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सिंदबाद जहाजी की तीसरी यात्रा

29 जनवरी 2022

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सिंदबाद ने कहा कि घर आकर मैं सुखपूर्वक रहने लगा। कुछ ही दिनों में जैसे पिछली दो यात्राओं के कष्ट और संकट भूल गया और तीसरी यात्रा की तैयारी शुरू कर दी। मैंने बगदाद से व्यापार की वस्तुएँ लीं और कुछ व्यापारियों के साथ बसरा के बंदरगाह पर जाकर एक जहाज पर सवार हुआ। हमारा जहाज कई द्वीपों में गया जहाँ व्यापार करके हम लोगों ने अच्छा लाभ कमाया।

किंतु एक दिन हमारा जहाज तूफान में फँस गया। इसके कारण हम लोग सीधे मार्ग से भटक गए। अंत में एक द्वीप के पास जाकर जहाज ने लंगर डाल दिया और पाल खोल डाले। कप्तान ने ध्यान देकर द्वीप को देखा फिर उसकी आँखों में आँसू बहने लगे। हमने इसका कारण पूछा तो उसने कहा, 'अब हम लोगों का भगवान ही रक्षक है। क्योंकि इस द्वीप के समीप ही जंगली लोगों के द्वीप हैं। उनके शरीर पर लाल-लाल बाल होते हैं। इन वन-वासियों से भटके हुए जहाजियों पर बड़े-बड़े संकट आए हैं। वे हम लोगों से आकार में छोटे है किंतु हम उनके आगे विवश हैं। यदि उनमें से एक भी हमारे हाथ से मारा जाए तो वे हमें चीटियों की तरह चारों ओर से घेर लेंगे और हमारा सफाया कर देंगे।'

हम सब लोग इस बात को सुनकर बहुत घबराए किंतु कर ही क्या सकते थे। कुछ देर में जैसा कप्तान ने कहा था वैसा ही हुआ। जंगली लोगों का एक बड़ा समूह, जिनके शरीर छोटे-छोटे थे और लाल रंग के बालों से भरे हुए थे, तट पर आए और तैर कर जहाज के चारों ओर आ गए। वे अपनी भाषा में कुछ कहने लगे किंतु वह हमारी समझ में नहीं आया। वे बंदरों की तरह आसानी से जहाज पर चढ़ आए। उन्होंने पालों को लपेट दिया और लंगर की रस्सी काटकर जहाज को किनारे पर खींच लाए। उन्होंने हमें जहाज से उतार लिया और घसीटते हुए अपने द्वीप में ले गए। उस द्वीप के निकट कोई जहाज उनके डर से नहीं आता था किंतु हमारी तो मौत ही हमें घसीट लाई थी।

उन्होंने हमें एक घर के अंदर बंद कर दिया। हमने देखा कि आँगन में मनुष्यों की हड्डियों का एक ढेर जमा है और बहुत-सी मोटी लोहे की छड़ें रखी हैं। हम यह देख कर भय के कारण अचेत हो गए। बहुत देर के बाद हमें होश आया तो हम अपनी दशा को विचारकर रोने लगे। अचानक एक दरवाजा खुला और अंदर से एक अत्यंत विशालकाय आदमी हमारे आँगन में आया। उसका शरीर ताड़ की तरह था और मुँह घोड़े की तरह। उसके केवल एक ही आँख थी जो माथे के बीच में थी और अंगारे की तरह दहक रही थी। उसके दाँत बहुत बड़े और नुकीले थे और उसके मुख से बाहर निकले हुए थे। उसका निचला होंठ इतना बड़ा था कि उसकी छाती तक लटकता था। उसके कान हाथी जैसे थे और उसके कंधों को ढँके हुए थे और उसके नाखून बड़े कड़े और घुमावदार थे, जैसे शिकारी जानवरों के होते हैं। हम सब उस राक्षस को देख कर एक बार फिर गश खा गए।

जब हम होश में आए तो देखा कि राक्षस हम लोगों के पास ही खड़ा है और हमें देख रहा है। फिर वह हमारे और निकट आया और हममें से एक-एक को उठाकर हाथ में घुमा-फिरा कर देखने लगा। जैसे कसाई लोग बकरियों और भेड़ों को उनकी मोटाई का अंदाज लगाने के लिए देखते हैं। सबसे पहले उसने मुझे पकड़ा लेकिन दुबला-पतला देख कर रख दिया। फिर उसने हर एक को इसी तरह देखा और अंत में कप्तान को सब से मोटा-ताजा पाकर उसे एक हाथ से पकड़ा और दूसरे हाथ से एक छड़ उसके शरीर में आर-पार कर दी और फिर आग जला कर कप्तान को भून कर खा गया। फिर अंदर जा कर सो गया। उसके खर्राटे बादल की गरज की तरह आते रहे और रात भर हमें भयभीत करते रहे। दिन निकलने पर वह जागा और घर से बाहर चला गया।

हम सब अपनी दशा पर रोने लगे। हमारी समझ ही में नहीं आ रहा था कि उस भयंकर राक्षस से किस प्रकार प्राण बच सकते हैं। हम सबने अपने को ईश्वर की इच्छा पर छोड़ दिया। घर से बाहर निकल कर हमने फल-फूल खाकर भूख बुझाई। हमने चाहा कि रात को उस घर में न जाएँ किंतु और कोई स्थान था ही नहीं जहाँ रात बिताते, फिर राक्षस तो हमें ढूँढ़ निकालता ही। अतएव हम उसी मकान में आ गए। कुछ रात बीतने पर वह राक्षस फिर आया। उसने फिर हम लोगों को पहले की तरह उठा-उठा कर देखा और हमारे एक साथी को अन्य लोगों की अपेक्षा अधिक मोटा-ताजा पाकर उसके शरीर में छड़ घुसेड़कर भूनकर खा गया।

सवेरे जब वह बाहर गया तो हम लोग बाहर निकले। हमारे कई साथियों ने कहा कि इस प्रकार की कष्टदायक मृत्यु से अच्छा है हम लोग समुद्र में डूब मरें। किंतु हममें से एक ने कहा कि हम लोग मुसलमान है और हमारे लिए आत्महत्या बड़ा पाप है। हमें यह न करना चाहिए कि राक्षस से बचने के लिए स्वयं अपनी हत्या कर लें। उसकी बात मानकर हम आत्महत्या से रुक गए और सोचने लगे कि कैसे जान बच सकती हैं।

मुझे एक उपाय सूझा। मैंने कहा, 'देखो, यहाँ सागर तट पर बहुत-सी लकड़ियाँ और रस्सियाँ मौजूद हैं। हम लोग इनकी चार-पाँच नावें बना लें और किसी जगह छुपाकर रख दें। यदि किसी प्रकार अवसर मिले तो हम उन पर निकल भागेंगे। अधिक से अधिक यही तो होगा कि नावें डूब जाएँगी। किंतु राक्षस के हाथों मरने से तो वह मौत कहीं अच्छी होगी।'

मेरे सुझाव को सब लोगों ने पसंद किया। हम लोगों को नाव बनाना आता था और हमने दिन भर में चार-पाँच ऐसी छोटी-छोटी नावें बना लीं जिनमें तीन-तीन आदमी आ सकते थे। शाम को हम फिर उस घर के अंदर गए। राक्षस ने हर रोज की तरह हम लोगों को उठा-उठाकर देखा और एक हृष्ट-पुष्ट व्यक्ति को सलाख में भेद कर भून दिया और खा गया। जब वह सो गया और उसके खर्राटे बहुत गहरे हो गए तो मैंने अपने साथियों को अपनी योजना बताई और हमने उस पर कार्य करना आरंभ कर दिया।

वहाँ कई सलाखें पड़ी हुई थीं और आग अभी तक खूब जल रही थी। मैंने और नौ अन्य होशियार और साहसी लोगों ने एक-एक सलाख को आग में लाल कर दिया। फिर उस राक्षस की आँख में हम सभी ने उन सलाखों को घुसेड़ दिया जिससे वह बिल्कुल अंधा हो गया। उसने अपने हाथ इधर-उधर मारने शुरू किए। हम लोग उससे बच कर कोनों में जा छुपे। अगर वह किसी को पा जाता तो कच्चा ही खा जाता। फिर वह चिंघाड़ता हुआ घर के बाहर भाग गया और हम लोग समुद्र के तट पर आकर उन नावों पर चढ़ गए जिन्हें हमने पहले से बना रखा था। हम चाहते थे कि सवेरा होने पर यात्रा आरंभ करें। तभी हमने देखा कि दो राक्षस उस राक्षस के हाथ पकड़े अपने बीच में लिए आते हैं जिसे हमने अंधा किया था। अन्य कई राक्षस भी उनके पीछे दौड़े आते थे। हमने उन्हें देखते ही नावें समुद्र में डाल दीं और तेजी से उन्हें खेने लगे। राक्षस समुद्र में तैर नहीं सकते थे किंतु उन्होंने तट पर से ही बड़ी-बड़ी चट्टानें हमारी ओर फेंकना शुरू किया। केवल एक नाव को छोड़ कर जिस पर मैं और मेरे दो साथी बैठे थे सारी नावें राक्षसों की फेंकी चट्टानों से डूब गईं। हम अपनी नाव को तेजी से खेकर इतनी दूर आ गए जहाँ पर उनकी चट्टानें आ नहीं सकती थीं।

किंतु खुले समुद्र में आकर भी हमें चैन न मिला। तेज हवा हमारी छोटी-सी नाव को तिनके की तरह पानी पर उछालने लगी। चौबीस घंटे हम इसी दशा में रहे। फिर हमारी नाव एक द्वीप में पहुँच गई। हम लोग प्रसन्नतापूर्वक उस द्वीप पर उतरे और तट पर लगे पेड़ों से पेट भर फल खाने के बाद हमारे शरीरों में कुछ शक्ति आई। रात को हम लोग समुद्र के तट ही पर सो रहे। अचानक एक जोर की सरसराहट से नींद खुली तो मैंने देखा कि एक साँप जो नारियल के पेड़ जितना लंबा था हमारे एक साथी को खाए जाता है। उसने पहले हमारे साथी के शरीर को चारों ओर से कस कर तोड़ डाला फिर उसे निगल गया। कुछ देर में साँप ने उसकी हड्डियाँ उगल दीं और चला गया। हम दो बचे हुए आदमियों ने बड़े दुख और चिंता में रात बिताई। कितनी मुश्किलों से राक्षस से छूटे थे तो यह मुसीबत आ गई जिससे छुटकारा ही नहीं दिखाई देता था। दिन में हमने फल खाकर गुजारा किया। शाम तक हमने अपने बचने के लिए एक पेड़ खोज लिया था। और रात होते ही उस पर चढ़ गए।

मैं तो वृक्ष पर काफी ऊँचे पहुँच गया था किंतु मेरा साथी उतने ऊँचे न जा सका और नीचे की एक मोटी डाल पर लेट गया। साँप फिर रात को आया। पेड़ की जड़ पर पहुँच कर उसने अपना शरीर ऊँचा किया और मेरे साथी को पकड़ कर खा गया और फिर वहाँ से चला गया। मैं सारी रात भय से अधमरा-सा रहा। सूर्योदय होने पर मैं पेड़ से उतरा और फिर कुछ फल आदि खाकर पेट भरा। मुझे विश्वास था कि आज मैं अवश्य ही उस साँप का ग्रास बनूँगा क्योंकि उसने मुझे देख तो लिया ही है। मैंने काफी सोच-विचार के बाद यह तरकीब निकाली कि पेड़ के चारों ओर ढेर सारी कँटीली झाड़ियाँ रख दीं और ऊपर भी काँटों की ऐसी ओट कर ली कि किसी को दिखाई न दूँ।

रात को साँप आया। वह झाड़ियों के कारण पेड़ की जड़ तक न पहुँच पाया किंतु सारी रात घात लगाकर बैठा रहा। सवेरे वह चला गया। मैं रातों की जगाई और जान के डर और रात भर साँप की फुँफकार सुनने से इतना अशक्त और निराश हो गया था कि सोचने लगा कि ऐसे जीने से तो समुद्र में डूब जाना अच्छा है। इसी इरादे से समुद्र तट पर गया। किंतु सौभाग्यवश किनारे कुछ ही दूर पर एक जहाज दिखाई दिया। मैंने चिल्लाकर आवाज देना और पगड़ी को हवा में हिलाना शुरू किया। जहाज के लोगों ने मुझे देखा और कप्तान ने एक नाव भेजकर मुझे जहाज पर चढ़ा लिया।

वे लोग मुझसे पूछने लगे कि मैं उस द्वीप में कैसे पहुँचा। एक बूढ़े आदमी ने कहा कि, 'मुझे आश्चर्य है कि तुम जीवित किस तरह बचे हो। मैंने तो सुना है कि इन द्वीपों में नरभक्षी राक्षस रहते हैं जो आदमियों को भूनकर खाते हैं। इसके अलावा यहाँ विशालकाय सर्प भी हैं जो दिन में गुफाओं में सोते रहते हैं और रात में शिकार के लिए निकलते हैं और कोई आदमी पाते हैं तो उसे निगल जाते हैं।'

मैं उनकी बातों का उत्तर न दे सका क्योंकि भूख और जगाई के कारण निढाल हो रहा था। उन्होंने मुझे भोजन कराया और चूँकि मेरे वस्त्र तार-तार हो रहे थे इसलिए एक जोड़ा कपड़ा भी मुझे दिया। फिर मैंने विस्तारपूर्वक अपनी विपत्तियों का वर्णन किया और बताया कि किस प्रकार राक्षस और साँप से बचा। सबने कहा कि तुम पर भगवान की बड़ी कृपा है जिससे तुम जीवित बच रहे।

हम लोगों का जहाज सिलहट द्वीप में पहुँचा जहाँ चंदन होता है जो बहुत-सी दवाओं में डाला जाता है। जहाज ने वहाँ लंगर डाला और व्यापारीगण अपना सामान लेकर द्वीप पर क्रय-विक्रय करने के लिए उतर गए। कप्तान ने मुझसे कहा, 'भाई, तुम बगदाद के निवासी हो। वहाँ के एक व्यापारी का बहुत-सा माल बहुत दिनों से मेरे जहाज पर पड़ा है। तुम उसकी गठरियाँ ले जाकर उसके स्त्री-बच्चों को दे देना। मैं चिट्ठी लिख दूँगा तो वे लोग तुम्हारी लदान की मजदूरी दे देंगे।'

मैंने उसको धन्यवाद दिया कि उसने मुझे काम तो दिलाया। उसने अपने लिपिक से कहा कि उस व्यापारी का माल इस आदमी को सौंप दे।

लिपिक ने पूछा कि उस व्यापारी का नाम क्या था। कप्तान ने कहा कि माल का मालिक सिंदबाद जहाजी था। मुझे इस बात पर इतना आश्चर्य हुआ कि कप्तान का मुँह देखने लगा। कुछ देर में मैंने पहचाना कि मेरी दूसरी यात्रा में भी जहाज का कप्तान यही था। उस द्वीप पर मुझे सोता हुआ छोड़कर मेरे साथी जहाज पर चले गए थे और सभी ने समझ लिया था कि मैं कहीं मर खप-गया हूँ। यद्यपि इस घटना को बहुत दिन नहीं हुए थे तथापि इधर लगातार पड़ने वाली विपत्तियों के कारण मेरे चेहरे का रंग और नक्श इतने बदल गए थे कि कप्तान मुझे पहचान नहीं सका।

मैंने पूछा कि यह सामान क्या सिंदबाद जहाजी का है। कप्तान ने कहा, 'यह सामान निःसंदेह सिंदबाद का है। वह बगदाद का निवासी था और बसरा बंदरगाह से हमारे जहाज पर माल लेकर चढ़ा था। एक दिन हम लोग एक द्वीप पर पहुँचे और जहाज का लंगर डाला ताकि द्वीप से लेकर मीठा पानी जहाज पर भर लें। कई व्यापारी भी घूमने-फिरने को उतर गए। उनमें सिंदबाद भी था। कुछ देर में अन्य लोग तो जहाज पर आ गए लेकिन सिंदबाद न आया। मैंने चार घड़ी तक उसकी राह देखी किंतु जब हवा अनुकूल देखी तो मैंने पाल खोल दिए और जहाज को आगे बढ़ा दिया।'

मैंने पूछा कि तुम्हें क्या पूरा विश्वास है कि सिंदबाद मर गया है। कप्तान ने कहा कि मुझे इसमें कोई संदेह नहीं हैं कि सिंदबाद अब दुनिया में नहीं है। मैंने उससे कहा, 'तुम मुझे पूरे ध्यान से देखो और पहचानो कि मैं ही सिंदबाद हूँ कि नहीं। हुआ यह था कि द्वीप पर उतर कर मैं एक स्रोत के निकट खा-पीकर गहरी नींद सो गया था। मेरे साथियों ने मुझे जगाया ही नहीं। शायद उन्हें यह मालूम भी न था कि मैं कहाँ सो रहा हूँ। जब मेरी आँख खुली ओर मैं समुद्र तट पर पहुँचा तो देखा कि तुम्हारा जहाज दूर चला गया है।'

कप्तान ने यह सुनकर मुझे ध्यानपूर्वक देखा और मुझे पहचान गया। उसने मुझे गले लगाया और भगवान को धन्यवाद दिया कि मैं जीवित हूँ हालाँकि मुझे मरा हुआ समझ रहा था। उसने कहा, 'तुम्हारे माल को भी मैंने हर जगह व्यापार में लगाया और इस पर हर सौदे में मुनाफा हुआ है। अब मैं तुम्हारे माल को तुम्हारे मुनाफे के साथ तुम्हें सौंपता हूँ।' यह कहकर उसने मुझे मेरी गठरियाँ सौंप दीं और वह नगद राशि भी दे दी जो मेरे माल के व्यापार के लाभ के रूप में उसके पास थी। मुझे यह सब मिलने की कोई आशा नहीं थी और मैंने भगवान को लाख-लाख धन्यवाद दिया।

फिर हमारा जहाज सिलहट द्वीप से अन्य द्वीपों में गया जहाँ से हमने लौंग, दारचीनी आदि खरीदा। हमने दूर-दूर की यात्रा की। एक जगह हमने इतने बड़े कछुए देखे जिनकी लंबाई चौड़ाई पचास-पचास हाथ की थी और अजीब मछलियाँ भी जो गाय की तरह दूध देती हैं। कछुओं का चमड़ा बहुत कड़ा होता है, उसकी ढालें बनाई जाती हैं। हमने एक और अजीब किस्म की मछलियाँ देखीं। इसका रंग और मुँह ऊँट जैसा होता है। घूमते-फिरते हमारा जहाज बसरा के बंदरगाह में आया। वहाँ से मैं बगदाद आ गया।

मैं कुशल-क्षेम से अपने घर आने पर भगवान को लाख-लाख धन्यवाद दिया। इस खुशी में मैंने बहुत-सा धन भिखारियों को तथा निर्धनों के सहायतार्थ दिया। इस यात्रा में मुझे इतना लाभ हुआ कि जिसकी गिनती नहीं की जा सकती। मैंने दान आदि करने के अतिरिक्त कई सुंदर भवन तथा आराम-आसाइश की चीजें भी खरीदीं।

तीसरी समुद्र यात्रा का वर्णन करने के बाद सिंहबाद ने हिंदबाद को चार सौ दीनारें दीं। उससे यह भी कहा कि कल तुम फिर इसी समय आना और तब मैं तुम्हें अपनी चौथी यात्रा का हाल सुनाऊँगा। चुनांचे सिंदबाद तथा अन्य उपस्थित लोग सिंदबाद के घर से विदा हुए। दूसरे दिन निश्चित समय पर सब लोग आए और भोजनोपरांत सिंदबाद ने कहना शुरू किया। 

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रचनाएँ
अलिफ लैला
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अलिफ लैला की कहानी अरब देश की एक प्रचलित लोक कथा है जो पूरी दुनिया में सदियों से सुनी व पढ़ी जाती रही है। ... इस कथा के अनुसार, बादशाह शहरयार अपनी मलिका की बेवपफाई से दुःखी होकर उसका और उसकी सभी दासियों का कत्ल कर देता है और प्रतिज्ञा करता है कि रोजाना एक स्त्री के साथ विवाह करूंगा और अगली सुबह उसे कत्ल कर दूंगा।
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भूमिका

29 जनवरी 2022
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भूमिका (1)-अलिफ़ लैला सहस्र-रजनी चरित्र, जो अब भी भारत में अपने अरबी नाम 'अल्फ लैला' के प्रचलित बिगड़े हुए रूप 'अलिफ लैला' के नाम से अधिक जाना जाता है, वास्तव में लोक कथाओं का ऐसा संग्रह है जिसकी लोक

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शहरयार और शाहजमाँ

29 जनवरी 2022
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फारस देश भी हिंदुस्तान और चीन के समान था और कई नरेश उसके अधीन थे। वहाँ का राजा महाप्रतापी और बड़ा तेजस्वी था और न्यायप्रिय होने के कारण प्रजा को प्रिय था। उस बादशाह के दो बेटे थे जिनमें बड़े लड़के का

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किस्सा गधे, बैल और उनके मालिक

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एक बड़ा व्यापारी था जिसके गाँव में बहुत-से घर और कारखाने थे जिनमें तरह-तरह के पशु रहते थे। एक दिन वह अपने परिवार सहित कारखानों को देखने के लिए गाँव गया। उसने अपनी पशुशाला भी देखी जहाँ एक गधा और एक बैल

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किस्सा व्यापारी और दैत्य का-

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शहरजाद ने कहा : प्राचीन काल में एक अत्यंत धनी व्यापारी बहुत-सी वस्तुओं का कारोबार किया करता था। यद्यपि प्रत्येक स्थान पर उसकी कोठियाँ, गुमाश्ते और नौकर-चाकर रहते थे तथापि वह स्वयं भी व्यापार के लिए द

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किस्सा बूढ़े और उसकी हिरनी का

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वृद्ध बोला, 'हे दैत्यराज, अब ध्यान देकर मेरा वृत्तांत सुनें। यह हिरनी मेरे चचा की बेटी और मेरी पत्नी है। जब यह बारह वर्ष की थी तो इसके साथ मेरा विवाह हुआ। यह अत्यंत पतिव्रता थी और मेरे प्रत्येक आदेश क

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किस्सा तीसरे बूढ़े का जिसके साथ एक खच्चर था

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तीसरे बूढ़े ने कहना शुरू किया : 'हे दैत्य सम्राट, यह खच्चर मेरी पत्नी है। मैं व्यापारी था। एक बार मैं व्यापार के लिए परदेश गया। जब मैं एक वर्ष बाद घर लौटकर आया तो मैंने देखा कि मेरी पत्नी एक हब्शी गुल

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मछुवारे की कहानी

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शहरजाद ने कहा कि हे स्वामी, एक वृद्ध और धार्मिक प्रवृत्ति का मुसलमान मछुवारा मेहनत करके अपने स्त्री-बच्चों का पेट पालता था। वह नियमित रूप से प्रतिदिन सवेरे ही उठकर नदी के किनारे जाता और चार बार नदी मे

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गरीक बादशाह और हकीम दूबाँ की कथा

29 जनवरी 2022
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फारस देश में एक रूमा नामक नगर था। उस नगर के बादशाह का नाम गरीक था। उस बादशाह को कुष्ठ रोग हो गया। इससे वह बड़े कष्ट में रहता था। राज्य के वैद्य-हकीमों ने भाँति-भाँति से उसका रोग दूर करने के उपाय किए क

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भद्र पुरुष और उसके तोते की कथा

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पूर्वकाल में किसी गाँव में एक बड़ा भला मानस रहता था। उसकी पत्नी अतीव सुंदरी थी और भला मानस उससे बहुत प्रेम करता था। अगर कभी घड़ी भर के लिए भी वह उसकी आँखों से ओझल होती थी तो वह बेचैन हो जाता था। एक बा

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अमात्य की कहानी

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प्राचीन समय में एक राजा था उसके राजकुमार को मृगया का बड़ा शौक था। राजा उसे बहुत चाहता था, राजकुमार की किसी इच्छा को अस्वीकार नहीं करता था। एक दिन राजकुमार ने शिकार पर जाना चाहा। राजा ने अपने एक अमात्य

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काले द्वीपों के बादशाह की कहानी

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उस जवान ने अपना वृत्तांत कहना आरंभ किया। उसने कहा 'मेरे पिता का नाम महमूद शाह था। वह काले द्वीपों का अधिपति था, वे काले द्वीप चार विख्यात पर्वत हैं। उसकी राजधानी उसी स्थान पर थी जहाँ वह रंगीन मछलियों

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किस्सा तीन राजकुमारों और पाँच सुंदरियों का

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शहरजाद की कहानी रात रहे समाप्त हो गई तो दुनियाजाद ने कहा - बहन, यह कहानी तो बहुत अच्छी थी, कोई और भी कहानी तुम्हें आती है? शहरजाद ने कहा कि आती तो है किंतु बादशाह की अनुमति हो तो कहूँ। बादशाह ने अनुमत

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मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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मजदूर बोला, 'हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया।

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मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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मजदूर बोला, 'हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया।

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पहले फकीर की कहानी

29 जनवरी 2022
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पहले फकीर ने अदब से घुटनों के बल खड़े होकर कहा 'सुंदरी, अब ध्यान लगाकर सुनो कि मेरी आँख किस प्रकार गई और मैं क्यों फकीर बना। मैं एक बड़े बादशाह का बेटा था। बादशाह का भाई यानी मेरा चचा भी एक समीपवर्ती

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दूसरे फकीर की कहानी

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अभी पहले फकीर की अद्भुत आप बीती सुनकर पैदा होने वाले आश्चर्य से लोग उबरे नहीं थे कि जुबैदा ने दूसरे फकीर से कहा कि तुम बताओ कि तुम कौन हो और कहाँ से आए हो। उसने कहा कि आपकी आज्ञानुसार मैं आप को बताऊँग

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भले आदमी और ईर्ष्यालु पुरुष

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किसी नगर में दो आदमियों का घर एक दूसरे से लगा हुआ था। उनमें से एक पड़ोसी दूसरे के प्रति ईर्ष्या और द्वेष रखता था। भले मानस ने सोचा कि मकान छोड़कर कहीं जा बसूँ क्योंकि मैं इस आदमी के प्रति उपकार करता ह

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किस्सा तीसरे फकीर का

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हे दयालु सुंदरी, मेरी कहानी बहुत ही आश्चर्यकारी है। इन दोनों शहजादों की दाहिनी आँखें परिस्थितिवश गईं किंतु मेरी आँख मेरी ही मूर्खता और मेरे ही अपराध के कारण फूटी। मैं इसका विस्तृत वर्णन करता हूँ। मेरा

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किस्सा जुबैदा का

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जुबैदा ने खलीफा के सामने सर झुका कर निवेदन किया है राजाधिराज, मेरी कहानी बड़ी ही विचित्र है, आपने इस प्रकार की कोई कहानी नहीं सुनी होगी। मैं और वे दोनों काली कुतियाँ तीनों सगी बहिनें हैं और यह दो स्त्

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किस्सा अमीना का

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अमीना ने कहा, 'जुबैदा की कहानी आप उसके मुँह से सुन चुके, अब मैं अपनी कहानी आपके सम्मुख प्रस्तुत करती हूँ। मेरी माँ मुझे लेकर अपने घर में आई कि रँड़ापे का अकेलापन उसे न खले। फिर उसने मेरा विवाह इसी नगर

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सिंदबाज जहाजी की कहानी

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जब शहरजाद ने यह कहानी पूरी की तो शहरयार ने, जिसे सारी कहानियाँ बड़ी रोचक लगी थीं, पूछा कि तुम्हें कोई और कहानी भी आती हैं। शहरजाद ने कहा कि बहुत कहानियाँ आती हैं। यह कह कर उसने सिंदबाद जहाजी की कहानी

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सिंदबाद जहाजी की पहली यात्रा

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सिंदबाद ने कहा कि मैंने अच्छी-खासी पैतृक संपत्ति पाई थी किंतु मैंने नौजवानी की मूर्खताओं के वश में पड़कर उसे भोग-विलास में उड़ा डाला। मेरे पिता जब जीवित थे तो कहते थे कि निर्धनता की अपेक्षा मृत्यु श्र

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सिंदबाद जहाजी की दूसरी यात्रा

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मित्रो, पहली यात्रा में मुझ पर जो विपत्तियाँ पड़ी थीं उनके कारण मैंने निश्चय कर लिया था कि अब व्यापार यात्रा न करूँगा और अपने नगर में सुख से रहूँगा। किंतु निष्क्रियता मुझे खलने लगी, यहाँ तक कि मैं बेच

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सिंदबाद जहाजी की तीसरी यात्रा

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सिंदबाद ने कहा कि घर आकर मैं सुखपूर्वक रहने लगा। कुछ ही दिनों में जैसे पिछली दो यात्राओं के कष्ट और संकट भूल गया और तीसरी यात्रा की तैयारी शुरू कर दी। मैंने बगदाद से व्यापार की वस्तुएँ लीं और कुछ व्या

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सिंदबाद जहाजी की चौथी यात्रा

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सिंदबाद ने कहा, कुछ दिन आराम से रहने के बाद मैं पिछले कष्ट और दुख भूल गया था और फिर यह सूझी कि और धन कमाया जाए तथा संसार की विचित्रताएँ और देखी जाएँ। मैंने चौथी यात्रा की तैयारी की और अपने देश की वे व

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सिंदबाद जहाजी की पाँचवी यात्रा

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सिंदबाद ने कहा कि मेरी विचित्र दशा थी। चाहे जितनी मुसीबत पड़े मैं कुछ दिनों के आनंद के बाद उसे भूल जाता था और नई यात्रा के लिए मेरे तलवे खुजाने लगते थे। इस बार भी यही हुआ। इस बार मैंने अपनी इच्छानुसार

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सिंदबाद जहाजी की छठी यात्रा

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सिंदबाद ने हिंदबाद और अन्य लोगों से कहा कि आप लोग स्वयं ही सोच सकते हैं कि मुझ पर कैसी मुसीबतें पड़ीं और साथ ही मुझे कितना धन प्राप्त हुआ। मुझे स्वयं इस पर आश्चर्य होता था। एक वर्ष बाद मुझ पर फिर यात्

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सिंदबाद जहाजी की सातवीं यात्रा

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सिंदबाद ने कहा, दोस्तो, मैंने दृढ़ निश्चय किया था कि अब कभी जल यात्रा न करूँगा। मेरी अवस्था भी इतनी हो गई थी कि मैं कहीं आराम के साथ बैठ कर दिन गुजारता। इसीलिए मैं अपने घर में आनंदपूर्वक रहने लगा। एक

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एक स्त्री और तीन नौकरों का वृत्तांत

29 जनवरी 2022
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शहरयार को सिंदबाद की यात्राओं की कहानी सुन कर बड़ा आनंद हुआ। उसने शहरजाद से और कहानी सुनाने को कहा। शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद का नियम था कि वह समय-समय पर वेश बदल कर बगदाद की सड़कों पर प्रजा का

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जवान और मृत स्त्री

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उस जवान ने कहा कि 'मृत स्त्री मेरी पत्नी और इन वृद्ध सज्जन की बेटी थी और यह मेरे चचा हैं। ग्यारह वर्ष पूर्व उससे मेरा विवाह हुआ था। हमारे तीन बेटे हैं जो जीवित हैं। मेरी पत्नी अत्यंत सुशील और पतिव्रता

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नूरुद्दीन अली और बदरुद्दीन हसन

29 जनवरी 2022
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मंत्री जाफर ने कहा कि पहले जमाने में मिस्र देश में एक बड़ा प्रतापी और न्यायप्रिय बादशाह था। वह इतना शक्तिशाली था कि आस-पड़ोस के राजा उससे डरते थे। उसका मंत्री बड़ा शासन- कुशल, न्यायप्रिय और काव्य आदि

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काशगर के दरजी और बादशाह के कुबड़े सेवक

29 जनवरी 2022
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दूसरी रात को मलिका शहरजाद ने पिछले पहर अपनी बहन दुनियाजाद के कहने से यह कहानी सुनाना आरंभ किया। पुराने जमाने में तातार देश के समीपवर्ती नगर काशगर में एक दरजी था जो अपनी दुकान में बैठ कर कपड़े सीता था।

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ईसाई द्वारा सुनाई गई

29 जनवरी 2022
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ईसाई ने कहा, मैं मिस्र की राजधानी काहिरा का निवासी हूँ। मेरा बाप दलाल था। उस के पास काफी पैसा हो गया। उस ने मरने के बाद मैं ने भी वही व्यापार आरंभ किया। एक दिन मैं अनाज की मंडी में अपने दैनिक व्यापार

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अनाज के व्यापारी

29 जनवरी 2022
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अनाज का व्यापारी बोला कि कल मैं एक धनी व्यक्ति की पुत्री के विवाह में गया था। नगर के बहुत-से प्रतिष्ठित व्यक्ति उसमें शामिल थे। शादी की रस्में पूरी होने पर दावत हुई और नाना प्रकार के व्यंजन परोसे गए।

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उस आदमी की कहानी जिसके चारों अँगूठे कटे थे

29 जनवरी 2022
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उस ने कहा कि दोस्तो, मेरा पिता बगदाद का रहनेवाला था और खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में था। मैं भी उसी समय पैदा हुआ। मेरा पिता यद्यपि धनवान तथा बड़े व्यापारियों में गिना जाता था तथापि वह बहुत ही विलासी औ

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यहूदी हकीम द्वारा वर्णित

29 जनवरी 2022
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यहूदी हकीम ने बादशाह के सामने झुक कर जमीन चूमी और कहा कि पहले मैं दमिश्क नगर में हकीमी किया करता था। अपनी चिकित्सा विधि के कारण वहाँ मेरी बड़ी प्रतिष्ठा हो गई थी। एक दिन वहाँ के हाकिम ने मुझ से कहा कि

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काशगर के बादशाह के सामने दरजी की कथा

29 जनवरी 2022
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दरजी ने कहा कि इस नगर के व्यापारी ने एक बार अपने मित्रों को भोज दिया और उनके लिए भाँति-भाँति के व्यंजन बनवाए। मुझे भी बुलाया गया। मैं जब वहाँ पहुँचा तो देखा कि बहुत-से निमंत्रित लोग मौजूद हैं किंतु मक

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लँगड़े आदमी की कहानी

29 जनवरी 2022
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मेरा पिता बगदाद के सम्मानित व्यक्तियों में से था और हम लोग आनंदपूर्वक वहाँ रह रहे थे। मैं अपने पिता का अकेला बेटा था। जिस समय मेरे पिता की मृत्यु हुई उस समय तक मैं न केवल विद्याध्ययन पूरा कर चुका था ब

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दरजी की जबानी नाई की कहानी

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के काल में बगदाद के आसपास दस कुख्यात डाकू थे जो राहगीरों को लूटते ओर मार डालते थे। खलीफा ने प्रजा के कष्ट का विचार कर के कोतवाल से कहा कि उन डाकुओं को पकड़ कर लाओ वरना मैं तुम्हें प्र

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नाई के कुबड़े भाई

29 जनवरी 2022
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सरकार, मेरा सबसे बड़ा भाई जिसका नाम बकबक था, कुबड़ा था। उसने दरजीगीरी सीखी और जब यह काम सीख लिया तो उसने अपना कारबार चलाने के लिए एक दुकान किराए पर ली। उस की दुकान के सामने ही एक आटा चक्कीवाले की दुका

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नाई के दूसरे भाई बकबारह की कहानी

29 जनवरी 2022
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दूसरे रोज खलीफा के सामने पहुँच कर मैं ने कहा कि मेरा दूसरा भाई बकबारह पोपला है। एक दिन उससे एक बुढ़िया ने कहा, मैं तुम्हारे लाभ की एक बात कहती हूँ। एक बड़े घर की स्वामिनी तुम से आकृष्ट है। मैं तुम्हें

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नाई के तीसरे भाई अंधे बूबक की कहानी

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा, सरकार, मेरा तीसरा भाई बूबक था जो बिल्कुल अंधा था। वह बड़ा अभागा था। वह भिक्षा से जीवन निर्वाह करता था। उसका नियम था कि अकेला ही लाठी टेकता हुआ भीख माँगने जाता और किसी दानी का द्वार खटखटा क

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नाई के चौथे भाई काने अलकूज

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि मेरा चौथा भाई काना था और उसका नाम अलकूज था। अब यह भी सुन लीजिए कि उसकी एक आँख किस प्रकार गई। मेरा भाई कसाई का काम करता था। उसे भेड़-बकरियों की अच्छी पहचान थी। वह मेढ़ों को लड़ाने के लिए

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नाई के पाँचवें भाई अलनसचर

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि मेरे पाँचवें भाई का नाम अलनसचर था। वह बड़ा आलसी और निकम्मा था। वह रोज किसी न किसी मित्र के पास जा कर बेशर्मी से कुछ भीख माँग लेता और खा-पी कर पड़ा रहता। मेरा बाप कुछ समय बाद बूढ़ा हो कर

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नाई के छठे भाई कबक जिसके होंठ खरगोश की तरह के थे

29 जनवरी 2022
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नाई ने कहा कि अब मेरे आखिरी भाई शाह कबक का वृत्तांत रह गया है। इसे भी सुन लीजिए, फिर मैं आप से विदा लूँ। इस भाई का नाम शाह कबक था और उसके होंठ खरगोश की तरह ऊपर को चढ़े हुए थे और वह चलता भी खरगोश की तर

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शहजादा अबुल हसन और हारूँ रशीद की प्रेयसी शमसुन्निहार

29 जनवरी 2022
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खलीफा हारूँ रशीद के शासनकाल में बगदाद में एक अत्यंत धनाढ्य और सुसंस्कृत व्यापारी रहता था। वह शारीरिक रूप से तो सुंदर था ही, मानसिक रूप से और भी सुंदर था। वहाँ के अमीर-उमरा उसका बड़ा मान करते। यहाँ तक

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कमरुज्जमाँ और बदौरा

29 जनवरी 2022
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फारस देश में बीस दिन की राह पर एक देश खलदान है। उस देश में कई टापू भी शामिल हैं। बहुत दिन पहले वहाँ का बादशाह शाहजमाँ था। उसके चार पत्नियाँ थीं और सात विशेष दासियाँ। वह बड़ा प्रतापी राजा था, उसके दे

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नूरुद्दीन और पारस देश की दासी

29 जनवरी 2022
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अगली सुबह से पहले शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि पहले जमाने में बसरा बगदाद के अधीन था। बगदाद में खलीफा हारूँ रशीद का राज था और उसने अपने चचेरे भाई जुबैनी को बसरा का हाकिम बनाया था। जुबैनी के

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ईरानी बादशाह बद्र और शमंदाल की शहजादी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि बादशाह सलामत, ईरान बहुत बड़ा देश है। पुराने जमाने में वहाँ बड़े शक्तिशाली और प्रतापी नरेश हुआ करते थे और उन्हें शहंशाह यानी बादशाहों का बादशाह कहा जाता था। उसी काल का वहाँ का एक बादशा

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गनीम और फितना

29 जनवरी 2022
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दुनियाजाद ने मलिका शहरजाद से नई कहानी सुनाने को कहा और बादशाह शहरजाद ने भी अपनी मौन स्वीकृति दे दी तो शहरजाद ने नई कहानी शुरू कर दी। उसने कहा कि पुराने जमाने में दमिश्क नगर में एक व्यापारी रहता था जिस

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शहजादा जैनुस्सनम और जिन्नों के बादशाह

29 जनवरी 2022
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पुराने जमाने में बसरा में एक बड़ा ऐश्वर्यवान और न्यायप्रिय बादशाह राज करता था। उसे सबकुछ प्राप्त था किंतु उसे बहुत दिनों तक कोई संतान नहीं हुई जिससे वह बहुत दुखी रहता था। नगर निवासी भी बादशाह के साथ म

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शहजादा खुदादाद और दरियाबार की शहजादी-

29 जनवरी 2022
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उपर्युक्त कहानी के मध्य में एक यात्रा में जैनुस्सनम के दरियाबार देश मे जाने का भी उल्लेख है। वहाँ की एक चित्ताकर्षक कथा उस ने सुनी थी। वह कथा भी इस जगह कही जाती है। हैरन नगर में एक बड़ा प्रतापी बादशा

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दरियाबार की शहजादी

29 जनवरी 2022
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उस सुंदरी ने कहा कि काहिरा के निकट दरियाबार नाम एक द्वीप है। उस का बादशाह सब प्रकार से सुखी था किंतु उसे संतान न होने का बड़ा दुख था। वर्षों की प्रार्थनाओं और सिद्धों के आशीर्वादों से उस के यहाँ एक पु

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सोते-जागते आदमी

29 जनवरी 2022
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शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में बगदाद में एक धनी व्यापारी था। उस का एक ही पुत्र था जिसका नाम अबुल हसन था। व्यापारी बड़ा कंजूस था। वह धन एकत्र ही करता था, खर्च बहुत कम करता था। इसलिए जब

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अलादीन और जादुई चिराग

29 जनवरी 2022
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चीन की राजधानी में मुस्तफा नाम का एक दरजी रहता था। वह गरीब आदमी था और बड़ी कठिनाई से अपने परिवारवालों का पेट भरता था। उस के पुत्र का नाम अलादीन था जो कुछ काम-काज नहीं करता था सिर्फ खेल-कूद में समय ब

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खलीफा हारूँ रशीद और बाबा अब्दुल्ला

29 जनवरी 2022
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दुनियाजाद के प्रस्ताव और शहरयार की अनुमति से नई कहानी प्रारंभ करते हुए शहरजाद ने कहा कि कभी-कभी आदमी का चित्त प्रसन्न होता है और उसकी कोई साफ वजह भी नहीं होती। ऐसी स्थिति भी होती है जब आदमी खुश तो होत

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अंधे बाबा अब्दुल्ला

29 जनवरी 2022
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बाबा अब्दुल्ला ने कहा कि मैं इसी बगदाद नगर में पैदा हुआ था। मेरे माँ बाप मर गए तो उनका धन उत्तराधिकार में मैंने पाया। वह धन इतना था कि उससे मैं जीवन भर आराम से रह सकता था किंतु मैंने भोग-विलास में सार

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सीदी नोमान

29 जनवरी 2022
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भिखारी की कहानी सुनने के बाद खलीफा ने बराबर घोड़ी दौड़ानेवाले पर ध्यान दिया और उससे पूछा कि तुम्हारा क्या नाम है। उसने अपना नाम सीदी नोमान बताया। खलीफा ने कहा, मैंने बहुत-से घुड़सवारों और साईसों को दे

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ख्वाजा हसन हव्वाल

29 जनवरी 2022
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ख्वाजा हसन ने कहा कि मैं अपनी बात बताने के पहले अपने दो मित्रों के बारे में बताना चाहता हूँ। वे अभी जीवित हैं और यहीं बगदाद में रहते हैं। वे मेरे प्रत्येक कथन की पुष्टि करेंगे। उनमें से एक का नाम सादी

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अलीबाबा और चालीस लुटेरों की कहानी

29 जनवरी 2022
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अगली रात को मलिका शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि फारस देश में कासिम और अलीबाबा नाम के दो भाई रहते थे। उन्हें पैतृक संपत्ति थोड़ी ही मिली थी। किंतु कासिम का विवाह एक धनी-मानी व्यक्ति की पुत्री

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बगदाद के व्यापारी अली ख्वाजा

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खलीफा हारूँ रशीद के राज्य काल में बगदाद में अलीख्वाजा नामक एक छोटा व्यापारी रहता था। वह अपने पुश्तैनी मकान में, जो छोटा-सा ही था, अकेला रहता था। उसने विवाह नहीं किया था और उसके माता पिता की भी मृत्यु

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यंत्र के घोड़े

29 जनवरी 2022
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बादशाह सलामत, आपको यह मालूम ही है कि हजारों वर्ष से फारस में नौरोज यानी वर्ष का प्रथम दिवस बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। उसमें सभी लोग विशेषतः अग्निपूजक, भाँति-भाँति के नृत्यों और खेल-तमाशों का आय

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शहजादा अहमद और परीबानू

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शहरजाद ने कहा, बादशाह सलामत, पुराने जमाने में हिंदोस्तान का एक बादशाह बड़ा प्रतापी और ऐश्वर्यवान था। उसके तीन बेटे थे। बड़े का नाम हुसैन, मँझले का अली और छोटे का अहमद था। बादशाह का एक भाई जब मरा तो उस

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ईर्ष्यालु बहनों की कहानी

29 जनवरी 2022
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पुराने जमाने में फारस में खुसरो शाह नामी शहजादा था। वह रातों को अक्सर भेस बदल कर सिर्फ एक सेवक को अपने साथ रख कर नगर की सैर किया करता था और संसार की विचित्र बातें देख कर अपना ज्ञान बढ़ाया करता था। ज

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बैल और गधा

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एक बार एक सौदागर था जो बहुत अमीर था। उसके पास बहुत सारे नौकर चाकर और जानवर थे। उसकी एक पत्नी थी और परिवार था और वह अपने खाने पीने के लिये खेती करता था। उसके पास जंगली जानवरों और हर तरह की चिड़िया की बो

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भेड़िये और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक लोमड़ा और एक भेड़िया एक ही घर में रहते थे। भेड़िया बहुत ही बेरहम था जबकि लोमड़ा बहुत नरम दिल था। इसी तरह से रहते हुए उन्हें कुछ दिन हो गये कि एक दिन वह लोमड़ा भेड़िये से बोला — “अगर तुम इसी तरीके

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लोमड़े और कौए की कहानी

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एक लोमड़ा एक पहाड़ की एक गुफा में रहता था। जब भी उसको एक बच्चा पैदा होता और वह बड़ा हो जाता तो वह उसको खा जाता क्योंकि उसको भूख बहुत लगती थी। अगर वह अपने बच्चों को न खाता तो उसके वे बच्चे बड़े हो जाते और

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साही और कबूतर

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एक बार एक साही एक खजूर के पेड़ के नीचे रहने के लिये आया। उसी पेड़ के ऊपर एक कबूतर अपनी पत्नी के साथ रहता था। साही ने सोचा कि यह कबूतर का जोड़ा तो इस पेड़ के फल खाता है पर मुझे इस पेड़ के फल खाने का कोई मौ

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बतख और कछुए की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक बतख बहुत ऊपर उड़ा और बहते हुए पानी में खड़ी एक चट्टान पर जा कर बैठ गया। जब वह वहाँ बैठा हुआ था तो पानी की एक लहर एक आदमी का ढाँचा उसके पास ला कर छोड़ गयी। बतख ने उसको ठीक से देखा तो उसको पता लग

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चुहिया और एक ततैये की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक चुहिया और एक मादा ततैया एक गरीब किसान के घर में एक साथ ही रहते थे। एक बार उस किसान का एक दोस्त बीमार पड़ गया तो डाक्टर ने उसको धुले तिल21 खाने की सलाह दी। सो उस किसान ने एक आदमी से अपने दोस्

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कौआ और बिल्ला

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एक समय की बात है कि एक कौआ और एक बिल्ला दोनों आपस में बड़े गहरे दोस्त थे और साथ साथ रहते थे। एक दिन वे दोनों एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे कि उन्होंने एक चीते23 को अपनी तरफ आते हुए देखा। उनको उसके अपनी त

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चिड़ा और मोर

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एक बार की बात है एक चिड़ा रोज सुबह सुबह चिड़ियों के राजा से मिलने जाता था और सारा दिन उसकी सेवा में खड़ा रहता था। वह सबसे पहले वहाँ पहुँचता था और सबसे बाद में वहाँ से वापस आता था। एक बार कुछ चिड़ियों ने

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मुर्गे और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
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एक बार एक गाँव में एक शेख रहता था। उसकी अपने गाँव में बहुत अच्छी साख थी और वह एक बहुत ही समझदार आदमी था। उसके अपने पास बहुत सारे मुर्गे मुर्गियाँ थे। वह उनको बढ़ाने के लिये उनकी बहुत अच्छी देखभाल करता

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चिड़ियें, जानवर और बढ़ई

29 जनवरी 2022
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जानवरों की यह कहानी बहुत ही मजेदार है। हो सकता है कि तुम इसको बार बार पढ़ना पसन्द करो और हर किसी को खास करके अपने छोटे भाई बहिनों को बार बार सुनाना पसन्द करो। बहुत पुरानी बात है कि एक मोर अपनी पत्नी क

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