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किस्सा अमीना का

29 जनवरी 2022
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अमीना ने कहा, 'जुबैदा की कहानी आप उसके मुँह से सुन चुके, अब मैं अपनी कहानी आपके सम्मुख प्रस्तुत करती हूँ। मेरी माँ मुझे लेकर अपने घर में आई कि रँड़ापे का अकेलापन उसे न खले। फिर उसने मेरा विवाह इसी नगर

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सिंदबाज जहाजी की कहानी

29 जनवरी 2022
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जब शहरजाद ने यह कहानी पूरी की तो शहरयार ने, जिसे सारी कहानियाँ बड़ी रोचक लगी थीं, पूछा कि तुम्हें कोई और कहानी भी आती हैं। शहरजाद ने कहा कि बहुत कहानियाँ आती हैं। यह कह कर उसने सिंदबाद जहाजी की कहानी

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सिंदबाद जहाजी की पहली यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा कि मैंने अच्छी-खासी पैतृक संपत्ति पाई थी किंतु मैंने नौजवानी की मूर्खताओं के वश में पड़कर उसे भोग-विलास में उड़ा डाला। मेरे पिता जब जीवित थे तो कहते थे कि निर्धनता की अपेक्षा मृत्यु श्र

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सिंदबाद जहाजी की दूसरी यात्रा

29 जनवरी 2022
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मित्रो, पहली यात्रा में मुझ पर जो विपत्तियाँ पड़ी थीं उनके कारण मैंने निश्चय कर लिया था कि अब व्यापार यात्रा न करूँगा और अपने नगर में सुख से रहूँगा। किंतु निष्क्रियता मुझे खलने लगी, यहाँ तक कि मैं बेच

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सिंदबाद जहाजी की तीसरी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा कि घर आकर मैं सुखपूर्वक रहने लगा। कुछ ही दिनों में जैसे पिछली दो यात्राओं के कष्ट और संकट भूल गया और तीसरी यात्रा की तैयारी शुरू कर दी। मैंने बगदाद से व्यापार की वस्तुएँ लीं और कुछ व्या

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सिंदबाद जहाजी की चौथी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा, कुछ दिन आराम से रहने के बाद मैं पिछले कष्ट और दुख भूल गया था और फिर यह सूझी कि और धन कमाया जाए तथा संसार की विचित्रताएँ और देखी जाएँ। मैंने चौथी यात्रा की तैयारी की और अपने देश की वे व

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सिंदबाद जहाजी की पाँचवी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा कि मेरी विचित्र दशा थी। चाहे जितनी मुसीबत पड़े मैं कुछ दिनों के आनंद के बाद उसे भूल जाता था और नई यात्रा के लिए मेरे तलवे खुजाने लगते थे। इस बार भी यही हुआ। इस बार मैंने अपनी इच्छानुसार

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सिंदबाद जहाजी की छठी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने हिंदबाद और अन्य लोगों से कहा कि आप लोग स्वयं ही सोच सकते हैं कि मुझ पर कैसी मुसीबतें पड़ीं और साथ ही मुझे कितना धन प्राप्त हुआ। मुझे स्वयं इस पर आश्चर्य होता था। एक वर्ष बाद मुझ पर फिर यात्

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सिंदबाद जहाजी की सातवीं यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा, दोस्तो, मैंने दृढ़ निश्चय किया था कि अब कभी जल यात्रा न करूँगा। मेरी अवस्था भी इतनी हो गई थी कि मैं कहीं आराम के साथ बैठ कर दिन गुजारता। इसीलिए मैं अपने घर में आनंदपूर्वक रहने लगा। एक

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एक स्त्री और तीन नौकरों का वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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शहरयार को सिंदबाद की यात्राओं की कहानी सुन कर बड़ा आनंद हुआ। उसने शहरजाद से और कहानी सुनाने को कहा। शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद का नियम था कि वह समय-समय पर वेश बदल कर बगदाद की सड़कों पर प्रजा का

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जवान और मृत स्त्री

29 जनवरी 2022
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उस जवान ने कहा कि 'मृत स्त्री मेरी पत्नी और इन वृद्ध सज्जन की बेटी थी और यह मेरे चचा हैं। ग्यारह वर्ष पूर्व उससे मेरा विवाह हुआ था। हमारे तीन बेटे हैं जो जीवित हैं। मेरी पत्नी अत्यंत सुशील और पतिव्रता

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नूरुद्दीन अली और बदरुद्दीन हसन

29 जनवरी 2022
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मंत्री जाफर ने कहा कि पहले जमाने में मिस्र देश में एक बड़ा प्रतापी और न्यायप्रिय बादशाह था। वह इतना शक्तिशाली था कि आस-पड़ोस के राजा उससे डरते थे। उसका मंत्री बड़ा शासन- कुशल, न्यायप्रिय और काव्य आदि

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काशगर के दरजी और बादशाह के कुबड़े सेवक

29 जनवरी 2022
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दूसरी रात को मलिका शहरजाद ने पिछले पहर अपनी बहन दुनियाजाद के कहने से यह कहानी सुनाना आरंभ किया। पुराने जमाने में तातार देश के समीपवर्ती नगर काशगर में एक दरजी था जो अपनी दुकान में बैठ कर कपड़े सीता था।

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ईसाई द्वारा सुनाई गई

29 जनवरी 2022
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ईसाई ने कहा, मैं मिस्र की राजधानी काहिरा का निवासी हूँ। मेरा बाप दलाल था। उस के पास काफी पैसा हो गया। उस ने मरने के बाद मैं ने भी वही व्यापार आरंभ किया। एक दिन मैं अनाज की मंडी में अपने दैनिक व्यापार

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अनाज के व्यापारी

29 जनवरी 2022
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अनाज का व्यापारी बोला कि कल मैं एक धनी व्यक्ति की पुत्री के विवाह में गया था। नगर के बहुत-से प्रतिष्ठित व्यक्ति उसमें शामिल थे। शादी की रस्में पूरी होने पर दावत हुई और नाना प्रकार के व्यंजन परोसे गए।

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उस आदमी की कहानी जिसके चारों अँगूठे कटे थे

29 जनवरी 2022
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उस ने कहा कि दोस्तो, मेरा पिता बगदाद का रहनेवाला था और खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में था। मैं भी उसी समय पैदा हुआ। मेरा पिता यद्यपि धनवान तथा बड़े व्यापारियों में गिना जाता था तथापि वह बहुत ही विलासी औ

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यहूदी हकीम द्वारा वर्णित

29 जनवरी 2022
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यहूदी हकीम ने बादशाह के सामने झुक कर जमीन चूमी और कहा कि पहले मैं दमिश्क नगर में हकीमी किया करता था। अपनी चिकित्सा विधि के कारण वहाँ मेरी बड़ी प्रतिष्ठा हो गई थी। एक दिन वहाँ के हाकिम ने मुझ से कहा कि

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काशगर के बादशाह के सामने दरजी की कथा

29 जनवरी 2022
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दरजी ने कहा कि इस नगर के व्यापारी ने एक बार अपने मित्रों को भोज दिया और उनके लिए भाँति-भाँति के व्यंजन बनवाए। मुझे भी बुलाया गया। मैं जब वहाँ पहुँचा तो देखा कि बहुत-से निमंत्रित लोग मौजूद हैं किंतु मक

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लँगड़े आदमी की कहानी

29 जनवरी 2022
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मेरा पिता बगदाद के सम्मानित व्यक्तियों में से था और हम लोग आनंदपूर्वक वहाँ रह रहे थे। मैं अपने पिता का अकेला बेटा था। जिस समय मेरे पिता की मृत्यु हुई उस समय तक मैं न केवल विद्याध्ययन पूरा कर चुका था ब

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दरजी की जबानी नाई की कहानी

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के काल में बगदाद के आसपास दस कुख्यात डाकू थे जो राहगीरों को लूटते ओर मार डालते थे। खलीफा ने प्रजा के कष्ट का विचार कर के कोतवाल से कहा कि उन डाकुओं को पकड़ कर लाओ वरना मैं तुम्हें प्र

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नाई के कुबड़े भाई

29 जनवरी 2022
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सरकार, मेरा सबसे बड़ा भाई जिसका नाम बकबक था, कुबड़ा था। उसने दरजीगीरी सीखी और जब यह काम सीख लिया तो उसने अपना कारबार चलाने के लिए एक दुकान किराए पर ली। उस की दुकान के सामने ही एक आटा चक्कीवाले की दुका

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नाई के दूसरे भाई बकबारह की कहानी

29 जनवरी 2022
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दूसरे रोज खलीफा के सामने पहुँच कर मैं ने कहा कि मेरा दूसरा भाई बकबारह पोपला है। एक दिन उससे एक बुढ़िया ने कहा, मैं तुम्हारे लाभ की एक बात कहती हूँ। एक बड़े घर की स्वामिनी तुम से आकृष्ट है। मैं तुम्हें

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नाई के तीसरे भाई अंधे बूबक की कहानी

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा, सरकार, मेरा तीसरा भाई बूबक था जो बिल्कुल अंधा था। वह बड़ा अभागा था। वह भिक्षा से जीवन निर्वाह करता था। उसका नियम था कि अकेला ही लाठी टेकता हुआ भीख माँगने जाता और किसी दानी का द्वार खटखटा क

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नाई के चौथे भाई काने अलकूज

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि मेरा चौथा भाई काना था और उसका नाम अलकूज था। अब यह भी सुन लीजिए कि उसकी एक आँख किस प्रकार गई। मेरा भाई कसाई का काम करता था। उसे भेड़-बकरियों की अच्छी पहचान थी। वह मेढ़ों को लड़ाने के लिए

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नाई के पाँचवें भाई अलनसचर

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नाई ने कहा कि मेरे पाँचवें भाई का नाम अलनसचर था। वह बड़ा आलसी और निकम्मा था। वह रोज किसी न किसी मित्र के पास जा कर बेशर्मी से कुछ भीख माँग लेता और खा-पी कर पड़ा रहता। मेरा बाप कुछ समय बाद बूढ़ा हो कर

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नाई के छठे भाई कबक जिसके होंठ खरगोश की तरह के थे

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि अब मेरे आखिरी भाई शाह कबक का वृत्तांत रह गया है। इसे भी सुन लीजिए, फिर मैं आप से विदा लूँ। इस भाई का नाम शाह कबक था और उसके होंठ खरगोश की तरह ऊपर को चढ़े हुए थे और वह चलता भी खरगोश की तर

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शहजादा अबुल हसन और हारूँ रशीद की प्रेयसी शमसुन्निहार

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के शासनकाल में बगदाद में एक अत्यंत धनाढ्य और सुसंस्कृत व्यापारी रहता था। वह शारीरिक रूप से तो सुंदर था ही, मानसिक रूप से और भी सुंदर था। वहाँ के अमीर-उमरा उसका बड़ा मान करते। यहाँ तक

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कमरुज्जमाँ और बदौरा

29 जनवरी 2022
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फारस देश में बीस दिन की राह पर एक देश खलदान है। उस देश में कई टापू भी शामिल हैं। बहुत दिन पहले वहाँ का बादशाह शाहजमाँ था। उसके चार पत्नियाँ थीं और सात विशेष दासियाँ। वह बड़ा प्रतापी राजा था, उसके दे

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नूरुद्दीन और पारस देश की दासी

29 जनवरी 2022
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अगली सुबह से पहले शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि पहले जमाने में बसरा बगदाद के अधीन था। बगदाद में खलीफा हारूँ रशीद का राज था और उसने अपने चचेरे भाई जुबैनी को बसरा का हाकिम बनाया था। जुबैनी के

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ईरानी बादशाह बद्र और शमंदाल की शहजादी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि बादशाह सलामत, ईरान बहुत बड़ा देश है। पुराने जमाने में वहाँ बड़े शक्तिशाली और प्रतापी नरेश हुआ करते थे और उन्हें शहंशाह यानी बादशाहों का बादशाह कहा जाता था। उसी काल का वहाँ का एक बादशा

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गनीम और फितना

29 जनवरी 2022
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दुनियाजाद ने मलिका शहरजाद से नई कहानी सुनाने को कहा और बादशाह शहरजाद ने भी अपनी मौन स्वीकृति दे दी तो शहरजाद ने नई कहानी शुरू कर दी। उसने कहा कि पुराने जमाने में दमिश्क नगर में एक व्यापारी रहता था जिस

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शहजादा जैनुस्सनम और जिन्नों के बादशाह

29 जनवरी 2022
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पुराने जमाने में बसरा में एक बड़ा ऐश्वर्यवान और न्यायप्रिय बादशाह राज करता था। उसे सबकुछ प्राप्त था किंतु उसे बहुत दिनों तक कोई संतान नहीं हुई जिससे वह बहुत दुखी रहता था। नगर निवासी भी बादशाह के साथ म

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शहजादा खुदादाद और दरियाबार की शहजादी-

29 जनवरी 2022
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उपर्युक्त कहानी के मध्य में एक यात्रा में जैनुस्सनम के दरियाबार देश मे जाने का भी उल्लेख है। वहाँ की एक चित्ताकर्षक कथा उस ने सुनी थी। वह कथा भी इस जगह कही जाती है। हैरन नगर में एक बड़ा प्रतापी बादशा

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दरियाबार की शहजादी

29 जनवरी 2022
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उस सुंदरी ने कहा कि काहिरा के निकट दरियाबार नाम एक द्वीप है। उस का बादशाह सब प्रकार से सुखी था किंतु उसे संतान न होने का बड़ा दुख था। वर्षों की प्रार्थनाओं और सिद्धों के आशीर्वादों से उस के यहाँ एक पु

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सोते-जागते आदमी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में बगदाद में एक धनी व्यापारी था। उस का एक ही पुत्र था जिसका नाम अबुल हसन था। व्यापारी बड़ा कंजूस था। वह धन एकत्र ही करता था, खर्च बहुत कम करता था। इसलिए जब

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अलादीन और जादुई चिराग

29 जनवरी 2022
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चीन की राजधानी में मुस्तफा नाम का एक दरजी रहता था। वह गरीब आदमी था और बड़ी कठिनाई से अपने परिवारवालों का पेट भरता था। उस के पुत्र का नाम अलादीन था जो कुछ काम-काज नहीं करता था सिर्फ खेल-कूद में समय ब

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खलीफा हारूँ रशीद और बाबा अब्दुल्ला

29 जनवरी 2022
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दुनियाजाद के प्रस्ताव और शहरयार की अनुमति से नई कहानी प्रारंभ करते हुए शहरजाद ने कहा कि कभी-कभी आदमी का चित्त प्रसन्न होता है और उसकी कोई साफ वजह भी नहीं होती। ऐसी स्थिति भी होती है जब आदमी खुश तो होत

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अंधे बाबा अब्दुल्ला

29 जनवरी 2022
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बाबा अब्दुल्ला ने कहा कि मैं इसी बगदाद नगर में पैदा हुआ था। मेरे माँ बाप मर गए तो उनका धन उत्तराधिकार में मैंने पाया। वह धन इतना था कि उससे मैं जीवन भर आराम से रह सकता था किंतु मैंने भोग-विलास में सार

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सीदी नोमान

29 जनवरी 2022
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भिखारी की कहानी सुनने के बाद खलीफा ने बराबर घोड़ी दौड़ानेवाले पर ध्यान दिया और उससे पूछा कि तुम्हारा क्या नाम है। उसने अपना नाम सीदी नोमान बताया। खलीफा ने कहा, मैंने बहुत-से घुड़सवारों और साईसों को दे

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ख्वाजा हसन हव्वाल

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ख्वाजा हसन ने कहा कि मैं अपनी बात बताने के पहले अपने दो मित्रों के बारे में बताना चाहता हूँ। वे अभी जीवित हैं और यहीं बगदाद में रहते हैं। वे मेरे प्रत्येक कथन की पुष्टि करेंगे। उनमें से एक का नाम सादी

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अलीबाबा और चालीस लुटेरों की कहानी

29 जनवरी 2022
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अगली रात को मलिका शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि फारस देश में कासिम और अलीबाबा नाम के दो भाई रहते थे। उन्हें पैतृक संपत्ति थोड़ी ही मिली थी। किंतु कासिम का विवाह एक धनी-मानी व्यक्ति की पुत्री

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बगदाद के व्यापारी अली ख्वाजा

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के राज्य काल में बगदाद में अलीख्वाजा नामक एक छोटा व्यापारी रहता था। वह अपने पुश्तैनी मकान में, जो छोटा-सा ही था, अकेला रहता था। उसने विवाह नहीं किया था और उसके माता पिता की भी मृत्यु

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यंत्र के घोड़े

29 जनवरी 2022
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बादशाह सलामत, आपको यह मालूम ही है कि हजारों वर्ष से फारस में नौरोज यानी वर्ष का प्रथम दिवस बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। उसमें सभी लोग विशेषतः अग्निपूजक, भाँति-भाँति के नृत्यों और खेल-तमाशों का आय

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शहजादा अहमद और परीबानू

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा, बादशाह सलामत, पुराने जमाने में हिंदोस्तान का एक बादशाह बड़ा प्रतापी और ऐश्वर्यवान था। उसके तीन बेटे थे। बड़े का नाम हुसैन, मँझले का अली और छोटे का अहमद था। बादशाह का एक भाई जब मरा तो उस

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ईर्ष्यालु बहनों की कहानी

29 जनवरी 2022
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पुराने जमाने में फारस में खुसरो शाह नामी शहजादा था। वह रातों को अक्सर भेस बदल कर सिर्फ एक सेवक को अपने साथ रख कर नगर की सैर किया करता था और संसार की विचित्र बातें देख कर अपना ज्ञान बढ़ाया करता था। ज

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बैल और गधा

29 जनवरी 2022
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एक बार एक सौदागर था जो बहुत अमीर था। उसके पास बहुत सारे नौकर चाकर और जानवर थे। उसकी एक पत्नी थी और परिवार था और वह अपने खाने पीने के लिये खेती करता था। उसके पास जंगली जानवरों और हर तरह की चिड़िया की बो

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भेड़िये और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक लोमड़ा और एक भेड़िया एक ही घर में रहते थे। भेड़िया बहुत ही बेरहम था जबकि लोमड़ा बहुत नरम दिल था। इसी तरह से रहते हुए उन्हें कुछ दिन हो गये कि एक दिन वह लोमड़ा भेड़िये से बोला — “अगर तुम इसी तरीके

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लोमड़े और कौए की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक लोमड़ा एक पहाड़ की एक गुफा में रहता था। जब भी उसको एक बच्चा पैदा होता और वह बड़ा हो जाता तो वह उसको खा जाता क्योंकि उसको भूख बहुत लगती थी। अगर वह अपने बच्चों को न खाता तो उसके वे बच्चे बड़े हो जाते और

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साही और कबूतर

29 जनवरी 2022
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एक बार एक साही एक खजूर के पेड़ के नीचे रहने के लिये आया। उसी पेड़ के ऊपर एक कबूतर अपनी पत्नी के साथ रहता था। साही ने सोचा कि यह कबूतर का जोड़ा तो इस पेड़ के फल खाता है पर मुझे इस पेड़ के फल खाने का कोई मौ

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बतख और कछुए की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक बतख बहुत ऊपर उड़ा और बहते हुए पानी में खड़ी एक चट्टान पर जा कर बैठ गया। जब वह वहाँ बैठा हुआ था तो पानी की एक लहर एक आदमी का ढाँचा उसके पास ला कर छोड़ गयी। बतख ने उसको ठीक से देखा तो उसको पता लग

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चुहिया और एक ततैये की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक चुहिया और एक मादा ततैया एक गरीब किसान के घर में एक साथ ही रहते थे। एक बार उस किसान का एक दोस्त बीमार पड़ गया तो डाक्टर ने उसको धुले तिल21 खाने की सलाह दी। सो उस किसान ने एक आदमी से अपने दोस्

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कौआ और बिल्ला

29 जनवरी 2022
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एक समय की बात है कि एक कौआ और एक बिल्ला दोनों आपस में बड़े गहरे दोस्त थे और साथ साथ रहते थे। एक दिन वे दोनों एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे कि उन्होंने एक चीते23 को अपनी तरफ आते हुए देखा। उनको उसके अपनी त

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चिड़ा और मोर

29 जनवरी 2022
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एक बार की बात है एक चिड़ा रोज सुबह सुबह चिड़ियों के राजा से मिलने जाता था और सारा दिन उसकी सेवा में खड़ा रहता था। वह सबसे पहले वहाँ पहुँचता था और सबसे बाद में वहाँ से वापस आता था। एक बार कुछ चिड़ियों ने

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मुर्गे और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक गाँव में एक शेख रहता था। उसकी अपने गाँव में बहुत अच्छी साख थी और वह एक बहुत ही समझदार आदमी था। उसके अपने पास बहुत सारे मुर्गे मुर्गियाँ थे। वह उनको बढ़ाने के लिये उनकी बहुत अच्छी देखभाल करता

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चिड़ियें, जानवर और बढ़ई

29 जनवरी 2022
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जानवरों की यह कहानी बहुत ही मजेदार है। हो सकता है कि तुम इसको बार बार पढ़ना पसन्द करो और हर किसी को खास करके अपने छोटे भाई बहिनों को बार बार सुनाना पसन्द करो। बहुत पुरानी बात है कि एक मोर अपनी पत्नी क

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