ये तो बहुत बड़ी तानाशाह सरकार है। इसने अपने दोनों कार्यकाल में एक भी बम भारत में नहीं फटने दिया। पहले वो दूसरे देशों से आकर भारत के किसी भी शहर में बम फोड़ जाते थे और हम दिवाली पर सुतली बम भी नहीं फोड़ पाते। वो पाकिस्तान से यहाँ आकर आतंकी घटना को अंजाम देकर वापस भी चले जाते थे और यहाँ पर पुलिस उनके मोहल्ले में भी नहीं जा पाती थी कि कहीं कुछ हो न जाये। बाबा (1) का डमरू क्या बजा कि न जाने बन्दरों (2) में कहाँ से हिम्मत आ गयी। कल तक तो ये बन्दर चूहे (3) थे जो माफिया को देखकर बिल में घुस जाते थे। अब उल्टा हो रहा है खाकी का नाम सुनते ही कीड़े मकोड़े अपने बिलों से निकलकर खुद चूहेदानी (4) में आ रहे हैं।
पता नहीं ये फकीर कैसा तानाशाह है जो लोग इसके बारे में इतना कुछ बोल लेते हैं, कार्टून व ऊट पटांग फोटो बना लेते हैं। ये दोनों डबल ईंजन जनता को डरा धमका रहे हैं तभी जनता इनते सारे वोट इन्हें डाल आती है। इनके चुनाव जीतते ही हाथी वाली बहन जी ने चिल्लाना शुरू कर दिया कि मशीन में गड़बड़ की गई थी। बटन कोई भी दवाओं पर वोट एक ही पार्टी को जाता है। उनकी बात सुनकर मफलर धारी दिल्ली वासी ने भी सुर मिलाना शुरू कर दिया। वो पागलों की तरह जनता को अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री दिखाने लगा। लेकिन बहन जी बंगाल व दिल्ली की तरह मशीन को हैक नहीं कर पाई। इधर भतीजे ने उन्हें अपनी साइकिल पर लखनऊ छोड़ने का न्यौता दे दिया था लेकिन हाथी के सवारी करते ही साइकिल पिचक गई।
( 1- बुलडोजर वाले , 2- खाकी रंग वाले , 3- फिर से खाकी रंग , 4- जेलों )