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नाई के पाँचवें भाई अलनसचर

29 जनवरी 2022

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नाई ने कहा कि मेरे पाँचवें भाई का नाम अलनसचर था। वह बड़ा आलसी और निकम्मा था। वह रोज किसी न किसी मित्र के पास जा कर बेशर्मी से कुछ भीख माँग लेता और खा-पी कर पड़ा रहता।

मेरा बाप कुछ समय बाद बूढ़ा हो कर मर गया। उसने तीन हजार एक सौ पचास रुपए छोड़े। इन रुपयों को हम सातों भाइयों ने बराबर-बराबर बाँट लिया। अलनसचर ने भी अपना भाग पाया और उससे कुछ व्यापार करने की सोची। उसने साढ़े चार सौ रुपए के शीशे के बरतन खरीदे और उन्हें टोकरी में रख कर बाजार में सड़क के किनारे बैठ गया। वहीं एक दरजी की दुकान थी। दो-एक दिन में दरजी से उसकी दोस्ती हो गई।

अलनसचर वाचाल और मूर्ख तो था ही, हवाई किले भी बनाता रहता था। एक दिन वह दरजी से कहने लगा, मैं इन साढ़े चार सौ के बरतनों को नौ सौ में बेचूँगा और फिर उससे और बरतन लूँगा जिन्हें अठारह सौ में बेचूँगा। इसी तरह व्यापार करते-करते मेरे पास तीस हजार रुपए हो जाएँगे। फिर मैं बहुमूल्य व्यापार सामग्री माणिक, मोती आदि खरीदूँगा और उनसे काफी मुनाफा कमाऊँगा। जब मेरे पास काफी रुपया हो जाएगा तो मैं एक विशाल भवन खरीद कर दास-दासियाँ भी मोल लूँगा और रईसों की तरह रहूँगा और मेरी प्रसिद्धि सारे नगर में हो जाएगी, मेरे यहाँ बड़े-बड़े गवैये और कलावंत आएँगे और मेरे यहाँ रात-दिन रास-रंग होंगे। मेरा व्यापार भी जारी रहेगा। जब बढ़ते-बढ़ते मेरा धन पाँच लाख तक पहुँच जाएगा तो मैं यहाँ के मंत्री के पास संदेश भेजूँगा कि अपनी बेटी का विवाह मुझ से कर दे। उसने स्वीकार किया तो ठीक वरना मैं उसकी बेटी को जबर्दस्ती उठा लाऊँगा।

फिर जब मंत्री की पुत्री से मेरा विवाह हो जाएगा तो मैं दस गुलाम खरीदूँगा और शहजादों जैसे बढ़िया कपड़े पहनूँगा और रत्नजटित जीन लगामवाले असील घोड़े पर चढ़ कर शान से मंत्री के घर जाऊँगा। जब मैं उसके महल में पहुँचूँगा तो सभी छोटे-बड़े लोग भय और आदरपूर्वक मुझे देखेंगे और मेरा पूर्ण सत्कार करते हुए मुझे अंदर ले जाएँगे। जब मैं ऊपर जाना चाहूँगा तो मेरे नौकर और गुलाम और नौकरों के जमादार अदब से जीने में दोनों और खड़े होंगे। वजीर अपना दामाद समझ कर मुझे अपने आसन पर बैठने की जगह देगा और स्वयं मेरे सामने बैठेगा। मैं अपने सेवकों से हजार-हजार अशर्फियों के दो तोड़े लाने को कहूँगा। मैं एक तोड़ा वजीर को दूँगा कि यह तुम्हारी बेटी का महर है और दूसरा अपनी इच्छा से तुम्हें देता हूँ। मेरी उदारता की चर्चा चारों ओर होने लगेगी। फिर मैं वैसे ही ठाठ-बाट से अपने घर आऊँगा।

जब मेरी पत्नी सुनेगी कि मैं उसके पिता से मिलने गया था और उसे भेंट दी थी तो वह मेरा एहसान मानेगी और एक उच्च कर्मचारी द्वारा कृतज्ञता का प्रकाशन करेगी। मैं उस कर्मचारी को बढ़िया इनाम दूँगा। कभी-कभी मैं अपनी पत्नी पर कृपा कर के उसका संग करने के लिए उसके महल में जाऊँगा और वहाँ भी ऐसी गंभीरता से जाऊँगा कि दाएँ-बाएँ किसी ओर निगाह न डालूँगा।

मेरी पत्नी, जिसका मुख पूर्णमासी के चंद्रमा की तरह होगा, बड़ी सज-धज के साथ सोलह श्रृंगार कर के मेरे सामने आएगी तो मैं गर्व के मारे उसकी ओर आँख भी नहीं उठाऊँगा, फिर उसकी प्रधान सेविकाएँ और सखी-सहेलियाँ मेरे सामने आ कर विनय करेंगी कि मालिक, आपकी पत्नी, जो आपकी दासी के समान है, आप की आज्ञा की प्रतीक्षा में है और आप के सामने खड़ी है। कृपा कर के उसे अपने आगे बैठ जाने को कहें। मैं फिर भी उन्हें कोई उत्तर नहीं दूँगा। उन्हें इस बात का बड़ा आश्चर्य होगा कि मैं उनकी ओर और अपनी पत्नी की ओर देखता क्यों नहीं हूँ। वे लोग बड़ी देर तक मेरे सामने खड़ी हो कर मुझ से अपनी पत्नी पर ध्यान देने के लिए अनुनय करती रहेंगी।

फिर मैं एक कृपापूर्ण दृष्टि अपनी पत्नी पर डालूँगा लेकिन फिर निगाह फेर लूँगा। मेरे इस रवैये से मेरी पत्नी की सेविकाएँ और साथिनें समझेंगी कि मैं वैसे किसी बात पर नाराज नहीं हूँ किंतु पत्नी का जो साज-श्रृंगार किया गया है वह मेरे मन का नहीं है इसलिए वे उसे दूसरे कक्ष में ले जाएँगी ताकि उसका नए सिरे से साज-श्रृंगार करें। इतने समय में मैं भी उठ कर नए कपड़े पहन लूँगा।

शयनकक्ष में जाने पर भी मैं अपनी पत्नी से पूर्ण उपेक्षा का बरताव करूँगा। मैं उसकी ओर एक दृष्टि भी नहीं डालूँगा और उससे एक बात भी नहीं करूँगा। मैं पलंग पर उसकी और पीठ कर के सो रहूँगा। मेरी पत्नी रात भर इस उपेक्षा से दुखी हो कर आँसू बहाती रहेगी और सवेरा होने पर अपनी माता यानी मंत्री की पत्नी से रो-रो कर कहेगी कि मेरे पति ने रात में मेरे साथ गर्व और उपेक्षा का बर्ताव किया। उसकी माँ उसे दिलासा देगी, फिर मेरे महल में आ कर सम्मानपूर्वक मेरा हाथ चूमेगी और कहेगी कि जमाई राजा, मेरी बेटी पर इतना अत्याचार न करो कि उसकी ओर देखना ही छोड़ दो। उसका अगर कोई कसूर है तो बताओ मैं उसे दंड दूँगी। वैसे यह तो कहने की जरूरत नहीं कि वह तुम्हारी दासी है और तब मन से तुम्हारी सेवा करना उसका कर्तव्य है। तुम उस पर एक बार तो कृपा दृष्टि करो।

उसके इस अनुनय-विनय का मुझ पर कोई असर नहीं होगा। फिर मेरी सास मेरे पास आ कर मेरा पाँव चूमेगी। मैं इस पर भी टस से मस नहीं हूँगा। फिर मेरी सास शराब का एक प्याला भर कर मेरी पत्नी को देगी कि अपने पति को पिला दो, शायद इससे वह तुम से प्रसन्न हो जाए। मेरी पत्नी मेरे सामने आ कर प्याला लिए बहुत देर तक भयभीत-सी खड़ी रहेगी। फिर वह कहेगी कि आपको उसी भगवान की सौगंध है जिसने आप को इतना ऊँचा बनाया है, कि इस दासी के हाथ से मद्यपात्र ले कर पियें। मैं उसकी इस बात को बदतमीजी समझूँगा और उसके मुँह पर एक तमाचा लगाऊँगा और उठ कर उसके इतने जोर से लात मारूँगा कि वह दालान से नीचे गिर पड़ेगी।

मेरा भाई अपनी कल्पना में इतना खो गया कि उसे अपनी स्थिति का भी ध्यान नहीं रहा। उसने उठ कर उसी टोकरे पर, जिसमें उसके शीशे के बरतन रखे हुए थे, जोर की लात जमाई। टोकरा सड़क पर जा गिरा और उसमें के सारे बरतन टूट-फूट कर बिखर गए। दरजी, जो उसकी बकवास को मजे ले कर सुन रहा था, हँसते-हँसते लोट-पोट हो गया। उसने मेरे भाई से कहा, मूर्ख, अभागे, तुझे मालूम है कि तेरी यह हानि क्यों हुई है। तूने इतनी सम्मानित और सुंदर स्त्री का जो अपमान किया यह उसी का फल है। अगर मैं तेरे श्वसुर यानी मंत्री की जगह होता तो ऐसी बदतमीजी पर तेरे सौ कोड़े लगवाता और गधे पर बिठा कर सारे शहर में घुमाता कि लोग तुझे दंडित अपराधी के रूप में जान जाएँ।

मेरे भाई को भी अपने माल की बरबादी देख कर बड़ा दुख हुआ और वह रोने-चिल्लाने लगा। बहुत-से लोग उस समय जुमे की नमाज के लिए मस्जिद की ओर आ रहे थे। उसका रोना-पीटना सुन कर वहाँ भीड़ इकट्ठी हो गई। लोग पूछने लगे कि क्या बात है। जब दरजी ने उन लोगों को पूरा हाल बताया तो वे सब भी हँसने लगे और मेरे भाई का मजाक उड़ाने लगे।

संयोग से उसी समय एक अमीर घराने की स्त्री परदेवाली सवारी पर बैठी कहीं जा रही थी और उस स्थान से गुजर रही थी। उसने सवारी रुकवा कर भीड़ के लोगों से पूछा कि क्या बात है, कौन रो रहा है और उस पर क्या विपत्ति पड़ी है। उन लोगों ने जल्दी में पूरी बात नहीं बताई बल्कि कह दिया कि एक गरीब बरतनवाला एक चबूतरे पर टोकरे में बरतन रखे था, संयोग से ठोकर लगी और सारे बरतन जमीन पर गिर कर चूर-चूर हो गए। उस स्त्री को दया आई। उसने अपने एक सेवक को अशर्फियों की एक थैली दे कर कहा कि उस बेचारे गरीब को दे आओ जिसका नुकसान हुआ है। सेवक ने वह थैली, जिसमें पाँच सौ अशर्फियाँ थीं, मेरे भाई अलनसचर को दी। उसने थैली पा कर बड़ी प्रसन्नता व्यक्त की और उस दानी स्त्री को बहुत-से आशीर्वाद दे कर थैली ले कर अपने घर चला आया।

कुछ ही देर में उसका दरवाजा किसी ने खटखटाया। उसने दरवाजा खोला तो देखा कि एक बुढ़िया खड़ी है। बुढ़िया ने कहा, बेटा, नमाज का समय हो गया है। मुझे एक लोटा पानी दो तो मैं वजू कर के नमाज पढ़ लूँ। मेरे भाई ने देखा कि वह काफी बूढ़ी है इसलिए नितांत अपरिचित होने पर भी उसने उसे ला कर पानी दिया। बुढ़िया नमाज पढ़ कर मेरे भाई के सामने आई और उसके सामने ऐसे झुकी जैसे नमाज में भगवान के समक्ष झुकते हैं और फिर उठ कर उसे बराबर आशीर्वाद देती रही। मेरे भाई ने उसके फटे कपड़े देख कर समझा कि यह भीख माँग रही है। उसने अशर्फियों की थैली निकाली और उसे दो अशर्फियाँ देने लगा। बुढ़िया ने वे अशर्फियाँ नहीं लीं। मेरे भाई अलनसचर ने बिगड़ कर पूछा कि क्या तू इतनी भीख से भी संतुष्ट नहीं है। बुढ़िया ने कहा कि तुमने गलत समझा कि मैं भिखारिन हूँ। मैं तो अति धनवान और सुंदर युवती की नौकरानी हूँ, वह मुझे बहुत कुछ देती है और मुझे भीख की जरूरत नहीं है।

मेरा भाई मूर्ख तो था ही, उस बुढ़िया के फरेब को न समझा और उससे कहने लगा कि हमें भी अपनी मालकिन को दिखाओ। इसके लिए वह उसे इनाम देने लगा। बुढ़िया हँस कर बोली, तुम यह इनाम रख लो और मेरे साथ चलो। तुम मेरी मालकिन को तो देखोगे ही, यह भी संभव है कि तुम्हारी सुंदरता देख कर वह तुमसे विवाह कर ले। ऐसा हुआ तो तुम वास्तव में भाग्यशाली हो जाओगे, असंख्य धन और अनिंद्य सुंदरी के स्वामी। मेरे भाई ने अंदर जा कर अच्छे वस्त्र पहने और अशर्फियों की थैली ले कर बुढ़िया के साथ चला। बुढ़िया उसे एक बड़े विशाल और सजे-सजाए मकान के सामने ले गई। उसके आवाज देने पर एक यूनानी दासी ने द्वार खोला। बुढ़िया ने उसे एक सुसज्जित स्थान पर बिठाया और अंदर गई। कुछ ही देर में एक अत्यंत रूपवती युवती आ कर उसके समीप बैठ गई और उससे घुल-मिल कर बातें करने लगी। उसने कहा, यह ऊपरी कपड़े उतार कर आराम से बैठो। अलनसचर ने ऐसा ही किया। कुछ ही देर में वह युवती घर के अंदर यह कह कर चली गई कि मैं अभी आती हूँ।

कुछ ही देर में एक बड़ा लंबा-चौड़ा हब्शी हाथ में नंगी तलवार ले कर आया और गरज कर मेरे भाई से बोला, तू यहाँ मेरे घर में क्या कर रहा है? मेरे भाई की भय के मारे घिग्घी बँध गई। हब्शी ने उसे तलवार के कई हाथ मारे जिससे वह गिर कर बेहोश हो गया। हब्शी ने उसकी कमर से अशर्फियों की थैली खोल ली और आवाज दी कि नमक लाओ। वही यूनानी दासी एक कटोरे में पिसा हुआ नमक ले आई। नमक वह यह देखने के लिए मँगाता था कि उसका शिकार अगर मरा न हो तो वह उसे फिर तलवार मार कर खत्म कर दे। दोनों ने उसके घावों पर नमक छिड़का। मेरा भाई उनका उद्देश्य समझ गया था इसलिए तकलीफ सह कर भी चुप हो कर पड़ा रहा।

हब्शी और दासी उसे पूर्ण मृत जान कर थैली ले कर चले गए। कुछ देर में बुढ़िया फिर आई और मेरे भाई को घसीटती हुई ले गई और एक कोने में बने हुए गढ़े में फेंक आई जहाँ और भी कई लाशें पड़ी हुईं थीं। मेरा भाई इस अरसे में तकलीफ की वजह से बेहोश हो गया था। गढ़े में फेंके जाने के कुछ देर बाद उसे होश आया। वास्तविकता यह थी कि तकलीफ देने के लिए डाला गया नमक ही उसके प्राण बचाने और शक्ति देने का कारण बना। थोड़ी देर के बाद वह उस गढ़े से निकल कर एक कोने में दब कर बैठा फिर छुपता-छुपाता मकान के दरवाजे पर पहुँचा। जो कुछ कहीं पड़ा मिलता खा-पी लेता। दो दिन बाद बुढ़िया फिर नए शिकार की तलाश में निकली तो यह मौका पा कर भाग निकला और मेरे पास आ गया और मुझसे अपनी सारी विपत्तियों का हाल कहा।

महीने भर में उसके सारे घाव भर गए और वह पूर्णतः स्वस्थ हो गया। अब उसने बदला लेने की योजना बनाई। उसने एक बड़ी-सी थैली बनाई और उसमें अशर्फियों के बराबर शीशे के टुकड़े भर दिए। फिर उसने बुढ़ियों जैसे कपड़े पहने और कपड़ों के अंदर तलवार छुपा कर हाथ में थैली ले कर निकल पड़ा।

संयोग से एक गली में वही धोखेबाज बुढ़िया मिल गई। उसने बूढ़ी स्त्रियों के जैसे स्वर में उससे कहा, बहन, मैं फारस देश की रहनेवाली हूँ और इस नगर में नई आई हूँ। मेरे पास पास सौ अशर्फियाँ हैं। मैं चाहती हूँ कि उन्हें परख और तौल कर देख लूँ कि पूरी और ठीक हैं या नहीं। तुम कहीं से मेरे लिए सिक्के तौलने का तराजू ला दो। उसने उत्तर दिया, बहन, तुम मेरे साथ चली आओ। मुझ से अधिक विश्वसनीय व्यक्ति इस नगर में कोई नहीं है। मेरा पुत्र सर्राफे का काम करता है। वह तुम्हारी अशर्फियाँ भली भाँति तौल और परख देगा। लेकिन जल्दी करो, ऐसा न हो कि वह घर से अपनी दुकान को चला जाए।

वह पापिन मेरे भाई को उसी घर में ले गई जिसमें पहले ले गई थी। यूनानी दासी ने पहले की भाँति द्वार खोला और मेरे भाई को अंदर ले जा कर एक अच्छी जगह बिठा दिया। बुढ़िया ने कहा, तुम यहीं बैठो, मैं अभी अपने बेटे को ले कर आती हूँ। कुछ ही देर में उसका तथाकथित पुत्र यानी वही हत्यारा हब्शी आया और कहने लगा कि भाई, मेरे साथ चलो। मेरा भाई अलनसचर बुढ़िया के वेश में उसके पीछे चल दिया। रास्ते में जब वह हब्शी लापरवाह हो गया तो मेरे भाई ने तलवार निकाल कर ऐसा हाथ मारा कि उसका सिर कट कर अलग जा पड़ा। अलनसचर ने उसका सिर और धड़ दोनों खींच कर उसी गढ़े में डाल दिए।

इतने में यूनानी दासी बरतन में पिसा नमक ले कर आई किंतु बुढ़ियों के वस्त्र पहने नंगी तलवार लिए पुरुष को देख बरतन फेंक कर भागने लगी। मेरे भाई ने झपट कर उसे पकड़ा और उसका सिर काट दिया।

दौड़-भाग और चीख-पुकार सुन कर वह बुढ़िया भी वहाँ आ गई। लेकिन वहाँ का हाल देख कर जान बचाकर भागने लगी। मेरे भाई ने दौड़ कर उसे पकड़ा और कहा, दुष्टा, कुकर्मिणी, तूने मुझे पहचाना या नहीं। बुढ़िया काँपती हुई बोली कि मैंने तुम्हें कभी नहीं देखा, पहचानूँगी कैसे। मेरा भाई बोला, तूने देखा कैसे नहीं है, मैं वही हँ जिससे तूने उस गली में नमाज के लिए पानी माँगा था और फिर यहाँ ला कर अपनी समझ में मरवा डाला है। बुढ़िया हाथ जोड़ कर और गिड़गिड़ा कर कहने लगी कि मेरा अपराध क्षमा कर दो। किंतु मेरे भाई ने उस पर दया न की और उसके भी चार टुकड़े कर दिए।

अब मेरे भाई ने उस सुंदर युवती की तलाश की जिससे उसने पहले प्रेमालाप किया था। वह एक अन्य कक्ष में मिली और मेरे भाई को देख कर काँपने लगी। मेरे भाई ने उसे निरपराध जान कर उससे कोई कटु वाक्य न कहा बल्कि सांत्वना दी और पूछा, सुंदरी, मैंने उन दोनों बदमाश स्त्रियों और हब्शी का अंत कर दिया है। अब तुम बताओ कि तुम कौन हो, कहाँ की रहनेवाली हो और इन अत्याचारियों के फंदे में कैसे फँस गई। उसने उत्तर दिया, मैं एक धनी व्यापारी की पत्नी थी। यह बुढ़िया कभी-कभी मेरे घर आती थी लेकिन मुझे यह नहीं मालूम था कि यह कौन है और क्या करती है। एक दिन इसने आ कर मुझ से कहा कि मेरे घर विवाह है, तुम उसमें शामिल होने के लिए चलो। इसके बहुत अनुनय-विनय करने पर मैं इसके साथ उत्तम-उत्तम वस्त्राभूषण पहन कर और सौ अशर्फियाँ ले कर यहाँ आ गई। यहाँ से इन लोगों ने मुझे अपने घर न जाने दिया और इसी हब्शी के साथ सहवास के लिए मजबूर किया। तीन वर्ष से मैं यहीं रहती हूँ। इस हब्शी से और इन लोगों के कुकृत्यों में विवशतापूर्वक शामिल होने से मैं बड़ी दुखी थी किंतु कुछ कर नहीं पाती थी।

मेरे भाई ने पूछा कि इन लोगों ने भोले-भाले लोगों को मार कर कितना धन जमा किया है। उसने कहा कि धन तो इतना है कि तुम सारी आयु आराम से रह सकते हो। यह कह कर वह उसे कई कमरों में ले गई जहाँ पर कई संदूक मुद्राओं आदि से भरे थे। मेरे भाई की यह देख कर आँखें फट गईं। उस स्त्री ने उससे कहा कि तुम बाहर जा कर कुछ मजदूर ले आओ तो हम लोग यह सब यहाँ से उठा कर ले चलें। मेरा भाई बाहर जा कर बाजार की तरफ दौड़ गया और कई मजदूर ले कर आ गया किंतु उसे देख कर आश्चर्य हुआ कि इतनी देर में वह स्त्री संदूकों के समेत गायब हो गई, केवल एक कोने में अनुमानतः पाँच सौ अशर्फियों के मूल्य का सामान पड़ा हुआ था। मेरे भाई ने सोचा कि चलो, जो कुछ हाथ आया वही बहुत है और मजदूरों से वही सामान उठवा कर अपने घर आ गया।

दुर्भाग्य से मजदूरों को लाने के बाद उसने उस घर का दरवाजा बंद नहीं किया था, न बाहर जाने पर घर को ताला लगाया। अतएव आसपास के लोग वहाँ आ गए और मजदूरों को सामान उठाए हुए जाते देख कर और घर को खाली पा कर काजी के यहाँ चले गए और उससे सारा मामला बता दिया। मेरा भाई अपने घर में एक रात निश्चिंत हो कर सो रहा था कि कई सिपाही आए और उसे पकड़ कर काजी के पास ले गए। काजी ने उससे पूछा कि यह सामान कहाँ मिला। उसने कहा कि मैं ये सारी बातें सच-सच आपको बताऊँगा किंतु आप यह आश्वासन दें कि मुझे दंड न दिया जाएगा। काजी ने कहा, सच बोलने पर मैं तुझे दंड न दूँगा।

अतएव मेरे भाई ने सारी घटनाएँ उसे आद्योपांत बता दीं। काजी ने अपने सेवकों को भेज कर मेरे भाई के घर से सारा सामान उठवा मँगाया और उसे अपने घर भिजवा दिया और उसमें से मेरे भाई को कुछ भी नहीं दिया। इसके बाद उसने मेरे भाई अलनसचर को दो-तीन वर्ष के लिए नगर से निष्कासित कर दिया ताकि वह खलीफा के पास जा कर उससे काजी की शिकायत न कर सके।

मेरा भाई बेचारा उन दो-चार अशर्फियों को ले कर, जो उसकी जेब में पड़ी थीं, शहर से बाहर निकला और एक ओर को चल दिया किंतु दुर्भाग्य ने यहाँ भी उसे धर दबाया। दो-तीन दिन बाद उसे डाकुओं ने घेर लिया। वे उसका सारा धन, यहाँ तक कि पहनने के कपड़े भी, लूट कर ले गए। मुझे मालूम हुआ तो मैं कुछ कपड़े और रुपए ले कर अपने भाई की खोज में निकला और कुछ दिनों बाद उसे खोज निकाला। उसे वस्त्र और रुपए दे कर मैं उसे छुपा कर नगर में ले आया और अपने घर में ला कर रखा। इसके बाद मैं बराबर उसका भरण-पोषण करता रहा था।
 

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रचनाएँ
अलिफ लैला
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अलिफ लैला की कहानी अरब देश की एक प्रचलित लोक कथा है जो पूरी दुनिया में सदियों से सुनी व पढ़ी जाती रही है। ... इस कथा के अनुसार, बादशाह शहरयार अपनी मलिका की बेवपफाई से दुःखी होकर उसका और उसकी सभी दासियों का कत्ल कर देता है और प्रतिज्ञा करता है कि रोजाना एक स्त्री के साथ विवाह करूंगा और अगली सुबह उसे कत्ल कर दूंगा।
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भूमिका

29 जनवरी 2022
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भूमिका (1)-अलिफ़ लैला सहस्र-रजनी चरित्र, जो अब भी भारत में अपने अरबी नाम 'अल्फ लैला' के प्रचलित बिगड़े हुए रूप 'अलिफ लैला' के नाम से अधिक जाना जाता है, वास्तव में लोक कथाओं का ऐसा संग्रह है जिसकी लोक

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शहरयार और शाहजमाँ

29 जनवरी 2022
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फारस देश भी हिंदुस्तान और चीन के समान था और कई नरेश उसके अधीन थे। वहाँ का राजा महाप्रतापी और बड़ा तेजस्वी था और न्यायप्रिय होने के कारण प्रजा को प्रिय था। उस बादशाह के दो बेटे थे जिनमें बड़े लड़के का

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किस्सा गधे, बैल और उनके मालिक

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एक बड़ा व्यापारी था जिसके गाँव में बहुत-से घर और कारखाने थे जिनमें तरह-तरह के पशु रहते थे। एक दिन वह अपने परिवार सहित कारखानों को देखने के लिए गाँव गया। उसने अपनी पशुशाला भी देखी जहाँ एक गधा और एक बैल

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किस्सा व्यापारी और दैत्य का-

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा : प्राचीन काल में एक अत्यंत धनी व्यापारी बहुत-सी वस्तुओं का कारोबार किया करता था। यद्यपि प्रत्येक स्थान पर उसकी कोठियाँ, गुमाश्ते और नौकर-चाकर रहते थे तथापि वह स्वयं भी व्यापार के लिए द

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किस्सा बूढ़े और उसकी हिरनी का

29 जनवरी 2022
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वृद्ध बोला, 'हे दैत्यराज, अब ध्यान देकर मेरा वृत्तांत सुनें। यह हिरनी मेरे चचा की बेटी और मेरी पत्नी है। जब यह बारह वर्ष की थी तो इसके साथ मेरा विवाह हुआ। यह अत्यंत पतिव्रता थी और मेरे प्रत्येक आदेश क

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किस्सा तीसरे बूढ़े का जिसके साथ एक खच्चर था

29 जनवरी 2022
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तीसरे बूढ़े ने कहना शुरू किया : 'हे दैत्य सम्राट, यह खच्चर मेरी पत्नी है। मैं व्यापारी था। एक बार मैं व्यापार के लिए परदेश गया। जब मैं एक वर्ष बाद घर लौटकर आया तो मैंने देखा कि मेरी पत्नी एक हब्शी गुल

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मछुवारे की कहानी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि हे स्वामी, एक वृद्ध और धार्मिक प्रवृत्ति का मुसलमान मछुवारा मेहनत करके अपने स्त्री-बच्चों का पेट पालता था। वह नियमित रूप से प्रतिदिन सवेरे ही उठकर नदी के किनारे जाता और चार बार नदी मे

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गरीक बादशाह और हकीम दूबाँ की कथा

29 जनवरी 2022
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फारस देश में एक रूमा नामक नगर था। उस नगर के बादशाह का नाम गरीक था। उस बादशाह को कुष्ठ रोग हो गया। इससे वह बड़े कष्ट में रहता था। राज्य के वैद्य-हकीमों ने भाँति-भाँति से उसका रोग दूर करने के उपाय किए क

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भद्र पुरुष और उसके तोते की कथा

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पूर्वकाल में किसी गाँव में एक बड़ा भला मानस रहता था। उसकी पत्नी अतीव सुंदरी थी और भला मानस उससे बहुत प्रेम करता था। अगर कभी घड़ी भर के लिए भी वह उसकी आँखों से ओझल होती थी तो वह बेचैन हो जाता था। एक बा

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अमात्य की कहानी

29 जनवरी 2022
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प्राचीन समय में एक राजा था उसके राजकुमार को मृगया का बड़ा शौक था। राजा उसे बहुत चाहता था, राजकुमार की किसी इच्छा को अस्वीकार नहीं करता था। एक दिन राजकुमार ने शिकार पर जाना चाहा। राजा ने अपने एक अमात्य

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काले द्वीपों के बादशाह की कहानी

29 जनवरी 2022
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उस जवान ने अपना वृत्तांत कहना आरंभ किया। उसने कहा 'मेरे पिता का नाम महमूद शाह था। वह काले द्वीपों का अधिपति था, वे काले द्वीप चार विख्यात पर्वत हैं। उसकी राजधानी उसी स्थान पर थी जहाँ वह रंगीन मछलियों

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किस्सा तीन राजकुमारों और पाँच सुंदरियों का

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शहरजाद की कहानी रात रहे समाप्त हो गई तो दुनियाजाद ने कहा - बहन, यह कहानी तो बहुत अच्छी थी, कोई और भी कहानी तुम्हें आती है? शहरजाद ने कहा कि आती तो है किंतु बादशाह की अनुमति हो तो कहूँ। बादशाह ने अनुमत

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मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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मजदूर बोला, 'हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया।

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मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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मजदूर बोला, 'हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया।

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पहले फकीर की कहानी

29 जनवरी 2022
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पहले फकीर ने अदब से घुटनों के बल खड़े होकर कहा 'सुंदरी, अब ध्यान लगाकर सुनो कि मेरी आँख किस प्रकार गई और मैं क्यों फकीर बना। मैं एक बड़े बादशाह का बेटा था। बादशाह का भाई यानी मेरा चचा भी एक समीपवर्ती

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दूसरे फकीर की कहानी

29 जनवरी 2022
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अभी पहले फकीर की अद्भुत आप बीती सुनकर पैदा होने वाले आश्चर्य से लोग उबरे नहीं थे कि जुबैदा ने दूसरे फकीर से कहा कि तुम बताओ कि तुम कौन हो और कहाँ से आए हो। उसने कहा कि आपकी आज्ञानुसार मैं आप को बताऊँग

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भले आदमी और ईर्ष्यालु पुरुष

29 जनवरी 2022
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किसी नगर में दो आदमियों का घर एक दूसरे से लगा हुआ था। उनमें से एक पड़ोसी दूसरे के प्रति ईर्ष्या और द्वेष रखता था। भले मानस ने सोचा कि मकान छोड़कर कहीं जा बसूँ क्योंकि मैं इस आदमी के प्रति उपकार करता ह

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किस्सा तीसरे फकीर का

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हे दयालु सुंदरी, मेरी कहानी बहुत ही आश्चर्यकारी है। इन दोनों शहजादों की दाहिनी आँखें परिस्थितिवश गईं किंतु मेरी आँख मेरी ही मूर्खता और मेरे ही अपराध के कारण फूटी। मैं इसका विस्तृत वर्णन करता हूँ। मेरा

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किस्सा जुबैदा का

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जुबैदा ने खलीफा के सामने सर झुका कर निवेदन किया है राजाधिराज, मेरी कहानी बड़ी ही विचित्र है, आपने इस प्रकार की कोई कहानी नहीं सुनी होगी। मैं और वे दोनों काली कुतियाँ तीनों सगी बहिनें हैं और यह दो स्त्

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किस्सा अमीना का

29 जनवरी 2022
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अमीना ने कहा, 'जुबैदा की कहानी आप उसके मुँह से सुन चुके, अब मैं अपनी कहानी आपके सम्मुख प्रस्तुत करती हूँ। मेरी माँ मुझे लेकर अपने घर में आई कि रँड़ापे का अकेलापन उसे न खले। फिर उसने मेरा विवाह इसी नगर

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सिंदबाज जहाजी की कहानी

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जब शहरजाद ने यह कहानी पूरी की तो शहरयार ने, जिसे सारी कहानियाँ बड़ी रोचक लगी थीं, पूछा कि तुम्हें कोई और कहानी भी आती हैं। शहरजाद ने कहा कि बहुत कहानियाँ आती हैं। यह कह कर उसने सिंदबाद जहाजी की कहानी

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सिंदबाद जहाजी की पहली यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा कि मैंने अच्छी-खासी पैतृक संपत्ति पाई थी किंतु मैंने नौजवानी की मूर्खताओं के वश में पड़कर उसे भोग-विलास में उड़ा डाला। मेरे पिता जब जीवित थे तो कहते थे कि निर्धनता की अपेक्षा मृत्यु श्र

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सिंदबाद जहाजी की दूसरी यात्रा

29 जनवरी 2022
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मित्रो, पहली यात्रा में मुझ पर जो विपत्तियाँ पड़ी थीं उनके कारण मैंने निश्चय कर लिया था कि अब व्यापार यात्रा न करूँगा और अपने नगर में सुख से रहूँगा। किंतु निष्क्रियता मुझे खलने लगी, यहाँ तक कि मैं बेच

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सिंदबाद जहाजी की तीसरी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा कि घर आकर मैं सुखपूर्वक रहने लगा। कुछ ही दिनों में जैसे पिछली दो यात्राओं के कष्ट और संकट भूल गया और तीसरी यात्रा की तैयारी शुरू कर दी। मैंने बगदाद से व्यापार की वस्तुएँ लीं और कुछ व्या

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सिंदबाद जहाजी की चौथी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा, कुछ दिन आराम से रहने के बाद मैं पिछले कष्ट और दुख भूल गया था और फिर यह सूझी कि और धन कमाया जाए तथा संसार की विचित्रताएँ और देखी जाएँ। मैंने चौथी यात्रा की तैयारी की और अपने देश की वे व

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सिंदबाद जहाजी की पाँचवी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा कि मेरी विचित्र दशा थी। चाहे जितनी मुसीबत पड़े मैं कुछ दिनों के आनंद के बाद उसे भूल जाता था और नई यात्रा के लिए मेरे तलवे खुजाने लगते थे। इस बार भी यही हुआ। इस बार मैंने अपनी इच्छानुसार

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सिंदबाद जहाजी की छठी यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने हिंदबाद और अन्य लोगों से कहा कि आप लोग स्वयं ही सोच सकते हैं कि मुझ पर कैसी मुसीबतें पड़ीं और साथ ही मुझे कितना धन प्राप्त हुआ। मुझे स्वयं इस पर आश्चर्य होता था। एक वर्ष बाद मुझ पर फिर यात्

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सिंदबाद जहाजी की सातवीं यात्रा

29 जनवरी 2022
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सिंदबाद ने कहा, दोस्तो, मैंने दृढ़ निश्चय किया था कि अब कभी जल यात्रा न करूँगा। मेरी अवस्था भी इतनी हो गई थी कि मैं कहीं आराम के साथ बैठ कर दिन गुजारता। इसीलिए मैं अपने घर में आनंदपूर्वक रहने लगा। एक

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एक स्त्री और तीन नौकरों का वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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शहरयार को सिंदबाद की यात्राओं की कहानी सुन कर बड़ा आनंद हुआ। उसने शहरजाद से और कहानी सुनाने को कहा। शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद का नियम था कि वह समय-समय पर वेश बदल कर बगदाद की सड़कों पर प्रजा का

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जवान और मृत स्त्री

29 जनवरी 2022
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उस जवान ने कहा कि 'मृत स्त्री मेरी पत्नी और इन वृद्ध सज्जन की बेटी थी और यह मेरे चचा हैं। ग्यारह वर्ष पूर्व उससे मेरा विवाह हुआ था। हमारे तीन बेटे हैं जो जीवित हैं। मेरी पत्नी अत्यंत सुशील और पतिव्रता

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नूरुद्दीन अली और बदरुद्दीन हसन

29 जनवरी 2022
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मंत्री जाफर ने कहा कि पहले जमाने में मिस्र देश में एक बड़ा प्रतापी और न्यायप्रिय बादशाह था। वह इतना शक्तिशाली था कि आस-पड़ोस के राजा उससे डरते थे। उसका मंत्री बड़ा शासन- कुशल, न्यायप्रिय और काव्य आदि

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काशगर के दरजी और बादशाह के कुबड़े सेवक

29 जनवरी 2022
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दूसरी रात को मलिका शहरजाद ने पिछले पहर अपनी बहन दुनियाजाद के कहने से यह कहानी सुनाना आरंभ किया। पुराने जमाने में तातार देश के समीपवर्ती नगर काशगर में एक दरजी था जो अपनी दुकान में बैठ कर कपड़े सीता था।

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ईसाई द्वारा सुनाई गई

29 जनवरी 2022
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ईसाई ने कहा, मैं मिस्र की राजधानी काहिरा का निवासी हूँ। मेरा बाप दलाल था। उस के पास काफी पैसा हो गया। उस ने मरने के बाद मैं ने भी वही व्यापार आरंभ किया। एक दिन मैं अनाज की मंडी में अपने दैनिक व्यापार

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अनाज के व्यापारी

29 जनवरी 2022
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अनाज का व्यापारी बोला कि कल मैं एक धनी व्यक्ति की पुत्री के विवाह में गया था। नगर के बहुत-से प्रतिष्ठित व्यक्ति उसमें शामिल थे। शादी की रस्में पूरी होने पर दावत हुई और नाना प्रकार के व्यंजन परोसे गए।

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उस आदमी की कहानी जिसके चारों अँगूठे कटे थे

29 जनवरी 2022
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उस ने कहा कि दोस्तो, मेरा पिता बगदाद का रहनेवाला था और खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में था। मैं भी उसी समय पैदा हुआ। मेरा पिता यद्यपि धनवान तथा बड़े व्यापारियों में गिना जाता था तथापि वह बहुत ही विलासी औ

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यहूदी हकीम द्वारा वर्णित

29 जनवरी 2022
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यहूदी हकीम ने बादशाह के सामने झुक कर जमीन चूमी और कहा कि पहले मैं दमिश्क नगर में हकीमी किया करता था। अपनी चिकित्सा विधि के कारण वहाँ मेरी बड़ी प्रतिष्ठा हो गई थी। एक दिन वहाँ के हाकिम ने मुझ से कहा कि

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काशगर के बादशाह के सामने दरजी की कथा

29 जनवरी 2022
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दरजी ने कहा कि इस नगर के व्यापारी ने एक बार अपने मित्रों को भोज दिया और उनके लिए भाँति-भाँति के व्यंजन बनवाए। मुझे भी बुलाया गया। मैं जब वहाँ पहुँचा तो देखा कि बहुत-से निमंत्रित लोग मौजूद हैं किंतु मक

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लँगड़े आदमी की कहानी

29 जनवरी 2022
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मेरा पिता बगदाद के सम्मानित व्यक्तियों में से था और हम लोग आनंदपूर्वक वहाँ रह रहे थे। मैं अपने पिता का अकेला बेटा था। जिस समय मेरे पिता की मृत्यु हुई उस समय तक मैं न केवल विद्याध्ययन पूरा कर चुका था ब

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दरजी की जबानी नाई की कहानी

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खलीफा हारूँ रशीद के काल में बगदाद के आसपास दस कुख्यात डाकू थे जो राहगीरों को लूटते ओर मार डालते थे। खलीफा ने प्रजा के कष्ट का विचार कर के कोतवाल से कहा कि उन डाकुओं को पकड़ कर लाओ वरना मैं तुम्हें प्र

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नाई के कुबड़े भाई

29 जनवरी 2022
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सरकार, मेरा सबसे बड़ा भाई जिसका नाम बकबक था, कुबड़ा था। उसने दरजीगीरी सीखी और जब यह काम सीख लिया तो उसने अपना कारबार चलाने के लिए एक दुकान किराए पर ली। उस की दुकान के सामने ही एक आटा चक्कीवाले की दुका

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नाई के दूसरे भाई बकबारह की कहानी

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दूसरे रोज खलीफा के सामने पहुँच कर मैं ने कहा कि मेरा दूसरा भाई बकबारह पोपला है। एक दिन उससे एक बुढ़िया ने कहा, मैं तुम्हारे लाभ की एक बात कहती हूँ। एक बड़े घर की स्वामिनी तुम से आकृष्ट है। मैं तुम्हें

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नाई के तीसरे भाई अंधे बूबक की कहानी

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नाई ने कहा, सरकार, मेरा तीसरा भाई बूबक था जो बिल्कुल अंधा था। वह बड़ा अभागा था। वह भिक्षा से जीवन निर्वाह करता था। उसका नियम था कि अकेला ही लाठी टेकता हुआ भीख माँगने जाता और किसी दानी का द्वार खटखटा क

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नाई के चौथे भाई काने अलकूज

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि मेरा चौथा भाई काना था और उसका नाम अलकूज था। अब यह भी सुन लीजिए कि उसकी एक आँख किस प्रकार गई। मेरा भाई कसाई का काम करता था। उसे भेड़-बकरियों की अच्छी पहचान थी। वह मेढ़ों को लड़ाने के लिए

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नाई के पाँचवें भाई अलनसचर

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नाई ने कहा कि मेरे पाँचवें भाई का नाम अलनसचर था। वह बड़ा आलसी और निकम्मा था। वह रोज किसी न किसी मित्र के पास जा कर बेशर्मी से कुछ भीख माँग लेता और खा-पी कर पड़ा रहता। मेरा बाप कुछ समय बाद बूढ़ा हो कर

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नाई के छठे भाई कबक जिसके होंठ खरगोश की तरह के थे

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नाई ने कहा कि अब मेरे आखिरी भाई शाह कबक का वृत्तांत रह गया है। इसे भी सुन लीजिए, फिर मैं आप से विदा लूँ। इस भाई का नाम शाह कबक था और उसके होंठ खरगोश की तरह ऊपर को चढ़े हुए थे और वह चलता भी खरगोश की तर

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शहजादा अबुल हसन और हारूँ रशीद की प्रेयसी शमसुन्निहार

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खलीफा हारूँ रशीद के शासनकाल में बगदाद में एक अत्यंत धनाढ्य और सुसंस्कृत व्यापारी रहता था। वह शारीरिक रूप से तो सुंदर था ही, मानसिक रूप से और भी सुंदर था। वहाँ के अमीर-उमरा उसका बड़ा मान करते। यहाँ तक

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कमरुज्जमाँ और बदौरा

29 जनवरी 2022
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फारस देश में बीस दिन की राह पर एक देश खलदान है। उस देश में कई टापू भी शामिल हैं। बहुत दिन पहले वहाँ का बादशाह शाहजमाँ था। उसके चार पत्नियाँ थीं और सात विशेष दासियाँ। वह बड़ा प्रतापी राजा था, उसके दे

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नूरुद्दीन और पारस देश की दासी

29 जनवरी 2022
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अगली सुबह से पहले शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि पहले जमाने में बसरा बगदाद के अधीन था। बगदाद में खलीफा हारूँ रशीद का राज था और उसने अपने चचेरे भाई जुबैनी को बसरा का हाकिम बनाया था। जुबैनी के

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ईरानी बादशाह बद्र और शमंदाल की शहजादी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि बादशाह सलामत, ईरान बहुत बड़ा देश है। पुराने जमाने में वहाँ बड़े शक्तिशाली और प्रतापी नरेश हुआ करते थे और उन्हें शहंशाह यानी बादशाहों का बादशाह कहा जाता था। उसी काल का वहाँ का एक बादशा

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गनीम और फितना

29 जनवरी 2022
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दुनियाजाद ने मलिका शहरजाद से नई कहानी सुनाने को कहा और बादशाह शहरजाद ने भी अपनी मौन स्वीकृति दे दी तो शहरजाद ने नई कहानी शुरू कर दी। उसने कहा कि पुराने जमाने में दमिश्क नगर में एक व्यापारी रहता था जिस

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शहजादा जैनुस्सनम और जिन्नों के बादशाह

29 जनवरी 2022
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पुराने जमाने में बसरा में एक बड़ा ऐश्वर्यवान और न्यायप्रिय बादशाह राज करता था। उसे सबकुछ प्राप्त था किंतु उसे बहुत दिनों तक कोई संतान नहीं हुई जिससे वह बहुत दुखी रहता था। नगर निवासी भी बादशाह के साथ म

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शहजादा खुदादाद और दरियाबार की शहजादी-

29 जनवरी 2022
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उपर्युक्त कहानी के मध्य में एक यात्रा में जैनुस्सनम के दरियाबार देश मे जाने का भी उल्लेख है। वहाँ की एक चित्ताकर्षक कथा उस ने सुनी थी। वह कथा भी इस जगह कही जाती है। हैरन नगर में एक बड़ा प्रतापी बादशा

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दरियाबार की शहजादी

29 जनवरी 2022
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उस सुंदरी ने कहा कि काहिरा के निकट दरियाबार नाम एक द्वीप है। उस का बादशाह सब प्रकार से सुखी था किंतु उसे संतान न होने का बड़ा दुख था। वर्षों की प्रार्थनाओं और सिद्धों के आशीर्वादों से उस के यहाँ एक पु

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सोते-जागते आदमी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में बगदाद में एक धनी व्यापारी था। उस का एक ही पुत्र था जिसका नाम अबुल हसन था। व्यापारी बड़ा कंजूस था। वह धन एकत्र ही करता था, खर्च बहुत कम करता था। इसलिए जब

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अलादीन और जादुई चिराग

29 जनवरी 2022
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चीन की राजधानी में मुस्तफा नाम का एक दरजी रहता था। वह गरीब आदमी था और बड़ी कठिनाई से अपने परिवारवालों का पेट भरता था। उस के पुत्र का नाम अलादीन था जो कुछ काम-काज नहीं करता था सिर्फ खेल-कूद में समय ब

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खलीफा हारूँ रशीद और बाबा अब्दुल्ला

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दुनियाजाद के प्रस्ताव और शहरयार की अनुमति से नई कहानी प्रारंभ करते हुए शहरजाद ने कहा कि कभी-कभी आदमी का चित्त प्रसन्न होता है और उसकी कोई साफ वजह भी नहीं होती। ऐसी स्थिति भी होती है जब आदमी खुश तो होत

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अंधे बाबा अब्दुल्ला

29 जनवरी 2022
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बाबा अब्दुल्ला ने कहा कि मैं इसी बगदाद नगर में पैदा हुआ था। मेरे माँ बाप मर गए तो उनका धन उत्तराधिकार में मैंने पाया। वह धन इतना था कि उससे मैं जीवन भर आराम से रह सकता था किंतु मैंने भोग-विलास में सार

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सीदी नोमान

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भिखारी की कहानी सुनने के बाद खलीफा ने बराबर घोड़ी दौड़ानेवाले पर ध्यान दिया और उससे पूछा कि तुम्हारा क्या नाम है। उसने अपना नाम सीदी नोमान बताया। खलीफा ने कहा, मैंने बहुत-से घुड़सवारों और साईसों को दे

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ख्वाजा हसन हव्वाल

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ख्वाजा हसन ने कहा कि मैं अपनी बात बताने के पहले अपने दो मित्रों के बारे में बताना चाहता हूँ। वे अभी जीवित हैं और यहीं बगदाद में रहते हैं। वे मेरे प्रत्येक कथन की पुष्टि करेंगे। उनमें से एक का नाम सादी

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अलीबाबा और चालीस लुटेरों की कहानी

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अगली रात को मलिका शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि फारस देश में कासिम और अलीबाबा नाम के दो भाई रहते थे। उन्हें पैतृक संपत्ति थोड़ी ही मिली थी। किंतु कासिम का विवाह एक धनी-मानी व्यक्ति की पुत्री

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बगदाद के व्यापारी अली ख्वाजा

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के राज्य काल में बगदाद में अलीख्वाजा नामक एक छोटा व्यापारी रहता था। वह अपने पुश्तैनी मकान में, जो छोटा-सा ही था, अकेला रहता था। उसने विवाह नहीं किया था और उसके माता पिता की भी मृत्यु

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यंत्र के घोड़े

29 जनवरी 2022
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बादशाह सलामत, आपको यह मालूम ही है कि हजारों वर्ष से फारस में नौरोज यानी वर्ष का प्रथम दिवस बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। उसमें सभी लोग विशेषतः अग्निपूजक, भाँति-भाँति के नृत्यों और खेल-तमाशों का आय

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शहजादा अहमद और परीबानू

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शहरजाद ने कहा, बादशाह सलामत, पुराने जमाने में हिंदोस्तान का एक बादशाह बड़ा प्रतापी और ऐश्वर्यवान था। उसके तीन बेटे थे। बड़े का नाम हुसैन, मँझले का अली और छोटे का अहमद था। बादशाह का एक भाई जब मरा तो उस

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ईर्ष्यालु बहनों की कहानी

29 जनवरी 2022
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पुराने जमाने में फारस में खुसरो शाह नामी शहजादा था। वह रातों को अक्सर भेस बदल कर सिर्फ एक सेवक को अपने साथ रख कर नगर की सैर किया करता था और संसार की विचित्र बातें देख कर अपना ज्ञान बढ़ाया करता था। ज

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बैल और गधा

29 जनवरी 2022
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एक बार एक सौदागर था जो बहुत अमीर था। उसके पास बहुत सारे नौकर चाकर और जानवर थे। उसकी एक पत्नी थी और परिवार था और वह अपने खाने पीने के लिये खेती करता था। उसके पास जंगली जानवरों और हर तरह की चिड़िया की बो

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भेड़िये और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक लोमड़ा और एक भेड़िया एक ही घर में रहते थे। भेड़िया बहुत ही बेरहम था जबकि लोमड़ा बहुत नरम दिल था। इसी तरह से रहते हुए उन्हें कुछ दिन हो गये कि एक दिन वह लोमड़ा भेड़िये से बोला — “अगर तुम इसी तरीके

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लोमड़े और कौए की कहानी

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एक लोमड़ा एक पहाड़ की एक गुफा में रहता था। जब भी उसको एक बच्चा पैदा होता और वह बड़ा हो जाता तो वह उसको खा जाता क्योंकि उसको भूख बहुत लगती थी। अगर वह अपने बच्चों को न खाता तो उसके वे बच्चे बड़े हो जाते और

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साही और कबूतर

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एक बार एक साही एक खजूर के पेड़ के नीचे रहने के लिये आया। उसी पेड़ के ऊपर एक कबूतर अपनी पत्नी के साथ रहता था। साही ने सोचा कि यह कबूतर का जोड़ा तो इस पेड़ के फल खाता है पर मुझे इस पेड़ के फल खाने का कोई मौ

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बतख और कछुए की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक बतख बहुत ऊपर उड़ा और बहते हुए पानी में खड़ी एक चट्टान पर जा कर बैठ गया। जब वह वहाँ बैठा हुआ था तो पानी की एक लहर एक आदमी का ढाँचा उसके पास ला कर छोड़ गयी। बतख ने उसको ठीक से देखा तो उसको पता लग

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चुहिया और एक ततैये की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक चुहिया और एक मादा ततैया एक गरीब किसान के घर में एक साथ ही रहते थे। एक बार उस किसान का एक दोस्त बीमार पड़ गया तो डाक्टर ने उसको धुले तिल21 खाने की सलाह दी। सो उस किसान ने एक आदमी से अपने दोस्

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कौआ और बिल्ला

29 जनवरी 2022
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एक समय की बात है कि एक कौआ और एक बिल्ला दोनों आपस में बड़े गहरे दोस्त थे और साथ साथ रहते थे। एक दिन वे दोनों एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे कि उन्होंने एक चीते23 को अपनी तरफ आते हुए देखा। उनको उसके अपनी त

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चिड़ा और मोर

29 जनवरी 2022
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एक बार की बात है एक चिड़ा रोज सुबह सुबह चिड़ियों के राजा से मिलने जाता था और सारा दिन उसकी सेवा में खड़ा रहता था। वह सबसे पहले वहाँ पहुँचता था और सबसे बाद में वहाँ से वापस आता था। एक बार कुछ चिड़ियों ने

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मुर्गे और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक गाँव में एक शेख रहता था। उसकी अपने गाँव में बहुत अच्छी साख थी और वह एक बहुत ही समझदार आदमी था। उसके अपने पास बहुत सारे मुर्गे मुर्गियाँ थे। वह उनको बढ़ाने के लिये उनकी बहुत अच्छी देखभाल करता

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चिड़ियें, जानवर और बढ़ई

29 जनवरी 2022
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जानवरों की यह कहानी बहुत ही मजेदार है। हो सकता है कि तुम इसको बार बार पढ़ना पसन्द करो और हर किसी को खास करके अपने छोटे भाई बहिनों को बार बार सुनाना पसन्द करो। बहुत पुरानी बात है कि एक मोर अपनी पत्नी क

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