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Arnav's headache

8 सितम्बर 2022

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वरनाली , अब हर पल बस इसी मौके के इंतजार मैं ही रहती थी | कि अरनव उसे कब अकेला मिले |

अरनव की माँ के जाने के बाद , जब भी अरनव शांत और अकेला बैठा होता था ।  वरनाली , तुरंत ही अरनव के पास पहुंच जाया करती थी |

और अरनव को बार - बार , एक ही बात कहती थी । कि माँ आपकी बजह से चली गयी I अरनव भईया आप ही के टेंशन मैं माँ का ब्लड प्रेसर बढ़ गया था ।

अरनव , जो कि अपनी माँ के जाने के बाद , वैसे ही सदमे मैं था | वह अभी तक अपनी माँ के जाने के बाद एक बार भी नहीं रोया था । वह अंदर से पूरी तरह टूट चूका था |

अरनव की माँ को गए हुए पूरा एक महीना होने वाला था ।

उस पर वरनाली का अरनव से बार - बार एक ही बात का  कहना | कि उनकी बजह से ही माँ चली गयी |

यह बात अब , धीरे - धीरे अरनव के मन मैं घर करती जा रही थी | और अरनव देखते ही देखते गहरे सदमे मैं आता जा रहा था |

अरनव को इस तरह देख कर , वरनाली अब अपने मन मैं खुश रहने लगी थी | और निशांत अपनी पत्नी वरनाली की इस ख़ुशी का कारण नहीं समझ पा रहा था ।

निशांत , वरनाली के द्वारा उसके भाई के लिए रचाये जा रहे इस प्रपंच से पूरी तरह अनजान था । और वह नहीं जानता था | कि वरनाली , अरनव से इस तरह की बातें कर , उसे एक गहरी खाई की तरफ ले जा रही है |

जिसका अंजाम आगे चलकर बहुत बुरा भी हो सकता है ।

निशांत , अरनव को हमेशा से ही अच्छे से समझाया करता था । और इस मुश्किल घड़ी मैं भी , निशांत ने अपने भाई को , कभी अकेला नहीं छोड़ा था  |

निशांत हर तरह से , अपने छोटे भाई को इस सदमे से बाहर निकालना चाहता था |

लेकिन कैसे ? निशांत तो अपनी पत्नी वरनाली , के मन मैं अरनव के लिए पल रही नफरत या गुस्से से बिल्कुल ही अनजान था ।

निशांत तो ये भी नहीं जानता था | कि उसी की पत्नी वरनाली ही उसके सारे प्रयासों को असफल करने मैं लगी हुई है |

निशांत , तो बस यही चाहता था | कि अरनव फिर से नार्मल हो जाये और वह वापस से पहले की तरह खुश रहने लगे | इसलिए निशांत , अरनव को इस सदमे से बाहर निकालने के लिए हर तरह से प्रयास कर रहा था |

वहीं वरनाली , इन सब के विपरीत अरनव को और भी ज्यादा गहरे सदमे मैं पहुंचाने मैं लगी हुई थी । जबकि निशांत क्या चाहता है ? इस बात को वह बहुत अच्छे से जानती थी |

वरनाली एक तरह से , अरनव कि मानसिक स्थिति को बिगाड़ना चाहती थी । अरनव ने , अभी तक बापस अपनी नौकरी भी ज्वाइन नहीं की थी । 

अरनव को अब अपनी जॉब से छुट्टी लिए हुए , एक महीना से भी ज्यादा समय हो गया था ।

लेकिन ! अब वह बहुत जल्द ही वापस अपनी जॉब पर जाने वाला था ।

इसी बीच , बड़ी बहन सारिका और उनके पति भी अरनव को समझाते रहते थे । साथ ही छोटी बहन भी अपने भाई से फोन पर  रेगुलर बात करती रहती थी ।

अब कुछ ही दिनों मे अरनव ने , अपनी जॉब पर वापस जाना शुरू कर दिया था | और धीरे - धीरे उसकी मानसिक स्थिति भी , पहले से काफी सही हो रही थी ।

अरनव को इस तरह देख कर , घर मैं सभी बहुत खुश थे । खासकर निशांत | वह अपने भाई को , एक बार फिर से इस तरह नार्मल देख कर ! बहुत अच्छा महसूस कर रहा | और अब वह अरनव के लिए बहुत खुश भी था । 

लेकिन वरनाली को सभी की यह खुशी बर्दास्त नहीं हो रही थी ।

अब वह , हर समय मन ही मन यह सोचकर परेशान रहने लगी थी । कि अगर अरनव ठीक हो गया तो फिर से सब वही पुराना ! इन सब भाई - बहनो का प्यार शुरू हो जाएगा | जिसकी सबसे अहम कडी ये अरनव ही है l

लेकिन वरनाली , अब हाथ पर हाथ रख कर भी नहीं बैठ सकती थी । उसे कुछ तो करना ही था । जिससे उसके मन को शांति मिले।

अब हर पल , भाई - बहनों की इसी फिक्र मैं उसका मन बेचैन रहने लगा था |

अब वह , एक बार फिर अरनव से अकेले मैं माँ की बात करना शुरू करती है । माँ से जुडी हुए हर वो बात ! जिससे अरनव का अटैचमेंट था | वह अरनव से करने लगी थी |

अरनव , ना चाहते हुए भी भाभी वरनाली की उन सभी बातो से ! धीरे - धीरे वापस उसी मानसिक स्थिति मैं फिर जाने लगा था |

इस बार , वरनाली का यह प्रयास सफल भी हो रहा था | क्यूंकि अरनव पहले से तो , काफी हद तक सदमे से बाहर आ चूका था । लेकिन पूरी तरह नहीं ।

इसीलिए , वरनाली का यह वार ; इस बार काम कर गया था । और घर के बाकि सभी लोग , उनके पीठ पीछे चल रहे इस षडयन्त्र से अनजान थे |

वह वरनाली के द्वारा लाये जाने वाले , इस तूफान को समझ ही नहीं पा रहे थे । 

देखते ही देखते , वरनाली के अथक प्रयासों से अरनव फिर सदमे मैं जाने लगा था |

लेकिन इस बार वरनाली , अभी यहाँ रुकने वाली नहीं थी ।

एक दिन की बात है | अरनव शाम मैं , अपने कमरे मैं अकेला और थोड़ा परेशान सा बैठा हुआ था । अरनव के सिर मैं उस समय काफी तेज दर्द भी हो रहा था |

कि तभी वरनाली , अरनव के कमरे मैं अंदर आ जाती है | और अरनव से उस की तबीयत के बारे मैं पूछती है |

अरनव , भाभी वरनाली से अपने सिर मैं हो रहे तेज दर्द के बारे मैं कहता है I वरनाली मन ही मन खुश हो जाती है | और अरनव को एक दवा खाने के लिए देती है । 

वरनाली : - "अरनव भैया ! आप इस दवा को ले लो | इससे आपको अभी आराम मिला जायेगा । "

चुंकि , वरनाली पहले से ही जानती थी । कि अरनव भैया के सिर मैं दर्द है । इसीलिए वह पहले से ही अपने साथ वो दवा लेकर  आयी थी | जो उसने उस वक्त अरनव को खाने के लिए दी थी |

अरनव ने भी सिर के तेज दर्द के कारण , वह दवा तुरंत ही खा लेता है |

( बिना यह देखे कि वह आखिर कौन - सी दवा है ? जो वरनाली ने उसे खाने के लिए दी है । )

थोड़ी देर मैं ही अरनव को अपने सिर दर्द मैं बहुत आराम मिलता है । और उसे तेज नींद आ जाती है । और वह हर रोज से काफी गहरी नींद मैं सो जाता है |

कुछ दिन बाद  ( लगभग 7 - 8 दिन बाद ) . . . . 

अरनव को फिर से सर मैं दर्द होने लगता है । तब भी वरनाली जान बूझकर अरनव को फिर वहीं दवा देती है ।

अरनव को फिर से उस दवा से , पहले से भी जल्दी आराम भी मिला जाता है ।

कुछ महीनों ( लगभग 2 - 3 महीनों तक ) तक ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहता है ।

और फिर एक बार की बात है |

अरनव को अचानक ही सिर मैं दर्द होने लगता है । उस समय वह स्कूल मैं बच्चों को पढ़ा रहा था । और धीरे - धीरे उसके सिर का दर्द बढ़ते हुए तेज होने लगता है ।

उस समय अरनव सकूल के पास ही के मेडिकल से , नार्मल पैन किलर लेकर खा लेता है ।

लेकिन अरनव ने महसूस किया | कि इस पैन किलर से उसे सिर दर्द बंद होने में बहुत टाइम लग गया । और उतना अच्छा फील नहीं हुआ । जितना उसे वरनाली के द्वारा दी गयी पैन किलर से हुआ था । 

क्यूंकि उसे पिछले कुछ महीनो से उस दवा को खाने की वजह से , उसकी आदत हो गई थी |

लेकिन सबसे पहले अरनव को जो सर मैं दर्द हुआ था । वह एक नार्मल सर दर्द जैसा ही हुआ था ।

( जैसे -  स्ट्रेस से या नींद पूरी ना होने की बजह से जो सिर में दर्द होता है । वैसा ही | )

अरनव को सिरर मैं दर्द वैसे भी कम ही हुआ करता था I 

लेकिन जब से अरनव ने वरनाली की दी हुई दवा खाई है | तब से यह सर दर्द अब अरनव को आये दिन होने लगा था | और बिना दवा के उसे अब आराम भी नहीं मिलता था |

लेकिन अरनव इस वक्त , अपना कुछ भी अच्छा - बुरा सोचने की हालत मैं नहीं था । 

जब अरनव के सर दर्द की प्रॉब्लम , हर 3 - 4 दिन मैं होने लगी थी । तब अरनव को सभी ने , एक अच्छे डॉक्टर को दिखाने का फैसला लिया ।

जिस पर अरनव की एक और बहन सरला ने , निशांत को अरनव को उसके यहाँ लाने के लिए कहा ।

( सरला और उसके पति दिल्ली मैं रहते थे । सरला और बाकि सभी यही चाहते थे । कि अरनव को एक अच्छे शहर मैं और एक अच्छे डॉक्टर को दिखाया जाये । )

क्यूंकि इस बहाने ! अरनव घर से दूसरी जगह जाएगा और  कुछ दिन सरला के यहाँ रहेगा | तो उसका मन भी अच्छा हो जायेगा |

फिर निशांत , अरनव को लेकर ही सरला के यहाँ चले जाता है । जहाँ सरला और उसके पति , अरनव को एक अच्छे डॉक्टर के यहाँ दिखाने ले जाते है ।

डॉ. महेश ; दिल्ली के एक अच्छे डॉक्टर्स मैं से है । जहाँ , अरनव को दिखाने के लिए ले जाया गया था l

डॉ. महेश ! एक न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर है । उन्होंने अरनव का फुल बॉडी चैकउप किया और उन्होंने कुछ टेस्ट भी करवाये । और उन सभी रिपार्टस के मुताबिक सब कुछ नार्मल था ।

बस अरनव को थोड़ी स्ट्रेस की प्रॉब्लम थी । उसके अलावा अरनव को अपनी माँ के जाने की वजह से , जो सदमा पंहुचा था । उसकी वजह से वह अभी भी थोड़ा सिर दर्द की प्रॉब्लम अरनव को हो रही थी |

लेकिन डॉक्टर ने अरनव को कुछ दवाएं दी | जो उसे 3 - 4 महीने तक रेगुलर लेनी थी । बस . . . .

अरनव , अपनी बहन सरला के यहाँ ही कुछ दिनों के लिए रुक गया था । निशांत , अरनव की सारी दवाएं दिलाकर ! 4 - 5 दिन बाद वापस आ गया था ।

सरला के भी , दो छोटे  - छोटे बच्चे थे । जिनसे अरनव का मन भी लगा रहता था । और उसे वहां अच्छा भी लग रहा था ।

अरनव को डॉक्टर ने जो दवा दी , उन दवाओ से अरनव को कुछ दिनों मैं ही बहुत आराम मिल गया था । और उसे सर दर्द मैं भी काफी आराम मिला ।

अब पहले की तरह उसे आये दिन सर दर्द नहीं हो रहा था । स्ट्रेस मैं भी आराम था । और इसी वजह से अरनव अपने मन को भी पहले से काफी शांत महसूस कर रहा था |

अरनव सरला के यहाँ , करीब - करीब बस एक महीने रहा था | फिर वह अपने घर बापस आ गया था ।

अरनव , जब घर वापस आया । तो वरनाली उसे पूरी तरह स्वस्थ देख कर बिलकुल भी खुश नहीं थी ।

( मानो जैसे - वरनाली के शरीर मैं आग सी लग गयी हो । )

अब तो वरनाली के सारे ही इरादों पर पानी फिर गया था । क्यूंकि अब सभी अरनव की पहले से भी ज्यादा केयर करने लगे थे । और उसे सभी का प्यार और अटेंशन भी मिल रहा था |

अब तो वरनाली का दिमाग टेंशन जैसे फटने को था । उसके दिमाग मैं चल रही उथल  - पुथल , उसे अब एक पल के लिए भी शांति से रहने नहीं दे रही थी ।

वरनाली अब अपने ही घर मैं , चैन से नहीं रह पा रही थी ।

अरनव जब अपनी बहन सरला के यहाँ से ! वापस घर आया था । तब वहां से अगले एक महीने की दवा , सरला ने अरनव के साथ रख दी थी । और उसके आगे की दवा भी वहीं से आने थी ।

क्यूंकि उन दवाओं मैं से , कुछ ऐसी भी थी । जो सिर्फ वहीँ मिलती थी । आगे की दवाएं कूरियर से आनी थी ।

जब वरनाली को इस बात का पता चला । तो उसके दिमाग मैं फिर बहुत कुछ चलने लगा था । कि कैसे वह इस मौके का फायदा उठा सकती है ।

इस बीच ( वरनाली के टीचिंग करने से लेकर अभी तक । ) वरनाली ने पॉलिटिक्स मैं अपने इंट्रेस्ट की वजह से , ऐसे कुछ लोगो से अपनी जान पहचान बना ली थी । जिनसे कभी भी उसे कोई पहचान नहीं रखनी चाहिए थी ।

(  क्यूंकि ... किसी ने सच ही कहा है । कि राजनीती एक गहरी और गंदी खाई है । जिसमे उतरना , हर किसी के बस की बात नहीं । राजनीती मैं हर तरह के व्यक्ति होते है । जिनसे आपको ना चाहते हुए भी , पहचान रखनी पडती है । एक तरह से राजनीती मैं उतरना सभ्य लोगो के बस का काम नहीं । या फिर यह राजनीती राजा महाराजाओं की विरासत है ।  )

और वरनली की पहचान भी कुछ इस तरह के लोगो से हो गयी थी । जिनकी समाज मैं गुंडा  - गर्दी चलती थी | और उसी के बल पर उनकी पहचान थी |

लेकिन अब वरनाली के दिमाग मैं , बस एक ही बात आ रही थी । कि कहीं निशांत को उसके इस कारनामें का पता नहीं चल जाये । वरना निशांत उसे छोड़ेगा नहीं |

वरनाली अब अरनव कि दवा खत्म होने का ही , इंतजार कर रही थी ।  कि कब ये एक महीना पूरा हो । और वह अपनी चाल चले ।

जल्दी ही वरनाली का इंतजार खत्म हो गया था | अरनव की दवा का पैकेट , कूरियर से आ गया था । और इस बार किस्मत भी मानो जैसे उसके साथ थी ।

वरनाली का यह दाव काफी खतरनाक था । लेकिन वरनाली का दिमाग , उसे सब कुछ करने पर मजबूर कर रहा था ।

जिस समय अरनव की दवा का कूरियर आया था । उस समय सुबह के करीब 11 बज रहे थे ।

उस समय घर पर कोई भी नहीं था । उस दिन वरनाली और अरनव की स्कूल की भी छुट्टी थी ।

लेकिन अरनव भी उस समय बाजार गया हुआ था ।

इसलिए अरनव की दवा का पैकेट , सिर्फ वरनाली के हाथ ही लगा । 

( तब ऐसा लग रहा था वरनाली को जैैैसे ईश्वर और समय दोनों ही उसके साथ हो । )

आखिर कार , अब वो समय आ ही गया था । जब वरनाली को अपना दाव चलना था ।

वरनाली ने अरनव के लिए कूरियर मैं आयी , सारी दवाओं मैं से एक दवा बदल दी । और उसने उस दवा के बदले एक ऐसी दवा रख दी | जिसे कोई व्यक्ति , यदि लगातार कुछ समय तक ले | तो धीरे  - धीरे उसकी मानसिक हालत बिगड़ने लगती है । और वह धीरे - धीरे डिप्रेशन का शिकार होता चला जाता है । ॥

अरनव के साथ भी इसलिए कुछ ऐसी ही घटना हुई ।

लगातार एक महीने तक , अरनव सारी दवाओं को लेता रहा और उस दवा को लेने से , अरनव भी अपनी हालत को समझ नहीं पा रहा था ।

अरनव को अब अपना सिर काफी भारी - भारी सा लगने लगा था I अब हर समय एक भारी पन सा था ।

अरनव के मन मैं , एक अजीब सा ही डर बैठ गया था l उसे अब चक्कर से आते रहते थे I

अरनव ने इस बारे मे अपनी छोटी बहन सरला से बात कि और कहा कि ;

" दीदी इस बार की दवा मुझे कुछ ठीक सी नहीं लग रही । इस बार डॉक्टर ने दवा बदल दी थी क्या ? "

अरनव ने  सरला से कहा , कि उसे इस दवा को लेने से सर बहुत भारी - भारी लगता है ।

सरला : - " अरनव हो सकता है | कि डॉक्टर ने दवा बदल दी हो । पिछली बार तो सब ठीक लग रहा था ।

वैसे भी ये एक महीना तो पूरा हो ही गया है । और अगले महीने कि दवा मैंने भेज दी है | फिर 3 महीने पूरे हो जायेंगे | फिर तो डॉक्टर ने दिखाने के लिए कहा ही है । इस बार और खा कर देख लेना | शायद अच्छा लगे । 

अरनव : - " हां ठीक है दीदी | "

अरनव को भी यही सही लगा ।

अगले महीने की दवा , जो सरला ने भेज दी थी । वह अब आने ही वाली थी ।

वरनाली को अब उस कूरियर का इंतजार था | और एक तरह से वरनाली को अब , इस बात का डर भी लग रहा था । क्यूंकि पिछली बार तो किस्मत ने उसका साथ दे दिया था । लेकिन हर बार ऐसा हो , ये संभव नहीं था ।

वरनाली को यही डर था I कि कूरियर अगर किसी और के हाथ लग गया या फिर किसी और को मिला गया । तो उसका पूरा प्लान चौपट हो जायेगा ।

लेकिन पिछली बार की तरह इस बार , किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया । और इस बार दवा का कूरियर , सीधे निशांत को मिला । 

( जब कूरियर वाला आया था | तब निशांत वहीँ था । तो निशांत ने ही दवा का पैकेट ले लिया था । )

अब वरनाली को , निशांत से कैसे भी वह पैकेट लेकर दवा बदलनी थी । और वह भी पैकेट को अरनव के खोलने से पहले | नहीं तो अरनव दवा पहचान जाता । और फिर वरनाली के लिए , उस दवा को बदलना बहुत मुश्किल हो जायेगा ।

वरनाली , अब कोई बहाना ठूँठ रही थी । कि उसे वह पैकेट कैसे मिले , और निशांत को उस पर शक भी ना हो ।

जब तक , वरनाली बस ये सोच ही रही थी । कि निशांत का फ़ोन आ जाता है । और वह दवा के पैकेट को , टेबल पर रख कर बाहर फ़ोन पर बात करने के लिए चला जाता है |

अब तो वरनाली की ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा । और अब वरनाली थोड़ी भी देर किये बिना जल्दी से दवा के पैकेट मैं से ; उस दवा को बदल कर दूसरी दवा रख देती है ।  जिससे कोई उसे देख ना ले ।

निशांत फ़ोन पर बात करके जैसे ही आता है |

वरनाली : - (तुरंत ही निशांत से कहती है | ) " आप जल्दी से अरनव भैया को ये पैकेट दे आओ I उनकी दवा का समय हो गया है । "

निशांत : - " हॉ में तो फोन के चक्कर में भूल ही गया था | "

निशांत , दवा का पैकेट लेकर जल्दी से अरनव के पास पहुंच जाता है ।

क्यूंकि निशांत यह बात अच्छे से जानता था । 

दिल्ली मे डॉक्टर ने उसके सामने ही कहा था , कि दवा हर रोज एक ही निश्चित समय पर लेनी होंगी । नहीं तो दवा लेने से कोई फायदा नहीं होगा । और अरनव  की दवाई भी ख़तम हो चुकी थी ।

निशांत तुरंत ही अरनव के कमरे में गया । और उसे दवा खिलाई ।

पिछली बार की तरह इस बार भी ,  किस्मत ने वरनाली का साथ दिया । और वह अपने इरादों में इस बार भी सफल रही |

लेकिन  इसकी वजह से , कुछ ही दिनो में अरनव की तबीयत ज्यादा खराब होने लगी । और देखते ही देखते वह ज्यादा ही तनाव में रहने लगा ।

पिछले कुछ दिनो से अरनव ने स्कूल जाना भी बंद कर दिया था |

वरनाली अब अपना अगला दाव , चलने वाली थी ।

अब वह निशांत को कुछ दिनों से लगातार एक ही बात कहने लगी थी |

कि अरनव भैया की तबीयत , अब ठीक नही रहती है । इस डॉक्टर की दवा , उन्हें सही सूट नहीं कर रही है I हमें उन्हें , किसी दूसरे अच्छे डॉक्टर को दिखाना चाहिए |

निशांत भी देख रहा था I कि अरनव ठीक नही हैं । और उसने इस बारे में अरनव से बात भी की थी | अरनव ने भी यही कहा था निशांत से | कि वह अच्छा महसूस नही कर रहा है | इसीलिए उसने कुछ दिनो से स्कूल जाना भी बंद कर दिया है l 

तभी वहाँ सारिका का आना होता है | वह भी निशांत से यहीं कहती है | कि हमे अरनव को किसी और डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए |

लेकिन इस बार वरनाली चाहती थी । कि अरनव भैया को किसी साइकोलॉजि वाले डॉक्टर को दिखाया जाए | वही सही डिप्रेशन का इलाज कर पाएंगे । वरना उनकी हालत और बिगड़ जाएगी l

सभी वरनाली की इस बात से सहमत थे | और अरनव को उसके बताए डॉक्टर को दिखाने के लिए तैयार हो गए थे | अब क्या था | जैसे - वरनाली की तो हर सोच पूरी हो रही थी |

वह अरनव की जिंदगी को अब पूरी तरह से बर्बाद करने पर तुली हुई थी । और सभी वरनाली के इस काले चेहरे की हकीकत से पूरी तरह अंजान थे |

अगले ही दिन निशांत , अरनव को डॉक्टर को दिखाने के लिए ले जाता हैं । वह उसे एक अच्छे साइकोलॉजी डॉक्टर के पास ले जाता हैं | जो वरनाली ने बताया था |

वहाँ डॉक्टर , अरनव की पुरानी दवाई और सारी रिपोर्टस  देखता है |

लेकिन वरनाली यह बात भूल जाती है । और निशांत , जो अपने भाई के लिए बहुत परेशान था । वह उन दवाओ को भी अपने साथ मे ले जाता है l जिन्हें अरनव पिछले दो महीनो से ले रहा था |

( निशांत बिना किसी को बताए वो सारी दवाईयां अपने साथ ले जाता है | )

क्यूंकि निशांत को भी अंदर से यही लग रहा था | कि कही न कहीं इन दवाओं में ही कुछ गड़बड हैं | वरना पहले तो अरनव ठीक हो रहा था । लेकिन , वह इस बारे में पूरी तरह स्योर नही था |

लेकिन अब साइको लॉजी के डॉक्टर ने निशांत की यह बात कन्फर्म कर दी । कि अरनव इतने दिनों से , जो दवा ले रहा था । उनमे से एक दवा उस डॉक्टर की लिखी हुई नही है ।

वह एक ऐसी दवा है जो किसी नॉमर्ल इंसान को भी पागल कर सकती है । 

साइकोलॉजी के डॉक्टर ने , अरनवका फुल बाँडी चैक - अप किया । और पाया कि अरनव पूरी तरह स्वस्थ है । बस इन दवाओ की वजह से उसके दिमाग पर जो असर हुआ हैं l उसे खत्म करने के लिए उस डॉक्टर ने कुछ दवा लिखकर दी | और अरनव को पूरी तरह , कुछ दिन आराम करने के लिए भी कहा |

अब निशांत के दिमाग मे रह - रह कर एक ही बात आ रही थी | कि अरनव के पास ये गलत दवा आई कैसे ?

आखिर किसने अरनव के साथ ऐसा करने की कोशिश की होगी ? क्या वह कोई घर का ही है ? 

एक पल के लिए निशांत का शक , वरनाली पर ही गया । लेकिन फिर निशांत के मन में यही आया | कि वरनाली अब बदल गयी है | वह ऐसा अब नही कर सकती I

बेवजह और बिना किसी सुबूत के उस पर शक करना ठीक नही है | वह तो अरनव को अपने भाई जैसा मानती है |

निशांत ने घर पर आकर सभी को यह बात बताई । जिसे सुनकर वरनाली पूरी तरह घबरा गई थी |       

( वरनाली को डर था | कि कही किसी को भी , उसके इस कारनाम  के बारे में गलती से भी पता चल गया तो I इस बार वह पक्का नहीं बचेगी । इसलिए उसके मन की यह घबराहट , बढती ही जा रही थी l )

लेकिन घर में किसी का भी शक , वरनाली पर नही गया । क्यूंकि वरनाली ने तब से अभी तक सभी के सामने कोई गलत काम नहीं किया था |

( जब सारिका के घर पर उसे , उसकी गलती के लिए समझाया गया था | तब से अभी तक ।  ) 

इसलिए वरनाली को , अब यह बात समझ में आ गयी थी । कि अगर अब उसने कोई भी चालाकी की तो अब वह उस पर भारी पड सकती हैं |

इसलिए वरनाली , अब पूरी तरह शांत पड़ गयी थी । और अब अरनव की हालत भी पहले से काफी सुधर रही थी l

वरनाली का डर ही उसे खुद को शांत रखने के लिए काफी था । लेकिन सिर्फ दो से तीन महीनों के लिए ही I

अब अरनव को जल्द ही ठीक होता देखकर , वह अंदर ही अंदर घुट रही थी l 

अरनव की शादी के लिए रिश्ते आने लगे थे अब । लेकिन वरनाली नहीं चाहती थी । कि अरनव की शादी हो । क्यूंकि अब वह अरनव को अपनी प्रोपर्टी में से एक फूटी कौड़ी भी नहीं देना चाहती थी l

चूंकि निशांत का बड़ा भाई पहले ही अलग हो चुका था |

कुछ ही समय में निशांत ने गाँव की जमीन के साथ - साथ वही शहर में अपना एक स्कूल भी खोल लिया था । ( स्कूल नर्सरी से 8 तक था । ) अब वरनाली अपने ही स्कूल में पढ़ाया करती थी । और कभी - कभी अरनव भी |

कई रिश्ते आने के बाद भी अरनव , शादी नहीं करना चाहता था । क्यूंकि उसे अभी भी , कभी - कभी अपनी माँ की मौत का सदमा अंदर ही अंदर खाये जाता था । 

इसलिए वह किसी से भी , शादी नही करना चाहता था ।

लेकिन फिर अरनव को क्या पता था ? कि उस की शादी भी , उसके जीवन का एक अहम पहलू था । और उसकी मौत का भी I

जानने के लिए आगे पढ़ते रहे . . . . . . . . और मेरी नॉबल आपको अच्छी लगे तो Please Like करे

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Kya Galti Thi Meri?
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ये कहानी है एक ऐसे लड़के " अरनव वेदी " की । जो बचपन से ही बहुत सीधा सा लड़का था । अरनव पढ़ाई में बहुत होशियार और हेंडसम भी बहुत था। उसके भाई - बहन उसे बहुत प्यार करते थे । लेकिन उसकी भाभी वरनाली ; अरनव का अपने घर में रहना , बिलकुल पसंद नही करती थी । बचपन से ही अरनव संघर्षों से झूझ रहा था । फिर एक दिन उसकी जिंदगी में " देविका " आती है | " देविका कपूर " एक घमंडी और बिगड़ी हुई लड़की थी | और देविका का अरनव से शादी करना किसी इत्तेफाक के जैसा ही था | फिर एक दिन अरनव के साथ जो हुआ ! वो एक दर्दनाक घटना से कम नही था । लेकिन उसके साथ ऐसा क्यूँ हुआ ? आखिर क्या गलती थी उसकी ? और कौन था वो शक्स जिसने उसके साथ ऐसा किया ? अरनव के साथ आखिर क्या हुआ होगा? पूरी कहानी जानने के लिए पढ़ें "Kya Galati Thi Meri "
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प्यार की शुरुआत

8 सितम्बर 2022
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देविका : - " हॉ अरनव ! हाँ . . . . मैं किसी और से . . . . हो गई तुम्हें अब तसल्ली ये जानकर | " ( बहुत तेज गुस्से मे , इतना कहकर ! देविका चुप हो जाती है l ) देविका जो सबके सामने , अभी तक अच्छे से

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unknown number

8 सितम्बर 2022
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अरनव और देविका के बीच ! अगले कुछ महीनो तक सब ठीक चल रहा था I फिर एक दिन श्याम में . . . देविका के मोबाइल फोन की रिंग बजती है l देविका के मोबाइल पर , एक अननोन नंबर शो हो रहा था | देवि

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देविका का अरनव के गले लगना

12 सितम्बर 2022
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देविका , अरनव को कॉल करती है | " भईया आ गये है लेने , आप आ जाओं | हम थोड़ी देर में निकलने वाले है | " अरनव : - " हो सकता है देविका | कि मैं लेट हो जाऊं थोड़ा , तुम चाहो तो निकल जाना | लेकिन जल्दी आ जा

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में तुम्हे किसी अन्जान के साथ नही देख सकता

12 सितम्बर 2022
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देविका . . . . देविका उठो ! सुबह हो गई . . . . ( देविका के बड़े भाई अमित , देविका को अगले दिन सुबह , नींद से उठाते हुए आवाज लगाते है | ) देविका भईया की आवाज सुनकर अपनी ऑखे खोलती है | और वो अपने

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मेरा प्यार सच्चा है देविका

12 सितम्बर 2022
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विकास : - " देविका सुनो ! देविका प्लीज , बस एक बार मुझसे मिल लो | क्या तुम मेरे लिए अब इतना भी नही कर सकती ? " देविका मैसेज देखकर कोई रिप्लाय नही करती हैं l और मन ही मन गुस्से में खुद से कहने लगती है

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वो मेरी सबसे बडी भूल थी

12 सितम्बर 2022
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विकास : - " सॉरी देविका ! तुम्हे मेरी बात का बुरा लगा ना ; में बच्चे की बात नहीं करना चाहता था l पर तुम हो कि मुझसे , मिलना ही नहीं चाहती थी | " देविका : - " अब तो कह दिया पर आगे से उस बात को हमेशा के

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क्या में तुमसे मजाक भी नही कर सकता

12 सितम्बर 2022
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अबॉर्शन के बाद देविका नॉर्मल हो जाती हैं | लेकिन . . . . उस दिन की भूल को सोचकर , आज भी देविका के रोंगटे खड़े हो जाते हैं | और अगर गलती से भी , किसी को भी इस बारे में पता चल जाता | तो वह क्या करती | "

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आखिर सच क्या है देविका

12 सितम्बर 2022
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सिर्फ . . . देविका के बडे भईया को छोड़कर । अरनव को भी बाकी सभी की तरह यही लग रहा था | कि देविका उस एक्सीडेंट को देखकर घबरा गई है | इसलिए उसका प्रेग्नेंसी में ब्लड प्रेशर एक दम से हाई हो गया l देविका क

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अपने पापा की खुशी

12 सितम्बर 2022
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अगले 2 महीने तक ऐसे ही चलता रहा | देविका भी अच्छे से जानती थी | कि अरनव का व्यवहार , उसके लिए क्यूं बदल गया है | लेकिन वह कभी भी देविका से कुछ नही कहता था | और न ही उसने फिर कभी देविका से विकास के बार

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मेरी बात याद रखना अरनव

12 सितम्बर 2022
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10 मिनिट बाद अरनव , रूम में अंदर जाता है | अरनव को देखते ही देविका तुरंत फोन रख देती है और बुरी तरह घबरा जाती है | अरनव : - " अरे ! क्या हुआ तुम्हे ? तुम इतना डर क्यूं गयी ? वो भी मुझे देख कर I " देवि

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ये देविका कौन है विकास

12 सितम्बर 2022
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अरनव : - " देविका के कहने से क्या होता है ? वो मुझसे इस तरह खुशी को नहीं छीन सकती | लेकिन . . . कहीं विकास के साथ मिलकर ! खुशी को उसने मुझसे सच में दूर कर दिया तो | देविका बहुत चालाक है | अपना उल्लू स

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Fake treatment

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अरनव , अपने जीजा जी के साथ ! वहाँ के एक अच्छे डॉक्टर को दिखाने जाता हैं | अरनव ! उस डॉक्टर को अपनी सारी प्रॉब्लम बताता हैं | डॉक्टर : - " ऐसा कितने दिनो से महसूस हो रहा हैं आपको ? " अरनव : - " यही , अ

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झूठ प झूठ

12 सितम्बर 2022
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देविका ; अपने भईया को डॉक्टर को बिना दिखाए ! बापस घर लौटने के लिए तो मना लेती हैं । लेकिन देविका को ये नहीं समझ आ रहा था | कि वह भईया को सारिका दीदी और जीजा जी से झूठ बोलने के लिए कैसे मनाएं ? देविका

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देविका की चाल

12 सितम्बर 2022
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पिछले कुछ महीनों से अरनव अपनी खराब तबीयत की वजह से ; स्कूल भी नही जा रहा था | देविका ने ही अरनव को उसकी जॉब से ; रिजाइन दिलवा दिया था | क्यूंकि . . . . देविका ने , अरनव के स्कूल में उसका पिछले कुछ मही

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सारिका का शक

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दोपहर के 2 बजे ; डोरवेल बजती हैं | सारिका दीदी का घर . . . . और उनकी सबसे छोटी बेटी चारू ; दरवाजा खोलती है | " अरे मामी आप ! आओ , अंदर आ जाओ मामी . . . . खुशी नहीं आयी क्या आपके साथ ? " सा

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श्वेता की मौत

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पुलिस द्वारा ; अभी तक अरनव के साथ रहने वाले , घर के सभी लोगों के बारे में ; अच्छे से छानबीन कर ली गई थी । इससे पुलिस को , ये तो साफ हो गया था । कि अरनव की हत्या या उसकी साजिश के पीछे , कोई

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Negative mind

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संडे का दिन , सुबह के 11 बज रहे थे | अरनव रूम में लेटा हुआ था | अपने अंदर वह पहले से बहुत बीकनेस फील कर रहा था | वह अब ठीक से खड़ा भी नही हो पा रहा था | तभी देविका रूम मे अरनव के पास आती है | देविका :

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Next step

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देविका बहुत confidence के साथ , अब अपने अगले कदम की ओर आगे बढ़ रही थी | और उसे अंजाम देने के लिए वो मेंटली ओर फिजिकली पूरी तरह तैयार थी | देविका का अगला कदम , उसे उसकी सपनों की दुनिया में ले जाने वाला

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kidnaping

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देविका के अरनव को मोबाइल देने के बाद ; उस रात अरनव पूरी रात भर यही सोचता रहा | कि कल देविका के इस खेल के बारे में सबको पता चल जाएगा | और उसे उसके अभी तक किए गए ! सारे गलत कामों की सजा भी मिल जाएगी | त

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तुम ही विकास हो

12 सितम्बर 2022
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गुंडो ने गाडी में अरनव का चेहरा , ऊपर से गर्दन तक पूरी तरह एक काले कपड़े से ढंक दिया था | और वो दोनो गुंडे उसे उस शहर के बिलकुल बाहर , एक सुनसान जगह पर ले गए | वहाँ उस सुनसान जगह पर एक ही घर बना हुआ थ

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बस एक दिन और

12 सितम्बर 2022
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देविका शाम होते ही अपनी प्लानिग के अनुसार , घर के सभी मेम्बर्स को फोन करना शुरू करती है | जैसे - अरनव के सबसे बडे भाई बलराज को , सारिका दीदी को , और अरनव के पिता से पूछना | और सभी को इस तरह दिखा

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प्लीज मुझे जाने दो

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विकास , चेयर से उठकर जाने के लिए खड़ा हो जाता है | और अपने अंदर अरनव की थोडी देर पहले , उसके लिए कहीं गयी बात के लिए , उससे गुस्सा होकर बदला लेने के नजरिये से देखता है | लेकिन फिर भी विकास ऊपर से झूठी

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End of Torture

12 सितम्बर 2022
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विकास , चेयर से उठकर जाने के लिए खड़ा हो जाता है | और अपने अंदर अरनव की थोडी देर पहले , उसके लिए कहीं गयी बात के लिए , उससे गुस्सा होकर बदला लेने के नजरिये से देखता है | लेकिन फिर भी विकास ऊपर से झूठी

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