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किस्सा अमीना का

29 जनवरी 2022

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अमीना ने कहा, 'जुबैदा की कहानी आप उसके मुँह से सुन चुके, अब मैं अपनी कहानी आपके सम्मुख प्रस्तुत करती हूँ। मेरी माँ मुझे लेकर अपने घर में आई कि रँड़ापे का अकेलापन उसे न खले। फिर उसने मेरा विवाह इसी नगर के बड़े आदमी के पुत्र के साथ कर दिया। दुर्भाग्यवश एक ही वर्ष बीता था कि मेरा पति मर गया। किंतु उसकी सारी संपत्ति जिसका मूल्य लगभग नब्बे हजार रियाल था मेरे हाथ आ गई। इतना धन मेरी सारी जिंदगी के लिए काफी था। जब पति को मरे छह महीने हो गए तो मैंने दस बहुत मूल्यवान पोशाकें बनवाईं जिनमें से हर एक का मूल्य एक-एक हजार रियाल था। जब पति को मरे एक वर्ष पूरा हो गया तो मैंने उन पोशाकों को पहनना आरंभ किया।

एक दिन मैं अपने घर में अकेली बैठी थी कि मेरे सेवक ने मुझ से कहा कि एक बुढ़िया आपसे कुछ कहना चाहती है, आज्ञा हो तो उसे अंदर ले आऊँ। मैंने अनुमति दे दी। बुढ़िया अंदर आई और उसने भूमि चूमकर मुझे प्रणाम किया फिर खड़े होकर कहने लगी, 'मैंने आपकी दयालुता की बड़ी प्रशंसा सुनी है इसीलिए आपके सन्मुख कुछ निवेदन करना चाहती हूँ। मेरे पास एक कन्या है जिसके माता-पिता नहीं हैं। आज रात को उसका विवाह है। हम दोनों इस नगर में अपरिचित हैं। जिस लड़के के साथ उसका विवाह होना है वह धनी परिवार का है और उसके संबंधी भी काफी हैं। सुना है कि दूल्हे के साथ बहुत-सी स्त्रियाँ बहुमूल्य वस्त्राभूषण पहन कर आएँगी। यदि आप उस विवाह में शामिल हों तो मेरी प्रतिष्ठा रह जाएगी। हमारी ओर से आप होंगी तो समधियाने वाले हमें अपरिचित और निर्धन न समझेंगे। तुम्हारे जैसी शान-शौकत तो किसी में नहीं होगी और सब लोग यही कहेंगे कि जब इस बुढ़िया की ओर से ऐसी धनाढ्य महिला आई है तो वह भी प्रतिष्ठावान होगी। अगर आप मेरी निर्धनता और दीनता का ख्याल करके मेरे यहाँ चलने से इनकार करेंगी तो मेरी प्रतिष्ठा धूल में मिल जाएगी। इस नगर में न तो मेरा कोई अपना सगा-संबंधी है जिससे मैं मदद माँगूँ न आपके समान परोपकारी कोई महिला है जो दीन अनाथों पर दया करें।'

यह कहकर बुढ़िया रोने लगी। मैं उसके रोने से द्रवित हो गई। मैंने उसे दिलासा देकर कहा, 'अम्मा, तुम फिक्र न करो, मैं तुम्हारी बेटी के विवाह में अवश्य सम्मिलित होऊँगी। तुम्हें खुद अब यहाँ आने की जरूरत नहीं है, तुम विवाह का प्रबंध करो। मुझे अपने मकान का पता बता दो, मैं स्वयं वहाँ पहुँच जाऊँगी।'

बुढ़िया यह सुनकर बहुत ही प्रसन्न हुई। उसने कहा, जैसे इस समय आपने मुझे प्रसन्नता दी है वैसे ही भगवान सदैव आपको प्रसन्न रखे, लेकिन आप मेरा मकान कहाँ ढूँढ़ती फिरेंगी, मैं स्वयं शाम को यहाँ आकर आप को अपने घर ले जाऊँगी। यह कहकर बुढ़िया चली गई।

मैंने तीसरे पहर से तैयारी की। एक बहुमूल्य जोड़ा कपड़ों का निकालकर पहना। बड़े-बड़े मोतियों की माला पहनी तथा और भी बहुत-से रत्नजटित आभूषण यथा बाजूबंद, करनफूल, अँगूठियाँ आदि पहने। इतने ही में शाम हो गई। बुढ़िया मुझे लेने को आ गई और मेरा हाथ चूम कर बोली कि दूल्हे के माता-पिता तथा अन्य संबंधी मेरे घर आए हुए हैं, यहाँ के कई धनी-मानी और प्रतिष्ठित व्यक्ति और उनकी स्त्रियाँ भी वर पक्ष की ओर से आए हैं; अब आप चल कर मेरे पक्ष की लाज रखिए। मैं बुढ़िया के साथ उसके घर की ओर चल दी और साथ में अपनी कई दासियों को भी अच्छे वस्त्राभूषण पहनाकर अपने साथ ले लिया।

हम लोग चलते-चलते एक चौड़ी और साफ गली में पहुँचे। वृद्धा ने हम लोगों को ले जाकर एक बड़े द्वार के सामने खड़ा कर दिया। दरवाजे के ऊपर एक तख्ती पर लकड़ी से तराशे हुए अक्षरों में लिखा था कि इस घर में सदैव प्रसन्नता का निवास है। वहाँ दीए भी जल रहे थे जिनके प्रकाश में मैंने यह इबारत पढ़ी। बुढ़िया ने ताली बजा कर दरवाजा खुलवाया और मुझे अंदर एक बड़े दालान में ले गई।

अंदर एक अत्यंत रूपवती स्त्री ने मेरा स्वागत किया, मुझे गले लगाया और सम्मानपूर्वक एक कमरे में ले जाकर बिठाया। फिर मैं ने देखा कि वहाँ पर एक रत्न-जटित सिंहासन रखा है। उस सुंदरी ने मुझ से कहा कि तुम सोचती हो कि तुम किसी और का विवाह कराने आई हो, वास्तविकता यह है कि तुम्हें यहाँ तुम्हारे ही विवाह के लिए लाया गया है। मुझे यह सुनकर आश्चर्य हुआ किंतु उस स्त्री ने मुझे और कुछ पूछने न दिया बल्कि इधर-उधर की बड़ी अच्छी बातें करने लगी और बात-बात में मेरे प्रति सम्मान प्रकट करने लगी।

कुछ देर में उसने कहा, 'बीबी, शादी की बात तो यह है कि मेरा एक जवान भाई है जो अत्यंत रूपवान है। उस ने तुम्हारे रूप और गुणों की बड़ी प्रशंसा सुनी है और तुम पर मोहित हो गया है। वह तुमसे विवाह करने को अत्यंत लालयित है। यदि तुम उसके साथ विवाह करने से इनकार करोगी तो उसे अति क्लेश होगा और उसका दिल टूट जाएगा। मैं ईश्वर की सौगंध खाकर कहती हूँ कि वह नौजवान हर प्रकार तुम्हारी संगति के योग्य है। तुम उस पर पूरा भरोसा रख सकती हो। वह बड़ा प्रसन्नचित्त आदमी है और तुम्हें हर तरह खुश रखेगा।'

वह स्त्री बहुत देर तक इसी प्रकार अपने भाई की बात करती रही और उसकी प्रशंसा के पुल बाँधती रही। अंत में उसने मुझसे कहा कि तुम्हारी ओर से जरा-सा भी इशारा हो तो मैं उस आदमी से तुम्हारे आने के बारे में कहूँ।

यद्यपि पहले पति के मरने के बाद मेरी विवाह करने की तनिक भी इच्छा नहीं थी तथापि उस स्त्री ने उस आदमी की इतनी प्रशंसा की थी कि इनकार करने की भी इच्छा बिल्कुल न हुई। मैं उसकी बात पर मुस्कराकर चुप हो रही। स्त्री मेरी मुस्कराहट और मौन से समझ गई कि मैं राजी हूँ। उसने ताली बजाई। इसके साथ ही पास के एक कमरे से एक अति रूपवान युवक बड़े तड़क-भड़क कपड़े पहने हुए निकला। उसे देखकर मुझे अपने भाग्य पर बड़ी प्रसन्नता हुई कि ऐसा रूपवान पुरुष मेरा पति बनेगा। वह मेरे पास बैठा और मुझ से अत्यंत शिष्टता और बुद्धिमत्तापूर्वक बातें करने लगा। उसकी जितनी प्रशंसा उसकी बहन ने की थी मैं ने उसे उससे अधिक पाया। उस सुंदरी ने जब मुझे भी राजी देखा तो दूसरी बार ताली बजाई जिससे एक अन्य कमरे से एक काजी निकले और उनके साथ चार अन्य मनुष्य। काजी ने शरीयत के अनुसार हम दोनों का विवाह करा दिया और चार आदमियों की गवाही भी हो गई। मेरे पति ने मुझ से वचन लिया कि मैं किसी अन्य पुरुष से बात न करूँगी बल्कि देखूँगी भी नहीं, सदैव पातिव्रत्य का पालन करूँगी और उसकी आज्ञाओं का प्रसन्नतापूर्वक पालन करूँगी। उस ने यह भी कहा कि अगर तुम ने अपनी प्रतिज्ञाएँ पूरी कीं तो मैं तुम्हारा त्याग कभी नहीं करूँगा।

मैं धनवान वर्ग की महिलाओं की भाँति बल्कि रानियों की भाँति अपने पति के घर में रहने लगी। एक महीने बाद मैंने अपने पति से शहर के बाजार को जाने की अनुमति माँगी। मैंने कहा कि जैसे कई अमीर घरानों की स्त्रियाँ बाजार से रेशमी थान खरीद कर बेचा करती हैं वैसे ही मैं करना चाहती हूँ। मेरे पति ने इसके लिए अनुमति दे दी। मैं दो दासियों तथा उस बुढ़िया के साथ जो मुझे विवाह के लिए बहाना करके लाई थी नगर के सबसे बड़े बाजार गई जहाँ बड़े-बड़े व्यापारियों की दुकानें थीं। बुढ़िया ने कहा, यहाँ एक नौजवान व्यापारी है जिसे मैं अच्छी तरह जानती हूँ, उसकी दुकान जैसे बहुमूल्य थान कहीं और न मिलेंगे। मैंने भी सोचा था कि एक ही जगह अच्छा माल मिल जाए तो जगह-जगह क्यों भटकें, इसीलिए उस व्यापारी की दुकान पर चली गई।

व्यापारी जवान ही नहीं अत्यंत रूपवान था। बुढ़िया ने मुझ से कहा कि यहाँ बहुत माल है, तुम व्यापारी से जो भी चाहो माँग लो। मैंने उससे कहा कि मैंने पति को वचन दिया है कि मैं परपुरुष से बात न करूँगी, इसलिए मैं तो इससे बात न करूँगी, तुम्हीं बात करो। अतएव उस व्यापारी ने बुढ़िया से पूछताछ कर कि मुझे क्या पसंद है कई अच्छे-अच्छे थान दिखाए। मैं ने उन में से एक थान पसंद किया और उसका दाम पुछवाया। व्यापारी बोला, 'यह थान अमूल्य है। मैं इसे असंख्य अशफियों में भी नहीं बेचूँगा। किंतु यह सुंदरी अगर अपने कपोल का एक चुंबन मुझे दे दे तो यह थान उसका हो जाएगा।'

मैंने बुढ़िया से नाराज होते हुए कहा कि यह व्यापारी बड़ा लंपट और धृष्ट जान पड़ता है, इसकी हिम्मत ऐसी गंदी बात करने की कैसे हुई। किंतु बुढ़िया ने व्यापारी ही का पक्ष लिया और कहा, 'सुंदरी, इसमें कोई विशेष बात तो नहीं है। तुम्हारे पति ने तुम्हें परपुरुष को देखने और उससे बात करने ही को तो मना किया है। वह तुम न करो। तुम केवल एक चुंबन इसे चुपचाप दे दो। इसमें तो कोई कठिनाई तुम्हें नहीं होनी चाहिए।' मैं ऐसी मूर्ख थी और थान मेरी नजर में ऐसा खुप गया था कि मैं इस बुरी बात के लिए तैयार हो गई। अब वह वृद्धा और दोनों दासियाँ सड़क की ओर मेरी आड़ करके खड़ी हो गईं। मैंने अपने मुख पर से वस्त्र हटा कर उस व्यापारी के सामने गाल कर दिया।

दुष्ट व्यापारी ने चुंबन लेने के बजाय मेरे गाल में दाँत गड़ा दिए जिससे गाल लहूलुहान हो गया और मैं तड़प कर अचेत हो गई। इस अरसे में अवसर पाकर व्यापारी ने अपना माल जल्दी से लपेटा और दुकान बंद करके गायब हो गया। कुछ देर बार जब मुझे होश आया तो मैंने अपने गाल को लहूलुहान पाया। बुढ़िया और दासियों ने मेरे गाल को कपड़े से ढँक दिया था और उन लोगों की परेशानी और हाय-हाय को सुन कर जो भीड़ वहाँ जमा हो गई थी उसने समझा कि मैं किसी बीमारी से या कमजोरी के कारण बेहोश हो गई। मेरे होश में आने पर बुढ़िया और दासियों को संतोष हुआ और वे मुझे धैर्य देने लगीं। विशेषतः बुढ़िया को बहुत दुख हुआ। उसने कहा, 'सुंदरी, मैं तुम्हारी अपराधिनी हूँ, मुझे क्षमा करो। तुम्हारे ऊपर यह सारी मुसीबत मेरे कारण ही आई। इस कमीने व्यापारी की दुकान पर तुम मेरे कहने से आई। अब घर चलो। जो हुआ सो हुआ अब तुम और चिंता न करो। मैं तुम्हारे घाव पर ऐसी दवा लगा दूँगी कि तीन दिन के अंदर न केवल घाव भर जाएगा बल्कि उसका कोई चिह्न भी नहीं रहेगा।'

मैं किसी तरह गिरती-पड़ती उन लोगों के साथ अपने घर पहुँची और अपने कमरे में जाकर पीड़ा, निर्बलता और थकन से फिर अचेत हो गई। बुढ़िया मुझे होश में लाई। फिर मैं अपने पलंग पर लेट गई। रात में जब मेरा पति आया, मुझे लेटे देखा तो बोला कि तुम्हें क्या हो गया, क्यों लेटी हो। मैंने बहाना किया कि मेरे सिर में बड़ा दर्द हो रहा है। मैंने सोचा था कि इसके बाद वह मुझसे अपना ध्यान हटा लेगा। किंतु उसने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और नाड़ी आदि देखने के बाद सर पर हाथ फेरने के लिए मेरे मुँह से कपड़ा हटाया। गाल के घाव को देखकर वह भड़क गया और मुझ से पूछने लगा कि तुम्हारे गाल पर यह खरोंच कैसे लगी।

वैसे मेरा कोई कसूर न था और मैं उसकी अनुमति लेकर ही बाजार गई थी किंतु उससे सच्ची बात कहने का मुझे साहस नहीं हुआ। मैंने बहाना बनाया कि जब मैं बाजार जा रही थी तो एक लकड़हारा लकड़ी का गट्ठा लेकर मेरे पास से निकला और गट्ठे से बाहर निकली एक लकड़ी गाल में चुभ गई।

मेरे पति ने क्रोध में भरकर कहा कि अगर यह बात सच है तो मैं कल सारे लकड़हारों को फाँसी पर चढ़वा दूँगा। मैं घबराई कि मेरे इस झूठ से सारे लकड़हारे बेकसूर ही मारे जाएँगे। मैंने अपने पति से कहा कि आप ऐसा अन्याय हरगिज न करें, बेकसूर लकड़हारों को क्यों मरवाएँगे, अगर मेरा अपराध पाएँ तो उसका दंड मुझे दें, औरों को नहीं।

मेरे पति ने कहा, तुम सच-सच क्यों नहीं बताती गाल में घाव कैसे लगा। मेरी हिम्मत सच्ची बात कहने की अब भी नहीं हुई और मैंने दूसरा बहाना बनाया कि जब मैं जा रही थी तो एक कुम्हार गधे पर बर्तन ले जाता हुआ निकला और गधे का मुझे ऐसा धक्का लगा कि मैं पृथ्वी पर गिर पड़ी और वहाँ पड़ा हुआ एक काँच का टुकड़ा मेरे गाल में चुभ गया। मेरे पति ने कहा, अगर तुम्हारी बात सच है तो मैं सुबह ही राजा के मंत्री जाफर से कह कर सारे कुम्हारों को नगर से निकलवा दूँगा। मैं फिर घबराई और मैंने कहा कि मेरे कारण निर्दोष कुम्हारों को सजा क्यों दी जाए।

पति ने फिर कहा, जब तक तुम सच्ची बात न कहोगी मेरा रोष कम नहीं हो सकता। मैं बोली कि चलते-चलते मुझे चक्कर आ गया जिससे मैं गिर पड़ी और मेरा गाल छिल गया। इसमें किसी का कसूर नहीं है। मेरा पति अब आपे से बाहर हो गया और बोला, 'तू झूठ पर झूठ बोले चली जा रही है, अब मैं तेरी बहानेबाजी नहीं सुन सकता। यह कह कर उसने ताली बजाई जिससे तीन हब्शी गुलाम अंदर आ गए। मेरे पति ने कहा, एक-एक आदमी इसका सिर और पाँव पकड़े और तीसरा तलवार निकाल ले। फिर तलवार निकालने वाले से कहा कि इस कुलटा के दो टुकड़े करके इस की लाश मछलियों के खाने के लिए नदी में फेंक दें। जल्लाद कुछ झिझका तो मेरे पति ने डाँट कर कहा, तू मेरी आज्ञा का पालन क्यों नहीं करता। जल्लाद ने मुझ से कहा, 'तुम्हारा अंत आ गया है। तुम अंत समय में भगवान का स्मरण कर लो। इसके अलावा और भी कुछ कहना-सुनना हो तो कह सुन लो। मैंने कहा कि मुझे थोड़ी देर के लिए जीवन दान मिले तो कुछ कहना चाहती हूँ। मैंने अपना सिर उठाया और सारी बात कहनी चाही कितु हिचकियों और रुलाई के कारण कुछ कह न सकी।

मेरे पति का क्रोध बढ़ता ही जा रहा था। उसने मुझे बहुत गालियाँ दीं और बुरा-भला कहा। मैं उसकी बातों का कोई उत्तर न दे सकी। मैंने सिर्फ यह कहा कि कुछ अवसर और दिया जाए ताकि मैं अपने पापों के लिए ईश्वर से क्षमा माँग सकूँ। किंतु मेरे पति ने इतनी दया न भी की और गुलाम को शीघ्र ही मेरा वध करने की आज्ञा दी।

गुलाम मुझे मारने को तैयार हो गया। इतने में बुढ़िया दौड़ती हुई आई। उस ने मेरे पति को बचपन में दूध पिलाया था। वह उसके पैरों पर गिर पड़ी और कहा कि तुम मेरे दूध का बदला देने के लिए इसे प्राणदान दे दो। उसने कहा कि उसका कोई दोष नहीं है, तुम इसे निरपराध मार कर ईश्वर को क्या जवाब दोगे। उसके समझाने-बुझाने से मेरे पति ने मेरा वध तो नहीं कराया किंतु कहा कि इसे कुछ दंड मिलना जरूरी है। उसकी आज्ञा से गुलाम ने मुझे कोड़ों से इतना मारा कि मैं बेहोश हो गई और मेरे कंधों और छाती पर से कई जगह मांस उधड़ गया। मैं एक महल में बंद कर दी गई जहाँ चार महीने तक पड़ी रही। बुढ़िया ने मेरी देख-रेख और मरहम-पट्टी की। इससे मैं वैसे तो स्वस्थ हो गई किंतु वे काले चिह्न बाकी रह गए जिन्हें आपने देखा था।

जब मैं चलने-फिरने के योग्य हुई तो सोचा कि अपने पहले पति के मकान में, जो अभी तक मेरी संपत्ति था, चल कर रहूँ। किंतु उस गली में गई तो मकान का चिह्न भी न पाया क्योंकि मेरे दूसरे पति ने उसे खुदवाकर जमीन के बराबर कर दिया था। मैं उसके इस अन्याय की फरियाद भी इस डर से न कर सकी कि कहीं ऐसा न हो कि दुबारा क्रोध में आकर मुझे मरवा दें।

मैं अपनी जान बचने पर ईश्वर को धन्यवाद देती हुई जुबैदा के पास गई और अपनी संपूर्ण कष्ट कथा कही। उसने मुझे तसल्ली दी। उसने कहा कि तुम मेरे साथ रहो, यह जमाना अच्छा नहीं है, हमें किसी से भी दयालुता की आशा नहीं करनी चाहिए, न उनसे जो हमारी मित्रता का दावा करते हैं न उनसे जो हमारे रूप पर मोहित हो जाते हैं। उसने कहा कि मेरे पास इतना पैसा है कि हमें कोई कठिनाई नहीं होगी। जुबैदा ने मुझे यह भी बताया कि किस तरह उसकी सगी बहनों की जलन और दुश्मनी की वजह से उसका मँगेतर शहजादा समुद्र में डूब गया और किस तरह उसकी उपकृत परी ने उसकी दुष्ट सगी बहनों को कुतिया बना दिया।

मैं उस समय से जुबैदा के पास रहने लगी। मेरी माता का देहांत हुआ तो जुबैदा ने मेरी बहन साफी को भी अपने पास बुलाकर रख लिया तब से हम तीनों बहनें आनंदपूर्वक रहती हैं। हम लोग भगवान के प्रति आभारी हैं कि हमें कोई कष्ट नहीं है। हम लोग मिलजुल कर घर चलाते हैं। कभी बाजार से सौदा-सुलुफ लाने के लिए मैं जाती हूँ कभी साफी। कल मैं बाजार गई थी और सामान एक मजदूर के सर पर लदवा कर आई। वह बड़ा हँसोड़ था और शिष्ट भी था, इसलिए हमने उसे दिन भर अपने साथ रहने दिया ताकि अपनी बातों से हमारा मनोरंजन करे। फिर रात को तीन फकीरों ने हम से रात भर आश्रय देने के लिए प्रार्थना की। हमने उन्हें भोजन कराया और शराब पिलाई। वे रात को देर तक गाते-बजाते रहे और हम लोग भी गाते-बजाते रहे। फिर मोसिल के तीन व्यापारी जो बड़े संभ्रात जान पड़ते थे रात भर रहने की प्रार्थना करते हुए आए। हमने उनकी भी अभ्यर्थना की।

अमीना ने कहा कि यद्यपि हमारे सातों मेहमानों ने वचन दिया था कि वे सब कुछ चुपचाप देखेंगे और किसी बात के बारे में पूछताछ नहीं करेंगे तथापि उन्होंने यह वचन न निभाया और कुतियों के पिटने और मेरे शरीर के दागों के बारे में पूछताछ करने लगे। हमें इस पर बहुत क्रोध आया यद्यपि हम उन सभी के प्राण ले सकते थे। तथापि ऐसा न किया और उन लोगों से उनका व्यक्तिगत वृत्तांत सुनकर उन्हें छोड़ दिया।

खलीफ हारूँ रशीद को दोनों स्त्रियों की कहानियाँ सुनकर अत्यंत विस्मय हुआ। उसने मन में सोचा कि उन फकीरों का, जो वास्तव में राजा और राजकुमार थे, और उन बुद्धिमती स्त्रियों का कुछ उपकार करें। उसने जुबैदा से पूछा कि तुम्हें तुम्हारी उपकारकर्ती परी ने कुछ यह भी बताया था कि तुम्हारी बहनें कब तक कुतियाँ बनी रहेंगी। जुबैदा ने कहा कि मैंने जो वृत्तांत आप से कहा था उसमें यह बताना भूल गई कि परी ने चलते समय मुझे अपने कुछ बाल दिए थे और कहा था अगर तुम इनमें से कोई बाल आग में डालोगी तो मैं संसार के चाहे जिस भाग में हूँ तुम्हारे पास आ जाऊँगी।

खलीफा ने पूछा, वे बाल कहाँ हैं। जुबैदा बोली, मैं वे बाल हर समय अपने पास रखती हूँ। यह कहकर उसने एक डिबिया निकाली। उसमें एक पुड़िया में कुछ बाल बँधे थे। उसने उन्हें खलीफा को दिखाया।

खलीफा ने कहा कि मैं भी उस परी को देखना चाहता हँ। जुबैदा ने पूरी पुड़िया आग में डाल दी। धुआँ उठते ही भूकंप-सा आ गया और कुछ क्षणों में चकाचौंध कर देने वाले वस्त्राभूषण पहने परी सम्मुख आ खड़ी हुई। वह खलीफा से बोली, 'आप पृथ्वी पर ईश्वर के प्रतिनिधि हैं, आपकी जो भी आज्ञा होगी मैं उसका पालन करूँगी। इस जुबैदा ने मेरी प्राण रक्षा की थी इसीलिए मैं इसकी बड़ी आभारी हूँ। मैंने इसकी बहनों को, जिन्होंने इसके उपकारों के बदले में इससे अत्यंत नीचता का व्यवहार किया था, कुतिया बना डाला। अब मुझे क्या आज्ञा है?'

खलीफा ने कहा, 'एक तो यह कि चूँकि यह दोनों अपने किए का काफी दंड पा चुकी हैं इसलिए तुम उन्हें फिर इनके पुराने शरीरों में ले आओ। दूसरी बात यह है कि एक आदमी ने अपनी पत्नी को इतना पिटवाया है कि उसके कंधे और सीना काले दागों से भर गए हैं। उस अन्यायी ने इसका पुराना घर भी खुदवाकर जमीन के बराबर कर दिया, उसको अपने पहले पति से जो संपत्ति मिली थी उस पर भी अधिकार कर लिया। मुझे इस बात पर बड़ा खेद है कि मेरे शासन में कोई ऐसा अन्यायी रहता है। तुम तो जानती होगी कि वह कौन है। उसका पता मुझे बताओ और इन कुतियों को फिर से स्त्री बनाने और उस प्रताड़िता स्त्री का शरीर ठीक करने के लिए जो भी कर सकती हो करो।'

परी ने आश्वासन दिया कि मैं सब ठीक कर दूँगी। खलीफा ने जुबैदा को आज्ञा देकर उसके घर से कुतियों को मँगाया। परी ने एक पात्र में जल लेकर उस पर कुछ मंत्र पढ़ा। फिर उसने वह पानी दोनों कुतियों और अमीना पर छिड़क दिया। तुरंत ही कुतियाँ अपने पुराने शरीरों में आकर सुंदर स्त्रियाँ बन गईं ओर अमीना के सारे काले दाग चले गए और उसका शरीर कुंदन की तरह दमकने लगा। अब परी ने कहा कि मैं जानती हूँ कि अमीना का पति कौन है लेकिन वह आप से बहुत निकट संबंध रखता है; अगर आप चाहें तो उसका नाम भी बता दूँ। खलीफा ने कहा कि जरूर बताओ।

परी बोली, वह आप का छोटा बेटा अमीन है जो अमीना के सौंदर्य की प्रशंसा सुनकर इसको पाने का इच्छुक हो गया और इसे धोखे से अपने कमरे में बुलवा कर इससे विवाह कर लिया। फिर परी ने बाजार की घटना का वर्णन करके कहा कि यद्यपि अमीना निर्दोष थी किंतु सच्ची बात कहने का साहस न कर सकी और कई कई बयान दिए जिससे इसके पति ने इसे दंड दिया।

यह कहकर परी अंतर्धान हो गई। खलीफा ने अपने पुत्र को बुलवाया किंतु भय और लज्जा के कारण उसे आने का साहस न हुआ। खलीफा ने उसे सामने बुलाने पर जोर न दिया किंतु अमीना को उसके पास भेजा और आदेश दिया कि चूँकि यह निर्दोष है इसलिए तुम इसे पत्नी के रूप में सम्मानपूर्वक रखो। चुनांचे शहजादा अमीन ने ऐसा ही किया। खलीफा ने जुबैदा से स्वयं विवाह कर लिया और साफी तथा अन्य दो बहनों का तीन फकीर बने राजकुमारों से विवाह कर दिया और इन राजकुमारों को उच्च पदों पर आसीन कर दिया। 

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रचनाएँ
अलिफ लैला
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अलिफ लैला की कहानी अरब देश की एक प्रचलित लोक कथा है जो पूरी दुनिया में सदियों से सुनी व पढ़ी जाती रही है। ... इस कथा के अनुसार, बादशाह शहरयार अपनी मलिका की बेवपफाई से दुःखी होकर उसका और उसकी सभी दासियों का कत्ल कर देता है और प्रतिज्ञा करता है कि रोजाना एक स्त्री के साथ विवाह करूंगा और अगली सुबह उसे कत्ल कर दूंगा।
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भूमिका (1)-अलिफ़ लैला सहस्र-रजनी चरित्र, जो अब भी भारत में अपने अरबी नाम 'अल्फ लैला' के प्रचलित बिगड़े हुए रूप 'अलिफ लैला' के नाम से अधिक जाना जाता है, वास्तव में लोक कथाओं का ऐसा संग्रह है जिसकी लोक

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मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

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मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

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मजदूर बोला, 'हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया।

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पहले फकीर की कहानी

29 जनवरी 2022
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पहले फकीर ने अदब से घुटनों के बल खड़े होकर कहा 'सुंदरी, अब ध्यान लगाकर सुनो कि मेरी आँख किस प्रकार गई और मैं क्यों फकीर बना। मैं एक बड़े बादशाह का बेटा था। बादशाह का भाई यानी मेरा चचा भी एक समीपवर्ती

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दूसरे फकीर की कहानी

29 जनवरी 2022
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अभी पहले फकीर की अद्भुत आप बीती सुनकर पैदा होने वाले आश्चर्य से लोग उबरे नहीं थे कि जुबैदा ने दूसरे फकीर से कहा कि तुम बताओ कि तुम कौन हो और कहाँ से आए हो। उसने कहा कि आपकी आज्ञानुसार मैं आप को बताऊँग

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भले आदमी और ईर्ष्यालु पुरुष

29 जनवरी 2022
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किसी नगर में दो आदमियों का घर एक दूसरे से लगा हुआ था। उनमें से एक पड़ोसी दूसरे के प्रति ईर्ष्या और द्वेष रखता था। भले मानस ने सोचा कि मकान छोड़कर कहीं जा बसूँ क्योंकि मैं इस आदमी के प्रति उपकार करता ह

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किस्सा तीसरे फकीर का

29 जनवरी 2022
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हे दयालु सुंदरी, मेरी कहानी बहुत ही आश्चर्यकारी है। इन दोनों शहजादों की दाहिनी आँखें परिस्थितिवश गईं किंतु मेरी आँख मेरी ही मूर्खता और मेरे ही अपराध के कारण फूटी। मैं इसका विस्तृत वर्णन करता हूँ। मेरा

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किस्सा जुबैदा का

29 जनवरी 2022
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जुबैदा ने खलीफा के सामने सर झुका कर निवेदन किया है राजाधिराज, मेरी कहानी बड़ी ही विचित्र है, आपने इस प्रकार की कोई कहानी नहीं सुनी होगी। मैं और वे दोनों काली कुतियाँ तीनों सगी बहिनें हैं और यह दो स्त्

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किस्सा अमीना का

29 जनवरी 2022
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अमीना ने कहा, 'जुबैदा की कहानी आप उसके मुँह से सुन चुके, अब मैं अपनी कहानी आपके सम्मुख प्रस्तुत करती हूँ। मेरी माँ मुझे लेकर अपने घर में आई कि रँड़ापे का अकेलापन उसे न खले। फिर उसने मेरा विवाह इसी नगर

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सिंदबाज जहाजी की कहानी

29 जनवरी 2022
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जब शहरजाद ने यह कहानी पूरी की तो शहरयार ने, जिसे सारी कहानियाँ बड़ी रोचक लगी थीं, पूछा कि तुम्हें कोई और कहानी भी आती हैं। शहरजाद ने कहा कि बहुत कहानियाँ आती हैं। यह कह कर उसने सिंदबाद जहाजी की कहानी

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सिंदबाद जहाजी की पहली यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा कि मैंने अच्छी-खासी पैतृक संपत्ति पाई थी किंतु मैंने नौजवानी की मूर्खताओं के वश में पड़कर उसे भोग-विलास में उड़ा डाला। मेरे पिता जब जीवित थे तो कहते थे कि निर्धनता की अपेक्षा मृत्यु श्र

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सिंदबाद जहाजी की दूसरी यात्रा

29 जनवरी 2022
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मित्रो, पहली यात्रा में मुझ पर जो विपत्तियाँ पड़ी थीं उनके कारण मैंने निश्चय कर लिया था कि अब व्यापार यात्रा न करूँगा और अपने नगर में सुख से रहूँगा। किंतु निष्क्रियता मुझे खलने लगी, यहाँ तक कि मैं बेच

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सिंदबाद जहाजी की तीसरी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा कि घर आकर मैं सुखपूर्वक रहने लगा। कुछ ही दिनों में जैसे पिछली दो यात्राओं के कष्ट और संकट भूल गया और तीसरी यात्रा की तैयारी शुरू कर दी। मैंने बगदाद से व्यापार की वस्तुएँ लीं और कुछ व्या

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सिंदबाद जहाजी की चौथी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा, कुछ दिन आराम से रहने के बाद मैं पिछले कष्ट और दुख भूल गया था और फिर यह सूझी कि और धन कमाया जाए तथा संसार की विचित्रताएँ और देखी जाएँ। मैंने चौथी यात्रा की तैयारी की और अपने देश की वे व

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सिंदबाद जहाजी की पाँचवी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा कि मेरी विचित्र दशा थी। चाहे जितनी मुसीबत पड़े मैं कुछ दिनों के आनंद के बाद उसे भूल जाता था और नई यात्रा के लिए मेरे तलवे खुजाने लगते थे। इस बार भी यही हुआ। इस बार मैंने अपनी इच्छानुसार

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सिंदबाद जहाजी की छठी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने हिंदबाद और अन्य लोगों से कहा कि आप लोग स्वयं ही सोच सकते हैं कि मुझ पर कैसी मुसीबतें पड़ीं और साथ ही मुझे कितना धन प्राप्त हुआ। मुझे स्वयं इस पर आश्चर्य होता था। एक वर्ष बाद मुझ पर फिर यात्

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सिंदबाद जहाजी की सातवीं यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा, दोस्तो, मैंने दृढ़ निश्चय किया था कि अब कभी जल यात्रा न करूँगा। मेरी अवस्था भी इतनी हो गई थी कि मैं कहीं आराम के साथ बैठ कर दिन गुजारता। इसीलिए मैं अपने घर में आनंदपूर्वक रहने लगा। एक

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एक स्त्री और तीन नौकरों का वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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शहरयार को सिंदबाद की यात्राओं की कहानी सुन कर बड़ा आनंद हुआ। उसने शहरजाद से और कहानी सुनाने को कहा। शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद का नियम था कि वह समय-समय पर वेश बदल कर बगदाद की सड़कों पर प्रजा का

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जवान और मृत स्त्री

29 जनवरी 2022
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उस जवान ने कहा कि 'मृत स्त्री मेरी पत्नी और इन वृद्ध सज्जन की बेटी थी और यह मेरे चचा हैं। ग्यारह वर्ष पूर्व उससे मेरा विवाह हुआ था। हमारे तीन बेटे हैं जो जीवित हैं। मेरी पत्नी अत्यंत सुशील और पतिव्रता

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नूरुद्दीन अली और बदरुद्दीन हसन

29 जनवरी 2022
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मंत्री जाफर ने कहा कि पहले जमाने में मिस्र देश में एक बड़ा प्रतापी और न्यायप्रिय बादशाह था। वह इतना शक्तिशाली था कि आस-पड़ोस के राजा उससे डरते थे। उसका मंत्री बड़ा शासन- कुशल, न्यायप्रिय और काव्य आदि

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काशगर के दरजी और बादशाह के कुबड़े सेवक

29 जनवरी 2022
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दूसरी रात को मलिका शहरजाद ने पिछले पहर अपनी बहन दुनियाजाद के कहने से यह कहानी सुनाना आरंभ किया। पुराने जमाने में तातार देश के समीपवर्ती नगर काशगर में एक दरजी था जो अपनी दुकान में बैठ कर कपड़े सीता था।

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ईसाई द्वारा सुनाई गई

29 जनवरी 2022
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ईसाई ने कहा, मैं मिस्र की राजधानी काहिरा का निवासी हूँ। मेरा बाप दलाल था। उस के पास काफी पैसा हो गया। उस ने मरने के बाद मैं ने भी वही व्यापार आरंभ किया। एक दिन मैं अनाज की मंडी में अपने दैनिक व्यापार

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अनाज के व्यापारी

29 जनवरी 2022
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अनाज का व्यापारी बोला कि कल मैं एक धनी व्यक्ति की पुत्री के विवाह में गया था। नगर के बहुत-से प्रतिष्ठित व्यक्ति उसमें शामिल थे। शादी की रस्में पूरी होने पर दावत हुई और नाना प्रकार के व्यंजन परोसे गए।

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उस आदमी की कहानी जिसके चारों अँगूठे कटे थे

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उस ने कहा कि दोस्तो, मेरा पिता बगदाद का रहनेवाला था और खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में था। मैं भी उसी समय पैदा हुआ। मेरा पिता यद्यपि धनवान तथा बड़े व्यापारियों में गिना जाता था तथापि वह बहुत ही विलासी औ

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यहूदी हकीम द्वारा वर्णित

29 जनवरी 2022
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यहूदी हकीम ने बादशाह के सामने झुक कर जमीन चूमी और कहा कि पहले मैं दमिश्क नगर में हकीमी किया करता था। अपनी चिकित्सा विधि के कारण वहाँ मेरी बड़ी प्रतिष्ठा हो गई थी। एक दिन वहाँ के हाकिम ने मुझ से कहा कि

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काशगर के बादशाह के सामने दरजी की कथा

29 जनवरी 2022
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दरजी ने कहा कि इस नगर के व्यापारी ने एक बार अपने मित्रों को भोज दिया और उनके लिए भाँति-भाँति के व्यंजन बनवाए। मुझे भी बुलाया गया। मैं जब वहाँ पहुँचा तो देखा कि बहुत-से निमंत्रित लोग मौजूद हैं किंतु मक

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लँगड़े आदमी की कहानी

29 जनवरी 2022
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मेरा पिता बगदाद के सम्मानित व्यक्तियों में से था और हम लोग आनंदपूर्वक वहाँ रह रहे थे। मैं अपने पिता का अकेला बेटा था। जिस समय मेरे पिता की मृत्यु हुई उस समय तक मैं न केवल विद्याध्ययन पूरा कर चुका था ब

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दरजी की जबानी नाई की कहानी

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के काल में बगदाद के आसपास दस कुख्यात डाकू थे जो राहगीरों को लूटते ओर मार डालते थे। खलीफा ने प्रजा के कष्ट का विचार कर के कोतवाल से कहा कि उन डाकुओं को पकड़ कर लाओ वरना मैं तुम्हें प्र

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नाई के कुबड़े भाई

29 जनवरी 2022
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सरकार, मेरा सबसे बड़ा भाई जिसका नाम बकबक था, कुबड़ा था। उसने दरजीगीरी सीखी और जब यह काम सीख लिया तो उसने अपना कारबार चलाने के लिए एक दुकान किराए पर ली। उस की दुकान के सामने ही एक आटा चक्कीवाले की दुका

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नाई के दूसरे भाई बकबारह की कहानी

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दूसरे रोज खलीफा के सामने पहुँच कर मैं ने कहा कि मेरा दूसरा भाई बकबारह पोपला है। एक दिन उससे एक बुढ़िया ने कहा, मैं तुम्हारे लाभ की एक बात कहती हूँ। एक बड़े घर की स्वामिनी तुम से आकृष्ट है। मैं तुम्हें

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नाई के तीसरे भाई अंधे बूबक की कहानी

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नाई ने कहा, सरकार, मेरा तीसरा भाई बूबक था जो बिल्कुल अंधा था। वह बड़ा अभागा था। वह भिक्षा से जीवन निर्वाह करता था। उसका नियम था कि अकेला ही लाठी टेकता हुआ भीख माँगने जाता और किसी दानी का द्वार खटखटा क

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नाई के चौथे भाई काने अलकूज

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि मेरा चौथा भाई काना था और उसका नाम अलकूज था। अब यह भी सुन लीजिए कि उसकी एक आँख किस प्रकार गई। मेरा भाई कसाई का काम करता था। उसे भेड़-बकरियों की अच्छी पहचान थी। वह मेढ़ों को लड़ाने के लिए

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नाई के पाँचवें भाई अलनसचर

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि मेरे पाँचवें भाई का नाम अलनसचर था। वह बड़ा आलसी और निकम्मा था। वह रोज किसी न किसी मित्र के पास जा कर बेशर्मी से कुछ भीख माँग लेता और खा-पी कर पड़ा रहता। मेरा बाप कुछ समय बाद बूढ़ा हो कर

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नाई के छठे भाई कबक जिसके होंठ खरगोश की तरह के थे

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नाई ने कहा कि अब मेरे आखिरी भाई शाह कबक का वृत्तांत रह गया है। इसे भी सुन लीजिए, फिर मैं आप से विदा लूँ। इस भाई का नाम शाह कबक था और उसके होंठ खरगोश की तरह ऊपर को चढ़े हुए थे और वह चलता भी खरगोश की तर

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शहजादा अबुल हसन और हारूँ रशीद की प्रेयसी शमसुन्निहार

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के शासनकाल में बगदाद में एक अत्यंत धनाढ्य और सुसंस्कृत व्यापारी रहता था। वह शारीरिक रूप से तो सुंदर था ही, मानसिक रूप से और भी सुंदर था। वहाँ के अमीर-उमरा उसका बड़ा मान करते। यहाँ तक

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कमरुज्जमाँ और बदौरा

29 जनवरी 2022
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फारस देश में बीस दिन की राह पर एक देश खलदान है। उस देश में कई टापू भी शामिल हैं। बहुत दिन पहले वहाँ का बादशाह शाहजमाँ था। उसके चार पत्नियाँ थीं और सात विशेष दासियाँ। वह बड़ा प्रतापी राजा था, उसके दे

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नूरुद्दीन और पारस देश की दासी

29 जनवरी 2022
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अगली सुबह से पहले शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि पहले जमाने में बसरा बगदाद के अधीन था। बगदाद में खलीफा हारूँ रशीद का राज था और उसने अपने चचेरे भाई जुबैनी को बसरा का हाकिम बनाया था। जुबैनी के

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ईरानी बादशाह बद्र और शमंदाल की शहजादी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि बादशाह सलामत, ईरान बहुत बड़ा देश है। पुराने जमाने में वहाँ बड़े शक्तिशाली और प्रतापी नरेश हुआ करते थे और उन्हें शहंशाह यानी बादशाहों का बादशाह कहा जाता था। उसी काल का वहाँ का एक बादशा

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गनीम और फितना

29 जनवरी 2022
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दुनियाजाद ने मलिका शहरजाद से नई कहानी सुनाने को कहा और बादशाह शहरजाद ने भी अपनी मौन स्वीकृति दे दी तो शहरजाद ने नई कहानी शुरू कर दी। उसने कहा कि पुराने जमाने में दमिश्क नगर में एक व्यापारी रहता था जिस

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शहजादा जैनुस्सनम और जिन्नों के बादशाह

29 जनवरी 2022
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पुराने जमाने में बसरा में एक बड़ा ऐश्वर्यवान और न्यायप्रिय बादशाह राज करता था। उसे सबकुछ प्राप्त था किंतु उसे बहुत दिनों तक कोई संतान नहीं हुई जिससे वह बहुत दुखी रहता था। नगर निवासी भी बादशाह के साथ म

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शहजादा खुदादाद और दरियाबार की शहजादी-

29 जनवरी 2022
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उपर्युक्त कहानी के मध्य में एक यात्रा में जैनुस्सनम के दरियाबार देश मे जाने का भी उल्लेख है। वहाँ की एक चित्ताकर्षक कथा उस ने सुनी थी। वह कथा भी इस जगह कही जाती है। हैरन नगर में एक बड़ा प्रतापी बादशा

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दरियाबार की शहजादी

29 जनवरी 2022
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उस सुंदरी ने कहा कि काहिरा के निकट दरियाबार नाम एक द्वीप है। उस का बादशाह सब प्रकार से सुखी था किंतु उसे संतान न होने का बड़ा दुख था। वर्षों की प्रार्थनाओं और सिद्धों के आशीर्वादों से उस के यहाँ एक पु

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सोते-जागते आदमी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में बगदाद में एक धनी व्यापारी था। उस का एक ही पुत्र था जिसका नाम अबुल हसन था। व्यापारी बड़ा कंजूस था। वह धन एकत्र ही करता था, खर्च बहुत कम करता था। इसलिए जब

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अलादीन और जादुई चिराग

29 जनवरी 2022
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चीन की राजधानी में मुस्तफा नाम का एक दरजी रहता था। वह गरीब आदमी था और बड़ी कठिनाई से अपने परिवारवालों का पेट भरता था। उस के पुत्र का नाम अलादीन था जो कुछ काम-काज नहीं करता था सिर्फ खेल-कूद में समय ब

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खलीफा हारूँ रशीद और बाबा अब्दुल्ला

29 जनवरी 2022
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दुनियाजाद के प्रस्ताव और शहरयार की अनुमति से नई कहानी प्रारंभ करते हुए शहरजाद ने कहा कि कभी-कभी आदमी का चित्त प्रसन्न होता है और उसकी कोई साफ वजह भी नहीं होती। ऐसी स्थिति भी होती है जब आदमी खुश तो होत

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अंधे बाबा अब्दुल्ला

29 जनवरी 2022
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बाबा अब्दुल्ला ने कहा कि मैं इसी बगदाद नगर में पैदा हुआ था। मेरे माँ बाप मर गए तो उनका धन उत्तराधिकार में मैंने पाया। वह धन इतना था कि उससे मैं जीवन भर आराम से रह सकता था किंतु मैंने भोग-विलास में सार

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सीदी नोमान

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भिखारी की कहानी सुनने के बाद खलीफा ने बराबर घोड़ी दौड़ानेवाले पर ध्यान दिया और उससे पूछा कि तुम्हारा क्या नाम है। उसने अपना नाम सीदी नोमान बताया। खलीफा ने कहा, मैंने बहुत-से घुड़सवारों और साईसों को दे

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ख्वाजा हसन हव्वाल

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ख्वाजा हसन ने कहा कि मैं अपनी बात बताने के पहले अपने दो मित्रों के बारे में बताना चाहता हूँ। वे अभी जीवित हैं और यहीं बगदाद में रहते हैं। वे मेरे प्रत्येक कथन की पुष्टि करेंगे। उनमें से एक का नाम सादी

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अलीबाबा और चालीस लुटेरों की कहानी

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अगली रात को मलिका शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि फारस देश में कासिम और अलीबाबा नाम के दो भाई रहते थे। उन्हें पैतृक संपत्ति थोड़ी ही मिली थी। किंतु कासिम का विवाह एक धनी-मानी व्यक्ति की पुत्री

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बगदाद के व्यापारी अली ख्वाजा

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खलीफा हारूँ रशीद के राज्य काल में बगदाद में अलीख्वाजा नामक एक छोटा व्यापारी रहता था। वह अपने पुश्तैनी मकान में, जो छोटा-सा ही था, अकेला रहता था। उसने विवाह नहीं किया था और उसके माता पिता की भी मृत्यु

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यंत्र के घोड़े

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बादशाह सलामत, आपको यह मालूम ही है कि हजारों वर्ष से फारस में नौरोज यानी वर्ष का प्रथम दिवस बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। उसमें सभी लोग विशेषतः अग्निपूजक, भाँति-भाँति के नृत्यों और खेल-तमाशों का आय

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शहजादा अहमद और परीबानू

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा, बादशाह सलामत, पुराने जमाने में हिंदोस्तान का एक बादशाह बड़ा प्रतापी और ऐश्वर्यवान था। उसके तीन बेटे थे। बड़े का नाम हुसैन, मँझले का अली और छोटे का अहमद था। बादशाह का एक भाई जब मरा तो उस

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ईर्ष्यालु बहनों की कहानी

29 जनवरी 2022
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पुराने जमाने में फारस में खुसरो शाह नामी शहजादा था। वह रातों को अक्सर भेस बदल कर सिर्फ एक सेवक को अपने साथ रख कर नगर की सैर किया करता था और संसार की विचित्र बातें देख कर अपना ज्ञान बढ़ाया करता था। ज

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बैल और गधा

29 जनवरी 2022
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एक बार एक सौदागर था जो बहुत अमीर था। उसके पास बहुत सारे नौकर चाकर और जानवर थे। उसकी एक पत्नी थी और परिवार था और वह अपने खाने पीने के लिये खेती करता था। उसके पास जंगली जानवरों और हर तरह की चिड़िया की बो

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भेड़िये और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक लोमड़ा और एक भेड़िया एक ही घर में रहते थे। भेड़िया बहुत ही बेरहम था जबकि लोमड़ा बहुत नरम दिल था। इसी तरह से रहते हुए उन्हें कुछ दिन हो गये कि एक दिन वह लोमड़ा भेड़िये से बोला — “अगर तुम इसी तरीके

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लोमड़े और कौए की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक लोमड़ा एक पहाड़ की एक गुफा में रहता था। जब भी उसको एक बच्चा पैदा होता और वह बड़ा हो जाता तो वह उसको खा जाता क्योंकि उसको भूख बहुत लगती थी। अगर वह अपने बच्चों को न खाता तो उसके वे बच्चे बड़े हो जाते और

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साही और कबूतर

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एक बार एक साही एक खजूर के पेड़ के नीचे रहने के लिये आया। उसी पेड़ के ऊपर एक कबूतर अपनी पत्नी के साथ रहता था। साही ने सोचा कि यह कबूतर का जोड़ा तो इस पेड़ के फल खाता है पर मुझे इस पेड़ के फल खाने का कोई मौ

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बतख और कछुए की कहानी

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एक बार एक बतख बहुत ऊपर उड़ा और बहते हुए पानी में खड़ी एक चट्टान पर जा कर बैठ गया। जब वह वहाँ बैठा हुआ था तो पानी की एक लहर एक आदमी का ढाँचा उसके पास ला कर छोड़ गयी। बतख ने उसको ठीक से देखा तो उसको पता लग

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चुहिया और एक ततैये की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक चुहिया और एक मादा ततैया एक गरीब किसान के घर में एक साथ ही रहते थे। एक बार उस किसान का एक दोस्त बीमार पड़ गया तो डाक्टर ने उसको धुले तिल21 खाने की सलाह दी। सो उस किसान ने एक आदमी से अपने दोस्

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कौआ और बिल्ला

29 जनवरी 2022
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एक समय की बात है कि एक कौआ और एक बिल्ला दोनों आपस में बड़े गहरे दोस्त थे और साथ साथ रहते थे। एक दिन वे दोनों एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे कि उन्होंने एक चीते23 को अपनी तरफ आते हुए देखा। उनको उसके अपनी त

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चिड़ा और मोर

29 जनवरी 2022
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एक बार की बात है एक चिड़ा रोज सुबह सुबह चिड़ियों के राजा से मिलने जाता था और सारा दिन उसकी सेवा में खड़ा रहता था। वह सबसे पहले वहाँ पहुँचता था और सबसे बाद में वहाँ से वापस आता था। एक बार कुछ चिड़ियों ने

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मुर्गे और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक गाँव में एक शेख रहता था। उसकी अपने गाँव में बहुत अच्छी साख थी और वह एक बहुत ही समझदार आदमी था। उसके अपने पास बहुत सारे मुर्गे मुर्गियाँ थे। वह उनको बढ़ाने के लिये उनकी बहुत अच्छी देखभाल करता

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चिड़ियें, जानवर और बढ़ई

29 जनवरी 2022
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जानवरों की यह कहानी बहुत ही मजेदार है। हो सकता है कि तुम इसको बार बार पढ़ना पसन्द करो और हर किसी को खास करके अपने छोटे भाई बहिनों को बार बार सुनाना पसन्द करो। बहुत पुरानी बात है कि एक मोर अपनी पत्नी क

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