10 मिनिट बाद अरनव , रूम में अंदर जाता है | अरनव को देखते ही देविका तुरंत फोन रख देती है और बुरी तरह घबरा जाती है |
अरनव : - " अरे ! क्या हुआ तुम्हे ? तुम इतना डर क्यूं गयी ? वो भी मुझे देख कर I "
देविका : - " अरे नहीं ! नही ! में कहां डर रही हूँ | मे तो थोड़ी देर के लिए लेट गयी थी | तो मेरी कब नींद लग गयी पता ही नही चला | इतनी देर में ही , मैंने एक बुरा सपना देखा लिया था | बसस . . . . "
[ देविका , हडबडा कर अरनव से कहती है और उठकर रूम से बाहर चली जाती है | ]
देविका रूम से बाहर निकलते ही एक गहरी सांस लेती है | जैसे आज उसकी चोरी पकड़ी ही जाने वाली थी | और गहरी सांस लेते हुए देविका , खुद से ही बाते करने लगती है l
" थैंक गॉड यार ! मैं तो डर ही गयी थी | अगर गलती से भी इन्हें पता चल जाता | तो मैं तो आज गई थी समझो | अगर ये सुन लेते तो पता नही आज क्या होता |
वैसे - कहीं इन्होंने सुन तो नहीं ली हमारी बाते ? नहीं - नहीं देविका , इन्होंनें कुछ नही सुना होगा | मैं भी ना कुछ भी सोच रही हूँ |
लेकिन . . राहुल की शादी में इन्होंने सब सुन लिया था | क्या यार देविका तू भी ना कुछ भी सोच लेती है | पागल है पूरी की पूरी . . . इस बार में अपने रूम मै थी । किसी गार्डन मै नहीं | चल छोड़ , वैसे ही डर रही है | "
अरनव : - " देविका को शायद में , अभी भी समझ नहीं पाया | उससे शादी करना ही मेरी जिंदगी की बहुत बड़ी भूल थी । "
[ देविका के रूम से बाहर जाने के बाद अरनव अपने मन में देविका के बारे मै सोचता है I ]
उसी दिन रात को अरनव और देविका जब वो दोनो अपने रूम मै थे |
अरनव : - " तुम इतना झूठ क्यूं बोलती हो ? तुम्हें झूठ बोलकर क्या मिलता है ? क्या तुमने कभी भी सोचा है एक बार भी | कि ऐसा करने से , किसी का तुम पर जो विश्वास है वो टूट रहा है देविका ।
क्या मिल रहा है आखिर तुम्हे ऐसा करने से ? "
रूम में अरनव , देविका से दोपहर को झूठ बोलने का कारण पूछता है | लेकिन अरनव के इतना कहते ही देविका गुस्से में अरनव से कहती है |
" आखिर मैंने किया क्या है ऐसा ? जो आप मुझे ये सब बोल रहे हो ? "
अरनव : - " तुम्हें ! अभी भी इस बात का एहसास नहीं है जरा भी | देविका मत भूलो कि ईश्वर यही हैं | कभी न कभी ! इसी जीवन में तुम्हें , इस बात का एहसास देखना जरूर होगा और तब तुम पछताओगी | "
देविका से इतना कहकर अरनव करवट लेकर सोने लगता हैं |
देविका : - " देख लूंगी और एहसास किसे होगा ? ये भी पता चल जाएगा , वो भी यहीं | "
अरनव , अब बस यही जानना चाहता था l कि देविका आखिर फोन पर किससे बात कर रही थी ? जिसकी बजह से उसने , इतना बडा झूठ बोला |
4 दिन बाद - - - - - - - -
हर रोज सुबह अरनव , जल्दी उठ जाता था | लेकिन . . . उस दिन सुबह के लगभग 7 बजे तक अरनव सो ही रहा था |
तभी देविका रूम मे अंदर आती है |
देविका : - " अरनव उठिये 7 बज गए ! आज आपको स्कूल नही जाना क्या ? "
देविका , अरनव को सोता हुआ देखकर नींद से जगाने के लिए आवाज लगाती हैं |
अरनव : - " नहीं देविका , में आज स्कूल नहीं जा रहा हूँ | मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं हैं आज | ठीक सा नहीं लग रहा है | इसलिए आज में घर पर ही आराम करना चाहता हूं | आज की लीव ले ली हैं मैंने |
देविका : - " क्या हुआ ? दिखाओ मुझे |
अरे ! आपका सिर तो बहुत गर्म हैं | आपको तो बहुत तेज बुखार आ रहा है | मैं आपके लिए दवाई लाती हूँ | "
अरनव : - " तुम रहने दो देविका , मे खुद ले लूंगा | तुम स्कूल के लिए लेट हो जाओगी | "
देविका : - " नही मैं ला रही हूँ ना आपके लिए दवाई । "
देविका , अरनव के लिए फीवर की दवा लेकर आती है | और अरनव को देती है |
" ये लो आप दवाई खाकर सो जाओ | "
अरनव : - " हममम . . . . दवा लेकर सो जाता हैं | "
दोपहर को अरनव अपने रूम में ही बैठकर ! लैपटॉप पर स्कूल का कुछ वर्क कर रहा था | तभी देविका और खुशी स्कूल से वापस आती है l और अरनव को काम करता हुआ देखकर ; देविका अरनव से पूछती है |
" कैसी तबीयत है अब आपकी ? फीवर वापस कितने घंटे मै आया ? "
अरनव : - " हाँ ! अब पहले से ठीक हूँ में | फीवर आया था 3 - 4 घंटे बाद , फिर दवा ले ली थी मैंने I "
देविका स्कूल से आकर अपने और खुशी के हाथ मुंह धुला कर लाती हैं |
खुशी : - " मुझे नींद आ रही हैं . . . मम्मा ! मुझे सोना हैं | "
देविका , खुशी को सुलाकर बाहर चली जाती हैं | थोड़ी देर बाद देविका के मोबाइल पर फोन आता हैं | देविका का मोबाइल रूम में ही रखा हुआ था |
मोबाइल पर रिंग बजती हुई देखकर
अरनव : - " अरे ! देविका अपना मोबाइल यहीं भूल गई | "
अरनव , रूम में से ही देविका को आवाज लगाता है |
" देविका . . . . तुम्हारा फोन आ रहा है | देविका तुम्हारा फोन बार - बार आ रहा है । देखो कौन है | "
अरनव के आवाज लगाने पर भी देविका नही सुनती है | और देविका के मोबाइल पर किसी का बार - बार फोन आ रहा था | इसलिए अरनव को ही उठकर देखना पड़ा I
अरनव : - " मे ही उठकर देखता हूं कौन है ? "
देविका के मोबाइल पर , जो नाम आ रहा था | उसे देखकर अरनव चौंक जाता हैं | और मन ही सोचता है | कि ये नाम , ये कहीं वहीं तो नहीं है | अरनव जैसे - ही फोन रिसीव करता है | दूसरी साइड से आवाज आती हैं |
" सॉरी देविका ! आज में फोन करने में लेट हो गया | आज कुछ जरूरी काम आ गया था | तुम घर तो नहीं पहुंची अभी | हलो देविका . . . . . . हलो . . . . "
तभी अरनव फोन काट देता है | फोन पर इतना सुनकर जैसे अरनव का सिर ही घूम जाता है |
फिर अरनव को उस कॉल की याद आती है | जिसके बारे में अरनव को पता करना था |
अरनव तुरंत फोन की , कॉल लिस्ट को चैक करता है | 4 दिन पहले ! दिन के करीब 12 बजे की बात है | जब में बाजार से घर आया था |
अरनव देखता है कि उस दिन की कॉल में 11 बजकर 50 मिनिट पर इसी नंबर पर 30 - 35 मिनिट बात हुई थी | अरनव उस नाम को देविका की पूरी कॉल लिस्ट मे देखता है | देविका की इस नंबर पर डेली बात हो रही थी |
अरनव : - " इसका मतलब उस दिन देविका इसी से बात कर रही थी l और इसीलिए उसने मुझसे झूठ बोला | देविका इससे अभी भी हर रोज बात करती हैं | "
अरनव को , देविका के मोबाइल की कॉल लिस्ट में ये नंबर देखकर देविका पर बहुत तेज गुस्सा आ रहा था |
" क्यूं देविका क्यूं ? आखिर तुम दोनों मुझसे क्या चाहते हो ? "
तभी रूम मै देविका आ जाती है | और अरनव देविका से कहता हैं |
" तुम्हारे मोबाइल पर किसी का बार - बार फोन आ रहा था देविका | "
अरनव के ये कहते ही देविका समझ तो जाती है | कि कही विकास का ही फोन तो नहीं था | और धीमी आवाज में अरनव से पूछती है |
देविका : - " किसका फोन था अरनव ? "
लेकिन अरनव बहुत गुस्से में देविका से कहता है |
" तुम्हे शर्म नही आती क्या थोडी भी ? तुम अभी भी उससे बात करती हो | इतना कुछ होने के बाद भी ; तुम्हे जरा भी अपनी बेटी की फिक्र नही है | "
अरनव को इस तरह गुस्से में बोलता हुआ देखकर , देविका को confirm हो जाता है कि विकास का ही फोन था | और मन ही मन सोचने लगती है | कि अब जब अरनव को सच पता ही चल गया है । तो अब क्या छुपाना उससे |
इसलिए देविका भी अरनव को बिना किसी झिझक के खुलकर साफ - साफ कह देती है |
" हाँ ! में करती हूं अभी भी विकास से बात और उससे प्यार भी करती हूँ और वो भी मुझसे प्यार करता हैं | "
अरनव : - " तो फिर यहां क्यूं रह रही हो तुम ? चली जाओ उसी के पास | मैने तो नहीं रोका तुम्हें I लेकिन . . . यहाँ रहकर तुम ये सब क्यूं कर रही हो मेरे साथ | "
देविका : - " चिंता मत कीजिए चली जाऊंगी . . . वैसे भी ! आप क्या रोकेंगे मुझे | लेकिन जब भी जाऊंगी अरनव अपनी मर्जी से जाऊंगी | आपके कहने से नहीं |
आगे से मेरे फोन को उठाने की जरूरत नहीं हैं आपको | और हाँ ! अगर गलती से भी आपने किसी को भी घर में इस बारे में बताने की कोशिश की या शारदा दीदी और सरला दीदी को , इस बारे में बताया | तो आप अपनी खुशी से हाथ धो बैठेंगे | इसलिए अपना मुंह खोलने से पहले ! इस बात को याद रखना | "
अब पानी सिर से ऊपर निकल चुका था | लेकिन अरनव किसी भी कीमत पर खुशी को खोना नही चाहता था | क्यूंकि खुशी ही उसके लिए सब कुछ थी |
उधर वरनाली भी देविका के इस राज को जान चुकी थी | लेकिन . . . वह अब घर में हो रहे तमाशे को देख रही थी और बहती गंगा मे जैसे - अपने हाथ धो रही थी | क्यूंकि कही न कहीं वो भी तो यही चाहती थी | और अब उसके मन का काम खुद देविका ही कर रही थी |
देविका और वरनाली ! दोनों ही खुशी के होने के बाद से उसी घर में अलग - अलग रहते है | दोनो की आपस में नही बनती थी | लेकिन . . . त्यौहारो पर पूजा और सभी का खाना अभी तक , एक ही जगह बनता आ रहा था और दोनो के बच्चे भी आपस में खेलते हैं |
अरनव , देविका की बात से बहुत सोच मै पड़ जाता है | क्यूंकि उसने खुशी को अरनव से छीनने की बात कही | और देविका अच्छे से जानती थी कि अरनव खुशी के बिना नही रह सकता |
अरनव : - " देविका के कहने से क्या होता है ? वो मुझसे इस तरह खुशी को नहीं छीन सकती | लेकिन . . . कहीं विकास के साथ मिलकर ! खुशी को उसने मुझसे सच में दूर कर दिया तो |
देविका बहुत चालाक है | अपना उल्लू सीधा करने के लिए वह कुछ भी कर सकती हैं | मुझे सारिका दीदी को बताना ही होगा |
लेकिन अभी नही | कुछ दिन बाद जब इस बात को कुछ दिन हो जाएंगे तब | वरना घर पर देविका से इस बारे में , किसी ने बात कर ली तो | मुझे तो वो विकास भी ठीक नहीं लगता है ! मुझे कुछ दिन रुकना ही होगा | "
अब आगे क्या होगा अरनव की जिंदगी में ? क्या वह ला पाएगा देविका का ये सच सबके सामने ? क्या देविका सच में खुशी को , अरनव से दूर कर देगी ? या फिर होगा कुछ और ही |
जानने के लिए आगे पढ़ते रहे _ _ _ _ _