दोपहर के 2 बजे ; डोरवेल बजती हैं |
सारिका दीदी का घर . . . . और उनकी सबसे छोटी बेटी चारू ; दरवाजा खोलती है |
" अरे मामी आप ! आओ , अंदर आ जाओ मामी . . . . खुशी नहीं आयी क्या आपके साथ ? "
सारिका की बेटी चारू ; देविका को दरवाजे पर देखकर उससे खुशी के बारे में पूछती हैं |
" नहीं चारू ! खुशी घर पर हैं । आज वो स्कूल नहीं गयी थी । दीदी कहाँ हैं ? "
देविका ; चारू से सारिका दीदी के बारे में पूछती है |
" मम्मी ! बस अभी लेट गयी थी | कल पास में ही ; माता के मंदिर में जागरण था । तो वहाँ गई थी | आज रात भर सोयी नहीं | इसलिए सो रही थी | "
चारु ; देविका से कहती है |
" तो उन्हें मत उठाओ . . . . दीदी को सो जाने दो ; रहने दो चारू | "
देविका ; चारू से दीदी को बुलाने के लिए मना करती हैं |
" नही ! मामी ! . . . आप बैठो में बुलाकर लाती हूं | "
चारू ! देेेविका से बैठने के लिए बोलकर ; दूसरे रूम मे मम्मी को बुलाने जाती है |
" मम्मी ! मम्मी ! देविका मामी आयी हैं | कुछ परेशान सी लग रही हैं । और वो रो भी रही हैं | "
चारु ! सारिका को उठाते हुए कहती हैं |
सारिका ; देविका के रोने की खबर सुनकर चौंककर उठते हुए . . . .
" अरे ! कहीं कोई बात तो नही हो गई चारू . . . . तूने पूछा मामी से कि क्या हुआ ? अच्छा रहने दे | में जाती हूं । मामी के लिए पानी लेकर आ जा I "
सारिका ! चारू से पानी लाने के लिए बोल कर , देविका के पास जाती हैं |
" देविका क्या हुआ ; स्कूल से ही आ रही है , क्या सीधे ? "
सारिका ; देविका से पूछती हैं ।
" हाँ दीदी ! . . . "
देविका हाँ कहते ही , जोर से रोने लगती हैं ।
" क्या हुआ देविका ? क्या बात है ? तू रो क्यूं रही हैं ? "
सारिका ; देविका के रोने की वजह से घबराकर ! उससे से रोने की वजह पूछती हैं ।
" दीदी ! जब से शादी हुई हैं , मेरी ! निशांत भईया और वरनाली भाभी ने मुझे बहुत परेशान कर लिया । हर चीज के लिए मुझे परेशान होना पड़ता है । पिताजी की जमीन में से , जो भी पैसे आते हैं । उस पर इनका भी तो हक हैं ना । पर नही ; कभी उन्होंने अपने भाई को कुछ भी नही दिया । क्यूं ? "
देविका ; रोते - रोते सारिका से निशांत और वरनाली की शिकायत करने लगती है ।
सारिका : - " लेकिन देविका ; मुझे जहाँ तक याद हैं । शादी के 2 - 3 साल तक तो , तुम्हारा भी सारा खर्चा निशांत ही उठाता था । अब का तो मुझे पता नही । "
देविका : - " नहीं दीदी ! आपको नहीं पता ! शुरुआत में कुछ महीने ही दिया था । बस । फिर ये ही सारा खर्च करते थे । और फिर अब कितने टाइम से ; इनकी भी तबीयत ठीक नही हैं । पहले तो चलो ; इनकी सेलरी आती थी अच्छी खासी ।
पर अब मै क्या करूं ? कैसे तो अपना और बेटी का खर्चा चलाऊं और इनकी दवाओं के ; डॉक्टर के पैसे कहाँ से लाऊं मे ? आप ही बताओ दीदी । "
देविका मगरमच्छ के आंसु दिखाकर ; सारिका दीदी को अपनी सफाई देते हुए कहती हैं ।
" हाँ देविका ! में अच्छे से समझ सकती हूँ । हम सब है तो तेरे साथ | और अगर किसी चीज की जरूरत है तो बता हमें । "
सारिका ; देविका को चुप कराते हुए उसके आंसु पोंछते हुए कहती है ।
तभी देविका एक दम से ही और जोर - जोर से रोने लगती हैं । और कहती हैं । . . . .
" और तो और दीदी ! ये वरनाली भाभी तो इन्हें मारने पर ही तुली हैं । इन्हें गलती से भी अगर कुछ हो गया तो . . . में क्या करूंगी दीदी ? मेरे लिए तो जैसे भी हैं , बस यही ( अरनव ) सब कुछ है । आखिर मेरे पति है | और मेरी बच्ची के पिता हैं । "
सारिका : - " क्या हुआ ? ऐसे कैसे कह रही है देविका ? मानती हूं कि वरनाली ने निशांत को सबसे दूर कर दिया हैं । क्यूंकि वो ! अकेले अपने बच्चो और निशांत के साथ चैन से रहना चाहती थी । शुरु से ही ।
लेकिन . . . . वरनाली ऐसा तो कुछ नहीं कर सकती देविका । में इतने सालो से जानती हूं उसे | और निशातं ; हम सबसे दूर जरूर हो गया है । लेकिन वो आज भी अरनव से उतना ही प्यार करता हैं । "
सारिका ; देविका को समझाते हुए , कुछ भी वे वजह सोचने और बोलने के लिए मना करती हैं ।
देविका : - " मैं , निशांत भईया की नहीं कह रही हूं दीदी । लेकिन . . . वरनाली भाभी और अयान बहुत चालाक हैं । उनके दिमाग में हर समय बस कुछ न कुछ षड़यंत्र चलता रहता है | "
देविका ; चालाकी बताते हुए वरनाली के ऊपर सारा शक डालते हुए , सारिका दीदी को कन्वेंश करने की कोशिश करती हैं ।
सारिका : - " देविका ! तुझे अभी वरनाली के साथ वक्त ही कितना हुआ है । 5 - 6 साल बस ! उसमें भी तुम दोनो अलग रह रही हो । लेकिन मै , वरनाली कों 15 सालो से जानती हूँ । . . . वो सब कुछ कर सकती हैं । लेकिन . . . ऐसी मारने वाली हरकत नहीं कर सकती । और तू ऐसा किस वजह से कह रही हैं ? "
सारिका ; देविका से इस तरह वरनाली और अयान पर शक करने का कारण पूछती हैं ।
देविका : - " ये देखो दीदी ! ये दवाई कल सुबह मुझे , इनके पास से मिली थी । ये डॉक्टर की वो दवाईयां नहीं हैं । जो इन्हें दी थी । में खुद इन्हें इतने टाइम से दवाईयां खिला रही हूं ।
पर ये वो दवा नहीं है । मैंने इनसे पूछा तो इन्होंने बताया कि मेरे जाने के बाद कभी - कभी भाभी और अयान आते हैं । और ये दवा खिलाते हैं । बहुत दिनों से ।
आज में मेडिकल पर पूछकर आयी हूं । ये दबा slow poision है किसी भी इंसान के लिए । "
देविका ; सारिका दीदी को वो सारी दवाएं दिखाते हुए कहती हैं ।
लेकिन सारिका को ! देविका की इन सब बातो पर जरा भी विश्वास नहीं हो रहा था । लेकिन . . . वो करती भी क्या आखिर देविका के पास सुबूत था । और अरनव की तबीयत भी तो खराब ही थी । और इतने सारे ट्रीटमेंट के बाद भी लगातार बिगड़ ही रही थी |
देविका की बात पर विश्वास करना उनकी मजबूरी थी । सिर्फ अरनव के लिए । क्यूंकि . . . सारिका यहीं चाहती थी । कि उनका भाई बस जल्दी से अच्छा हो जाए । और वो पैसों से ; बाकी हर तरह से अपने भाई अरनव के लिए उसकी मदद करती थी ।
सारिका ; देविका की सारी बांते सुनकर मन ही मन सोचते हुए एक पल के लिए कहीं खो सी गई थी ।
सारिका : - " हे भगवान सच कहूं अगर , तो मुझे तो वरनाली की जगह ; देविका पर ही शक हो रहा है । न जाने क्यूं ? पर बार - बार मन में मेरे यही ख्याल आता है | पर एक सच ये भी है कि वहीं तो अरनव का ट्रीटमेंट करवा रही है ।
कभी भोपाल ; कभी दिल्ली डॉक्टर को दिखाने ले जा रही हैं । स्कूल जा कर अपनी बच्ची को भी पाल रही है । वो खुद ऐसा तो नहीं कर सकती । और अपने ही पति के साथ क्यूं करेगी ? "
देविका को एक टक देखते हुए सारिका अपने मन में ये सब सोच रही थी |
तभी देविका ! सारिका के हाथ को हिलाते हुए पूछती है ।
" क्या हुआ दीदी ; आप कहाँ खो गई ? क्या सोच रहीं थी आप ? "
सारिका : - " वो कुछ नहीं देविका ! में बस वरनाली और अयान के बारे में ही सोच रही थी । कि अगर उन्होंने ऐसा किया है | तो वो पैसो के लिए कितने गिर गए है |
ईश्वर उन्हें इसकी सजा जरूर देगा | क्यूंकि मेरे अरनव ने कभी किसी का भी बुरा नही चाहा | "
सारिका लंबी सांस लेते हुए ; खैर ये तो वक्त ही बताएगा | चारू ! मामी के लिए अच्छी सी चाय बना कर ला और पहले खाना ले आना ।
सारिका ; देविका को वरनाली के बारें में सोचने की झूठ बोलकर , अपनी बेटी चारू से मामी के लिए खाना और चाय लाने के लिए कहती हैं ।
देविका : - " नहीं दीदी ! खाना तो मैंने स्कूल में खा लिया । चारू में बस चाय ही लूंगी । "
सारिका दीदी से ये कहकर देविका ! अपने मन में सोचने लगती है |
" मुझे लगता है ; दीदी को मेरी बातों पर यकीन हो गया है । अब देखना वरनाली भाभी ; में आपको मेरी प्रापर्टी न देने के लिए कैसे फसाती हूं । आपके ही घर में । "
देविका को जैसे अंदर ही अंदर बहुत खुशी हो रही थी |
उधर विकास भी ; कान्ट्रेकटर होंने के साथ - साथ अब अपने शहर का माना हुआ गुंडा बन चुका था । उसे अब किसी बात की परवाह नही थी । पैसा और गुंडागर्दी दोनों ही उसके पास थे । और विकास की वजह से देविका को भी बहुत हिम्मत थी ।
विकास के दम पर ही देविका ; अरनव के नाम पर होने वाली प्रॉपर्टी और उसका पैसा खुद हड़पना चाहती थी ।
तो फिर वाकई में मजबूर कौन था ? देविका , अरनव , वरनाली या फिर दोनो बहने सारिका और सरला ? ? जो अपने भाई के लिए हर तरह से देविका की मदद करने में लगी हुई थी ।
लेकिन . . . . अरनव के साथ जो कुछ भी हुआ । और आगे जो भी होगा । उसके पीछे आखिर किसका हाथ है ? क्या विकास देविका से सच में प्यार करता है ? या ये भी उसकी कोई चाल है देविका को फंसाने की I
जानने के लिए आगे पढ़ते रहे _ _ _ _ _ _