संडे का दिन , सुबह के 11 बज रहे थे |
अरनव रूम में लेटा हुआ था | अपने अंदर वह पहले से बहुत बीकनेस फील कर रहा था | वह अब ठीक से खड़ा भी नही हो पा रहा था | तभी देविका रूम मे अरनव के पास आती है |
देविका : - " ये लो , आपकी दवा का टाइम हो गया है " |
देविका ; अरनव के पास बेड पर बेठकर उसे दवाएँ देते हुए कहती है |
अरनव , देविका से गुस्से में कहता है |
" नहीं खानी मुझे । फेंक दो इन् सारी दवाओ को " |
अरनव के दवा खाने के लिए मना करते ही देविका मन में सोचती है | कि कही इन्हे इन दवाओ के बारे पता तो नही चल गया । इसलिए ये मना कर रहे हो खाने से | तब देविका अरनव से पूछती है |
देविका : - " लेकिन ! क्यूं नही खानी है आपको दवा ? ठीक नहीं होना है क्या आपको ? "
अरनव : - " इन दवाओं को में कितने टाइम से खा रहा हूं | अभी तक तो कुछ आराम मिला नहीं । और सच कहूं तो देविका ! कभी - कभी तो मुझे तुम पर ही शक होता है |
आखिर तुम मुझे , दवा के नाम पर क्या खिला रही हो पिछले कुछ महीनो से ? "
( देविका इनोशेंट वे में अरनव से कहती है । )
देविका : - " कैसी बातें कर रहे हो आप ? में क्या खिला रही हूँ आपको ? "
अरनव : - " मुझसे और कितना झूठ बोलोगी तुम ? में जानता हूँ ! कि खुशी मेरी बेटी नहीं है | तुमने एक बार नही ! कई बार मुझे धोखा दिया है | एक तो शादी से पहले वो अबॉर्शन और फिर अब खुशी भी |
देविका : - " अरे पहले आप ये दवा तो खा लो । फिर ये बातें तो हम आराम से करते रहेंगे । चलिए मुंह खोलिए । "
अरनव हाथ से उन दवाओ को दूर फेंक देता है |
देविका : - " ये क्या किया आपने । इस तरह दवा नहीं फेंकते |
देविका उन दवाओं को उठाकर लाती है |
अरनव : - " देविका तुम अगर उस विकास से इतना ही प्यार करती थी | तो मेरी जिंदगी में आयीं ही क्यूं तुम ? और शादी के इतने टाइम बाद ! आज भी तुम उसी से प्यार करती हो ना | तो यहां क्यूं हो अभी तक |
में ही पागल था | जो शादी के 6 महीने बाद तुम्हारे जरा से रोने पर ही ! तुम पर और तुम्हारी बातो पर विश्वास कर बैठा था | "
देविका : - " हाँ ! करती हूँ में उसी से प्यार | और रही बात मेरे यहाँ होने की तो थोड़ा टाइम और मुझे यहाँ काटना होगा । मेरे अरनव जी । "
अरनव : - " तुमने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी | अब तो तुम खुश हो ना बहुत | तो चली जाओ ना मेरी जिंदगी से ! हमेशा के लिए | मुझे छोड़कर , अपने उस विकास के पास । में किसी से कुछ नही कहूँगा | "
और अरनव को देविका पर बहुत तेज गुस्सा आ रहा होता है । और वो जोर से चिल्लाते हुए कहता है |
" चली जाओ देविका . . आ . . . आ ; मेरी जिंदगी से । मुझे मेरे हाल पर छोड़कर | भगवान के लिए चली जाओ प्लीज । "
देविका ये सुनकर अरनव की बातों पर जोर से हंसने लगती है |
देविका : - " अच्छा ! तो आपको सब पता चल गया मेरे बारे में | ठीक है बाबा ! अगर आप की इतनी ही इच्छा है ।तो में चली जाऊंगी आपको छोड़कर | लेकिन . . . .
इतनी जल्दी भी क्या है अरनव ? अभी तो मेरे यहाँ कुछ काम बाकी है | पहले उन्हें तो पूरा कर लूं | "
देविका अरनव की हालत देखकर उस पर जोर - जोर हंसने लगती है ।
थोड़ी देर बाद . . . .
देविका : - " चलिए ! अब दवा खा भी लीजिए | वरना मुझे जबरदस्ती करनी पड़ेगी | और मुझे अच्छा नही लगेगा । "
अरनव : - " मना किया ना अभी तुमसे ! नहीं खाना मुझे | "
देविका : - " खाना तो आपको पड़ेगी | अरनव जी "
ये कह कर देविका ! अरनव को जबरदस्ती दवा खिला देती है | क्यूंकि अरनव की तबीयत अब तक इतनी खराब हो चुकी थी । कि वो वीकनेस की वजह से बेड पर भी ज्यादा देर तक बैठ नही पा रहा था |
और सिर्फ इसलिए देविका , अरनव को जबरदस्ती दवा खिला कर वहाँ से चली जाती है |
रात को देविका सोने के लिए लेटी थी | पर उसके दिमाग में बार - बार बहुत सारे विचार आ रहे थे । कि वो कैसी हो गई है | और वो अरनव के साथ आखिर क्या कर रही है ?
अरनव ने मेरा कुछ भी तो नहीं बिगाड़ा है । फिर भी विकास के कहने पर मे उस बेगुनाह की जिंदगी क्यूं बरबाद कर रही हूँ ?
सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए | और मेरा वो स्वार्थ जिसको पूरा करने के लिए मैने सारी हदें पार कर दी । फिर भी शुरू से लेकर आखिर तक ! अरनव ने मुझसे कभी कुछ नही कहा |
तभी देविका को अपने अंदर मौजूद नकारात्मकता की आवाज आती है |
" ये क्या सोच रही हो तुम देविका ? तुम्हें इस तरह की जिंदगी नही जीनी थी । इसलिए तुमने ये रास्ता चुना । अपना प्यार पाने के लिए |
इसमें कुछ भी गलत नही है | देखो विकास ने भी तो तुम्हारे प्यार के लिए अपनी पत्नी को . . . . . हा . . हा . . हा . . . I देविका तुम बस एक कदम दूर हो अपने प्यार से |
इतने पास आकर तुम बापस नही जा सकती देविका | तुम्हे विकास के पास जाना होगा |
इतने में देविका घबराहट और बैचेनी की वजह से बेड से उठ जाती है | और थोड़ी देर तक टहलते हुए अपने ही मन को समझाने में लगी हुई थी | और फिर देविका बहुत सोच - विचार के बाद बेड पर आकर सो जाती है ।
अगले दिन देविका स्कूल से वापस आते समय ! सारिका दीदी के यहाँ जाती है | और उनके सामने रोते हुए . . .
देविका : - " में क्या करूं दीदी ? इनकी तबीयत तो बहुत खराब होती जा रही है | दीदी प्लीज ! आप मेरी मदद कर दीजिए | "
सारिका : - " अरे क्या हुआ देविका ? बता ना , हम हमेशा ही तो तेरे और अरनव के साथ है | क्या बात है ? बोल | "
देविका : - " दीदी ! निशांत भईया से कह दो कि प्रॉपर्टी के हिस्से कर दे | इन्हें इनका हिस्सा दे दे | "
सारिका : - " अरे में कैसे कह दूं उससे देविका ? अभी तो हमारे पिता है | उनकी मर्जी है कि उन्हे अपनी प्रॉपर्टी किसी को देनी है या नही | और मेरे कहने से उसे ऐसा लगेगा । कि मुझे अपने लिए ही चाहिए | तू खुद बात कर ना निशांत से | "
देविका : - " दीदी ! वरनाली भाभी नही चाहती । कि हमें प्रॉपर्टी मै से कुछ भी मिले | मेने कितनी बार इस बारे में निशांत भईया और भाभी से कहा है | और अयान भी अब मुझे परेशान करता है | कभी मेरी बच्ची को | "
सारिका: - " तो कोर्ट केस कर दे | वही से सारा मेटर सॉलव हो जाएगा | किसी से कुछ कहने की जरूरत नही है फिर |
और अयान अगर कुछ भी करता है । तुुुझे परेशान करने के लिए ! तो उससे तो बोल सकती है ना | लेकिन देविका में प्रापर्टी के मामले में तेरी कोई मदद नही कर सकती |
जहाँ तक बात अरनव की है | तो उसे हम बाम्बे ले जा रहे हैं ट्रीटमेंट के लिए । और उसका सारा खर्चा हम उठा लेंगे | तुझे उसकी फिक्र करने की जरूरत नही है | "
देविका मन ही मन सोचने लगती है | ये सारिका दीदी ने तो मेरा पूरा प्लान ही बिगाड़ दिया | अब क्या करेगी देविका ? सोच , प्रॉपर्टी अपने नाम कैसे करवाएगी | और उधर विकास का भी फोन आता होगा । क्या कहेगी उससे ?
देविका : - " अच्छा दीदी में अभी चलती हूँ | में अपने भईया से बात करके आपको बताऊंगी । "
देविका सारिका के घर से निकली ही थी । कि विकास का फोन आ जाता है | और नंबर देखते ही देविका हे भगवान ! अभी याद किया और अभी फोन भी आ गया । देविका फोन उठाती है ।
विकास : - " देविका क्या हुआ , काम हुआ ? "
देविका : - " नहीं हुआ | मै क्या करूं वो हेल्प ही नही कर रही दीदी | और शायद अभी मुश्किल है | "
विकास : - " अच्छा छोड़ो ! वो हम बाद में देख लेंगे | शायप बाद में ज्यादा अच्छे से हो जाए |
अभी तुम अगला कदम उठाने के लिए तैयार रहो | "
देविका ये सुनकर खुश हो जाती है । कि चलो अभी तो बला टली ।
देविका : - " हाँ ठीक है विकास | "
विकास के कहने पर देविका ; अपनी प्लानिंग के मुताबिक अपना अगला कदम उठाती है | और अगले दिन . . . .
आखिर क्या था उनका अगला कदम ? जो विकास इतने श्योर होकर देविका से कह रहा था ? और देविका अपने अगले कदम के लिए पूरी तरह तैयार थी |
जानने के लिए आगे पढ़ते रहे . . . .