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भले आदमी और ईर्ष्यालु पुरुष

29 जनवरी 2022

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किसी नगर में दो आदमियों का घर एक दूसरे से लगा हुआ था। उनमें से एक पड़ोसी दूसरे के प्रति ईर्ष्या और द्वेष रखता था। भले मानस ने सोचा कि मकान छोड़कर कहीं जा बसूँ क्योंकि मैं इस आदमी के प्रति उपकार करता हूँ और यह मुझ से वैर ही रखे जाता है। अतएव वह वहाँ से कुछ दूर पर बसे दूसरे नगर में एक अच्छा मकान खरीद कर जिसमें एक अंधा कुआँ भी था, रहने लगा। उसने फकीरों का बाना भी ओढ़ लिया और रात-दिन भगवान के भजन में समय बिताने लगा। उसने अपने मकान में कई कक्ष बनवाए जिनमें वह साधु-संतों को ठहराता और भोजन दिया करता था। इससे वह नगर में बहुत प्रसिद्ध हो गया और लोग उससे मिलने को आने लगे।

उसकी प्रसिद्धि शीघ्र ही बढ़ गई। दूर-दूर से लोग आते और अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए भगवान से प्रार्थना करने के लिए उससे निवेदन करते। उसके चमत्कारों की ख्याति उस नगर में भी पहुँची जहाँ वह पहले रहा करता था। उसके पुराने पड़ोसी को यह सुनकर और भी ईर्ष्या हुई। उसने निश्चय किया कि उसी के मकान में जाकर उसे मार डालूँ। वह जाकर उसके घर पर मिला। संत पुरुष ने अपने पुराने पड़ोसी की बड़ी अभ्यर्थना की। ईर्ष्यालु व्यक्ति ने यह झूठ कहा कि मुझ पर एक विपत्ति पड़ी है जिसके निवारण के लिए मैं तुम से प्रार्थना करने आया हूँ, किंतु मैं इस कठिनाई को गुप्त रखना चाहता हूँ और तुम अपने चेलों तथा अन्य साधुओं से कह देना कि जिस समय मैं और तुम बातें कर रहे हो कोई अन्य व्यक्ति पास में भी न आए। संत पुरुष ने ऐसा ही आदेश दे दिया।

अब उस दुष्ट आदमी ने एक झूठ-मूठ का लंबा किस्सा बनाया और संत पुरुष से कहने लगा। फिर उसने कहा कि हम लोग टहलते हुए ही इस किस्से का कहना-सुनना पूरा करें। संत ने वह भी मान लिया। बात करते-करते जब वे कुएँ के पास आए तो दुष्ट मनुष्य ने संत को अचानक धक्का देकर कुएँ में गिरा दिया और स्वयं चुपके से मकान से चलकर भाग खड़ा हुआ। वह अपने जी में बड़ा प्रसन्न था कि यह आदमी जिसकी प्रसिद्धि ने मुझे जला रखा है खत्म हो गया।

किंतु उस संत पुरुष का भाग्य अच्छा था। उस कुएँ में परियाँ रहती थीं जिन्होंने उसके गिरने पर उसे हाथों-हाथ उठा लिया और सुविधापूर्वक एक जगह बिठा दिया। उसे चोट नहीं आई लेकिन परियाँ उसकी दृष्टि से ओझल ही रहीं। वह संत पुरुष सोचने लगा कि इस दशा में मुझे लाने में भगवान की कुछ कृपा ही होगी। थोड़ी देर में उसे ऐसी आवाजें सुनाई देने लगीं जैसे दो आदमी आपस में बातें करते हो। एक ने कहा, 'तुम्हें मालूम है कि यह आदमी कौन है?' दूसरे ने कहा, 'मुझे नहीं मालूम।' पहले ने कहा, 'मैं तुम्हें इसका हाल बताता हूँ। यह अत्यंत सच्चरित्र और शीलवान व्यक्ति है। इसने अपना नगर छोड़कर यहाँ रहना इसलिए शुरू किया कि इसे वहाँ अपने पड़ोसी से जो इससे जलता था उलझना न पड़े। इस नगर में ईश्वर की दया से इसकी ख्याति बहुत बढ़ गई। इस ख्याति के कारण इसका पुराना पड़ोसी और भी जला और उसने इसे मार डालने का इरादा कर लिया। वह इसके घर आया और इसे बहाने से यहाँ लाकर कुएँ में गिरा दिया। यदि हम लोग इसकी सहायता न करते तो यह मर ही जाता।

पहले ने कहा, 'अब इसका क्या होगा?' दूसरा बोला, 'सब अच्छा होगा। कल इस नगर का बादशाह इसके पास आकर इससे निवेदन करेगा कि यह उस बादशाह की पुत्री के स्वास्थ्य के लिए भगवान से प्रार्थना करे।' पहले ने कहा, 'राजकुमारी को क्या रोग है?' दूसरे ने कहा, 'राजकुमारी पर मैमून नामक जिन्न का पुत्र दिमदिम आसक्त है और वही उसके सिर पर चढ़ा रहता है जिससे राजकुमारी हमेशा बीमार और बदहवास रहती है। उसके हटाने का उपाय बड़ा सरल है। इस संत के घर में एक काली बिल्ली है जिसकी पूँछ की जड़ के पास एक श्वेत हिस्सा है। इस संत को चाहिए कि उस श्वेत भाग से सात बाल उखाड़ कर अपने पास रखे। जब शहजादी इसके पास लाई जाए तो इसे चाहिए कि वे बाल आग में जलाकर उनका धुआँ शहजादी की नाक में पहुँचा दे। इससे वह नीरोग हो जाएगी और आगे भी दिमदिम कभी उनके पास नहीं फटकेगा।'

संत पुरुष ने परियों और उनके साथियों को यह बातचीत सुन कर भली प्रकार याद रखी। रात भर वह कुएँ में रहा। सवेरे जब उजाला हुआ तो उसने देखा कि कुएँ की दीवार में ऊपर से नीचे तक मोखे बने हुए हैं। वह उनके सहारे थोड़ी ही देर में ऊपर आ गया। उसके शिष्य और भक्त जो रात भर उसे खोजते रहे थे उसे देखकर अत्यंत प्रसन्न हुए। उसने उनसे कहा कि मैं संयोगवश कुएँ में गिर गया था लेकिन मुझे चोट नहीं आई।

फिर वह अपने घर में आकर बैठ गया। थोड़ी ही देर में काली बिल्ली घूमती-फिरती उसके पास से निकली। संत पुरुष को कुएँ में सुनी बातें याद थीं। इसलिए उसने बिल्ली को पकड़ कर उसकी खाल के श्वेत भाग से सात बाल उखाड़ लिए और अपने पास रखे। कुछ काल के पश्चात नगर का बादशाह वहाँ आया। उसने अपनी सैनिक टुकड़ी बाहर छोड़ी और कुछ सरदारों के साथ मकान के अंदर आ गया। संत पुरुष ने आदरपूर्वक उसका स्वागत किया।

बादशाह ने कहा, 'हे योगीराज, आप तो सबके दिलों का हाल जानते हैं। आप तो समझ ही गए होंगे कि मैं क्यों यहाँ आया हूँ।' संत पुरुष ने कहा, 'शायद आपकी बेटी अस्वस्थ है और उसके स्वास्थ्य लाभ की आशा ही से आपने मुझ अकिंचन की कुटिया को पवित्र किया है।' बादशाह ने कहा, 'आपने बिल्कुल ठीक कहा, मैं इसी कारण यहाँ आया हूँ। अगर आपके आशीर्वाद से मेरी बेटी स्वस्थ हो जाए तो मेरी सबसे बड़ी चिंता दूर हो जाए।'

संत पुरुष ने उत्तर दिया, 'आप अपनी बेटी को यहीं बुलवा लें। मैं भगवान से प्रार्थना करूँगा कि वह स्वस्थ हो जाए और आशा है कि मेरी प्रार्थना स्वीकार होगी।' बादशाह यह सुनकर अत्यंत प्रसन्न हुआ। उसके आदेश पर राजकुमारी को उसकी सेविकाओं के साथ वहाँ ले आया गया। शहजादी का चेहरा चादर से अच्छी तरह ढँका हुआ था ताकि उसे कोई देख न सकें। संत पुरुष ने नीचे से चादर का इतना भाग उठाया कि नीचे रखी हुई अँगीठी से उठने वाला धुआँ बाहर न जाए। फिर उसने सात बाल अँगीठी में डाले। धुएँ का राजकुमारी की नाक में पहुँचना था कि मैमून जिन्न का बेटा दिमदिम बड़े जोर से चिल्लाया और तुरंत भाग गया।

जिन्न के जाते ही शहजादी होश में आ गई। वहाँ सँभल कर बैठ गई और अपने को भली-भाँति छिपा कर पूछने लगी कि मैं कहाँ हूँ और यहाँ मुझे कौन लाया है। बादशाह खुशी से फूला न समाया। उसने अपनी बेटी को छाती से लगा लिया और उसकी आँखें चूमने लगा। फिर उसने सम्मानस्वरूप संत पुरुष के हाथ चूमे और अपने सभासदों से राय ली कि इस संत पुरुष के उपकार का बदला किस प्रकार चुकाऊँ। सभासदों ने एकमत होकर कहा कि राजकुमारी का विवाह इसी संतपुरुष के साथ कर देना चाहिए। बादशाह को सभासदों की सलाह पसंद आई और उसने शहजादी का विवाह उसके उपकार कर्ता के साथ कर दिया।

कुछ दिनों बाद बादशाह का प्रमुख अंग मंत्री मर गया और बादशाह ने उसकी जगह अपने दामाद को नियुक्त कर दिया। इसके कुछ समय बाद बादशाह मर गया और चूँकि उस राजकुमारी के अतिरिक्त बादशाह के और कोई संतान नहीं थी अतएव सभी सभासदों और सामंतों की सहमति से उसका दामाद ही राज्य का अधिकारी और नया बादशाह बन गया।

एक दिन वह अपने सरदारों के साथ कहीं जा रहा था कि कुछ दूरी पर उसे अपना पुराना शत्रु दिखाई दिया। नए बादशाह ने अपने मंत्री से चुपके से कहा कि उस आदमी को सहजतापूर्वक मेरे पास ले आओ ताकि वह भयभीत न हो। बादशाह ने उससे कहा, 'मेरे मित्र, तुम्हें इतने दिनों बाद देखकर प्रसन्न हुआ हूँ, तुमने मुझे पहचाना?' वह दुष्ट उसे पहचान कर थर-थर काँपने लगा किंतु बादशाह तो संत पुरुष ही था, उसने उसे एक हजार अशर्फियाँ और कीमती कपड़ों की बीस गाँठें भेंट में देकर उसे सुरक्षापूर्वक उसके घर पहुँचा दिया।

मैंने अपनी कहानी पूरी करके जिन्न से कहा कि उस नेक बादशाह ने तो अपने जानी दुश्मन के साथ यह सलूक किया और तुम मुझ पर तनिक भी दया नहीं करते। किंतु मेरी अनुनय का उस पर कोई प्रभाव न हुआ। उसने कहा मैं तुझे जान से नहीं मार रहा हूँ लेकिन दंड दिए बगैर नहीं छोड़ूँगा, अब मेरा जादू का खेल देख। यह कहकर उसने मुझे पकड़ा और मुझे लेकर आकाश में इतना ऊँचा उड़ गया कि वहाँ से पृथ्वी एक बादल के टुकड़े जैसी लगती थी। फिर एक क्षण ही में मुझे एक ऊँचे पर्वत के शिखर पर ले गया। वहाँ उसने एक मुट्ठी मिट्टी उठाकर उस पर कोई मंत्र पढ़ा और 'बंदर हो जा' कह कर वह मिट्टी मेरे ऊपर छिड़क दी और गायब हो गया।

मैं अपने को बंदर के रूप में पाकर अत्यंत दुखित हुआ। मुझे यह भी मालूम न था कि मैं कहाँ हूँ और वहाँ से मेरा देश किस दिशा में और कितनी दूर है। खैर मैं धीरे-धीरे पहाड़ से उतर कर मैदान में आया और वहाँ भी मैंने सारा प्रदेश निर्जन देखा। अटकल से एक ओर को चलने लगा। एक मास के अंत में मैं समुद्र तट पर पहुँच गया। समुद्र बिल्कुल शांत था और तट से कुछ दूरी पर एक जहाज लंगर डाले खड़ा था।

मैंने जहाज पर जाना ही उचित समझा। किनारे के एक पेड़ से दो टहनियाँ तोड़ीं और उन्हीं के सहारे तैरता हुआ जहाज पर पहुँच गया। जहाज की रस्सी के सहारे मैं जहाज के अंदर पहुँच गया।

जहाज में सवार लोग मुझे देखकर बड़े आश्चर्य में पड़े कि जहाज में बंदर कैसे आ गया। वे लोग मेरे आगमन को अपशकुन समझे और मेरा वध करने की बात करने लगे। एक ने कहा, अभी लट्ठ ला कर इसका सर फोड़ देता हूँ। दूसरे ने कहा, नहीं, यह ऐसे नहीं मरेगा, मैं अभी तीर छोड़कर इनका अंत किए देता हूँ। तीसरे ने मुझे समुद्र में डुबो देने की सलाह दी। मैं उन्हें कैसे बताता कि मैं कौन हूँ, जान बचा कर इधर-उधर भागने लगा।

अंत में सब ओर से निराश होकर जहाज के कप्तान के पास गया और उसके पाँवों पर लौटने लगा। मैंने उसका दामन पकड़ लिया और आँखों में आँसू भर कर चिंचियाने लगा जैसे उससे प्राण रक्षा की भीख माँग रहा हूँ। उसे मुझ पर दया आई और उसने मेरे त्रासदाताओं को डाँट कर भगा दिया और कठोर चेतावनी दी कि इस बंदर को न तो कोई दुख दे और न कोई इसके साथ छेड़छाड़ करे। उसने मुझे ऐसी सुरक्षा प्रदान की कि मुझे जहाज पर कोई दुख न हुआ। मैं यद्यपि बोल नहीं पाता था तथापि समझता तो सब कुछ था और उसकी बातें समझ कर ऐसे संकेत करता था कि उसका बड़ा मनोरंजन होता था। धीरे-धीरे जहाज पर सवार सभी लोग मुझ पर कृपालु हो गए और मुझे प्यार करने लगे।

पचास दिन की यात्रा के बाद जहाज एक बड़े व्यापार केंद्र में पहुँचा। यह बहुत बड़ा नगर था। उसमें बड़े-बड़े मकान थे। जहाज ने मल्लाहों ने जहाज को बंदरगाह में ठहराया। कुछ समय में ही नगर के बड़े-बड़े व्यापारी जहाज को देखकर व्यापार की आशा में उस पर पहुँच गए। जहाज पर उनके कई मित्र व्यापारी थे। यह मित्र आपस की बातें करने लगे और यात्रा का हाल कहने-सुनने लगे क्योंकि जहाज बहुत से देशों से घूमता हुआ आया था।

नगर के व्यापारियों में कई ऐसे भी थे जो वहाँ के ऐश्वर्यवान बादशाह के दरबार में आते-जाते थे। उन्होंने कहा कि हमारा बादशाह तुम्हारे जहाज के यहाँ आने से बड़ा प्रसन्न हुआ है। इसका कारण यह है कि उसे आशा है कि तुम लोगों में कोई सुलेखक भी होगा। बात यह है कि हमारा मंत्री हाल ही में मर गया है। वह अत्यंत निपुण सुलेखकर्ता था। बादशाह गुणियों का बड़ा सम्मान करता है और चाहता है कि उस मंत्री जैसा सुलेखक उसे मिले, इसी चिंता में वह हमेशा रहता है। इसलिए उसने यह कागज भेजा है जिस पर सुलेखन के लिए रेखाएँ खिंची हैं। बादशाह चाहता है कि अगर कोई आदमी तुममें से काफी पढ़ा-लिखा हो तो वह इस पर कुछ इबारत लिखे। उसने कसम खाई है कि वह उसी व्यक्ति को दिवंगत मंत्री का पद देगा जो उसकी भाँति सुलेखन कर सकेगा। और अभी तक बहुत ढूँढ़ने पर भी उसे अपने देश में कोई ऐसा गुणी व्यक्ति नहीं मिल पाया है।

यह सुनकर मैंने बादशाह के सरदार के हाथ से झपटकर वह कागज ले लिया। इस पर जहाज के सभी लोग, विशेषतः पढ़े-लिखे व्यापारी चीख-पुकार करने लगे कि यह बंदर अभी इस कागज को चीर-फाड़ कर समुद्र में फेंक देगा। किंतु जब उन्होंने देखा कि मैंने कागज बड़े ढंग से पकड़ा है तो सब चुप होकर देखने लगे। मैंने संकेत से कहा कि मैं इस पर लेखन कर सकता हूँ। उन लोगों को मेरी बात पर क्या विश्वास होता और सब प्रयत्न करने लगे कि मुझे पकड़ कर मेरे हाथ से कागज ले लें।

किंतु जहाज के कप्तान ने उन्हें रोका और कहा, 'हमें इसकी परीक्षा लेनी चाहिए। अगर इसने कागज को खराब किया तो मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि इसे कड़ा दंड दूँगा। अगर उसने लिख लिया तो मैं अपने पुत्र की भाँति इसे रखूँगा। मुझे मालूम है कि यह कागज को खराब नहीं करेगा। मैंने बराबर देखा कि यह दूसरे बंदरों जैसा नहीं है अपितु अत्यंत बुद्धिमान है।' कप्तान की इस बात पर सब लोग रुक गए और मैंने कलम लेकर चार कविता पंक्तियाँ इतने सुंदर ढंग से लिखीं जैसे कोई व्यापारी या अन्य नागरिक न लिख पाता।

सरदार मेरा लिखा कागज बादशाह के पास ले गया। बादशाह ने मेरे सुलेख को भी पसंद किया और मेरी कविता को भी। उसने सरदारों से कहा कि एक भारी खिलअत (सम्मान परिधान) ले जाओ और उस आदमी को पहनाओ जिसने यह लिखा है और एक बढ़िया घोड़ा भी घुड़साल से ले जाओ और उसे सम्मानपूर्वक सवार कराकर यहाँ ले आओ। सरदार यह आज्ञा सुन कर हँस पड़ा। बादशाह को बड़ा क्रोध आया। उसने कड़क कर कहा, 'यह क्या बदतमीजी है, तुम्हें दंड का भय नहीं है?' सरदार हाथ जोड़कर बोला, 'महाराज, क्षमा करें। यह लेख किसी मनुष्य ने नहीं लिखा। एक बंदर ने इसे लिखा है।'

बादशाह ने कहा, 'क्या बक रहे हो? बंदर भी कहीं लिखता है?' सरदार ने अपने साथियों की ओर देखा। उन्होंने भी हाथ जोड़ कर कहा, 'जहाँपनाह, हम सबने अपनी आँखों से देखा है कि इस कागज पर एक बंदर ही ने लिखा है।' बादशाह का आश्चर्य और बढ़ा और उसने आज्ञा दी, 'मैंने ऐसा बंदर देखा क्या, सुना भी नहीं था। तुम लोग फौरन जाओ और उस बंदर को सम्मानपूर्वक सवार कराकर ले आओ।' चुनांचे सरदार और राज सेवक फिर जहाज पर गए और कप्तान को उन्होंने राजा की आज्ञा सुनाई। कप्तान मुझे भेजने को सहर्ष तैयार हो गया। उसने मुझे जरी के वस्त्र पहनाए और किनारे पर ले आया। वहाँ से घोड़े पर बैठकर राज महल को चल दिया। महल में न केवल बादशाह ही मेरी प्रतीक्षा कर रहा था अपितु नागरिकों की बड़ी भीड़ भी सुलेखन करने वाले बंदर को देखने आई हुई थी।

रास्ते में भी बड़ी भीड़ जमा थी और लोग कोठों और छतों से झाँक-झाँक कर भी मेरी सवारी देख रहे थे। सब लोग आश्चर्य कर रहे थे कि बादशाह ने एक बंदर को मंत्रिपद सँभालने को बुलाया है। कुछ लोग इस बात पर हँस रहे थे और बादशाह का मजाक भी उड़ा रहे थे।

मैं दरबार में पहुँचा तो देखा कि बादशाह सिंहासन पर बैठा है और सभासद और सरदार अपनी-अपनी जगह खड़े हैं। मैंने दरबार के शिष्टाचार के अनुसार तीन बार कोरनिश (भूमि तक हाथ ले जाकर प्रणाम करना) की और एक ओर अदब से खड़ा हो गया। सभी उपस्थित जन मेरे इस व्यवहार को देखकर आश्चर्य में पड़ गए कि बंदर ऐसा शिष्टाचार कैसे कर रहा है। खुद बादशाह को भी मेरी चाल-ढाल देखकर बड़ा आश्चर्य हो रहा था।

कुछ देर में दरबार बर्खास्त हुआ। बादशाह के पास केवल मैं और उसका एक वृद्ध अधिकारी रह गए। हम दोनों बादशाह के आदेश पर उसके साथ महल के अंदर गए। बादशाह ने शाही भोजन मँगवाया और मुझे खाने का इशारा किया। मैं बड़ी तमीज के साथ खाना खाने लगा। जब भोजन समाप्त हुआ और बर्तन उठा लिए गए तो मैंने कलमदान की ओर संकेत किया। कलमदान मेरे पास लाया गया तो मैंने कुछ काव्य पंक्तियाँ बादशाह को धन्यवाद देते हुए रचीं और उन्हें सुंदर ढंग से कागज पर लिख दिया। बादशाह को यह देखकर आश्चर्य और प्रसन्नता और अधिक हुई। उसने मुझे एक पात्र मदिरा से भरकर दिलवाया। उसे पीकर मैंने एक और कविता अपने दुर्भाग्य के बाद मिलने वाले सौभाग्य के संबंध में लिख दी।

अब बादशाह ने शतरंज मँगाई और इशारे से पूछा कि क्या इसे खेल सकते हो। मैंने स्वीकारात्मक रूप से अपने सिर पर हाथ रखा। पहली बाजी बादशाह ने जीती और दूसरी और तीसरी मैंने जीत ली। बादशाह को इस पर झुँझलाहट होने लगी कि वह एक बंदर से हार गया। मैंने फिर एक काव्य रचकर कागज पर लिख दिया जिसका आशय था कि दो योद्धा दिन भर आपस में युद्ध करके शाम को मित्र बन जाते हैं और रात को युद्ध भूमि में सोते रहते हैं।

इस बात से बादशाह का आश्चर्य अत्यधिक बढ़ गया। उसने सोचा कि ऐसा बंदर जो मनुष्य से बढ़कर बुद्धिमत्ता और हाजिरजवाबी प्रदर्शित करे कभी देखा-सुना नहीं गया। उसने यह बात अपने सभासदों से कही तो उन्होंने उसका समर्थन किया। अब बादशाह ने चाहा कि मुझे अपनी रानी और अपनी पुत्री को भी दिखा दे। उसने खोजों के सरदार को आज्ञा दी कि आदमियों को हटाकर बेगम साहबा और शहजादी को यहाँ ले आओ। बेगम तो साधारण रूप से आई लेकिन शहजादी ने जो मुँह खोले आई थी, मुझे देखकर नकाब डाल लिया और बाप से बिगड़ कर बोली कि आपको क्या हो गया है कि अपरिचित पुरुष के सामने मुझे मुँह खोले हुए बुला लिया।

बादशाह ने कहा, 'तुम्हारे होश-हवास तो ठिकाने हैं? यहाँ कौन मर्द है सिवाय मेरे? और मैं तुम्हारा बाप हूँ, मेरे सामने तो तुम्हें मुँह खोल कर आना चाहिए। और तुम हो कि खुद गलती पर हो और मुझे दोष देती हो।' शहजादी ने हाथ जोड़ कर कहा, 'अब्बा हुजूर, मेरी कोई गलती नहीं है। यह एक बड़े बादशाह का पुत्र है और जादू के कारण इस दशा को पहुँचा है। इबलीस के धेवते ने, जो एक शक्तिशाली जिन्न है, पहले आबनूस के द्वीप के बादशाह अबू तैमुरस की बेटी की हत्या कर दी फिर इस शहजादे को अपने जादू से बंदर बना दिया।'

बादशाह को यह सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ। उसने मुझ से पूछा कि क्या यह बात ठीक है। मैंने सर पर हाथ रख कर इशारे से कहा कि शहजादी ने जो कुछ कहा है बिल्कुल ठीक कहा है। अब बादशाह ने शहजादी से पूछा कि तुम्हें यह सब किस्सा कैसे मालूम हुआ। उसने कहा, 'आपको याद होगा कि जब मेरा दूध छुड़ाया गया था तो मेरी देख-रेख और पालन-पोषण के लिए एक बुढ़िया रखी गई थी। वह जादू-टोनों में पारंगत थी। उसने मुझे इस विद्या के सत्तर अंग सिखा दिए। अब मुझ में इतनी शक्ति है कि चाहूँ तो आपका सारा देश उठाकर समुद्र में फेंक दूँ। जो व्यक्ति जादू के जोर से मनुष्य के बजाय किसी अन्य जीव को देह धारण कर लेते हैं मैं उन्हें तुरंत पहचान लेती हूँ और मुझे यह भी मालूम हो जाता है कि किसके जादू से यह हुआ है। इसीलिए मैंने इसे पहली ही नजर में पहचान लिया कि यह बंदर नहीं है बल्कि राजकुमार है।'

बादशाह ने कहा, 'बेटी, तुम इतनी गुणी हो, यह मुझे मालूम ही नहीं था। लेकिन क्या तुम में इतनी शक्ति भी है कि इसे अपनी पहली देह में दोबारा पहुँचा दो?' राजकुमारी ने, जिसका नाम मलिका हसन था, कहा, 'निःसंदेह मुझ में ऐसी शक्ति है।' बादशाह ने कहा, 'अगर तुमने ऐसा किया तो मैं तुम्हारा बड़ा आभार मानूँगा और इस राजकुमार को अपना मंत्री बनाकर तुम्हारे साथ इसका विवाह कर दूँगा।'

शहजादी ने पिता की आज्ञा शिरोधार्य कर अपने सामान में से एक छड़ी मँगवाई जिस पर हिब्रू और मिस्री भाषा में कुछ अक्षर खुदे थे। फिर उसने अपने पिता से कहा कि आप लोग कुछ दूरी पर सुरक्षापूर्वक बैठें। हम लोगों ने ऐसा किया तो शहजादी ने कक्ष की भूमि पर छड़ी से एक बड़ा गोला खींचा और हिब्रू और मिस्री भाषाओं के कुछ मंत्र पढ़ने लगी। इसके पश्चात वह घेरे के अंदर चली गई और कुरान शरीफ की कुछ आयतों का पाठ आरंभ कर दिया।

कुछ ही देर में घटाटोप अँधेरा छा गया। हमें मालूम हो रहा था जैसे प्रलय काल ही आ गया है। हम लोग क्षण-प्रतिक्षण भयभीत होते जा रहे थे। इतने में हमने देखा कि इब्लीस का धेवता जिन्न एक शेर के रूप में गरजता हुआ आ गया। शहजादी ने कहा, 'दुष्ट, तुझे चाहिए था कि मेरे बुलाने पर मेरे पास विनयपूर्वक आता। तेरी यह हिम्मत कि मुझे डराने को यह रूप रख कर आया है।' शेर बोला, 'मनुष्यों और जिन्नों में समझौता हुआ था कि एक दूसरे के मामलों में दखल न देंगे, तूने उस समझौते को तोड़ा है।' शहजादी बोली, 'तूने पहले वह समझौता तोड़ा है।' शेर ने गरज के कहा कि तेरी इस गुस्ताखी का मजा चखाता हूँ जो तूने मुझे यहाँ आने की तकलीफ देकर की है।

यह कहकर वह मुँह फाड़ कर शहजादी की ओर झपटा। वह होशियार थी, उछल कर पीछे हट गई और अपने सिर से एक बाल उखाड़ा और उसे मंत्र करके फेंक दिया। वह बाल तलवार बन गया और उसने शेर के धड़ के दो टुकड़े कर दिए। लेकिन यह टुकड़े गायब हो गए और सिर्फ सिर रह गया जो बिच्छू बन गया। अब शहजादी ने साँप का रूप धारण किया और उस पर टूट पड़ी।

बिच्छू थोड़ी ही देर में घबरा कर पक्षी बन गया और आसमान में उड़ गया। शहजादी भी उकाब बन कर उसके पीछे पड़ गई। उड़ते-उड़ते दोनों हमारी दृष्टि से छुप गए।

कुछ ही देर में हमारे सामने की भूमि फट गई और उसमें से दो बिल्लियाँ लड़ती हुई निकलीं, एक काली थी दूसरी सफेद। कुछ देर तक वे दुम खड़ी करके चीखती रहीं फिर काली बिल्ली भेड़िया बन कर सफेद बिल्ली पर झपटी। सफेद बिल्ली कोई उपाय न देखकर कीड़ा बन गई। और तुरंत एक पेड़ पर चढ़कर उसमें लटके अनार के अंदर घुस गई। वह अनार बढ़ने लगा और बढ़ते-बढ़ते एक घड़े का आकार का हो गया। फिर वह पेड़ से अलग हो गया और हवा में इधर-उधर लहराने लगा।

कुछ देर में वह अनार जमीन पर गिरकर फट गया और उसके टुकड़े इधर-उधर बिखर गए। उसमें से सैकड़ों दाने पृथ्वी पर गिर कर फैल गए। अब वह भेड़िया तुरंत एक मुर्गा बन गया और उसने अनार के बिखरे हुए दानों को जल्दी-जल्दी चुनना शुरू कर दिया। जब वह सारे दाने खा चुका तो हम लोगों के पास आया और जोर से बाँग देने लगा जैसे पूछता हो कि कोई दाना रह तो नहीं गया। वह स्वयं भी इधर-उधर दौड़कर देखने लगा। एक दाना नहर के किनारे पड़ा था। मुर्गा दौड़ा कि उसे भी खा ले लेकिन वह दाना लुढ़कता हुआ नहर में गिर गया।

नहर में गिर कर वह दाना मछली बन गया। मुर्गा भी उसके पीछे नहर में कूद गया। कुछ देर तक दोनों आँखों से ओझल रहे फिर बड़े जोर की चीख-पुकार हुई जिससे हम लोग बहुत डर गए। फिर देखा कि जिन्न और शहजादी दोनों अग्निपुंज हो गए हैं और एक दूसरे की ओर लपटें फेंक रहे हैं जैसे कि आपस में लड़ाई कर रहे हों। ऐसा मालूम होता था कि हर तरफ आग ही आग फैली है। हम इस डर से काँपने लगे कि यह आग हमें तो क्या सारे देश को भूनकर रख देगी। इससे भी भयानक एक समय आया जब जिन्न शहजादी से लड़ना छोड़कर हमारी ओर झपटा और हमारी ओर लपटें फेंकने लगा। लेकिन शहजादी भी झपट कर आई। उसने जिन्न को दूर हटा दिया और हमें और सुरक्षित स्थान पर कर दिया। फिर भी इतनी देर में खोजा जल कर भस्म हो गया, बादशाह का मुँह झुलस गया और मेरी दाईं आँख में एक चिनगारी पड़ गई जिससे मेरी वह आँख फूट गई।

इतने में हम लोगों ने बड़ी जोर का जयघोष सुना। शहजारी मलिका हसन अपने साधारण शरीर में आ गई और जिन्न राख का ढेर होकर दिखाई देने लगा। फिर शहजादी ने एक गुलाम से पानी मँगवाया और उसे अभिमंत्रित कर मुझ पर छिड़का और बोली, 'अगर तू जादू के जोर से बंदर बना है तो फिर से अपनी पहली काया में आ जा ओर पहले की तरह मनुष्य बन जा।' उसके इतना कहते ही मैं पहले जैसा बन गया। सिवाय दाईं आँख फूटने के मुझे और कोई हानि नहीं हुई। मैंने चाहा कि शहजादी को इस उपकार पर धन्यवाद दूँ किंतु शहजादी ने इसका अवसर नहीं दिया। वह बादशाह की तरफ मुँह करके बोली, 'यद्यपि मैंने जिन्न को भस्म कर दिया है लेकिन मैं भी बच नहीं सकूँगी।'

हमारी समझ में कुछ नहीं आया तो उसने बताया, यह अग्नि युद्ध बड़ा भयानक होता है। इसकी आग कुछ क्षणों में मुझे भस्म कर देगी। जब मैं मुर्गा बनी थी उस समय अगर अनार का आखिरी दाना, जिसमें जिन्न ने स्वयं को छुपा रखा था, मेरे अंदर पहुँच जाता तो जिन्न उसी समय खत्म हो जाता और मुझे कोई हानि न पहुँचती। किंतु वह बचकर फिर मुझसे युद्ध करने के योग्य हो गया। अब विवश होकर मुझे अग्नि युद्ध पर उतरना पड़ा। जिन्न ने यह तो समझ लिया कि मैं जादू में निपुण हूँ और उस पर भारी पड़ती हूँ, फिर भी वह अंत समय तक प्राणपण से युद्ध करता रहा। मैंने उसे जलाकर भस्म तो कर दिया लेकिन इस आग से स्वयं को मुक्त नहीं कर पाऊँगी।'

बादशाह ने रोकर कहा, 'बेटी, तुम कैसी बातें करती हो। तुम्हारे बगैर हम लोग क्या करेंगे। देखती नहीं कि खोजा मर गया है, मेरा मुँह झुलस गया है और यह शहजादा जिसका तुमने इतना उपकार किया है दाईं आँख से काना हो गया है?' बादशाह इस तरह सिर धुन रहा था और मैं भी रो-पीट रहा था कि शहजादी ने चिल्लाना शुरू किया, 'हाय जली, हाय मरी।' और देखते ही देखते वह भी जल कर जिन्न की तरह राख का ढेर हो गई।

दूसरे फकीर ने आँसू बहाते हुए जुबैदा से कहा कि हे सुंदरी, उस समय मुझे जितना दुख हुआ वह वर्णन के बाहर है। मैं सोच रहा था कि अगर मैं बंदर तो क्या कुत्ता भी हो जाता और आजीवन वैसा ही रहता तो भी इस बात से अच्छी बात होती कि ऐसी गुणवती राजकुमारी, जिसने मुझ पर इतना एहसान किया, इस तरह जान से हाथ धोए। बादशाह भी अपनी बेटी के दुख में इतना रोया-पीटा कि बेहोश हो गया। मुझे भय लगने लगा कि ऐसा न हो कि इस दारुण दुख से उसकी जान चली जाए। चारों और हाहाकार होने लगा और राजमहल में प्रलय का-सा दृश्य उपस्थित हो गया।

राजमहल के सारे सेवक और बादशाह के सरदार दौड़े आए और भाँति-भाँति के यत्न करके उसे होश में लाए। मैंने सभी लोगों के आगे पूरा वृत्तांत रखा। फिर राज सेवक बादशाह को उठाकर उसके शयन कक्ष में ले गए। सारे नगर में यह समाचार फैल गया और हर जगह रोना-पीटना मच गया और हाहाकार के सिवाय कुछ नहीं सुनाई दिया। उन लोगों ने सात दिन तक शहजादी के लिए शोक किया और उनके देश में मातम की जो जो रस्में होती थीं सभी पूरी कीं। अंत में जिन्न की राख के ढेर को हवा में उड़ा दिया गया। शहजादी की भस्म को एक बहुमूल्य रेशमी थैले में भर कर दफन कर दिया गया और उस पर समाधि बना दी गई।

बादशाह शहजादी के दुख में बीमार पड़ गया। एक महीने में वह स्वस्थ हुआ। फिर उसने मुझे बुलाया और कहा, 'शहजादे, तेरे कारण मुझ पर असहनीय दुख पड़े हैं। मेरी प्यारी बेटी तेरे ही कारण भस्म हो गई, मेरा विश्वासी खोजों का सरदार जल कर मर गया और मैं भी मरते-मरते बचा। तेरा स्वयं इसमें कोई दोष नहीं है इसलिए मैं तुझे दंड नहीं देता। किंतु तेरा आगमन दुर्भाग्यपूर्ण रहा है और तू जहाँ रहेगा मुसीबत आएगी। इसलिए मैं तुझे यहाँ रहने की अनुमति नहीं दे सकता। तू तुरंत यहाँ से मुँह काला कर। अगर तू यहाँ थोड़ी देर तक भी दिखाई दिया तो मैं स्वयं को न सँभाल सकूँगा और तुझे कठोर दंड दूँगा।' इसी प्रकार वह बहुत देर तक बकता-झकता रहा।

मैं सिर झुका कर सब कुछ सुनता रहा। मैं कह भी क्या सकता था? बादशाह के चुप होते ही मैं उसके सामने से हट आया और महल से बाहर निकल गया। नगर में भी मुझे चैन न मिला। नगर निवासी शहजादी के शोक में विह्वल थे और मुझे ही उसकी मृत्यु का कारण समझ कर जहाँ मुझे पहचानते मुझे मारने के लिए झपटते थे। मैंने विवश होकर अपनी जान बचाने के लिए दाढ़ी, मूँछें और भवें मुँड़वा डालीं और फकीरों के- से वस्त्र पहन लिए और वहाँ से चल दिया। नगर से बाहर आकर भी मैं पश्चात्ताप की आग में बराबर जलता रहा और अपने जीवन को धिक्कारता रहा जिसके कारण दो-दो रूपसी राजकुमारियाँ काल कवलित हुईं। इसी दशा में मैं बहुत समय तक देश-देश फिरता रहा लेकिन मेरा ठिकाना कहीं न लगा।

अंत में मैंने सोचा कि बगदाद नगर में जाऊँ और अति दयाशील खलीफा हारूँ रशीद से अपनी व्यथा गाथा का वर्णन करूँ, संभव है वे मुझ पर दया करके मेरे लिए कोई उचित प्रबंध कर दें। मैं आज शाम ही को इस नगर में पहुँचा। सबसे पहले इस फकीर से, जिसने अभी-अभी अपना हाल कहा है, मेरी भेंट हुई। आपके यहाँ हम कैसे आए यह बताना मुझे जरूरी नहीं है क्योंकि वह पहला फकीर बता ही चुका है।

जब दूसरे फकीर ने अपना वृत्तांत पूरा कर लिया तो जुबैदा ने उससे कहा कि हमने तुझे भी क्षमा किया, तू जहाँ चाहे वहाँ जाने के लिए स्वतंत्र है। अब दूसरे फकीर ने भी इच्छा प्रकट की कि अपने तीसरे साथी को जीवन गाथा भी सुनना चाहता हूँ। इस पर जुबैदा ने कहा, अच्छा, तुम भी मजदूर और पहले फकीर के पास जाकर चुपचाप बैठ जाओ। उसने ऐसा ही किया। जुबैदा ने अब तीसरे फकीर से अपनी कहानी सुनाने को कहा और उसने जुबैदा के सामने बैठ कर कहना आरंभ किया। 

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रचनाएँ
अलिफ लैला
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अलिफ लैला की कहानी अरब देश की एक प्रचलित लोक कथा है जो पूरी दुनिया में सदियों से सुनी व पढ़ी जाती रही है। ... इस कथा के अनुसार, बादशाह शहरयार अपनी मलिका की बेवपफाई से दुःखी होकर उसका और उसकी सभी दासियों का कत्ल कर देता है और प्रतिज्ञा करता है कि रोजाना एक स्त्री के साथ विवाह करूंगा और अगली सुबह उसे कत्ल कर दूंगा।
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भूमिका

29 जनवरी 2022
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भूमिका (1)-अलिफ़ लैला सहस्र-रजनी चरित्र, जो अब भी भारत में अपने अरबी नाम 'अल्फ लैला' के प्रचलित बिगड़े हुए रूप 'अलिफ लैला' के नाम से अधिक जाना जाता है, वास्तव में लोक कथाओं का ऐसा संग्रह है जिसकी लोक

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शहरयार और शाहजमाँ

29 जनवरी 2022
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फारस देश भी हिंदुस्तान और चीन के समान था और कई नरेश उसके अधीन थे। वहाँ का राजा महाप्रतापी और बड़ा तेजस्वी था और न्यायप्रिय होने के कारण प्रजा को प्रिय था। उस बादशाह के दो बेटे थे जिनमें बड़े लड़के का

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किस्सा गधे, बैल और उनके मालिक

29 जनवरी 2022
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एक बड़ा व्यापारी था जिसके गाँव में बहुत-से घर और कारखाने थे जिनमें तरह-तरह के पशु रहते थे। एक दिन वह अपने परिवार सहित कारखानों को देखने के लिए गाँव गया। उसने अपनी पशुशाला भी देखी जहाँ एक गधा और एक बैल

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किस्सा व्यापारी और दैत्य का-

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा : प्राचीन काल में एक अत्यंत धनी व्यापारी बहुत-सी वस्तुओं का कारोबार किया करता था। यद्यपि प्रत्येक स्थान पर उसकी कोठियाँ, गुमाश्ते और नौकर-चाकर रहते थे तथापि वह स्वयं भी व्यापार के लिए द

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किस्सा बूढ़े और उसकी हिरनी का

29 जनवरी 2022
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वृद्ध बोला, 'हे दैत्यराज, अब ध्यान देकर मेरा वृत्तांत सुनें। यह हिरनी मेरे चचा की बेटी और मेरी पत्नी है। जब यह बारह वर्ष की थी तो इसके साथ मेरा विवाह हुआ। यह अत्यंत पतिव्रता थी और मेरे प्रत्येक आदेश क

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किस्सा तीसरे बूढ़े का जिसके साथ एक खच्चर था

29 जनवरी 2022
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तीसरे बूढ़े ने कहना शुरू किया : 'हे दैत्य सम्राट, यह खच्चर मेरी पत्नी है। मैं व्यापारी था। एक बार मैं व्यापार के लिए परदेश गया। जब मैं एक वर्ष बाद घर लौटकर आया तो मैंने देखा कि मेरी पत्नी एक हब्शी गुल

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मछुवारे की कहानी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि हे स्वामी, एक वृद्ध और धार्मिक प्रवृत्ति का मुसलमान मछुवारा मेहनत करके अपने स्त्री-बच्चों का पेट पालता था। वह नियमित रूप से प्रतिदिन सवेरे ही उठकर नदी के किनारे जाता और चार बार नदी मे

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गरीक बादशाह और हकीम दूबाँ की कथा

29 जनवरी 2022
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फारस देश में एक रूमा नामक नगर था। उस नगर के बादशाह का नाम गरीक था। उस बादशाह को कुष्ठ रोग हो गया। इससे वह बड़े कष्ट में रहता था। राज्य के वैद्य-हकीमों ने भाँति-भाँति से उसका रोग दूर करने के उपाय किए क

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भद्र पुरुष और उसके तोते की कथा

29 जनवरी 2022
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पूर्वकाल में किसी गाँव में एक बड़ा भला मानस रहता था। उसकी पत्नी अतीव सुंदरी थी और भला मानस उससे बहुत प्रेम करता था। अगर कभी घड़ी भर के लिए भी वह उसकी आँखों से ओझल होती थी तो वह बेचैन हो जाता था। एक बा

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अमात्य की कहानी

29 जनवरी 2022
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प्राचीन समय में एक राजा था उसके राजकुमार को मृगया का बड़ा शौक था। राजा उसे बहुत चाहता था, राजकुमार की किसी इच्छा को अस्वीकार नहीं करता था। एक दिन राजकुमार ने शिकार पर जाना चाहा। राजा ने अपने एक अमात्य

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काले द्वीपों के बादशाह की कहानी

29 जनवरी 2022
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उस जवान ने अपना वृत्तांत कहना आरंभ किया। उसने कहा 'मेरे पिता का नाम महमूद शाह था। वह काले द्वीपों का अधिपति था, वे काले द्वीप चार विख्यात पर्वत हैं। उसकी राजधानी उसी स्थान पर थी जहाँ वह रंगीन मछलियों

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किस्सा तीन राजकुमारों और पाँच सुंदरियों का

29 जनवरी 2022
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शहरजाद की कहानी रात रहे समाप्त हो गई तो दुनियाजाद ने कहा - बहन, यह कहानी तो बहुत अच्छी थी, कोई और भी कहानी तुम्हें आती है? शहरजाद ने कहा कि आती तो है किंतु बादशाह की अनुमति हो तो कहूँ। बादशाह ने अनुमत

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मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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मजदूर बोला, 'हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया।

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मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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मजदूर बोला, 'हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया।

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पहले फकीर की कहानी

29 जनवरी 2022
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पहले फकीर ने अदब से घुटनों के बल खड़े होकर कहा 'सुंदरी, अब ध्यान लगाकर सुनो कि मेरी आँख किस प्रकार गई और मैं क्यों फकीर बना। मैं एक बड़े बादशाह का बेटा था। बादशाह का भाई यानी मेरा चचा भी एक समीपवर्ती

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दूसरे फकीर की कहानी

29 जनवरी 2022
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अभी पहले फकीर की अद्भुत आप बीती सुनकर पैदा होने वाले आश्चर्य से लोग उबरे नहीं थे कि जुबैदा ने दूसरे फकीर से कहा कि तुम बताओ कि तुम कौन हो और कहाँ से आए हो। उसने कहा कि आपकी आज्ञानुसार मैं आप को बताऊँग

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भले आदमी और ईर्ष्यालु पुरुष

29 जनवरी 2022
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किसी नगर में दो आदमियों का घर एक दूसरे से लगा हुआ था। उनमें से एक पड़ोसी दूसरे के प्रति ईर्ष्या और द्वेष रखता था। भले मानस ने सोचा कि मकान छोड़कर कहीं जा बसूँ क्योंकि मैं इस आदमी के प्रति उपकार करता ह

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किस्सा तीसरे फकीर का

29 जनवरी 2022
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हे दयालु सुंदरी, मेरी कहानी बहुत ही आश्चर्यकारी है। इन दोनों शहजादों की दाहिनी आँखें परिस्थितिवश गईं किंतु मेरी आँख मेरी ही मूर्खता और मेरे ही अपराध के कारण फूटी। मैं इसका विस्तृत वर्णन करता हूँ। मेरा

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किस्सा जुबैदा का

29 जनवरी 2022
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जुबैदा ने खलीफा के सामने सर झुका कर निवेदन किया है राजाधिराज, मेरी कहानी बड़ी ही विचित्र है, आपने इस प्रकार की कोई कहानी नहीं सुनी होगी। मैं और वे दोनों काली कुतियाँ तीनों सगी बहिनें हैं और यह दो स्त्

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किस्सा अमीना का

29 जनवरी 2022
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अमीना ने कहा, 'जुबैदा की कहानी आप उसके मुँह से सुन चुके, अब मैं अपनी कहानी आपके सम्मुख प्रस्तुत करती हूँ। मेरी माँ मुझे लेकर अपने घर में आई कि रँड़ापे का अकेलापन उसे न खले। फिर उसने मेरा विवाह इसी नगर

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सिंदबाज जहाजी की कहानी

29 जनवरी 2022
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जब शहरजाद ने यह कहानी पूरी की तो शहरयार ने, जिसे सारी कहानियाँ बड़ी रोचक लगी थीं, पूछा कि तुम्हें कोई और कहानी भी आती हैं। शहरजाद ने कहा कि बहुत कहानियाँ आती हैं। यह कह कर उसने सिंदबाद जहाजी की कहानी

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सिंदबाद जहाजी की पहली यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा कि मैंने अच्छी-खासी पैतृक संपत्ति पाई थी किंतु मैंने नौजवानी की मूर्खताओं के वश में पड़कर उसे भोग-विलास में उड़ा डाला। मेरे पिता जब जीवित थे तो कहते थे कि निर्धनता की अपेक्षा मृत्यु श्र

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सिंदबाद जहाजी की दूसरी यात्रा

29 जनवरी 2022
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मित्रो, पहली यात्रा में मुझ पर जो विपत्तियाँ पड़ी थीं उनके कारण मैंने निश्चय कर लिया था कि अब व्यापार यात्रा न करूँगा और अपने नगर में सुख से रहूँगा। किंतु निष्क्रियता मुझे खलने लगी, यहाँ तक कि मैं बेच

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सिंदबाद जहाजी की तीसरी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा कि घर आकर मैं सुखपूर्वक रहने लगा। कुछ ही दिनों में जैसे पिछली दो यात्राओं के कष्ट और संकट भूल गया और तीसरी यात्रा की तैयारी शुरू कर दी। मैंने बगदाद से व्यापार की वस्तुएँ लीं और कुछ व्या

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सिंदबाद जहाजी की चौथी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा, कुछ दिन आराम से रहने के बाद मैं पिछले कष्ट और दुख भूल गया था और फिर यह सूझी कि और धन कमाया जाए तथा संसार की विचित्रताएँ और देखी जाएँ। मैंने चौथी यात्रा की तैयारी की और अपने देश की वे व

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सिंदबाद जहाजी की पाँचवी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा कि मेरी विचित्र दशा थी। चाहे जितनी मुसीबत पड़े मैं कुछ दिनों के आनंद के बाद उसे भूल जाता था और नई यात्रा के लिए मेरे तलवे खुजाने लगते थे। इस बार भी यही हुआ। इस बार मैंने अपनी इच्छानुसार

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सिंदबाद जहाजी की छठी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने हिंदबाद और अन्य लोगों से कहा कि आप लोग स्वयं ही सोच सकते हैं कि मुझ पर कैसी मुसीबतें पड़ीं और साथ ही मुझे कितना धन प्राप्त हुआ। मुझे स्वयं इस पर आश्चर्य होता था। एक वर्ष बाद मुझ पर फिर यात्

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सिंदबाद जहाजी की सातवीं यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा, दोस्तो, मैंने दृढ़ निश्चय किया था कि अब कभी जल यात्रा न करूँगा। मेरी अवस्था भी इतनी हो गई थी कि मैं कहीं आराम के साथ बैठ कर दिन गुजारता। इसीलिए मैं अपने घर में आनंदपूर्वक रहने लगा। एक

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एक स्त्री और तीन नौकरों का वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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शहरयार को सिंदबाद की यात्राओं की कहानी सुन कर बड़ा आनंद हुआ। उसने शहरजाद से और कहानी सुनाने को कहा। शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद का नियम था कि वह समय-समय पर वेश बदल कर बगदाद की सड़कों पर प्रजा का

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जवान और मृत स्त्री

29 जनवरी 2022
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उस जवान ने कहा कि 'मृत स्त्री मेरी पत्नी और इन वृद्ध सज्जन की बेटी थी और यह मेरे चचा हैं। ग्यारह वर्ष पूर्व उससे मेरा विवाह हुआ था। हमारे तीन बेटे हैं जो जीवित हैं। मेरी पत्नी अत्यंत सुशील और पतिव्रता

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नूरुद्दीन अली और बदरुद्दीन हसन

29 जनवरी 2022
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मंत्री जाफर ने कहा कि पहले जमाने में मिस्र देश में एक बड़ा प्रतापी और न्यायप्रिय बादशाह था। वह इतना शक्तिशाली था कि आस-पड़ोस के राजा उससे डरते थे। उसका मंत्री बड़ा शासन- कुशल, न्यायप्रिय और काव्य आदि

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काशगर के दरजी और बादशाह के कुबड़े सेवक

29 जनवरी 2022
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दूसरी रात को मलिका शहरजाद ने पिछले पहर अपनी बहन दुनियाजाद के कहने से यह कहानी सुनाना आरंभ किया। पुराने जमाने में तातार देश के समीपवर्ती नगर काशगर में एक दरजी था जो अपनी दुकान में बैठ कर कपड़े सीता था।

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ईसाई द्वारा सुनाई गई

29 जनवरी 2022
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ईसाई ने कहा, मैं मिस्र की राजधानी काहिरा का निवासी हूँ। मेरा बाप दलाल था। उस के पास काफी पैसा हो गया। उस ने मरने के बाद मैं ने भी वही व्यापार आरंभ किया। एक दिन मैं अनाज की मंडी में अपने दैनिक व्यापार

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अनाज के व्यापारी

29 जनवरी 2022
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अनाज का व्यापारी बोला कि कल मैं एक धनी व्यक्ति की पुत्री के विवाह में गया था। नगर के बहुत-से प्रतिष्ठित व्यक्ति उसमें शामिल थे। शादी की रस्में पूरी होने पर दावत हुई और नाना प्रकार के व्यंजन परोसे गए।

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उस आदमी की कहानी जिसके चारों अँगूठे कटे थे

29 जनवरी 2022
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उस ने कहा कि दोस्तो, मेरा पिता बगदाद का रहनेवाला था और खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में था। मैं भी उसी समय पैदा हुआ। मेरा पिता यद्यपि धनवान तथा बड़े व्यापारियों में गिना जाता था तथापि वह बहुत ही विलासी औ

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यहूदी हकीम द्वारा वर्णित

29 जनवरी 2022
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यहूदी हकीम ने बादशाह के सामने झुक कर जमीन चूमी और कहा कि पहले मैं दमिश्क नगर में हकीमी किया करता था। अपनी चिकित्सा विधि के कारण वहाँ मेरी बड़ी प्रतिष्ठा हो गई थी। एक दिन वहाँ के हाकिम ने मुझ से कहा कि

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काशगर के बादशाह के सामने दरजी की कथा

29 जनवरी 2022
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दरजी ने कहा कि इस नगर के व्यापारी ने एक बार अपने मित्रों को भोज दिया और उनके लिए भाँति-भाँति के व्यंजन बनवाए। मुझे भी बुलाया गया। मैं जब वहाँ पहुँचा तो देखा कि बहुत-से निमंत्रित लोग मौजूद हैं किंतु मक

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लँगड़े आदमी की कहानी

29 जनवरी 2022
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मेरा पिता बगदाद के सम्मानित व्यक्तियों में से था और हम लोग आनंदपूर्वक वहाँ रह रहे थे। मैं अपने पिता का अकेला बेटा था। जिस समय मेरे पिता की मृत्यु हुई उस समय तक मैं न केवल विद्याध्ययन पूरा कर चुका था ब

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दरजी की जबानी नाई की कहानी

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के काल में बगदाद के आसपास दस कुख्यात डाकू थे जो राहगीरों को लूटते ओर मार डालते थे। खलीफा ने प्रजा के कष्ट का विचार कर के कोतवाल से कहा कि उन डाकुओं को पकड़ कर लाओ वरना मैं तुम्हें प्र

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नाई के कुबड़े भाई

29 जनवरी 2022
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सरकार, मेरा सबसे बड़ा भाई जिसका नाम बकबक था, कुबड़ा था। उसने दरजीगीरी सीखी और जब यह काम सीख लिया तो उसने अपना कारबार चलाने के लिए एक दुकान किराए पर ली। उस की दुकान के सामने ही एक आटा चक्कीवाले की दुका

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नाई के दूसरे भाई बकबारह की कहानी

29 जनवरी 2022
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दूसरे रोज खलीफा के सामने पहुँच कर मैं ने कहा कि मेरा दूसरा भाई बकबारह पोपला है। एक दिन उससे एक बुढ़िया ने कहा, मैं तुम्हारे लाभ की एक बात कहती हूँ। एक बड़े घर की स्वामिनी तुम से आकृष्ट है। मैं तुम्हें

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नाई के तीसरे भाई अंधे बूबक की कहानी

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा, सरकार, मेरा तीसरा भाई बूबक था जो बिल्कुल अंधा था। वह बड़ा अभागा था। वह भिक्षा से जीवन निर्वाह करता था। उसका नियम था कि अकेला ही लाठी टेकता हुआ भीख माँगने जाता और किसी दानी का द्वार खटखटा क

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नाई के चौथे भाई काने अलकूज

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि मेरा चौथा भाई काना था और उसका नाम अलकूज था। अब यह भी सुन लीजिए कि उसकी एक आँख किस प्रकार गई। मेरा भाई कसाई का काम करता था। उसे भेड़-बकरियों की अच्छी पहचान थी। वह मेढ़ों को लड़ाने के लिए

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नाई के पाँचवें भाई अलनसचर

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि मेरे पाँचवें भाई का नाम अलनसचर था। वह बड़ा आलसी और निकम्मा था। वह रोज किसी न किसी मित्र के पास जा कर बेशर्मी से कुछ भीख माँग लेता और खा-पी कर पड़ा रहता। मेरा बाप कुछ समय बाद बूढ़ा हो कर

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नाई के छठे भाई कबक जिसके होंठ खरगोश की तरह के थे

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि अब मेरे आखिरी भाई शाह कबक का वृत्तांत रह गया है। इसे भी सुन लीजिए, फिर मैं आप से विदा लूँ। इस भाई का नाम शाह कबक था और उसके होंठ खरगोश की तरह ऊपर को चढ़े हुए थे और वह चलता भी खरगोश की तर

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शहजादा अबुल हसन और हारूँ रशीद की प्रेयसी शमसुन्निहार

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के शासनकाल में बगदाद में एक अत्यंत धनाढ्य और सुसंस्कृत व्यापारी रहता था। वह शारीरिक रूप से तो सुंदर था ही, मानसिक रूप से और भी सुंदर था। वहाँ के अमीर-उमरा उसका बड़ा मान करते। यहाँ तक

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कमरुज्जमाँ और बदौरा

29 जनवरी 2022
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फारस देश में बीस दिन की राह पर एक देश खलदान है। उस देश में कई टापू भी शामिल हैं। बहुत दिन पहले वहाँ का बादशाह शाहजमाँ था। उसके चार पत्नियाँ थीं और सात विशेष दासियाँ। वह बड़ा प्रतापी राजा था, उसके दे

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नूरुद्दीन और पारस देश की दासी

29 जनवरी 2022
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अगली सुबह से पहले शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि पहले जमाने में बसरा बगदाद के अधीन था। बगदाद में खलीफा हारूँ रशीद का राज था और उसने अपने चचेरे भाई जुबैनी को बसरा का हाकिम बनाया था। जुबैनी के

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ईरानी बादशाह बद्र और शमंदाल की शहजादी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि बादशाह सलामत, ईरान बहुत बड़ा देश है। पुराने जमाने में वहाँ बड़े शक्तिशाली और प्रतापी नरेश हुआ करते थे और उन्हें शहंशाह यानी बादशाहों का बादशाह कहा जाता था। उसी काल का वहाँ का एक बादशा

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गनीम और फितना

29 जनवरी 2022
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दुनियाजाद ने मलिका शहरजाद से नई कहानी सुनाने को कहा और बादशाह शहरजाद ने भी अपनी मौन स्वीकृति दे दी तो शहरजाद ने नई कहानी शुरू कर दी। उसने कहा कि पुराने जमाने में दमिश्क नगर में एक व्यापारी रहता था जिस

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शहजादा जैनुस्सनम और जिन्नों के बादशाह

29 जनवरी 2022
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पुराने जमाने में बसरा में एक बड़ा ऐश्वर्यवान और न्यायप्रिय बादशाह राज करता था। उसे सबकुछ प्राप्त था किंतु उसे बहुत दिनों तक कोई संतान नहीं हुई जिससे वह बहुत दुखी रहता था। नगर निवासी भी बादशाह के साथ म

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शहजादा खुदादाद और दरियाबार की शहजादी-

29 जनवरी 2022
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उपर्युक्त कहानी के मध्य में एक यात्रा में जैनुस्सनम के दरियाबार देश मे जाने का भी उल्लेख है। वहाँ की एक चित्ताकर्षक कथा उस ने सुनी थी। वह कथा भी इस जगह कही जाती है। हैरन नगर में एक बड़ा प्रतापी बादशा

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दरियाबार की शहजादी

29 जनवरी 2022
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उस सुंदरी ने कहा कि काहिरा के निकट दरियाबार नाम एक द्वीप है। उस का बादशाह सब प्रकार से सुखी था किंतु उसे संतान न होने का बड़ा दुख था। वर्षों की प्रार्थनाओं और सिद्धों के आशीर्वादों से उस के यहाँ एक पु

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सोते-जागते आदमी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में बगदाद में एक धनी व्यापारी था। उस का एक ही पुत्र था जिसका नाम अबुल हसन था। व्यापारी बड़ा कंजूस था। वह धन एकत्र ही करता था, खर्च बहुत कम करता था। इसलिए जब

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अलादीन और जादुई चिराग

29 जनवरी 2022
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चीन की राजधानी में मुस्तफा नाम का एक दरजी रहता था। वह गरीब आदमी था और बड़ी कठिनाई से अपने परिवारवालों का पेट भरता था। उस के पुत्र का नाम अलादीन था जो कुछ काम-काज नहीं करता था सिर्फ खेल-कूद में समय ब

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खलीफा हारूँ रशीद और बाबा अब्दुल्ला

29 जनवरी 2022
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दुनियाजाद के प्रस्ताव और शहरयार की अनुमति से नई कहानी प्रारंभ करते हुए शहरजाद ने कहा कि कभी-कभी आदमी का चित्त प्रसन्न होता है और उसकी कोई साफ वजह भी नहीं होती। ऐसी स्थिति भी होती है जब आदमी खुश तो होत

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अंधे बाबा अब्दुल्ला

29 जनवरी 2022
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बाबा अब्दुल्ला ने कहा कि मैं इसी बगदाद नगर में पैदा हुआ था। मेरे माँ बाप मर गए तो उनका धन उत्तराधिकार में मैंने पाया। वह धन इतना था कि उससे मैं जीवन भर आराम से रह सकता था किंतु मैंने भोग-विलास में सार

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सीदी नोमान

29 जनवरी 2022
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भिखारी की कहानी सुनने के बाद खलीफा ने बराबर घोड़ी दौड़ानेवाले पर ध्यान दिया और उससे पूछा कि तुम्हारा क्या नाम है। उसने अपना नाम सीदी नोमान बताया। खलीफा ने कहा, मैंने बहुत-से घुड़सवारों और साईसों को दे

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ख्वाजा हसन हव्वाल

29 जनवरी 2022
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ख्वाजा हसन ने कहा कि मैं अपनी बात बताने के पहले अपने दो मित्रों के बारे में बताना चाहता हूँ। वे अभी जीवित हैं और यहीं बगदाद में रहते हैं। वे मेरे प्रत्येक कथन की पुष्टि करेंगे। उनमें से एक का नाम सादी

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अलीबाबा और चालीस लुटेरों की कहानी

29 जनवरी 2022
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अगली रात को मलिका शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि फारस देश में कासिम और अलीबाबा नाम के दो भाई रहते थे। उन्हें पैतृक संपत्ति थोड़ी ही मिली थी। किंतु कासिम का विवाह एक धनी-मानी व्यक्ति की पुत्री

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बगदाद के व्यापारी अली ख्वाजा

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के राज्य काल में बगदाद में अलीख्वाजा नामक एक छोटा व्यापारी रहता था। वह अपने पुश्तैनी मकान में, जो छोटा-सा ही था, अकेला रहता था। उसने विवाह नहीं किया था और उसके माता पिता की भी मृत्यु

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यंत्र के घोड़े

29 जनवरी 2022
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बादशाह सलामत, आपको यह मालूम ही है कि हजारों वर्ष से फारस में नौरोज यानी वर्ष का प्रथम दिवस बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। उसमें सभी लोग विशेषतः अग्निपूजक, भाँति-भाँति के नृत्यों और खेल-तमाशों का आय

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शहजादा अहमद और परीबानू

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा, बादशाह सलामत, पुराने जमाने में हिंदोस्तान का एक बादशाह बड़ा प्रतापी और ऐश्वर्यवान था। उसके तीन बेटे थे। बड़े का नाम हुसैन, मँझले का अली और छोटे का अहमद था। बादशाह का एक भाई जब मरा तो उस

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ईर्ष्यालु बहनों की कहानी

29 जनवरी 2022
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पुराने जमाने में फारस में खुसरो शाह नामी शहजादा था। वह रातों को अक्सर भेस बदल कर सिर्फ एक सेवक को अपने साथ रख कर नगर की सैर किया करता था और संसार की विचित्र बातें देख कर अपना ज्ञान बढ़ाया करता था। ज

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बैल और गधा

29 जनवरी 2022
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एक बार एक सौदागर था जो बहुत अमीर था। उसके पास बहुत सारे नौकर चाकर और जानवर थे। उसकी एक पत्नी थी और परिवार था और वह अपने खाने पीने के लिये खेती करता था। उसके पास जंगली जानवरों और हर तरह की चिड़िया की बो

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भेड़िये और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक लोमड़ा और एक भेड़िया एक ही घर में रहते थे। भेड़िया बहुत ही बेरहम था जबकि लोमड़ा बहुत नरम दिल था। इसी तरह से रहते हुए उन्हें कुछ दिन हो गये कि एक दिन वह लोमड़ा भेड़िये से बोला — “अगर तुम इसी तरीके

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लोमड़े और कौए की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक लोमड़ा एक पहाड़ की एक गुफा में रहता था। जब भी उसको एक बच्चा पैदा होता और वह बड़ा हो जाता तो वह उसको खा जाता क्योंकि उसको भूख बहुत लगती थी। अगर वह अपने बच्चों को न खाता तो उसके वे बच्चे बड़े हो जाते और

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साही और कबूतर

29 जनवरी 2022
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एक बार एक साही एक खजूर के पेड़ के नीचे रहने के लिये आया। उसी पेड़ के ऊपर एक कबूतर अपनी पत्नी के साथ रहता था। साही ने सोचा कि यह कबूतर का जोड़ा तो इस पेड़ के फल खाता है पर मुझे इस पेड़ के फल खाने का कोई मौ

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बतख और कछुए की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक बतख बहुत ऊपर उड़ा और बहते हुए पानी में खड़ी एक चट्टान पर जा कर बैठ गया। जब वह वहाँ बैठा हुआ था तो पानी की एक लहर एक आदमी का ढाँचा उसके पास ला कर छोड़ गयी। बतख ने उसको ठीक से देखा तो उसको पता लग

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चुहिया और एक ततैये की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक चुहिया और एक मादा ततैया एक गरीब किसान के घर में एक साथ ही रहते थे। एक बार उस किसान का एक दोस्त बीमार पड़ गया तो डाक्टर ने उसको धुले तिल21 खाने की सलाह दी। सो उस किसान ने एक आदमी से अपने दोस्

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कौआ और बिल्ला

29 जनवरी 2022
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एक समय की बात है कि एक कौआ और एक बिल्ला दोनों आपस में बड़े गहरे दोस्त थे और साथ साथ रहते थे। एक दिन वे दोनों एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे कि उन्होंने एक चीते23 को अपनी तरफ आते हुए देखा। उनको उसके अपनी त

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चिड़ा और मोर

29 जनवरी 2022
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एक बार की बात है एक चिड़ा रोज सुबह सुबह चिड़ियों के राजा से मिलने जाता था और सारा दिन उसकी सेवा में खड़ा रहता था। वह सबसे पहले वहाँ पहुँचता था और सबसे बाद में वहाँ से वापस आता था। एक बार कुछ चिड़ियों ने

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मुर्गे और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक गाँव में एक शेख रहता था। उसकी अपने गाँव में बहुत अच्छी साख थी और वह एक बहुत ही समझदार आदमी था। उसके अपने पास बहुत सारे मुर्गे मुर्गियाँ थे। वह उनको बढ़ाने के लिये उनकी बहुत अच्छी देखभाल करता

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चिड़ियें, जानवर और बढ़ई

29 जनवरी 2022
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जानवरों की यह कहानी बहुत ही मजेदार है। हो सकता है कि तुम इसको बार बार पढ़ना पसन्द करो और हर किसी को खास करके अपने छोटे भाई बहिनों को बार बार सुनाना पसन्द करो। बहुत पुरानी बात है कि एक मोर अपनी पत्नी क

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