देविका के अरनव को मोबाइल देने के बाद ; उस रात अरनव पूरी रात भर यही सोचता रहा | कि कल देविका के इस खेल के बारे में सबको पता चल जाएगा | और उसे उसके अभी तक किए गए ! सारे गलत कामों की सजा भी मिल जाएगी |
तब वह देेविका को हमेशा के लिए , अपनी जिंदगी से दूर कर देगा |
अगले दिन सुबह . . . .
देविका सुबह जल्दी उठकर स्कूल जाने के लिए नाश्ता बनाकर तैयार हो रही थी | फिर रूम में अरनव के लिए चाय लेकर जाती है |
देविका : - " अरे ये कहाँ गए | "
देविका जब रूम मैं चाय लेकर आयी थी । अरनव अपने रूम में नहीं था | देविका ये देखकर डर जाती है | और अरनव को वॉशरूम में देखती है | लेकिन अरनब वहाँ नहीं था |
देविका मन ही मन सोचने लगती है |
" अगर ये कही चले गए तो विकास तो मुझे जिंदा नहीं छोड़ेगा | और हमारा आज का पूरा प्लान उसका क्या होगा ? "
ये सोचते हुए देविका , अरनव को घर में और जगह दूंढने लगती है | देविका ; विकास के डर की वजह से बहुत घबरा गई थी | और उसके मन में उल्टे - सीधे बहुत विचार आए जा रहे थे | कि तभी पीछे से आवाज आती है |
अरनव : - " क्या हुआ देविका ? ऐसे बाहर यहाँ खड़े होकर क्या सोच रही हो ? तुम्हें आज स्कूल नहीं जाना क्या ? "
देविका ; अरनव की आवाज सुनकर पीछे पलटकर देखती है | और अपने पीछे अरनव को खडा देख कर उसकी जान में जान आ जाती है |
देविका : - " कहाँ चले गए थे आप ? में आपके लिए चाय लेकर आई थी | आप नहीं दिखे इसलिए आपको ही ठूंठ रही थी । "
अरनव : - " तुम तो ऐसे कह रही हो | जैसे तुम्हें मेरी बहुत फिक्र हो रही थी | "
देविका : - " हां ! तभी तो आपको ठूंठ रही थी | आज इतनी सुबह ऐसे तैयार होकर कहाँ गए थे आप ? "
अरनव : - " खुली हवा में सांस लेने | "
देविका : - " क्या ? तो आप कहाँ थे ? "
अरनव : - " में छत पर गया था | आज न जाने कितने दिनों बाद मुझे थोड़ा सुकून मिला है | इसलिए आज कितने दिनों बाद मैंने खुली हवा मे सांस ली है । "
देविका को अरनव की ये बाते सुनकर ऐसा लगा | कि अभी थोडी देर पहले जब मुझे अरनव नहीं मिल रहे थे | तब विकास के डर की वजह से मे कांप गई थी | कि वो मुसे छोड़ेगा नही |
में खुद मरने से डर रही थी | और आज में खुद अरनव को आखिरी बार देख रही हूँ | और उसके साथ क्या होने वाला है । ये जानते हुए भी में चुप हूँ |
अरनव : - " क्या हुआ ? फिर कहीं खो गई तुम ? चलो स्कूल के लिए लेट हो रही हो | अब जाओ जल्दी | "
देविका : - " हाँ ! मे बस जा रही हूं । "
इतना कहकर देविका वहां से चली जाती है I और खुशी को स्कूल के लिए तैयार करने लगती है |
देविका के जाते ही अरनव मन में सोचने लगता है | बस आज की बात और है देविका | फिर तो सब तुम्हारा ये राज जान ही जाएंगे | फिर तुम अपने रास्ते और में अपने l
देविका खुशी को स्कूल के लिए तैयार तो कर रही थी | लेकिन थोड़ी देर बाद होने वाली , अनहोनी को सोचकर आज पहली बार उसके मन में एक बैचेनी सी थी | जो आज से पहले अरनव को लेकर उसे कभी नही हुई ।
क्यूंकि देविका अच्छे से जानती थी । कि अरनव एक अच्छा इंसान है | और आज उसके और विकास के स्वार्थ की वजह से उसके साथ बहुत कुछ होने वाला था |
लेकिन फिर भी देविका चुप थी ।
देविका : - " अरनव अपना ध्यान रखना । में स्कूल जा रही हूँ | "
अरनव बाहर बालकनी में चेयर पर बैठकर आराम से चाय पी रहा था | तब देविका स्कूल जाते हुए अरनव को अपना ध्यान रखने के लिए कहती है |
अरनव : - " एक मिनिट देविका । "
देविका जाने लगती है । तब अरनव उसे एक मिनिट रुकने के लिए पीछे से आवाज लगाता है | और चेयर से उठकर खुशी के पास आता है |
अरनव : - " खुशी ! बेटा बड़ी होकर तुम एक बहुत अच्छा इंसान बनना | लेकिन अपने पापा की तरह कभी मत बनना | "
अरनव खुशी के गले लगकर उसे प्यार से माथे पर चूमते हुए कहता है | क्यूंकि वो सोच रहा था । कि आज जब सब देविका का सच जाएंगे ।
तब ये जानकर देविका , खुशी को लेकर अरनव से दूर चली जाएगी l और फिर शायद अरनव खुशी से कभी मिल नही पाएगा | इसलिए आज वो स्कूल जाते समय खुशी को इस तरह प्यार कर रहा था |
अरनव जानता था । कि खुशी उसकी बच्ची नही है | विकास की है । फिर भी वो खुशी से उतना ही प्यार करता था | जितना कि उसके जन्म से करता आया था |
खुशी : - " ok Papa ! I Love you papa "
अरनव से I Love you कहते हुए खुशी ! अपने पापा के गले लगकर , अपने हमेशा प्यार करने वाले और कभी न डांटने वाले पापा को प्यार से किस करती है | और Bye करते हुए स्कूल के लिए निकल जाती है |
अरनव : - " I Love you so much beta "
अरनव Bye करते हुए खुशी से I Love you so much कहता है | और उस समय अरनव की आँखो में आंसु आ जाते है |
अरनव खुशी को बाहर स्कूल बस तक छोड़ने आता है l
देविका के जाते ही अरनव अपनी दीदी सारिका का नंबर एक डायरी में ढूंढने लगता है | लेकिन उसे दीदी का नंबर कही भी नही मिलता है |
उस समय सुबह के 8 बज चुके थे |
अरनव : - " एक काम करता हूँ | निशांत भैया के पास होगा सारिका दीदी का नंबर | उनसे लेकर आता हूं । "
अरनव निशांत के यहाँ जाता है | लेकिन निशांत उस वक्त घर पर नहीं था |
वरनाली : - " क्या हुआ अरनव भैया ? आज सुबह - सुबह कुछ काम था क्या आपको इनसे ? "
अरनव खडे - खडे मन मै सोचता है | कि वरनाली भाभी से मांग लूं क्या सारिका दीदी का नंबर ? नहीं - नहीं इनका कुछ भरोसा नहीं है |
अरनव : - " नहीं भाभी कोई काम नहीं था | में तो बस ऐसे ही आया था | निशांत भैया से मिलने | "
वरनाली : - " अब तो आपकी पूरी तरह ठीक लग रही है भैया । "
अरनव : - " हाँ ! अब पहले से ठीक हूँ भाभी । अच्छा में चलता हूँ । "
इतना कहकर अरनव वापस आ जाता है | और सोचता है कि अब क्या करूं ? नंबर तो नहीं मिला मुझे | फिर अरनव घडी की ओर देखता है |
उस समय 9 बज रहे थे |
अरनव : - " एक काम करता हूं । दीदी के घर ही चला जाता हूं | वो मुझे देखकर खुश भी हो जाएंगी l
लेकिन जाऊंगा कैसे ? मेरे पास तो बिल्कुल पैसे भी नही है ऑटो के I देविका ने मेरे सारे पैसे ले लिए | और दीदी के घर तक इतनी दूर पैदल कैसे जाऊंगा | अभी इतना भी ठीक नही हूं |
अरनव कुछ सोच जल्दी | "
अरनव ये सोच ही रहा था । कि तभी एक उनके लड़का घर पर आता है | किसी काम से अरनव के पिता से मिलने के लिए |
अरनव : - " ये ठीक रहेगा । इससे पूछ लेता हूं | कि ये मुझे वहाँ तक ड्रॉप कर देगा क्या | "
थोड़ी देर बाद जब वो लड़का जाने लगता है | तब अरनव उसके पास जाकर पूछता है |
" आप किस साइड जा रहे हो ? "
वो लड़का सारिका दीदी के घर से दूसरी साइड जा रहा था | अरनव मन में सोचता है | जहाँ ये लड़का जा रहा है | उस साइड बलराज भैया रहते है | में उनके यहां चला जाता हूँ | वहां उनसे मिलकर ऑटो के पैसे ले लूंगा | और दीदी के यहाँ चला जाऊंगा |
अरनव : - " ठीक है तो आप मुझे उसी साडड ड्रॉप कर देना | मै बस एक मिनिट में आता हूँ | "
अरनव अपने पिता से कहकर आता है कि वो थोड़ी देर में आ जाएगा | और स्लीपर पहनकर उस लड़के के साथ बाइक पर बैठकर चला जाता है |
देविका के स्कूल के लिए निकल जाने के बाद ही , विकास के दो आदमी जो पेशे से गुंडे थे | देविका के घर के बाहर अरनव का घर से निकलने का इंतजार कर रहे थे |
क्यूंकि विकास जानता था | कि मोबाइल मिलते ही और देविका के स्कूल जाते ही अरनव सच बताने के लिए जरूर कुछ करेगा |
विकास ने जानबूझकर देविका को अरनव का मोबाइल देने के लिए कहा था | सिम ऑन करके और सारे नंबर डिलीट करके | जिससे वह किसी को कॉल न कर सके |
कॉल न होने पर वह घर से बाहर जरूर जाएगा | अपनी सारिका दीदी के पास जाने के लिए | तब उसे किडनेप कर लेंगे |
यही विकास का प्लान था |
लेकिन अरनव बाहर तो आया | परउस लड़के के साथ बाइक पर चला गया |
गुंडे : - " हेलो ! विकास भाई । आपने जिसे किडनेप करने के लिए कहा था । वो आदमी अभी - अभी किसी के साथ बाइक पर कहीं गया है | "
विकास : - " उसका पीछा करो तुम लोग | और कैसे भी उसे पकड़कर लाओ | इससे पहले कि वो किसी के सामने अपना मुंह खोले | "
वो दोनो आदमी अरनव का पीछा करते हुए बलराज के घर के बाहर खडे हो जाते है |
गुंडे : - " हेलो ! विकास भाई । हमने उसका पीछा किया और वो अभी - अभी एक घर के अंदर गया है | "
विकास : - " कमीनो एक काम भी ठीक से नही हुआ तुम दोनों से | मैने कहा था ना कि उसे किसी से मिलने नही देना है | किसके यहां गया है वो । "
गुंडे : - " वो घर के बाहर बलराज वेदी लिखा हुआ है | "
विकास : - " सिर्फ 15 मिनिट उसके बाहर आने का इंतजार करो और अगर थोड़ी देर न आए तो अंदर घुसकर उसे किडनैप कर लेना । "
ठीक है भाई कहकर वो लोग फोन रख देते है |
घर के अंदर जाकर अरनव अपने बडे भाई से , बहुत टाइम बाद मिलता है |
अरनव : - " कैसे हो भईया आप ? "
बलराज : - " तू कैसा है अरनव ? सुना था कि तेरी तबीयत बहुत खराब हो गई थी | "
अरनव : - " हाँ भैया ! पर अब ठीक हूँ | आपसे कुछ मदद चाहिए थी भैया । "
बलराज : - " हाँ बोल ना अरनव । "
अरनव : - " भैया कुछ पैसे चाहिए थे मुझे । "
बलराज ; अरनव के ये कहते ही उसके लिए 5 हजार रुपये लेकर आता है |
बलराज : - " ये ले अरनव ! ये 5 हजार है | और तो नही चाहिए । "
अरनव : - " नही भैया ! ये तो बहुत ज्यादा है | मुझे बस 100 रु चाहिए | "
अरनव बलराज के हाथ में से 100 रु उठा लेता है |
बलराज : - " अरे ! इतने से पैसे क्यूं ? और ले ले अरनव । "
अरनव : - " अभी मै किसी काम से काम से जा रहा हूँ भैया | कभी और आऊंगा । तब फुर्सत मै पूरी बात बताऊंगा आपको | "
ये कहकर अरनव उठकर चलने लगता है | तभी बलराज रुक अरनव |
बलराज : - " चले जाना अभी | चाय तो पीले । "
ये कहते हुए बलराज , अरनव की शर्ट जेब में 500 रु रख देता है |
अरनव : - " अरे इसकी जरूरत नही है भैया । "
बलराज : - " रख ले | छोटा भाई है ना मेरा l "
चाय कभी और आकर पियूँगा भैया | ये कहकर अरनव बाहर आ जाता है |
बाहर दोनों गुंडे अरनव के आने का इंतजार कर रहे थे | और अरनव को अंदर गए हुए 10 मिनिट हो चुके थे | और वो लोग अंदर जाने ही वाले थे । कि अरनव को बाहर आता देख कर वो दोनो बाहर ही रुक जाते है |
गुंडे : - " विकास भाई ! हाँ वो बाहर आ गया है | और अब वो एक ऑटो के पास जा रहा है | "
विकास : - " अभी उठाओं उसे । "
दोनों गुंडे भागते हुए अरनव के पास आते है | और इससे पहले कि अरनव ऑटो में बैठ पाता । उसके पीछे पिस्टल रख कर उसे साइड में ले जाते है |
अरनव : - " कौन हो तुम लोग ? और मुझे क्यूं रोका तुमने | छोड़ो मुझे जाने दो | "
इससे पहले कि अरनव चीखता चिल्लाता | वो उसे बेहोशी की दवा सुंघा देते है | और उसे गाड़ी में रखकर ले जाते है |
गाडी में अरनव का चेहरा , ऊपर से गर्दन तक पूरी तरह एक कपड़े से ढंक देते है | और उसे उस शहर के बिलकुल बाहर एक सुनसान जगह पर किसी के घर में ले जाते है |
थोड़ी देर बाद अरनव को होश आता है | उसका चेहरा अभी भी ढंका हुआ था | उस समय अरनव अंदर से बहुत डरा हुआ था |
अरनव : - " कोई है ? मुझे इस तरह क्यूं लाया गया है ? कौन हो तुम लोग । "
तभी अरनव को किसी के कदमों की आहट सुनाई देती है | और उसे किसी एक आदमी के हंसने की आवाज आ रही थी |
आखिर कौन था वो इंसान ? और आगे क्या होने वाला था बेचारे अरनव के साथ ?
जानने के लिए आगे पढ़ते रहे . . . . . . . .