देविका . . . . देविका उठो ! सुबह हो गई . . . .
( देविका के बड़े भाई अमित , देविका को अगले दिन सुबह , नींद से उठाते हुए आवाज लगाते है | )
देविका भईया की आवाज सुनकर अपनी ऑखे खोलती है | और वो अपने सामने भईया को देखकर ! चौंक जाती है l
" अरे भईया ! आप . . . . "
[ देविका भईया को देखकर तुरंत ही बेड से उठते हुए भईया ले कहती है | ]
अमित : - " चलो उठो , चाय पी लो . . . . देविका | "
देविका : - " भईया ! आप क्यूं परेशान हुए . . मैं खुद आ जाती l
भईया ! वो रात को ठीक से नींद नही आयी . . . . इसलिए अभी तक मेरी आँख ही नही खुली । "
अमित : - " अरे पगली ! कोई बात नही . . . तुझे तो अब आराम ही करना चाहिए |
मैंने तो तुझे बस इसलिए उठाया | क्यूंकि ! बहुत दिनो से में तुझसे कुछ बात करना चाहता था | और फिर में ऑफिस के लिए निकल जाता | इसलिए मैं ही चाय लेकर आ गया |
खैर . . . . . . "
( ये कहते हुए भईया ने एक लंबी सांस ली . . . )
अमित : - " और क्या में . . . . अपनी बहन के लिए ! चाय भी नहीं ला सकता ? "
( भईया हंसते हुए . . . देविका के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहते है | )
देविका भी भईया को हंसता हुआ देखकर , उनकी ओर स्माइल करती है और पूछती है |
" क्या बात करनी थी | भईया आपको ? "
अमित : - " देविका मैं तुमसे . . . सॉरी कहना चाहता था |
देविका : - " किस बात के लिए भईया ? "
[ देविका भईया की आश्चचर्य से देखते हुए पूछती हैं । ]
अमित : - " शादी से पहले ! एक दिन , जब मैंने तुम्हें विकास के साथ देखा था | अकेले . . . . उस दिन मैंने तुमसे , कुछ ज्यादा ही कह दिया था |
लेकिन देविका ; मैं क्या करता ?
मैं अपनी बहन को इस तरह , किसी गुंडे या अनजान लड़के के साथ ! अकेले नही देख सकता था | "
देविका भईया की बांते चुप - चाप सुन रही थी |
[ ये उसी दिन की बात है | जो देविका ! कल रात ही सोच रही थी | ]
अमित : - " उस दिन , मैने तुम्हें डाँट तो दिया था | लेकिन बाद में मुझे बहुत बुरा लगा |
में तुमसे ! इस तरह कभी भी बात नहीं करना चाहता था |मैंने . . . हमेशा तुम्हें ! अपनी बेटी की तरह पाला हैं l और तुम ही बताओ अपनी बेटी के साथ गलत होते हुए , मैं कैसे देख सकता था ? "
देविका इस वक्त भईया की बात को समझने की कोशिश कर रही थी |
अमित : - " बाद में . . . उस लड़के के बारे में ! मैंने पता भी किया था । लेकिन . . . वो लड़का ठीक नहीं था देविका ।
उसके पिता को , महेश अंकल अच्छे से जानते हैं |
[ महेश , अमित के सीनियर ऑफिसर है | ]
विकास के पिता एक कान्ट्रेक्टर है |
और उन्होने अपने दोनों बेटो को शहर मे गुंडागर्दी करने के लिए खुली छूट दे रखी हैं l उनके पास खानदानी पैसा है l इसलिए ! वो लड़का ज्यादा कुछ पढ़ता - लिखता नही था |
देविका , अरनव एक बहुत अच्छा लड़का है | बहुत सीधा है और इन्टेलीजेंट भी है | वो एक अच्छा पति भी होगा |
अरनव तुम्हें बहुत खुश रखेगा . . . हमेशा . . . I "
[ इतना कहकर , अमित वहाँ से चले जाते है | ]
देविका को , भईया की बातो ने ! पूरी तरह अंदर तक झकझोर कर रख दिया था l और अरनव के बारे में , भईया ने जो कुछ भी कहा , वह सच था | ये बात तो देविका भी जानती थी ।
लेकिन . . . इन बातो से , देविका का मन बहुत हल्का हो गया था l और अब वह यही सोच रही थी | कि अच्छा हुआ जो उसकी शादी ! विकास की जगह अरनव से हुई |
( देविका ! अब अपनी शादी से बहुत खुश थी | लेकिन उसे ये नही पता था कि उसकी ये खुशी ज्यादा दिन तक नहीं चलने वाली है | )
तभी 2 - 3 दिन बाद . . . .
देविका ! अपनी भाभी के साथ market गई थी | कि तभी , उस दिन बाजार में जिस shop से सामान खरीद रही थी | उसी शोप पर विकास भी कुछ सामान ले रहा था । और तभी उसकी नजर देविका पर पड़ती है l
विकास , देविका के पास खड़ी उसकी भाभी को देखे बिना ही देविका के पास आ जाता है l और देविका की ओर देखते हुए ; उससे बडे ही आश्चर्य से कहता है |
" देविका ! तुम यहीं हो I "
देविका आवाज सुनकर पीछे पलटकर देखती है | और वहाँ विकास को देखकर चौंक जाती है |
देविका : - " हाँ . . . हां . . . "
[ देविका बहुत घबराते और कांपते हुए विकास से हाँ कहती है | ]
भाभी : - " कौन है ये दीदी ? "
देविका : - " कोई नहीं भाभी ! हम स्कूल में एक ही class मे साथ पढे थे | बस . . . आज बहुत साल बाद अचानक मिलना हुआ । "
विकास : - " मैं चलता हूँ ! बाय . . . "
( देविका की भाभी को देखकर विकास कुछ सोच कर उस वक्त वहाँ से चला जाता है | )
विकास के जाने के बाद . . . .
देविका : - " उफ . . .फ . . . फ . . . . "
( देविका चैन की सांस लेते हुए ! अपने मन में सोचती है | शुक्र है कि वो यहाँ से जल्दी चला गया | वरना विकास अगर आगे कुछ भी और कह देता तो भाभी को शक हो जाता | और फिर भईया को . . . . औड अभी तो मुश्किल से सब ठीक हुआ है | )
थोड़ी ही देर में देविका और भाभी घर आ जाती है | देविका घर आ कर अपने रूम में थोड़ी देर आराम करने के लिए आ जाती है |
लेकिन , देविका को मन ही मन टेंशन भी हो रही थी |
( थोड़ी देर बाद देविका kitchen में आती है | और अपनी भाभी से कहती है । )
" भाभी , आज मैं कुछ बनाती हूँ खाने मैं | बताओं क्या बनाऊं ? "
देविका , भाभी से कहती है |
भाभी : - " क्या बात हैं दीदी ? आज तो बहुत अच्छा मूड लग रहा है आपका | कहीं जीजा जी से बात करके तो नही आ रही हो I "
( भाभी , देविका को छेड़ते हुए कहती है | )
देविका : - " नहीं भाभी ! आप जैसा सोच रही है ना वैसा कुछ भी नहीं है | "
( देविका भाभी की ओर देखकर मुस्कुराते हुए कहती है । फिर पलटकर एक गहरी लंबी सांस लेती है | )
देविका मन ही मन सोचने लगती है |
ये भाभी भी ना जैसे - तैसे अपना मूड ठीक करके आयी थी मैं | और ये सर तो दर्द से फटा जा रहा है मेरा |
देविका : - " भाभी . . आप मेरे लिए ! थोड़ी सी अदरक वाली चाय बना देंगी ? "
भाभी : - " हाँ दीदी ! अभी बना देती हूँ | "
चाय पीकर देविका को अपने सिर दर्द में थोड़ा Relax feel होता है |
फिर रात के करीब 9 : 30 बजे , सभी लोग खाना खाकर अपने - अपने रूम में चले गए थे |
देविका भी अपने रूम में , खाना खाकर आराम कर रही थी | तभी उसके फोन की रिंग बजती है |
देविका : - " जरूर ये विकास का ही फोन होगा । "
( देविका फोन देखे बिना ही , अपने मन में मोबाइल की रिंग बजते ही सोचने लगती है | )
" मैं अब उसका फोन नहीं उठाऊंगी | चाहे कितना भी बार - बार बजता रहे | "
( देविका बार - बार फोन आने पर , अपने दिमाग को जोर देकर समझाते हुए मन में कहती है । )
फोन लगातार 3 - 4 बार , बार - बार बज रहा था | फिर मोबाइल की रिंग बंद हो जाती है | और देविका वापस रिलेक्स होकर बेड पर लेट जाती है |
लेकिन देविका का सारा ध्यान बार - बार अपने फोन पर ही जा रहा था | और आखिर कार वो बेसब्री से अपना फोन उठा ही लेती है | और Missed call देखती है |
" oh my god मैं भी ना ! कितनी बडी पागल हूँ | विकास के अलावा , मेरे दिमाग मे कुछ और घूम ही नहीं रहा है | shit Yaar ये अरनव का call आ रहा था | वो भी इतनी देर से . . . "
फिर देविका तुरंत ही अरनव को कॉल करती हैं |
अरनव कॉल रिसीव करते ही देविका से कहता है |
" कहां खोयी हुई हो मैडम ? मायके पहुँच कर तो तुम भूल ही गयी मुझे | "
देविका : - " अरे नही ! में वो बस सबके साथ बैठी थी | इसलिए फोन नही देखा | "
अरनव : - " ये क्या मे , वो , बस कर रही हो | में तो मजाक कर रहा था | "
अरनव का ये जबाब सुनकर देविका के चेहरे पर एक दबी हुई सी मुस्कान आ जाती है |
फिर दोनों ही काफी देर तक हंसी - मजाक की बातें करते रहे | और एक घंटे बाद देविका , अरनव से कहती है |
"अब मुझे नींद आ रही है | में सो रही हूं | "
अरनव : - " ओके ! तुम आराम से सो जाओ | Good night "
देविका अपना मोबाइल फोन साइड रख देती है | वो बहुत थकान महसूस कर रही थी | और फिर वह सोने की कोशिश करती हैं |
तभी मोबाइल फोन की मैसेज टोन बजती है |
देविका फोन चैक करते हुए . . . .
" देखूं किसका मैसेज है | "
( देविका के फोन मे unknown number से मैैैैसेज लिखा आता है | )
" हाय देविका ! क्या तुम सो गई ? "
देविका : - " अब यें कौन है ? अननोन नंबर से . . . "
देविका सोच में पड़ जाती हैं | इतनी रात को मुझ ऐसे मैसेज करके कौन पूछ सकता है |
तभी एक बार फिर मैसेज टोन बजती है |
" प्लीज रिप्लाई करो । "
देविका ये मैसेज पढकर थोड़ा शॉक्ड हो जाती है | और मन ही मन सोचती है कि आखिर कौन हो सकता है ऐसा ?
देविका एक मैसेज टाइप कर send करती है ।
" कौन हो आप ? "
कुछ seconds में ही देविका के मैसेज का Reply आ जाता है |
" सॉरी देविका में फिर एक नये नंबर से , तुम्हे मैसेज कर रहा हूं | मैं विकास हूँ देविका ! मुझे तुमसे बात करनी हैं | "
कुछ second के लिए देविका सोचने लगती है | कि विकास आखिर अब क्या चाहता है | जो इतनी रात को भी मुझे मैसेज कर रहा है |
फिर देविका फोन उठाकर विकास को मैसेज टाइप करती है |
" लेकिन , मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी विकास | "
विकास : - " पर क्यूं ? प्लीज देविका ! मुझे बस एक बार तुमसे बात करना हैं I प्लीज , यार . . . "
देविका : - " क्यूं परेशान कर रहें हो तुम मुझे ? "
विकास : - " मैं तुम्हे परेशान नही करना चाहता हूं देविका , पर में तो खुद परेशान हो रहा हूँ | इसलिए तुमसे बस एक बार बात करना चाहता हूं में | प्लीज मान जाओ | "
विकास के इतने insist करने पर देविका मान जाती है | और विकास को मैसेज से कहती है |
" क्या बात करनी है तुम्हे ? बोलो . . . "
विकास : - " इस तरह नही ! तुम यहीं हों ना अभी , क्या हम एक बार मिल सकते है ? "
देविका : - " तुम पागल हो गये हो क्या ? इतनी रात को तुम्हें मुझसे ये बात करनी थी | तुम क्यूं मेरे पीछे पड़े हो ? मुझे नही मिलना तुमसे | "
( देविका को , विकास का उससे मिलने के लिए कहना उसे अच्छा नही लगा | क्यूंकि विकास के साथ देखने पर ही भईया ने उसे बहुत डांटा था । )
देविका : - " तुम मुझे अब फोन नहीं करोगे और न ही कोई मैसेज I में अब सो रही हूं |
विकास : - " देविका सुनो ! देविका प्लीज , बस एक बार मुझसे मिल लो |
क्या तुम मेरे लिए इतना नही कर सकती ? "
देविका कोई रिप्लाय नही करती हैं l और मन ही मन गुस्से में खुद से कहने लगती है | कि आखिर क्यूं ये मुझे बार - बार परेशान कर रहा हैं | अब क्या चाहता हैं और मुझसे ?
क्या देविका , विकास से मिलने जाएगी या नही ?
आखिर क्यूं विकास , देविका से मिलना चाहता है । क्या वो उससे मिलकर अपनी गलती के लिए सॉरी बोलना चाहता है | या फिर कुछ और ही वजह है |
जानने के लिए आगे पढ़ते रहे . . . . . .