देविका शाम होते ही अपनी प्लानिग के अनुसार , घर के सभी मेम्बर्स को फोन करना शुरू करती है |
जैसे - अरनव के सबसे बडे भाई बलराज को , सारिका दीदी को , और अरनव के पिता से पूछना | और सभी को इस तरह दिखाने की कोशिश करती है | कि उसे अरनब की बहुत फिक्र हो रही है |
देविका , सारिका दीदी और उनके बेटे को बुलाकर अरनव को पूरे शहर में ढूंढने का नाटक करती है |
जैसा कि उसने अपने बयान में पुलिस को बताया था |
उधर शाम के 7 बज चुके थे | और अरनव पिछले 5 घंटे से विकास के अलावा , वहाँ मौजूद उस एक और आदमी के इंजेक्शन लगाने की वजह से बेहोश पड़ा हुआ था |
लेकिन . . . . थोड़ी ही देर बाद , अरनव को होश आने लगता है | और वो धीरे - धीरे अपनी आँखे खोलता है | चारों तरफ उसे अंधेरा ही अंधेरा दिखाई दे रहा था | बस एक खिड़की में से , बाहर से सूरज ढलने की हल्की सी रोशनी आ रही थी | अरनव को अपना सिर काफी भारी लग रहा था |
अरनव महसूस करता है कि वो जमीन पर सीधा लेटा हुआ है | और उसके दोनों हाथ और पैर , फिर से रस्सी से बंधे हुए थे |
अरनव धीरे - धीरे उठने की कोशिश करता है | लेकिन अरनव को थोड़ा भी हिलने पर अपने शरीर में ; बहुत दर्द महसूस हो रहा था | उसका सिर जैसे किसी चीज से टकराने पर दर्द होता है ! वैसा ही दर्द महसूस कर रहा था |
अरनव अंधेरे में बहुत मुश्किल से जैसे - तैसे , उस रूम की दीवार से टिकने की कोशिश करता है | जहाँ अरनव को बांध कर रखा गया था | तभी खिसकते हुए अरनव का पैर किसी चीज से टकराता है | और उस सामान के गिरने की आवाज आती है |
वही पास में लोहे के सरिया रखा होने की वजह से जब वो सामान गिरता है | तो उन लोहे के सरियो की आवाज आ रही थी | फिर अरनव अपने पैर से टकरायें उस सामान को महसूस करने की कोशिश कर रहा था |
तभी वहाँ किसी के जूतों की आवाज आती है | जैसे कोई सीढ़ियो से चढकर ऊपर की तरफ आ रहा हो |
खट . . . . खट . . . . . खट . . . .
वो इंसान अपने हाथ मे टोरच लिए , अरनव की ओर ही आ रहा था | और फिर उस रूम की लाइट ऑन होती है ! जहाँ अरनव बैढां हुआ था |
वहाँ दो लोग थे | एक वो गुंडा जिसने अरनव को किडनेप किया था ; जिसके हाथ में उस समय टोर्च थी । और दूसरा विकास ! जो लाइट ऑन होने के बाद साढ़ियो से चढ़कर अरनव की ओर आ रहा था |
लाइट ऑन होने के बाद , अरनव ने रूम में देखा ! उसके पैर से टकरा कर : जिस चीज के गिरने की आवाज आयी थी | वो एक चेयर थी ! और उसके पास दो लोहे के सरिया रखे हुए थे | और एक पानी की बोतल और गिलास |
अरनव अपने शरीर में हो रहे दर्द की वजह से खुद को देखता है | उसका पूरा शरीर , उसके पैर पूरी तरह जख्मी हो रहे थे | उसके पैरों में जगह - जगह से खून निकल रहा था | जैसे किसी ने उसे बहुत बेरहमी से पीटा हो |
उस समय जब विकास और वो किडनेपर , अरनव की ओर आ रहे थे ! वो बहुत डरा हुआ था | रात हो गई थी | चारों ओर बस एक सन्नाटा सा फैला हुआ था |
विकास दूर से ही हंसते हुए , अरनव के पास आता है | और चेयर को उठाकर बैठ जाता है |
विकास : - " कैसे हो अरनव जी ? कैसी रही आपकी खातिरदारी ? बेचारा अरनव . . . . . "
और विकास जोर - जोर से अरनव की इस हालत को देखकर हंसने लगता है | तभी विकास के मोबाइल की रिंग बजती है | और विकास अपने फोन पर show हो रहे नंबर को , अरनव को दिखाते हुए कहता है |
विकास : - " तुम्हारी पत्नी को मेरे बिना चैन नही मिलता । देखो फोन आ रहा है उसका ! अपने पति की खबर लेने के लिए । "
विकास , देविका का कॉल रिसीव करता है | और अरनव को देविका की कही बाते सुनाने के लिए अपने फोन को स्पीकर पर रखता है |
विकास : - " हेलो देविका ; कैसी हो ? "
देविका : - " में ठीक हूं विकास | और अरनव . . . . वो कैसा है विकास ? "
विकास : - " उसकी तो अच्छे से खातिर दारी हो चुकी है | आखिर मेहमान है वो हमारे | लो तुम बात करो उससे । "
देविका : - " विकास रूको . . . नही "
इससे पहले कि देविका , अरनव से बात न करने के लिए ठीक से मना कर पाती | विकास जानबूझ कर देविका की अरनव से बात करवाता है |
अरनव : - " तुमने मेरे साथ ऐसा क्यूं किया देविका ? ये लोग मुझे यहां क्यूं लाये है | तुम सब जानती थी , तुम्हे थोडी भी शर्म नहीं आयी | में तुम्हे कभी माफ नहीं करूंगा देविका | इसकी सजा तुम सबको मिलेगी |
देखना तुम ! एक निर्दोष व्यक्ति को इस तरह परेशान करने पर तुम सब जेल जओगे | "
अरनव , अपनी आँखो में आंसु भरते हुए ; देविका से कहता है |
देविका , अरनव से बात नहीं करना चाहती थी | क्यूंकि वो आखिर अब किस मुंह से बात करती | आज जो कुछ भी अरनव के साथ हो रहा था और जो कुछ भी आगे होने वाला था | उसकी जिम्मेदार देविका ही तो थी |
विकास : - " अरे . . . अरे . . . अरनव जी | आपसे मैंने तो बस बात करने की कहा था | ना कि इस तरह की बाते करने की | आपने तो मौका मिलते ही Law ही पढ़ाना शुरू कर दिया हमे | "
विकास , देविका से इस तरह बात करने पर अरनव से कहते हुए फोन स्पीकर से हटा देता है |
विकास : - " में तुमसे बाद मे बात करता हूँ | ok देविका Darling | "
विकास , जानबूझकर अरनव को चिढ़ाते हुए उसके सामने देविका से Darling कहता है | और call काटते हुए फोन को अपने पेंट की जेब में रख लेता है |
विकास : - " हाँ तो आप क्या कह रहे थे अरनव जी ! हमे जेल होगी | और वो कौन करवाएगा हमें ? हमम . . . . . . तुम ? "
अरनव से बहुत attitude मे कहते हुए , विकास तेज आवाज में हंसने लगता है |
हा . . . हा . . . हा . . . .
विकास को इस तरह घमंड में हंसता हुआ देखकर अरनव कहता है |
" जितना हंसना है हंस लो विकास ! लेकिन ईश्वर यहीं है | और वो जानते है कि मैंने किसी का बुरा नहीं किया है | वो ही तुम्हें इस किए की सजा देंगे | "
विकास : - " अच्छा ! ठीक है वो सब तो हम देख लेगे | लेकिन तुम देख पाओगे या नही ये कहना थोड़ा मुश्किल है | और रही बात मेरी , तो तुम अभी तक जानते नही हो कि में कौन हूँ ? "
अरनव : - " तुम कोई भी हो विकास ! गुंडा या कोई छटा हुआ बदमाश ; मुझे इससे कोई मतलब नही । लेकिन तुमने जो मेरी हालत की है | उससे तो तुम एक शैतान और एक पापी ही लगते हो | "
अरनव की ये बाते सुनकर विकास को गुस्सा आ जाता है | लेकिन अभी वो अपने गुस्से को कंट्रोल करके अरनव से कहता है |
विकास : - " लगता है अभी अच्छे से खातिर दारी नहीं हुई तुम्हारी | मॉन्टी , इस बार और अच्छा डोज देना | और वो भी होश में | "
अरनव को बेहोशी का इंजेक्शन देने के बाद , उन लोहे के सारियो से बुरी तरह पीटा गया था | इसलिए उसके पैरो से खून निकल रहा था | उसके पूरे शरीर पर चोंटे थी |
विकास की ये बात सुनकर अरनव
" तुम मुझे क्या मारोगे ? तुम तो खुद मरे हुए हो तभी तो ऐसा काम कर रहे हो | "
विकास : - " अरे ! अरनव जी आप तो नाराज हो गए | छोडिये न ये सब ! बस एक दिन और बचा है आप पर , उसे तो अच्छे से जी लीजिए | "
फिर विकास , ऊपर आसमान की ओर देखकर कहता है |
" फिर तो आप हमेशा के लिए . . . .
ॐ शांति . . . शांति . . . "
अरनव ; विकास की ये बात सुनकर कुछ देर के लिए शांत हो जाता है । और मन ही मन सोचने लगता है कि विकास ने अभी उससे ये कहा ! कि उसके पास बस एक ही दिन और है | उसके बाद मे हमेशा के लिए . . . | और फिर विकास ने ऊपर की ओर क्यूं देखा ?
क्या एक दिन बाद ये लोग मुझे मारने वाले है ?
ये सोच - सोच कर अरनव का गला सूखने लगता है |
" हे ईश्वर में क्या करूं अब ? ये लोग तो कल मुझे मारने वाले है | मुझे कैसे भी करके यहां से भागना होगा बस वो भी आज ही । "
विकास : - " शायद तुम्हे डर लग रहा है | है ना अरनव ? "
अरनव : - " मुझे प्यास लगी है | मुझे पानी पीना है | "
विकास हंसते हुए , उस दूसरे आदमी से कहता है |
विकास : - " अरे भाई ! आइए जल्दी . . . . . तुमने सुना नहीं मॉन्टी ? हमारे अरनव जी को प्यास लगी है भई | "
वो दूसरा व्यक्ति विकास के ये कहते ही भागकर आता है | और वहीं पास में रखी बोतल को खोलकर अरनव को पानी पिलाने लगता है | तभी विकास उस पर जोर से चिल्लाता है और कहता है |
" ये तुम क्या कर रहे हो ? "
ये सुनकर अरनव और मॉन्टी दोनो ही डर जाते है |
मॉन्टी : - " क्यूं क्या हुआ सर ? "
विकास : - " अरे मॉन्टी भाई ! अरनव जी को बोतल पकड़ने के लिए दे दो | और पहले उनके हाथ तो खोल दो । फिर तरीके से गिलास में पानी दो | आखिर गेस्ट है वो हमारे l "
अरनव को विकास की बातो से कुछ गड़बड़ तो लग रही थी | लेकिन उसका गला इतना सूख रहा था । कि वो अभी बस पानी पीना चाहता था | और बिना कुछ सोचें बोतल पकड़ लेता है |
मॉन्टी , अरनव के हाथ खोलता है | और फिर उसके हाथ से बोतल लेकर उसे एक गिलास में पानी देता है |
अरनव गिलास से पानी पीते हुए , आस - पास चारो ओर देखता है | उस जगह का हर एक कोना देखने की कोशिश करता है | जिससे मौका मिलने पर वो वहाँ से भाग सके |
लेकिन , विकास ने अरनव को पानी पिलाने के बहाने उसके fingerPrints बोतल और गिलास पर ले लिए थे | जो बाद मे पुलिस कोर्ट मिले थे |
फिंगर प्रिंट लेने के लिए ही विकास ने मॉन्टी को अरनव को बोतल देने के लिए कहा था | फिर गिलास से पानी देने के लिए |
विकास : - " अच्छा अरनव जी ! तो अब हम चलते है | आप आराम कीजिए | थोड़ी देर बाद आपकी फिर खातिर दारी की जाएगी ।
मॉन्टी इस बार और अच्छे से करना | कोई कमी न रहे ; वरना अरनव जी को हम से शिकायत रह जाएगी | "
विकास , मॉन्टी को ये कहकर ; कुछ इशारा करके चला जाता है |
अब क्या होगा आगे अरनव के साथ ? क्या वो वहाँ से भाग पाएगा ?
जानने के लिए आगे पढ़ते रहे . . . . . .