अरनव : - " देविका के कहने से क्या होता है ? वो मुझसे इस तरह खुशी को नहीं छीन सकती | लेकिन . . . कहीं विकास के साथ मिलकर ! खुशी को उसने मुझसे सच में दूर कर दिया तो |
देविका बहुत चालाक है | अपना उल्लू सीधा करने के लिए वह कुछ भी कर सकती हैं | मुझे सारिका दीदी को बताना ही होगा |
लेकिन अभी नही | कुछ दिन बाद जब इस बात को कुछ दिन हो जाएंगे तब | वरना घर पर देविका से इस बारे में , किसी ने बात कर ली तो | मुझे तो वो विकास भी ठीक नहीं लगता है ! मुझे कुछ दिन रुकना ही होगा | "
देविका ने इस बार अरनव को साफ - साफ शब्दो में धमकी दी थी | लेकिन किसी को भी इस बारें में बताने के लिए मना करने के बावजूद भी देविका बहुत अच्छे जानती थी | कि अरनव नही मानेंगे |
इसलिए देविका ने बिना कोई देर किए विकास को सारी बात बताई इसलिए दोनो ने मिलकर आगे का प्लान बनाया और दोनों ने अगले दिन से ही अपने प्लान पर काम करना शुरू कर दिया था |
उधर विकास की शादी को भी टाइम हो गया था | और विकास के यहां भी एक बेटा हो गया था और अब तक वह 2 साल का हो गया था |
पिछले कई दिनों से ही , विकास की पत्नी को भी विकास पर शक हो रहा था और एक दिन विकास की पत्नि श्वेता का विकास पर शक सही साबित भी हो गया |
उस दिन श्वेता , विकास के घर आने का इंतजार कर रही थी । कि तभी विकास आ जाता है | तब श्वेता विकास से पूछती है |
श्वेता : - " अरे ! आप आ गये | कैसा चल रहा है आपका कंस्ट्रक्शन का काम ? "
विकास : - " हाँ ! लगभग पूरा ही होने वाला है | में थक गया हूँ ! नहाकर आता हूँ | तुम जल्दी से खाना लगा दो | "
विकास इतना कहकर नहाने चला जाता है |
तभी विकास के मोबाइल पर , किसी का फोन आता है | श्वेता मोबाइल देखती है | फोन पर सत्यम जैन लिखा आ रहा था | इसलिए श्वेता को लगा कि शायद ये ऑफिस से कॉल होगा इनके |
इतना कहकर श्वेता जैसे - ही मोबाइल टेबल पर रखने के लिए होती है | कि तभी फोन पर एक मैसेज आता हैं |
" 9402347022 , विकास में देविका | ये मेरा नया नंबर है | जैसा तुमने कहा था मुझे New number लेने के लिए | अब से तुम मुझे इसी नंबर पर ही कॉल करना |
अगर तुम , घर नही पहुंच हो और अभी फ्री हो तो ! कॉल करना मुझे | "
विकास , श्वेता को कभी भी ! अपने मोबाइल से हाथ लगाने नहीं देता था और कभी श्वेता गलती से मोबाइल मे कुछ देख लेती या पूछ लेती तो बहुत गुस्सा करता था | श्वेता को इसलिए विकास पर शक हो रहा था |
और आज जब विकास के मोबाइल की ऊपर स्कीन पर जब देेेविका का ये मैसेज शो हुआ | तो उसका ये शक यकीन में बदल गया | लेकिन श्वेता ये सब कुछ विकास से जानना चाहती थी |
अरनव की तरह ही ! श्वेता भी अपने पति के हर बात पर झूठ बोलने से परेशान थी |
इतने में विकास नहाकर , बाहर आता है । और श्वेता से पूछता है |
" श्वेता खाना लगा दिया क्या ? "
श्वेता : - " हॉ ! बस ला ही रही हूँ | "
विकास : - " अरे वाह ! पनीर . . . . मुझे सुबह यही खाने का मन था | "
विकास खाने की प्लेट देखकर , श्वेता से कहता है | विकास खाना खा रहा था | पास ही बैठी श्वेता के मन मे देविका के उस मैसेज को पढ़कर बार - बार एक ही ख्याल आ रहा था | कि आखिर देविका है कौन ? जो इन्हें इस तरह का मैसेज कर रही है |
में विकास से अभी पूछ ही लेती हूँ | पर ये अभी खाना खा रहे है | और मुझ पर गुस्सा करेंगे | लेकिन मैंने अभी नही पूछा तो ये मैसेज कही इन्होंने डिलीट कर दिया तो |
विचारो की उथल - पुथल के वावजूद भी आखिर कार श्वेता हिम्मत करके विकास से पूछ ही लेती है |
श्वेता : - " एक बात पूछूं आपसे ? "
विकास : - " हाँ ! हाँ ! बोलो ना श्वेता | "
श्वेता : - " ये देविका कौन है विकास ? "
विकास श्वेता के मुंह से देविका का नाम सुनकर , एक दम से ही खाते - खाते रुक जाता है और नीचे सिर किए हुए ही अपने दिमाग में सोचने लगता है | श्वेता को देविका के बारे में कैसे पता चला ?
विकास पूरी तरह से अनजान बनते हुए ; श्वेता से कहता है
विकास : - " क्यूं क्या हुआ श्वेता ? कौन देविका ? किसके बारे में पूछ रही हो तुम ? "
श्वेता , विकास से कहती है |
श्वेता : - " वहीं जिसका नंबर आपके फोन में है | जिससे आप रोज बात करते हो | "
विकास बात को घुमाते हुए कहता है |
विकास : - " अच्छा वो ! अरे वो देविका . . . . वो तो ! राजेश अंकल हैं ना उनकी भतीजी हैं | "
श्वेता : - " फिर आप उससे क्यूं बात करते हो ? "
श्वेता जैसे - ही ये पूछती है ।
विकास : - " अरे वो थोड़ी मेन्टल है . . . इसलिए अपने अंकल की वजह से , में उसका ट्रीटमेंट ! अपने पहचान के एक डॉक्टर से करवा रहा हूँ | बस इसलिए कभी - कभी हमारी बात हो जाती हैं | "
विकास ! श्वेता को गुमराह करने की कोशिश करता है ।
" और तुम भी ना श्वेता ! तुम मुझ पर शक कर रही हो ? मैं तुमसे प्यार करता हूं श्वेता | मेरी इतनी सुंदर बीबी के होते हुए ! भला में किसी और को क्यूं देखूंगा | आई लव यू मेरी जान । "
ऐसा कहकर विकास ! तुरंत अपना खाना खत्म कर वहाँ से चला जाता है l
श्वेता मन ही मन सोचने लगती है |
" आखिर ! आप मुझसे झूठ क्यूं बोल रहे हो विकास . . . . ? "
विकास ! अपने रूम में जाकर तुरंत अपना फोन चैक करता है | और देविका का मैसेज देखता है l इस मैसेज को पढ़कर विकास समझ जाता हैं । कि श्वेता ने उससे देविका के बारे में क्यूं पूछा |
" अच्छा तो ये बात है | श्वेता ने ये मैसेज पढ़ लिया | मेरे मना करने के बाद भी , तुमने मेरे फोन से आज फिर हाथ लगाया श्वेता ।
चिंता मत करो श्वेता ! आगे इसी तरह अगर तुम नही मानी तो , जल्द ही अरनव की तरह ही तुम्हारा भी कुछ करना पडेगा | इससे पहले अच्छा होगा । कि तुम अपना मुंह बंद ही रखो | "
विकास गुस्से मे , श्वेता के बारे मे अपने मन में सोचते हुए कहता है |
उधर देविका ने . . . . अपने और विकास की प्लानिंग के मुताबिक , काम शुरू करने के लिए पूरी भूमिका बना ली थी | इसके लिए देविका ने अरनव से विकास को लेकर ; हुई लड़ाई के अगले दिन ही . . .
देविका : - " मेरे सिर में तेज दर्द हो रहा है | में पास के मेडिकल से दवा लेकर आती हूं | आप तब तक खुशी को देखना | "
देविका , अरनव से रूम के बाहर से ही ये बात कहकर चली जाती हैं | जबकि देविका , सिर में दर्द होने का नाटक कर रही थी |
अगले दिन देविका , सुबह - सुबह रूम मै आती आती है | और अरनव से कहती है |
" ये लीजिए ! आपकी चाय और नाश्ता . . . . I "
अरनव : - " तुम क्यूं लायी ? मे खुद बना लेता अपने लिए चाय . . . ये तुम्ही ले लो देविका | "
[ अरनव ने फीवर की वजह से स्कूल से 2 - 3 की छुट्टी ले ली थी | इसलिए अरनव उस समय घर पर ही था | ]
देविका : - " अरे ! नहीं , नहीं मैंने हम दोनो के लिए ही बना ली हैं | वैसे भी ; आपकी तबीयत ठीक नही हैं | आप चाय पी लो I "
देविका , स्कूल जाने से पहले अरनव से कहती हैं | अरनव चाय और नाश्ता ले लेता हैं | थोड़ी ही देर बाद अरनव को बेहोशी आने लगती है । और पहले से उसे चाय का टेस्ट भी अजीब सा लग रहा था और फिर वह सो जाता हैं |
दोपहर को भी देविका स्कूल से आकर अरनव के लिए खाना लेकर आती हैं | अरनव खाना खाकर फिर सो जाता हैं | इस तरह सुुुबह चाय पीने के बाद से अरनव शाम तक बेहोशी आने की वजह से सोता ही रहता है |
लेकिन शाम तक अरनव का सिर ! बहुत भारी हो जाता है | इसलिए अरनव बहुत मुश्किल से खुद ही उठकर शाम में अपने लिए चाय बनाता हैं l तब उसे थोड़ा आराम मिलता है |
लेकिन . . . रात को खाना खाकर , फिर उसे बेहोशी सी आ जाती हैं ।
रात को अरनव
" मुझे ये हो क्या रहा हैं l मेरा सिर भी कितना भारी हो रहा हैं और चक्कर भी आ रहे हैं | और मुुुझे इतनी बेहोशी क्यूं आ रही है | इतनी तो मुझे ! कभी भी नहीं आयी l मुझे लगता है ! कि शायद फीवर की दवा खाने से , ऐसा हो रहा होगा l "
अगले 3 - 4 दिन तक अरनव को ऐसे ही बेहोशी आती रही । और अपने आप को वो बहुत थका हुआ महसूस कर रहा था ।
" मुझे बहुत कमजोरी फील हो रही हैं और चक्कर भी बहुत आ रहे है ।
में ठीक से ; चल भी नही पा रहा हूँ | क्यूं हो रहा हैं ये सब मुुझे ? "
अरनव अपनी तबीयत के बारे में देविका से कहता हैं |
तभी 2 - 3 दिन बाद अरनव की बडी वहन सारिका घर आती हैं | उस समय दिन के 12 करीब बज रहे थे | तब देविका घर पर नहीं थी |
सारिका को अरनव की फिक्र हो रही थी | क्यूंकि . . . कुछ दिनों से अरनव , घर नहीं आया था । और न ही सारिका की अरनव से फोन पर बात हो पा रही थी | क्योंकि . . . देविका ने अरनव का मोबाइल फोन ले लिया था | और ऑफ कर के कहीं और रख दिया था ।
सारिका ने अरनव से बात करने के लिए पिछले 2 दिनों में , देविका को भी कई बार फोन किया था | लेकिन देविका हर बार कोई न कोई बहाना बना देती थी |
इसलिए सारिका , अरनव को मिलने के लिए घर ही आ जाती है | सारिका , अरनव से को देखकर उसकी तबीयत के बारे में पूछती है |
" अरनव क्या हुआ तुझे , तू इतना बीमार सा क्यूं लग रहा है I और कुछ दिनों से कहाँ गायब हैं ? 2 दिन फोन भी नहीं उठाया तूने ! पहले रिंग जा रही थी | कल से फिर ऑफ आ रहा था |
देविका ने भी तुझसे बात नहीं करवायी | वो स्कूल मे थी तब . . . मैने कहा था उससे कि घर पहुंचकर अरनव से बात करवाना मेरी और अब वो भी फोन नहीं उठा रही है | कैसी लड़की है | "
अरनव सारिका दीदी को , बहुत मुश्किल से अपनी तबीयत के बारे मे बता पाता हैं और उसे कुछ भी ठीक से याद नहीं था | तब तक देविका घर आ जाती है |
देविका दीदी को घर पर देखकर थोड़ा डर जाती है |
" कहीं इन्होंने दीदी को मेरे और विकास के बारे मै बता ना दिया हो I "
देविका अपने मन मे सोचते हुए सारिका दीदी के पास जाती हैं | सारिका , देविका को देखते ही अरनव के बारे में कहती है |
" कैसी है देविका ? "
देविका : - " में अच्छी हूँ दीदी । आप कब आयी । "
सारिका : - " अभी कुछ देर पहले ही आयी हूँ | अरनव से बात नही हो पा रही थी इसलिए |
और अरनव की तबीयत खराब है | तूने बताया भी नही , क्यूं ? और तूने बात भी नहीं करवायी मेरी और कल कितनी बार फोन किया मैंने तब भी तूने एक बार भी फोन नही उठाया क्यूं ? "
देविका : - " नही दीदी ! इन्हें बस फीवर आ रहा था और थोड़ा सर दर्द था | में स्कूल के काम से थोड़ा बिजी थी घर आकर भी थोड़ा काम करना पड रह था स्कूल का और फोन तो आप जानती है कि खुशी के पास ही रहता था वही खेलती रहती थी |
इसलिए मुझे भी पता नहीं चला । "
देविका , सारिका दीदी से पूरी तरह से झूठ बोल देती है |
सारिका को देविका की बात पर यकीन नही हो रहा हो रहा था | क्यूंकि इतना भी क्या बिजी थी | कि एक बार भी कॉल का रिप्लाई नही कर सकी |
इसीलिए सारिका , फिर देविका से कहती है |
सारिका : - " लेकिन . . देविका ! इसकी तबीयत तो बहुत खराब लग रही हैं | देख जरा इसे और तू कह रही है कि बस फीवर आया था |
सारिका इस बार देविका की लापरवाही देखकर उससे , थोड़ा गुस्सा होते हुए कहती है |
" अरनव तुझे शाम में डॉक्टर को दिखाने ले जाएंगे जीजाजी . . . कोई नहीं सब ठीक हो जाएगा | "
देविका : - " अरे दीदी ! जीजाजी को क्यूं परेशान करती हों में ले जाऊँगी ना इन्हें डॉक्टर के पास | "
देविका , सारिका से चालाकी भरी आवाज मे कहती है |
सारिका : - " नहीं ! परेशानी वाली कोई बात नहीं हैं देविका | चाहे तो साथ में चली जाना | "
कोई भी ! देविका के अन्दर चल रहे , मनसूबो का अंदाजा नहीं लगा पा रहा था |
आखिर अरनव को ऐसा क्यूं हो रहा था | अचानक ही उसकी तबीयत क्यूं बिगड़ती जा रही थी ?
अरनव की तबीयत को देखते हुए ! क्या कभी हो पाएगा खुलासा देविका और विकास की सच्चाई का ? और क्या होगी देविका की अगली चाल ?
जानने के लिए आगे पढ़ते रहें _ _ _ _ _