( ये कहानी एक ऐसे आम इंसान की है | जो किसी भी ! नॉर्मल इंसान की तरह ही , सपने देखता हैं | बचपन से लेकर आखिरी तक , वह अपनी जिंदगी एक आम आदमी की तरह ही , जीना चाहता है । और एक अच्छी जिंदगी के लिए ! जी - तोड़ मेहनत भी करता हैं । )
ये कहानी भी ऐसे ही एक साधारण इंसान ! " अरनव वेदी " की है । जिसे इस तरह का साधारण जीवन जीने के लिए भी ! बहुत बडी कीमत चुकानी पड़ती है
कहानी के शुरुआत में , उसके जीवन के अंत की अत्यंत दुखद घटना का वर्णन किया गया है | जो उसके साथ हुई थी | जिसका समाज और आस - पास के लोगों ने वर्णन किया है | जो उस समय घटना स्थल पर मौजूद थे |
बाद में उसके वास्तविक जीवन का ! वर्णन किया गया है । अब पूरी कहानी के अंत मे ! आप ही निर्णय कर बताइए कि " अरनव " के साथ जो घटना हुई | उसके लिए कौन जिम्मेदार था ?
ये समाज , उसका घर , परिवार , आस - पास के लोग या फिर अरनव खुद ?
तो आइए पढ़ते है " क्या गलती थी मेरी ? "
हर रोज , बहुत सारे लोग ! सुबह टहलने जाते हैं | टहलना स्वास्थ्य के लिये ! बहुत ही लाभदायक होता है | क्योंकि सुबह की साफ और शुद्ध हवा , हमारे शरीर के लिए बहुत ही अच्छी होती हैं | और सुबह का मौसम भी बहुत सुहाना होता है |
सुबह की ताजी और ठंडी हवा , सभी के मन को बहुत सुकून देती है | मानों " जैसे - हमारे चारों ओर बस शांति ही शांति हो " इसीलिए हमारा दिल और दिमाग दोनो ही , उस शांति को महसूस करते हैं |
वर्षा ऋतु मे हरियाली चारौ ओर होती है | ठीक इसी तरह , उस दिन का मौसम भी बहुत ही सुहाना था |
उस दिन भी , हर रोज की तरह ही बहुत लोग टहलने जा रहे थे I।
शहर से लगभग ! एक - दो किलोमीटर दूर , एक बहुत ही शांत जगह थी और वहाँ एक शीतल झरना था |
चिड़ियाँ चारो ओर चहक रही थी | उनका मीठा स्वर ! सभी के कानो को बहुत शांति देता है | " मानो जैसे - अलग ही दुनिया मे आ गये हो " |
झरने तक जाने के लिए आस - पास पक्की सड़के भी बनी थी और सड़क के दोंनो तरफ ! किनारो पर बहुत सारे , पेड भी लगे हुए थे |
वहाँ लोगो के बैठने के लिए ! कुर्सियां और पत्थर के चबूतरे बने थे | जहाँ टहलने के बाद लोग बैठकर , बातें करते और खूब हंसा करते थे |
उस दिन भी , कुछ लोग ( करीब 60 की उम्र के ) अपनी थकान मिटाने के लिए , वही बैठे और बातें कर रहे थे |
कि अचानक उनमें से किसी एक की नजर , वहां पेड़ो के पीछे गई | उसने उस दिन वहाँ जो देखा , उसे देखकर ! सभी के होश उड गये थे | किसी को इसकी थोड़ी सी भी उम्मीद नहीं थी |
उन्होंने देखा , वहाँ पेड़ों के पीछे ! किसी की लाश पडी हुई है | उस सीन को देखकर वहाँ मौजूद लोगो के , हाथ - पैर कांपने लगते है |
लोगों ने तुरंत , पुलिस को फोन किया | उस समय ! सुबह के करीब 7 बज रहे थे और फिर देखते ही देखते , वहाँ लोगों की भीड़ जमा होने लगी | सभी के मन में , वहाँ बस यही सवाल चल रहा था |
कि नजाने किसकी लाश है ? आखिर कौन होगा ?
क्या हुआ होगा इसके साथ ? क्या इस व्यक्ति ने आत्महत्या की है ? या फिर किसी ने इसकी हत्या की है ?
कि तभी वहां पुलिस आ जाती हैं | पुलिस वहाँ मौजूद सभी लोगों से ! पूछताछ करने लगती हैं I और फिर इसके बाद पुलिस ने ! पूरे घटना स्थल की छान - बीन करना शुरू कर दिया ।
वह इंसान ( लाश ) काले रंग का पैंट और हल्के आसमानी रंग की , शर्ट पहने हुआ था |
लाश के ठीक पास ! पानी की एक बोतल और एक गिलास रखा हुआ था l और उसके कुछ दूरी पर ही , जहर के दो पाउच रखे हुए थे |
उस इंसान की उम्र यही कोई लगभग 40 के आस - पास की होगी I
उसके पैरों में वहाँ की मिट्टी ! बिल्कुल भी नहीं लगी थी | पर कुछ ही दूरी पर , घर में पहनी जाने वाली सादा - सी स्लीपर पडी हुई थी | और वह बहुत बुरी तरह से मिट्टी से बिगड़ी हुई थी |
' लाश का चेहरा ' पूरी तरह काला पड चुका था । हाथ पर भी खरोंचने के और चाकू के कुछ निशान थे | और पैंट भी एक तरफ से कुछ फटा हुआ सा था |
" मानो जैसे - बहुत दूर से किसी को घसीटने या रगड़ने से होता है " | लाश की शर्ट की पॉकेट में एक काग़ज़ था |जिस पर एक नंबर लिखा हुआ था | और उसमे कुछ पैसे भी थे l
कि तभी , वहां से निकल रही भीड़ में से , एक ब्यक्ति कहता है | कि " मे इसे जानता हूं " | उसने पुलिस को बताया , कि उसका नाम " अरनव वेदी " है | और वह वहां से कुछ दूरी पर ही रहता है |
पुलिस ने उसका नाम और पता जानकर , उसके घर वालों को फोन किया ।
पुलिस पूरी तरह से छान - बीन मैं लगी हुई थी | जहाँ अरनव की लाश मिली , वहाँ पर कुछ और पैरों के भी निशान भी थे | जैसे - कुछ लोग उसे घसीट कर , वहां लाए हो |
क्या अरनव ने आत्महत्या की थी ? या फिर किसी ने उसे मार डाला |
वहाँ मौजूद सभी के मन में , यही सवाल चल रहा था | तभी अरनव के दोनो भाई और परिवार के सदस्य ! वहाँ आ जाते है | वहाँ की तस्वीर देख - कर और अरनव जिस हालत में उन्हें मिला , उसे देख कर सभी का हृदय रो रहा था |
पुलिस किसी को भी ( चाहे परिवार का कोई भी हो ) लाश के पास नहीं जाने दे रही थी | कुछ ही देर में , एम्बुलेंस भी आने वाली थी | फिर लाश को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया जा रहा था ।
एम्बुलेंस पोस्टमार्टम के लिए , हॉस्पिटल पहुंचती है | लाश को अंदर ले जाने के बाद पोस्टमार्टम कुछ घंटों तक चला |
( पोस्टमार्टम के लिए ! की जाने वाली सभी जरूरी फॉर्मेलिटी , अरनव के जीजा जी ने पूरी की थी | जिसके बाद ही लाश को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया था । )
' अरनव ' अपने घर में सबसे छोटा बेटा था ।
अरनव की पत्नी वेदिका और एक बेटी माहिरा ( 6 साल की ) थी | उसके घर में उसके पिता , दो बड़े भाई और दो बड़ी बहने थी l
"अरनव " घर में सबसे छोटा होने की बजह से , सभी का बहुत ही लाडला था | खासकर अपनी बहनो का | ( अरनव की माँ कुछ सालों पहले ही , इस दुनिया से जा चुकी थी । )
हॉस्पिटल के बाहर , परिवार के सभी सदस्यों और जानने वालों की भीड लग गयी थी |
( जो कोई भी " अरनव " को जानता था , सभी को जैसे ही ! ये दुख भरी खबर मिली , सुनकर सभी लोग हॉस्पिटल पहुंच गए थे । )
पोस्टमार्टम के बाद हॉस्पिटल वालों ने , लाश को घर के सदस्यों को सौंप दिया । जैसे - ही लाश को लेकर सभी घर पहुचें l वहां सभी का रो - रो कर बहुत बुरा हाल हो गया था ।
पोस्टमार्टम की वजह से , अरनव की बॉडी को , पूरी तरह पैक कर दिया गया था |
इसलिए अंतिम समय में देविका " अरनव " का चेहरा तक नहीं देख पायी थी |
कि तभी अचानक ही ' अरनव ' की पत्नी ' देविका ' बेहोश हो कर ज़मीन पर गिर जाती है |
वही दूसरी तरफ , अरनव की बेटी का भी रो - रो कर बुरा हाल हो गया था |
बेटी को भी सभी आखिर क्या समझाते ? और कैसे ? कि कहा गए उसके पापा ? वो तो बस रोये जा रही थी |
फिर बाकी सभी अन्तिम संस्कार की तैयारी करने मैं लग गए | क्यूंकि आशु को ले जाने का समय हो गया था |
अरनव के पिता अभी तक ये भी नहीं समझ पा रहे थे | कि ! उनका सबसे छोटा अब बेटा इस दुनिया मै ! नहीं रहा | वह सभी को छोड़कर जा चूका है |
मानों अरनव के पिता इस सदमें से ! पागल से हो गए हों |जबकि वह खुद , इस समय कैंसर जैसी भयानक बीमारी से जूझ रहे थे | और उस पर भी , अब ये अरनव के जाने का पहाड़ उन पर टूट पड़ा । ।
तभी पास ही के दूसरे शहर से , अरनव के ससुराल वाले भी आ गए थे | देविका के भाई |
लेकिन " देविका " के भाइयों ने वहाँ मौजूद किसी भी सदस्य से बात ही नहीं की , और ना ही उन्होंने ये जानने की कोशिश की , कि आखिर " अरनव " के साथ क्या हुआ था ? और पुलिस और डॉक्टर्स ने क्या बताया ? कि ये केस आत्महत्या या मर्डर है ?
शाम के ( करीब ) 4 - बजने वाले थे | अब अरनव को बिदा करने का समय आ गया था I
उस समय , वहाँ मौजूद सभी के सामने , ये एक ऐसा दुखद और मार्मिक दृश्य था | जो किसी से भी देखा नहीं जा रहा था |
कि तभी अचानक वहां , बारिश होने लगती है । " मानो जैसे - इतने दर्द भरे माहौल को देख कर , अब आसमान भी रो रहा हो " |
वहाँ जितने भी लोग मौजूद थे | सभी ' अरनव ' की आत्मा की शांति के लिए , ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे और ये भी कि अरनव के साथ - साथ ! उसके घर वालों को भी न्याय मिले |
( देविका , अभी तक भी बेहोश ही थी )
बारिस होने की बजह से सभी लोग , वहां से भीगते हुए ही श्मशान घाट तक पहुंचे |
" अरनव " घर मै सबसे छोटा था , तो सवाल अब ये था ? के अरनव की चिता को आग कौन देगा ?
अरनव का कोई बेटा नहीं था | इसलिए , उसकी चिता को आग , अरनव के बड़े भाई के बेटे अयान ने दी |
फिर ' ' अंतिम संस्कार की , सारी जरूरी प्रक्रिया पूरी करने के बाद , सभी घर पहुंचे |
अरनव की पत्नी देविका , अब होश में आ गयी थी । पर उसकी आंख से , अभी तक एक भी आंसू नहीं गिरा था । इसलिए घर के सभी सदस्य चाहते थे , कि वह थोड़ा - सा रो ले , जिससे उसका मन हल्का हो जाए |
इस वक्त देविका के मन में हजारों सवाल आ रहे थे ।
कि उसके पति के साथ आखिर क्या हुआ ? और क्यूँ ? अरनव ने किसी का क्या बिगाड़ा था ?
तभी देविका ( रोते हुए ) - " मेरे पति अरनव आत्महत्या नहीं कर सकते | "
फिर देविका जोर - जोर से रोते हुए , बार - बार बस यही कह रही थी । और बेटी माहिरा ! अपने पिता के लिए रोये जा रही थी ।
" पापा को सब क्यूँ ले गए माँ ? "
जब अरनव को ! अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा था ।
" बताओ ना बुआ " |
" ताऊजी मेरे पापा कहा गए है ? वो कब आयेंगे ? मुझे पापा के पास जाना हैं " । ये कहते हुए माहिरा ! बहुत तेज रोने लगती है |
सभी के मन में अब सवाल ये था | कि क्या सच मे अरनव , आत्महत्या कर सकता है ? क्योंकि पुलिस को अरनव के पास से , जो कुछ भी मिला है '। उससे तो यही लगता है । और अगर यह आत्महत्या नहीं है , तो फिर अरनव का मर्डर किसने किया ? और वो नंबर किसका था ? जो उसकी जेब से मिला था ।
' अरनव ' किसी बडे बिजनेस मेन या अमीर आदमी का बेटा नही था | वह बहुत ही सीधा - सादा सा इंसान था |
पढ़ाई में , वह बहुत ही होशियार था । किसी से उसने आज तक , ऊँची - आवाज में बात तक नहीं की थी । क्योंकि अरनव को बहुत डर लगता था | हर तरह के शोर शराबे और तेज आवाज से |
अरनव अपनी बेटी माहिरा और सभी भाई - बहनो से बहुत प्यार करता था । उसकी दोनों बहनो ने उसे कभी भी , अपनी माँ की कमी महसूस नहीं होने दी |
पुलिस ने जब ये पता किया - कि वह नंबर किसका है | तो पता चला की वह नंबर , अरनव के बड़े भाई निशांत के बेटे ( अरनव का भतीजा ) का है |
ये वही है , जिसने अरनव की चिता को अग्नि दी थी । अरनव के भतीजे का नाम ' अयान ' था । अरनव की अपने भतीजे से अच्छी बनती थी |
वह अरनव को अग्नि देने के बाद , एक बार फिर उसी जगह गया था | जहाँ से अरनव की लाश मिली थी । पर इतनी रात को ही क्यूँ ?
क्या वह , इस बात को जानने गया था | कि आखिर उसके चाचा के साथ क्या हुआ था ? या फिर उसके फोन नंबर का ' अरनव ' की जेब से मिलने का कोई संबंध था ?
अयान उस जगह पर , करीब आधे घंटे तक रहा था । लेकिन इतनी रात को सुनसान जगह पर वो भी अकेले , आखिर क्यूँ ?
चूंकि अरनव की जेब से अयान का नंबर मिला था | इसलिए पुलिस ने अयान से ! पूछताछ की ।
अयान ने पुलिस को बताया ! कि " चाचू अक्सर मेरा फोन नंबर अपने पास जेब मे लिखकर ही रखते थे | और जब भी उन्हें किसी चीज की जरूरत होती थी । चाचू उसे फोन कर दिया करते थे ।
शायद , इसीलिए आज भी उनकी जेब में मेरा फोन नंबर था । "
फोन रिकार्ड से पता चलता है I कि अयान की अरनव से आखिरी बार बात ! दो दिन पहले ही हुई थी । और उसके बाद , अयान की अरनव से कोई बात नही हुई |
अरनव की पत्नी देविका , अभी तक उस हालत में नहीं थी | कि कुछ भी कह पाती |
लेकिन अरनव की बड़ी बहन सारिका ! जो उसी शहर में ही रहती थी । उन्होंने पुलिस को बताया !
कि " अरनव दो दिन से घर नहीं आया था | हम सभी लोग मिलकर उसे ढूंढ रहे थे | लेकिन अरनव कहीं भी नहीं मिला । और उसकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी । "
पुलिस को सारा शक ; अरनव के भतीजे अयान पर ही जा रहा था | पुलिस को यही लग रहा था । कि वह कुछ तो है जो जानता है | पर वह बोल नहीं रहा हैं । अब पुलिस को सबसे पहले ; अरनव की पत्नी के बयान का इंतजार था ।
पुलिस को कुछ हद तक तो यह आत्महत्या ही लग रही थी | पर अभी पूरा सच सामने नहीं आया था ।
और फिर , तभी देविका का बयान पुलिस को किसी और राय पर ही ले गया । आखिर देविका ने पुलिस से ऐसा क्या कहा होगा ? जिससे अरनव की हत्या या आत्म हत्या का खुलासा हो सकता हैं |
पूरी कहानी जानने के लिए आगे पढते रहे _ _ _ _