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अपने पापा की खुशी

12 सितम्बर 2022

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अगले 2 महीने तक ऐसे ही चलता रहा | देविका भी अच्छे से जानती थी | कि अरनव का व्यवहार , उसके लिए क्यूं बदल गया है | लेकिन वह कभी भी देविका से कुछ नही कहता था | और न ही उसने फिर कभी देविका से विकास के बारे में कोई बात की |

क्यूंकि . . . . वह देविका को ऐसी हालत मे , अपनी वजह से कोई टेंशन नही देना चाहता था |

तभी एक - दिन देविका को लेबर - पेन होने लगता हैं | हॉस्पिटल में ! देविका को एडमिट कराया जाता है और कुछ ही घंटों में देविका को एक प्यारी सी बेटी होती है |

अरनव ये खबर सुनते ही बहुत खुश हो जाता है और अपनी बेटी को गोद में लेते ही , वह अपने और देविका के बीच चल रही सारी नाराजगीयो को भूल जाता है |

अब बेटी आने की खुशी में अरनव , देविका से वापस अच्छे से बात करने लगता हैं | और अरनव अब अपनी हर छोटी से छोटी खुशी को अपनी बेटी मै ही देखने लगता हैं |

अब , उसकी बेटी ही उसके लिए सब कुछ थी |

यहां से अरनव की जिंदगी का , अब एक नया मोड़ शुरू होता है |

किसी इंसान की जिंदगी में ; उसका परिवार ही उसके लिए सब कुछ होता है | माँ - बाप , भाई - बहन और इन सब के अलावा कोई खास होता है | तो वो है , उसका जीवन साथी |

जिस पर वो , सबसे ज्यादा भरोसा करता है और अगर कोई इस भरोसे को ही तोड़ दे तो उस पर क्या गुजरेगी ? 

अरनव की जिंदगी में उसकी माँ ही सब कुछ थी | पिता और भाई - बहन सब बहुत अच्छे थे | लेकिन कोई कितना साथ देगा |

देविका पर उसे विश्वास था | अरनव ने अपनी तरफ से उस विश्वास को हमेशा बनाए रखा | लेकिन देविका उस विश्वास की कभी एहमियत नहीं समझ सकी । और अरनव के विश्वास को उसने चकना चूर कर दिया ।

इसलिए अरनव अब बस अपनी नन्हीं और प्यारी सी बेटी के लिए , वो  सब कुछ करना चाहता था | जो कभी वो अपने लिए चाहता था |

अरनव ने अपनी बेटी का नाम तकशिवी रखा था | जो कि माता पार्वती के नाम पर था l लेकिन वह प्यार से अपनी बेटी को खुशी बुलाया करता था |

अरनव अब जितने भी समय घर पर होता था I वह खुशी के साथ ही खेलता था |

उसके साथ खेलकर वह अपनी , सारी दुख - तकलीफ भूल जाता था | देविका के कुछ भी करने से उसे अब कोई फर्क नहीं पड़ता था | वह बस अपनी बच्ची का हर तरह से ध्यान रखना चाहता था |

अरनव ने अपनी बच्ची के लिए कपड़े , खिलोनों से घर भर दिया था | वह उसके फूल से चेहरे पर , हर समय बस एक प्यारी सी मुस्कान देखना चाहता था |

ऐसे ही 3 साल कब निकल गए | अरनव को पता ही नहीं चला और इस बीच देविका ने क्या - क्या किया अरनव को नहीं पता |

देविका , अरनव के साथ इतना कुछ करने के बाद भी , इन 3 सालों में बिल्कुल भी नहीं पिघली |

एक दिन देविका अरनव के पास आती है और कहती है |

" अरनव शिवी अब 3 साल की हो गई हैं l उसका स्कूल में एड़मिशन करवाना हैं | में सोच रही थी कि मैं भी उसके साथ ही उस स्कूल में छोटे बच्चो को पढ़ाने चली जाया करूं | "

अरनव मैंने खुशी का एडमिशन करवा दिया है | तुम चाहो तो उसी स्कूल में बात कर लेना | इतना कहकर अरनव वहां से चला जाता है |

अब देविका , शिवी के साथ उसी स्कूल में नर्सरी के बच्चों को पढ़ाने जाने लगती है |

अरनव को नही पता था कि देविका को स्कूल जाने के लिए हाँ करना , उसे बहुत महंगा पड़ने वाला था I 

अभी तक जो शिवी ; अपने पापा की खुशी थी । देविका अब उसे धीरे - धीरे अपनी तरफ कर रही थी |

क्यूंकि . . . देविका को इन 3 सालो में , ये लगने लगा था |कि उसकी बेटी उससे ज्यादा अरनव से प्यार करती है | क्यूंकि खुशी अब हर पल , बस अपने पापा के पास ही रहना चाहती थी |

देविका को इस बात का डर था | कि वह अपनी बेटी से दूर न हो जाए |

देविका अब स्कूल का होमवर्क करवाने के बहाने ; ज्यादातर समय शिवी को अपने पास ही रखती थी I

तभी दीवाली का समय था | एक बार देविका को सफाई के दौरान न जाने कहां से और कैसे ? अरनव के दिल्ली में चले ट्रीटमेंट के कुछ पेपर मिल गए थे |

अरनव का शादी से पहले देहली में जो ट्रीटमेंट चला था | उसके पेपर |

देविका उन पेपर्स को देखकर सोचती है । कि ये क्या है ? वो भी इनके ट्रीटमेंट के पेपर ! वो भी दिल्ली के डॉक्टर के | ऐसा क्या हुआ था इन्हें कि वहां दिखाना पड़ा |

अभी 2 साल पहले के ही है ये सारे पेपर्स तो |

किससे पूँछूँ ? इनसे तो नही | क्या करूं . . . . कैसे पता चले ! कि ये किस चीज के ट्रीटमेंट के पेपर है ?

तभी देविका को पीछे से किसी के आने की आवाज आती हैं |

देविका : - " जल्दी से पेपर अभी रख लेती हूँ | बाद में देखूंगी कि इनका क्या करना है | "

उस वक्त वहाँ पर अरनव आता है | और देविका को वहाँ देखकर पूछता है |

" क्या हुआ ? यहाँ क्या कर रही हो तुम ? "

देविका , अरनव से ट्रीटमेंट के उन सारे पेपर्स को छुपाते हुए कहती है |

" कुछ नहीं ! में बस दीवाली आने वाली हैं ना ! तो थोड़ी - थोड़ी सफाई कर रही थी | "

ये सुनकर अरनव वहाँ से चला जाता है | और देविका तुरंत रूम में आकर उन पेपर्स को अपनी अलमारी मै छुपा देती है |

रात को देविका बेड पर लेटे - लेटे इसी बारें में सोच रही थी | कि इन पेपर्स के बारे में कैसे पता करूं ?

भाभी बताएंगी क्या ? नही - नही . . . तो फिर शारदा दीदी से या सरला दीदी से पूँछू . . . नहीं देविका नहीं . . . वो मेरे बारे में क्या सोचेंगी फिर ? उन्हें शक हो गया तो . . कि मेरे मन मे क्या चल रहा हैं |

नही - नही देविका कुछ और सोच . . . सोच देविका सोच कुछ . . . एक मिनिट ; कल स्कूल से वापस आते समय किसी मेडिकल शॉप पर पूँछ लूंगी और किसी को पता भी नहीं चलेगा | हाँ ! यही ठीक रहेगा |

अगले दिन देविका स्कूल से वापस आते समय मार्केट में एक मेडिकल शॉप पर जाती है | और उनसे पूछती है |

" भईया , आपके पास ये दवाएँ मिल जाएंगी क्या ? "        ( देविका मेडिकल वाले को दवाओं का पेपर दिखाते पूछती है । )

मेडिकल वाला : - " ये वाली दवा तो नही मिलेंगी और यहां तो क्या आपको कही नहीं मिलेगी | जंहा ट्रीटमेंट चला है , ये वाली दवाएं वहीं मिलेगी | "

देविका मेडिकल वाले से पूछती है |

देविका : - " भईया , क्या आप बता सकते हैं ? कि दवाएं किस बीमारी की है ? "

मेडिकल वाला : - " क्यूं आपको नही पता ये ? और आप लेने आयी हैं । "

देविका : - " जी वो किसी ने मंगवायी थी | मेरी नहीं है ये दवा इसलिए पूछ रही थी | "

मेडिकल : - " ये दवाएं दिमाग के स्ट्रेस को कम करने के लिए ! डिप्रेशन के पेशेन्ट को दी जाती हैं | प्रॉपर नींद के लिए और पेन रिलीफ के लिए | "

देविका इतना सुनकर वो दवाओं का पेपर लेकर वहाँ से चल देती है |

उसी रात देविका , सोते समय अरनव से पूछती है |

" क्या कभी आपका कोई ट्रीट्मेंट चला है । सिर दर्द वाला  ? "

देविका के अचानक से अरनव से इस तरह का सवाल पूछने पर अरनव , देविका से आश्चर्य से पूछता है |

" ये कैसा सवाल है ? "

देविका : - " ये देखिए , ये पेपर मुझे सफाई करते टाइम मिला था । "

अरनव : - " हाँ तो , ट्रीटमेंट का है मेरा , जब माँ नहीं रही थी , इस दुनिया में | तब मुझे बहुत स्ट्रेस हो गया था | तब दिखाया था डॉक्टर को बस और कुछ नहीं | "

देविका : - " अरे ! आपको बताना तो चाहिए था मुझे | "

अरनव : - " इसमें . . . बताने जैसा क्या था | डाॅक्टर को दिखाया था I 2 - 3 महीने ट्रीटमेंट चला था बस और मैंने तुमसे कभी भी पूछा ऐसा कुछ भी ?

तुम बिना वजह ही क्यूं लड़ रही हो मुझसे ? "

देविका : - " क्यूंकि आपने मुझसे ये बात छुपाई . . . इसलिए | "

देविका के मुंह से ये बात सुनकर अरनव थोड़ा गुस्से में देविका से कहता है |

" एक मिनिट देविका ! ये बात तुम . . मुझसे कह रही हो ? कि मैंने ये बात छुपाई तुमसे और तुमने . . . . . तुमने जो कुछ भी छुपाया मुझसे वो . . . . वो कुछ भी नहीं तुम्हारी नजर में ? मत भूलो देविका कि तुम्हारे उस झूठ से , तुमने मेरी जिंदगी बरबाद कर दी | "

अरनव के कहते ही देविका , दूसरी साइड करवट लेकर सो जाती है |

लेकिन , उसके दिमाग में अभी भी अरनव के ट्रीटमेंट के पेपर को लेकर कुछ चल रहा था |

अगले दिन संडे था _ _ _ _ 

अरनव और देविका दोनों ही घर पर थे |

दिन के करीब 12 बज रहे थे | देविका अपने रूम में , घर के सब काम से फ्री होकर बैठी थी | उस समय अरनव बाजार कुछ काम से गया था | और खुशी अपने दादा जी के साथ खेल रही थी |

तभी देविका के मन मे , अचानक ही कोई ख्याल आता है और देविका अपना मोबाइल उठाकर ; किसी से बात करने लगती है |

बातों ही बातों में देविका ये भूल जाती है | कि उसके रूम का गेट खुला हुआ है और तभी 10 - 15 मिनिट बाद ही अरनव का मार्केट से वापस आना होता है |

मार्केट से वापस आने के बाद अरनव अपने रूम में जा रहा था | तभी रूम के बाहर ही अरनव को , देविका के किसी से बात करने की आवाज सुनाई देती है | इसलिए अरनव बाहर रुककर ही सुनने लगता है l

थोड़ा कुछ सुनने के बाद अरनव को देविका की बातो से ! कुछ तो गड़बड लग रही थी |

10 मिनिट बाद अरनव , रूम में अंदर जाता है | अरनव को देखते ही देविका तुरंत फोन रख देती है और बुरी तरह घबरा जाती है |

अरनव : - " अरे ! क्या हुआ तुम्हे ? तुम इतना डर क्यूं गयी ? वो भी मुझे देख कर I "

देविका : - " अरे नहीं ! नही ! में कहां डर रही हूँ | मे तो थोड़ी देर के लिए लेट गयी थी | तो मेरी कब नींद लग गयी पता ही नही चला | इतनी देर में ही , मैंने एक बुरा सपना देखा लिया था | बसस . . . . "

[ देविका , हडबडा कर अरनव से कहती है और उठकर रूम से बाहर चली जाती है I ] 

अरनव : - " देविका ने फिर मुझसे इतना बडा झूठ बोला ; जबकि वो फोन पर बात कर रही थी किसी से | आखिर क्यूं ? "

आखिर देविका फोन पर क्या बात कर रही थी ? कि वह अरनव को देखकर घबरा गई |

आखिर कौन था . . . उस समय फोन पर ? और क्या चल रहा है अब देविका के मन में जिसे वो अरनव से छुपा रही थी ?

जानने के लिए आगे पढ़ते रहे . . . . . . . . 

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रचनाएँ
Kya Galti Thi Meri?
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ये कहानी है एक ऐसे लड़के " अरनव वेदी " की । जो बचपन से ही बहुत सीधा सा लड़का था । अरनव पढ़ाई में बहुत होशियार और हेंडसम भी बहुत था। उसके भाई - बहन उसे बहुत प्यार करते थे । लेकिन उसकी भाभी वरनाली ; अरनव का अपने घर में रहना , बिलकुल पसंद नही करती थी । बचपन से ही अरनव संघर्षों से झूझ रहा था । फिर एक दिन उसकी जिंदगी में " देविका " आती है | " देविका कपूर " एक घमंडी और बिगड़ी हुई लड़की थी | और देविका का अरनव से शादी करना किसी इत्तेफाक के जैसा ही था | फिर एक दिन अरनव के साथ जो हुआ ! वो एक दर्दनाक घटना से कम नही था । लेकिन उसके साथ ऐसा क्यूँ हुआ ? आखिर क्या गलती थी उसकी ? और कौन था वो शक्स जिसने उसके साथ ऐसा किया ? अरनव के साथ आखिर क्या हुआ होगा? पूरी कहानी जानने के लिए पढ़ें "Kya Galati Thi Meri "
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अरनव की विदाई

5 सितम्बर 2022
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( ये कहानी एक ऐसे आम इंसान की है | जो किसी भी ! नॉर्मल इंसान की तरह ही , सपने देखता हैं | बचपन से लेकर आखिरी तक , वह अपनी जिंदगी एक आम आदमी की तरह ही , जीना चाहता है । और एक अच्छी जिंदगी के लिए

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देविका का बयान

6 सितम्बर 2022
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देविका ! अब होश में आ गयी थी औेर अब उसकी हालत भी पहले से काफी ठीक थी । ' अरनव ' को गए हुए ! पूरा एक दिन हो गया था | अगला दिन . . . . सुबह के करीब 9 बज रहे थे | चारों ओर सन्नाटा सा फैला हुआ था ।

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छानबीन

6 सितम्बर 2022
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देविका के statement के बाद ! पुलिस ने अरनव की बीती हुई जिंदगी के बारे में जानना शुरू किया | आखिर अरनव कैसा इंसान था ? और क्या सच में वह ऐसा कर सकता था ? क्योंकि देविका का अचानक ये कहना ; क

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पोस्टमार्टम रिपोर्ट

6 सितम्बर 2022
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सभी पुलिस वाले , आपस मै बात करते है l और उनके मन मे यही सवाल चल रहा था । कि कहीं हम बेवजह ही ! अपना समय बर्बाद तो नहीं कर रहे हैं | क्यूंकि पुलिस को अभी तक अरनव और उसके परिवार के बारे में इतना कुछ जान

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वरनाली की ईष्या

6 सितम्बर 2022
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वरनाली ने भले ही सारिका दीदी और निशांत के सामने ये बात मान ली थी | कि अब वह इलेक्शन नहीं लड़ेगी और वरनाली ने अपनी गलती भी स्वीकार कर ली थी । ( निशांत को बिना बताये , व

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Arnav's headache

8 सितम्बर 2022
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वरनाली , अब हर पल बस इसी मौके के इंतजार मैं ही रहती थी | कि अरनव उसे कब अकेला मिले | अरनव की माँ के जाने के बाद , जब भी अरनव शांत और अकेला बैठा होता था । वरनाली , तुरंत ही अरनव के पास पहुंच जाया

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अरनव का देविका से मिलना

8 सितम्बर 2022
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अरनव के साथ पिछले कुछ महीनो से बहुत कुछ हो गया था | और उसे वरनाली की वेवकूफी की वजह से बहुत कुछ झेलना पड़ा था | अरनव वैसे तो अब पूरी तरह ठीक था । और वह अपनी बहनो और परिवार के साथ पहले की तरह ही बहुत ख

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देविका और अरनव की शादी

8 सितम्बर 2022
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शादी की डेट फाइनल होने वाली थी । और वहां देविका तो मुंह लटकाये हुए बैठी है । जैसे - उसे अंदर से कुछ भी पसंद नहीं हो | दिखने में ' अरनव ' बहुत ही ज्यादा हैंडसम था | एक - दम गौरा चिट्टा रंग , करीब 6 फीट

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प्यार की शुरुआत

8 सितम्बर 2022
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देविका : - " हॉ अरनव ! हाँ . . . . मैं किसी और से . . . . हो गई तुम्हें अब तसल्ली ये जानकर | " ( बहुत तेज गुस्से मे , इतना कहकर ! देविका चुप हो जाती है l ) देविका जो सबके सामने , अभी तक अच्छे से

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unknown number

8 सितम्बर 2022
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अरनव और देविका के बीच ! अगले कुछ महीनो तक सब ठीक चल रहा था I फिर एक दिन श्याम में . . . देविका के मोबाइल फोन की रिंग बजती है l देविका के मोबाइल पर , एक अननोन नंबर शो हो रहा था | देवि

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देविका का अरनव के गले लगना

12 सितम्बर 2022
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देविका , अरनव को कॉल करती है | " भईया आ गये है लेने , आप आ जाओं | हम थोड़ी देर में निकलने वाले है | " अरनव : - " हो सकता है देविका | कि मैं लेट हो जाऊं थोड़ा , तुम चाहो तो निकल जाना | लेकिन जल्दी आ जा

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में तुम्हे किसी अन्जान के साथ नही देख सकता

12 सितम्बर 2022
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देविका . . . . देविका उठो ! सुबह हो गई . . . . ( देविका के बड़े भाई अमित , देविका को अगले दिन सुबह , नींद से उठाते हुए आवाज लगाते है | ) देविका भईया की आवाज सुनकर अपनी ऑखे खोलती है | और वो अपने

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मेरा प्यार सच्चा है देविका

12 सितम्बर 2022
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विकास : - " देविका सुनो ! देविका प्लीज , बस एक बार मुझसे मिल लो | क्या तुम मेरे लिए अब इतना भी नही कर सकती ? " देविका मैसेज देखकर कोई रिप्लाय नही करती हैं l और मन ही मन गुस्से में खुद से कहने लगती है

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वो मेरी सबसे बडी भूल थी

12 सितम्बर 2022
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विकास : - " सॉरी देविका ! तुम्हे मेरी बात का बुरा लगा ना ; में बच्चे की बात नहीं करना चाहता था l पर तुम हो कि मुझसे , मिलना ही नहीं चाहती थी | " देविका : - " अब तो कह दिया पर आगे से उस बात को हमेशा के

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क्या में तुमसे मजाक भी नही कर सकता

12 सितम्बर 2022
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अबॉर्शन के बाद देविका नॉर्मल हो जाती हैं | लेकिन . . . . उस दिन की भूल को सोचकर , आज भी देविका के रोंगटे खड़े हो जाते हैं | और अगर गलती से भी , किसी को भी इस बारे में पता चल जाता | तो वह क्या करती | "

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आखिर सच क्या है देविका

12 सितम्बर 2022
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सिर्फ . . . देविका के बडे भईया को छोड़कर । अरनव को भी बाकी सभी की तरह यही लग रहा था | कि देविका उस एक्सीडेंट को देखकर घबरा गई है | इसलिए उसका प्रेग्नेंसी में ब्लड प्रेशर एक दम से हाई हो गया l देविका क

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अपने पापा की खुशी

12 सितम्बर 2022
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अगले 2 महीने तक ऐसे ही चलता रहा | देविका भी अच्छे से जानती थी | कि अरनव का व्यवहार , उसके लिए क्यूं बदल गया है | लेकिन वह कभी भी देविका से कुछ नही कहता था | और न ही उसने फिर कभी देविका से विकास के बार

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मेरी बात याद रखना अरनव

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10 मिनिट बाद अरनव , रूम में अंदर जाता है | अरनव को देखते ही देविका तुरंत फोन रख देती है और बुरी तरह घबरा जाती है | अरनव : - " अरे ! क्या हुआ तुम्हे ? तुम इतना डर क्यूं गयी ? वो भी मुझे देख कर I " देवि

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ये देविका कौन है विकास

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अरनव : - " देविका के कहने से क्या होता है ? वो मुझसे इस तरह खुशी को नहीं छीन सकती | लेकिन . . . कहीं विकास के साथ मिलकर ! खुशी को उसने मुझसे सच में दूर कर दिया तो | देविका बहुत चालाक है | अपना उल्लू स

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Fake treatment

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अरनव , अपने जीजा जी के साथ ! वहाँ के एक अच्छे डॉक्टर को दिखाने जाता हैं | अरनव ! उस डॉक्टर को अपनी सारी प्रॉब्लम बताता हैं | डॉक्टर : - " ऐसा कितने दिनो से महसूस हो रहा हैं आपको ? " अरनव : - " यही , अ

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झूठ प झूठ

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देविका ; अपने भईया को डॉक्टर को बिना दिखाए ! बापस घर लौटने के लिए तो मना लेती हैं । लेकिन देविका को ये नहीं समझ आ रहा था | कि वह भईया को सारिका दीदी और जीजा जी से झूठ बोलने के लिए कैसे मनाएं ? देविका

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देविका की चाल

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पिछले कुछ महीनों से अरनव अपनी खराब तबीयत की वजह से ; स्कूल भी नही जा रहा था | देविका ने ही अरनव को उसकी जॉब से ; रिजाइन दिलवा दिया था | क्यूंकि . . . . देविका ने , अरनव के स्कूल में उसका पिछले कुछ मही

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सारिका का शक

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दोपहर के 2 बजे ; डोरवेल बजती हैं | सारिका दीदी का घर . . . . और उनकी सबसे छोटी बेटी चारू ; दरवाजा खोलती है | " अरे मामी आप ! आओ , अंदर आ जाओ मामी . . . . खुशी नहीं आयी क्या आपके साथ ? " सा

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श्वेता की मौत

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पुलिस द्वारा ; अभी तक अरनव के साथ रहने वाले , घर के सभी लोगों के बारे में ; अच्छे से छानबीन कर ली गई थी । इससे पुलिस को , ये तो साफ हो गया था । कि अरनव की हत्या या उसकी साजिश के पीछे , कोई

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Negative mind

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संडे का दिन , सुबह के 11 बज रहे थे | अरनव रूम में लेटा हुआ था | अपने अंदर वह पहले से बहुत बीकनेस फील कर रहा था | वह अब ठीक से खड़ा भी नही हो पा रहा था | तभी देविका रूम मे अरनव के पास आती है | देविका :

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Next step

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देविका बहुत confidence के साथ , अब अपने अगले कदम की ओर आगे बढ़ रही थी | और उसे अंजाम देने के लिए वो मेंटली ओर फिजिकली पूरी तरह तैयार थी | देविका का अगला कदम , उसे उसकी सपनों की दुनिया में ले जाने वाला

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kidnaping

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देविका के अरनव को मोबाइल देने के बाद ; उस रात अरनव पूरी रात भर यही सोचता रहा | कि कल देविका के इस खेल के बारे में सबको पता चल जाएगा | और उसे उसके अभी तक किए गए ! सारे गलत कामों की सजा भी मिल जाएगी | त

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तुम ही विकास हो

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गुंडो ने गाडी में अरनव का चेहरा , ऊपर से गर्दन तक पूरी तरह एक काले कपड़े से ढंक दिया था | और वो दोनो गुंडे उसे उस शहर के बिलकुल बाहर , एक सुनसान जगह पर ले गए | वहाँ उस सुनसान जगह पर एक ही घर बना हुआ थ

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बस एक दिन और

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देविका शाम होते ही अपनी प्लानिग के अनुसार , घर के सभी मेम्बर्स को फोन करना शुरू करती है | जैसे - अरनव के सबसे बडे भाई बलराज को , सारिका दीदी को , और अरनव के पिता से पूछना | और सभी को इस तरह दिखा

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प्लीज मुझे जाने दो

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विकास , चेयर से उठकर जाने के लिए खड़ा हो जाता है | और अपने अंदर अरनव की थोडी देर पहले , उसके लिए कहीं गयी बात के लिए , उससे गुस्सा होकर बदला लेने के नजरिये से देखता है | लेकिन फिर भी विकास ऊपर से झूठी

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End of Torture

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विकास , चेयर से उठकर जाने के लिए खड़ा हो जाता है | और अपने अंदर अरनव की थोडी देर पहले , उसके लिए कहीं गयी बात के लिए , उससे गुस्सा होकर बदला लेने के नजरिये से देखता है | लेकिन फिर भी विकास ऊपर से झूठी

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