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अरनव की विदाई

5 सितम्बर 2022

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( ये कहानी एक ऐसे आम इंसान की है | जो किसी भी ! नॉर्मल इंसान की तरह ही , सपने देखता हैं |  बचपन से लेकर आखिरी तक , वह अपनी जिंदगी एक आम आदमी की तरह ही , जीना चाहता है । और एक अच्छी जिंदगी के लिए ! जी - तोड़ मेहनत भी करता हैं । )

ये कहानी भी ऐसे ही एक साधारण इंसान !  " अरनव वेदी " की है । जिसे इस तरह का साधारण जीवन जीने के लिए भी ! बहुत बडी कीमत चुकानी पड़ती है

कहानी के शुरुआत में , उसके जीवन के अंत की अत्यंत दुखद घटना का वर्णन किया गया है | जो उसके साथ हुई थी | जिसका समाज और आस - पास के लोगों ने वर्णन किया है | जो उस समय घटना स्थल पर मौजूद थे |

बाद में उसके वास्तविक जीवन का ! वर्णन किया गया है । अब पूरी कहानी के अंत मे ! आप ही निर्णय कर बताइए  कि " अरनव " के साथ जो घटना हुई | उसके लिए कौन जिम्मेदार था ?

ये समाज , उसका घर , परिवार , आस - पास के लोग या फिर अरनव खुद  ? 

तो आइए पढ़ते है " क्या गलती थी मेरी ? "

हर रोज , बहुत सारे लोग ! सुबह टहलने जाते हैं | टहलना  स्वास्थ्य के लिये ! बहुत ही लाभदायक होता है | क्योंकि सुबह की साफ और शुद्ध हवा , हमारे शरीर के लिए बहुत ही अच्छी होती हैं | और सुबह  का मौसम भी बहुत सुहाना होता है |

सुबह की ताजी और ठंडी हवा , सभी के मन को बहुत सुकून देती है | मानों " जैसे - हमारे चारों ओर बस शांति ही शांति हो " इसीलिए  हमारा दिल और दिमाग दोनो ही , उस शांति को महसूस करते हैं |

वर्षा ऋतु मे हरियाली चारौ ओर होती है | ठीक इसी तरह ,  उस दिन का मौसम भी बहुत ही सुहाना था |

उस दिन भी , हर रोज की तरह ही बहुत लोग टहलने जा रहे थे     I।

शहर से लगभग ! एक - दो किलोमीटर दूर , एक बहुत ही शांत जगह थी और वहाँ एक शीतल झरना था |

चिड़ियाँ चारो ओर चहक रही थी | उनका मीठा स्वर ! सभी के कानो को बहुत शांति देता है | " मानो जैसे - अलग ही दुनिया मे आ गये हो " |

झरने तक जाने के लिए आस - पास पक्की सड़के भी बनी थी और सड़क के दोंनो तरफ ! किनारो पर बहुत सारे , पेड भी लगे हुए थे |

वहाँ लोगो के बैठने के लिए ! कुर्सियां और पत्थर के चबूतरे बने थे | जहाँ टहलने के बाद लोग बैठकर , बातें करते और खूब हंसा करते थे |

उस दिन भी , कुछ लोग ( करीब 60 की उम्र के ) अपनी थकान मिटाने के लिए , वही बैठे और बातें कर रहे थे |

कि अचानक उनमें से किसी एक की नजर , वहां पेड़ो के पीछे गई | उसने उस दिन वहाँ जो देखा , उसे देखकर ! सभी के होश उड गये थे | किसी को इसकी थोड़ी सी भी उम्मीद नहीं थी |

उन्होंने देखा , वहाँ पेड़ों के पीछे ! किसी की लाश पडी हुई है | उस सीन को देखकर वहाँ मौजूद लोगो के , हाथ - पैर कांपने लगते है |

 लोगों ने तुरंत , पुलिस को फोन किया | उस समय ! सुबह के करीब 7 बज रहे थे और फिर देखते ही देखते , वहाँ लोगों की भीड़ जमा होने लगी | सभी के मन में , वहाँ बस यही सवाल चल रहा था |

कि नजाने किसकी लाश है ? आखिर कौन होगा ?     

क्या हुआ होगा इसके साथ ? क्या इस व्यक्ति ने आत्महत्या की है ? या फिर किसी ने इसकी हत्या की है ?     

कि तभी वहां पुलिस आ जाती हैं | पुलिस वहाँ मौजूद सभी लोगों से ! पूछताछ करने लगती हैं I और फिर इसके बाद पुलिस ने ! पूरे घटना स्थल की छान - बीन करना शुरू कर दिया ।

वह इंसान ( लाश ) काले रंग का पैंट और हल्के आसमानी रंग की , शर्ट पहने हुआ था |

लाश के ठीक पास ! पानी की एक बोतल और एक गिलास रखा हुआ था l और उसके कुछ दूरी पर ही , जहर के दो पाउच रखे हुए थे |

उस इंसान की उम्र यही कोई लगभग 40 के आस - पास की होगी I

उसके पैरों में वहाँ की मिट्टी ! बिल्कुल भी नहीं लगी थी | पर कुछ ही दूरी पर , घर में पहनी जाने वाली सादा - सी स्लीपर पडी हुई थी | और वह बहुत बुरी तरह से मिट्टी से बिगड़ी हुई थी |

' लाश का चेहरा ' पूरी तरह काला पड चुका था । हाथ पर भी खरोंचने के और चाकू के कुछ निशान थे | और पैंट भी एक तरफ से कुछ फटा हुआ सा था |

" मानो जैसे - बहुत दूर से किसी को घसीटने या रगड़ने से होता है " | लाश की शर्ट की पॉकेट में एक काग़ज़  था |जिस पर  एक नंबर लिखा हुआ था | और उसमे कुछ पैसे भी थे l

कि तभी , वहां से निकल रही भीड़ में से , एक ब्यक्ति कहता है | कि " मे इसे जानता हूं " | उसने पुलिस को बताया , कि उसका नाम " अरनव वेदी  " है | और वह वहां से कुछ दूरी पर ही रहता है |

पुलिस ने उसका नाम और पता जानकर , उसके घर वालों को फोन किया । 

पुलिस पूरी तरह से छान - बीन मैं लगी हुई थी | जहाँ अरनव की लाश मिली , वहाँ पर कुछ और पैरों के भी निशान भी थे | जैसे - कुछ लोग उसे घसीट कर , वहां लाए हो |

क्या अरनव ने आत्महत्या की थी ? या फिर किसी ने उसे मार डाला |

वहाँ मौजूद सभी के मन में , यही सवाल चल रहा था | तभी अरनव के दोनो भाई और परिवार के सदस्य ! वहाँ आ जाते है | वहाँ की तस्वीर देख - कर और अरनव जिस हालत में उन्हें मिला , उसे देख कर सभी का हृदय रो रहा था |

पुलिस किसी को भी ( चाहे परिवार का कोई भी हो  ) लाश के पास नहीं जाने दे रही थी | कुछ ही देर में , एम्बुलेंस भी आने वाली थी | फिर लाश को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया जा रहा था ।

एम्बुलेंस पोस्टमार्टम के लिए , हॉस्पिटल पहुंचती है | लाश को अंदर ले जाने के बाद पोस्टमार्टम कुछ घंटों तक चला |

( पोस्टमार्टम के लिए ! की जाने वाली सभी जरूरी फॉर्मेलिटी , अरनव के जीजा जी ने पूरी की थी | जिसके बाद ही लाश को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया था । ) 

' अरनव ' अपने घर में सबसे छोटा बेटा था ।

अरनव की पत्नी वेदिका और एक बेटी माहिरा ( 6 साल की ) थी   | उसके घर में उसके पिता , दो बड़े भाई और दो बड़ी बहने थी l

"अरनव " घर में सबसे छोटा होने की बजह से , सभी का बहुत ही लाडला था | खासकर अपनी बहनो का | ( अरनव की माँ कुछ सालों पहले ही , इस दुनिया से जा चुकी थी । )

हॉस्पिटल के बाहर , परिवार के सभी सदस्यों और जानने वालों की भीड लग गयी थी |

( जो कोई भी " अरनव " को जानता था , सभी को जैसे ही ! ये दुख भरी खबर मिली , सुनकर सभी लोग हॉस्पिटल पहुंच गए थे । )

पोस्टमार्टम के बाद हॉस्पिटल वालों ने , लाश को घर के सदस्यों को सौंप दिया । जैसे - ही लाश को लेकर सभी घर पहुचें l वहां सभी का रो - रो कर बहुत बुरा हाल हो गया था ।

पोस्टमार्टम की वजह से  , अरनव की बॉडी को , पूरी तरह पैक कर दिया गया था |

इसलिए अंतिम समय में देविका  " अरनव " का चेहरा तक नहीं देख पायी थी |

कि तभी अचानक ही ' अरनव ' की पत्नी ' देविका ' बेहोश हो कर ज़मीन पर गिर जाती है |

वही दूसरी तरफ , अरनव की बेटी का भी रो - रो कर बुरा हाल हो गया था |

बेटी को भी सभी आखिर क्या समझाते ? और कैसे ?    कि कहा गए उसके पापा ?  वो तो बस रोये जा रही थी |

फिर बाकी सभी अन्तिम संस्कार की तैयारी करने मैं लग गए | क्यूंकि आशु को ले जाने का समय हो गया था |

अरनव के पिता अभी तक ये भी नहीं समझ पा रहे थे | कि ! उनका सबसे छोटा अब बेटा इस दुनिया मै ! नहीं रहा | वह सभी को छोड़कर जा चूका है |

मानों अरनव के पिता इस सदमें से ! पागल से हो गए हों |जबकि वह खुद , इस समय कैंसर जैसी भयानक बीमारी से जूझ रहे थे | और उस पर भी , अब ये अरनव के जाने का पहाड़ उन पर टूट पड़ा  । । 

तभी पास ही के दूसरे शहर से , अरनव के ससुराल वाले भी आ गए थे | देविका के भाई |

लेकिन " देविका " के भाइयों ने वहाँ मौजूद किसी भी सदस्य से बात ही नहीं की , और ना ही उन्होंने ये जानने की कोशिश की , कि आखिर " अरनव " के साथ क्या हुआ था ? और पुलिस और डॉक्टर्स ने क्या बताया ? कि ये केस आत्महत्या या मर्डर है ?

शाम के ( करीब ) 4 - बजने वाले थे | अब अरनव को बिदा करने का समय आ गया था I

उस समय , वहाँ मौजूद सभी के सामने , ये एक ऐसा दुखद और मार्मिक दृश्य था | जो किसी से भी देखा नहीं जा रहा था |

कि तभी अचानक वहां , बारिश होने लगती है । " मानो जैसे - इतने दर्द भरे माहौल को देख कर , अब आसमान भी रो रहा हो " |

वहाँ जितने भी लोग मौजूद थे | सभी ' अरनव ' की आत्मा की शांति के लिए , ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे और ये भी कि अरनव के साथ - साथ ! उसके घर वालों को भी न्याय मिले |

( देविका , अभी तक भी बेहोश ही थी )

बारिस होने की बजह से सभी लोग , वहां से भीगते हुए ही श्मशान घाट तक पहुंचे |

" अरनव " घर मै सबसे छोटा था , तो सवाल अब ये था ? के अरनव की चिता को आग कौन देगा ?

अरनव का कोई बेटा नहीं था | इसलिए , उसकी चिता को आग , अरनव के बड़े भाई के बेटे अयान ने दी |

फिर  ' ' अंतिम संस्कार की , सारी जरूरी प्रक्रिया पूरी करने के बाद , सभी घर पहुंचे |

अरनव की पत्नी देविका , अब होश में आ गयी थी । पर उसकी आंख से , अभी तक एक भी आंसू नहीं गिरा था । इसलिए घर के सभी सदस्य चाहते थे , कि वह थोड़ा - सा रो ले , जिससे उसका मन हल्का हो जाए |

इस वक्त देविका के मन में हजारों सवाल आ रहे थे ।

कि उसके पति के साथ आखिर क्या हुआ ? और क्यूँ ? अरनव ने किसी का क्या बिगाड़ा था ?

तभी देविका ( रोते हुए ) - " मेरे पति अरनव आत्महत्या नहीं कर सकते | "

फिर देविका जोर - जोर से रोते हुए , बार - बार बस यही कह रही थी । और बेटी माहिरा ! अपने पिता के लिए रोये जा रही थी ।

" पापा को सब क्यूँ ले गए माँ ? "

जब अरनव को ! अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा था । 

" बताओ ना बुआ "  |

" ताऊजी मेरे पापा कहा गए है   ? वो कब आयेंगे ?      मुझे पापा के पास जाना हैं " ।  ये कहते हुए माहिरा ! बहुत तेज रोने लगती है |

सभी के मन में अब सवाल ये था | कि क्या सच मे अरनव , आत्महत्या कर सकता है ? क्योंकि पुलिस को अरनव के पास से , जो कुछ भी मिला है '। उससे तो यही लगता है । और अगर यह आत्महत्या नहीं है , तो फिर अरनव का मर्डर किसने किया ? और वो नंबर किसका था ? जो उसकी जेब से मिला था । 

' अरनव ' किसी बडे बिजनेस मेन या अमीर आदमी का बेटा नही था | वह बहुत ही सीधा - सादा सा इंसान था |

पढ़ाई में , वह बहुत ही होशियार था । किसी से उसने आज तक , ऊँची - आवाज में बात तक नहीं की थी । क्योंकि अरनव को बहुत डर लगता था | हर तरह के शोर शराबे और तेज आवाज से |

अरनव अपनी बेटी माहिरा और सभी भाई - बहनो से बहुत प्यार करता था । उसकी दोनों बहनो ने उसे कभी भी , अपनी माँ की कमी महसूस नहीं होने दी |

पुलिस ने जब ये पता किया - कि वह नंबर किसका है | तो पता चला की वह नंबर , अरनव के बड़े भाई निशांत के बेटे ( अरनव का भतीजा ) का है |

ये वही है , जिसने अरनव की चिता को अग्नि दी थी । अरनव के भतीजे का नाम ' अयान ' था । अरनव की अपने भतीजे से अच्छी बनती थी |

वह अरनव को अग्नि देने के बाद , एक बार फिर उसी जगह गया था | जहाँ से अरनव की लाश मिली थी । पर इतनी रात को ही क्यूँ ?

क्या वह , इस बात को जानने गया था | कि आखिर उसके चाचा के साथ क्या हुआ था ? या फिर उसके फोन नंबर का ' अरनव ' की जेब से मिलने का कोई संबंध था ?

अयान उस जगह पर , करीब आधे घंटे तक रहा था । लेकिन इतनी रात को सुनसान जगह पर वो भी अकेले , आखिर क्यूँ ?     

चूंकि अरनव की जेब से अयान का नंबर मिला था | इसलिए पुलिस ने अयान से ! पूछताछ की ।

अयान ने पुलिस को बताया ! कि " चाचू अक्सर मेरा फोन नंबर अपने पास जेब मे लिखकर ही रखते थे | और जब भी उन्हें किसी चीज की जरूरत होती थी । चाचू उसे फोन कर दिया करते थे ।

शायद , इसीलिए आज भी उनकी जेब में मेरा फोन नंबर था  । "

फोन रिकार्ड से पता चलता है I कि अयान की अरनव से आखिरी बार बात ! दो दिन पहले ही हुई थी । और उसके बाद , अयान की अरनव से कोई बात नही हुई |

अरनव की पत्नी देविका , अभी तक उस हालत में नहीं थी | कि कुछ भी कह पाती |

लेकिन अरनव की बड़ी बहन सारिका ! जो उसी शहर में ही रहती थी । उन्होंने पुलिस को बताया !

कि " अरनव दो दिन से घर नहीं आया था | हम सभी लोग मिलकर उसे ढूंढ रहे थे | लेकिन अरनव कहीं भी नहीं मिला । और उसकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी । "

पुलिस को सारा शक ; अरनव के भतीजे अयान पर ही जा रहा था | पुलिस को यही लग रहा था । कि वह कुछ तो है जो जानता है | पर वह बोल नहीं रहा हैं । अब पुलिस को सबसे पहले ; अरनव की पत्नी के बयान का इंतजार था ।

पुलिस को कुछ हद तक तो यह आत्महत्या ही लग रही थी | पर अभी पूरा सच सामने नहीं आया था ।

और फिर , तभी देविका का बयान पुलिस को किसी और राय पर ही ले गया । आखिर देविका ने पुलिस से ऐसा क्या कहा होगा ? जिससे अरनव की हत्या या आत्म हत्या का खुलासा हो सकता हैं |

पूरी कहानी जानने के लिए आगे पढते रहे _ _ _ _

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रचनाएँ
Kya Galti Thi Meri?
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ये कहानी है एक ऐसे लड़के " अरनव वेदी " की । जो बचपन से ही बहुत सीधा सा लड़का था । अरनव पढ़ाई में बहुत होशियार और हेंडसम भी बहुत था। उसके भाई - बहन उसे बहुत प्यार करते थे । लेकिन उसकी भाभी वरनाली ; अरनव का अपने घर में रहना , बिलकुल पसंद नही करती थी । बचपन से ही अरनव संघर्षों से झूझ रहा था । फिर एक दिन उसकी जिंदगी में " देविका " आती है | " देविका कपूर " एक घमंडी और बिगड़ी हुई लड़की थी | और देविका का अरनव से शादी करना किसी इत्तेफाक के जैसा ही था | फिर एक दिन अरनव के साथ जो हुआ ! वो एक दर्दनाक घटना से कम नही था । लेकिन उसके साथ ऐसा क्यूँ हुआ ? आखिर क्या गलती थी उसकी ? और कौन था वो शक्स जिसने उसके साथ ऐसा किया ? अरनव के साथ आखिर क्या हुआ होगा? पूरी कहानी जानने के लिए पढ़ें "Kya Galati Thi Meri "
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अरनव की विदाई

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देविका का बयान

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देविका ! अब होश में आ गयी थी औेर अब उसकी हालत भी पहले से काफी ठीक थी । ' अरनव ' को गए हुए ! पूरा एक दिन हो गया था | अगला दिन . . . . सुबह के करीब 9 बज रहे थे | चारों ओर सन्नाटा सा फैला हुआ था ।

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छानबीन

6 सितम्बर 2022
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देविका के statement के बाद ! पुलिस ने अरनव की बीती हुई जिंदगी के बारे में जानना शुरू किया | आखिर अरनव कैसा इंसान था ? और क्या सच में वह ऐसा कर सकता था ? क्योंकि देविका का अचानक ये कहना ; क

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पोस्टमार्टम रिपोर्ट

6 सितम्बर 2022
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सभी पुलिस वाले , आपस मै बात करते है l और उनके मन मे यही सवाल चल रहा था । कि कहीं हम बेवजह ही ! अपना समय बर्बाद तो नहीं कर रहे हैं | क्यूंकि पुलिस को अभी तक अरनव और उसके परिवार के बारे में इतना कुछ जान

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वरनाली की ईष्या

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वरनाली ने भले ही सारिका दीदी और निशांत के सामने ये बात मान ली थी | कि अब वह इलेक्शन नहीं लड़ेगी और वरनाली ने अपनी गलती भी स्वीकार कर ली थी । ( निशांत को बिना बताये , व

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Arnav's headache

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वरनाली , अब हर पल बस इसी मौके के इंतजार मैं ही रहती थी | कि अरनव उसे कब अकेला मिले | अरनव की माँ के जाने के बाद , जब भी अरनव शांत और अकेला बैठा होता था । वरनाली , तुरंत ही अरनव के पास पहुंच जाया

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अरनव का देविका से मिलना

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अरनव के साथ पिछले कुछ महीनो से बहुत कुछ हो गया था | और उसे वरनाली की वेवकूफी की वजह से बहुत कुछ झेलना पड़ा था | अरनव वैसे तो अब पूरी तरह ठीक था । और वह अपनी बहनो और परिवार के साथ पहले की तरह ही बहुत ख

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देविका और अरनव की शादी

8 सितम्बर 2022
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शादी की डेट फाइनल होने वाली थी । और वहां देविका तो मुंह लटकाये हुए बैठी है । जैसे - उसे अंदर से कुछ भी पसंद नहीं हो | दिखने में ' अरनव ' बहुत ही ज्यादा हैंडसम था | एक - दम गौरा चिट्टा रंग , करीब 6 फीट

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प्यार की शुरुआत

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देविका : - " हॉ अरनव ! हाँ . . . . मैं किसी और से . . . . हो गई तुम्हें अब तसल्ली ये जानकर | " ( बहुत तेज गुस्से मे , इतना कहकर ! देविका चुप हो जाती है l ) देविका जो सबके सामने , अभी तक अच्छे से

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अरनव और देविका के बीच ! अगले कुछ महीनो तक सब ठीक चल रहा था I फिर एक दिन श्याम में . . . देविका के मोबाइल फोन की रिंग बजती है l देविका के मोबाइल पर , एक अननोन नंबर शो हो रहा था | देवि

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देविका का अरनव के गले लगना

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देविका , अरनव को कॉल करती है | " भईया आ गये है लेने , आप आ जाओं | हम थोड़ी देर में निकलने वाले है | " अरनव : - " हो सकता है देविका | कि मैं लेट हो जाऊं थोड़ा , तुम चाहो तो निकल जाना | लेकिन जल्दी आ जा

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में तुम्हे किसी अन्जान के साथ नही देख सकता

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देविका . . . . देविका उठो ! सुबह हो गई . . . . ( देविका के बड़े भाई अमित , देविका को अगले दिन सुबह , नींद से उठाते हुए आवाज लगाते है | ) देविका भईया की आवाज सुनकर अपनी ऑखे खोलती है | और वो अपने

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मेरा प्यार सच्चा है देविका

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विकास : - " देविका सुनो ! देविका प्लीज , बस एक बार मुझसे मिल लो | क्या तुम मेरे लिए अब इतना भी नही कर सकती ? " देविका मैसेज देखकर कोई रिप्लाय नही करती हैं l और मन ही मन गुस्से में खुद से कहने लगती है

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वो मेरी सबसे बडी भूल थी

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विकास : - " सॉरी देविका ! तुम्हे मेरी बात का बुरा लगा ना ; में बच्चे की बात नहीं करना चाहता था l पर तुम हो कि मुझसे , मिलना ही नहीं चाहती थी | " देविका : - " अब तो कह दिया पर आगे से उस बात को हमेशा के

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क्या में तुमसे मजाक भी नही कर सकता

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अबॉर्शन के बाद देविका नॉर्मल हो जाती हैं | लेकिन . . . . उस दिन की भूल को सोचकर , आज भी देविका के रोंगटे खड़े हो जाते हैं | और अगर गलती से भी , किसी को भी इस बारे में पता चल जाता | तो वह क्या करती | "

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आखिर सच क्या है देविका

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सिर्फ . . . देविका के बडे भईया को छोड़कर । अरनव को भी बाकी सभी की तरह यही लग रहा था | कि देविका उस एक्सीडेंट को देखकर घबरा गई है | इसलिए उसका प्रेग्नेंसी में ब्लड प्रेशर एक दम से हाई हो गया l देविका क

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अगले 2 महीने तक ऐसे ही चलता रहा | देविका भी अच्छे से जानती थी | कि अरनव का व्यवहार , उसके लिए क्यूं बदल गया है | लेकिन वह कभी भी देविका से कुछ नही कहता था | और न ही उसने फिर कभी देविका से विकास के बार

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मेरी बात याद रखना अरनव

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10 मिनिट बाद अरनव , रूम में अंदर जाता है | अरनव को देखते ही देविका तुरंत फोन रख देती है और बुरी तरह घबरा जाती है | अरनव : - " अरे ! क्या हुआ तुम्हे ? तुम इतना डर क्यूं गयी ? वो भी मुझे देख कर I " देवि

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अरनव : - " देविका के कहने से क्या होता है ? वो मुझसे इस तरह खुशी को नहीं छीन सकती | लेकिन . . . कहीं विकास के साथ मिलकर ! खुशी को उसने मुझसे सच में दूर कर दिया तो | देविका बहुत चालाक है | अपना उल्लू स

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अरनव , अपने जीजा जी के साथ ! वहाँ के एक अच्छे डॉक्टर को दिखाने जाता हैं | अरनव ! उस डॉक्टर को अपनी सारी प्रॉब्लम बताता हैं | डॉक्टर : - " ऐसा कितने दिनो से महसूस हो रहा हैं आपको ? " अरनव : - " यही , अ

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झूठ प झूठ

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देविका ; अपने भईया को डॉक्टर को बिना दिखाए ! बापस घर लौटने के लिए तो मना लेती हैं । लेकिन देविका को ये नहीं समझ आ रहा था | कि वह भईया को सारिका दीदी और जीजा जी से झूठ बोलने के लिए कैसे मनाएं ? देविका

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देविका की चाल

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पिछले कुछ महीनों से अरनव अपनी खराब तबीयत की वजह से ; स्कूल भी नही जा रहा था | देविका ने ही अरनव को उसकी जॉब से ; रिजाइन दिलवा दिया था | क्यूंकि . . . . देविका ने , अरनव के स्कूल में उसका पिछले कुछ मही

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सारिका का शक

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दोपहर के 2 बजे ; डोरवेल बजती हैं | सारिका दीदी का घर . . . . और उनकी सबसे छोटी बेटी चारू ; दरवाजा खोलती है | " अरे मामी आप ! आओ , अंदर आ जाओ मामी . . . . खुशी नहीं आयी क्या आपके साथ ? " सा

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श्वेता की मौत

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पुलिस द्वारा ; अभी तक अरनव के साथ रहने वाले , घर के सभी लोगों के बारे में ; अच्छे से छानबीन कर ली गई थी । इससे पुलिस को , ये तो साफ हो गया था । कि अरनव की हत्या या उसकी साजिश के पीछे , कोई

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Negative mind

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संडे का दिन , सुबह के 11 बज रहे थे | अरनव रूम में लेटा हुआ था | अपने अंदर वह पहले से बहुत बीकनेस फील कर रहा था | वह अब ठीक से खड़ा भी नही हो पा रहा था | तभी देविका रूम मे अरनव के पास आती है | देविका :

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Next step

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देविका बहुत confidence के साथ , अब अपने अगले कदम की ओर आगे बढ़ रही थी | और उसे अंजाम देने के लिए वो मेंटली ओर फिजिकली पूरी तरह तैयार थी | देविका का अगला कदम , उसे उसकी सपनों की दुनिया में ले जाने वाला

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kidnaping

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देविका के अरनव को मोबाइल देने के बाद ; उस रात अरनव पूरी रात भर यही सोचता रहा | कि कल देविका के इस खेल के बारे में सबको पता चल जाएगा | और उसे उसके अभी तक किए गए ! सारे गलत कामों की सजा भी मिल जाएगी | त

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तुम ही विकास हो

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गुंडो ने गाडी में अरनव का चेहरा , ऊपर से गर्दन तक पूरी तरह एक काले कपड़े से ढंक दिया था | और वो दोनो गुंडे उसे उस शहर के बिलकुल बाहर , एक सुनसान जगह पर ले गए | वहाँ उस सुनसान जगह पर एक ही घर बना हुआ थ

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बस एक दिन और

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देविका शाम होते ही अपनी प्लानिग के अनुसार , घर के सभी मेम्बर्स को फोन करना शुरू करती है | जैसे - अरनव के सबसे बडे भाई बलराज को , सारिका दीदी को , और अरनव के पिता से पूछना | और सभी को इस तरह दिखा

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प्लीज मुझे जाने दो

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विकास , चेयर से उठकर जाने के लिए खड़ा हो जाता है | और अपने अंदर अरनव की थोडी देर पहले , उसके लिए कहीं गयी बात के लिए , उससे गुस्सा होकर बदला लेने के नजरिये से देखता है | लेकिन फिर भी विकास ऊपर से झूठी

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End of Torture

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विकास , चेयर से उठकर जाने के लिए खड़ा हो जाता है | और अपने अंदर अरनव की थोडी देर पहले , उसके लिए कहीं गयी बात के लिए , उससे गुस्सा होकर बदला लेने के नजरिये से देखता है | लेकिन फिर भी विकास ऊपर से झूठी

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