अरनव के साथ पिछले कुछ महीनो से बहुत कुछ हो गया था | और उसे वरनाली की वेवकूफी की वजह से बहुत कुछ झेलना पड़ा था |
अरनव वैसे तो अब पूरी तरह ठीक था । और वह अपनी बहनो और परिवार के साथ पहले की तरह ही बहुत खुश भी था ।
लेकिन अभी भी उसे , अपनी माँ के जाने का बहुत दुःख होता था । और वह अपने जीवन में उनकी कमी को बहुत महसूस करता था ।
वह अपनी माँ के इस दुनिया से जाने के बाद , अंदर से बहुत खाली पन महसूस करता था । इसलिए अरनव का मन भी अब कहीं नही लग रहा था । और फिर गलत दवाओ के कारण , उसके साथ जो कुछ भी हुआ | वो काफी तकलीफ देने वाला था |
उसकी वजह से मानो इस दुनिया से उसका अब मन ही हट गया था । अरनव तो बस अपने परिवार की खुशी के लिए जी रहा था । और नौकरी कर अपना समय काट रहा था ।
यही एक कारण था । कि वह शादी करके किसी भी लड़की के जीवन को , बर्बाद नही करना चाहता था । लेकिन ऐसा हो पाना भी तो संभव नही था |
अरनव की दोनो बहने और दोनो जीजा जी , अरनव के पिता , निशांत सभी चाहते थे । कि अब अरनव की भी शादी हो जाए । और बाकी सभी की तरह ही उसका भी घर बस जाए |
लेकिन अरनव ने तो जैसे - शादी न करने की ही ठान ली थी ।
सभी ने अरनव को बहुत समझाया । लेकिन अरनव ने किसी की भी बात नहीं मानी । पूरा परिवार बस अरनव की खुशी चाहता था । क्यूंकि अरनव सभी का लाडला था ।
और फिर अरनव अगर शादी के लिए मान भी जाता है । तो वरनाली कभी भी नहीं चाहती थी । कि अरनव भईया की शादी हो ।
इसलिए वरनाली जब भी कोई लडकी वाले अरनव के रिश्ते के लिए आते थे । वह उनसे अलग से मिलकर , उन्हें यह कहकर मना कर देती थी । कि अरनव भईया की मानसिक हालत ठीक नही है । आप लोग अपनी लडकी की जिंदगी बर्बाद न करें ।
ऐसा वरनाली ने करीब चार - पाँच बार किया होगा |
लेकिन एक बार , वरमाली को अरनव के पिता ने लड़की वालों से ऐसा कहते हुए देख लिया था ।
जिसकी बजह से वरनाली को , अपने पिता समान ससुर की नजरो मे गिरना पड़ा | जिन्होंने वरनाली को हमेशा , सारिका और सरला की तरह ही माना था ।
कभी भी उन्होंने वरनाली के साथ बहु के समान व्यवहार नहीं किया । और उसकी हर गलती को बेटी समझकर हमेशा माफ किया |
लेकिन आज , वरनाली को ऐसा करते हुए देखकर उन्हें बहुत निराशा हुई ।
वरनाली के ससुर ने यह बात , निशांत को नहीं बतायी । क्यूंकि वह जानते थे । कि अगर निशांत को यह बात गलती से भी पता चल गयी , तो वह वरनाली को छोडेगा नहीं |
क्यूंकि निशांत भी अपने भाई अरनव से बहुत प्रेम करता था । और उसके बारे में इस तरह का कुछ भी ग़लत कहना उसे पसंद नहीं था | फिर चाहे वो कोई भी हो
वरनाली की इस हरकत से , अरनव के लिए जो लड़की वाले रिश्ता लेकर आये थे । वह वापस लौटकर नहीं आये ।
लेकिन अभी भी परिचित लोगों के रिश्ते तो आ ही रहे थे । और आते भी क्यूं नहीं अरनव दिखने में सुंदर था । लंबा कद , गोरा रंग , पढा - लिखा था । सरकारी नौकरी कर रहा था । घर - परिवार भी अच्छा था । पिता का चारो तरफ , आस - पास के सभी शहरो और गॉव में नाम था ।
एक लड़की वाले को और क्या चाहिए था ।
निशांत , सारिका और सरला और दोनों जीजा जी ने अरनव को बहुत समझाया ।
निशांत : - " अरनव माँ के जाने का दुःख , हम सभी को है । और इसमें तेरा कोई दोष नहीं । ईश्वर की मर्जी के बिना कोई भी इस दुनिया से नही जा सकता ।
चाहे वह इंंसान हो या कोई और जीव | या वह कोई अपना ही क्यूं न हो | उसके चले जाने से भी , ये जिंदगी नही रुकती । "
सरला : - " वैैैसे - ही माँ के जाने के बाद , हम सब भी तो जी ही रहे हैं ना | "
फिर सारिका खुश होकर अरनव से कहने लगती हैं ।
सारिका : - " और देखना अरनव कि जो भी लड़की , तेरे जीवन में आएगी । वह तेरी जिंदगी में आई हर कमी को पूरा कर देगी |
और अरनव हम सभी को भी तो देख , क्या तुझे हम खुश नहीं लगते हैं ? हम सब बस यही चाहते हैं । कि हमारी तरह ही तेरा भी घर बस जाए । और हमारे पिताजी तेरी ओर से भी निश्चिंत हो जाए । "
( सारिका और बाकी सभी की इस तरह की बातो को सुनकर , अरनव मान जाता है । और शादी के लिए हाँ कर देता है । )
इस बात से सभी बहुत खुश हो जाते है | सिर्फ वरनाली को छोड़कर I
अब वरनाली को पूरा विश्वास हो गया था । कि ये सब मिलकर अब तो अरनव भईया की शादी करवा ही देंगें ।
वरनाली को अब मन ही मन , ये सारी बातें परेशान कर रही थी । क्यूंकि अब वरनाली और निशांत के बच्चे भी बड़े हो रहे थे । और अरनव की शादी , उसके पति निशांत की प्रॉपटी को सीधे - सीधे दो हिस्सो मे बॉट देने वाली थी ।
लेकिन अब वह और करती भी क्या ? सब कुछ तो उसने करके देख ही लिया था । इसलिए वह अब हार मान जाती है | और हर तरह से अरनव का पीछा छोड़ देती है |
अरनव के लिए अभी भी रिश्ते जो आ ही रहे थे । उन से अब वरनाली को बस अरनव की शादी का ही इंतजार था ।
अरनव की शादी की बात बहुत जगह तो चल ही रही थी । लेकिन अभी तक कोई भी लड़की नहीं देखी थी ।
अगले कुछ ही दिनों मे पास ही के एक शहर से , अरनव की शादी के लिए रिश्ता आता है |
अरनव के पिता को , सब कुछ ठीक लगता हैं । और दोनों की कुण्डलीयाँ भी मैच हो जाती हैं ।
( चूंकि अरनव के पिता , खुद एक आचार्य थे । इसलिए बच्चो की शादी के लिए कुण्डलियो का मिलाना आवश्यक था । )
घर - परिवार अच्छा होने के अलावा , यह भी एक कारण था । कि अरनव के पिता , लड़की देखने के लिए हाँ कर देते हैं ।
जो लड़की अरनव अपनी शादी के लिए देखने जाने वाला था । उसका नाम ' देविका ' था । ' देविका कपूर ' |
दो - तीन दिन बाद ही , एक मंदिर में दोनों परिवारो का आपस में मिलना तय होता है । और दोनों परिवार के सभी सदस्यो के साथ - साथ अरनव और देविका भी आपस में एक - दूसरे से मिल लेंगे । और बातें भी कर लेंगे |
अरनव और देविका का आपस में एक - दूसरे को देखना और मिलना , समझना भी जरूरी था |
और फिर आखिर कार अब वो दिन आ ही जाता है । जब अरनव और देविका , एक - दूसरे से आमने - सामने मिलने वाले थे |
मंदिर मे अरनव के साथ उस के पिता , अरनव की बडी बहन सारिका और निशांत भईया - वरनाली भाभी भी जाने वाले थे |
वहीं लड़की वालो की तरफ से देविका के साथ , देविका के सबसे बडे भाई - भाभी , छोटा भाई ( वह भी देविका से बडे थे । लेकिन दोनो भाईयो में छोटा था । ) और बडे भाई का बेटा ( देविका का भतीजा ) आयेंगे ।
देविका की फैमिली मैं - उस के माता - पिता , दो भाई और तीन बहने थी । ( देविका को मिलाकर ) । कुल पाँच भाई - बहनो के अलावा , देविका के तीन भतीजे और एक भतीजी थी ।
( दो बेटे , बडे भाई के और एक बेटी , एक बेटा छोटे भाई के यहाँ थे । )
देविका सभी भाई - बहनों में सबसे छोटी थी ।
देविका के दोनों भाई के साथ - साथ , उसकी दोनों बहनो की भी शादी , पहले ही हो चुकी थी ।
जब अरनव शादी के लिए , देविका को देखने जाने वाला था । तब गर्मियों का ही मौसम था । तब यहीं कोई अप्रेल का महीना चल रहा था । और उस दिन श्याम के करीब - करीब पाँच बजे रहे होंगे ।
अरनव के यहाँ सभी लोग मंदिर जाने के लिए तैयार थे ।
दोनों परिवार , ठीक समय पर मंदिर पहुंच जाते हैं । वह भी एक - दूसरे को इंतजार कराये बिना ।
दोनों ही परिवार बहुत खुश थे I मंदिर में सभी लोग पहले , माता के दर्शन करते हैं । और फिर मंदिर के ठीक बाहर ही , बच्चों के खेलने के लिए एक छोटा सा पार्क बना था । जहाँ श्याम में अक्सर चहल - पहल रहती थी ।
क्यूंकि सभी लोग जो अपने बच्चों के साथ , दर्शन के लिए आते थे । दर्शन करने के बाद , बच्चों के साथ कुछ देर वहाँ बैठ जाया करते थे I वहाँ बडों के बैठने के लिए भी , अलग से बेंचे लगी हुई थी । और उनके बच्चे आराम से पार्क में झूलो का आनंद लेते I
दोनों परिवार के सभी लोगो ने , माता के दर्शन किए । फिर बाहर पार्क में सभी इतमिनान से , साथ मे बैठे । और आपस मे एक - दूसरे से बात - चीत शुरू की ।
( पहले साधारण तौर पर आपस मे एक - दूसरे का परिचय हुआ । )
फिर सारिका ने अपने घर के , सभी लोगो का एक - एक करके परिचय दिया ।
सारिका : - " ये अरनव के पिता है । ये अरनव के बडे भाई निशांत है । और ये अरनव की भाभी और निशांत की पत्नि वरनाली है । और में अरनव की बड़ी बहन - सारिका हूँ ।
हमारे अलावा अरनव की एक और बहन - सरला है । जो बाहर रहती है । इसलिए नही आ पायी । और ये अरनव है । हम सभी में सबसे छोटा । "
( अरनव की ओर देखकर सारिका हाथ से बताते हुए कहती है । फिर सारिका ने मुस्कुराते हुए बडे ही प्यार से कहा I )
सारिका ने बलराज के बारे में नही बताया ।
फिर लड़की वालो की साइड से , देविका के बडे भाई ने भी एक -एक करके सभी का परिचय दिया । जैसे - कि
अमित : - " मै , देविका का सबसे बडा भाई हूँ । मेरा नाम - अमित है । और ये मेरी पत्नि - निशा हैं । और देविका की बड़ी भाभी है ।
ये देविका का छोटा भाई - सुमित है । ( अमित हाथ से इशारा करके बताते हुए ) इनकी भी शादी हो चुकी है । इनकी पत्नी - सीमा अभी घर पर हैं । "
सुमित : - " नमस्ते "
सुमित अरनव के पिता और निशांत से नमस्ते करता है |
अमित : - " मेरे दो बेटे है | और ये मेरा बड़ा बेटा राहुल है I
( बेटा पास मे ही बैठा हुआ था । इसलिए उसके कंधे पर हाथ रखते हुए ..... )
और आखिर में . . . . . आज की सबसे खास और मेरी प्यारी बहन देविका | "
( देविका , अपनी भाभी के पास बैठी थी । भैया उनकी ओर हाथ से इशारा करके बताते हुए ... .... )
भैया के देविका कहते ही देविका शरमाते हुए नीचे फेस कर लेती है |
अमित : - " हमारे पिताजी काफी वृद्ध है । इसलिए वो आ नहीं सके । "
( देविका के बड़े भाई अमित , सामने बैठे आशु के पिताजी से हाथ जोड़कर कहते हुए ... ... I )
इसके बाद सभी , आपस में बात करने लगते है ।
लड़की वाले ( देविका के दोनो भाई ) अरनव , निशांत और पिताजी से बात करने लगते है । और इधर लड़के वालो में सारिका और वरनाली .... ... निशा और देविका से बात करने लगते हैं ।
थोड़ी देर बाद , वरनाली हंसते हुए कहती हैं ।
" हमारी बाते तो कभी खत्म नहीं होंगी । अगर आप सभी की इजाजत हो तो , अरनव और देविका आपस मे थोड़ी देर बात कर ले । आखिर कार फैंसला तो अपनी जिंदगी का इन्हे ही करना है I "
निशा : - "हाँ - हाँ क्यूं नही ? "
और फिर सारिका .... अरनव को , पास ही बनी दूसरी बेंच पर ले जाती हैं । और उधर से निशा , देविका को ले आती है ।
दोनो को वहां बिठाकर ,
सारिका : - " अब हम तो चलते तुम दोनों आराम से आपस में बातें करो | "
फिर सारिका अरनव के पास आकर धीरे से कहती है ।
" ज्यादा नर्वस नही होना | और पूछना हो वो पूछ लेना । ठीक है | "
सारिका : - " चलो निशा हम वहाँ चलकर बाते करते है | "
निशा : - " ठीक है देविका "
निशा , हंसकर देविका से कहती है | और फिर सारिका और निशा दोनो वापस आ जाती है |
तब तक यहाँ .... देविका का छोटा भाई सुमित और भतीजा राहुल , सबके लिए शरबत या ठंडे का अरेंजमेंट करते है ।
उधर . . . . अरनव काफी नर्वस हो रहा था । वह देविका से , खुलकर बात ही नही कर पा रहा था ।
( अरनव के साथ यह पहली बार था । जब वो इस तरह किसी लड़की से बात कर रहा था | वह अपनी शादी के लिए पहली बार ही कोई लड़की देखने आया था । )
वहीं .. .... देविका बिलकुल भी , नर्वस नहीं हो रही थी । वो तो अरनव से सवाल पर सवाल किए जा रही थी ।
देविका ने अरनव से बहुत सारे सवाल पूछे | जैसे - कितने टाइम से जॉब कर रहे है आप ? और इसी जॉब में आपको कितने साल हो गए ? आपकी सैलरी कितनी है ? मुझसे पहले आपने और भी लड़कियां देखी थी क्या ?
( इस तरह के और भी कई सवाल देविका अरनव से पूछ रही थी | )
देविका , अरनव के सामने ऐसे विहेव कर रही थी | जैसे वो बहुत सीधी और सिंपल हो | जबकि देविका एक घमंडी और अपने घर वालो के लाड - प्यार की वजह से एक बिगड़ी हुई लड़की थी |
वहीं अरनव ने देविका से , बस एक ही सवाल पूछा था । वह भी यह कहते हुए । कि . . . .
" अगर हमारी शादी फाइनल हुई । मतलब . . . . अगर में सबको पसंद आया तब । तो क्या ये शादी आप अपनी मर्जी से करेंगी ? या किसी के दबाव मै आकर तो नही करेगी ?
में ये सवाल इसलिए पूछ रहा हूँ । कि अगर आपको कोई और पसंद हो तो आप कह सकती है | "
देविका ने उस वक्त तो कह दिया ...... कि
"हां , मे ये शादी किसी के दबाव में आकर नही करूंगी । "
इसके अलावा अरनव ने , देविका से एक भी सवाल नही किया ।
तब तक . . . . देविका और अरनव को , आपस में बात करते - करते थोड़ी देर हो चुकी थी ।
( इतने मे देविका की भाभी निशा , दोनो के लिए ठंडा लेकर आ जाती है । )
निशा : - " क्या बात है ? बहुत सारी बातें हो चुकी होंगी अब तक तो आप लोगो की या अभी भी कुछ बाकी हैं । "
( देविका की भाभी हँसते हुए और दोनो को प्यार से चिढ़ाते हुए कहती है । और उनकी इस बात पर अरनव शरमा जाता है | )
अरनव : - " नहीं भाभी ! हो गई सारी बातें |
निशा : - "आओ . . . . तो अब वहीं चलते है , हम भी ।
( ऐसा कहकर तीनों - अरनव , देविका और भाभी , वहाँ से सभी के पास आ जाते है । )
और फिर . . . . . . . उस दिन की श्याम के साथ , दोनों पक्ष हंसी - खुशी ये कहकर घर आ जाते है । कि आप और हम घर पहुंचकर , आराम से आपस मै बात कर लेंते है । अरनव और देविका की राय जान ले । बांकी हमे तो कोई आपत्ति नही है ।
( चलते हुए देविका के बडे भाई अमित कहते है ! कि ... ) हमे आपके जबाव का इंतजार रहेगा । )
घर पहुंचकर , सभी लोग आपस में बात करते है । सभी को दोनों परिवार पसंद आये ।
इधर सारिका अकेले में , अरनव से पूछती है । कि उसे देविका कैसी लगी ? हमें तो सबको ठीक लगी ।
हाँ ..... थोड़ी हाइट जरूर , तुझसे ज्यादा ही कम है । लेकिन ठीक है ।
( सारिका मन ही मन , जोर से हँसते हुए और अरनव को चिढ़ाते हुए कहती है | )
अरनव , सारिका से ...... शादी के लिए हां कर देता हैं । सारिका सभी को यह बात बता देती है । निशांत और अरनव के पिता , दोनो ही ये बात सुनकर ..... . .... बहुत खुश हो जाते हैं ।
उधर देविका से भी सभी पूछते है । कि उसे अरनव कैसा लगा ? बांकी सब को तो सब अच्छा लगा ।
लेकिन ... ... देविका हाँ नही कहती है । उसे अरनव तो ठीक लगा । पर वो ये शादी नहीं करना चाहती थी ।
फिर देविका के दोनों भाई उसे समझाते है । कि लड़का अच्छा है । और परिवार में भी सब अच्छे है । और क्या चाहिए |
सभी के समझाने के बाद देविका , शादी के लिए हाँ तो कर देती है । लेकिन उसके मन में अभी भी कुछ और ही चल रहा था । जिसे सिर्फ देविका के बडे भाईया जानते थे |
देविका के बडे भाई , अगले ही दिन अरनव के पिता को फोन करते है । और उनका जबाव पूछते है ।
अरनव के पिता उन्हे हाँ करते हुए खुशी से कहते हैं | कि हमें यह रिश्ता मंजूर है । साथ ही उनका भी जबाव भी पूछते है |
देविका के बडे भाई भी अरनव के पिता को बधाई देते हुए कहते है I कि हमें भी आपसे रिश्ता जोड़कर बहुत खुशी होगी |
इस तरह ... ... ... आखिरकार अरनव की शादी पक्की हो जाती हैं ।
लेकिन ... सवाल ये है । कि देविका ने एक बार में शादी के लिए हाँ क्यूं नही की थी ? क्या उसे अरनव जीवन साथी के रूप में पसंद नहीं था । या उसे बाकि सब लोग अच्छे नही लगे थे ? और क्या था जो सिर्फ देविका के बडे भाई जानते थे ?
अब शादी की डेट फाइनल होने वाली थी । पर क्या ये शादी अच्छे से हो पाएगी ? या हो भी गई तो , देविका इस शादी से खुश रहेगी ?
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