शादी की डेट फाइनल होने वाली थी । और वहां देविका तो मुंह लटकाये हुए बैठी है । जैसे - उसे अंदर से कुछ भी पसंद नहीं हो |
दिखने में ' अरनव ' बहुत ही ज्यादा हैंडसम था | एक - दम गौरा चिट्टा रंग , करीब 6 फीट लंबा और हेल्थ भी अच्छी थी | न - मोटा और न - ही पतला | बस बॉडी नही बनी थी l क्यूंकि . . . . वो ज्यातातर और लड़को भी तरह जिम नही जाता था ।
वही दूसरी तरफ देविका दिखने में बहुत ही साधारण सी थी | बस . . . . एवरेज ही थी । देविका का रंग सांवला था । और हाइट बहुत कम बस 5 फीट ही होगी l अरनव से बहुत कम थी | और अरनव के आगे बहुत कम सुंदर लग रही थी |
हालांकि ज्यादा भी नही थी l बस एक चीज बहुत अच्छी थी l उसके बाल . . . जो उसकी कमर तक लहराते हुए आते थे । इतनी लंबी और मोटी सी चोटी बडी अच्छी लगती थी ।
देविका को तो बहुत खुश होना चाहिए था । उसे उसके सपनों का राजकुमार जो मिलने वाला था l और वो भी बहुत सीधा सा | जो उससे बहुत प्यार करता |
अरनव वाकई में बहुत ही सीधा था । उसके अंदर जैसे - कोई कपट , था ही नही l
लेकिन देविका तो , बिल्कुल भी सीधी नही थी l जबकि उस दिन सबके सामने शरमाते हुए ; बहुत सीधी बन रही थी | लेकिन अंदर से उसके मन में कुछ और था |
शादी की date , दोनों परिवार वालो ने मिलकर 2 महीने बाद की फाइनल की । क्यूंकि . . . . . उस समय सभी के बच्चो की स्कूल की छुट्टियां चल रही होगी |
तो आराम से सब बच्चे अपने " चाचा - मामा और मौसी - बुआ "' की शादी को enjoy कर पाएंगे |
शादी तक के ये 2 महीने कब निकल जाएंगे , पता ही नही चलेगा l और शादी आ भी जाएगी |
वैसे भी शादी के कितने काम होते है करने के लिए ।
चूंकि शादी अरनव के शहर में हो रही थी | इसलिए लड़की वाले शादी के लिए उठकर आने वाले थे I अरनव के शहर में |
इसलिए शादी का सारा अरेंजमेंट , लड़के वालों को ही करनी था । जैसे - शादी का गार्डन , खाना - पीना , नाश्ता , सजावट , लड़की वालों के ठहरने की व्यवस्था आदि ।
दोनों ही तरफ , शादी की तैयारियां जोरो से शुरू हो चूकि थी |
और देविका है । कि उसका तो शॉपिग में मन ही नही लग रहा था । न जाने कहाँ मन था उसका |
वैसे अरनव और देविका की अभी सगाई तो नही हुई थी | और सगाई भी शादी वाले दिन सुबह ही करने का फाइनल हुआ l
लेकिन फिर भी अरनव को यही लग रहा था | कि हम फोन पर बात तो कर ही सकते थे |
इसलिए अरनव ने अपनी बहन सारिका से कहा कि वो देविका से फोन पर बात करना चाहता है | इसलिए वो उनके घर फोन कर निशा भाभी से देविका का नंबर ले लें |
सारिका , निशा को फोन कर देविका का नंबर मांगती है |
निशा , सारिका को देविका का फोन नंबर दे देती है | और रात को निशा जब खुश होकर अमित को ये बात बताती है | कि अरनव , देविका से बात करना चाहता है |
आज सारिका ने देविका का फोन नंबर लेन के लिए निशा को कॉल किया था | ये सुनकर अमित थोडा टेंशन में आ जाता है |
निशा : - " क्या हुआ ? आप तो ये सुनकर किस सोच मै पड़ गए ? क्या आप देविका के लिए खुश नही है ? "
अमित : - " नही निशा ऐसी कोई बात नही है । बस अगर देविका चाहे तो मुझे कोई प्रॉब्लम नही । "
निशा : - " अरे वो क्यूं नही चाहेंगी ? हर लड़की का मन होता है । इस समय बात करने का । "
लेकिन . . . . . देविका तो जैसे - बात ही नही करना चाहती थी । और अरनव को नंबर मिलने पर उसने देविका को कई बार कॉल किया |
लेकिन देविका कभी उससे उतने अच्छे से बात नहीं करती थी | और कभी - कभी कॉल भी नही उठाती थी |
जैसे - तैसे ये बीच का समय निकल गया था । और आखिरकार . . . . अब वो दिन आने ही वाला था | जब फाइनली दोनो की शादी होने वाली थी |
अब अरनव और देविका की शादी होने में , अब सिर्फ 4 - 5 दिन ही बाकी थे |
दोनों ही घरों में शादी से ठीक पहले के फंक्शन , खूब ज़ोरों से चल रहे थे l लेकिन देविका का उन सब फंक्शन में मन ही नही था |
और अब तो दोनों की शादी वाला दिन आ ही गया I
पूरी शादी तो बहुत अच्छे से हो गई थी | और देविका भी ठीक तरीके से शादी की रस्में कर रही थी | लेकिन . . . . आगे किसी ने भी ऐसा नही सोचा था । जो अब होने वाला था |
शादी करके देविका . . . अब अपने ससुराल आ चुकी थी l
शादी के बाद , सभी जरूरी रस्म रिवाज होन थे | जिनमें देविका का तो मन ही नही लग रहा था ।
ऐसा लग रहा था I जैसे वह जबरदस्ती बेठी हुई है l
( देविका अपने मन में सोचते हुए )
" पता नही कब खत्म होगा ये सब ड्रामा और कब तक ऐसे ही मुझे यहाँ बैठे रहना पड़ेगा l इनका ये सब खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है | "
और फिर देविका सारे रीति - रिवाज होने तक बडी मुश्किल से बैठी रही l
उसके बाद सभी एक साथ बैठकर देविका से ननद ,भाभी . . . . . हंसी - मजाक करने लग गई थी । वह सब देविका को सुहागरात को लेकर छेड़ रही थी |
( मगर प्यार से ) क्यूंकि .... इस छेड़छाड का भी अपना मजा है |
लेकिन देविका नीचे सिर झुका कर सभी की बातें सुन रही थी | और मन ही मन सोच रही थी | कि
" कितना मजा आ रहा है इन लोगों को , ये सब फालतू बकबास करने में | हे भगवान ! ये कब मुंह बंद करेंगी सब अपना । जिससे में जाऊं | इनकी बाते सुनकर तो मेरे सिर में दर्द होने लगा । "
और बाकी सब ये सोच रही थी | कि देविका उनके हंसी - मजाक की वजह शरमा रही है | जैसे कोई भी एक नॉमर्ल लड़की करती | लेकिन के मन की बात कोई कैसे जान पाता |
थोड़ी देर बाद देविका को सरला और वरनाली उसके रूम मे ले जाती है l रूम फूलो से पूरी तरह सजा हुआ था I पूरा रूम फूलों की खुशबू से महक रहा था |
पास में ही , टेबल पर चॉकलेट और दूध का ग्लास रखा हुआ था I सरला और वरनाली , देविका को रूम में छोडकर वापस आ जाती है |
उनके जाते ही देविका बेड पर सजे हुए फूलों को एक झटके में खराब कर देती है । और उन्हे नीचे फेंक देती है |
अरनव . . . अब किसी भी वक्त , रूम मे आ सकता था |
इससे पहले कि अरनव रूम मे आता I देविका ने तुरंत चॉकलेट छुपा दी . . . . और उसने दूध का गिलास पहले ही खत्म कर दिया । और सोने की तैयारी में लग गयी ।
देविका मन ही मन अपनी शादी वाले दिन को कोस रही थी l और यही सोच रही थी । कि " मेरे घरवालो ने मुझे कहाँ फंसा दिया | वो भी जबरदस्ती l
( देविका अपने घर के सभी लोगों को कोसते हुए कह रही थी . . . . l )
इतने में अरनव , रूम में एंटर करता हैं I
( देविका शर्माने की एकिटंग करते हुए ... )
वह नीचे सर झुका लेती हैं । रूम में अंदर आते हुए अरनव मन मे सोचता है | कि रूम तो काफी अच्छा डेकोरेट किया था । लेकिन अब ये इतना बिखरा हुआ क्यूं लग रहा था ।
सोचते हुए अरनव पास ही .... बेड पर आकर बैठ जाता हैं । और बेड के सारे फूलो को जमीन पर बिखरा हुला देखता है |
इतने में देविका कहती है |
" मुझे फूल पसंद नही है I इसलिए मैंन ये सारे फूल नीचे डाल दिए | "
अरनव : - " पहले कभी बता दिया होता फोन पर तो फूलो से डेकोरेट नहीं करवाते । सॉरी "
ये कहते हुए अरनव चुप हो जाता है । और वह इंतजार करता है | कि देविका उससे कुछ कहे पलटकर शायद |
( क्यूंकि - अरनव खुद बहोत घबरा रहा था । जो कि अक्सर सभी को होती है । )
लेकिन ..... अगले 10 - 20 मिनिट तक जब दोनों ही शांत रहे और कोई कुछ भी नही बोला । तो अरनव ने हिम्मत की बोलने की और उसने देविका से बात करना शुरू किया ।
( अरनव जब रूम में आया था I तब उसके हाथ में एक गिफ्ट था I देविका के लिए ... I )
बातो ही बातो में ..... अरनव ने देविका को गिफ्ट देना चाहा l और जैसे ही अरनव ने देविका को गिफ्ट दिया | देविका उसे साइड में टेबल पर रख कर ......
" मुझे अब नींद आ रही हैं । मुझे सोना है , में बहुत थक गयी हूँ । "
अरनव से यह कहकर बिना गिफ्ट देखे सो जाती हैं ।
अरनव को एक पल के लिए बहोत अजीब लगा I कि देविका ने उसका गिफ्ट भी नही देखा खोल कर .... I अरनव को बहुत बुरा लग रहा था |
वह बहुत देर तक जागता रहा | फिर उसके मन में यही खयाल आया । कि देविका सच में बहुत थक गयी होगी I फिर सोचते - सोचते उसकी भी कब नींद लग जाती है । उसे पता ही नहीं चला l
अरनव की सुबह . . . . . जब आँख खुली तो , उसने फौरन अपने पीछे बेड पर पलटकर देखा . . . तो देविका वहाँ नही थी ।
अरनव ने पास ही रखी अलार्म घडी में टाइम देखा . . . . . तो उस समय सुबह के करीब 7 बज रहे थे ।
उसने पूरे रूम मे देखा . . ( चारो ओर उसकी नजरे गई ! ) लेकिन . . . . . देविका वहां रूम में नही थी ।
तभी ! अरनव की नजर . . . पास ही रखी टेबल पर गई । जिस पर .... कल रात को , देविका को दिया हुआ ! गिफ्ट भी रखा था । वह गिफ्ट ! अभी भी वेसे ही रखा था ।
उस गिफ्ट को वैसे ही रखा देखकर . . . . अरनव को बहुत बुरा लगा I
अरनव ; - " ऐसा भी क्या काम था ? जो सुबह भी खोलकर नहीं देखा l और अब तो . . . . . थकान भी दूर हो गयी होगी | "
( अरनव अपने मन मे सोचते हुए कहता है l )
फिर अरनव , तैयार होकर नीचे सबके पास जाता है ।
( अरनव यह सोचते हुए ! नीचे जा रहा था I कि शायद अब देविका जब उसे दिखाई दे तो ! शायद वह अरनव को देखकर स्माइल करे । )
लेकिन . . . . . अरनव जब नीचे पहुंचा तो देखा | देविका सभी के साथ बैठी हुई थी । उसने अरनव को देखा तो , लेकिन ... स्माइल करने की जगह , नीचे फेस कर लिया | और दूसरी ओर देखने लगी | जैसे वो अरनव को इग्नोर कर रही हो |
लेकिन . . . . इस बार अरनव को कल से और भी ज्यादा बुरा लगा ।
( क्यूंकि , किसी की भी जब नई - नई शादी होती है । तो सभी को थोड़ा क्रेज तो रहता ही हैं | अपने पार्टनर के लिए | लेकिन . . . देविका को देखकर तो ऐसा कुछ भी नहीं लग रहा था । )
और अरनव को बुरा , इसलिए भी लग रहा था । कि शादी तो ! मर्जी से ही हुई है | और उसने तो कोई जबरदस्ती भी नही की ! फिर ऐसा व्यवहार क्यूं कर रही है । देविका उसके साथ l
अगले 3 - 4 दिन तक , ऐसे ही चलता रहा I देविका जब अपने कमरे में होती थी । तब कोई न कोई बहाना करके वह सो जाती थी |
हालांकि ... ... अरनव ! पहली ही रात , यह बात समझ चुका था । कि देविका . . . . उससे दूर रहना चाहती हैं ।
( आखिर क्यूं और किस वजह से , वह यह बात नहीं जानता था l )
लेकिन . . . . देविका उससे दूर रहती है । वह ठीक से बात तक नही करती उससे l ये बात वह किसी को बता भी तो नहीं सकता था । और वो भी इतनी जल्दी I
इससे देविका को ! सब गलत ही समझते और न जाने कितने सवाल होते ? आखिरकार वह उसकी पत्नि है । यह सोचकर वह कुछ दिन . . . . अभी और ! चुप रहने का ही फैसला करता है ।
अरनव की शादी को अब 15 दिन हो गए थे । लेकिन . . . देविका का व्यवहार , अभी भी वैसा ही था ।
ये बात अरनव को बिल्कुल भी ! अच्छी नही लग रही थी । अरनव की जगह अगर कोई और होता , तो अब तक उन दोनो के बीच महाभारत हो गई होती | क्यूंकि शादी वाले दिन से ही किसी लड़की का इस तरह का व्यवहार किसे अच्छा लगता |
अरनव मन ही मन , अब यह सोचकर अपने आप को कोस रहा था । कि " उसने शादी की ही क्यूं ? "
अरनव : - " में .... ! पहले ही अच्छा था I कि अब इस बात का बोझ और मुुुझ से सहा नही जा रहा । मैंने देविका से शादी के लिए कोई जबरदसती तो नहीं की थी | जो ऐसे विहेव कर रही है |
नही करनी थी शादी तो मना क्यूं नही किया । "
( अरनव के मन मे , ये विचार बार - बार आ रहा था । । )
फिर . . . . एक दिन अरनव ने , देविका से पूछ ही लिया । कि उसे क्या परेशानी है ?
अरनव : - " हमारी शादी को इतने दिन हो गए हैं । तुमने एक बार भी खुद से आकर मुझसे बात तक नही की I आखिर तुम मुझ से ! बात क्यूं नही कर रही हो ? क्या तुम्हें ये शादी नही करनी थी ? "
( लेकिन देविका अभी भी चुप थी । वह कुछ भी नही बोल रही थी । अरनव उससे बार - बार पूछ रहा था । )
फिर .... देविका से इतनी बार पूछने के बाद भी वह चुप बैठी हुई थी | जिससे अरनव को देविका पर , बहुत तेज गुस्सा आ जाता हैं । और वह देविका से , जोर से तेज आवाज मे बोलता है I कि . . .
" अब , कब तक तुम यूं ही ! बुत बनी बैठी रहोगी ? मै कुछ पूछ रहा हूँ तुमसे देविका l "
( ये सुनकर देविका , अरनव की तरफ गुस्से से देखती है । और कहती हैं । )
" मै आपसे शादी , नही करना चाहती थी । ये शादी मेरे भाईयों ने करवाई है l वो भी मेरी मर्जी के बिना I "
ये सुनकर अरनव , देविका से तुरंत पलटकर कहता है |
" उस दिन जब में तुम्हे , मंदिर में देखने आया था । तब मैने पूछा था ना ! तुमसे . . . . I बोलो ! तब क्यूं नही कहा तुमने मुझसे यह बात ? "
देविका : - " में क्या कहती उस वक्त आपसे ? मेरे भाइयों ने मुझसे कहा था | कि हम यहीं कर रहे है ! तेरी शादी . . . बस ! उन्होंने मुझसे पूछी ही नहीं थी मेरी मर्जी , मेरी पसंद ' नापसंद । "
अरनव : - " आखिर . . . . . तुम मुझसे , शादी क्यूं नही करना चाहती थी ? क्या तुम किसी और से . . . . "
( अरनव यह बात देविका से पूछते हुए , अपना सर पकड़ लेता है । जैसे - उसके सर मे बहुत तेज दर्द हो रहा हो I और वो जैसे फटने ही वाला हो | )
देविका : - " हॉ अरनव ! हाँ . . . . मैं किसी और से . . . . हो गई तुम्हें अब तसल्ली ये जानकर | "
( बहुत तेज गुस्से मे , इतना कहकर ! देविका चुप हो जाती है l )
लेकिन .... अब आगे क्या होगा ? क्या अरनव घर पर यह बात सबको बता देगा ? या फिर इस रिश्ते को यूं ही निभाता रहेगा ?
लेकिन देविका जो अपनी शादी उसकी मर्जी के बिना करवाने का बोझ ! अपने भाईयों पर डाल रही है | ये बात सच है या झूठ |
और देविका जो अभी घर मै ; बाकी सभी लोगो के साथ ! तो अच्छी बन रही है I क्या वह ऐसे ही , सबके साथ अच्छे से बर्ताव करेंगी ? या फिर उस के मन में , अभी और भी कुछ है ।
आखिर क्यूं और किस लिए ! उसने अरनव से झूठ बोला था ? क्या देविका सच में किसी और से प्यार करती है या ये भी उसने झूठ बोला था ?
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