देविका ; अपने भईया को डॉक्टर को बिना दिखाए ! बापस घर लौटने के लिए तो मना लेती हैं । लेकिन देविका को ये नहीं समझ आ रहा था | कि वह भईया को सारिका दीदी और जीजा जी से झूठ बोलने के लिए कैसे मनाएं ?
देविका : - " भईया ! में ये सोच रही थी । कि हम सारिका दीदी और जीजा जी को अगर ये न बताए । कि हमने आज इन्हे डॉक्टर को नही दिखाया है । तो . . . . "
देविका अपने भईया से अकेले में कहती हैं | जब वो लोग रास्ते में लौटते समय , एक जगह चाय पीने रुके थे |
भईया : - " लेकिन अब ये क्यूं ? क्या चल रहा हैं । तेरे दिमाग मैं आखिर ? "
भईया ; देविका से परेशान होकर पूछते है |
देविका : - " नहीं ! नही ! भईया . . . आप मुझे गलत समझ रहे हैं | बात ये हैं कि सारिका दीदी को अच्छा नहीं लगेगा ना ! अगर हम ये कहेंगे तो । कि आज हमने इन्हें दिखाया ही नहीं |
आखिर ये उनके भाई है | और इनकी तबीयत को लेकर वो थोड़ा परेशान भी हो जाती हैं | इसलिए बेवजह ही उन्हें टेंशन होगी | "
भईया : - " में जानता हूं । कि उन्हें टेंशन हो रही है । लेकिन ये झूठ बोलकर उन्हें अच्छा लगेगा क्या ? पहले तुम्हारा डॉक्टर को न दिखाना और अब ये नाटक | तुम पागल हो गई हो देविका | "
भईया ; देविका पर जोर से चिल्लाते हुए कहते है |
देविका : - " नहीं भईया ! मेरा विश्वास कीजिए आप | में कोई नाटक नहीं कर रही हूँ |
में तो बस इतना कह रही हूँ । कि अगर हम सारिका दीदी और जीजा जी को ये कह देंगे | कि हाँ ! हमने इन्हें डॉक्टर को दिखा लिया है | और अभी तो डॉक्टर ने दबा दे दी हैं | अगले हफ्ते फिर बुलाया हैं ।
घबराने की कोई बात नहीं हैं बस |
बैसे भी दिल्ली तो दिखाने जा ही रही हूँ | इससे उन्हें भी टेंशन नही होगी और एक महीने बाद ही तो उनकी बेटी की शादी हैं | उन्हें वैसे भी शादी की तमाम टेंशन होगी | बस इसलिए भईया . . . . "
देविका , भईया के सामने अपनी अपनी आँखो में आंसु भर लेती है और दीदी के लिए दिल मै ; बहुत ज्यादा फिक्र दिखाते हुए कहती हैं |
भईया थोड़ी देर सोचने लगते हैं |
भईया : - " मुझे नहीं लगता देविका | कि तुम ये सब ठीक कर रही हों | लेकिन फिर भी ठीक हैं । बस तुम्हारे लिए पहली और आखिरी बार ऐसा कर रहा हूं में | लेकिन मुझे कोई गड़बड़ नहीं चाहिए | याद रखना | "
देविका : - " नहीं ! नहीं ! भईया . . . . बिलकुल नहीं , गड़बड़ कैसी ? "
भईया : - " लेकिन देविका अगर अरनव ने उन्हें बता दिया तो । "
भईया देविका से अरनव की कहते है | कि मुझे तो तुमने बता दिया | पर अगर अरनव ने उन्हें बताया तो तुम क्या करोगी फिर ?
देविका : - " वो सब आप मुझ पर छोड दो | "
देविका मन ही मन खुश हो रही थी । क्यूंकि अभी तक वो जो कुछ भी करने की सोचती हुई आ रही थी । उसके वो सारे काम हो रहे थे ।
शाम में देविका , अरनव , और भईया सारिका दीदी और जीजा जी के घर पहुंच जाते हैं | सारिका दीदी और जीजा जी देविका से पूछते हैं |
जीजी जी : - " हम तो यहां इंतजार कर रहे थे । देविका तुमसे कहाँ तो था मैंने । कि जाने से पहले यहाँ होते हुए जाना | कम से कम तुम्हे बताना तो चाहिए था हमे एक बार | तुमने ये बताना भी जरूरी नहीं समझा । "
अरनव : - " मैंने तो बहुत कहा था । जीजा जी इनसे | "
अरनव जैसे - ही कहने लगता है | देविका बीच में ही अरनव की बात काटते हुए कहने लगी ।
" अरे . . आप तो रहने ही दो | जीजा जी वो क्या हैं | डॉक्टर की क्लीनिक पर हमने सुबह फोन किया था | तो हमारा नंबर जल्दी आने वाला था । इसीलए हम सीधे ही निकल गए थे | "
देविका की इस बात से सारिका दीदी और जीजा जी को बिल्कुल भी अच्छा नही लगा | क्यूंकि कुछ भी हो फोन तो तब भी कर ही सकते थे | पर वो भी नही किया l
सारिका को मन ही मन लग रहा था । जैसे देविका उन्हें ले जाना ही नहीं चाहती थी । और उसके भईया ने भी उससे नही कहा |
जब तक , भईया और जीजा जी बात कर रहे थे । और देविका भी वहीं बैठी हुई थी । तभी अरनव उठकर धीरे से सारिका दीदी के पास आकर बैठ जाता है | और सभी के सामने उनसे एक कप अच्छी सी चाय पीने के लिए कहता हैं |
इसलिए सारिका दीदी : उठकर सभी के लिए चाय बनाने के लिए चली जाती हैं | और अरनव भी दीदी के पीछे ही किचन में चला जाता हैं |
अरनव : - " दीदी ! मुझे आपसे अकेले में कुछ बात करनी हैं | देविका के बारे में | "
अरनव जैसे - ही दीदी से ये कहता हैं | और इससे पहले कि वह अपनी दीदी से कुछ और कह पाता । देविका वहाँ रूम मे , भईया और जीजा जी के पास ! अरनव को न पाकर शक करने लगती हैं । और जल्दी से अन्दर आती है | कि कही ये ; दीदी को बता न दे कुछ |
देविका के आने की आवाज सुनकर ; अरनव तेजी से वॉशरूम मै चला जाता हैं | जिससे कि देविका को उस पर शक न हो l
देविका : - " दीदी ये कहा है ? वहाँ भी नही है और अंदर भी नहीं है | "
सारिका : - " वॉशरूम गया है वो देविका | "
देविका : - ( हंसते हुए ) " अच्छा दीदी ! वो क्या है ना आजकल मुझे इनकी बहुत फिक्र होती है I "
सारिका : - " हाँ वो तो जरूरी भी है | कोई तो उसका अपना 24 घंटे उसके पास होना ही चाहिए । "
देविका से कहकर सारिका दीदी ! सभी के लिए चाय लेकर जाती है | लेकिन अन्दर रूम में सभी के साथ अरनव नहीं था । इसलिए दीदी अरनव की चाय लेकर ; बाहर बालकनी में देखने जाती हैं ।
अरनव वहाँ बाहर ; अकेला बैठा हुआ था और कुछ सोच रहा था |
सारिका : - " किचन में तब क्या कह रहा था अरनव ? "
सारिका दीदी ! अरनव से बहुत धीमी आवाज में पूछती हैं |
अरनव : - ( दबी हुई आवाज में ) " ये देविका ; कहाँ है दीदी ? "
सारिका : - " अन्दर हैं अभी तो बच्चों के साथ . . . . "
अरनव : - " ये देविका ; बहुत चालाक हैं ; दीदी | और हर बात पर झूठ बोलती हैं | इसकी किसी भी बात पर ; कभी विश्वास मत करना | मुझे तो लगता हैं । कि ये सब मिले हुए है । जैसे आज ही देख लो ! हम गये तो थे डॉक्टर को दिखाने लेकिन . . . . "
इससे पहले अरनव ! दीदी से आगे कुछ कह पाता . . . .
देविका : - " क्या बाते हो रही हैं अकेले में दीदी से ? क्या कह रहे हो आप दीदी से ? "
अरनव : - " मैं क्या कहूंगा ? हम तो बस चाय पी रहे है | " अरनव ; देविका की ओर देखकर कहता हैं ।
सारिका : - " क्यूं कुछ कहना था क्या अरनव को ?
सारिका दीदी देविका से पूछती हैं |
देविका : - " नही ! नही ! में तो बस ऐसे ही पूंछ रही थी दीदी | "
उधर विकास ; अपनी पत्नी के बार - बार , उस पर शक करने से परेशान हो गया था | और अगले कुछ ही दिनो में अरनव के साथ - साथ ; विकास की पत्नि ' श्वेता ' की भी तबीयत लगातार बिगड़ती ही जा रही थी |
विकास आये दिन ; अपने घर के बाकी लोगों के सामने ' श्वेता ' को डांटता रहता था | कि वह अपना ध्यान क्यूं नहीं रखती हैं I उसकी हालत बिगड़ रही है | और इसलिए अब विकास कुछ दिनों से श्वेता की बहुत केयर करने लगा था |
और एक दिन विकास . . . . . .
श्वेता के पास आता है | जब श्वेता ! अपने बेड से भी ठीक से नहीं उठ पा रही थी l
विकास : - " श्वेता उठो ! खाना खा लो . . . देखो में तुम्हारे लिए खाना लाया हूँ | "
श्वेता ; विकास के हाथ से कुछ निवाले खाकर लेट जाती हैं और फिर विकास अपने ऑफिस चला जाता हैं |
थोड़ी ही देर बाद . . . .
श्वेता और विकास का बेटा ' समर ' श्वेता के पास आता है | और कहता है |
" मम्मी उठो . . . मम्मी उठो . . . "
लेकिन ; श्वेता कोई जबाब नहीं देती हैं | समर भाग कर , अपनी दादी को बुलाकर लाता हैं | दादी देखो मम्मी बोल नहीं रहीं है | कब से उठा रहा हूँ | तभी दादी श्वेता को देखकर ; विकास को फोन करती हैं | फिर श्वेता को सभी तुरंत हॉस्पिटल ले जाते है |
डॉक्टर : - " इनके बचने की उम्मीद न के बराबर हैं | ये कोमा मे जा चुकी हैं l चैकअप से तो ; दवाओं के साइड इफेक्ट्स की वजह से लगता है | और इन्हें स्ट्रोक आया हैं |और फिर अगले 15 दिनों में ही ' श्वेता ' दम तोड़ देती हैं |
इधर विकास की पत्नी ' श्वेता ' जो अच्छी भली थी । उसकी अचानक से ही ; इतनी तबीयत बिगड़ना और इस दुनिया से चले जाना , कोई साधारण बात नहीं थी ।
उधर अरनव की भी कंडीशन ; लगातार खराब ही होती जा रही थी । इतने सारे और अच्छे डॉक्टर्स को दिखाने के बाद भी |
लेकिन क्यूं ? आखिर क्या हुआ था ' श्वेता ' के साथ और क्या हो रहा था ' अरनव ' के साथ ? कि उसकी हालात बिल्कुल भी ! सुधरने की नाम ही नही ले रहे थी । कई डॉक्टर्स को दिखाने के बाद भी |
फिर भी ' देविका और विकास ' अब पहले से ज्यादा खुश रहने लगे थे | आखिर क्यूं ?
कौन था ' श्वेता ' की मौत और अरनव की इस हालत का जिम्मेदार ?
जानने के लिए पढ़ते रहें - - - -