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कहानी

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Amrita जब उठी तब उसके सर मेँ headache था । उसने time देखा । 11 बज चुके थे ।उसने मन ही मन Gautam को बहुत सारी गालियाँ दी । Dance कि याद आने पर उसका mood ख़राब हो जाता था । वह Tracy को भूलना चाहती थी ।शायद Gautam सही था - वह दोनो loser थे - इसलिये साथ थे । उसने कसम खाई कि वह ज़िंदगी मेँ कभी Gautam का चे

अजी, सुन रहे हैं बिहाने बिहाने कहाँ जूता चमका रहे हैं। घर- परिवार, नात- बात, अड़ोसी- पडोसी से भी मतलब पड़ता है, सबसे व्यवहार बना के रखना चाहिए। ऐ छोटूवा देख तो निकल गए क्या? बोलो भागवान बिना तुम्हारा दर्शन किए, कैसे निकल सकता हूँ, मेरे सगुन की सिधरि, कुंहको..... आज बहुत परो

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रात को Amrita को नींद नहीं आ रही थी | वो Gautam से अपनी पहली मुलाकात के बारे में सोच रही थी |The Love and the SexGautam एक दिन अपने startup के बारे मेँ सोचता हुआ अपनी car की तरफ जा रहा था । तभी पीछे से एक आवाज आई ।" Excuse me . क्या आपको पता है कि Narajuna Apartments कहाँ है ?"उसने देखा । आवाज एक खू

PROLOGUENalanda University : Date Unknownआज Nalanda University का Abbott अपने Room में टहल रहा था | उसका Room tamra-patron से भरा हुआ था | वह बार-बार समय देख रहा था |जल्द ही वह यादो में खो गया |Wheel छुपाने का decision अच्छा था | यह सला

लाला चतुर्भुज अपने पिता की इकलौती संतान थे, अतः पिता की वणिक बुद्धि और व्यापार उन्हें पूरा पूरा मिला. पिता प्यार से उन्हें चतुर कहा करते थे, और वे यथानाम तथागुण चतुर ही थे. पिताजी के कड़वे तेल के धंधे को रिफाइंड आयल बिजनेस में बदलकर उ

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एक महत्वपूर्ण संदेश देती यह ऑडियो कहानी.*) – Youtube: http://goo.gl/AeI1Bv*) – SoundCloud: http://goo.gl/klCe7H *) – Vimeo: http://goo.gl/uaQ4IhDuration – 5 Minutes 28 Seconds

(यह लेख हमने कुछ वर्ष पूर्व लिखा था और कई स्थानों पर प्रकाशित हुआ था, परंतु भारत देश में घोटाले, घोटालेबाज व घोटालागाथाएँ, धर्म की भांति सनातन हैं, अतः यह लेख आज भी सामयिक है, सुधी पाठकों की सेवा में इस वेबसाईट पर भी समर्पित)कुछ समय प

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गोलिये की बहू के मरने की ख़बर मिली दोपहर को. स्कूल से आए और बैग फेंका. और पता चला गोलिये की बहू मर गई थी. नाम याद नहीं है उसका. गांव में सब गोलिये के बहू ही कहते थे.पांचवी क्लास में थी उस वक़्त. पर इतना पता था की गोलिये की बहू बड़ी दिलदार औरत है. मम्मी से कहा करती थी कि कुछ भी हो जाए अपने छोटे बेटे को

"पल्लवी का पल्लू"  यूँ तो कई बसंत देख चुकी है पल्लवी, पर एक भी बसंत उसके जीवन में उत्साह न भर सका। आज वह पैंतीस के चौपाल पर खड़ी है। शायद खुद से पूछ रही है की मेरा बसंत कहाँ है और खुद को जबाब नहीं दे पा रही है। बला की खूबसूरती लिए हुए, हर पल-कुपल को जबाबदारी के साथ सरका रह

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बात तब की है जब मै सिर्फ १२ साल का था | मै अपने जन्म स्थान, उत्तरप्रदेश के भदोही जिले में अपने माता-पिता के साथ रहता था | वही भदोही जो अपने कालीन निर्यात के लिए विश्व विख्यात है | मेरा परिवार एक संयुक्त परिवार है, जहाँ मेरे दादाजी अपने दो भाइयों और उनके पुरे परिवार के साथ रहते है | और मै खुद को इसील

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जैसा की मैंने आपको बताया, मेरा जन्म भदोही जिले के एक छोटे से गांव मोहनपुर में हुआ, जो बहुत ही सुंदर और प्रकृति से भरा है। मेरे गाँव की भौगोलिक संरचना कुछ ऐसी है की यह भदोही और इलाहबाद जिले के बिच में है | इलाहाबाद कुछ ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। यह जगह प्रयाग कुंभ मेला और कई  अन्य सांस्कृतिक विरास

मुन्नी ख़ुशी से उछल रही थी। माँ  ने आखिर आज उसकी गुलाबी फ्रॉक जो बना दी थी। बस इस्त्री होते ही पहन कर सारी सहेलियों को दिखा कर आएगी। पुरानी, पैबंद लगी फ्रॉक के लिए सब मज़ाक उड़ाते थे। अब कोई नहीं उड़ाएगा।  फ्रॉक इस्त्री हो गयी और मुन्नी उसको पहनकर इठलाती हुयी खेलने चली गयी। अगले दिन सुबह कचरे वाला गुलाब

काफीसमय बाद वह घर आया था बड़ी बहन की शादी में। घर में गहमा गहमी का माहौल था। काफीचहल पहल थी। ढेर सारे रिश्तेदार, गाना बजाना, नाचना लगा हुआ था। कहीं मेहंदी लग रही है, कहीं साड़ी में गोटा।कहीं दर्जी नाप ले रहा है, कोई हलवाई को मिठाइयों के नाम लिखवा रहा है। एक तरफ फूलमाला वाले की गुहार, एक तरफ बैंड-बाजा

शाम के किस किस रंग को चखा है इसनेसुबहा हर रंग के बादल नजर आते है ... है ना कहानी इसमें !! 

गोडसे ने गाँधी के वध करने के १५० कारण न्यायालय के समक्ष बताये थे।उन्होंने जज से आज्ञा प्राप्त कर ली थी कि वे अपने बयानों को पढ़करसुनाना चाहते है । अतः उन्होंने वो १५० बयान माइक पर पढ़कर सुनाए। लेकिन कांग्रेस सरकार ने (डर से) नाथूराम गोडसे के गाँधी वध के कारणों पर बैनलगा दिया कि वे बयां भारत की जनता

राजा ने कहा - " सितार मंगवाओ ! " दरबार में सितार लाया गया । राजा का अगला आदेश था - " जो इस सितार को बिना स्पर्श किए बजा देगा , उसे सबसे बड़े संगीतकार का ओहदा मिलेगा ।" तमाम संगीतकार दरबार में आये । सबने अपना - अपना हुनर आजमाया । पर, कोई भी बिना स्पर्श किए सितार को नहीं बजा पाया । राजा थोडा सनकी था ।

सबसे बड़ा चित्रकार एक था राजा । और राजा की एक ही थी बिटिया - राजकुमारी । राजकुमारी को शौक चढ़ा - सीखनी है चित्रकारी ! अब राजा की बेटी को कोई ऐरा - गैरा तो चित्रकला सिखा नहीं सकता । सो, राजा ने फरमान जारी किया की राज्य के सबसे बड़े चित्रकार को हाजिर किया जाए । वही राजकुमारी को चित्रकला सिखाएगा । राज्य

आज से लगभग चालीस साल पहले, ना तो गाँव शहर की चमक दमक पर जुगनू से दीवाने थे, ना शहर गाँव को लीलने घात लगाये बढ़ रहे थे. शहर से गाँव का संपर्क साँप जैसी टेढ़ीमेढ़ी काली सी सड़क से होता था, जिससे गाँव का कच्चा रास्ता जुड़कर असहज ही अनुभव करता था. गाँव की ओर आने वाली सड़क कच्ची व ग्राम्यसहज पथरीला अनगढ़

और फिर उस अँधेरी रात में एक चमकते हुए तारे ने दूसरे तारे से पूछा - " इस ठंडी रात में वो इंसान खुले मैदान में क्यों बैठा है ? " दूसरे तारे ने टिमटिमाते हुए कहा " वो इंसान सच जानना चाहता है - इस जगत का सत्य ! " "तो क्या इस तरह शरीर को दुःख पहुँचाने से वो सच जान जाएगा ? ' " कहते हैं पहले कई इंसानो ने

राजीव ने अपने पेन को ऊठाकरअंगूठे और उसके पास वाली उंगली से घुमाने लगा . इस तरह पेन को घुमाने की  कला हर कॉलेज़ जाने वाला स्टूडेंट को कक्षा 12वीसे ही आ जाती है. इस कला मे जैसे ही कोई छात्र माहिर हो जाता है उसे लगने लगता हैउसने जिंदगी की एक बहुत बडी पहेली हल कर ली है.पूरी कहानी पढने के लिए निचे दी हुई 

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