इंसानों की बस्ती में भावनाओं की अभिव्यक्ति में सच्चा प्यार कहां हैं।। भौतिकता की भाषा में इच्छाओं की अभिलाषा में सच्चा प्यार कहां हैं।। हाथों से लिखें ख़त की सुगंध में मां के हाथों के पकवानों म
लुका छुपी आंखों की कब दिल में उतर गई। आंखों की गुस्ताखियां दिल को सजा दे गईं।। हम तो बसंत बहार जैसे थे कब तुम सावन बन बरस गए।। लुका छुपी के खेल में अंश जीवन के बारहों मास प्यार और विरह में चा
ठंडी हवा के झोंके। तपती धूप में स्नेहिल अहसास बन तन मन को करार देता है।। ठंडी हवा के झोंके गोरी के बालों को छूकर जब बिखराता है। तमाम मनचलों का दिल मचल जाता है।। ठंडी हवा के झोंके बर्फीली हवा
ठंडी हवा जब आती है। तन मन हर्षाती है।। ठंडी हवा के झोंके से। गोरी की जुल्फें उड़ती है। कितने उड़ते भौरों को घायल करके जाती है।। गम तनाव से दग्ध हृदय को जब ठंडी हवा का झोंका छूता है। प्यार का अ
सुमन सुधा बन कर। कली से पुष्प तक अंश।। पल्लवित पुष्पित हो। सुमन सुखद अहसास बन सबके सपनों को महकाओं। उन्मुक्त खुशबू बन छा जाओ।। सुमन आच्छादित फुलवारी सबके हृदय को है भाती। रंग बिरंगे फूलों से ज
मेरी जिंदगी खुली किताब है। हृदय आईना की तरह साफ है।। जनमानस के मन में कदम कदम पर हौसलों से उम्मीद जगाई है।। सबकी खुशियों की खातिर मैंने अपनी खुशियां खेत कर दिया है।। हृदय के सौ सौ टुकड़े किए लोग
मेरी जिंदगी इक रेत का टीला। सुख दुख दोनों का एक ही सिलसिला।। कामयाबी मिल हाथों से फिसल जाती है। रेत की तरह फिसलती चली जाती है।। रिश्तों को बहुत संजोया मैंने। प्यार मुहब्बत की मिठास भरा उसमें।
मैंने अपने मां बाप के सपने अपनी आंखों से देखे हैं। उनकी छांव में बैठकर ख्वाबों के महल बनाये है।। मां बाप के आशीर्वचनों से समाज में रसूख बनाया है। दीन दुखियों की सेवा में मां बाप के सपने को साक
तुझ बिन अधूरी है ख्वाहिशें
तुमसे मिलने कि है साजिशें
अब दिल मुझे मिलता ही नही
ना काटती हूं, ना जलाती हूं,
ना सुखाती हूं, ना मिटाती हूं,
नन्ही परी, गुड़ की डली,
चाशनी तू प्यार की।
रंगों भरी, नन्ही कली,
खुशियां
चांद कटोरा, सपने बटोरा,
आंगन बैठा रे,
संग निदिया रानी तुझे बुलाए,
सो जा
कोई और रंग अब ज़्ज़ता ही नहीं है, रंग बसंती रंग में रंगरंग कर आया हूं, सांसों की जागीर नाम तेरे लिखकर, मैं केशरिया तिलक लगा कर आया हूं। मैया को यादों की, बाबा को जाड़े की, धूप मखमली
हमसफर मेरे हमसफर।
साथ तेरा यूँ ही उम्र भर।
तू आकाश नीला
मैं चंचल सी
हवाएं घटाएं हमें ना सताते।
अगर चाय पर तुम हमें ना बुलाते।
तुम्हें द
अपने भीतर, तू निरंतर, लौ जला ईमान की
तम के बादल भी छंटेंगे, यादकर भगवान की
अपने भीतर तू
मैंने इस संसार में, झूठी देखी प्रीत
मेरी व्यथा-कथा कहे, मेरा दोहा गीत
मैंने इस संसार मे
याद शहीदों की जब आई, आया आँखों में पानी
हम एक पल भी न भूले, वीर शहीदों की क़ुर्बानी
याद
कामाग्नि से जन्म है होता, जठराग्नि से जीवन चलता। चिताग्नि से म
👦👧👩💼🕵️ बाल गीत 🕵️👩💼👧👦खटर पटर जब बगल के कमरे से आया।मुन्ना चौंक कर दोनो कान उधर तब लगाया।बर्तन पटकने ऐसा उसे समझ में आया।खाना बना नहीं भूख लगी जल रही काया।मुन्ना झटक जा माँ का कँधा पकड़ लटका।देखा माँ की आँखों से आँसू दो तब टपका।बोली बेटा महिने से पापा का काम बंद है।राशन सारा रखा खा गये अब