मैं कई गन्जों को कंघे बेचता हूँएक सौदागर हूँ सपने बेचता हूँकाटता हूँ मूछ पर दाड़ी भी रखता और माथे के तिलक तो साथ रखता नाम अल्ला का भी शंकर का हूँ लेताहै मेरा धंधा तमन्चे बेचता हूँएक सौदागर हूँ ...धर्म का व्यापार मुझसे पल रहा हैदौर अफवाहों का मुझसे चल रहा है यूँ नहीं
"कजरी गीत"मोहन गोकुल नगर सुधारी, मधुवन कीन्ह सुखारी नाजाकर मथुरा डगर निहारी, सुखी कीन्ह महतारी ना......मोहन गोकुल नगर....धारी गोवर्धन गिरधारी, आओ न फिर यमुन कछारी नागाय ग्वाल गोपिन दुख हर्ता, पनघट की सखियाँ न्यारी..... मोहन गोकुल नगर ......रास आस तुमसे बनवारी, गौतम तो रहा अनारी नासावन झूला डाल-डाल प
"बाल गीत"चंदा मामा आ भी जाओ, लेकर अपना प्यारमेरी माँ के भाई हो तुम, तारों के सरदारबहुत खिलाया माँ ने कहकर, लाएंगे चंदा मामादूध-भात से भरा कटोरा, रहते घिर बादल श्यामाछुप जाते क्यों आप बताओ, वादा नहीं निभाते होआज छमाछम है सावन की, तुम हो झूला के रखवारचंदा मामा आ भी जाओ, लेकर अपना प्यारमेरी माँ के भाई
"गीत" आंचलिक पुटमोरे अँगने में है तुलसी का चौराएक पेड़ नीम संग आम खूब बौराअड़हुल का फूल लाल केसर कियारीमगही के पतवा तुराये भरि दौरा.....मोरे अँगने मेंगाय संग कुकुरा के रोज रोज कौराधूल और माटी में खेले चंचल छौरागैया के गोबर भल घास दूब मोथाबगिया फुलाए पै उड़े लागल भौंरा.....मोरे अँगने मेंहोखे जब ओसवनी तब
शादी के बाद ससुराल से एक बेटी की अपनी माँ को भावनात्मकपाती -- गीत जिसकी रज ने गोद खिलाया , पैरों को चलना सिखलाया . जहाँ प्यार ही प्यारभरा था - वह आंगन बहुत याद आता है | सुबहसुबह आँखें खुलते ही , तेरा वहपावन सा चुम्बन | फिरदोनों बांहों में भरकर. हल
"भोजपुरी गीत"चल चली वोट देवे रीति बड़ पुरानीनीति संग प्रीति नौटंकी भई कहानी.......लागता न लूह, न शरम कौनो बाति केघूमताटें नेता लोग दिन अउर राति केकेके देई वोट केकरा के गरिआईंउठल बाटें कई जनी हवें अपने जाति केलोगवा के मानी त होई जाई नादानीनीति संग प्रीति नौटंकी भई कहानी.......चल चली वोट.....भागु रे पत
"देशज गीत" सजरिया से रूठ पिया दूर काहें गइलनजरिया के नूर सैंया दूर काहें कइलरचिको न सोचल झुराइ जाइ लौकीकोहड़ा करैला घघाइल छान चौकीबखरिया के हूर राजा दूर काहें गइल..... सजरिया से रूठ पिया दूर काहें गइलकहतानि आजा बिहान होइ कइसेझाँके ला देवरा निदान होइ कइसेनगरिया के झूठ सैंया फूर काहें कइल..... सजरिया स
फिर आज तुम्हारी याद आयी,फिर मैंने तुम पर एक गीत लिखावहीं लिखा जो लिखता आया हूँतुमको फिर अपना मीत लिखा।फिर आज तुम्हारी याद आयी...जिन कदमों की आहट भर से,बढ़ जाती है लय इन सांसों कीउन कदमों को लिखा बांसुरीसांसों की लय को संगीत लिखा।फिर आज तुम्हारी याद आयी....मेरी नजरों से तो हो ओझल तुमपर फिर भी हो मेरे
भोजपुरी गीत, मात्रा भार-24, मुखड़ा समान्त- ए चिरई, अंतरा समान्त- क्रमशः खटिया,जनाना, जवानी,"भोजपुरी गीत"साँझे कोइलरिया बिहाने बोले चिरईजाओ जनि छोड़ी के बखरिया झूले तिरई....... साँझे कोइलरिया बिहाने बोले चिरईदेख जुम्मन चाचा के अझुराइल खटियाहोत भिनसारे ऊ उठाई लिहले लठियागैया तुराइल जान हेराइ गईल बछवाखो
छंद - द्विगुणित पदपादाकुलक चौपाई (राधेश्यामी) गीत, शिल्प विधान मात्रा भार - 16 , 16 = 32 आरम्भ में गुरु और अंत में 2 गुरु "राधेश्यामी गीत" अब मान और सम्मान बेच, मानव बन रहा निराला है।हर मुख पर खिलती गाली है, मन मोर हुआ मतवाला है।।किससे कहना किसको कहना, मानो यह गंदा नाला है।सुनने वाली भल जनता है, कह
देश भक्ति की भावना को और जोशीला करने के लिए आज हम लेकर आये है चुनिन्दा देश भक्ति गीत, शायरी और गाने | यह देश भक्ति गीत आपमें जोश भर देगी और देश भक्ति के शायरी और सन्देश आप अपने दोस्त और परिवार को भेज उनके अन्दर की देश भक्ति जगा सकते है| न केवल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत
मानव जब राह भटक जाता , -नैतिक मूल्यों से हट जाता , - तब मानवता अपने पावन आदर्श बता उससेकहती -
“भोजपुरी गीत”कइसे जईबू गोरीछलकत गगरिया, डगरिया में शोर हो गइलकहीं बैठल होइहेंछुपि के साँवरिया, नजरिया में चोर हो गइल...... बरसी गजरा तुहार, भीगी अँचरा लिलार मति कर मन शृंगार, रार कजरा के धारपायल खनकी तेहोइहें गुलजार गोरिया मनन कर घर बार, जनि कर तूँ विहार,कइसे विसरी धनापलखत पहरिया, शहरिया अंजोर हो गइ
आज 14 अगस्त है,स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व सन्ध्या... और कल फिर से पूरा देश स्वतन्त्रता दिवस कीवर्षगाँठ पूर्ण हर्षोल्लास के साथ मनाएगा... अपने सहित सभी को स्वतन्त्रता दिवस कीहार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ...स्वतन्त्रता – आज़ादी – व्यक्ति को जब उसके अपनेढंग से जीवंन जीने का अवसर प्राप्त होता है तो निश्चित र
पथ पर बढ़ते ही जाना हैअभी बढ़ाया पहला पग है, अभी न मग को पहचाना है |अभी कहाँ रुकने की वेला, मुझको बड़ी दूर जाना है ||कहीं मोह के विकट भँवर में फँसकर राह भूल ना जाऊँ | कहीं समझकर सबको अपना जाग जाग कर सो ना जाऊँ |मुझको सावधान रहकर ही सबके मन को पा जाना है ||और न कोई साथी, केवल
रात भर से रुकरुक कर बारिश हो रही है - मुरझाई प्रकृति को मानों नए प्राण मिल गए हैं... वो बातअलग है कि दिल्ली जैसे महानगरों में तथा दूसरी जगहों पर भी - जहाँ आबादी बढ़ने केसाथ साथ “घरों” की जगह “मल्टीस्टोरीड अपार्टमेंट्स” के रूप में कंकरीट के घनेजंगलों ने ले ली है... बिल्डिंग
लहरों का या खेल अनोखा, लहरों कायह खेल |एक लहर इस तट को जाती, दूजी उसतट को है जाती कभी कभी पथ में हो जाता है दोनोंका मेल ||अनगिन नौका और जलयान यहाँ हैंलंगर डाले रहते और अनगिनत राही इस उस तट परनित्य उतरते रहते |इसी तरह तो वर्ष सदी और कल्पयहाँ हैं बीते जाते पर न कभी रुकने पाता है ऐसाअद्भुत खेल ||एक सना
“देशज गीत” जिनगी में आइके दुलार कइले बाटगज़ब राग गाइके सुमार कइले बाटनीक लागे हमरा के अजबे ई छाँव बा कस बगिया खिलाइ के बहार कइले बाट॥......जिनगी में आइके दुलार कइले बाटफुलाइल विरान वन चम्पा चमेलीकान-फूंसी करतानी सखिया सहेलीमनवा डेरात मोरा पतझड़ पहारूरात-दिन सावन जस फुहार कइ
इसी धरा , इसी जमीं पर जीवन मुझे हर बार मिलेहे जन्म भूमि ! माते धरतीहर जन्म में तेरा प्यार मिले।। कितनी प्यारी ये धरती हैंकितनी हैं इसकी सुन्दरताइसकी माटी की सौंधी महकतन मन को कर देती ताजाकितनी शक्ती हैं तुझमें माँहम सब के बोझ को है झेलेहे जन्म भूमि