सभी पुलिस वाले , आपस मै बात करते है l और उनके मन मे यही सवाल चल रहा था । कि कहीं हम बेवजह ही ! अपना समय बर्बाद तो नहीं कर रहे हैं |
क्यूंकि पुलिस को अभी तक अरनव और उसके परिवार के बारे में इतना कुछ जानने के बाद ! यही लग रहा था | कि अरनव की जिंदगी में बचपन से लेकर अभी तक तो सब ठीक ही चल रहा था । दोनों भाई दोनों बहने और अरनव के माता - पिता ! सभी तो उससे प्यार करते थे । अरनव का परिवार भी ठीक था |
पुलिस को अब यही लग रहा था | कि क्या सच में यह आत्महत्या ही तो नहीं है ?
फिर भी पुलिस को , अरनव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार तो था ही | क्यूंकि उसके आने के बाद , सब कुछ क्लीयर हो जाएगा I और रिपोर्ट उस दिन आने वाली थी ।
( अरनव की मौत को दो दिन हो गये थे | ) अरनव की पत्नी , देविका का रो - रो कर बुरा हाल हो गया था ।
पोस्टमार्टम की रिपोर्ट सुबह 11 बजे आने वाली थी ।
देविका के पास , सुबह हॉस्पिटल से फोन आता है | कि ! पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गयी है l
( हॉस्पिटल से , पोस्टमार्टम रिपोर्ट की एक कॉपी ! पुलिस स्टेशन में भेज दी गयी और एक कॉपी के लिए घर वालों को फोन किया जाता है । और ओरिजनल पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी हॉस्पिटल मैं ही रहती है । जब तक पुलिस इसे किसी को भी देने के लिए नहीं कहती या पुलिस वाले नहीं ले जाते तब तक । )
पुलिस को , पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलते ही । अब आगे की छानबीन , इसी पर निर्भर करती है ।
कि तभी अरनव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में , एक बड़ा खुलासा सामने आता है |
पहला ( 1 ) - - - रिपोर्ट के मुताबिक , अरनव की मौत जहर खाने से ही हुई थी I और जहर बहुत ही ज्यादा मात्रा में लिया गया था |
( इतना ज्यादा की अगर किस्मत से उस समय वहाँ कोई जान बचाने के लिए मिल भी जाता | तब भी हॉस्पिटल ले जाने के बाद भी , वह व्यक्ति बच नहीं पाता । )
वहां घटना स्थल ( जहां पर अरनव की बॉडी मिली थी । ) पर जहर के दो ही पाउच मिले थे | लेकिन अरनव की बॉडी मैं पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक ! जहर की मात्रा लगभग 5 से 6 पाउच के बराबर थी ।
( जबकि पुलिस को अरनव की बॉडी के पास से , दो ही पाउच मिले थे | जिनमें से एक पूरी तरह खाली थी और दूसरी मैं थोड़ा जहर था । वह पूरी तरह खाली नहीं थी । )
दूसरा ( 2 ) - - - जहर के अलावा अरनव की बॉडी पर , कई तरह के खरोंच के निशान भी मिले हैं । ( पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक ! बॉडी पर खरोंच के निशान , ज्यादा मात्रा में जहर खा कर ! व्यक्ति के तड़पने , ( झट - पटाने ) से जमीन या आस - पास मौजूद किसी भी चीज से रगड़ने के हो सकते है ।
चूंकि लाश झाड़ियों और पेड़ो के पास मिली थी । इसलिए कुछ खरोंच तो झाड़ियों की और कुछ जमीन पर पैरों को रगड़ने जैसी ही थी ।
लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार - अरनव की बॉडी पर कुछ और भी निशान मिले थे | जैसे - गले पर किसी चीज से दबाने और मारने के ( जैसे - किसी ने गले में मौजूद साफी से , जोर से गला दबाने की कोशिश की हो । )
( लेकिन अरनव की मौत ! गला दबाने से नहीं हुई । )
पीठ और हाथो पर भी गहरे निशान मिले हैं | ( जो खरोंच के नहीं थे । ) और जांघों पर - चाकू से जैसे - कई बार प्रहार किया गया हो |
अरनव के उल्टे हाथ की ! एक हड्डी भी टूटी हुई थी |
अरनव के सिर में भी अंदरूनी चोटें लगी हुई थी । और दो - तीन जगहों पर ( सिर के अंदर ) खून के धब्बे भी मिले हैं । ( जो शायद हो सकता है ; कि सिर पर , किसी के मारने से लगी हो । )
तीसरा ( 3 ) - - - साथ ही अरनव की लाश जिस समय पुलिस को मिली थी । ( उस दिन सुबह 7 बजे ) उससे कुछ घण्टे पहले ही अरनव की मौत हुई थी । क्योंकि शरीर उस समय तक जकड़ा हुआ नहीं था । ( 5 - 6 घण्टे पहले ही , रात के करीबन 1- 2 बजे के बीच )
( जबकि , अरनव तो दो दिन से घर से गायब था । )
पुलिस के मुताबिक अगर उसे आत्महत्या ही करनी थी | तो वह उसी दिन कर सकता था । अरनव ने दो दिन बाद ही क्यूँ की ?
चौथा ( 4 ) - - अरनव की बॉडी और कपड़ों पर , एक से ज्यादा लोगों के फिंगर प्रिंट मिले हैं | और उस कागज़ पर , जो कि अरनव की जेब से मिला था | उस पर और पैसो पर किसी अलग व्यक्ति के फिंगर प्रिंट मिले हैं । जो कपड़ों और बॉडी के फिंगर प्रिंट से मैच नहीं होते हैं ।
नंबर वाले काग़ज़ पर , जो कि अरनव की जेब में था । उस पर अरनव के फिंगर प्रिंट नहीं मिले थे । जबकि पानी की बोतल और गिलास पर अरनव के ही फिंगर प्रिंट थे |
कुल मिलाकर अरनव की बॉडी पर और उसके आस - पास से मिले सामान पर कुल 5 - 6 लोगों के फिंगर प्रिंट मिले हैं ।
पांचवा ( 5 ) - - अरनव की बॉडी से थोड़ी दूरी पर , अरनव की स्लीपर मिली थी | अरनव की स्लीपर पर मिट्टी लगी हुई थी | जबकि अरनव के पैर तो साफ थे । और स्लीपर भी अरनव के पैरों के नाप की नहीं थी । वह छोटी थी ।
अरनव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट को पढ़ने के बाद ; पुलिस वाले एक ही नतीजे पर पहुंचे थे । वो ये कि कोई भी व्यक्ति जब आत्महत्या करने की कोशिश करता है । या वह आत्महत्या करता है तो वह इस तरह नहीं कर सकता ।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट की एक - एक बात से पुलिस को अब यही लग रहा था ।
और पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ये तो 90 % तक साफ हो ही गया था कि अरनव ने आत्महत्या नहीं की थी ।
और अब ये साफ - साफ नजर आ रहा था । कि ये मर्डर ही है । लेकिन अब सवाल ये भी था । पुलिस के सामने कि ! अरनव की हत्या आखिर की किसने ? वह भी इस तरह की अरनव की हत्या आत्महत्या ही लगे । और भी बहुत सारे सवालों को इस पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने सभी के सामने लाकर खड़ा कर दिया था । जिनके जवाब पुलिस को अब खोजने थे ।
अब एक बार फिर , पुलिस अरनव के घर पहुँचती है । वहां किसी को भी कुछ बताये बिना , वह बस थोड़ी पूछताछ करना चाहती थी | क्योंकि पुलिस के अनुसार वहाँ मौजूद सभी मैं से हो सकता है कि कोई अरनव का कातिल हो या नहीं भी हो सकता ।
अब घर के सभी लोगों के साथ - साथ और भी बाहरी लोगो पर ! पुलिस को नजर रखनी होगी । और जितनी जल्दी हो सके इस केस को सुलझाने की कोशिश करनी होगी ।
पुलिस अरनव के घर पहुँच कर ; सबसे पहले अरनव के पिता से बात करने ही जा रही थी । कि
अरनव के पिता ( पुलिस वालों से ) : - " अभी तक अरनव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आखिर क्यूँ नहीं आयी ? "
ये सुनकर वे सब चौंक गये और जैसे ही पुलिस वाले ये कहने ही वाले थे | कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आज सुबह ही आ चुकी है । ) अचानक देविका वहां आ गई ।
देविका : - " आप लोग इनसे ( अरनव के पिता से ) कुछ भी नहीं पूछे तो अच्छा होगा , क्योंकि वह पहले से ही सदमें मैं है । और इनकी हालत भी ठीक नहीं है । "
पुलिस को देविका का इस तरह ( अरनव के पिता से कुछ भी पूछने ना देना ) कहना कुछ अजीब सा लगा ।
पुलिस : - ( देविका से ) " हॉस्पिटल से सुबह , आपके पास कोई फोन आया था क्या ? अरनव जी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट ले जाने के लिए । "
देविका : - " हाँ आया था । "
पुलिस : - " तो फिर ! अरनव के पिता को , यह बात क्यूँ नहीं पता थी ?
देविका : - " हम जानते है कि ! रिपोर्ट में क्या आया होगा ? उन्होंने आत्महत्या ही की है । इसलिए कोई भी रिपोर्ट लेने नहीं गया । "
पुलिस को देविका का बर्ताव कुछ ठीक नहीं लग रहा था |जो देविका उस दिन अरनव के लिए , इतना रो रही थी । । और बेहोश हो गयीं थी | उसे आज अरनव की मौत से , जैसे कुछ लेना देना ही नहीं है ।
और तो और उसने अरनव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बारे मे भी , किसी को नहीं बताया था सुबह से । और न ही कोई हॉस्पिटल , पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक लेने गया ।
अब पुलिस को बाकी सब लोगों के साथ , देविका पर ही सबसे ज्यादा शक हो रहा था |
[ अब पुलिस वालों को सिर्फ एक ही तरीका ठीक लग रहा था । अरनव के केस को सुलझाने के लिए । ]
( सभी पुलिस वाले आपस में बात करने लगते है । )
अभी तक अरनव के परिवार के , हर सदस्य के बारे मे जितनी जानकारी ली थी । सिर्फ वही काफी नहीं थी |
अरनव की जिंदगी से जुड़े हुए हर सदस्य , की बहुत गहराई में जाकर जानकारी लेनी होगी । चाहे वह घर का कोई सदस्य हो या बाहर का । हर एक कि जन्म पत्री निकल वाना होगी |
पुलिस ऑफिसर : - " अरनव और उसके घर हर सदस्य के फोन नंबर का रिकॉर्ड निकल वाओ | अरनव से आखिरी बार किस - किसकी और कितनी बार बात हुई l "
इसके लिए अरनव के घर के हर मेम्बर की अभी तक की पूरी जानकारी लेनी होगी ।
चाहे फिर वह अरनव के माता - पिता हो या भाई - बहन या भाभी या पत्नी या उनके घर में काम करने वाले लोग सबकी |
इसलिए पुलिस अब एक - एक करके सभी की अच्छे से छान - बीन करने में जुट गई |
इसके अलावा अगले कुछ दिनों तक ; सभी पर कड़ी नजर रखनी होगी |
इसलिए इसकी शुरुआत पुलिस ने सबसे पहले निशांत और वरनाली से की | क्योंकि सुना था कि निशांत कुछ सालो से अरनव को अपने घर से निकालना चाहता था I और उसकी संपत्ति भी हडपना चाहता था | कही संपति के लालच में निशांत ने ही तो अरनव को किसी से ... ?
निशांत और वरनाली की शादी को , अभी ज्यादा समय नही हुआ था । शादी के बाद थोड़े समय तक तो वरनाली सभी के साथ ठीक तरह से रहती थी । वह सभी के साथ अच्छा व्यवहार करती , घर के वह सभी काम जो उसे करने चाहिए ! अच्छे से करती थी । घर में ( वरनाली की शादी के समय ) मेंबर्स ही कितने थे ॥
शुरुआत में अरनव के साथ भी ;वरनाली का व्यवहार बहुत अच्छा था । अरनव भी अपने दोनों भाइयों की बहुत इज्जत और उनसे बहुत प्यार भी करता था । और अपनी भाभी वसनाली की भी | अरनव ने कभी भी किसी काम के लिये ( जो भाई या भाभी ने कहा हो ) मना नहीं किया । ।
वरनाली को जैसे धीरे - धीरे हर चीज मे परेशानी होने लगी थी | ( क्योंकि उसे लगता था । कि उसकी सारी जिंदगी क्या इन्हीं सब कामों को करने मैं ही निकल जाएगी ? और उसका करियर का सपना यही खत्म हो जाएगा क्या ? )
अब वह कोई काम नहीं करती | निशांत की माँ ही अब सारा काम करने लगी । वरनाली हर समय अपने मायके की बजह से ही लड़ती रहती थी I
( वरनाली दिखने मैं जितनी सीधी लगती थी ! उससे कहीं ज्यादा तेज थी | )
वरनाली अब हर रोज अपनी सास ( अरनव की माँ ) से किसी न किसी बात को लेकर झगड़ा करती थी | लेकिन वरनाली के बारे में किसी ने कभी ऐसा सोचा भी नहीं था | ( सपने में भी नहीं )
वरनाली को हमेशा से ही , पॉलिटिक्स मैं रुचि रही थी । और वह अब पॉलिटिक्स मैं अपना करिअर बनाना चाहती थी |
लेकिन शुरुआत में तो निशांत ने वरनाली की सारी हरकतों ( उसका घर में कोई काम न करना , हर समय मायके का गुणगान ) को नजर अंदाज कर दिया । क्योंकि वह घर में झगड़ा नहीं चाहता था ।
निशांत , वरनाली को बहुत अच्छे से रखता था । साथ ही अपने माता - पिता औेर छोटे भाई को भी वह बहुत प्रेम से रखता था ।
कोई भी गलत काम करने पर वह वरनाली को डांट देता था ! वह जानता था ॥ कि गलती किसकी है । जबकि वरनाली के ससुराल में किसी बात की कोई कमी नहीं थी ।
सास - ससुर सभी समाज में बहुत सम्मानीय थे । और सभी वरनाली को प्रेम भी करते थे ॥ ( शादी के कुछ साल बाद )
निशांत और वदनाली का एक बेटा भी हो गया था । अरनव उसे बहुत खिलाता था | वरनाली की सास कभी भी उसे ! किसी काम के लिये नहीं टोकती थी । क्योंकि वह जानती थी कि बेटियां क्या होती हैं ?
अभी तक ! फिर भी सब ठीक ही चल रहा था | पर वरनाली के पिता ( जो कि एक पंडित होने के साथ - साथ एक ज्योतिषी भी थे ॥ ) उसका घर बसने नहीं दे रहे थे । उन्होंने ही वरनाली को बताया था | कि पॉलिटिक्स ही उसका करिअर ( ज्योतिष विद्या के अनुसार ) है | इसलिए वरनाली अब बस इसी जिद पर अड़ी थी |
निशांत के साथ - साथ वरनाली के ससुर भी नहीं चाहते थे । कि वह पॉलिटिक्स मैं जाए ।। जबकि बाकी और कोई नोकरी ( जैसे - टीचर , ट्यूशन पढ़ाना , खुद की कोई शॉप ) या कुछ और जो कुछ भी करना हो , उसके लिए कभी भी किसी ने मना नहीं किया था ।
वरनाली ने हिंदी सब्जेक्ट से पोस्ट ग्रेजुएट किया था | इसलिए निशांत हमेशा उसे टीचिंग की जॉब के लिए कहता था ।
पर बरनाली ने उस समय किसी की भी एक नहीं सुनी । अब हर रोज घर में झगड़े होने लगे थे । वहीं वरनाली निशांत से उसकी बहन सारिका की बजह से भी लड़ती थी | क्योंकि ....
निशांत का एक भी दिन ऐसा नहीं जाता था | कि वह अपनी बहन सारिका के घर न जाये । ( सारिका का घर मैंन मार्केट के पास था । ) इसलिए निशांत का पूरे दिन मैं जब भी मार्केट जाना होता था | वह सारिका के घर जरूर जाता था ।
अब उसे इतनी आदत हो गयी थी । कि सारिका के घर जाने से वह खुद को रोक ही नहीं पाता था । या यूं कहें कि उसका सारिका के घर जाये बिना दिन ही पूरा नहीं होता था |
निशांत सारिका के बच्चों पर अपनी जान छिड़कता ( बहुत प्रेम करना ) था । मामा - मामा कहते बच्चे भी नहीं थकते थे | सारिका अगर आधी रात को भी फोन कर दे , तब भी वह भागा चला आता था । बिना कुछ सोचे ।
सारिका शुरू से ही घर में बड़ी बेटी होने की वजह से ; बहुत समझदार थी | अपनी माँ के अलावा उसी ने घर में सभी भाई बहनो को प्रेम मै बांधकर रखा था ।
( बलराज भी अगर माता - पिता की बेज्जती न कर , इस तरह उनके खिलाफ जा कर शादी न करता , तो वह भी आज सभी के साथ होता )
वरनाली ; निशांत और सारिका की यह बात बहुत अच्छे से जानती थी । ( राकेश का अपनी बहन से प्रेम और हर रोज बहन के घर जाये बिना नहीं रह पाना । ) वह भी बिना किसी कारण के ।
निशांत ; सारिका को अपने मन की बात भी बताया करता था । और सारिका भी कभी नहीं चाहती थी | कि करनाली और निशांत के बीच कोई भी झगड़ा हो ।
और अब वरनाली ने इसी सोच को अपना हथियार बनाना शुरू कर दिया था । अब वह जब भी झगड़ा होता ( वरनाली और निशांत का ) तुरंत भाग कर , सारिका के घर पहुँच जाया करती । सारिका दोनों को समझाती , फिर कुछ दिन वरनाली शांत हो जाती |
पर थोड़े समय बाद ही , अब यह हर दूसरे दिन होने लगा था | सारिका ने दोनों को बहुत समझाया ! लेकिन वरनाली का तो प्लान ही यही था । जानबूझकर झगड़ा करना ।
इस समय तक , निशांत और वरनाली के यहां एक बेटे के अलावा एक बेटी भी हो गयी थी ।
सारिका भी अपने माता - पिता से मिलने कभी - कभी मायके जाया करती थी ।
एक दिन की बात है , सुबह के करीब 9 ही बजे होंगे । सारिका के घर के दरवाजे की घंटी बजती है । सारिका की बेटी वैष्णवी , दरवाजा खोलती है |
दरवाजे के बाहर वरनाली खड़ी हुई थी |
वैष्णवी : - " मामी आप | मम्मी . . . . मामी आयी हैं । " वैष्णवी सारिका को आवाज लगाते हुए कहती हैं |
औेर फिर वरनाली अंदर आ जाती है । ( उस दिन संडे था इसलिए स्कूल की छुट्टी थी । ) सारिका के बच्चे घर पर ही थे ।
वरनाली को इतनी सुबह - सुबह देख कर सारिका घबरा गयी थी । ( क्योंकि वरनाली आज कल सिर्फ झगड़ा करने पर ही आया करती थी । )
सारिका को लगा कि अब वरनाली कहीं कोई बड़ा झगड़ा करके ना आयी हो , उसके पास । और जिसका डर था वही हुआ |
( घर के अंदर आते ही )
वरनाली : - ( सारिका से रो - रो कर कहते हुए ) " दीदी मुझे बचा लो , प्लीज मुझे बचा लो दीदी । "
( वरनाली , साारिका से गले लगकर रोते हुए कहती है । )
" दीदी ये कभी भी यहां आते होंगे ।
ये मुझे आज जान से मार देंगे । . . . दीदी , प्लीज मुझे बचा लो । "
सारिका : - ( वरनाली से कहते हुए ) " पहले बताओ तो आखिर हुआ क्या है ? जो तुम इतनी सुबह - सुबह इस हालत में वह भी इस तरह आयी हो । आखिर बताओ तो क्या बात है ? "
( वरनाली बस रोये जा रहीं थीं । )
( सारिका , वरनाली के लिए पानी लाती हैं और फिर वैष्णवी को मामी के लिए चाय बनाने के लिये कहती है । )
सारिका : - ( वरनाली को पहले शांत होने के लिए कहते हुए I ) " वरनाली तुम बताओ मुझे कि , आखिर ऐसा क्या हुआ है तुम्हे ? "
इससे पहले कि वरनाली कुछ भी कह पाती , दरवाजे की घंटी बजती है ।
घंटी की आवाज सुनते ही , वरनाली बहुत घबरा जाती है ।
वरनाली : - " देखना दीदी ! जरूर यही होंगे । दीदी ! इनसे नहीं कहना . . कि मैं यही हूं । "
( फिर वरनाली अंदर दूसरे रूम में जाकर छुप जाती है । )
इतनी देर मे निशांत गुस्से दरवाजे की घंटी को बार - बार बजाये जा रहा था |
सारिका दरवाजा खोलने के लिये जाती हैं | दरवाजे पर निशांत खड़ा था । और दरवाजा खोलते ही वह गुस्से से अंदर आ जाता है । और चारों ओर वरनाली को ठूंठते हुए , सारिका से कहता है ।
" दीदी ! कहाँ है वरनाली ? कहाँ छुपी है वो ? बताओ दीदी । में जानता हूं कि वरनाली यही आयी हैं । . . . . बताओ दीदी । "
सारिका : - " निशांत ये तो बताओ की आखिर हुआ क्या है ? तुम दोनों के बीच । "
( निशांत बिना कुछ कहे , घर में अंदर जाकर वरनाली को ठूंठने लगता है । )
वरनाली अंदर रूम में छुपी होती है । निशांत बहुत गुस्से में वरनाली का हाथ पकड़कर अंदर से सारिका के सामने लाता है । उस समय वरनाली बहुत डरी हुई होती है ।
निशांत : - " दीदी ! इसी से पूछिये की क्या हुआ है ? "
वरनाली कुछ नहीं कहती है । और सिर झुकाए नीचे की तरफ देखती रहती है ।
निशांत : - ( गुस्से से ) " मेरे हजार बार मना करने के बाद भी , ये कल इलेक्शन का फॉर्म भरने गयी थी । और ये मुझे बिना बताये चुनाव की रैलियों में भी जाती थी ।
अब ये इलेक्शन लड़ेगी । मुझे बताये बिना ये ना जाने अब और क्या - क्या कर रही है । और मुझ से और बाकी सब से ये कब से झूठ बोल रहीं हैं |
वरनाली ने मुझ से ये झूठ भी बोला । कि अरनव को पैसों की जरूरत है | और अरनव मुझ से सीधे कह नहीं पा रहा है | पिछले कुछ महीनों से ये मुझ से अरनव के नाम से पैसे ले रही थी ।
जबकि मैने आज अरनव से पूछा , तो उसनें कहा कि भाभी से उसनें पैसे कभी मांगे ही नहीं । और तो और दीदी , इसने हद ही कर दी । "
निशांत बहुत गुस्से से वरनाली को देखते हुए कहता है ।
" दीदी ! ये प्रेगनेंट थी और कल ये मुझे बताये बिना डॉक्टर के यहां जाकर अबॉर्शन करवाने गयी थी । इसे इलेक्शन का इतना भूत सवार था |
वरनाली ने एक बार भी मुझे बताना जरूरी नहीं समझा । और इतना बड़ा फैसला कर लिया ।
मैं अब इसके साथ नहीं रह सकता . . . । "
सारिका ने पहले दोनों की पूरी बात सुनी । औेर फिर वरनाली को समझाती है । और बहुत मुश्किल से निशांत और वरनाली को समझा पाती है । और दोनों के बीच सुलह करवाती है |
फिर वरनाली भी अपनी गलती मान लेती है और निशांत से माफी मांगती है । कि अब आगे से वह ऐसा कोई काम नहीं करेगी ।
आखिर कार दिन भर की माथा - पच्ची के बाद दोनों मान जाते है । और हसीं खुशी अपने घर चले जाते है ।
उस दिन सारिका और निशांत को लगा था | कि वरनाली को अपनी गलती का पछतावा है । और अब वह आगे से कुछ भी ऐसा नहीं करेगी ।
लेकिन यह कोई नहीं जानता था । कि वरनाली के दिमाग में तो अभी भी कुछ और ही चल रहा था |
क्या अरनव की हत्या के पीछे भी वरनाली का ही हाथ हैं ? या फिर इसके पीछे कोई और हैं ?
जानने के लिए आगे पढ़ते रहें . . . . और मेरी नॉबल आपको अच्छी लगे तो Please Like , comment and share करे |