वरनाली , अब हर पल बस इसी मौके के इंतजार मैं ही रहती थी | कि अरनव उसे कब अकेला मिले |
अरनव की माँ के जाने के बाद , जब भी अरनव शांत और अकेला बैठा होता था । वरनाली , तुरंत ही अरनव के पास पहुंच जाया करती थी |
और अरनव को बार - बार , एक ही बात कहती थी । कि माँ आपकी बजह से चली गयी I अरनव भईया आप ही के टेंशन मैं माँ का ब्लड प्रेसर बढ़ गया था ।
अरनव , जो कि अपनी माँ के जाने के बाद , वैसे ही सदमे मैं था | वह अभी तक अपनी माँ के जाने के बाद एक बार भी नहीं रोया था । वह अंदर से पूरी तरह टूट चूका था |
अरनव की माँ को गए हुए पूरा एक महीना होने वाला था ।
उस पर वरनाली का अरनव से बार - बार एक ही बात का कहना | कि उनकी बजह से ही माँ चली गयी |
यह बात अब , धीरे - धीरे अरनव के मन मैं घर करती जा रही थी | और अरनव देखते ही देखते गहरे सदमे मैं आता जा रहा था |
अरनव को इस तरह देख कर , वरनाली अब अपने मन मैं खुश रहने लगी थी | और निशांत अपनी पत्नी वरनाली की इस ख़ुशी का कारण नहीं समझ पा रहा था ।
निशांत , वरनाली के द्वारा उसके भाई के लिए रचाये जा रहे इस प्रपंच से पूरी तरह अनजान था । और वह नहीं जानता था | कि वरनाली , अरनव से इस तरह की बातें कर , उसे एक गहरी खाई की तरफ ले जा रही है |
जिसका अंजाम आगे चलकर बहुत बुरा भी हो सकता है ।
निशांत , अरनव को हमेशा से ही अच्छे से समझाया करता था । और इस मुश्किल घड़ी मैं भी , निशांत ने अपने भाई को , कभी अकेला नहीं छोड़ा था |
निशांत हर तरह से , अपने छोटे भाई को इस सदमे से बाहर निकालना चाहता था |
लेकिन कैसे ? निशांत तो अपनी पत्नी वरनाली , के मन मैं अरनव के लिए पल रही नफरत या गुस्से से बिल्कुल ही अनजान था ।
निशांत तो ये भी नहीं जानता था | कि उसी की पत्नी वरनाली ही उसके सारे प्रयासों को असफल करने मैं लगी हुई है |
निशांत , तो बस यही चाहता था | कि अरनव फिर से नार्मल हो जाये और वह वापस से पहले की तरह खुश रहने लगे | इसलिए निशांत , अरनव को इस सदमे से बाहर निकालने के लिए हर तरह से प्रयास कर रहा था |
वहीं वरनाली , इन सब के विपरीत अरनव को और भी ज्यादा गहरे सदमे मैं पहुंचाने मैं लगी हुई थी । जबकि निशांत क्या चाहता है ? इस बात को वह बहुत अच्छे से जानती थी |
वरनाली एक तरह से , अरनव कि मानसिक स्थिति को बिगाड़ना चाहती थी । अरनव ने , अभी तक बापस अपनी नौकरी भी ज्वाइन नहीं की थी ।
अरनव को अब अपनी जॉब से छुट्टी लिए हुए , एक महीना से भी ज्यादा समय हो गया था ।
लेकिन ! अब वह बहुत जल्द ही वापस अपनी जॉब पर जाने वाला था ।
इसी बीच , बड़ी बहन सारिका और उनके पति भी अरनव को समझाते रहते थे । साथ ही छोटी बहन भी अपने भाई से फोन पर रेगुलर बात करती रहती थी ।
अब कुछ ही दिनों मे अरनव ने , अपनी जॉब पर वापस जाना शुरू कर दिया था | और धीरे - धीरे उसकी मानसिक स्थिति भी , पहले से काफी सही हो रही थी ।
अरनव को इस तरह देख कर , घर मैं सभी बहुत खुश थे । खासकर निशांत | वह अपने भाई को , एक बार फिर से इस तरह नार्मल देख कर ! बहुत अच्छा महसूस कर रहा | और अब वह अरनव के लिए बहुत खुश भी था ।
लेकिन वरनाली को सभी की यह खुशी बर्दास्त नहीं हो रही थी ।
अब वह , हर समय मन ही मन यह सोचकर परेशान रहने लगी थी । कि अगर अरनव ठीक हो गया तो फिर से सब वही पुराना ! इन सब भाई - बहनो का प्यार शुरू हो जाएगा | जिसकी सबसे अहम कडी ये अरनव ही है l
लेकिन वरनाली , अब हाथ पर हाथ रख कर भी नहीं बैठ सकती थी । उसे कुछ तो करना ही था । जिससे उसके मन को शांति मिले।
अब हर पल , भाई - बहनों की इसी फिक्र मैं उसका मन बेचैन रहने लगा था |
अब वह , एक बार फिर अरनव से अकेले मैं माँ की बात करना शुरू करती है । माँ से जुडी हुए हर वो बात ! जिससे अरनव का अटैचमेंट था | वह अरनव से करने लगी थी |
अरनव , ना चाहते हुए भी भाभी वरनाली की उन सभी बातो से ! धीरे - धीरे वापस उसी मानसिक स्थिति मैं फिर जाने लगा था |
इस बार , वरनाली का यह प्रयास सफल भी हो रहा था | क्यूंकि अरनव पहले से तो , काफी हद तक सदमे से बाहर आ चूका था । लेकिन पूरी तरह नहीं ।
इसीलिए , वरनाली का यह वार ; इस बार काम कर गया था । और घर के बाकि सभी लोग , उनके पीठ पीछे चल रहे इस षडयन्त्र से अनजान थे |
वह वरनाली के द्वारा लाये जाने वाले , इस तूफान को समझ ही नहीं पा रहे थे ।
देखते ही देखते , वरनाली के अथक प्रयासों से अरनव फिर सदमे मैं जाने लगा था |
लेकिन इस बार वरनाली , अभी यहाँ रुकने वाली नहीं थी ।
एक दिन की बात है | अरनव शाम मैं , अपने कमरे मैं अकेला और थोड़ा परेशान सा बैठा हुआ था । अरनव के सिर मैं उस समय काफी तेज दर्द भी हो रहा था |
कि तभी वरनाली , अरनव के कमरे मैं अंदर आ जाती है | और अरनव से उस की तबीयत के बारे मैं पूछती है |
अरनव , भाभी वरनाली से अपने सिर मैं हो रहे तेज दर्द के बारे मैं कहता है I वरनाली मन ही मन खुश हो जाती है | और अरनव को एक दवा खाने के लिए देती है ।
वरनाली : - "अरनव भैया ! आप इस दवा को ले लो | इससे आपको अभी आराम मिला जायेगा । "
चुंकि , वरनाली पहले से ही जानती थी । कि अरनव भैया के सिर मैं दर्द है । इसीलिए वह पहले से ही अपने साथ वो दवा लेकर आयी थी | जो उसने उस वक्त अरनव को खाने के लिए दी थी |
अरनव ने भी सिर के तेज दर्द के कारण , वह दवा तुरंत ही खा लेता है |
( बिना यह देखे कि वह आखिर कौन - सी दवा है ? जो वरनाली ने उसे खाने के लिए दी है । )
थोड़ी देर मैं ही अरनव को अपने सिर दर्द मैं बहुत आराम मिलता है । और उसे तेज नींद आ जाती है । और वह हर रोज से काफी गहरी नींद मैं सो जाता है |
कुछ दिन बाद ( लगभग 7 - 8 दिन बाद ) . . . .
अरनव को फिर से सर मैं दर्द होने लगता है । तब भी वरनाली जान बूझकर अरनव को फिर वहीं दवा देती है ।
अरनव को फिर से उस दवा से , पहले से भी जल्दी आराम भी मिला जाता है ।
कुछ महीनों ( लगभग 2 - 3 महीनों तक ) तक ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहता है ।
और फिर एक बार की बात है |
अरनव को अचानक ही सिर मैं दर्द होने लगता है । उस समय वह स्कूल मैं बच्चों को पढ़ा रहा था । और धीरे - धीरे उसके सिर का दर्द बढ़ते हुए तेज होने लगता है ।
उस समय अरनव सकूल के पास ही के मेडिकल से , नार्मल पैन किलर लेकर खा लेता है ।
लेकिन अरनव ने महसूस किया | कि इस पैन किलर से उसे सिर दर्द बंद होने में बहुत टाइम लग गया । और उतना अच्छा फील नहीं हुआ । जितना उसे वरनाली के द्वारा दी गयी पैन किलर से हुआ था ।
क्यूंकि उसे पिछले कुछ महीनो से उस दवा को खाने की वजह से , उसकी आदत हो गई थी |
लेकिन सबसे पहले अरनव को जो सर मैं दर्द हुआ था । वह एक नार्मल सर दर्द जैसा ही हुआ था ।
( जैसे - स्ट्रेस से या नींद पूरी ना होने की बजह से जो सिर में दर्द होता है । वैसा ही | )
अरनव को सिरर मैं दर्द वैसे भी कम ही हुआ करता था I
लेकिन जब से अरनव ने वरनाली की दी हुई दवा खाई है | तब से यह सर दर्द अब अरनव को आये दिन होने लगा था | और बिना दवा के उसे अब आराम भी नहीं मिलता था |
लेकिन अरनव इस वक्त , अपना कुछ भी अच्छा - बुरा सोचने की हालत मैं नहीं था ।
जब अरनव के सर दर्द की प्रॉब्लम , हर 3 - 4 दिन मैं होने लगी थी । तब अरनव को सभी ने , एक अच्छे डॉक्टर को दिखाने का फैसला लिया ।
जिस पर अरनव की एक और बहन सरला ने , निशांत को अरनव को उसके यहाँ लाने के लिए कहा ।
( सरला और उसके पति दिल्ली मैं रहते थे । सरला और बाकि सभी यही चाहते थे । कि अरनव को एक अच्छे शहर मैं और एक अच्छे डॉक्टर को दिखाया जाये । )
क्यूंकि इस बहाने ! अरनव घर से दूसरी जगह जाएगा और कुछ दिन सरला के यहाँ रहेगा | तो उसका मन भी अच्छा हो जायेगा |
फिर निशांत , अरनव को लेकर ही सरला के यहाँ चले जाता है । जहाँ सरला और उसके पति , अरनव को एक अच्छे डॉक्टर के यहाँ दिखाने ले जाते है ।
डॉ. महेश ; दिल्ली के एक अच्छे डॉक्टर्स मैं से है । जहाँ , अरनव को दिखाने के लिए ले जाया गया था l
डॉ. महेश ! एक न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर है । उन्होंने अरनव का फुल बॉडी चैकउप किया और उन्होंने कुछ टेस्ट भी करवाये । और उन सभी रिपार्टस के मुताबिक सब कुछ नार्मल था ।
बस अरनव को थोड़ी स्ट्रेस की प्रॉब्लम थी । उसके अलावा अरनव को अपनी माँ के जाने की वजह से , जो सदमा पंहुचा था । उसकी वजह से वह अभी भी थोड़ा सिर दर्द की प्रॉब्लम अरनव को हो रही थी |
लेकिन डॉक्टर ने अरनव को कुछ दवाएं दी | जो उसे 3 - 4 महीने तक रेगुलर लेनी थी । बस . . . .
अरनव , अपनी बहन सरला के यहाँ ही कुछ दिनों के लिए रुक गया था । निशांत , अरनव की सारी दवाएं दिलाकर ! 4 - 5 दिन बाद वापस आ गया था ।
सरला के भी , दो छोटे - छोटे बच्चे थे । जिनसे अरनव का मन भी लगा रहता था । और उसे वहां अच्छा भी लग रहा था ।
अरनव को डॉक्टर ने जो दवा दी , उन दवाओ से अरनव को कुछ दिनों मैं ही बहुत आराम मिल गया था । और उसे सर दर्द मैं भी काफी आराम मिला ।
अब पहले की तरह उसे आये दिन सर दर्द नहीं हो रहा था । स्ट्रेस मैं भी आराम था । और इसी वजह से अरनव अपने मन को भी पहले से काफी शांत महसूस कर रहा था |
अरनव सरला के यहाँ , करीब - करीब बस एक महीने रहा था | फिर वह अपने घर बापस आ गया था ।
अरनव , जब घर वापस आया । तो वरनाली उसे पूरी तरह स्वस्थ देख कर बिलकुल भी खुश नहीं थी ।
( मानो जैसे - वरनाली के शरीर मैं आग सी लग गयी हो । )
अब तो वरनाली के सारे ही इरादों पर पानी फिर गया था । क्यूंकि अब सभी अरनव की पहले से भी ज्यादा केयर करने लगे थे । और उसे सभी का प्यार और अटेंशन भी मिल रहा था |
अब तो वरनाली का दिमाग टेंशन जैसे फटने को था । उसके दिमाग मैं चल रही उथल - पुथल , उसे अब एक पल के लिए भी शांति से रहने नहीं दे रही थी ।
वरनाली अब अपने ही घर मैं , चैन से नहीं रह पा रही थी ।
अरनव जब अपनी बहन सरला के यहाँ से ! वापस घर आया था । तब वहां से अगले एक महीने की दवा , सरला ने अरनव के साथ रख दी थी । और उसके आगे की दवा भी वहीं से आने थी ।
क्यूंकि उन दवाओं मैं से , कुछ ऐसी भी थी । जो सिर्फ वहीँ मिलती थी । आगे की दवाएं कूरियर से आनी थी ।
जब वरनाली को इस बात का पता चला । तो उसके दिमाग मैं फिर बहुत कुछ चलने लगा था । कि कैसे वह इस मौके का फायदा उठा सकती है ।
इस बीच ( वरनाली के टीचिंग करने से लेकर अभी तक । ) वरनाली ने पॉलिटिक्स मैं अपने इंट्रेस्ट की वजह से , ऐसे कुछ लोगो से अपनी जान पहचान बना ली थी । जिनसे कभी भी उसे कोई पहचान नहीं रखनी चाहिए थी ।
( क्यूंकि ... किसी ने सच ही कहा है । कि राजनीती एक गहरी और गंदी खाई है । जिसमे उतरना , हर किसी के बस की बात नहीं । राजनीती मैं हर तरह के व्यक्ति होते है । जिनसे आपको ना चाहते हुए भी , पहचान रखनी पडती है । एक तरह से राजनीती मैं उतरना सभ्य लोगो के बस का काम नहीं । या फिर यह राजनीती राजा महाराजाओं की विरासत है । )
और वरनली की पहचान भी कुछ इस तरह के लोगो से हो गयी थी । जिनकी समाज मैं गुंडा - गर्दी चलती थी | और उसी के बल पर उनकी पहचान थी |
लेकिन अब वरनाली के दिमाग मैं , बस एक ही बात आ रही थी । कि कहीं निशांत को उसके इस कारनामें का पता नहीं चल जाये । वरना निशांत उसे छोड़ेगा नहीं |
वरनाली अब अरनव कि दवा खत्म होने का ही , इंतजार कर रही थी । कि कब ये एक महीना पूरा हो । और वह अपनी चाल चले ।
जल्दी ही वरनाली का इंतजार खत्म हो गया था | अरनव की दवा का पैकेट , कूरियर से आ गया था । और इस बार किस्मत भी मानो जैसे उसके साथ थी ।
वरनाली का यह दाव काफी खतरनाक था । लेकिन वरनाली का दिमाग , उसे सब कुछ करने पर मजबूर कर रहा था ।
जिस समय अरनव की दवा का कूरियर आया था । उस समय सुबह के करीब 11 बज रहे थे ।
उस समय घर पर कोई भी नहीं था । उस दिन वरनाली और अरनव की स्कूल की भी छुट्टी थी ।
लेकिन अरनव भी उस समय बाजार गया हुआ था ।
इसलिए अरनव की दवा का पैकेट , सिर्फ वरनाली के हाथ ही लगा ।
( तब ऐसा लग रहा था वरनाली को जैैैसे ईश्वर और समय दोनों ही उसके साथ हो । )
आखिर कार , अब वो समय आ ही गया था । जब वरनाली को अपना दाव चलना था ।
वरनाली ने अरनव के लिए कूरियर मैं आयी , सारी दवाओं मैं से एक दवा बदल दी । और उसने उस दवा के बदले एक ऐसी दवा रख दी | जिसे कोई व्यक्ति , यदि लगातार कुछ समय तक ले | तो धीरे - धीरे उसकी मानसिक हालत बिगड़ने लगती है । और वह धीरे - धीरे डिप्रेशन का शिकार होता चला जाता है । ॥
अरनव के साथ भी इसलिए कुछ ऐसी ही घटना हुई ।
लगातार एक महीने तक , अरनव सारी दवाओं को लेता रहा और उस दवा को लेने से , अरनव भी अपनी हालत को समझ नहीं पा रहा था ।
अरनव को अब अपना सिर काफी भारी - भारी सा लगने लगा था I अब हर समय एक भारी पन सा था ।
अरनव के मन मैं , एक अजीब सा ही डर बैठ गया था l उसे अब चक्कर से आते रहते थे I
अरनव ने इस बारे मे अपनी छोटी बहन सरला से बात कि और कहा कि ;
" दीदी इस बार की दवा मुझे कुछ ठीक सी नहीं लग रही । इस बार डॉक्टर ने दवा बदल दी थी क्या ? "
अरनव ने सरला से कहा , कि उसे इस दवा को लेने से सर बहुत भारी - भारी लगता है ।
सरला : - " अरनव हो सकता है | कि डॉक्टर ने दवा बदल दी हो । पिछली बार तो सब ठीक लग रहा था ।
वैसे भी ये एक महीना तो पूरा हो ही गया है । और अगले महीने कि दवा मैंने भेज दी है | फिर 3 महीने पूरे हो जायेंगे | फिर तो डॉक्टर ने दिखाने के लिए कहा ही है । इस बार और खा कर देख लेना | शायद अच्छा लगे ।
अरनव : - " हां ठीक है दीदी | "
अरनव को भी यही सही लगा ।
अगले महीने की दवा , जो सरला ने भेज दी थी । वह अब आने ही वाली थी ।
वरनाली को अब उस कूरियर का इंतजार था | और एक तरह से वरनाली को अब , इस बात का डर भी लग रहा था । क्यूंकि पिछली बार तो किस्मत ने उसका साथ दे दिया था । लेकिन हर बार ऐसा हो , ये संभव नहीं था ।
वरनाली को यही डर था I कि कूरियर अगर किसी और के हाथ लग गया या फिर किसी और को मिला गया । तो उसका पूरा प्लान चौपट हो जायेगा ।
लेकिन पिछली बार की तरह इस बार , किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया । और इस बार दवा का कूरियर , सीधे निशांत को मिला ।
( जब कूरियर वाला आया था | तब निशांत वहीँ था । तो निशांत ने ही दवा का पैकेट ले लिया था । )
अब वरनाली को , निशांत से कैसे भी वह पैकेट लेकर दवा बदलनी थी । और वह भी पैकेट को अरनव के खोलने से पहले | नहीं तो अरनव दवा पहचान जाता । और फिर वरनाली के लिए , उस दवा को बदलना बहुत मुश्किल हो जायेगा ।
वरनाली , अब कोई बहाना ठूँठ रही थी । कि उसे वह पैकेट कैसे मिले , और निशांत को उस पर शक भी ना हो ।
जब तक , वरनाली बस ये सोच ही रही थी । कि निशांत का फ़ोन आ जाता है । और वह दवा के पैकेट को , टेबल पर रख कर बाहर फ़ोन पर बात करने के लिए चला जाता है |
अब तो वरनाली की ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा । और अब वरनाली थोड़ी भी देर किये बिना जल्दी से दवा के पैकेट मैं से ; उस दवा को बदल कर दूसरी दवा रख देती है । जिससे कोई उसे देख ना ले ।
निशांत फ़ोन पर बात करके जैसे ही आता है |
वरनाली : - (तुरंत ही निशांत से कहती है | ) " आप जल्दी से अरनव भैया को ये पैकेट दे आओ I उनकी दवा का समय हो गया है । "
निशांत : - " हॉ में तो फोन के चक्कर में भूल ही गया था | "
निशांत , दवा का पैकेट लेकर जल्दी से अरनव के पास पहुंच जाता है ।
क्यूंकि निशांत यह बात अच्छे से जानता था ।
दिल्ली मे डॉक्टर ने उसके सामने ही कहा था , कि दवा हर रोज एक ही निश्चित समय पर लेनी होंगी । नहीं तो दवा लेने से कोई फायदा नहीं होगा । और अरनव की दवाई भी ख़तम हो चुकी थी ।
निशांत तुरंत ही अरनव के कमरे में गया । और उसे दवा खिलाई ।
पिछली बार की तरह इस बार भी , किस्मत ने वरनाली का साथ दिया । और वह अपने इरादों में इस बार भी सफल रही |
लेकिन इसकी वजह से , कुछ ही दिनो में अरनव की तबीयत ज्यादा खराब होने लगी । और देखते ही देखते वह ज्यादा ही तनाव में रहने लगा ।
पिछले कुछ दिनो से अरनव ने स्कूल जाना भी बंद कर दिया था |
वरनाली अब अपना अगला दाव , चलने वाली थी ।
अब वह निशांत को कुछ दिनों से लगातार एक ही बात कहने लगी थी |
कि अरनव भैया की तबीयत , अब ठीक नही रहती है । इस डॉक्टर की दवा , उन्हें सही सूट नहीं कर रही है I हमें उन्हें , किसी दूसरे अच्छे डॉक्टर को दिखाना चाहिए |
निशांत भी देख रहा था I कि अरनव ठीक नही हैं । और उसने इस बारे में अरनव से बात भी की थी | अरनव ने भी यही कहा था निशांत से | कि वह अच्छा महसूस नही कर रहा है | इसीलिए उसने कुछ दिनो से स्कूल जाना भी बंद कर दिया है l
तभी वहाँ सारिका का आना होता है | वह भी निशांत से यहीं कहती है | कि हमे अरनव को किसी और डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए |
लेकिन इस बार वरनाली चाहती थी । कि अरनव भैया को किसी साइकोलॉजि वाले डॉक्टर को दिखाया जाए | वही सही डिप्रेशन का इलाज कर पाएंगे । वरना उनकी हालत और बिगड़ जाएगी l
सभी वरनाली की इस बात से सहमत थे | और अरनव को उसके बताए डॉक्टर को दिखाने के लिए तैयार हो गए थे | अब क्या था | जैसे - वरनाली की तो हर सोच पूरी हो रही थी |
वह अरनव की जिंदगी को अब पूरी तरह से बर्बाद करने पर तुली हुई थी । और सभी वरनाली के इस काले चेहरे की हकीकत से पूरी तरह अंजान थे |
अगले ही दिन निशांत , अरनव को डॉक्टर को दिखाने के लिए ले जाता हैं । वह उसे एक अच्छे साइकोलॉजी डॉक्टर के पास ले जाता हैं | जो वरनाली ने बताया था |
वहाँ डॉक्टर , अरनव की पुरानी दवाई और सारी रिपोर्टस देखता है |
लेकिन वरनाली यह बात भूल जाती है । और निशांत , जो अपने भाई के लिए बहुत परेशान था । वह उन दवाओ को भी अपने साथ मे ले जाता है l जिन्हें अरनव पिछले दो महीनो से ले रहा था |
( निशांत बिना किसी को बताए वो सारी दवाईयां अपने साथ ले जाता है | )
क्यूंकि निशांत को भी अंदर से यही लग रहा था | कि कही न कहीं इन दवाओं में ही कुछ गड़बड हैं | वरना पहले तो अरनव ठीक हो रहा था । लेकिन , वह इस बारे में पूरी तरह स्योर नही था |
लेकिन अब साइको लॉजी के डॉक्टर ने निशांत की यह बात कन्फर्म कर दी । कि अरनव इतने दिनों से , जो दवा ले रहा था । उनमे से एक दवा उस डॉक्टर की लिखी हुई नही है ।
वह एक ऐसी दवा है जो किसी नॉमर्ल इंसान को भी पागल कर सकती है ।
साइकोलॉजी के डॉक्टर ने , अरनवका फुल बाँडी चैक - अप किया । और पाया कि अरनव पूरी तरह स्वस्थ है । बस इन दवाओ की वजह से उसके दिमाग पर जो असर हुआ हैं l उसे खत्म करने के लिए उस डॉक्टर ने कुछ दवा लिखकर दी | और अरनव को पूरी तरह , कुछ दिन आराम करने के लिए भी कहा |
अब निशांत के दिमाग मे रह - रह कर एक ही बात आ रही थी | कि अरनव के पास ये गलत दवा आई कैसे ?
आखिर किसने अरनव के साथ ऐसा करने की कोशिश की होगी ? क्या वह कोई घर का ही है ?
एक पल के लिए निशांत का शक , वरनाली पर ही गया । लेकिन फिर निशांत के मन में यही आया | कि वरनाली अब बदल गयी है | वह ऐसा अब नही कर सकती I
बेवजह और बिना किसी सुबूत के उस पर शक करना ठीक नही है | वह तो अरनव को अपने भाई जैसा मानती है |
निशांत ने घर पर आकर सभी को यह बात बताई । जिसे सुनकर वरनाली पूरी तरह घबरा गई थी |
( वरनाली को डर था | कि कही किसी को भी , उसके इस कारनाम के बारे में गलती से भी पता चल गया तो I इस बार वह पक्का नहीं बचेगी । इसलिए उसके मन की यह घबराहट , बढती ही जा रही थी l )
लेकिन घर में किसी का भी शक , वरनाली पर नही गया । क्यूंकि वरनाली ने तब से अभी तक सभी के सामने कोई गलत काम नहीं किया था |
( जब सारिका के घर पर उसे , उसकी गलती के लिए समझाया गया था | तब से अभी तक । )
इसलिए वरनाली को , अब यह बात समझ में आ गयी थी । कि अगर अब उसने कोई भी चालाकी की तो अब वह उस पर भारी पड सकती हैं |
इसलिए वरनाली , अब पूरी तरह शांत पड़ गयी थी । और अब अरनव की हालत भी पहले से काफी सुधर रही थी l
वरनाली का डर ही उसे खुद को शांत रखने के लिए काफी था । लेकिन सिर्फ दो से तीन महीनों के लिए ही I
अब अरनव को जल्द ही ठीक होता देखकर , वह अंदर ही अंदर घुट रही थी l
अरनव की शादी के लिए रिश्ते आने लगे थे अब । लेकिन वरनाली नहीं चाहती थी । कि अरनव की शादी हो । क्यूंकि अब वह अरनव को अपनी प्रोपर्टी में से एक फूटी कौड़ी भी नहीं देना चाहती थी l
चूंकि निशांत का बड़ा भाई पहले ही अलग हो चुका था |
कुछ ही समय में निशांत ने गाँव की जमीन के साथ - साथ वही शहर में अपना एक स्कूल भी खोल लिया था । ( स्कूल नर्सरी से 8 तक था । ) अब वरनाली अपने ही स्कूल में पढ़ाया करती थी । और कभी - कभी अरनव भी |
कई रिश्ते आने के बाद भी अरनव , शादी नहीं करना चाहता था । क्यूंकि उसे अभी भी , कभी - कभी अपनी माँ की मौत का सदमा अंदर ही अंदर खाये जाता था ।
इसलिए वह किसी से भी , शादी नही करना चाहता था ।
लेकिन फिर अरनव को क्या पता था ? कि उस की शादी भी , उसके जीवन का एक अहम पहलू था । और उसकी मौत का भी I
जानने के लिए आगे पढ़ते रहे . . . . . . . . और मेरी नॉबल आपको अच्छी लगे तो Please Like करे