देविका के statement के बाद ! पुलिस ने अरनव की बीती हुई जिंदगी के बारे में जानना शुरू किया | आखिर अरनव कैसा इंसान था ? और क्या सच में वह ऐसा कर सकता था ?
क्योंकि देविका का अचानक ये कहना ; कि अरनव को डिप्रेशन की बीमारी काफी लंबे समय से थी | पुलिस को ये जानने पर मजबूर कर रहा था |
( डिप्रेशन - एक ऐसी बीमारी है | जो किसी ब्यक्ति के बहुत लंबे समय तक या लगातार मानसिक तनाव में रहने की बजह से होती है और वह ब्यक्ति धीरे - धीरे अपने चारों ओर उन्हीं बातों का ताना - बाना बुनने लगता है | जिस बात से वह सदमें मैं आया था | या यूं कहें , कि कोई ब्यक्ति जब किसी बात से सदमें मैं आ जाता है | तो धीरे-धीरे उसकी मानसिक स्थिति ! बिगड़ने लगती है । )
देविका के अनुसार , अरनव की भी मानसिक स्थिति बिगड़ी हुई थी | और वह पहले भी घर से कई बार इस तरह जा चुके है |
इस बात में कितनी सच्चाई है | इस सवाल का जवाब जानना भी जरूरी था |
( सभी पुलिस वाले ! आपस में बात करने लगते है | )
पुलिस की नजर अब आस - पास के पूरे माहौल पर थी |
पुलिस ने अभी तक सिर्फ , उस घटना स्थल की ही जाँच की थी | जहाँ अरनव की लाश मिली थी | उसके अलावा अभी तक , किसी से भी संदिग्ध तरीके से पूछताछ नहीं की गयी थी |
क्योंकि पुलिस को अभी तक यही लग रहा था | कि जब तक अरनव की पत्नी देविका ! अपना बयान नहीं दे देती है | तब तक किसी पर भी बे वजह शक करना ठीक नहीं है |
पुलिस को यही लगा था | कि देविका अपने बयान में शायद ये कहेगी ! कि उसे किसी पर शक है | घर, परिवार या बाहर के लोगों पर I जैसा कि अक्सर देखा गया है ! इस तरह के केस में | पर देविका ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा |
पुलिस : - " अब हमें सभी को ! शक की निगाह से देखना होगा | क्योंकि अक्सर हम जो देखते हैं ! या हमें कई बार जो कुछ भी दिखाया जाता है | वह सच नहीं होता |
हमे यह केस , दिखने मैं जितना आसान और सुलझा हुआ लग रहा है | उतना हकीकत में है नहीं | "
अब हर वह ब्यक्ति जो अरनव के आस - पास रहता था और जिन - जिन लोगों से अरनव की फोन पर बात होती थी । उन सभी का बयान लेना होगा । आखिरी बार किस - किस ने कब और कहां अरनव को देखा था ?
और फिर अरनव की मौत की सच्चाई ; की खोज की शुरुआत कुछ इस तरह हुई _ _ _ _ _ _ _
( अब पुलिस ने ... सबसे पहले ! अरनव के पिता के साथ काम करने वाले लोगों मैं से , एक ब्यक्ति ( जिसका नाम हरिशंकर था ) उनसे बात की और अरनव के बारे मे जानना चाहा | क्योंकि वह अरनव के पिता के साथ तब से थे जब उनकी शादी भी नही हुई थी | )
वह उनके घर में ही शुरूआत से उनके साथ कई सालों तक , किराए से रहे थे । इसलिए अरनव के बारे मे ! पुलिस ने उनसे पूछताछ करना ठीक समझा | उन्होंने बताया कि ...
" अरनव " का जन्म - एक छोटे से गांव के ब्राम्हण परिवार में हुआ था |
अरनव के पिता एक बहुत ज्ञानी पंडित थे और माँ ग्रहणी थी | अरनव - कुल तीन भाई और दो बहन थे | जिनमें अरनव परिवार का सबसे छोटा बेटा था | अरनव के जन्म से पहले सभी गाँव मैं ही रहते थे |
अरनव के पिता एक मिडिल क्लास फैमिली से थे | गाँव में अरनव के पिता की कुछ जमीन थी | उस जमीन से उनका जीवन और परिवार का पालन - पोषण अच्छे से हो रहा था |
अरनव के पिता हमेशा बस यही कहते थे | कि ! सब ईश्वर की कृपा से चल रहा हैं | ( अरनव के पिता - ईश्वर की भक्ति में लीन रहते थे और सामाजिक तौर पर भी वह एक प्रतिष्ठित ब्यक्ति थे | )
आशु के पिता के एक गुरु थे l जिनसे आशु के पिता ने दीक्षा भी ली थी | जो बहुत ही परम ज्ञानी संत थे ।
उनका कद करीब 5 फीट का ही था | और दिखने मैं बहुत ही साधारण से लगते थे | कोई भी उन्हें देखकर यह अंदाजा नहीं लगा सकता था | कि ये इतने ऊंचे दर्जे के संत होंगे |
उन्हें सभी ! मोनी महाराज के नाम से बुलाते थे | ( क्योंकि उन्होंने बहुत छोटी सी आयु में ही ; अपना पूरा जीवन ईश्वर को समर्पित कर दिया था | और हमेशा के लिये मोन ब्रत धारण कर लिया था ) और अरनव के पिता अपने पूरे परिवार सहित उनकी सेवा करते थे |
मोनी महाराज जी का ! एक कैला माता का मंदिर था | जिसे उन्होंने , बहुत मेहनत करके बनवाया था I वह मंदिर गाँव से कुछ दूरी पर ( करीब 80 किलोमीटर ) एक शहर के पास था | जहां वह अपना जीवन निस्वार्थ भाव से माता की सेवा करते हुई बिता रहे थे |
दूर - दूर से लोग , अपनी समस्या लेकर उनके पास आते थे | उनके पास बैठने मात्र से ही ; लोगों को बहुत सुकून और शांति मिलती थी | इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है | कि वह , कितने ऊंचे दर्जे के संत थे | ऐसे में उनका " अरनव के पिता पर विश्वास ही उनकी सच्ची भक्ति का प्रतीक था |
अब मोनी महाराज जी की ! बहुत उम्र हो गयी थी I इसलिए उन्होंने अरनव के पिता की भक्ति से खुश होकर ! वह मंदिर माता की सेवा के लिए उन्हें सौंप दिया था |
इसलिए अरनव के पिता परिवार सहित अब वही मंदिर के पास ही रहने आ गये थे | मंदिर के आसपास उस समय मैं बहुत घना जंगल था |
( जहां बाद मैं , शहर के विकास के साथ लोगों का मंदिर में दर्शन करने के लिए , बहुत आना जाना हो गया और अब वह पूरी तरह से शहर में मिल गया था | )
अरनव के पिता ! अब अपने परिवार के साथ वहीं रहकर , माता की भक्ति और सेवा करते थे | अरनव के पिता कैला माता की सेवा में ! इतने तल्लीन रहते थे | कि उन्हें अपने परिवार की भी सुध नहीं रहती थी | इस बात से अरनव की माँ ! बहुत परेशान रहती थी |
अरनव के पिता ज्ञानी पंडित थे | और बहुत ही सुंदर तरीके से भागवत का बाचन किया करते थे । और वह कभी भी , इसके लिए कोई पैसे नहीं लेते थे |
अरनव के पिता - कैला माता की सेवा और मंदिर की देखरेख बहुत अच्छे से करते थे | और साथ ही अपने गुरु के प्रति ! उनकी कृतज्ञता भी वह पूरी सेवा और निष्ठा से कर रहे थे |
जब से अरनव के पिता ने मंदिर की जिम्मेदारी संभाली थी | तब से एक भी दिन ऐसा नहीं गया | कि वह सुबह मंदिर के लिए कभी भी लेट हुए हों I चाहे कोई भी मौसम हो ! कड़ाके की सर्दी , गर्मी या बरसात |
वह रोज सुबह 4 बजे स्नान करके मंदिर में पहुँच जाते थे | कभी उन्हें बुखार भी आता था | तब भी वह किसी और को यह ! कार्य करने के लिए नहीं कहते थे |
फिर माता को तैयार करते , उन्हें सुन्दर पोशाक पहनाते | सुबह शाम मंदिर की सफाई भी वह स्वयं ही करते | कभी - कभी अरनव की माँ जिद करके , मंदिर की सफाई कर देती थी |
जब कभी अरनव की माँ ! कहती ( अरनव के पिता की तबीयत ठीक न होने पर | ) कि कभी बच्चों को भी मंदिर में जाने दिया करो | वह भी कर सकते हैं ! क्योंकि आपको आराम की जरूरत है I
तब अरनव के पिता एक ही बात कहते थे l कि उनके गुरु ने , उन्हें ये जिम्मेदारी दी है । और मंदिर में बैठी माँ को बचन दिया है | अगर उन्होंने ! ये जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई तो I गुरु और माता दोनों उनसे रूठ जाएंगे और ऐसा वह किसी भी कीमत पर नहीं चाहते थे l
अरनव का जन्म - शहर में ही हुआ था |
" अरनव "अपनी बहनो और भाइयों से बहुत छोटा था | अरनव की बड़ी बहन सारिका , अरनव से 15 साल बड़ी थी ।
अरनव बचपन से ही बहुत सुन्दर था | गौरा रंग , घुंघराले बाल उस पर बहुत ही सुंदर लगते थे | अरनव बचपन से ही बहुत सीधा और शांत स्वभाव का रहा था |
उसनें कभी भी ! अपनी माँ को परेशान नहीं किया और न ही कभी किसी चीज के लिए जिद की ।
अरनव की उम्र जब 5 साल की थी । वह स्कूल भी जाने लगा था । अपने स्कूल मैं पढ़ाई में वह बहुत होशियार था ।
सभी उसकी तारीफ करते नहीं थकते थे | धीरे - धीरे समय निकल रहा था | बड़े होने के साथ-साथ अरनव की किताबों में रुचि तेजी से बढ़ रही थी । वह स्कूल से आने के बाद जितना भी समय मिलता पढ़ाई में ही लगाता था |
अरनव को खेलने कूदने का ! उतना शौक नहीं था । उसे नॉलेज वाली बुक्स पढ़ना बहुत अच्छा लगता था I इसके अलावा अरनव अपनी बड़ी बहन सारिका के घर जाया करता था |
वह उसी शहर में रहती थी | क्योंकि सारिका के बच्चों को खिलाना ! उसे अच्छा लगता था | और सारिका का अपने भाई के लिए प्रेम उसे खींच ही लाता था ।
अरनव अब 10 वी क्लास बहुत अच्छे number से पास कर चुका था | अरनव के बड़े बहन , भाई भी उसे मदद किया करते थे l
एक दिन सुबह 4 बजे ! जब अरनव के पिता हर रोज की तरह मंदिर पहुचें ! पर उनके गुरु उस दिन वहाँ नहीं आये थे |
मोनी महाराज जी अब बहुत उम्र हो जाने के कारण मंदिर की देखरेख नहीं करते थे | पर रोज सुबह उठकर माता के सामने जैसे बन पाता पूजा कर लिया करते थे | बाकी सभी कार्य अरनव के पिता ही करते थे |
( माता को तैयार कर उनकी बिधिबत पूजा करना फिर पाठ करना , आरती कर भोग लगाना । शाम में भी वह यही करते , स्नान करके माँ को तैयार कर शाम का पाठ , फिर आरती और भोग लगाना । सभी भक्तों को प्रसाद देना आदि कार्य करने के बाद रात के 11 बज जाते थे । )
उस दिन मोनी महाराज जी ! मंदिर नहीं आये तो अरनव के पिता को बहुत चिंता होने लगी | ( क्योंकि आज से पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था | )
तब उन्होंने अरनव को वहाँ देखने के लिए भेजा , फिर पता चला कि उन्होंने समाधि ले ली है ! वह अपना शरीर छोड़कर जा चुके हैं | जब कोई संत दुनिया से जाते हैं तो उन्हें समाधि लेना ही कहते है |
अरनव के पिता के लिए यह खबरउनके पिता के जाने के समान ही थी । अरनव के पिता कभी भी विषम परिस्थितियों में भी घबराते नहीं थे |
( माँ की कृपा से उन्हें विषम परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति मिलती थी । )
देखते ही देखते अरनव 12 वी क्लास में अपने शहर का नाम रोशन कर ; मेरिट में second position पर आता है | यह एक उपलब्धी से कम नहीं था | ( आज से 30-40 साल पहले )
अरनव एक इंजीनियर बनना चाहता था ! लेकिन अरनव के पिता के पास इतने पैसे नहीं थे | कि वह उसकी इंजीनियर की फीस दे पाते | उस शहर में इंजीनियर कॉलेज भी नहीं था | इंजीनियरिंग करने के लिए ! अरनव को दूसरे शहर में जाना पड़ता | फिर फीस और बाहर रहने का खर्च वह कैसे उठा पाते ।
अरनव की माँ को ये बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था | क्योंकि ! अरनव के पिता परिवार पर ध्यान ना दे कर उन्हें जो कुछ भी मिलता था | जरूरतमंद को दे दिया करते थे |
अरनव के दोनों भाई भी अच्छे से पढ़ाई कर चुके थे | अरनव के सबसे बड़े भाई बलराज की कुछ साल बाद जॉब लग गयी थी ! और वह अब एक Government collage में Professor की नौकरी कर रहा था |
बलराज से छोटी और अरनव से बड़ी बहन सारिका की शादी को कुछ साल हो गये थे | वह भी तब ( शादी के समय ) स्कूल पास कर चुकीं थी | और सारिका की आगे की कॉलेज की पढ़ाई शादी के बाद पूरी हुई |
अरनव की बड़ी बहन सारिका की शादी पास के ही एक गांव के प्रतिष्ठित और धनी परिवार में हुई थी | सारिका के ससुर का ! आस - पास के सारे गांव में बहुत नाम था ।
शादी के कुछ साल बाद सारिका भी पहले बच्चे के जन्म के बाद उसी शहर में आ गई थी | ( जहां सारिका के माता - पिता रहते थे I ) सारिका अरनव को माँ की तरह ही प्रेम करती थी |
एक तो अरनव सबसे छोटा भी था और सबका लाडला भी I सारिका के पति ( जो अपने पिता के साथ उनकी जमीन और कारोबार मैं उनकी मदद करते थे | ) अरनव की भी हर तरह से मदद किया करते थे |
जिससे उसकी पढ़ाई ना रुके क्योंकि वह भी अरनव की तरह पढ़ाई में रुचि रखते थे । लेकिन अपने पिता के यहां ! एक ही बेटा होने के कारण पढ़ाई पूरी करने के बाद बाहर नौकरी के लिए नहीं जा सके ।
लेकिन उन्होंने पढ़ लिखकर अपने पिता के कारोबार को अपनी सूझबूझ से चलाया | और अपने पिता के साथ मिलकर कारोबार को नयी ऊंचाइयों तक ले गये |
अब उनके पिता के साथ ! उनका भी नाम बहुत सम्मान से लिया जाता था । और उनका कारोबार चारों ओर फैल गया था ।
अरनव का बीच वाला भाई निशांत पढ़ लिखकर अपने पिता की जमीन को ही देखा करता था और कुछ ही सालों में उसने पिता की जमीन पूरी तरह सम्भाल ली थी । निशांत को शुरुआत से ही जमीन मैं रुचि थी ।
अरनव की एक और बहन सरला ( सारिका से छोटी और निशांत से बड़ी ) थी । वह भी अपनी मास्टर डिग्री पूरी कर चुकी थी । सरला की भी शादी कर दी गयी और अब वह देहली मैं रह कर सरकारी टीचर बन नौकरी कर रही थी । सरला के पति देहली मैं नौकरी करते थे ।
" अरनव " इस समय तक अपनी कॉलेज की पढ़ाई बहुत अच्छे नंबर से पास कर चुका था ( अब अरनव 21 साल का हो गया था ) लेकिन अरनव की रुचि अभी भी किताबों में ही थी । वह बस नॉलेज फुल बुक्स पढ़ना चाहता था l
और फिर अरनव ने अपनी आगे की पढ़ाई के साथ - साथ बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया था | साथ ही वह सारिका के बच्चों को भी पढ़ाया करता था । अरनव इंजीनियर नहीं बन सका ! फिर भी अभी तक भी उसके जीवन मैं सब कुछ ठीक ठाक ही चल रहा था ।
अरनव अपनी दोनों बहनो सारिका और सरला के यहां अक्सर जाता रहता था । जब भी उसे कोई परेशानी होती थी । या कभी यूं ही मिलने ।
( क्योंकि वह अपने मन की कोई बात या परेशानी अपने पिता और माँ से नहीं कह पाता था । )
अरनव के सबसे बड़े भाई बलराज ने अभी तक शादी नहीं की ( क्योंकि बलराज अपनी पसंद से शादी करना चाहता था । और अरनव के पिता इसके खिलाफ थे । )
वहीँ सरला के पति और बलराज अच्छे दोस्त भी थे । सरला की शादी से पहले से ही दोनों एक - दूसरे को बहुत अच्छे से जानते थे ! क्योंकि दोनों देहली मैं साथ पढ़ते थे ।
दोनों बहनो की शादी के बाद बलराज ने भी अपनी पसंद से शादी कर ली और अब वह अपने परिवार से अलग रहता था |
अरनव के पिता ने बड़े बेटे को घर से अलग अपने स्वाभिमान की बजह से कर दिया था ! क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में कोई काम ऐसा नहीं किया था | जिससे कोई उन पर उंगली उठा सके । चाहे इसके लिए फिर उन्हें कितनी ही तकलीफ झेलनी पडी हो |
इस मामले में अरनव की माँ भी अपने पति के साथ थी |क्योंकि वह जानती थी ! कि उनके पति ने कितने संघर्ष करके , सब कुछ त्याग कर बच्चों को पाला है |
बलराज की पत्नी का नाम उर्मिला था ! जो बलराज के साथ ही उसी कॉलेज में जॉब करती थी । उर्मिला का परिवार बहुत बड़ा था ! पर आपस में प्रेम नहीं था |
अब बलराज से उन्होंने सारे रिश्ते खत्म कर लिए थे । और बलराज एक बार भी ! अपने माता - पिता के बारे मे सोचे बिना घर से चला जाता है ।
अब बलराज घमंड मैं आकार ( क्योंकि अब वह और उसकी पत्नी दोनों ही सरकारी नौकरी में होने के कारण अच्छा कमा लेते थे I ) बाहर समाज में अपने माता-पिता को उनके नाम से बुलाया करता था । ( यह पहला चरण था जब बलराज की बुद्धि भ्रष्ट हो चुकी थी | )
अब निशांत की शादी के प्रस्ताव आने लगे थे । निशांत भी दिखने मैं अच्छा लगता था | निशांत के लिए कई लड़कियां देखी | पर कहते है ना कि जोड़े ऊपर से बनकर आते हैं |
तभी निशांत की शादी पास ही के शहर मैं पक्की हो गयी । लड़की का नाम वरनाली था । जो एक अच्छे घर की लड़की थी | और दिखने मैं भी सीधी और सुंदर लगती थी ।
और कुछ ही दिनों में निशांत की भी शादी हो गयी । शुरुआत में वरनाली सभी के साथ बहुत प्रेम से ! रहती थी । वह घर का सारा काम करती थी । और एक अच्छी बहु की तरह रहती थी । वरनाली के पिता को ज्योतिष विद्या का बहुत अच्छा ज्ञान था । ( ऐसा ! वरनाली का कहना था । )
निशांत भी अपनी बहनो से प्रेम करता था | और बड़ी बहन सारिका के यहां निशांत , हर रोज जाया करता था |
( सारिका के यहां निशांत एक दिन भी जाए बिना नहीं रह पाता था । )
कुल मिलाकर सभी भाई बहनो में एक - दूसरे के लिए बहुत प्रेम था । बस बलराज को छोड़कर |
अभी तक परिवार के बारे मे जो कुछ भी ! जानकारी पुलिस को मिली | उससे अरनव की शुरुआत की जिंदगी के बारे में थोड़ा तो पता चल ही गया था । पर आगे के जीवन में भी क्या सब कुछ ऐसा ही था ? इस बारे मे जानना या ना जानना अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने पर ही निर्भर करेगा |
और आखिर किसने की अरनव की हत्या ?
जानने के लिए आगे पढ़ते रहे . . . . और मेरी नॉबल आपको अच्छी लगे तो Please Like , comment and share करे |