shabd-logo

कहानी

hindi articles, stories and books related to kahani


featured image

घमंडी सियार ओमप्रकाश क्षत्रिय"प्रकाश" काननवन में एक सियाररहता था. उस का नाम था सेमलू. वह अपने साथियों में सब से तेज व चालाकी से दौड़ताथा. कोई उस की बराबरी नहीं कर पाता था. इस कारण उसे घमंड हो गया था," मै सियारों में सब से तेज व होशियार सियार हूँ." उस ने

सुबह के तकरीबन ६ बज रहे थे. मौसम में थोड़ी नमी थी और हवा भी हलके हलके बह रही थी. गाँव की एक छोटी सी झोपडी के एक कोने में मिट्टी के बिछोने पर शुभा दुनिया से बेख़बर मिट्टी के सपनों में खोई हुई थी. शुभा कहने क

featured image

ये कैसी विडंबना है कि नारी का समाज में इतने योगदान के बाद भी वो सम्मान नहीं मिला, जितनी की वो हकदार है, इसके पीछे शायद नारी ही दोषी है, जब हम बेटी होते है तो अपने हक के लिए लड़ते है, शादी के बाद जब मां बनने वाले होते है तो ' बेटे की चाह ' रखते है, ऐसा क्यों,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

featured image

लड़का अधिकारी था, मां-बाप के रंग-ढंग बदल गये थे ! शादी के लिये लड़के की बोलिया लगने लगी थी, जो 40 लाख देगा वो अपनी लड़की ब्याह सकता है, जो 60 लाख देगा लड़का उसके घर का दामाद बन जायेगा, जो 1 करोड देगा लड़का उनका ! समझ नहीं आता कि वो लड़का वाकई अधिकारी था या भिखारी,

featured image

नई वाली हिन्दी में लिखी गई कहानियों का अलबेला संग्रह अलबेलिया grab your copy soon at bumper discount from Amazon http://www.amazon.in/Albeliya-Govind-Pandit/dp/9386027283/ref=sr_1_1?ie=UTF8&qid=1487911920&sr=8-1&keywords=albeliya

featured image

एक बार फिर उसने बाइक की किक पर ताकत आज़माई. लेकिन एक बार फिर बाइक ने स्टार्ट होने से मना कर दिया. चिपचिपी उमस तिस पर हेलमेट जिसे वो उतार भी नहीं सकता था. वो उस लम्हे को कोस रहा था जब इस मोहल्ले का रुख़ करने का ख़याल आया. यादें उमस मुक्त होतीं हैं और शायद इसलिए अच्छी भी लगती हैं. अक्सर ही आम ज़िंदगी हम

माँ ने उसका नाम ही सदाफूली रख दिया था. 'सदाफूली ' महाराष्ट्र में 'सदाबहार' फूल को कहते हैं. गर्मी हो, सर्दी या कि बरसात, यह फूल सदाबहार है , फूलता ही रहता है. कई मर्ज़ों की दवा भी है यह! 'एंटीबायटिक' बनाने मैं भी प्रयोग की जाती है अर्थात स्वयं तो सदा खिली रहती ही है द

ज़माना कहता है तुम्हारे जाने के बाद मेरा फ़िज़िक्स बदल गया है दाढ़ी थोड़ी बढ़ी सी रहती है और बाल बेतरतीब से। लेकिन ये उनकी गफ़लत है हक़ीक़त में मेरे शरीर की बायोलॉजी बदल गयी है।कोशिका के सेल वॉल पर तुम्हारी यादों की एक मोटी परत सी जम गयी है।जिस माइटोकोंड्रिया से एक वक़्त

featured image

चलो अब हम तो इतने बड़े हो गये है की बचपना भी अब अजीब सा लगता है । पर वो अजीब नही बचपन ही जिंदगी और जन्नत होती है बाद में तो सभी रेस में लग जाते है। जैसे हम तीनो अब जिंदगी की रेस में लगे हुए है। तीनो कितने मस्ती किया करते थे बचपन में शायद तुम

मैं जब जाता हूँ हमारे अमैन(गाँव) में तो अजनबी सा महसूस करता हूँ।ऐसा नही है अमैन बदल गया है ये बिलकुल वैसे ही जैसा हमारे वक़्त में था।कुछ बदलाव होता रहता है हर जगह पर इतना भी यहाँ नही हुआ था कि मैं अजनबी सा महसूस करूँ।लेकिन तुम जबसे यहाँ से गयी हो सब अजीब सा लगता है इस अमै

मैं जब जाता हूँ हमारे अमैन(गाँव) में तो अजनबी सा महसूस करता हूँ।ऐसा नही है अमैन बदल गया है ये बिलकुल वैसे ही जैसा हमारे वक़्त में था।कुछ बदलाव होता रहता है हर जगह पर इतना भी यहाँ नही हुआ था कि मैं अजनबी सा महसूस करूँ।लेकिन तुम जबसे यहाँ से गयी हो सब अजीब सा लगता है इस अमैन का। नयी पीढ़ी आ गयी है नया

featured image

झूठा ही सही प्यार तो कर। कमीना साला! अबे! अनु तू क्यूँ अपनी ज़ुबान ख़राब कर रही है।एक बार अच्छे से साले को झाड़ दो दिमाग़ सही हो जाएगा। हाँ प्रिया! कब तक इसकी बकवास रोज़ सुनती रहूँगी।छिछोरा एक दम कोचिंग के मुहाने पर खड़ा हो जाता है और तान

कल मैं दुकान से जल्दी घर चला आया। आम तौर पर रात में 10 बजे के बाद आता हूं, कल 8 बजे ही चला आया। सोचा था घर जाकर थोड़ी देर पत्नी से बातें करूंगा, फिर कहूंगा कि कहीं बाहर खाना खाने चलते हैं। बहुत साल पहले, , हम ऐसा करते थे। घर आया तो पत्नी टीवी देख रही थी। मुझे लगा कि ज

एक रात की व्यथा - कथा बहुत मुश्किल से स्नेहा ने अपना तबादला हैदराबाद करवाया था चंडीगढ़ से. पति प्रीतम पहले से ही हैदराबाद में नियुक्त थे. प्रीतम खुश था कि अब स्नेहा और बेटी आशिया भी साथ रहने हैदराबाद आ रहे हैं. आशिया उनकी इकलौती व लाड़ली बेटी थी. इसलिए उसकी सुविधा का हर

तत त्वं असि रोज की तरह सब काम काज समेट ऑफिस से घर पहुचा कि चलो भाई इस व्यस्त भागदौड़ की जिंदगी का एक और दिन गुजर गया,अब श्रीमती जी के साथ एक कप चाय हो जाये तो जिंदगी और श्रीमती जी दोनों पर एहसान हो जाये।खैर ख्यालों से बाहर भी नही आ पाया था कि श्रीमती जी का मधुर स्वर अचानक

"सन्नाटा" कजरी का झुंझलाकर चलना, रास्ते भर अनाप- सनाप बड़बड़ाना उसे तो क्या किसी के भी समझ में नहीं रहा था। वह पैर पटकती हुई, जल्द से जल्द अपने इकलौते घर में समा जाना चाहती थी। हांफते- गांफते वह वहाँ पहुँच तो गई पर उसके शरीर की कंपन कम न हुई। घर भी तो सुना ही था सब मजूरी करने गए थे, मरहम कौन लगाए। चो

featured image

विनय के घर आज हाहाकार मचा था .विनय के पिता का कल रात ही लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया .विनय के पिता चलने फिरने में कठिनाई अनुभव करते थे .सब जानते थे कि वे बेचारे किसी तरह जिंदगी के दिन काट रहे थे और सभी अन्दर ही अन्दर मौत की असली वजह भी जानते थे किन्तु अपने मन को समझाने के लिए सभी बीमारी को ही

"पैमाइस" बड़े भोरे भोरे बुढ़ौती में ई टेंघना आज कौन कारज हिला दिए रमई भाई, कोई विशेष प्रयोजन? दुवारा बहारते हुए हिरामन बाबा की रुआबदार आवाज कई घरों तक खरखरा गई।......पाँव लागी बबुआ.....आशीर्वाद लिए बहुत दिन हो गया सरकार....... आज पोखरे की मप्पी होगी क्या बबुआ......! कल से

featured image

अपनी सोई हुई रचनात्मक क्षमता को जगाएं एवं नवीन सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ें।'सफलता सूत्र' में अपनी रचनाएं प्रकाशित कराएं एवं पारिश्रमिक पाएं.➤ सबरंग के लिए आप ज्ञानवर्द्धक, रोचक, मनोरंजक, ज्ञान-विज्ञान, स्वास्थ्य, कला, संगीत, अध्यात्म, सफलता, साहित्य, कहानी, कविता, लघुकथा,

featured image

4 stories in the anthology, Book Launch: 8 January, 2017 - World Book Fair Delhi :)अपने-अपने क्षितिज - लघुकथा संकलन (वनिका पब्लिकेशन्स)56 लघुकथाकारों की चार-्चार लघुकथाओं का संकलन।मुखावरण - चित्रकार कुंवर रविंद्र जीविश्व पुस्तक मेले में 8 जनवरी 2017 को 11:30 बजे वनिका पब्लिकेशन्स के स्टैंड पर इस पुस

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए