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जीवन

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अनकही ख्वाहिश ऐसी,जो बयां न की अब तक।ख्वाहिशों का अंत नहीं,मन मृगतृष्णा होता यहीं।।कभी खाने में स्वाद की,सैर सपाटे की ख्वाहिश।अनकही ख्वाहिश ऐसी,कहें अगर ख्वाहिश कैसी।।कभी बच्चों से जुड़े हुए,मंजिल मिल

किरदार अपना अपना,जीवन में सभी निभाते हैं।कभी हंसते कभी रोते हैं,कभी सुख दुःख देखते हैं।।किरदार अपना अपना,जीवन मंत्र सार सबका।कभी खुशी कभी रंजोगम,कभी लोक कल्याण सबका।।किरदार अपना अपना,निभाना पड़ता सभी

यह जिंदगी का खेल है,जिंदगी जंग से कम नहीं।इस जंग में कभी हार होती,कभी जीत दर्ज हो जाती।।हार से मिलती है सीख,सबक सिखाने आती है।करो मेहनत सही दिशा में,दिशा निर्देश दिखाती है।।दिशा निर्देश सही प्रशस्त ,म

रंग बिरंगी तितली देखो,उड़ती मस्त पवन में।फूल फूल मंडराती देखो,उड़ती तितली मधुवन में।।तितली बैठे जब फूलों पर,रस फूलों का ले लेती है।मकरंद फूलों का ले लेकर,फूल फूल ऐसे मंडराती है।।इतराती इठलाती तितली,फू

जिज्ञासा एक आशा है,जागरूकता जो जगाती।कुछ जानने को उत्सुक,मन में आस वह जगाती।।उत्सुक और बेचैन मन,पिपासा को वह जगाता।जिज्ञासा है एक आशा,बेचैन मन को शांत करता।।जब तक जान न लेता,तब तक शांत न होता।जिज्ञासा

खबर कितनी सच है?ये जानना है जरूरी।ये वक़्त का तकाजा है,मानना भी है जरूरी।।खबर कितनी सच है?ये कुछ सच कुछ झूठ।फैलाव इसका चहुंओर,मानु इसको सच या झूठ।।खबर कितनी सच है?चोरी, डकैती,लूटपाट।मारामारी और दंगे फ

रहस्यमयी सफ़र हो जहां, एक अनजानी डगर वहां। अनजान रास्ते रहस्यों भरी, आंखों में सजाए सपने भरी।। अनमोल सपने सच करने, अनजान डगर चलते जहां। रहस्यों से जुड़ी दुनिया में, हर मोड़ नया लगता जहां।। रहस्यों को

सफलता का स्वाद चखा, वही जिसने संघर्ष किया। संघर्ष ही हमारा जीवन है, कार्यरत नित्य कर्म प्रयत्न है।। सफलता का स्वाद चखा, असफल जीवन से प्रेरणा ली। असफलता सफलता की जननी, कोशिश यूं ही प्रत्यनशील चली।। सफल

परिश्रम का फल मिलता जरूर, मीठा फल इंसान चखता जरूर। परिश्रम अगर किया सही दिशा में, दिशा निर्देश इंसान बढ़ता जरूर।। यकीन करो न करो तुम प्रभु पर, कर्म भूमि से जुड़े हमेशा रहो तुम। राह अडिग कदम डगमगाए नही

कड़ी तपस्या से प्रसन्न हो,ईश्वर ने ये आशीर्वाद दिया।सदा ज्ञान का उपयोग करो,प्रभु सेवा सुश्रुषा नित्य करो।।कड़ी तपस्या से हम सब,आकाश को भी छू लेते।ज्ञान मार्ग प्रशस्त हो कर,जीवंत जोश हम भर देते।।कड़ी त

जिंदगी भी कितनी अजीब है ना, कभी रुलाती है कभी हँसाती है। अपने ही अंदाज में अपने रंग बिखेरती है..कहते है कि जिंदगी गुलाब की पंखुड़ियों जैसे कोमल है पर सब ये भी जानते है कि काँटे भी है उस गुलाब के साथ।

नारी तू ही नारायणी,मां, जननी, जगदम्बा।नारी से होता संसार,नारी की महिमा अपार।।नारी होती है स्वयं शक्ति,होते हैं इसके विभिन्न रूप।जरूरत खुद पहचानने की,होते हैं क्या इसके स्वरूप।।नारी दुर्गा नारी ही शक्त

कभी खुशी कभी गम, जुड़े हैं जीवन से हरदम। होते हैं जीवन के पहलू, अनुभव जीवन के हरदम।। मर्म जीवन का सिखाते, कर्मभूमि से जुड़े रहे हम। प्रयासों से मिलती राहे, प्रयासों से सफल हो हम।। नहीं है जीवन कोरी कल

दोहे—मीरा  दीवानी  हुई  , श्याम  दिखे  चहुँओर ।विष प्याला अमृत हुआ,श्याम समाए कोर ॥मीरा की वाणी बसे, सप्त सुरों का मेल ।कृष्ण भजन में रम गई,राणा खेलें खेल ॥दासी मीरा हो गई,कृष

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आई है शुभ दीपावली,पूर्ण हो सबकी मंगल कामना।घर घर दीपों की रोशनी,आस्था विश्वास और कामना।।श्रीराम के आगमन पर,अयोध्यावासी दीप जलाते हैं।घर घर धूम मची हुई,हर्षोल्लास से मंगल गाते हैं।।दीपों की पंक्ति सजाक

सत्य का मार्ग प्रशस्त हो,राह अपनी अडिग रहे।पल पल जुड़ा सत्य से,मार्गदर्शन वही प्रशस्त रहे।।अनुसरण सत्यता का रहे,प्रयास भी वही सफल रहे।सत्य का मार्ग प्रशस्त हो,बुलंदियों को हम छूते रहे।।आदर्श आचरण व्यव

सूनी आंखों में, सपनों  का  द्वार  नहीं  होता है।हर दुख का, आंसू से  उपसंहार  नहीं  होता है।।...चेहरा  तो  झूठा है, ये  सच  कहां  बयां 

एकबार कलाम के विज्ञान के शिक्षक ने उन्हें अपने घर खाने पर बुलाया । इस बात से उन शिक्षक की पत्नी परेशान हो उठीं कि उनकी पवित्र रसोई में एक मुसलमान युवक को भोजन पर आमंत्रित किया गया है । उन्होंने कलाम क

जीवन की डोर बंधी,रिश्तों के भंवर में फंसी।आशा और निराशा बीच,संबंधों की डोर में फंसी।।विश्वास और आस्था बीच,एक दूजे में पनपती रहे।हम सब साथ साथ रहे,विचारों का सम्मान भी रहे।।विचारों का दर्पण भी हो,शब्दो

विश्वास की शक्ति ऐसी,देखती नहीं कोई प्रमाण।मन से मन में जुड़े हुए,होते हैं आधार प्रमाण।।विश्वास की शक्ति ऐसी,मन में विचारों का दर्पण।मन में आसक्त विचारों से,सहमत हो मंथन का दर्पण।।विश्वास की शक्ति ऐसी

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