पिछले कुछ महीनों से अरनव अपनी खराब तबीयत की वजह से ; स्कूल भी नही जा रहा था | देविका ने ही अरनव को उसकी जॉब से ; रिजाइन दिलवा दिया था |
क्यूंकि . . . . देविका ने , अरनव के स्कूल में उसका पिछले कुछ महीनो के ट्रीटमेंट के जो मेडिकल पेपर लगायें थे l उसमें अरनव को ' डिपरेशड और मेंनटली डिस्टर्व पेशेन्ट ' बताया गया था । इसीलिए . . . अरनव ; अब आगे अपनी जॉब कन्टीन्यू नही कर सकता था |
देविका की स्कूल से मिलने वाली , हर महीने की सेलरी सिर्फ सात हजार रु. थी | लेकिन उसका हर महीने का खर्च 20 - 25 हजार तक था | देविका वाकी के पैसे कहाँ से लाती थी ? किसी को भी कुछ नही पता था |
दोनों बहनों सारिका और सरला ने कई बार देविका से पूछा भी | लेकिन देविका हर बार यहीं कहती थी | कि मायके से उसके दोनों भाई उसकी मदद करते हैं |
लेकिन इस बात को सब जानते थे । कि ये सच नहीं हैं |
फिलहाल दोनों बहनों का पूरा ध्यान ; सिर्फ और सिर्फ अपने भाई अरनव पर ही था । और देविका स्कूल के अलावा , बाहर किससे मिलती हैं ? कहाँ जाती है ? और क्या करती हैं ? इसे अभी के लिए तो कोई नहीं जानना चाहता था ।
सब यही चाहते थे | कि कैसे भी बस ! अरनव जल्दी से ठीक हो जाए ।
एक दिन अरनव ने ; देविका से पैसों के बारे में जानने की कोशिश की । और उससे बडे ही प्यार से पूछा . . . . .
अरनव : - " देविका तुम्हें ; इतने पैैैसे हर महीने कौन दे रहा हैं ? "
देविका : - "आपको इससे क्या मतलब ? आपकी तो जॉब चली गई ना । अगर में आपके भरोसे रहती ! तो में और मेरी बच्ची ; हम दोनों ही पैसो की वजह से तिल - तिल कर जी रहे होते आज | "
देविका अपने ईगो के चलते ; बडे ही एटीट्यूड में अरनव से गुस्से मै ये कहती हैं |
अरनव : - " देविका . . . आ . . आ . . . । "
अरनव ; देविका की इस बात पर जोर से चिल्लाता हैं । शादी के बाद ये पहला दिन था | जब अरनव ! देविका पर इतनी जोर से चिल्लाया था ।
देविका : - " चिल्लाओ मत अरनव ... इतना कुछ होने के बाद ; अभी भी आपमें इतनी ताकत बची हैं | तो सुनो अब ! जो पैसे मै खर्च करती हूँ वो विकास देता है मुझे I अब हो गई तुम्हें तसल्ली ये सच जानकर | "
पापा ! पापा ! . . . . तभी पापा ! पापा कहते हुए खुशी ; अरनव से आकर गले लग जाती हैं | क्यूंकि अरनव अपनी बच्ची खुशी से बहुत प्यार करता था और खुशी भी अपने पापा से I
देविका : - " खुशी चलो ! यहाँ से I हर वक्त ; जब देखो तब पापा . . . पापा . . . | नहीं है ! ये तेरे पापा . . . . | होमवर्क नहीं करना है क्या स्कूल का ? "
देविका ; खुशी पर जोर से चिल्लाते हुए ; उसे अरनव की गोद से ले जाती है ।
ये सुनकर और खुशी से अरनव के बारे में इस तरह से कहने पर ! अरनव की ऑखो में आंसु आ जाते हैं | और देविका के रूम से जाने के बाद वो जोर - जोर से रोने लगता हैं |
अरनव : - " मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है | क्या करूं में ? अब ये मेरी बच्ची को भी ; मुझसे दूर करना चाहती है l और आज उससे ये भी कह दिया । कि मैं उसका पापा नहीं हूँ | "
अरनव रूम में अकेले रोते हुए , दुःखी होकर खुद से कहता हैं |
देविका अब खुशी को भी अरनव के पास ज्यादा देर तक नहीं रहने देती थी | और उसे धीरे - धीरे अरनव से दूर कर रही थी |
थोड़ी देर बाद . . .
जब अरनव शांत होकर ; रूम में अकेला बैठा हुआ कुछ सोच रहा था | तभी अरनव को कुछ पुराना याद आता हैं |और वो देविका के रखे सारे डाक्यूमेंट्स को देखने लगता हैं | और बहुत देर बाद ढूंढ़ते - ढूंढते ! अरनव को आखिर वो मिल ही जाता हैं | जिसके बारे में वह थोड़ी देर पहले ही सोच रहा था |
अरनव को वहाँ खुशी का ' वर्थ सरटीफिकेट ' मिलता है | जिसे देखकर ' आशु के पैर कांपने ' लगते हैं | क्यूंकि उस वर्थ सरटीफिकेट में ! माता - पिता के नाम की खाली जगह पर ! देविका और अरनव की जगह देविका और विकास का नाम लिखा हुआ था I
थोड़ी देर पहले अरनव के मन में अचानक यही ख्याल आया था l कि देविका ने खुशी से ये क्यूं कहा ?
कि ' में उसका पापा नहीं हूं ' | देविका बिना मतलब तो कुछ नही बड़बड़ाती | और वही हुआ जिसका अरनव को डर था |
हालांकि अरनव का शक ठीक भी था | क्यूंकि देविका एक बार पहले भी ; विकास के बच्चे की मां बनने वाली थी | और अब ये खुशी भी मेरी नहीं विकास की बेटी हैं |
क्या इसलिए देविका ; बार - बार अपने मायके जाती थी ? क्यूंकि ' वहाँ विकास ' था | और " उसी से वो मिलने जाती थी | अरनव को ये नही पता था | कि देविका उसके साथ ; इतना बड़ा विश्वासघात करेगी |
इधर अरनव को देविका के एक और झूठ के बारे में पता चलता हैं | उधर देविका , निशांत और वरनाली से अरनव का प्रॉपर्टी मे हिस्सा देने के लिए कहती हैं |
अगले दिन ! सुबह नाश्ते के थोड़ी देर बाद . . .
अचानक ही अरनव ; चक्कर खाकर जमीन पर गिर जाता है | उसे दौरा पड़ने लगता हैं l ये अरनव के जीवन में पहली बार था | जब अरनव को दौरा पड़ा था |
कुछ देर बाद देविका रूम में आती है | और अरनव को जमीन पर गिरा हुआ देख कर हड़बड़ा जाती है |
देविका : - " अरे ! इन्हें क्या हो गया | निशांत भईया वरनाली भाभी . . . . "
देविका की इस तरह की चीखने की आवाज सुनकर निशांत तेजी से वहां पहुंचता है | और अरनव इस तरह जमीन पर गिरा हुआ देखकर वह डर जाता है |
देविका : - " देखो भईया इन्हें पता नहीं क्या हो गया ? "
निशांत जल्दी से अरनव को हॉस्पिटल ले जाता हैं |
देविका तेज - तेज रोने लगती है | और रोते हुए . . .
" अगर भाभी इन्हें कुछ हो गया तो मेरा क्या होगा ? मेरी बच्ची . . . . "
चूंकि अरनव की शादी के कुछ दिन बाद से ही देविका और वरनाली की आपस में नहीं बनती थी | इसलिए दोनों भाईयो को ; एक ही घर में अलग - अलग होना पड़ा था |
वरनाली वैसे भी निशांत को अपने भाई अरनव से दूर करना ही चाहती थी | और अब उसका वो काम देविका कर रही थी |
देविका की वजह से ही निशांत ने ; वरनाली की अनुपस्थिति में भी ; अपने प्यारे भाई अरनव से बात करना भी बंद कर दिया था |
अब देविका , अरनव की प्रॉपर्टी के लिए कभी सारिका दीदी के यहाँ तो कभी परिवार के किसी और सदस्य के यहाँ जा रही थी | तो कभी दिल्ली सरला दीदी के यहाँ चली जाती थी | जिससे वो अरनव को प्रॉपर्टी में उसका हिस्सा दिलवा दे |
देविका : - " सारिका दीदी ! देखो आप लोग इनकी इतनी तबीयत खराब रहने लगी हैं l इनके इलाज के लिए में कहां से पैसे लाऊँ ? अब प्रोपर्टी ही मेरा एक मात्र सहारा हैं I
मायके से भी कब तक पैसे लूं में ? और मेरी सेलरी से मेरा और बच्ची का ; खर्चा ही मुश्किल से निकल पाता हैं | में जानती हूं कि में कितनी मुश्किल से जी रही हूँ | "
देविका जोर - जोर से रोते हुए ; सारिका दीदी और जीजा जी से कहने लगती हैं | और अब हर हफ्ते का देविका का यही रूटीन था | बार - बार सारिका दीदी को ; उनके घर आकर इस तरह अपनी बेबसी दिखाना I
और सरला दीदी को आए दिन फोन पर रो - रो कर बताना I जिससे देविका दोनों बहनो की सिमपेथी ले सके और अरनव की प्रॉपर्टी का हिस्सा लेकर उसे अपने नाम करवा सके |
देविका : - " सारिका दीदी ! वरनाली भाभी को तो आप सब अच्छे से जानते ही हो | उन्होंन निशांत भैया को भी अपने कंट्रोल में कर लिया हैं | और मेरे साथ - साथ उन्हें आप दोनो बहनों के भी खिलाफ कर ही दिया हैं |
कितने सालो से उन्होंने आप दोनो बहनो से एक भी बार बात तक नही की | वरनाली भाभी ने उनका आप दोनों बहनों के यहाँ आना - जाना तक बंद करवा दिया | "
देविका , सारिका से रो - रो वरनाली और निशांत के बारे मै उल्टा - सीधा बोल कर सारिका को उनके खिलाफ भरना चाहती थी |
हालांकि ये सच था | वरनाली के बारे में भी दोनो बहने अच्छे से जानती थी | और वरनाली की वजह से ही ; उन्हें अपने भाई निशांत से रिश्ता तक खत्म करना पड़ गया था |
लेकिन अरनव की बिगड़ती तबीयत और देविका की इन बातों की वजह से उसके पीछे का सच कोई नहीं जानता था | ' सिवाय अरनव के ' . . . .
और अरनव की तबीयत तो लगातार बिगड़ ही रही थी |और सिर्फ यही एक वजह थी l कि दोनों बहने देविका का सपोर्ट कर रही थी l सिर्फ अपने भाई अरनव की वजह से |
देविका प्रॉपर्टी के लिए बार - बार कहने सारिका के घर आ रही थी |
सारिका : - " देविका इस बात को समझने की कोशिश ही नही कर रही है | कि जब तक हमारे पिता नही कहते ! तब तक हम कैसे कह सकते है l और उनकी भी तो इच्छा होनी चाहिए । और वो खुद इस वक्त कैंसर से जूझ रहे है | तू नही जानती क्या सरला ?
निशांत ही तो उनका ट्रीटमेंट करवा रहा हैं | और वरनाली तो ये कैसे भी नही होने देगी | तू बता सरला कि अब क्या करे ? "
सारिका और सरला दोनों देविका के जाने के बाद फोन पर बात कर रही थी । सारिका ; सरला को फोन पर देविका की बात बताते हुए कह रही थी |
सरला : - " हाँ दीदी ! लेकिन देविका की जगह अगर हम होते , तब हम भी तो शायद यही करते | उसे भी तो अरनव और बच्ची को देखना हैं | "
सरला फोन पर सारिका को देविका की कंडीशन समझाने की कोशिश कर थी |
लेकिन क्या देविका का सच ; सबके सामने आ पाएगा कभी ? और अरनव क्या हो रहा था उसके साथ ?
क्या होगी देविका की अगली चाल ?
जानने के लिए आगे पढ़ते रहे - - - -