shabd-logo

सीदी नोमान

29 जनवरी 2022

14 बार देखा गया 14

भिखारी की कहानी सुनने के बाद खलीफा ने बराबर घोड़ी दौड़ानेवाले पर ध्यान दिया और उससे पूछा कि तुम्हारा क्या नाम है। उसने अपना नाम सीदी नोमान बताया। खलीफा ने कहा, मैंने बहुत-से घुड़सवारों और साईसों को देखा है कि वह घुड़सवारी सिखाने या घोड़े को सिखाने में बहुत श्रम करते हैं। मैंने स्वयं भी बहुत-से घोड़ों को फेरा है लेकिन तुम्हारी तरह घोड़ी दौड़ाते मैंने किसी को नहीं देखा। तुम्हारी घोड़ी दौड़ती चली जाती थी फिर भी तुम उसे बराबर चाबुक मारे जा रहे थे। सभी को तुम्हारे इस व्यवहार पर आश्चर्य हो रहा था। किंतु सबसे अधिक ताज्जुब मुझे ही हो रहा था। इसलिए मैंने कल उस जगह खड़े लोगों से तुम्हारे इस बर्ताव का कारण पूछा था किंतु किसी को भी पता नहीं था कि तुम ऐसा क्यों कर रहे हो तुम सच-सच सारा हाल बताओ।

सीदी नोमान के चेहरे का रंग उड़ गया। उसने समझा कि खलीफा मेरी हरकत से बहुत नाराज है और न मालूम क्या सजा देगा। वह यह भी समझ गया कि खलीफा को उसका रहस्य जानने की अत्यंत प्रबल इच्छा है और बगैर पूरी बात बताए उसे छुटकारा नहीं मिल सकता। फिर भी भय के कारण उसकी जबान बंद हो गई थी और वह मूर्तिवत निश्चल खड़ा था। खलीफा ने यह देख कर कहा, सीदी नोमान, डरो मत। मैं तुम से मित्र भाव से यह बात पूछ रहा हूँ। अगर तुमसे कोई अपराध भी हुआ है तो मैंने अभी से तुम्हें उसके लिए क्षमा कर दिया। अब तुम निर्भय हो कर अपनी बात कहो।

सीदी नोमान को यह सुन कर ढाँढ़स हुआ। वह हाथ जोड़ कर बोला। संसार के स्वामी, आपकी आज्ञानुसार मैं अपनी पूरी कहानी आपके सम्मुख रखता हूँ। मैंने किसी जाति या किसी धर्म के नियमों का उल्लंघन नहीं किया। फिर भी यदि मेरा कोई अपराध सिद्ध हो तो मुझे निःसंदेह दंड मिले। मैं अपनी घोड़ी के प्रति जो कठोरता बरतता हूँ उससे आपको बुरा लगा और घोड़ी पर आपको दया आई। किंतु जब इसकी कहानी सुनेंगे तो आप भी इस नतीजे पर पहुँचेंगे कि यह दंड उसके लिए कम है।

यह कहने के बाद सीदी नोमान ने अपनी कहानी शुरू की। उसने कहा कि मेरे माता-पिता की मृत्यु के बाद मुझे उत्तराधिकार में इतना धन मिला जो मेरे जीवन भर के लिए काफी था। मैं बड़े आराम से गुजारा कर रहा था और मुझे किसी बात की चिंता नहीं थी। मेरी तरुणावस्था थी इस लिए स्वभावतः ही मेरी इच्छा विवाह करने की हुई। भगवान की ऐसी इच्छा न थी कि मुझे सुगृहणी मिले। मैंने एक स्त्री से अनिंद्य सौंदर्य को देख कर विवाह किया। आप जानते ही है कि हमारी जात में पहले से लड़की को देख-परख कर विवाह करने का रिवाज नहीं है। इसीलिए हमारे लिए उचित है कि मृदुल या कर्कशा जैसी स्त्री भाग्य से मिले उसी पर संतोष करना चाहिए और उसके साथ प्रसन्नतापूर्वक निर्वाह करना चाहिए। किंतु हर बात की एक सीमा होती है और ऐसी स्थितियाँ भी आ जाती हैं कि एक दिन के लिए भी निर्वाह नहीं होता।

मैं अपनी पत्नी के अनूप रूप को देख कर बड़ा प्रसन्न था किंतु दूसरे दिन ही से उसकी कुत्सितता का हाल खुलना शुरू हो गया। सुहागरात के दूसरे दिन मैं दिन का भोजन करने बैठा तो मैंने अपनी पत्नी को भी साथ खाने के लिए बुलाया। हमारे सामने पुलाव था। मैं अपने समाज की रीति के अनुसार चम्मच से उठा-उठा कर पुलाव खा रहा था किंतु मेरी पत्नी कान खोदने की सलाई से चावल का एक एक दाना उठा कर खाने लगी। मुझे यह देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ। मैंने कहा, प्यारी, क्या तुम्हारे मायके में इसी तरह से लोग खाना खाया करते हैं। जितनी देर तुमने भोजन किया है उसमें तुमने दस-पंद्रह चावलों से अधिक न खाया होगा। तुम दाने गिन-गिन कर क्यों खा रही हो? क्या तुम किफायत के लिए ऐसा कर रही हो? अगर ऐसा है तो तुम किफायत का ख्याल छोड़ दो और जैसे मैं खुल कर खा रहा हूँ वैसे ही तुम भी खाओ। मुझे भगवान ने इतना दे रखा है कि तुम्हें पेट भर खाना खिला सकूँ।

उसने मेरी बात का कोई उत्तर न दिया। पूर्ववत ही एक-एक दाना उठा कर खाती रही, बल्कि मुझे खिजाने के लिए एक-एक दाना भी बहुत देर में उठाने लगी। जब हमारे सामने शीरमाल और बाकर खानी रोटियाँ आईं तो उसने एक रोटी के छिलके का बहुत ही छोटा टुकड़ा तोड़ कर बड़े नखरे से मुँह में रखा। जितना खाना कुल मिला कर उसने खाया वह एक चिड़िया का पेट भरने को भी काफी नहीं था।

मुझे उसकी अल्प भोजन की जिद पर आश्चर्य हुआ किंतु मैंने सोचा कि यह मेरे साथ पहली बार खाना खा रही है और किसी पुरुष के साथ खाने का पहला मौका होने के कारण लजा रही है, जब इसे मेरे साथ खाने की आदत हो जाएगी तो खुल कर खाएगी। मैंने यह भी सोचा कि हो सकता है कि मेरे साथ खाने के पहले यह कोई चीज अधिक मात्रा में खा चुकी हो और इस समय इसके पेट में जगह न हो। एक विचार यह भी आया कि शायद इसे अकेले ही खाने की आदत हो। यह सब सोच कर मैंने उससे कुछ न कहा और वह पूर्ववत ही नाम चार के लिए खाती रही। खाने के बाद मैं घूमने-फिरने चला गया और यह बात बिल्कुल भूल गया कि मेरी पत्नी कितनी अल्पभक्षी है।

किंतु शाम के खाने पर भी उसका यह हाल रहा। बाद में भी कई दिनों तक मैंने खाने के मामले में उसका यही रवैया देखा तो मुझे यह आश्चर्य हुआ कि यह स्त्री इतना कम खाने पर भी न केवल जीवित है अपितु स्वस्थ भी है। एक दिन हम दोनों सोने के लिए लेटे तो यह मुझे सोता जान कर सावधानी से उठी। मैं आँखें बंद किए था किंतु जाग रहा था। मैं जान-बूझ कर खर्राटे भरने लगा। वह उठ कर अंदर गई और कपड़े पहन कर घर से बाहर निकली। मैं भी अपने कपड़ों को कंधे पर डाल कर चुपके-चुपके उसके पीछे चल दिया। बाहर चाँदनी थी इसलिए उसका पीछा करना मुश्किल न हुआ। वह चलते-चलते हमारे घर के समीपवर्ती कब्रिस्तान में पहुँची। मैं ओट में खड़ा हो कर देखने लगा। मैंने देखा कि मेरी पत्नी एक नरभक्षी जंगली के साथ बैठी है और उससे प्रसन्नतापूर्वक कुछ बातें कर रही है वे बातें मेरी समझ में नहीं आईं क्योंकि मैं दूर खड़ा हुआ था।

दीनबंधु, आपको मालूम ही है कि नरभक्षी जंगली रास्ते में इक्का-दुक्का मुसाफिर को देख कर उसे मार डालते हैं और खा लेते हैं। जब उन्हें कोई मुसाफिर नहीं मिलता तो वे कब्रिस्तान में चले जाते हैं और नए दफन होनेवाले मुर्दों को खाते हैं। मैं अपनी पत्नी को ऐसे जंगली के पास बैठे देख कर घबराया और समझ गया कि मेरी पत्नी भी इसी जाति की है। इन दोनों ने मिल कर उसी दिन बनी हुई एक नई कब्र खोदी और उसमें से लाश निकाल कर बाहर लाए और उसे काट-काट कर खाने लगे। वे बातें भी करते जाते थे किंतु मेरा भय से बुरा हाल था और मैं थर-थर काँप रहा था। जब वे दोनों पूरी लाश का मांस खा चुके तो उन्होंने उसकी हड्डियों को कब्र में वापस डाला और कब्र पर मिट्टी इस तरह चढ़ा दी जिससे मालूम हो कि कब्र खोदी ही नहीं गई थी।

मैं उन दोनों को वहीं छोड़ कर घर में आ गया और दरवाजा खुला छोड़ कर पलंग पर जा लेटा और सोता हुआ दिखने लगा। कुछ देर में मेरी पत्नी आई। उसने अंदर के कमरे में जा कर वस्त्र बदले और सावधानी से मेरे पलंग पर लेट गई। उसके बर्ताव से स्पष्ट था कि वह यह नहीं जानती कि मैं उसके पीछे पीछे जा कर उसका सारा हाल देख आया हूँ। मुझे ऐसी मुर्दाखोर स्त्री के साथ सोने में बड़ी घृणा उत्पन्न हुई और मैं उससे बच कर ही लेटा रहा और सो गया। सुबह मसजिद के मुल्ला की अजान सुन कर मैं उठा। नित्य कर्म से निवृत्त हो कर मैंने स्नान किया फिर मसजिद में जा कर दूसरी नमाज पढ़ी। इसके बाद मैं बागों की सैर करने चला गया। टहलते-टहलते मैं सोचने लगा कि किस प्रकार अपनी स्त्री की यह गंदी आदत छुड़ाऊँ। घर आ कर भी मैं यही सोचता रहा।

दोपहर के भोजन के समय उसने पुराना क्रम जारी रखा यानि एक-एक दाना उठा कर खाने लगी। मैंने कहा, रानी, अगर तुम्हें कोई विशेष वस्तु पसंद न हो तो दूसरी मँगवा लो, यहाँ तो रसोई में सब कुछ है। फिर हर रोज खाने में भी बदल-बदल कर बनाए जाते हैं, इसलिए एकरसता का सवाल भी नहीं है। अगर तुम्हें इन खानों में कुछ भी पसंद न हो तो अपने पसंद की जो भी चीज जैसे भी चाहो बनवा लो या बना लो। मैं तुमसे पूछना चाहता हूँ कि क्या दुनिया में मुर्दे के मांस से, जिसे तुम स्वाद से खाया करती हो, अधिक स्वादिष्ट भोजन कोई नहीं है?

मेरी बात पूरी भी नहीं हुई थी कि वह समझ गई कि मैंने उसका शवभक्षण का भेद जान लिया है। क्रोध के मारे उसका चेहरा लाल हो गया, उसकी आँखें उभर आईं और उसके मुँह से झाग निकलने लगा। उसका क्रोध देख कर मैं भयभीत हो गया कि न जाने यह दुष्ट अब क्या करे। उसने दाँत पीसते हुए कहा, नीच, दुष्ट, कमीने, तूने छुप कर मेरा रहस्य जान लिया। लेकिन तू अब इस योग्य नहीं रहेगा कि किसी से वह भेद कह सके। यह कह कर उसने पास रखे हुए गिलास के जल में उँगलियाँ डुबोईं और कुछ बोलने लगी जिसे मैं समझ न सका। फिर उसने उँगलियों का पानी मुझ पर छिड़क कर कहा, कुत्ता बन जा। उसके इस शब्दों के साथ ही मैं कुत्ता बन गया।

वह एक लकड़ी उठा कर मुझे मारने लगी। वह शायद मुझे इतना मारती कि मैं मर ही जाता। इसलिए मैं जान बचा कर भागा और सारे घर में दौड़ने लगा कि शायद कहीं बचने की जगह मिल जाए। वह लकड़ी लिए हुए मुझे सारे घर में खदेड़ती और पीटती रही। जब थक गई तो उसने दरवाजा खोल दिया और मैं दर्द से चिल्लाता हुआ घर के बाहर भाग गया ताकि उसकी पिटाई से बच सकूँ।

बाहर आ कर भी मुझे चैन न मिला। मुहल्ले के कुत्ते मुझे देख कर भौंकने लगे और मुझे पकड़ कर झिंझोड़ने भँभोड़ने लगे। मैं बाजार में भाग कर गया और एक दुकान में, जहाँ बकरी के सिरी पाए और जीभ बिकती थी, घुस कर एक कोने में छुप गया। दुकानदार को मुझ पर दया आई और उसने मेरे पीछे पड़े हुए कुत्तों को भगा दिया। मैं रात भर वहीं पड़ा रहा। सुबह दुकानदार सिरी पाए लेने गया और बहुत-सा माल ले कर अपनी दुकान में रखा। मांस की गंध पाकर बहुत-से कुत्ते दुकान के सामने आ गए। मैं भी जा कर उनमें मिल गया। दुकानदार ने देखा कि मैं रात भूखा ही रहा हूँ इसलिए मेरे सामने उसने मांस का एक लोथड़ा डाल दिया। मैं मांस की ओर झुका भी नहीं, दुकानदार के सामने जा कर दुम हिलाने लगा। दुकानदार यह न चाहता था कि मैं हमेशा उसकी दुकान में रहूँ इसलिए उसने एक लकड़ी उठा कर मुझे धमकाया। मैं भाग कर एक नानबाई की दुकान के आगे पहुँचा। वह उस समय भोजन कर रहा था। उसने रोटी का एक टुकड़ा मेरे आगे फेंक दिया। मेरा इरादा उससे खाना माँगने का न था फिर भी मैं कुत्तों की भाँति झपटा और रोटी खाने लगा। फिर उसके आगे जा कर दुम हिलाने लगा। वह मेरा रूप देख कर प्रसन्न हुआ और मुस्कुराने लगा। मैंने समझ लिया कि इसे इस बात में कोई आपत्ति नहीं है कि मैं उसकी दुकान में रहूँ। मैं उसकी दुकान के सामने उसकी ओर मुँह करके बैठ गया।

शाम को जब नानबाई ने दुकान बंद की तो वह मुझे अपने घर ले गया। इसके बाद उसका नियम हो गया कि रात को अपने घर में रखता और दिन में उसकी दुकान के सामने बैठा रहता था। उसे यह देख कर भी बड़ी खुशी हुई कि मैं उसकी अनुमति के बगैर उसके घर के अंदर पाँव नहीं रखता। वह मुझे बहुत प्यार से रखता था और खूब खाने को देता था। मैं भी उसकी ओर ताकता रहता था और उसके इशारे पर ही सब काम किया करता था। उसने मेरा एक नाम भी रख दिया था।

मैं हर जगह अपने नए मालिक के पीछे-पीछे घूमता था और उसे भी मेरा इतना शौक हो गया था कि अगर कभी वह बाहर जाता और उस समय मैं अपने कोने में सो रहा होता तो वह मेरा नया नाम ले कर पुकारता और मैं उसके पास दौड़ कर चला जाता। वह मुझसे तरह-तरह से दिल बहलाया करता था। मैं उसके इशारे पर कभी लेटता कभी बैठता, कभी दो टाँगों पर खड़ा होता, कभी कोई फेंकी हुई चीज उठा लाता। इसी तरह बहुत दिन बीत गए। मेरा मालिक मुझसे और मैं अपने मालिक से बहुत प्रसन्न रहा करते थे और एक-दूसरे का साथ पसंद करते थे।

एक दिन उसकी दुकान में एक स्त्री आई और सामान खरीद कर जब दाम देने लगी तो अच्छे सिक्कों के साथ एक खोटा सिक्का भी मिला कर देने लगी। नानबाई ने खोटा सिक्का उसे फेर कर दिया तो वह तकरार करने लगी। नानबाई ने कहा, तुम मेरी बात नहीं मानती हो। इस सिक्के को तो मेरा कुत्ता भी खोटा कह देगा। यह कह कर उसने मुझे पुकारा। मैं दौड़ कर उसके सामने गया तो उसने उस स्त्री को दिए सभी सिक्के मेरे आगे फेंक दिए और कहा कि इनमें खोटा सिक्का पहचान ले। मैंने सारे सिक्के अलग-अलग किए फिर मैंने उसमें से सारे अच्छे सिक्के एक ओर समेट दिए और खोटे सिक्के पर पंजा रख कर नानबाई की ओर देखने लगा। नानबाई यह देख कर बहुत खुश हुआ। उस स्त्री को भी आश्चर्य हुआ और उसने खोटा सिक्का बदल दिया।

उस स्त्री के जाने के बाद नानबाई ने आसपास के लोगों से कहा कि मेरे कुत्ते को खरे-खोटे सिक्कों की पहचान है। उन्होंने पहले विश्वास न किया और मेरी परीक्षा लेनी चाही। उन्होंने अच्छे सिक्कों में खोटे सिक्के मिला कर मेरे आगे फेंक दिए और देखने लगे कि मुझे खरे-खोटे की पहचान है या नहीं। मैंने उन सिक्कों को देखा और एक-एक करके सारे खोटे सिक्कों पर अपना पंजा रखता चला गया। पड़ोसी दुकानदारों को यह देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने दूसरे दुकानदारों तथा ग्राहकों से कहा कि फलाने नानबाई के कुत्ते को खरे-खोटे सिक्कों की परख हैं। कुछ ही दिनों में यह समाचार सारे नगर में फैल गया और बहुत-से लोग सिक्कों को परखवाने के लिए नानबाई के पास आने लगे।

अब यह हाल हो गया कि नानबाई के दुकान के आगे सिक्के परखवानेवालों की भीड़ लगने लगी। मैं दिन भर सिक्के परखता रहता। नानबाई का व्यापार चमक उठा क्योंकि सिक्के परखवानेवाले उसी से सौदा लेते थे। आसपास के नानबाई इस बात से जलने लगे और चाहने लगे कि मुझे उड़ा ले जाएँ। इस कारण मेरा मालिक मेरी और अच्छी तरह देखभाल करने लगा।

एक दिन एक स्त्री नानबाई के पास आई और छह अच्छे सिक्कों के साथ एक खोटा सिक्का मिला कर उसे देने लगी। नानबाई के इशारे पर मैंने खोटे सिक्के पर पाँव रख दिया। स्त्री ने स्वीकारा कि सिक्का खोटा है, और उसे बदल दिया। फिर उसने नानबाई की नजर बचा कर मुझे इशारा किया कि उसके साथ उसके घर को जाऊँ। मैं बराबर यह चाहता था कि किसी प्रकार फिर मनुष्य बनूँ। उस स्त्री की निगाहों से मुझे ऐसा लगा कि उसके द्वारा यह बात संभव है। मैं उसकी ओर बराबर देखने लगा। वह अपने घर की ओर चली और कई कदम चल कर वापस लौटी और फिर मुझे अपने साथ आने का इशारा किया। अब मैंने निश्चय कर लिया कि उसके साथ जाऊँ। मैं अपने मालिक नानबाई की नजर बचा कर उसके साथ हो लिया। वह यह देख कर बड़ी प्रसन्न हुई। उसने तुरंत रास्ता बदल दिया जिससे नानबाई मुझे उसके साथ जाता हुआ न देख सके।

वह स्त्री मुझे अपने घर ले गई। मेरे अंदर जाने पर उसने बाहर का दरवाजा बंद कर दिया और मुझे घर के अंदर ले गई। अंदर एक नवयौवना सुंदरी कीमती जरी के वस्त्र पहने बैठी थी। मुझे अंदाजे से लगा कि वह उस स्त्री की पुत्री है जो मुझे बाजार से लाई थी। घर के अंदर बैठी हुई सुंदरी जादू की विद्या में अति प्रवीण थी। जो स्त्री मुझे लाई थी उसने उस सुंदरी से कहा, यही वह कुत्ता है जो खोटे-खरे सिक्कों की पहचान जानता है। मैंने कई दिनों से इसका हाल सुन रखा था। मुझे ऐसा लगा कि यह जन्मजात कुत्ता नहीं है, बल्कि कोई आदमी है जिसे जादू से कुत्ता बना दिया गया है। इसीलिए मैं इसे आज घर ले आई। बेटी, तुम देख कर बताओ कि मेरा अंदाजा ठीक है या नहीं। नवयौवना ने ध्यानपूर्वक मुझे देखा और बोली, अम्मा, तुम ठीक कहती हो, इसे जादू से कुत्ता बनाया गया है। मैं अपनी रमल की पुस्तक देख कर अभी इसका हाल तुम्हें बताती हूँ। यह कह कर वह एक अंदर के कमरे में चली गई।

उसने वापस आ कर एक पानी के बर्तन में हाथ डाल कर मुझ पर पानी छिड़का और बोली, अगर तुझे जादू से कुत्ता बनाया गया है तो फिर से आदमी हो जा। उसके यह कहते ही मैं मनुष्य बन गया। मैंने सुंदरी के पैरों पर गिर कर उसके वस्त्रों को चूमा और कहा, आपने मुझ पर ऐसा अहसान किया है जिसे मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकता। मैं चाहता हूँ कि मैं आपका हमेशा के लिए गुलाम बन जाऊँ। यह कह कर मैंने बताया कि क्यों मेरी पत्नी ने मुझे जादू से कुत्ता बना दिया था और उस सुंदरी की दया भावना की अत्यधिक प्रशंसा करने लगा। उसने कहा, मेरी इतनी प्रशंसा न करो। मैं तुम्हारी स्त्री का हाल विवाह के पहले से जानती हूँ। मुझे यह भी मालूम है कि वह जादू की विद्या में पारंगत है। दरअसल हम दोनों जादू के मामले में एक ही शिक्षिका की शिष्याएँ हैं। पहले मेरी उससे मित्रता थी किंतु उसकी दुष्टता के कारण मैंने उससे मिलना-जुलना छोड़ दिया और उससे घृणा करने लगी। मैंने तुम्हें मनुष्य का शरीर वापस दिलाया है किंतु मैं इतने ही पर बस नहीं करूँगी। तुम्हारे जैसे भले मानस के साथ उसने जो दुष्टता की है उसका दंड मैं उसे अवश्य दिलाऊँगी। मैं तुम्हारे ही हाथों उसे पशु बनवाऊँगी। तुम यहीं ठहरो, मैं अभी आती हूँ।

वह फिर अंदर चली गई। कुछ देर में आई तो उसके हाथ में एक बोतल और एक प्याला था। उसने मुझसे कहा, सीदी नोमान, मैंने अभी अपनी रमल पुस्तक देख कर मालूम किया है कि तुम्हारी पत्नी इस समय तुम्हारे घर में नहीं है। तुम्हें घर से निकालने के बाद उसने तुम्हारे नौकरों से कहा कि मेरा पति किसी काम से बाहर चला गया और यह भी कहा कि दरवाजा खुला पा कर एक कुत्ता घर में घुस आया था, उसे मैंने उसे मार कर भगा दिया। अब तुम तुरंत ही अपनी स्त्री के वापस आने के पहले अपने घर जाओ। इस बोतल को अलग न करना और अपनी पत्नी की प्रतीक्षा करना। वह जल्दी ही घर आएगी। तुम्हें देख कर वह परेशान होगी और भागने की कोशिश करेगी। तुम इस बोतल का पानी प्याले में डालना और इसमें से कुछ उस पर छिड़क कर यह शब्द जो मैं तुम्हें बताती हूँ पढ़ देना। इससे अधिक कुछ करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। तुम इसी से मेरे जादू का कमाल देखोगे।

मैं उसका सिखाया हुआ मंत्र अच्छी तरह याद करके अपने घर आया। सब कुछ वैसा ही हुआ जैसा उस सुंदरी ने कहा था। मेरी पत्नी शीघ्र ही वापस आई और मुझे देखा तो परेशान हो कर भागने लगी। मैंने तुरंत ही बोतल का पानी प्याले में डाल कर उस पर छिड़का और मंत्र पढ़ दिया।

इससे वह घोड़ी बन गई। वह स्त्री वही घोड़ी है जिसे आपने कल देखा था। मैंने उसे घोड़ी के रूप में देखा तो आश्चर्य करने लगा। फिर मुझे उस सुंदरी के शब्द याद आए। मैंने घोड़ी को ले जा कर घुड़साल में बाँध दिया और उसे इतने चाबुक मारे कि मारते-मारते थक गया।

अपना वृत्तांत पूरा करके सीदी नोमान बोला, सरकार, अब यह कहानी सुनने के बाद मुझे क्षमा करेंगे और यह स्वीकार करेंगे कि मैं घोड़ी बनी हुई अपनी स्त्री को जो दंड देता हूँ वह उचित है। अगर अब भी आप मेरा कार्य अनुचित समझें तो जो चाहे वह सजा दें। खलीफा ने कहा, तुम्हारी कहानी वास्तव में विचित्र है और तुम्हारी स्त्री ने जो अपराध किया है उसे देखते हुए उसका दंड कम ही है। किंतु मैं तुम से पूछता हूँ कि क्या तुम आजीवन उसे इसी तरह मारते रहोगे? तुम ऐसा क्यों नहीं करते कि उस सुंदरी के पास जा कर फिर से अपनी पत्नी को स्त्री रूप दिलवाओ। सीदी नोमान ने कहा, आपकी आज्ञा शिरोधार्य किंतु मेरी पत्नी फिर दुष्टता पर उतरी तो क्या करूँगा? खलीफा ने कहा, तुम ठीक कहते हो। उसे ऐसा ही रहने दो और जब तक चाहो उसे इसी तरह सजा देते रहो।

फिर खलीफा ने तीसरे आदमी यानी ख्वाजा हसन हब्बाल की ओर दृष्टि की और कहा, ख्वाजा हसन, कल मैंने तुम्हारी गली में जा कर तुम्हारा महल देखा। मैं उससे बहुत प्रभावित हुआ। फिर मैंने वहाँ के लोगों से पूछा कि यह विराट भवन किसका है तो तुम्हारे पड़ोसियों ने तुम्हारा नाम लिया।

साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि तुम्हारा पेशा रस्सी बनाने का है। इस पेशे में तो अधिक आय नहीं होती। तुम्हारे पड़ोसियों का भी कहना है कि कुछ समय पूर्व तक तुम कठिनाई से जीवन निर्वाह करते थे। तुम्हारे पड़ोसी तुम्हारी इस बात में बड़ी प्रशंसा करते हैं कि तुम अपने पुराने जीवन को नहीं भूले और अपने धन को व्यर्थ खर्च नहीं करते हो। मैं यह सब सुन कर बहुत प्रसन्न हुआ कि मेरे राज्य में तुम जैसे भले आदमी रहते हैं। फिर भी मैं तुमसे यह पूछना चाहता हूँ कि तुमने इतना धन किस प्रकार प्राप्त किया। तुम मेरे प्रश्न से कुछ भयभीत न होना। मुझे तुम्हारी धन-संपत्ति से कुछ लेना देना नहीं है। तुम्हें यह धन भगवान ने दिया है। तुम इसका जैसा चाहो उपयोग करो। भगवान तुम्हारी संपत्ति और बढ़ाए। मुझे केवल यह जानने की उत्कंठा है कि तुम्हारे जैसे निर्धन व्यक्ति को इतनी संपदा मिली कैसे।

ख्वाजा हसन ने सिंहासन के पाए को चूम कर कहा, भगवान आपको हमेशा सही- सलामत रखे। मैं सारा वृत्तांत सच्चा-सच्चा कहता हूँ। भगवान जानते हैं कि मैंने कभी कोई बात ऐसी नहीं की जिसे हमारे इस्लाम धर्म या मेरी जाति-बिरादरी ने वर्जित किया हो। मुझे जो कुछ मिला है भगवान की कृपा ही से मिला है। अब आपकी आज्ञानुसार अपना हाल कहता हूँ। 

74
रचनाएँ
अलिफ लैला
0.0
अलिफ लैला की कहानी अरब देश की एक प्रचलित लोक कथा है जो पूरी दुनिया में सदियों से सुनी व पढ़ी जाती रही है। ... इस कथा के अनुसार, बादशाह शहरयार अपनी मलिका की बेवपफाई से दुःखी होकर उसका और उसकी सभी दासियों का कत्ल कर देता है और प्रतिज्ञा करता है कि रोजाना एक स्त्री के साथ विवाह करूंगा और अगली सुबह उसे कत्ल कर दूंगा।
1

भूमिका

29 जनवरी 2022
1
1
1

भूमिका (1)-अलिफ़ लैला सहस्र-रजनी चरित्र, जो अब भी भारत में अपने अरबी नाम 'अल्फ लैला' के प्रचलित बिगड़े हुए रूप 'अलिफ लैला' के नाम से अधिक जाना जाता है, वास्तव में लोक कथाओं का ऐसा संग्रह है जिसकी लोक

2

शहरयार और शाहजमाँ

29 जनवरी 2022
2
1
1

फारस देश भी हिंदुस्तान और चीन के समान था और कई नरेश उसके अधीन थे। वहाँ का राजा महाप्रतापी और बड़ा तेजस्वी था और न्यायप्रिय होने के कारण प्रजा को प्रिय था। उस बादशाह के दो बेटे थे जिनमें बड़े लड़के का

3

किस्सा गधे, बैल और उनके मालिक

29 जनवरी 2022
0
0
0

एक बड़ा व्यापारी था जिसके गाँव में बहुत-से घर और कारखाने थे जिनमें तरह-तरह के पशु रहते थे। एक दिन वह अपने परिवार सहित कारखानों को देखने के लिए गाँव गया। उसने अपनी पशुशाला भी देखी जहाँ एक गधा और एक बैल

4

किस्सा व्यापारी और दैत्य का-

29 जनवरी 2022
0
0
0

शहरजाद ने कहा : प्राचीन काल में एक अत्यंत धनी व्यापारी बहुत-सी वस्तुओं का कारोबार किया करता था। यद्यपि प्रत्येक स्थान पर उसकी कोठियाँ, गुमाश्ते और नौकर-चाकर रहते थे तथापि वह स्वयं भी व्यापार के लिए द

5

किस्सा बूढ़े और उसकी हिरनी का

29 जनवरी 2022
0
0
0

वृद्ध बोला, 'हे दैत्यराज, अब ध्यान देकर मेरा वृत्तांत सुनें। यह हिरनी मेरे चचा की बेटी और मेरी पत्नी है। जब यह बारह वर्ष की थी तो इसके साथ मेरा विवाह हुआ। यह अत्यंत पतिव्रता थी और मेरे प्रत्येक आदेश क

6

किस्सा तीसरे बूढ़े का जिसके साथ एक खच्चर था

29 जनवरी 2022
0
0
0

तीसरे बूढ़े ने कहना शुरू किया : 'हे दैत्य सम्राट, यह खच्चर मेरी पत्नी है। मैं व्यापारी था। एक बार मैं व्यापार के लिए परदेश गया। जब मैं एक वर्ष बाद घर लौटकर आया तो मैंने देखा कि मेरी पत्नी एक हब्शी गुल

7

मछुवारे की कहानी

29 जनवरी 2022
0
0
0

शहरजाद ने कहा कि हे स्वामी, एक वृद्ध और धार्मिक प्रवृत्ति का मुसलमान मछुवारा मेहनत करके अपने स्त्री-बच्चों का पेट पालता था। वह नियमित रूप से प्रतिदिन सवेरे ही उठकर नदी के किनारे जाता और चार बार नदी मे

8

गरीक बादशाह और हकीम दूबाँ की कथा

29 जनवरी 2022
0
0
0

फारस देश में एक रूमा नामक नगर था। उस नगर के बादशाह का नाम गरीक था। उस बादशाह को कुष्ठ रोग हो गया। इससे वह बड़े कष्ट में रहता था। राज्य के वैद्य-हकीमों ने भाँति-भाँति से उसका रोग दूर करने के उपाय किए क

9

भद्र पुरुष और उसके तोते की कथा

29 जनवरी 2022
0
0
0

पूर्वकाल में किसी गाँव में एक बड़ा भला मानस रहता था। उसकी पत्नी अतीव सुंदरी थी और भला मानस उससे बहुत प्रेम करता था। अगर कभी घड़ी भर के लिए भी वह उसकी आँखों से ओझल होती थी तो वह बेचैन हो जाता था। एक बा

10

अमात्य की कहानी

29 जनवरी 2022
0
0
0

प्राचीन समय में एक राजा था उसके राजकुमार को मृगया का बड़ा शौक था। राजा उसे बहुत चाहता था, राजकुमार की किसी इच्छा को अस्वीकार नहीं करता था। एक दिन राजकुमार ने शिकार पर जाना चाहा। राजा ने अपने एक अमात्य

11

काले द्वीपों के बादशाह की कहानी

29 जनवरी 2022
0
0
0

उस जवान ने अपना वृत्तांत कहना आरंभ किया। उसने कहा 'मेरे पिता का नाम महमूद शाह था। वह काले द्वीपों का अधिपति था, वे काले द्वीप चार विख्यात पर्वत हैं। उसकी राजधानी उसी स्थान पर थी जहाँ वह रंगीन मछलियों

12

किस्सा तीन राजकुमारों और पाँच सुंदरियों का

29 जनवरी 2022
0
0
0

शहरजाद की कहानी रात रहे समाप्त हो गई तो दुनियाजाद ने कहा - बहन, यह कहानी तो बहुत अच्छी थी, कोई और भी कहानी तुम्हें आती है? शहरजाद ने कहा कि आती तो है किंतु बादशाह की अनुमति हो तो कहूँ। बादशाह ने अनुमत

13

मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

29 जनवरी 2022
0
0
0

मजदूर बोला, 'हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया।

14

मजदूर का संक्षिप्त वृत्तांत

29 जनवरी 2022
0
0
0

मजदूर बोला, 'हे सुंदरी, मैं तुम्हारी आज्ञानुसार ही अपना हाल कहूँगा और यह बताऊँगा कि मैं यहाँ क्यों आया। आज सवेरे मैं अपना टोकरा लिए काम की तलाश में बाजार में खड़ा था। तभी तुम्हारी बहन ने मुझे बुलाया।

15

पहले फकीर की कहानी

29 जनवरी 2022
0
0
0

पहले फकीर ने अदब से घुटनों के बल खड़े होकर कहा 'सुंदरी, अब ध्यान लगाकर सुनो कि मेरी आँख किस प्रकार गई और मैं क्यों फकीर बना। मैं एक बड़े बादशाह का बेटा था। बादशाह का भाई यानी मेरा चचा भी एक समीपवर्ती

16

दूसरे फकीर की कहानी

29 जनवरी 2022
0
0
0

अभी पहले फकीर की अद्भुत आप बीती सुनकर पैदा होने वाले आश्चर्य से लोग उबरे नहीं थे कि जुबैदा ने दूसरे फकीर से कहा कि तुम बताओ कि तुम कौन हो और कहाँ से आए हो। उसने कहा कि आपकी आज्ञानुसार मैं आप को बताऊँग

17

भले आदमी और ईर्ष्यालु पुरुष

29 जनवरी 2022
0
0
0

किसी नगर में दो आदमियों का घर एक दूसरे से लगा हुआ था। उनमें से एक पड़ोसी दूसरे के प्रति ईर्ष्या और द्वेष रखता था। भले मानस ने सोचा कि मकान छोड़कर कहीं जा बसूँ क्योंकि मैं इस आदमी के प्रति उपकार करता ह

18

किस्सा तीसरे फकीर का

29 जनवरी 2022
0
0
0

हे दयालु सुंदरी, मेरी कहानी बहुत ही आश्चर्यकारी है। इन दोनों शहजादों की दाहिनी आँखें परिस्थितिवश गईं किंतु मेरी आँख मेरी ही मूर्खता और मेरे ही अपराध के कारण फूटी। मैं इसका विस्तृत वर्णन करता हूँ। मेरा

19

किस्सा जुबैदा का

29 जनवरी 2022
0
0
0

जुबैदा ने खलीफा के सामने सर झुका कर निवेदन किया है राजाधिराज, मेरी कहानी बड़ी ही विचित्र है, आपने इस प्रकार की कोई कहानी नहीं सुनी होगी। मैं और वे दोनों काली कुतियाँ तीनों सगी बहिनें हैं और यह दो स्त्

20

किस्सा अमीना का

29 जनवरी 2022
0
0
0

अमीना ने कहा, 'जुबैदा की कहानी आप उसके मुँह से सुन चुके, अब मैं अपनी कहानी आपके सम्मुख प्रस्तुत करती हूँ। मेरी माँ मुझे लेकर अपने घर में आई कि रँड़ापे का अकेलापन उसे न खले। फिर उसने मेरा विवाह इसी नगर

21

सिंदबाज जहाजी की कहानी

29 जनवरी 2022
0
0
0

जब शहरजाद ने यह कहानी पूरी की तो शहरयार ने, जिसे सारी कहानियाँ बड़ी रोचक लगी थीं, पूछा कि तुम्हें कोई और कहानी भी आती हैं। शहरजाद ने कहा कि बहुत कहानियाँ आती हैं। यह कह कर उसने सिंदबाद जहाजी की कहानी

22

सिंदबाद जहाजी की पहली यात्रा

29 जनवरी 2022
0
0
0

सिंदबाद ने कहा कि मैंने अच्छी-खासी पैतृक संपत्ति पाई थी किंतु मैंने नौजवानी की मूर्खताओं के वश में पड़कर उसे भोग-विलास में उड़ा डाला। मेरे पिता जब जीवित थे तो कहते थे कि निर्धनता की अपेक्षा मृत्यु श्र

23

सिंदबाद जहाजी की दूसरी यात्रा

29 जनवरी 2022
0
0
0

मित्रो, पहली यात्रा में मुझ पर जो विपत्तियाँ पड़ी थीं उनके कारण मैंने निश्चय कर लिया था कि अब व्यापार यात्रा न करूँगा और अपने नगर में सुख से रहूँगा। किंतु निष्क्रियता मुझे खलने लगी, यहाँ तक कि मैं बेच

24

सिंदबाद जहाजी की तीसरी यात्रा

29 जनवरी 2022
0
0
0

सिंदबाद ने कहा कि घर आकर मैं सुखपूर्वक रहने लगा। कुछ ही दिनों में जैसे पिछली दो यात्राओं के कष्ट और संकट भूल गया और तीसरी यात्रा की तैयारी शुरू कर दी। मैंने बगदाद से व्यापार की वस्तुएँ लीं और कुछ व्या

25

सिंदबाद जहाजी की चौथी यात्रा

29 जनवरी 2022
0
0
0

सिंदबाद ने कहा, कुछ दिन आराम से रहने के बाद मैं पिछले कष्ट और दुख भूल गया था और फिर यह सूझी कि और धन कमाया जाए तथा संसार की विचित्रताएँ और देखी जाएँ। मैंने चौथी यात्रा की तैयारी की और अपने देश की वे व

26

सिंदबाद जहाजी की पाँचवी यात्रा

29 जनवरी 2022
0
0
0

सिंदबाद ने कहा कि मेरी विचित्र दशा थी। चाहे जितनी मुसीबत पड़े मैं कुछ दिनों के आनंद के बाद उसे भूल जाता था और नई यात्रा के लिए मेरे तलवे खुजाने लगते थे। इस बार भी यही हुआ। इस बार मैंने अपनी इच्छानुसार

27

सिंदबाद जहाजी की छठी यात्रा

29 जनवरी 2022
0
0
0

सिंदबाद ने हिंदबाद और अन्य लोगों से कहा कि आप लोग स्वयं ही सोच सकते हैं कि मुझ पर कैसी मुसीबतें पड़ीं और साथ ही मुझे कितना धन प्राप्त हुआ। मुझे स्वयं इस पर आश्चर्य होता था। एक वर्ष बाद मुझ पर फिर यात्

28

सिंदबाद जहाजी की सातवीं यात्रा

29 जनवरी 2022
0
0
0

सिंदबाद ने कहा, दोस्तो, मैंने दृढ़ निश्चय किया था कि अब कभी जल यात्रा न करूँगा। मेरी अवस्था भी इतनी हो गई थी कि मैं कहीं आराम के साथ बैठ कर दिन गुजारता। इसीलिए मैं अपने घर में आनंदपूर्वक रहने लगा। एक

29

एक स्त्री और तीन नौकरों का वृत्तांत

29 जनवरी 2022
0
0
0

शहरयार को सिंदबाद की यात्राओं की कहानी सुन कर बड़ा आनंद हुआ। उसने शहरजाद से और कहानी सुनाने को कहा। शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद का नियम था कि वह समय-समय पर वेश बदल कर बगदाद की सड़कों पर प्रजा का

30

जवान और मृत स्त्री

29 जनवरी 2022
0
0
0

उस जवान ने कहा कि 'मृत स्त्री मेरी पत्नी और इन वृद्ध सज्जन की बेटी थी और यह मेरे चचा हैं। ग्यारह वर्ष पूर्व उससे मेरा विवाह हुआ था। हमारे तीन बेटे हैं जो जीवित हैं। मेरी पत्नी अत्यंत सुशील और पतिव्रता

31

नूरुद्दीन अली और बदरुद्दीन हसन

29 जनवरी 2022
0
0
0

मंत्री जाफर ने कहा कि पहले जमाने में मिस्र देश में एक बड़ा प्रतापी और न्यायप्रिय बादशाह था। वह इतना शक्तिशाली था कि आस-पड़ोस के राजा उससे डरते थे। उसका मंत्री बड़ा शासन- कुशल, न्यायप्रिय और काव्य आदि

32

काशगर के दरजी और बादशाह के कुबड़े सेवक

29 जनवरी 2022
0
0
0

दूसरी रात को मलिका शहरजाद ने पिछले पहर अपनी बहन दुनियाजाद के कहने से यह कहानी सुनाना आरंभ किया। पुराने जमाने में तातार देश के समीपवर्ती नगर काशगर में एक दरजी था जो अपनी दुकान में बैठ कर कपड़े सीता था।

33

ईसाई द्वारा सुनाई गई

29 जनवरी 2022
0
0
0

ईसाई ने कहा, मैं मिस्र की राजधानी काहिरा का निवासी हूँ। मेरा बाप दलाल था। उस के पास काफी पैसा हो गया। उस ने मरने के बाद मैं ने भी वही व्यापार आरंभ किया। एक दिन मैं अनाज की मंडी में अपने दैनिक व्यापार

34

अनाज के व्यापारी

29 जनवरी 2022
0
0
0

अनाज का व्यापारी बोला कि कल मैं एक धनी व्यक्ति की पुत्री के विवाह में गया था। नगर के बहुत-से प्रतिष्ठित व्यक्ति उसमें शामिल थे। शादी की रस्में पूरी होने पर दावत हुई और नाना प्रकार के व्यंजन परोसे गए।

35

उस आदमी की कहानी जिसके चारों अँगूठे कटे थे

29 जनवरी 2022
0
0
0

उस ने कहा कि दोस्तो, मेरा पिता बगदाद का रहनेवाला था और खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में था। मैं भी उसी समय पैदा हुआ। मेरा पिता यद्यपि धनवान तथा बड़े व्यापारियों में गिना जाता था तथापि वह बहुत ही विलासी औ

36

यहूदी हकीम द्वारा वर्णित

29 जनवरी 2022
0
0
0

यहूदी हकीम ने बादशाह के सामने झुक कर जमीन चूमी और कहा कि पहले मैं दमिश्क नगर में हकीमी किया करता था। अपनी चिकित्सा विधि के कारण वहाँ मेरी बड़ी प्रतिष्ठा हो गई थी। एक दिन वहाँ के हाकिम ने मुझ से कहा कि

37

काशगर के बादशाह के सामने दरजी की कथा

29 जनवरी 2022
0
0
0

दरजी ने कहा कि इस नगर के व्यापारी ने एक बार अपने मित्रों को भोज दिया और उनके लिए भाँति-भाँति के व्यंजन बनवाए। मुझे भी बुलाया गया। मैं जब वहाँ पहुँचा तो देखा कि बहुत-से निमंत्रित लोग मौजूद हैं किंतु मक

38

लँगड़े आदमी की कहानी

29 जनवरी 2022
0
0
0

मेरा पिता बगदाद के सम्मानित व्यक्तियों में से था और हम लोग आनंदपूर्वक वहाँ रह रहे थे। मैं अपने पिता का अकेला बेटा था। जिस समय मेरे पिता की मृत्यु हुई उस समय तक मैं न केवल विद्याध्ययन पूरा कर चुका था ब

39

दरजी की जबानी नाई की कहानी

29 जनवरी 2022
0
0
0

खलीफा हारूँ रशीद के काल में बगदाद के आसपास दस कुख्यात डाकू थे जो राहगीरों को लूटते ओर मार डालते थे। खलीफा ने प्रजा के कष्ट का विचार कर के कोतवाल से कहा कि उन डाकुओं को पकड़ कर लाओ वरना मैं तुम्हें प्र

40

नाई के कुबड़े भाई

29 जनवरी 2022
0
0
0

सरकार, मेरा सबसे बड़ा भाई जिसका नाम बकबक था, कुबड़ा था। उसने दरजीगीरी सीखी और जब यह काम सीख लिया तो उसने अपना कारबार चलाने के लिए एक दुकान किराए पर ली। उस की दुकान के सामने ही एक आटा चक्कीवाले की दुका

41

नाई के दूसरे भाई बकबारह की कहानी

29 जनवरी 2022
0
0
0

दूसरे रोज खलीफा के सामने पहुँच कर मैं ने कहा कि मेरा दूसरा भाई बकबारह पोपला है। एक दिन उससे एक बुढ़िया ने कहा, मैं तुम्हारे लाभ की एक बात कहती हूँ। एक बड़े घर की स्वामिनी तुम से आकृष्ट है। मैं तुम्हें

42

नाई के तीसरे भाई अंधे बूबक की कहानी

29 जनवरी 2022
0
0
0

नाई ने कहा, सरकार, मेरा तीसरा भाई बूबक था जो बिल्कुल अंधा था। वह बड़ा अभागा था। वह भिक्षा से जीवन निर्वाह करता था। उसका नियम था कि अकेला ही लाठी टेकता हुआ भीख माँगने जाता और किसी दानी का द्वार खटखटा क

43

नाई के चौथे भाई काने अलकूज

29 जनवरी 2022
0
0
0

नाई ने कहा कि मेरा चौथा भाई काना था और उसका नाम अलकूज था। अब यह भी सुन लीजिए कि उसकी एक आँख किस प्रकार गई। मेरा भाई कसाई का काम करता था। उसे भेड़-बकरियों की अच्छी पहचान थी। वह मेढ़ों को लड़ाने के लिए

44

नाई के पाँचवें भाई अलनसचर

29 जनवरी 2022
0
0
0

नाई ने कहा कि मेरे पाँचवें भाई का नाम अलनसचर था। वह बड़ा आलसी और निकम्मा था। वह रोज किसी न किसी मित्र के पास जा कर बेशर्मी से कुछ भीख माँग लेता और खा-पी कर पड़ा रहता। मेरा बाप कुछ समय बाद बूढ़ा हो कर

45

नाई के छठे भाई कबक जिसके होंठ खरगोश की तरह के थे

29 जनवरी 2022
0
0
0

नाई ने कहा कि अब मेरे आखिरी भाई शाह कबक का वृत्तांत रह गया है। इसे भी सुन लीजिए, फिर मैं आप से विदा लूँ। इस भाई का नाम शाह कबक था और उसके होंठ खरगोश की तरह ऊपर को चढ़े हुए थे और वह चलता भी खरगोश की तर

46

शहजादा अबुल हसन और हारूँ रशीद की प्रेयसी शमसुन्निहार

29 जनवरी 2022
0
0
0

खलीफा हारूँ रशीद के शासनकाल में बगदाद में एक अत्यंत धनाढ्य और सुसंस्कृत व्यापारी रहता था। वह शारीरिक रूप से तो सुंदर था ही, मानसिक रूप से और भी सुंदर था। वहाँ के अमीर-उमरा उसका बड़ा मान करते। यहाँ तक

47

कमरुज्जमाँ और बदौरा

29 जनवरी 2022
0
0
0

फारस देश में बीस दिन की राह पर एक देश खलदान है। उस देश में कई टापू भी शामिल हैं। बहुत दिन पहले वहाँ का बादशाह शाहजमाँ था। उसके चार पत्नियाँ थीं और सात विशेष दासियाँ। वह बड़ा प्रतापी राजा था, उसके दे

48

नूरुद्दीन और पारस देश की दासी

29 जनवरी 2022
0
0
0

अगली सुबह से पहले शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि पहले जमाने में बसरा बगदाद के अधीन था। बगदाद में खलीफा हारूँ रशीद का राज था और उसने अपने चचेरे भाई जुबैनी को बसरा का हाकिम बनाया था। जुबैनी के

49

ईरानी बादशाह बद्र और शमंदाल की शहजादी

29 जनवरी 2022
0
0
0

शहरजाद ने कहा कि बादशाह सलामत, ईरान बहुत बड़ा देश है। पुराने जमाने में वहाँ बड़े शक्तिशाली और प्रतापी नरेश हुआ करते थे और उन्हें शहंशाह यानी बादशाहों का बादशाह कहा जाता था। उसी काल का वहाँ का एक बादशा

50

गनीम और फितना

29 जनवरी 2022
0
0
0

दुनियाजाद ने मलिका शहरजाद से नई कहानी सुनाने को कहा और बादशाह शहरजाद ने भी अपनी मौन स्वीकृति दे दी तो शहरजाद ने नई कहानी शुरू कर दी। उसने कहा कि पुराने जमाने में दमिश्क नगर में एक व्यापारी रहता था जिस

51

शहजादा जैनुस्सनम और जिन्नों के बादशाह

29 जनवरी 2022
0
0
0

पुराने जमाने में बसरा में एक बड़ा ऐश्वर्यवान और न्यायप्रिय बादशाह राज करता था। उसे सबकुछ प्राप्त था किंतु उसे बहुत दिनों तक कोई संतान नहीं हुई जिससे वह बहुत दुखी रहता था। नगर निवासी भी बादशाह के साथ म

52

शहजादा खुदादाद और दरियाबार की शहजादी-

29 जनवरी 2022
0
0
0

उपर्युक्त कहानी के मध्य में एक यात्रा में जैनुस्सनम के दरियाबार देश मे जाने का भी उल्लेख है। वहाँ की एक चित्ताकर्षक कथा उस ने सुनी थी। वह कथा भी इस जगह कही जाती है। हैरन नगर में एक बड़ा प्रतापी बादशा

53

दरियाबार की शहजादी

29 जनवरी 2022
0
0
0

उस सुंदरी ने कहा कि काहिरा के निकट दरियाबार नाम एक द्वीप है। उस का बादशाह सब प्रकार से सुखी था किंतु उसे संतान न होने का बड़ा दुख था। वर्षों की प्रार्थनाओं और सिद्धों के आशीर्वादों से उस के यहाँ एक पु

54

सोते-जागते आदमी

29 जनवरी 2022
0
0
0

शहरजाद ने कहा कि खलीफा हारूँ रशीद के जमाने में बगदाद में एक धनी व्यापारी था। उस का एक ही पुत्र था जिसका नाम अबुल हसन था। व्यापारी बड़ा कंजूस था। वह धन एकत्र ही करता था, खर्च बहुत कम करता था। इसलिए जब

55

अलादीन और जादुई चिराग

29 जनवरी 2022
0
0
0

चीन की राजधानी में मुस्तफा नाम का एक दरजी रहता था। वह गरीब आदमी था और बड़ी कठिनाई से अपने परिवारवालों का पेट भरता था। उस के पुत्र का नाम अलादीन था जो कुछ काम-काज नहीं करता था सिर्फ खेल-कूद में समय ब

56

खलीफा हारूँ रशीद और बाबा अब्दुल्ला

29 जनवरी 2022
0
0
0

दुनियाजाद के प्रस्ताव और शहरयार की अनुमति से नई कहानी प्रारंभ करते हुए शहरजाद ने कहा कि कभी-कभी आदमी का चित्त प्रसन्न होता है और उसकी कोई साफ वजह भी नहीं होती। ऐसी स्थिति भी होती है जब आदमी खुश तो होत

57

अंधे बाबा अब्दुल्ला

29 जनवरी 2022
0
0
0

बाबा अब्दुल्ला ने कहा कि मैं इसी बगदाद नगर में पैदा हुआ था। मेरे माँ बाप मर गए तो उनका धन उत्तराधिकार में मैंने पाया। वह धन इतना था कि उससे मैं जीवन भर आराम से रह सकता था किंतु मैंने भोग-विलास में सार

58

सीदी नोमान

29 जनवरी 2022
0
0
0

भिखारी की कहानी सुनने के बाद खलीफा ने बराबर घोड़ी दौड़ानेवाले पर ध्यान दिया और उससे पूछा कि तुम्हारा क्या नाम है। उसने अपना नाम सीदी नोमान बताया। खलीफा ने कहा, मैंने बहुत-से घुड़सवारों और साईसों को दे

59

ख्वाजा हसन हव्वाल

29 जनवरी 2022
0
0
0

ख्वाजा हसन ने कहा कि मैं अपनी बात बताने के पहले अपने दो मित्रों के बारे में बताना चाहता हूँ। वे अभी जीवित हैं और यहीं बगदाद में रहते हैं। वे मेरे प्रत्येक कथन की पुष्टि करेंगे। उनमें से एक का नाम सादी

60

अलीबाबा और चालीस लुटेरों की कहानी

29 जनवरी 2022
0
0
0

अगली रात को मलिका शहरजाद ने नई कहानी शुरू करते हुए कहा कि फारस देश में कासिम और अलीबाबा नाम के दो भाई रहते थे। उन्हें पैतृक संपत्ति थोड़ी ही मिली थी। किंतु कासिम का विवाह एक धनी-मानी व्यक्ति की पुत्री

61

बगदाद के व्यापारी अली ख्वाजा

29 जनवरी 2022
0
0
0

खलीफा हारूँ रशीद के राज्य काल में बगदाद में अलीख्वाजा नामक एक छोटा व्यापारी रहता था। वह अपने पुश्तैनी मकान में, जो छोटा-सा ही था, अकेला रहता था। उसने विवाह नहीं किया था और उसके माता पिता की भी मृत्यु

62

यंत्र के घोड़े

29 जनवरी 2022
0
0
0

बादशाह सलामत, आपको यह मालूम ही है कि हजारों वर्ष से फारस में नौरोज यानी वर्ष का प्रथम दिवस बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। उसमें सभी लोग विशेषतः अग्निपूजक, भाँति-भाँति के नृत्यों और खेल-तमाशों का आय

63

शहजादा अहमद और परीबानू

29 जनवरी 2022
0
0
0

शहरजाद ने कहा, बादशाह सलामत, पुराने जमाने में हिंदोस्तान का एक बादशाह बड़ा प्रतापी और ऐश्वर्यवान था। उसके तीन बेटे थे। बड़े का नाम हुसैन, मँझले का अली और छोटे का अहमद था। बादशाह का एक भाई जब मरा तो उस

64

ईर्ष्यालु बहनों की कहानी

29 जनवरी 2022
0
0
0

पुराने जमाने में फारस में खुसरो शाह नामी शहजादा था। वह रातों को अक्सर भेस बदल कर सिर्फ एक सेवक को अपने साथ रख कर नगर की सैर किया करता था और संसार की विचित्र बातें देख कर अपना ज्ञान बढ़ाया करता था। ज

65

बैल और गधा

29 जनवरी 2022
0
0
0

एक बार एक सौदागर था जो बहुत अमीर था। उसके पास बहुत सारे नौकर चाकर और जानवर थे। उसकी एक पत्नी थी और परिवार था और वह अपने खाने पीने के लिये खेती करता था। उसके पास जंगली जानवरों और हर तरह की चिड़िया की बो

66

भेड़िये और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
0
0
0

एक बार एक लोमड़ा और एक भेड़िया एक ही घर में रहते थे। भेड़िया बहुत ही बेरहम था जबकि लोमड़ा बहुत नरम दिल था। इसी तरह से रहते हुए उन्हें कुछ दिन हो गये कि एक दिन वह लोमड़ा भेड़िये से बोला — “अगर तुम इसी तरीके

67

लोमड़े और कौए की कहानी

29 जनवरी 2022
0
0
0

एक लोमड़ा एक पहाड़ की एक गुफा में रहता था। जब भी उसको एक बच्चा पैदा होता और वह बड़ा हो जाता तो वह उसको खा जाता क्योंकि उसको भूख बहुत लगती थी। अगर वह अपने बच्चों को न खाता तो उसके वे बच्चे बड़े हो जाते और

68

साही और कबूतर

29 जनवरी 2022
0
0
0

एक बार एक साही एक खजूर के पेड़ के नीचे रहने के लिये आया। उसी पेड़ के ऊपर एक कबूतर अपनी पत्नी के साथ रहता था। साही ने सोचा कि यह कबूतर का जोड़ा तो इस पेड़ के फल खाता है पर मुझे इस पेड़ के फल खाने का कोई मौ

69

बतख और कछुए की कहानी

29 जनवरी 2022
0
0
0

एक बार एक बतख बहुत ऊपर उड़ा और बहते हुए पानी में खड़ी एक चट्टान पर जा कर बैठ गया। जब वह वहाँ बैठा हुआ था तो पानी की एक लहर एक आदमी का ढाँचा उसके पास ला कर छोड़ गयी। बतख ने उसको ठीक से देखा तो उसको पता लग

70

चुहिया और एक ततैये की कहानी

29 जनवरी 2022
0
0
0

एक बार एक चुहिया और एक मादा ततैया एक गरीब किसान के घर में एक साथ ही रहते थे। एक बार उस किसान का एक दोस्त बीमार पड़ गया तो डाक्टर ने उसको धुले तिल21 खाने की सलाह दी। सो उस किसान ने एक आदमी से अपने दोस्

71

कौआ और बिल्ला

29 जनवरी 2022
0
0
0

एक समय की बात है कि एक कौआ और एक बिल्ला दोनों आपस में बड़े गहरे दोस्त थे और साथ साथ रहते थे। एक दिन वे दोनों एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे कि उन्होंने एक चीते23 को अपनी तरफ आते हुए देखा। उनको उसके अपनी त

72

चिड़ा और मोर

29 जनवरी 2022
0
0
0

एक बार की बात है एक चिड़ा रोज सुबह सुबह चिड़ियों के राजा से मिलने जाता था और सारा दिन उसकी सेवा में खड़ा रहता था। वह सबसे पहले वहाँ पहुँचता था और सबसे बाद में वहाँ से वापस आता था। एक बार कुछ चिड़ियों ने

73

मुर्गे और लोमड़े की कहानी

29 जनवरी 2022
0
0
0

एक बार एक गाँव में एक शेख रहता था। उसकी अपने गाँव में बहुत अच्छी साख थी और वह एक बहुत ही समझदार आदमी था। उसके अपने पास बहुत सारे मुर्गे मुर्गियाँ थे। वह उनको बढ़ाने के लिये उनकी बहुत अच्छी देखभाल करता

74

चिड़ियें, जानवर और बढ़ई

29 जनवरी 2022
0
0
0

जानवरों की यह कहानी बहुत ही मजेदार है। हो सकता है कि तुम इसको बार बार पढ़ना पसन्द करो और हर किसी को खास करके अपने छोटे भाई बहिनों को बार बार सुनाना पसन्द करो। बहुत पुरानी बात है कि एक मोर अपनी पत्नी क

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए