जिंदगी भी क्या पहेली,समझ गया तो सहेली।जो न समझ सका तो,होती है अनबूझ पहेली।।जिंदगी जीने का ढंग,तय करे खुद इंसान।कभी कभी न समझे,बदल जाता है इंसान।।जिंदगी की पहेली भी,अजीबोगरीब कारनामे।कभी खुशी तो कभी गम
हे जन तेरी इस भोली सूरत में संसार छुपा है।इस सारी दुनिया का दुख दर्द छुपा है।कितनी मशक्कत करनी पड़ती है जिंदगी को चलाने के लिए।कितनी तपस्या करनी पड़ती है मनुष्य जीवन पाने के लिए।सारी दुनिया के दर्द छु
देखती हूँ जब मैं चाँद को तब याद तुम्हारी आती है सीने में दर्द और आँखों में आँसू भर जाते है . . . &nb
इतनी भी क्या जल्दी थीचाँद के पास जाने कीतारा बनने की और हम सब से यूँ दूर जाने की😔😔😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )
गुरुकुल में शिक्षा दीक्षा,शिष्य ग्रहण करें दिन रैन।चाहे करें वह चाकरी,या फिर हो शिक्षा रैन।।गुरुकुल में रहकर शिष्य,सीखते है जीवन के पाठ।गुरु की सेवा सुश्रुषा से,पाते गुरुकृपा का पाठ।।वृक्ष तले खुले आस
आज का आधुनिक भारत।किसी को मिलती नहीं राहत।।महंगाई पकड़े अब जोर है।सब करते यही अब शोर है।।गरीबों का होता बुरा हाल।अमीर और होते मालामाल।।नेतागण कैसे पैसे ये कमाते।मध्यम वर्गीय हि
घर ,गली और शहर है ,तुझे ढूढ़ रहा,कहा तुम चले गए,क्या हुई हमसे ख़ता,हमसे यू मुँख मोड़ गये✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )
हर बार तुने हँसया था,इस बार तू रुला गया ।हमसे क्या गुनाह हो गया,जो तुमने ऐसी सजा सुना गया ।✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )
बहुत याद आ रही है , तुम्हारी मुस्कुराहट , तुम्हारी आवाज ,तुम्हारी हर वो चीज जिससे,तुम जुड़े थे , वो सब बहुत याद आ रही है।लग ही नही रहा कि तुम , इस दुनियाँ को कुछ समय पहले ,छोड़ के जा चुके हो ।मान
दोस्ती एक अनमोल गहना,रूठना मनाना चलता रहता।नाराज़ होने पर शांत रहना,नाराज़ हो गए मानना चलता।।दोस्ती एक अनमोल गहना,विचार विमर्श मंच चलता।न शिकवा न शिकायत हो,शब्द आदान प्रदान चलता।।दोस्ती एक अनमोल गहना,
समय और शब्द का तुम,न लापरवाही से करो प्रयोग।वरना दुनिया की भीड़ में,होगा तुम्हारी ही उपयोग।।गलत बोलने पर कभी,वह वापस नहीं आता।शब्द तीर की तरह होता,कमान में वापस नहीं आता।।जो कल समय था आज नहीं,आज के पल
" कभी किसी को किसी से, यू मत छिन लेना , जिससे किसी की सारी ,खुशियाँ ही छीन जाए । "आज मै दुखी बहुत हुई ,जब तुम्हारे जाने की खबर सुनी तो ।बहुत तकलीफ हुई, अंतरआत्मा में ,अजीब सी हलचल हो रही है
वाकिफ तो हुए , उन दानवों की दानवता से,छुपाया जिसे उनसब ने कायनात से,वाकिफ तो हुए , उन दानव के ख़्याल से ,छुपाया जिसे उनसब ने इस जहाँ से,कही ना कही तुम्हारी सफलता से जल रहे थे वो ,कही ना कही तुम्हारी उ
जीवन में कुछ... जीवन में कुछ, यदि बननासबसे पहले, इक नदी बननासतत जीवन का, आधार हैं नदियाँजीवनभर जीवन की, गति बननानिकलना पडे़गा, तोड़कर पत्थरों कोचलना पडे़गा, सींचकर बंजरों
मन दर्पण मंथन अभिव्यक्ति,विचारों का सुन्दर आलेखन।शब्द अनवरत मन मंथन,शब्दों का सुन्दर आलेखन।।स्वर सृजन लहरी मन मोह,होते आलोकित मन दर्पण में।मन व्यथा से दुखित आत्मन,अंतर्मन व्यथित मन दर्पण में।।मन आह्ला
है जीवन की रीत सदा,हंसने रोने की क्या बात।खुश हंस पड़े पल भर में,दुख में रोने की क्या बात।।है जीवन की रीत सदा,हंसो हंसा लो दो पल।जीवन मंत्र का सार यही,वक़्त को बांध लो दो पल।।है जीवन की रीत सदा,कभी न
शब्दों की उड़ान असीमित,पंख पसार पंछी बन नभ में।उड़ते बादल छाए जमीं पर,मौसम बदले जैसे पल भर में।।शब्दों की उड़ान फुलवारी बन,महके गुलशन गुलशन में।खुशबू बन कर महकाए,पवन बयार चले उपवन में।।शब्दों की उड़ान
बम बम भोले बाबा बोले,आया सावन का महीना।श्रृद्धा और सबूरी भक्तों,सावन का पावन महीना।।भक्तों के मन में बसे,कैसे पूजन अर्चन करूं।बेल पत्र और धतूरे से,जल तुझ पर अर्पण करूं।।बम बम भोले बाबा बोले,अंतर्मन वि
बरसो मेघा रे घनन घनन,आज छाए है बादर कारे।बोले दादुर, मोर, पपीहा,पीहु पीहु कारे मेघा रे।।नाचे मन मोर पपीहा,आया सावन झूम रे।धरती ने ओढ़ी चूनर,कैसी धानी धानी रे।।चहुंओर है छाई हरियाली,कैसे बदला रूप सावन
वक़्त हर पल गुजरता हुआ,एक लम्हा है जिंदगी में।थाम सको गर वक़्त को,जिंदगी जीने की कोशिश में।।वक़्त रेत का दरिया है,जो मुट्ठी में नहीं समाता।अगर चाहो मुट्ठी में बांधना,रेत जैसे मुट्ठी से फिसलता।।जिंदगी