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सिंदबाद जहाजी की पहली यात्रा

29 जनवरी 2022

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सिंदबाद ने कहा कि मैंने अच्छी-खासी पैतृक संपत्ति पाई थी किंतु मैंने नौजवानी की मूर्खताओं के वश में पड़कर उसे भोग-विलास में उड़ा डाला। मेरे पिता जब जीवित थे तो कहते थे कि निर्धनता की अपेक्षा मृत्यु श्रेयस्कर है। सभी बुद्धिमानों ने ऐसा कहा है। मैं इस बात को बार-बार सोचता और मन ही मन अपनी दुर्दशा पर रोता। अंत में जब निर्धनता मेरी सहन शक्ति के बाहर हो गई तो मैंने अपना बचा-खुचा सामान बेच डाला और जो पैसा मिला उसे लेकर समुद्री व्यापारियों के पास गया और कहा कि अब मैं भी व्यापार के लिए निकलना चाहता हूँ। उन्होंने मुझे व्यापार के बारे में बड़ी अच्छी सलाह दी। उसके अनुसार मैंने व्यापार की वस्तुएँ मोल लीं और उन्हें लेकर उनमें से एक व्यापारी के जहाज पर किराया देकर सामान लादा और खुद सवार हो गया। जहाज अपनी व्यापार यात्रा पर चल पड़ा।

जहाज फारस की खाड़ी में से होकर फारस देश में पहुँचा जो अरब के बाईं ओर बसा है और हिंदुस्तान के पश्चिम की ओर। फारस की खाड़ी लंबाई में ढाई हजार मील और चौड़ाई में सत्तर मील थी। मुझे समुद्री यात्रा का अभ्यास नहीं था इसलिए कई दिनों तक मैं समुद्री बीमारी से ग्रस्त रहा। फिर अच्छा हो गया। रास्ते में हमें कई टापू मिले जहाँ हम लोगों ने माल खरीदा और बेचा। एक दिन हमारा जहाज पाल उड़ाए हुए जा रहा था। तभी हमारे सामने एक हरा-भरा सुंदर द्वीप दिखाई दिया। कप्तान ने जहाज के पाल उतरवा लिए और लंगर डाल दिए और कहा कि जिन लोगों का जी चाहे वे इस द्वीप की सैर कर आएँ। मैं और कई अन्य व्यापारी, जो जहाज पर बैठे-बैठे ऊब गए थे, खाने का सामान लेकर उस द्वीप पर नाव द्वारा चले गए। किंतु वह द्वीप उस समय हिलने लगा जब हमने खाना पकाने के लिए आग जलाई। यह देखकर व्यापारी चिल्लाने लगे कि भाग कर जहाज पर चलो, यह टापू नहीं, एक बड़ी मछली की पीठ है। सब लोग कूद-कूद कर जहाज की छोटी नाव पर बैठ गए। मैं अकुशलता के कारण ऐसा न कर सका। नाव जहाज की ओर चल पड़ी। इधर मछली ने, जो हमारे आग जलाने से जाग गई थी, पानी में गोता लगाया। मैं समुद्र में बहने लगा। मेरे हाथ में सिर्फ एक लकड़ी थी जिसे मैं जलाने के लिए लाया था। उसी के सहारे समुद्र में तैरने लगा। मैं जहाज तक पहुँच पाऊँ इससे पहले ही जहाज लंगर उठा कर चल दिया।

मैं पूरे एक दिन और एक रात उस अथाह जल में तैरता रहा। थकन ने मेरी सारी शक्ति हर ली और मैं तैरने के लिए हाथ-पाँव चलाने के योग्य भी न रहा। मैं डूबने ही वाला था कि एक बड़ी समुद्री लहर ने मुझे उछाल कर किनारे पर फेंक दिया। किंतु किनारा समतल नहीं था। बल्कि खड़े ढलवान का था। मैं किसी प्रकार मरता-गिरता वृक्षों की जड़ें पकड़ता हुआ ऊपर पहुँचा और मुर्दे की भाँति जमीन पर गिर रहा।

जब सूर्योदय हुआ तो मेरा भूख से बुरा हाल हो गया। पैरों से चलने की शक्ति नहीं थी इसलिए घुटनों के बल घिसटता हुआ चला। सौभाग्य से कुछ ही दूर पर मुझे मीठे पानी का एक सोता मिला जिसका पानी पीकर मुझमें जान आई। मैंने तलाश करके कुछ मीठे फल और खाने लायक पत्तियाँ भी पा लीं और उनसे पेट भर लिया। फिर मैं द्वीप में इधर-उधर घूमने लगा। मैंने एक घोड़ी चरती देखी। बहुत सुंदर थी किंतु पास जाकर देखा तो पाया कि खूँटे से बँधी थी। फिर पृथ्वी के नीचे से मुझे कुछ मनुष्यों के बोलने की आवाज आई और कुछ देर में एक आदमी जमीन से निकल कर मेरे पास आकर पूछने लगा कि तुम कौन हो, क्या करने आए हो। मैं ने उसे अपना हाल बताया तो वह मुझे पकड़कर तहखाने में ले गया।

वहाँ कई मनुष्य और थे। उन्होंने मुझे खाने को दिया। मैंने उनसे पूछा कि तुम लोग इस निर्जन द्वीप में तहखाने में बैठे क्या कर रहे हो। उन्होंने बताया, हम लोग बादशाह के साईस हैं। इस द्वीप के स्वामी बादशाह वर्ष भर में एक बार यहाँ अपनी अच्छी घोड़ियाँ भेजते हैं ताकि उन्हें दरियाई घोड़ों से गाभिन कराया जाए। इस तरह जो बछेड़े पैदा होते हैं वे राजघराने के लोगों की सवारी के काम आते हैं। हम घोड़ियों को यहाँ बाँध देते हैं और छुपकर बैठ जाते हैं। दरियाई घोड़े की आदत होती है कि वह संभोग के बाद घोड़ी को मार डालता है। जब वह घोड़ा संभोग के बाद हमारी घोड़ी को मारना चाहता है तो हम लोग तहखाने से बाहर निकलकर चिल्लाते हुए उसकी ओर दौड़ते हैं। घोड़ा हमारा शब्द सुनकर भाग जाता है और समुद्र में डुबकी लगा लेता है। कल हम लोग अपनी राजधानी को वापस होंगे।

मैंने उनसे कहा कि मैं भी तुम लोगों के साथ चलूँगा क्योंकि इस द्वीप से तो किसी तरह खुद अपने देश को जा नहीं सकता। हम लोग बातचीत कर ही रहे थे कि दरियाई घोड़ा समुद्र से निकला और घोड़ी से संभोग करके वह उसे मार ही डालना चाहता था कि साईस लोग चिल्लाते हुए दौड़े और घोड़ा भाग कर समुद्र में जा छुपा। दूसरे दिन वे सारी घोड़ियों को इकट्ठा करके राजधानी में आए। मैं भी उनके साथ चला गया। उन्होंने मुझे अपने बादशाह के सामने पेश किया। उसके पूछने पर मैंने अपना सारा हाल कहा। उसे मुझ पर बड़ी दया आई। उसने अपने सेवकों को आज्ञा दी कि इस आदमी को आराम से रखो। अतएव मैं सुख- सुविधापूर्वक रहने लगा।

मैं वहाँ व्यापारियों और बाहर से आने वाले लोगों से मिलता रहता था ताकि कोई ऐसा मनुष्य मिले जिसकी सहायता से मैं बगदाद पहुँचूँ। वह नगर काफी बड़ा और सुंदर था और प्रतिदिन कई देशों के जहाज उसके बंदरगाह पर लंगर डालते थे। हिंदुस्तान तथा अन्य कई देशों के लोग मुझसे मिलते रहते और मेरे देश की रीति-रस्मों के बारे में पूछते रहते और मैं उन से उनके देश की बातें पूछता।

बादशाह के राज्य में एक सील नाम का द्वीप था। उसके बारे में सुना था कि वहाँ से रात-दिन ढोल बजने की ध्वनि आया करती है। जहाजियों ने मुझे यह भी बताया कि वहाँ के मुसलमानों का विश्वास है कि सृष्टि के अंतकाल में एक अधार्मिक और झूठा आदमी पैदा होगा जो यह दावा करेगा कि मैं ही ईश्वर हूँ। वह काना होगा और गधा उसकी सवारी होगी। मैं एक बार वह द्वीप देखने भी गया। रास्ते में समुद्र में मैंने विशालकाय मछलियाँ देखीं। वे सौ-सौ हाथ लंबी थीं बल्कि उनमें से कुछ तो दो-दो सौ हाथ लंबी थीं। उन्हें देखकर डर लगता था। किंतु वे स्वयं इतनी डरपोक थीं कि तख्ते पर आवाज करने से ही भाग जाती थीं। एक और तरह की मछली भी मैंने देखी। उसकी लंबाई एक हाथ से अधिक न थी किंतु उसका मुँह उल्लू का-सा था। मैं इसी प्रकार बहुत समय तक सैर-सपाटा करता रहा।

एक दिन मैं उस नगर के बंदरगाह पर खड़ा था। वहाँ एक जहाज ने लंगर डाला और उसमें कई व्यापारी व्यापार वस्तुओं की गठरियाँ लेकर उतरे। गठरियाँ जहाज के ऊपरी तख्ते पर जमा थीं और तट से साफ दिखाई देती थीं। अचानक एक गठरी पर मेरी नजर पड़ी जिस पर मेरा नाम लिखा था। मैं पहचान गया कि यह वही गठरी है जिसे मैंने बसरा में जहाज पर लादा था। मैं जहाज के कप्तान के पास गया। उसने समझ लिया था कि मैं डूब चुका हूँ। वैसे भी इतने दिनों की मुसीबतों और चिंता के कारण मेरी सूरत बदल गई थी इसलिए वह मुझे पहचान न सका।

मैं ने उससे पूछा कि यह लावारिस-सी लगने वाली गठरी कैसी है। उसने कहा, हमारे जहाज पर बगदाद का एक व्यापारी सिंदबाद था। हम एक रोज समुद्र के बीच में थे कि एक छोटा-सा टापू दिखाई दिया और कुछ व्यापारी उस पर उतर गए। वास्तव में वह टापू न था बल्कि एक बहुत बड़ी मछली की पीठ थी जो सागर तल पर आकर सो गई थी। जब व्यापारियों ने खाना बनाने के लिए उस पर आग जलाई तो पहले तो वह हिली फिर समुद्र में गोता लगा गई। सारे व्यापारी नाव पर या तैरकर जहाज पर आ गए किंतु बेचारा सिंदबाद वहीं डूब गया। ये गठरियाँ उसकी ही हैं। अब मैंने इरादा किया है इस गठरी का माल बेच दूँ और इसका जो दाम मिले उसे बगदाद में सिंदबाद के परिवार वालों के पास पहुँचा दूँ।

मैंने उससे कहा कि जिस सिंदबाद को तुम मरा समझ रहे हो वह मैं ही हूँ और यह गठरी तथा इसके साथ की गठरियाँ मेरी ही हैं। उसने कहा, 'अच्छे रहे, मेरे आदमी का माल हथियाने के लिए खुद सिंदबाद बन गए। वैसे तो शक्ल-सूरत से भोले लगते हो मगर यह क्या सूझी है कि इतना बड़ा छल करने को तैयार हो गए। मैंने स्वयं सिंदबाद को डूबते देखा है। इसके अतिरिक्त कई व्यापारी भी साक्षी हैं कि वह डूब गया है। मैं तुम्हारी बात पर कैसे विश्वास करूँ।

मैंने कहा, भाई कुछ सोच-समझ कर बात करो। तुमने मेरा हाल तो सुना ही नहीं और मुझे झूठा बना दिया। उसने कहा, अच्छा बताओ अपना हाल। मैंने सारा हाल बताया कि किस प्रकार लकड़ी के सहारे तैरता रहा और चौबीस घंटे समुद्र में तैरने के बाद निर्जन द्वीप में पहुँचा और किस तरह से बादशाह के साईसों ने मुझे वहाँ से लाकर बादशाह के सामने पेश किया।

कप्तान को पहले तो मेरी कहानी पर विश्वास न हुआ। फिर उसने ध्यानपूर्वक मुझे देखा और अन्य व्यापारियों को भी मुझे दिखाया। सभी ने कुछ देर में मुझे पहचान लिया और कहा कि वास्तव में यह सिंदबाद ही है। सब लोग मुझ नया जीवन पाने पर बधाई और भगवान को धन्यवाद देने लगे।

कप्तान ने मुझे गले लगाकर कहा, ईश्वर की बड़ी दया है कि तुम बच गए। अब तुम अपना माल सँभालो और इसे जिस प्रकार चाहो बेचो। मैंने कप्तान की ईमानदारी की बड़ी प्रशंसा की और कहा कि मेरे माल में से थोड़ा-सा तुम भी ले लो। किंतु उसने कुछ भी नहीं लिया, सारा माल मुझे दे दिया।

मैं ने अपने सामान में से कुछ सुंदर और बहुमूल्य वस्तुएँ बादशाह को भेंट कीं। उसने पूछा, तुझे यह मूल्यवान वस्तुएँ कहाँ से मिलीं? मैंने उसे पूरा हाल सुनाया। वह यह सुनकर बहुत खुश हुआ। उसने मेरी भेंट सहर्ष स्वीकार कर ली और उसके बदले में उनसे कहीं अधिक मूल्यवान वस्तुएँ मुझे दे दीं। मैं उससे विदा होकर फिर जहाज पर आया और अपना माल बेचकर उस देश की पैदावार यथा चंदन, आबनूस, कपूर, जायफल, लौंग, काली मिर्च आदि ली और फिर जहाज पर सवार हो गया। कई देशों और टापुओं से होता हुआ हमारा जहाज बसरा के बंदरगाह पर पहुँचा। वहाँ से स्थल मार्ग से बगदाद आया। इस व्यापार में मुझे एक लाख दीनार का लाभ हुआ। मैं अपने परिवार वालों और बंधु-बांधवों से मिलकर बड़ा प्रसन्न हुआ। मैं ने एक विशाल भवन बनवाया और कई दास और दासियाँ खरीदीं और आनंद से रहने लगा। कुछ ही दिनों में मैं अपनी यात्रा के कष्टों को भूल गया।

सिंदबाद ने अपनी कहानी पूरी करके गाने-बजाने वालों से, जो उसके यात्रा वर्णन के समय चुप हो गए थे, दुबारा गाना-बजाना शुरू करने को कहा। इन्हीं बातों में रात हो गई। सिंदबाद ने चार सौ दीनारों की एक थैली मँगाकर हिंदबाद को दी और कहा कि अब तुम अपने घर जाओ, कल फिर इसी समय आना तो मैं तुम्हें अपनी यात्राओं की और कहानियाँ सुनाऊँगा। हिंदबाद ने इतना धन पहले कभी देखा न था। उसने सिंदबाद को बहुत धन्यवाद दिया। उसके आदेश के अनुसार हिंदबाद दूसरे अच्छे और नए वस्त्र पहन कर उसके घर आया। सिंदबाद उसे देखकर प्रसन्न हुआ और उसने मुस्कराकर हिंदबाद से उसकी कुशल-क्षेम पूछी।

कुछ देर में सिंदबाद के अन्य मित्र भी आ गए और नित्य के नियम के अनुसार स्वादिष्ट व्यंजन सामने लाए गए। जब सब लोग खा-पीकर तृप्त हो चुके तो सिंदबाद ने कहा, दोस्तो, अब मैं तुम लोगों को अपनी दूसरी सागर यात्रा की कहानी सुनाता हूँ, यह पहली यात्रा से कम विचित्र नहीं है। सब लोग ध्यान से सुनने लगे और सिंदबाद ने कहना शुरू किया। 

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रचनाएँ
अलिफ लैला
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अलिफ लैला की कहानी अरब देश की एक प्रचलित लोक कथा है जो पूरी दुनिया में सदियों से सुनी व पढ़ी जाती रही है। ... इस कथा के अनुसार, बादशाह शहरयार अपनी मलिका की बेवपफाई से दुःखी होकर उसका और उसकी सभी दासियों का कत्ल कर देता है और प्रतिज्ञा करता है कि रोजाना एक स्त्री के साथ विवाह करूंगा और अगली सुबह उसे कत्ल कर दूंगा।
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भूमिका

29 जनवरी 2022
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भूमिका (1)-अलिफ़ लैला सहस्र-रजनी चरित्र, जो अब भी भारत में अपने अरबी नाम 'अल्फ लैला' के प्रचलित बिगड़े हुए रूप 'अलिफ लैला' के नाम से अधिक जाना जाता है, वास्तव में लोक कथाओं का ऐसा संग्रह है जिसकी लोक

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शहरयार और शाहजमाँ

29 जनवरी 2022
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फारस देश भी हिंदुस्तान और चीन के समान था और कई नरेश उसके अधीन थे। वहाँ का राजा महाप्रतापी और बड़ा तेजस्वी था और न्यायप्रिय होने के कारण प्रजा को प्रिय था। उस बादशाह के दो बेटे थे जिनमें बड़े लड़के का

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किस्सा गधे, बैल और उनके मालिक

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एक बड़ा व्यापारी था जिसके गाँव में बहुत-से घर और कारखाने थे जिनमें तरह-तरह के पशु रहते थे। एक दिन वह अपने परिवार सहित कारखानों को देखने के लिए गाँव गया। उसने अपनी पशुशाला भी देखी जहाँ एक गधा और एक बैल

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किस्सा व्यापारी और दैत्य का-

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शहरजाद ने कहा : प्राचीन काल में एक अत्यंत धनी व्यापारी बहुत-सी वस्तुओं का कारोबार किया करता था। यद्यपि प्रत्येक स्थान पर उसकी कोठियाँ, गुमाश्ते और नौकर-चाकर रहते थे तथापि वह स्वयं भी व्यापार के लिए द

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किस्सा बूढ़े और उसकी हिरनी का

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वृद्ध बोला, 'हे दैत्यराज, अब ध्यान देकर मेरा वृत्तांत सुनें। यह हिरनी मेरे चचा की बेटी और मेरी पत्नी है। जब यह बारह वर्ष की थी तो इसके साथ मेरा विवाह हुआ। यह अत्यंत पतिव्रता थी और मेरे प्रत्येक आदेश क

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किस्सा तीसरे बूढ़े का जिसके साथ एक खच्चर था

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तीसरे बूढ़े ने कहना शुरू किया : 'हे दैत्य सम्राट, यह खच्चर मेरी पत्नी है। मैं व्यापारी था। एक बार मैं व्यापार के लिए परदेश गया। जब मैं एक वर्ष बाद घर लौटकर आया तो मैंने देखा कि मेरी पत्नी एक हब्शी गुल

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मछुवारे की कहानी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि हे स्वामी, एक वृद्ध और धार्मिक प्रवृत्ति का मुसलमान मछुवारा मेहनत करके अपने स्त्री-बच्चों का पेट पालता था। वह नियमित रूप से प्रतिदिन सवेरे ही उठकर नदी के किनारे जाता और चार बार नदी मे

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गरीक बादशाह और हकीम दूबाँ की कथा

29 जनवरी 2022
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फारस देश में एक रूमा नामक नगर था। उस नगर के बादशाह का नाम गरीक था। उस बादशाह को कुष्ठ रोग हो गया। इससे वह बड़े कष्ट में रहता था। राज्य के वैद्य-हकीमों ने भाँति-भाँति से उसका रोग दूर करने के उपाय किए क

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भद्र पुरुष और उसके तोते की कथा

29 जनवरी 2022
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पूर्वकाल में किसी गाँव में एक बड़ा भला मानस रहता था। उसकी पत्नी अतीव सुंदरी थी और भला मानस उससे बहुत प्रेम करता था। अगर कभी घड़ी भर के लिए भी वह उसकी आँखों से ओझल होती थी तो वह बेचैन हो जाता था। एक बा

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अमात्य की कहानी

29 जनवरी 2022
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प्राचीन समय में एक राजा था उसके राजकुमार को मृगया का बड़ा शौक था। राजा उसे बहुत चाहता था, राजकुमार की किसी इच्छा को अस्वीकार नहीं करता था। एक दिन राजकुमार ने शिकार पर जाना चाहा। राजा ने अपने एक अमात्य

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काले द्वीपों के बादशाह की कहानी

29 जनवरी 2022
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उस जवान ने अपना वृत्तांत कहना आरंभ किया। उसने कहा 'मेरे पिता का नाम महमूद शाह था। वह काले द्वीपों का अधिपति था, वे काले द्वीप चार विख्यात पर्वत हैं। उसकी राजधानी उसी स्थान पर थी जहाँ वह रंगीन मछलियों

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किस्सा तीन राजकुमारों और पाँच सुंदरियों का

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शहरजाद की कहानी रात रहे समाप्त हो गई तो दुनियाजाद ने कहा - बहन, यह कहानी तो बहुत अच्छी थी, कोई और भी कहानी तुम्हें आती है? शहरजाद ने कहा कि आती तो है किंतु बादशाह की अनुमति हो तो कहूँ। बादशाह ने अनुमत

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मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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मजदूर बोला, 'हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया।

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मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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मजदूर बोला, 'हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया।

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पहले फकीर की कहानी

29 जनवरी 2022
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पहले फकीर ने अदब से घुटनों के बल खड़े होकर कहा 'सुंदरी, अब ध्यान लगाकर सुनो कि मेरी आँख किस प्रकार गई और मैं क्यों फकीर बना। मैं एक बड़े बादशाह का बेटा था। बादशाह का भाई यानी मेरा चचा भी एक समीपवर्ती

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दूसरे फकीर की कहानी

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अभी पहले फकीर की अद्भुत आप बीती सुनकर पैदा होने वाले आश्चर्य से लोग उबरे नहीं थे कि जुबैदा ने दूसरे फकीर से कहा कि तुम बताओ कि तुम कौन हो और कहाँ से आए हो। उसने कहा कि आपकी आज्ञानुसार मैं आप को बताऊँग

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भले आदमी और ईर्ष्यालु पुरुष

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किसी नगर में दो आदमियों का घर एक दूसरे से लगा हुआ था। उनमें से एक पड़ोसी दूसरे के प्रति ईर्ष्या और द्वेष रखता था। भले मानस ने सोचा कि मकान छोड़कर कहीं जा बसूँ क्योंकि मैं इस आदमी के प्रति उपकार करता ह

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किस्सा तीसरे फकीर का

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हे दयालु सुंदरी, मेरी कहानी बहुत ही आश्चर्यकारी है। इन दोनों शहजादों की दाहिनी आँखें परिस्थितिवश गईं किंतु मेरी आँख मेरी ही मूर्खता और मेरे ही अपराध के कारण फूटी। मैं इसका विस्तृत वर्णन करता हूँ। मेरा

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किस्सा जुबैदा का

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जुबैदा ने खलीफा के सामने सर झुका कर निवेदन किया है राजाधिराज, मेरी कहानी बड़ी ही विचित्र है, आपने इस प्रकार की कोई कहानी नहीं सुनी होगी। मैं और वे दोनों काली कुतियाँ तीनों सगी बहिनें हैं और यह दो स्त्

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किस्सा अमीना का

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अमीना ने कहा, 'जुबैदा की कहानी आप उसके मुँह से सुन चुके, अब मैं अपनी कहानी आपके सम्मुख प्रस्तुत करती हूँ। मेरी माँ मुझे लेकर अपने घर में आई कि रँड़ापे का अकेलापन उसे न खले। फिर उसने मेरा विवाह इसी नगर

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सिंदबाज जहाजी की कहानी

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जब शहरजाद ने यह कहानी पूरी की तो शहरयार ने, जिसे सारी कहानियाँ बड़ी रोचक लगी थीं, पूछा कि तुम्हें कोई और कहानी भी आती हैं। शहरजाद ने कहा कि बहुत कहानियाँ आती हैं। यह कह कर उसने सिंदबाद जहाजी की कहानी

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सिंदबाद जहाजी की पहली यात्रा

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सिंदबाद ने कहा कि मैंने अच्छी-खासी पैतृक संपत्ति पाई थी किंतु मैंने नौजवानी की मूर्खताओं के वश में पड़कर उसे भोग-विलास में उड़ा डाला। मेरे पिता जब जीवित थे तो कहते थे कि निर्धनता की अपेक्षा मृत्यु श्र

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सिंदबाद जहाजी की दूसरी यात्रा

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मित्रो, पहली यात्रा में मुझ पर जो विपत्तियाँ पड़ी थीं उनके कारण मैंने निश्चय कर लिया था कि अब व्यापार यात्रा न करूँगा और अपने नगर में सुख से रहूँगा। किंतु निष्क्रियता मुझे खलने लगी, यहाँ तक कि मैं बेच

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सिंदबाद जहाजी की तीसरी यात्रा

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सिंदबाद ने कहा कि घर आकर मैं सुखपूर्वक रहने लगा। कुछ ही दिनों में जैसे पिछली दो यात्राओं के कष्ट और संकट भूल गया और तीसरी यात्रा की तैयारी शुरू कर दी। मैंने बगदाद से व्यापार की वस्तुएँ लीं और कुछ व्या

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सिंदबाद जहाजी की चौथी यात्रा

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सिंदबाद ने कहा, कुछ दिन आराम से रहने के बाद मैं पिछले कष्ट और दुख भूल गया था और फिर यह सूझी कि और धन कमाया जाए तथा संसार की विचित्रताएँ और देखी जाएँ। मैंने चौथी यात्रा की तैयारी की और अपने देश की वे व

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सिंदबाद जहाजी की पाँचवी यात्रा

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सिंदबाद ने कहा कि मेरी विचित्र दशा थी। चाहे जितनी मुसीबत पड़े मैं कुछ दिनों के आनंद के बाद उसे भूल जाता था और नई यात्रा के लिए मेरे तलवे खुजाने लगते थे। इस बार भी यही हुआ। इस बार मैंने अपनी इच्छानुसार

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सिंदबाद जहाजी की छठी यात्रा

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सिंदबाद ने हिंदबाद और अन्य लोगों से कहा कि आप लोग स्वयं ही सोच सकते हैं कि मुझ पर कैसी मुसीबतें पड़ीं और साथ ही मुझे कितना धन प्राप्त हुआ। मुझे स्वयं इस पर आश्चर्य होता था। एक वर्ष बाद मुझ पर फिर यात्

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सिंदबाद जहाजी की सातवीं यात्रा

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सिंदबाद ने कहा, दोस्तो, मैंने दृढ़ निश्चय किया था कि अब कभी जल यात्रा न करूँगा। मेरी अवस्था भी इतनी हो गई थी कि मैं कहीं आराम के साथ बैठ कर दिन गुजारता। इसीलिए मैं अपने घर में आनंदपूर्वक रहने लगा। एक

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एक स्त्री और तीन नौकरों का वृत्तांत

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शहरयार को सिंदबाद की यात्राओं की कहानी सुन कर बड़ा आनंद हुआ। उसने शहरजाद से और कहानी सुनाने को कहा। शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद का नियम था कि वह समय-समय पर वेश बदल कर बगदाद की सड़कों पर प्रजा का

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जवान और मृत स्त्री

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उस जवान ने कहा कि 'मृत स्त्री मेरी पत्नी और इन वृद्ध सज्जन की बेटी थी और यह मेरे चचा हैं। ग्यारह वर्ष पूर्व उससे मेरा विवाह हुआ था। हमारे तीन बेटे हैं जो जीवित हैं। मेरी पत्नी अत्यंत सुशील और पतिव्रता

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नूरुद्दीन अली और बदरुद्दीन हसन

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मंत्री जाफर ने कहा कि पहले जमाने में मिस्र देश में एक बड़ा प्रतापी और न्यायप्रिय बादशाह था। वह इतना शक्तिशाली था कि आस-पड़ोस के राजा उससे डरते थे। उसका मंत्री बड़ा शासन- कुशल, न्यायप्रिय और काव्य आदि

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काशगर के दरजी और बादशाह के कुबड़े सेवक

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दूसरी रात को मलिका शहरजाद ने पिछले पहर अपनी बहन दुनियाजाद के कहने से यह कहानी सुनाना आरंभ किया। पुराने जमाने में तातार देश के समीपवर्ती नगर काशगर में एक दरजी था जो अपनी दुकान में बैठ कर कपड़े सीता था।

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ईसाई द्वारा सुनाई गई

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ईसाई ने कहा, मैं मिस्र की राजधानी काहिरा का निवासी हूँ। मेरा बाप दलाल था। उस के पास काफी पैसा हो गया। उस ने मरने के बाद मैं ने भी वही व्यापार आरंभ किया। एक दिन मैं अनाज की मंडी में अपने दैनिक व्यापार

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अनाज के व्यापारी

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अनाज का व्यापारी बोला कि कल मैं एक धनी व्यक्ति की पुत्री के विवाह में गया था। नगर के बहुत-से प्रतिष्ठित व्यक्ति उसमें शामिल थे। शादी की रस्में पूरी होने पर दावत हुई और नाना प्रकार के व्यंजन परोसे गए।

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उस आदमी की कहानी जिसके चारों अँगूठे कटे थे

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उस ने कहा कि दोस्तो, मेरा पिता बगदाद का रहनेवाला था और खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में था। मैं भी उसी समय पैदा हुआ। मेरा पिता यद्यपि धनवान तथा बड़े व्यापारियों में गिना जाता था तथापि वह बहुत ही विलासी औ

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यहूदी हकीम द्वारा वर्णित

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यहूदी हकीम ने बादशाह के सामने झुक कर जमीन चूमी और कहा कि पहले मैं दमिश्क नगर में हकीमी किया करता था। अपनी चिकित्सा विधि के कारण वहाँ मेरी बड़ी प्रतिष्ठा हो गई थी। एक दिन वहाँ के हाकिम ने मुझ से कहा कि

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काशगर के बादशाह के सामने दरजी की कथा

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दरजी ने कहा कि इस नगर के व्यापारी ने एक बार अपने मित्रों को भोज दिया और उनके लिए भाँति-भाँति के व्यंजन बनवाए। मुझे भी बुलाया गया। मैं जब वहाँ पहुँचा तो देखा कि बहुत-से निमंत्रित लोग मौजूद हैं किंतु मक

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लँगड़े आदमी की कहानी

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मेरा पिता बगदाद के सम्मानित व्यक्तियों में से था और हम लोग आनंदपूर्वक वहाँ रह रहे थे। मैं अपने पिता का अकेला बेटा था। जिस समय मेरे पिता की मृत्यु हुई उस समय तक मैं न केवल विद्याध्ययन पूरा कर चुका था ब

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दरजी की जबानी नाई की कहानी

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के काल में बगदाद के आसपास दस कुख्यात डाकू थे जो राहगीरों को लूटते ओर मार डालते थे। खलीफा ने प्रजा के कष्ट का विचार कर के कोतवाल से कहा कि उन डाकुओं को पकड़ कर लाओ वरना मैं तुम्हें प्र

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नाई के कुबड़े भाई

29 जनवरी 2022
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सरकार, मेरा सबसे बड़ा भाई जिसका नाम बकबक था, कुबड़ा था। उसने दरजीगीरी सीखी और जब यह काम सीख लिया तो उसने अपना कारबार चलाने के लिए एक दुकान किराए पर ली। उस की दुकान के सामने ही एक आटा चक्कीवाले की दुका

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नाई के दूसरे भाई बकबारह की कहानी

29 जनवरी 2022
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दूसरे रोज खलीफा के सामने पहुँच कर मैं ने कहा कि मेरा दूसरा भाई बकबारह पोपला है। एक दिन उससे एक बुढ़िया ने कहा, मैं तुम्हारे लाभ की एक बात कहती हूँ। एक बड़े घर की स्वामिनी तुम से आकृष्ट है। मैं तुम्हें

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नाई के तीसरे भाई अंधे बूबक की कहानी

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा, सरकार, मेरा तीसरा भाई बूबक था जो बिल्कुल अंधा था। वह बड़ा अभागा था। वह भिक्षा से जीवन निर्वाह करता था। उसका नियम था कि अकेला ही लाठी टेकता हुआ भीख माँगने जाता और किसी दानी का द्वार खटखटा क

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नाई के चौथे भाई काने अलकूज

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि मेरा चौथा भाई काना था और उसका नाम अलकूज था। अब यह भी सुन लीजिए कि उसकी एक आँख किस प्रकार गई। मेरा भाई कसाई का काम करता था। उसे भेड़-बकरियों की अच्छी पहचान थी। वह मेढ़ों को लड़ाने के लिए

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नाई के पाँचवें भाई अलनसचर

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि मेरे पाँचवें भाई का नाम अलनसचर था। वह बड़ा आलसी और निकम्मा था। वह रोज किसी न किसी मित्र के पास जा कर बेशर्मी से कुछ भीख माँग लेता और खा-पी कर पड़ा रहता। मेरा बाप कुछ समय बाद बूढ़ा हो कर

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नाई के छठे भाई कबक जिसके होंठ खरगोश की तरह के थे

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि अब मेरे आखिरी भाई शाह कबक का वृत्तांत रह गया है। इसे भी सुन लीजिए, फिर मैं आप से विदा लूँ। इस भाई का नाम शाह कबक था और उसके होंठ खरगोश की तरह ऊपर को चढ़े हुए थे और वह चलता भी खरगोश की तर

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शहजादा अबुल हसन और हारूँ रशीद की प्रेयसी शमसुन्निहार

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के शासनकाल में बगदाद में एक अत्यंत धनाढ्य और सुसंस्कृत व्यापारी रहता था। वह शारीरिक रूप से तो सुंदर था ही, मानसिक रूप से और भी सुंदर था। वहाँ के अमीर-उमरा उसका बड़ा मान करते। यहाँ तक

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कमरुज्जमाँ और बदौरा

29 जनवरी 2022
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फारस देश में बीस दिन की राह पर एक देश खलदान है। उस देश में कई टापू भी शामिल हैं। बहुत दिन पहले वहाँ का बादशाह शाहजमाँ था। उसके चार पत्नियाँ थीं और सात विशेष दासियाँ। वह बड़ा प्रतापी राजा था, उसके दे

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नूरुद्दीन और पारस देश की दासी

29 जनवरी 2022
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अगली सुबह से पहले शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि पहले जमाने में बसरा बगदाद के अधीन था। बगदाद में खलीफा हारूँ रशीद का राज था और उसने अपने चचेरे भाई जुबैनी को बसरा का हाकिम बनाया था। जुबैनी के

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ईरानी बादशाह बद्र और शमंदाल की शहजादी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि बादशाह सलामत, ईरान बहुत बड़ा देश है। पुराने जमाने में वहाँ बड़े शक्तिशाली और प्रतापी नरेश हुआ करते थे और उन्हें शहंशाह यानी बादशाहों का बादशाह कहा जाता था। उसी काल का वहाँ का एक बादशा

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गनीम और फितना

29 जनवरी 2022
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दुनियाजाद ने मलिका शहरजाद से नई कहानी सुनाने को कहा और बादशाह शहरजाद ने भी अपनी मौन स्वीकृति दे दी तो शहरजाद ने नई कहानी शुरू कर दी। उसने कहा कि पुराने जमाने में दमिश्क नगर में एक व्यापारी रहता था जिस

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शहजादा जैनुस्सनम और जिन्नों के बादशाह

29 जनवरी 2022
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पुराने जमाने में बसरा में एक बड़ा ऐश्वर्यवान और न्यायप्रिय बादशाह राज करता था। उसे सबकुछ प्राप्त था किंतु उसे बहुत दिनों तक कोई संतान नहीं हुई जिससे वह बहुत दुखी रहता था। नगर निवासी भी बादशाह के साथ म

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शहजादा खुदादाद और दरियाबार की शहजादी-

29 जनवरी 2022
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उपर्युक्त कहानी के मध्य में एक यात्रा में जैनुस्सनम के दरियाबार देश मे जाने का भी उल्लेख है। वहाँ की एक चित्ताकर्षक कथा उस ने सुनी थी। वह कथा भी इस जगह कही जाती है। हैरन नगर में एक बड़ा प्रतापी बादशा

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दरियाबार की शहजादी

29 जनवरी 2022
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उस सुंदरी ने कहा कि काहिरा के निकट दरियाबार नाम एक द्वीप है। उस का बादशाह सब प्रकार से सुखी था किंतु उसे संतान न होने का बड़ा दुख था। वर्षों की प्रार्थनाओं और सिद्धों के आशीर्वादों से उस के यहाँ एक पु

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सोते-जागते आदमी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में बगदाद में एक धनी व्यापारी था। उस का एक ही पुत्र था जिसका नाम अबुल हसन था। व्यापारी बड़ा कंजूस था। वह धन एकत्र ही करता था, खर्च बहुत कम करता था। इसलिए जब

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अलादीन और जादुई चिराग

29 जनवरी 2022
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चीन की राजधानी में मुस्तफा नाम का एक दरजी रहता था। वह गरीब आदमी था और बड़ी कठिनाई से अपने परिवारवालों का पेट भरता था। उस के पुत्र का नाम अलादीन था जो कुछ काम-काज नहीं करता था सिर्फ खेल-कूद में समय ब

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खलीफा हारूँ रशीद और बाबा अब्दुल्ला

29 जनवरी 2022
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दुनियाजाद के प्रस्ताव और शहरयार की अनुमति से नई कहानी प्रारंभ करते हुए शहरजाद ने कहा कि कभी-कभी आदमी का चित्त प्रसन्न होता है और उसकी कोई साफ वजह भी नहीं होती। ऐसी स्थिति भी होती है जब आदमी खुश तो होत

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अंधे बाबा अब्दुल्ला

29 जनवरी 2022
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बाबा अब्दुल्ला ने कहा कि मैं इसी बगदाद नगर में पैदा हुआ था। मेरे माँ बाप मर गए तो उनका धन उत्तराधिकार में मैंने पाया। वह धन इतना था कि उससे मैं जीवन भर आराम से रह सकता था किंतु मैंने भोग-विलास में सार

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सीदी नोमान

29 जनवरी 2022
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भिखारी की कहानी सुनने के बाद खलीफा ने बराबर घोड़ी दौड़ानेवाले पर ध्यान दिया और उससे पूछा कि तुम्हारा क्या नाम है। उसने अपना नाम सीदी नोमान बताया। खलीफा ने कहा, मैंने बहुत-से घुड़सवारों और साईसों को दे

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ख्वाजा हसन हव्वाल

29 जनवरी 2022
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ख्वाजा हसन ने कहा कि मैं अपनी बात बताने के पहले अपने दो मित्रों के बारे में बताना चाहता हूँ। वे अभी जीवित हैं और यहीं बगदाद में रहते हैं। वे मेरे प्रत्येक कथन की पुष्टि करेंगे। उनमें से एक का नाम सादी

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अलीबाबा और चालीस लुटेरों की कहानी

29 जनवरी 2022
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अगली रात को मलिका शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि फारस देश में कासिम और अलीबाबा नाम के दो भाई रहते थे। उन्हें पैतृक संपत्ति थोड़ी ही मिली थी। किंतु कासिम का विवाह एक धनी-मानी व्यक्ति की पुत्री

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बगदाद के व्यापारी अली ख्वाजा

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के राज्य काल में बगदाद में अलीख्वाजा नामक एक छोटा व्यापारी रहता था। वह अपने पुश्तैनी मकान में, जो छोटा-सा ही था, अकेला रहता था। उसने विवाह नहीं किया था और उसके माता पिता की भी मृत्यु

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यंत्र के घोड़े

29 जनवरी 2022
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बादशाह सलामत, आपको यह मालूम ही है कि हजारों वर्ष से फारस में नौरोज यानी वर्ष का प्रथम दिवस बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। उसमें सभी लोग विशेषतः अग्निपूजक, भाँति-भाँति के नृत्यों और खेल-तमाशों का आय

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शहजादा अहमद और परीबानू

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा, बादशाह सलामत, पुराने जमाने में हिंदोस्तान का एक बादशाह बड़ा प्रतापी और ऐश्वर्यवान था। उसके तीन बेटे थे। बड़े का नाम हुसैन, मँझले का अली और छोटे का अहमद था। बादशाह का एक भाई जब मरा तो उस

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ईर्ष्यालु बहनों की कहानी

29 जनवरी 2022
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पुराने जमाने में फारस में खुसरो शाह नामी शहजादा था। वह रातों को अक्सर भेस बदल कर सिर्फ एक सेवक को अपने साथ रख कर नगर की सैर किया करता था और संसार की विचित्र बातें देख कर अपना ज्ञान बढ़ाया करता था। ज

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बैल और गधा

29 जनवरी 2022
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एक बार एक सौदागर था जो बहुत अमीर था। उसके पास बहुत सारे नौकर चाकर और जानवर थे। उसकी एक पत्नी थी और परिवार था और वह अपने खाने पीने के लिये खेती करता था। उसके पास जंगली जानवरों और हर तरह की चिड़िया की बो

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भेड़िये और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक लोमड़ा और एक भेड़िया एक ही घर में रहते थे। भेड़िया बहुत ही बेरहम था जबकि लोमड़ा बहुत नरम दिल था। इसी तरह से रहते हुए उन्हें कुछ दिन हो गये कि एक दिन वह लोमड़ा भेड़िये से बोला — “अगर तुम इसी तरीके

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लोमड़े और कौए की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक लोमड़ा एक पहाड़ की एक गुफा में रहता था। जब भी उसको एक बच्चा पैदा होता और वह बड़ा हो जाता तो वह उसको खा जाता क्योंकि उसको भूख बहुत लगती थी। अगर वह अपने बच्चों को न खाता तो उसके वे बच्चे बड़े हो जाते और

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साही और कबूतर

29 जनवरी 2022
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एक बार एक साही एक खजूर के पेड़ के नीचे रहने के लिये आया। उसी पेड़ के ऊपर एक कबूतर अपनी पत्नी के साथ रहता था। साही ने सोचा कि यह कबूतर का जोड़ा तो इस पेड़ के फल खाता है पर मुझे इस पेड़ के फल खाने का कोई मौ

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बतख और कछुए की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक बतख बहुत ऊपर उड़ा और बहते हुए पानी में खड़ी एक चट्टान पर जा कर बैठ गया। जब वह वहाँ बैठा हुआ था तो पानी की एक लहर एक आदमी का ढाँचा उसके पास ला कर छोड़ गयी। बतख ने उसको ठीक से देखा तो उसको पता लग

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चुहिया और एक ततैये की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक चुहिया और एक मादा ततैया एक गरीब किसान के घर में एक साथ ही रहते थे। एक बार उस किसान का एक दोस्त बीमार पड़ गया तो डाक्टर ने उसको धुले तिल21 खाने की सलाह दी। सो उस किसान ने एक आदमी से अपने दोस्

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कौआ और बिल्ला

29 जनवरी 2022
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एक समय की बात है कि एक कौआ और एक बिल्ला दोनों आपस में बड़े गहरे दोस्त थे और साथ साथ रहते थे। एक दिन वे दोनों एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे कि उन्होंने एक चीते23 को अपनी तरफ आते हुए देखा। उनको उसके अपनी त

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चिड़ा और मोर

29 जनवरी 2022
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एक बार की बात है एक चिड़ा रोज सुबह सुबह चिड़ियों के राजा से मिलने जाता था और सारा दिन उसकी सेवा में खड़ा रहता था। वह सबसे पहले वहाँ पहुँचता था और सबसे बाद में वहाँ से वापस आता था। एक बार कुछ चिड़ियों ने

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मुर्गे और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक गाँव में एक शेख रहता था। उसकी अपने गाँव में बहुत अच्छी साख थी और वह एक बहुत ही समझदार आदमी था। उसके अपने पास बहुत सारे मुर्गे मुर्गियाँ थे। वह उनको बढ़ाने के लिये उनकी बहुत अच्छी देखभाल करता

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चिड़ियें, जानवर और बढ़ई

29 जनवरी 2022
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जानवरों की यह कहानी बहुत ही मजेदार है। हो सकता है कि तुम इसको बार बार पढ़ना पसन्द करो और हर किसी को खास करके अपने छोटे भाई बहिनों को बार बार सुनाना पसन्द करो। बहुत पुरानी बात है कि एक मोर अपनी पत्नी क

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