विकास : - " देविका सुनो ! देविका प्लीज , बस एक बार मुझसे मिल लो | क्या तुम मेरे लिए अब इतना भी नही कर सकती ? "
देविका मैसेज देखकर कोई रिप्लाय नही करती हैं l और मन ही मन गुस्से में खुद से कहने लगती है | कि आखिर क्यूं ये मुझे बार - बार परेशान कर रहा हैं | अब क्या चाहता हैं और मुझसे ?
विकास का देविका से , उससे मिलने के लिए कहना | ये बात देविका को पूरी रात भर बेचेन कर रही थी ।
देविका अब विकास को लेकर , काफी परेशान हो रही थी | इसलिए रात भर मन ही मन भगवान को याद करते हुए वो यही सोचती रही । कि
" हे भगवान ! इस विकास ने तो मुझे परेशान कर रखा है | मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है | आखिर में क्या करूं ? आप ही मेरी मदद करो | "
तब देविका सोने की कोशिश करती है | लेकिन विकास का ख्याल जैसे उसका पीछा ही नही छोड रहा था |
ना चाहते हुए भी , थोडी देर बाद देविका फिर से विकास के बारे में सोचने लगती है |
" में इस विकास से अब नहीं मिलूंगी l अरनव ही अब मेरी जिंदगी हैं | अरनव ने मुझे ! मेरी कमियों के साथ अपनाया है l मुझे इतना प्यार दिया | मेरे नफरत करने के बाद भी | ऐसा कोई भी नही कर सकता |
मैं अरनव को धोखा नही दे सकती | यही मेरा आखिरी फैसला है | बस . . . "
ये सारी बाते सोचते हुए , सुबह ही हो जाती है | और सारी रात देविका अपने दिल और दिमाग को ये बात समझाने में लगी रही |
अगले दिन श्याम का समय . . . .
देविका सभी के साथ बैठकर चाय पीते हुए , बातें कर रही थी | कि तभी देविका का फोन बजता है | देविका का फोन पास ही एक टेबल पर रखा हुआ था |
इसलिए वहाँ मौजूद देविका का भतीजा समीर ; देविका को फोन देते हुए कहता है |
" बुआ आपका फोन आ रहा है । "
देविका : - " किसका फोन है समीर | "
ये कहते हुए देविका अपना मोबाइल फोन देखती है |
" ये तो वही नंबर है | जिससे उस दिन विकास ने फोन किया था | ये उसी का फोन होगा | "
ये सोचकर कि विकास का फोन है | देविका तुरंत फोन काट देती है | और थोड़ी देर बाद जब वो अपने रूम में जा रही थी | तभी उसी नंबर से वापस फोन आता हैं |
इस बार देविका फोन रिसीव करती है |
" हलो "
वो नंबर विकास का ही था | और देविका के फोन उठाते ही विकास गुस्से में देविका से कहता हैं |
" इतनी देर से तुम मेरा फोन क्यूं नही उठा रही हो ? "
कल रात से परेशान देविका भी गुस्से में विकास से तेज आवाज में कहती हैं |
" मैंने कल भी तुमसे कहा था | कि मुझे वापस फोन मत करना | क्यूं कर रहे हो तुम मुझे बार - बार फोन ? "
विकास : - " क्यूंकि मुझे तुमसे मिलना है । "
देविका : - " लेकिन में तुमसे नहीं मिलना चाहती | अब कभी भी समझे तुम | "
विकास : - " लेकिन क्यूं ? पहले तो कभी मना नहीं किया तुमने | बलिक तुम्हीं हर बार मुझसे मिलने की जिद किया करती थी | तो अब क्या हो गया है तुम्हे ? अब प्यार नही करती तुम मुझसे ? "
देविका : - " अपनी बकवास बंद करो और प्लीज मुझे चैन से रहने दो | अब हमारा रिश्ता खत्म हो चुका हैं | "
विकास : - " रिश्ता तो तुम खत्म कर रही हो ; में नही . . . I मेरा प्यार सच्चा हैं l तुम्हारी तरह नहीं है | "
देविका : - " हाँ में खत्म करना चाहती हूँ अब इस झूठे रिश्ते को और शादी के वक्त तुम्हारा सच्चा प्यार कहा गया था | क्यूं हिम्मत नहीं थी तुममें ! अपनी घरवालों से हमारी शादी की कहने की |
विकास : - " हाँ ! सिर्फ मुझमें ही नहीं थी | लेकिन हिम्मत तो तुममें भी नहीं थी अपने घरवालो से ये कहने की |
और मै तुमसे मिलना चाहता हूँ बस . . . .
कल शाम 4 बजे उसी कैफे में आ जाना | मैं तुम्हे वही मिलूंगा | "
देविका : - " मैं नही आऊंगी | "
विकास : - " ये बात मत भूलो देविका | कि मै नही होता तो आज तुम कहीं की नही रहती | वो बच्चा जो . . . . . "
इससे पहले कि विकास आगे कुछ और कहता उससे पहले ही देविका
" बस स स स .. . . . . करो विकास ! मुझसे बहुत बडी भूल हो गई थी । जो में उस दिन तुमसे . . . . "
ये कहते हुए देविका जोर - जोर से रोने लगती है | और फोन काट देती हैं | लेकिन देविका के फोन काटते ही विकास मैसेज करता हैं |
" कल शाम 4 बजे में इंतजार करूंगा | अगर तुम मुझसे मिलने नही आयी तो तुम अच्छे से जानती हो , कि मैं क्या कर सकता हूं | "
विकास का ये मैसेज पढ़कर देविका को कुछ समझ नहीं आता है | और फिर खुद को कोसते हुए कहती है |
" ये सब मेरी गलती है | हे भगवान ! मैं कहाँ फंस गई . . . "
अब देविका के लिए ! वो रात निकाल पाना बहुत मुश्किल हो गया था |
हर पल , देविका के दिमाग में बस यही चल रहा था | कि कल अगर वो विकास से मिलने नही गयी तो विकास क्या करेगा ?
देविका : - " विकास कुछ भी कर सकता है I मै अच्छी तरह से जानती हूं उसे | कही उसने भाईया को ये सब बता दिया तो . . .
अभी तो इतने टाइम बाद ! भईया से सब कुछ ठीक हुआ है | में अब फिर से कोई तमाशा नहीं चाहती | या फिर विकास ने अरनव को बता दिया तो . . . क्या करूं में ? "
देविका के दिमाग में , बहुत तेजी से यह उथल - पुथल चल रहीं थी I वह नहीं समझ पा रही थी l कि वह ऐसा क्या करे जिससे विकास अपना मुह बंद रखे I
लेकिन . . अगर कल विकास से मिलकर ! मैं उसे समझा दूं तो . . . कि वह ऐसा न करे ।
क्यूंकि . . . अब तो उसकी भी शादी हो चुकी है और अगर वो बात सामने आयी | तो फिर हम दोनों की शादी टूट सकती हैं | दोनो परिवारो की बदनामी होगी | और विकास भी कभी ये नही चाहेगा | शायद इस बात से ही विकास मान जाए ।
देविका घबराते हुए और ये सब सोचते हुए ! बस रोये जा रही थी |
देविका अपने मायके आकर भी ! विकास की वजह से इतना परेशान हो गई थी | कि वह खुद ही यह भूल गयी थी | कि वह अरनव को बिल्कुल भी समय नहीं दे पा रही है |
वहीं अरनव , यह सोचकर अपने मन को तसल्ली दिए हुए था | कि देविका प्रेगनेट है | तो उसकी तबीयत ठीक नहीं रहती है | देविका वहां सबके साथ आराम कर रही होगी l
जो इस वक्त उसके लिए जरूरी भी है | सिर्फ इसलिए शायद वो मुझे टाइम नही दे पाती है |
जबकि ! हकीकत तो कुछ और ही थी ।
[ उसी रात देविका बेड पर लेटे हुए सोच रही थी | ]
मुझे विकास से मिलने जाना तो होगा | लेकिन . . मैं घर पर भाभी को क्या बोल कर जाऊंगी ? और गलती से किसी ने भी मुझे उसके साथ देख लिया तो . . . घर तक ये बात पहुंचने में वक्त नही लगेगा |
लेकिन , मे नही गयी तब भी तो रिस्क ही हैं | सोच देविका , कुछ तो सोच . . . एक काम करती हूं |
मैं भाभी को अपनी फ्रेंड शालिनी से मिलने की बोल दूँगी या हम सारी फ्रेंडस ! शादी के बाद प्रियंका के घर मिल रहे है |
हाँ . . . यही ठीक रहेगा |
इन सारी उधेडबुन में सोचते - सोचते आधी रात गुजर गई |
अगले दिन . . . .
देविका ठीक 3 : 45 पर भाभी को बोलकर विकास से मिलने चली जाती है |
देविका ऑटो से रास्ते मे इधर - उधर देखते हुए जाती है । कि कहीं गलती से उसे कोई देख न ले |
देविका कैफे के अंदर जाती है | उस समय घडी में ठीक 4 बज रहे थे | देविका कैफे के अंदर चारों ओर नजर घुमाते हुए देखती है , कि एक साइड कॉर्नर वाली टेबल पर ; विकास बैठा हुआ था |
देविका धीरे से वहाँ मौजूद आस - पास के लोगो से नजरे चुराते हुए विकास की टेबल पर बेठ जाती है | और विकास से कहती है |
" कहो ! तुम्हें क्यूं मिलना था मुझसे ? "
विकास : - " अरे ! अरे ! तुम तो सीधे पाईंट टू पाईट बात कर रही हो | क्या बात है मेडम ? शादी के बाद इतनी भी क्या जल्दी है ? "
[ विकास बडे ही ऐटीट्यूड में बात करते हुए देविका से कहता है | ]
देविका : - " मेरे पास ज्यादा टाइम नहीं है मुझे जाना हैं | "
विकास : - " Ok ! देखो देविका , तुम अब मुझसे दूर क्यूं हो रही हो | तुम जानती हो ना ! कि मै तुम्हे अभी भी प्यार करता हूँ । और तुम भी मुझसे करती हो | "
देविका : - " तुम्हे यही कहना था ? तो तुम इसे फोन पर ही कह सकते थे ना | मिलने क्यूं बुलाया तुमने मुझे ? "
( देविका बहुत गुस्से में विकास से कहती है I )
विकास : - " तुम तो नाराज हो गई | मेरा वो मतलब नहीं था | में तुम्हे देखना चाहता था बस | "
देविका : - " देख लिया ? अब में जाऊं ? "
विकास : - " सॉरी देविका ! तुम्हे मेरी बात का बुरा लगा ना ; में बच्चे की बात नहीं करना चाहता था l पर तुम हो कि मुझसे , मिलना ही नहीं चाहती थी | "
देविका : - " अब तो कह दिया पर आगे से उस बात को हमेशा के लिए भूल जाना | और अगर इस बारे में गलती से भी किसी को भी पता चला तो देख लेना विकास , में तुम्हे नही छोडूंगी |
क्यूंकि . . . . जितनी गलती मेरी थी उतनी तुम्हारी भी थी | और अब तुम भी किसी के पति हो |
अब में जा रही हूं | इसलिए प्लीज आगे से मुझे परेशान मत करना | "
विकास से इतना कहकर देविका वहाँ से चली जाती हे |
आखिर क्या थी वो बात ? जिसकी वजह से देविका , विकास से मिलने के लिए मजबूर हो गई थी |
और क्या था आखिर उस बच्चे का राज ? जो विकास ने देविका से फोन पर कहा था | जिसकी वजह से देविका इतनी परेशान हो गई थी |
जानने के लिए आगे पढते रहे _ _ _ _ _ _