विकास , चेयर से उठकर जाने के लिए खड़ा हो जाता है | और अपने अंदर अरनव की थोडी देर पहले , उसके लिए कहीं गयी बात के लिए , उससे गुस्सा होकर बदला लेने के नजरिये से देखता है |
लेकिन फिर भी विकास ऊपर से झूठी मुस्कान दिखाते हुए ; अरनव से मुस्कुराते हुए अपनी भोहे ऊपर चढ़ाते हुए कहता है |
" अच्छा अरनव जी ! तो अब हम चलते है | आप आराम कीजिए | थोड़ी देर बाद आपकी फिर खातिर दारी की जाएगी ।
मॉन्टी इस बार और अच्छे से करना खातिर दारी इनकी | कोई भी कमी न रह जाए ; वरना अरनव जी को हम से शिकायत रह जाएगी | "
विकास , मॉन्टी को कुछ कहते हुए ; हाथ से अरनव की ओर इशारा करता है | और उसे अपना काम पूरा करने की कहकर वहां से जाने लगता है |
तभी विकास को जाता हुआ देखकर अरनव पीछे से जोर से आवाज लगाता है |
" प्लीज मुझे जाने दो विकास , मुझे छोड दो । "
विकास , अरनव की आवाज सुनकर पीछे पलटकर देखता है | और मुस्कुराता है | और बाहर जाने के लिए चलते हुए अरनव से कहता है |
" जरूर जाने देंगे हम तुम्हें अरनव , हमेशा के लिए चले जाना तुम सब कुछ छोड़कर | "
विकास की इस तरह की सारी बातों से अरनव समझ तो गया था | कि ये लोग उसे जिंदा नहीं छोड़ने वाले है । और उसके पास ज्यादा समय भी नही है |
लेकिन अरनव अंदर से बहुत डर गया था | क्यूंकि वहाँ आस - पास किसी भी तरह की चहल - पहल की आवाज नही आ रही थी l उसे शहर से बाहर किसी सुनसान जगह पर लाया गया था | और अब अरनव कैसे भी करके बस वहां से भागना चाहता था |
इसके लिए वो एक मौके का इंतजार कर रहा था |
तभी उसके सामने आकर , मॉन्टी वहीं चेयर पर बैठ जाता है | काफी देर तक अरनव मॉन्टी को देखकर कुछ सोचता रहता है | और थोड़ी देर बाद उससे पूछने की हिम्मत करता है |
" देखो तुम लोग मुझे यहाँ क्यूं लाए हो । मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है | "
मॉन्टी : - " हमारा इस बात से कुछ लेना - देना नही है | हम बस अपने बॉस के ऑर्डर फॉलो कर रहे हैं । "
अरनव : - " तुम्हारा बॉस एक निर्दोष के साथ गलत कर रहा है | साथ ही वो ओर लोगो को भी फंसा रहा है I तुम नहीं जानते हो कि वो कितने लोगों की जिंदगी बर्बाद कर रहा है | "
अरनव मौन्टी को किसी भी तरह मनाने की कोशिश कर रहा था | ये सोचकर कि शायद उसकी बात सुनकर उसका दिल पिघल जाए और वो विकास के आने से पहले उसे छोड दे |
लेकिन अरनव ये नही जानता था ! कि मॉन्टी खुद एक छटा हुआ बदमाश है | जो विकास के इशारे पर न जाने कितने लोगो की जान ले चुका है |
अरनव की बाते सुनकर ! मॉन्टी अरनव की ओर गुस्से से घूरकर देखता है | और उससे तेज आवाज मे चिल्लाकर कहता है |
" देखो मैंने तुमसे कहा ना अभी , कि इस बात से हमारा कुछ लेना - देना नही है | क्यूं बहस कर रहे हो और अब तुम चुप हो जाओ । "
मॉन्टी पर अरनव की किसी भी बात का कोई असर नही हुआ | अरनव मन ही मन बस ईश्वर से प्रार्थना कर रहा था | और कैसे भी बस वहाँ से भागना चाहता था |
बहुत अंधेरा हो चुका था | रात के करीब 9 - 10 बज रहे होंगे | रोशनी के नाम पर सिर्फ एक बल्ब लगा हुआ था | वहाँ पर इधर - उधर जाने के लिए मॉन्टी कई बार टॉर्च का इस्तेमाल करता था |
कि तभी चेयर से उठकर मॉन्टी , अरनव के हाथो की रस्सी खोल देता है | इतने में वहाँ अरनव को किसी के सिढियो से ऊपर चढने की आवाज आती है |
वो आदमी अपने एक हाथ में टॉर्च और एक हाथ में लोहे का सरिया लिए हुआ था |
धीरे - धीरे वो आदमी अरनव की ओर आ रहा था | तभी मॉन्टी उस आदमी को अरनव की ओर हाथ से बताते हुए कहता है |
" यही है वो , बाकी सब तो तुम्हे बता ही दिया होगा | "
ये कहकर मॉन्टी वहाँ से चला जाता है | मॉन्टी के बहाँ से जाते ही वो आदमी अरनव को बहुत ही बेरहमी से पीटने लगता है |
अरनव : - " तुम क्यूं मार रहे हो मुझे ? मुझे छोड दो , मुझे जाने दो | "
लेकिन वो अरनव को बुरी तरह पीटता रहता है | कुछ ही देर मे अरनव खून से लथपथ हो जाता है | तभी उस आदमी के मोबाइल पर किसी का कॉल आता है | और वो अरनव को मारना बंद कर , लोहे के सरिये को छोड़कर फोन पर बात करते हुए चला जाता है |
अरनव बहुत मुश्किल से बैठने की हिम्मत करता है | और वो आदमी सिगरेट पीते हुए सीढियो से नीचे चला जाता है |
अरनव उस आदमी को जाता हुआ देखकर मन ही मन सोचता है |
" यही मौका है यहाँ से जाने का , अगर में अभी यहाँ से नही जा पाया तो ये लोग मुझे मार डालेंगे | "
अरनव के हाथों की रस्सी खुली हुई थी | वो अपने पैरो की रस्सी खोलता है | लेकिन उसका शरीर पूरी तरह टूट चुका था |
अरनव जैसे - तैसे गिरते उढते सीढियो तक पहुंचता है |
अरनव : - " यहाँ तो अंधेरा ही अंधेरा है | कुछ भी दिखाई नही दे रहा है | अगर गलती से भी कोई आवाज आई तो वो आदमी मुझे छोडेगा नही |
हे भगवान ! मै क्या करूं ? यहाँ भी तो नहीं रुक सकता | जाना तो होगा मुझे । चाहे जो भी हो | "
अरनव धीरे - धीरे सीढियो से नीचे उतरने की कोशिश करता है | उसके पैरो से खून निकल रहा था | अरनव दर्द से कराहता हुआ और बिना कोई आवाज किए नीचे पहुँचता है |
नीचे थोड़ी ही दूरी पर वो आदमी बैठा हुआ था और सिगरेट पीते हुए फोन पर किसी से कह रहा था |
" अगर आप कहें तो आज ही तो उसका काम खत्म कर देता हूँ | कल तक क्यों इंतजार करना | "
अरनव बहुत धीरे से वहां से भाग जाता है | लेकिन बहुत अंधेरा होने की वजह से वो ये नही समझ पा रहा था कि वो अब जाए भी तो कहाँ जाए |
अरनव : - " यहाँ तो चारों ओर जंगल ही जंगल है | दूर - दूर तक रोड पर भी कोई गाड़ी नही निकल रही है | मुझे जल्दी ही किसी safe जगह पर जाना होगा | नही तो इन लोगो को जैसे ही पता चलेगा मुझे ढूंढ निकालेंगे | "
खून से लथपथ अरनव , मदद के लिए बस चलता जा रहा था |
उधर देविका सभी के साथ मिलकर , शहर में और शहर से थोड़ा बाहर तक अरनव को ढूंढने का नाटक कर रही थी |
देविका ने सभी को पूरी तरह यकीन दिला दिया था | कि उसे अरनव की बहुत फिक्र हो रही है | और अपनी तबीयत बिगड़ने का नाटक करने लगती है |
उधर थोड़ी ही देर बाद वो आदमी ऊपर जाता है | और वहाँ अरनव को न पाकर इधर - उधर देखने लगता है |
" अरे ये कहाँ चला गया | इतनी बेरहमी से दो बार पिटने के बाद भी इसमें इतनी जान बची थी | मैंने बॉस से कहाँ था कि अभी काम खत्म कर लेने दो |
लेकिन अगर ये नही मिला तो वो मुझे नहीं छोड़ेगे । "
तभी वो आदमी मॉन्टी को फोन लगाता है |
" हैलो मॉन्टी ! उस आदमी की पिटाई करने के बाद में थोडी देर के लिए अभी नीचे चला गया था | ऊपर आया तो वो नही है | पता नहीं कहां चला गया । "
मॉन्टी : - " अगर वो गलती से भी वहाँ से भाग गया तो बॉस हमें नही छोड़ेंगे | वो इतना पिटने के बाद ज्यादा दूर तक नही जा पाएगा | यहीं कही होगा ढूंढो उसे | में अभी आ रहा हूं । "
फोन रखकर वो आदमी अरनव को आस - पास ढूंढने के लिए निकल जाता है |
उधर अरनव बहुत थक चुका था और उससे अब एक कदम भी नही चला जा रहा था | दूर - दूर तक उसे कोई भी दिखाई नही दे रहा था | और आखिरकार बहुत दूर तक चलने के बाद ! वो बेहोश होकर रोड के एक साइड किनारे पर झाडियो में गिर जाता है |
उधर मॉन्टी और वो आदमी उस जगह का हर एक कोना छान डालते है | लेकिन उन्हें अरनव नहीं मिलता |
मॉन्टी : - " आखिर कार गया कहा वो l इतना जख्मी होने के बाद वो उड़कर तो नही जा सकता । आस - पास का पूरा इलाका छान डाला फिर भी उसका कुछ पता नहीं चला |
तेरी एक गलती की वजह से विकास हम दोनों को मार डालेगा | ढूंढो उसे | "
तभी वो दूसरा आदमी माॅन्टी से कहता है |
" मॉन्टी क्यूं न हम उसे पैदल ही आस - पास देखते है | हो सकता है | कि वो कही गया ही न हो | कहीं छुपकर बैठा हो | क्यूंकि वो पैदल आखिर कितनी दूर तक जा पाएगा | और यहाँ कोई है भी नही जो उसकी मदद कर सके | "
फिर वो दोनो अरनव को पैदल ही रोड के दोनों साइड झाडियो में ढूंढने लगते है |
और 2 घंटे की मशक्कत के बाद , अरनव उन्हें झाडियों में रोड के किनारे बेहोश पड़ा हुआ मिल जाता है |
मॉन्टी : - " ये मर तो नहीं गया | चैक कर | वरना विकास का सारा प्लान फेल हो जाएगा | और वो हमें किसी कीमत पर नही छोड़ेगा | "
मॉन्टी के कहने पर वो अरनव को चैक करता है |
" मॉन्टी शायद जिंदा है | इसे अभी ले चलते है । वही देखेंगे जो भी होगा | "
दोनो अरनव को गाडी में रखकर उस सुनसान जगह पर ले आते है | और उसे बाँधकर ऐसे ही छोड़ देते है |
लेकिन दोनो ही विकास की वजह से डरे हुए थे | और सुबह होने का इंतजार कर रहे थे | और अरनव की हालत बहुत खराब थी | उसे एक दिन जिंदा रखना दोनों के लिए जरूरी था |
विकास को जब इस बारे में पता चलेगा तो क्या होगा ?
अब आगे क्या होने वाला है ? आखिर विकास और क्या करने वाला था अरनव के साथ ?
जानने के लिए आगे पढ़ते रहे . . . . . . . .