देविका , अरनव को कॉल करती है |
" भईया आ गये है लेने , आप आ जाओं | हम थोड़ी देर में निकलने वाले है | "
अरनव : - " हो सकता है देविका | कि मैं लेट हो जाऊं थोड़ा , तुम चाहो तो निकल जाना | लेकिन जल्दी आ जाना इस बार l "
देविका : - " नहीं - नहीं ! आप आ जाओ | मै आपसे मिले बिना नही जाऊंगी |
( देविका उस समय थोड़ा बैचेन होते हुए कहती है । )
अरनव : - " अच्छा ठीक है , मैं आ जाऊंगा ! वो भी तुम्हारे जाने से पहले . . . . "
अरनव फोन पर मुस्कुराते हुए , देविका से बडे ही प्यार से कहता है |
अरनव , सिर्फ देविका के लिए उसके Force करने पर ! अपने उस दिन के सभी जरूरी काम को जल्दी से पूरा कर घर आ जाता है | घर पर अमित , अरनव का ही इंतजार कर रहे थे | इसलिए वो अरनव को देखकर खुश हो जाते है |
थोड़ी देर भईया के पास बैठने के बाद अरनव उठकर देविका के पास जाता है | देविका , अरनव को देखकर खुश हो जाती है | और अरनव के गले लग जाती है | और अपनी आँखे बंद करके अरनव से कहती है |
" आप आ गए | "
अरनव : - " तुमने इतने प्यार से कहा था , तो मुझे तो आना ही था | "
अरनव भी प्यार से देविका के गले लगकर कहता है |
थोड़ी देर बाद ; भईया और देविका घर जाने के लिए निकल जाते है |
2 घंटे बाद देविका , अपने बडे भाई के साथ अपने मायके पहुँच जाती है ।
घर पहुंचकर सभी लोग देविका को देखकर बहुत खुश हो जाते हैं | और देविका अब माँ बनने वाली थी | और वह अरनव के साथ अपनी शादी से भी खुश थी |
देविका के घर के सभी लोग , इस बात को बहुत अच्छे से जानते थे | कि देविका ये शादी नही करना चाहती थी |
उस दिन जब देविका अपने मायके पहुंच गई | तो उसने सभी के साथ बहुत देर तक बैठ कर बातें की फिर खाना खाकर वह अपने रूम में आराम करने चली जाती है |
देविका अपने रूम में आकर , बैड पर आराम से लेट जाती है और कुछ सोचने लगती है |
कुछ देर के लिए मानों वह घर आकर ! अपनी पुरानी जिंदगी में चली गई हो | उसे अपना बीता हुआ कल याद आ रहा था |
देविका बैड पर लेटकर , सामने की ओर एक टक देख रही थी | उसे ससुराल से आते समय का अरनव का चेहरा याद आ रहा था | अरनव का भोला पन , उसकी सादगी और अरनव के निश्छल प्रेम की तस्वीरे ! उसकी ऑंखो के सामने घूम रही थी |
वहीं दूसरी ओर जब देविका ने अपनी ऑखे बंद की तो उसके सामने , उसके बीते हुए कल की तस्वीरे आ रही थी |
देविका का वो कल , जिसमें देविका और विकास थे |
कि तभी उसे विकास के साथ बिताया हुआ हर पल याद आने लगता है | और वह अपने पास्ट को , अपनी बंद आँखो से एक बार फिर जीने लगती है
देविका बचपन से ही , बहुत ही शरारती और चंचल थी | पढने में तो शुरू से ही उसका मन नहीं लगता था | बस स्कूल और कॉलेज मै जैसे - तैसे पास हो जाती हैं |
लेकिन उल्टी - सीधी हरकतों मै , उसका बहुत मन लगता था l जैसे सहेलियों से गप्पै लड़ाना , शहर में ट्यूशन के बाद इधर - उधर घूमना | बस . . . यहीं एक काम था देविका को |
देविका तीखा खाना खाने की तो इतनी शौकीन थी | कि किसी और इंसान का तो मुंह ही जल जाए . . . .
और ये सारी हरकतें तब थी | जब भाईयो ने उसके अपनी बिगड़ी हुई सहेलियो के साथ , वेवजह घूमने फिरने पर बहुत ज्यादा पाबंदी कर रखी थी |
देविका की माँ तो हमेशा यही कहती थी |
" क्या होगा इस लड़की का प्रभु . . . "
देविका एक दिन अपने कॉलेज में , क्लास रूम में बैठी हुई थी |
( जब कॉलेज कुछ दिन पहले खुले ही थे | और देविका 12 th class Pass करके कॉलेज में आयी ही थी | )
तभी वहां विकास आता है | और देविका से कहता है |
" एक्सक्यूज मी ! ये B.com फर्स्ट यीअर का क्लास रूम कहा है ? "
देविका : - " B . com first year का class room यही हैं | "
विकास : - " थैंक्यू "
देविका : - " नये लगते हो , आज ही आये हो क्या ? "
विकास : - " हाँ , आज मेरा पहला दिन है कॉलेज में "
इतना कहकर विकास वहाँ से चला जाता हैं |
विकास , दिखने में बहुत ही नॉर्मल सा लड़का था । बहुत ही सांवला सा एक - दम दुबला - पतला |
देविका और विकास ; दोनो एक ही कॉलेज में साथ पढते थे | पढ़ाई की बजह से ही दोनों की एक - दो बार बात हुई थी |
फिर धीरे - धीरे कॉलेज एक्टीविटी में फंक्शन में बात होने लगी थी | फर्स्ट यीअर खत्म होते - होते दोनों एक - दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए थे ।
विकास भी पढ़ने में बहुत अच्छा नही था | इसलिए विकास बस पास हो गया था | और देविका बहुत मुश्किल से पास हो पाई थी | बहुत ही कम नंबर्स से |
फिर दोनों एक - दूसरे से अक्सर कॉलेज मे फ्री टाइम में मिलने भी लगे थे | और धीरे - धीरे कॉलेज के बाहर भी उनकी घंटो बाते होने लगी थी |
इसी तरह उनका second year भी निकल गया l और final year में विकास तो पास हो गया था लेकिन बहुत कम परसेंट से | लेकिन देविका तो final year में फेल ही हो गई l
पर देविका को फेल होने का भी कोई गम नहीं था ।
विकास ने , आगे अपनी पढ़ाई जारी रखी l लेकिन देविका ने अपनी पढ़ाई यहीं छोड दी | उसने अपना ग्रेजुएशन भी पूरा नहीं किया |
घर पर सभी ने उसे बहुत समझाया | पर उसने किसी की भी नहीं सुनी |
इसीलिए . . . देविका के घर पर ! सभी उसकी घूमने - फिरने की और पढ़ाई न करने की हरकतो से बहुत परेशान थे |
विकास और देविका अभी भी एक - दूसरे से चोरी - छिपे मिला करते थे |
( क्यूंकि . . . पहले तो कॉलेज और ट्यूशन पर ही रोज मिलना हो जाया करता था l )
और एक दिन विकास , देविका को प्रपोज करता है I देविका भी विकास को हाँ कर देती है | क्यूंकि वह भी विकास को पसंद करती थी |
लेकिन . . . दोनो के घर पर किसी को भी ये बात नहीं पता थी |
देविका के घर पर सभी लव मैरिज के खिलाफ थे |
देविका अपने भाईयों से बहुत डरती थी | इसलिए , वह अपने घर पर किसी को भी ! विकास के बारे में नहीं बता सकती थी |
देविका की शादी के लिए , उसके भाई लड़का देखने लगे थे l
जो लड़के देविका के लिए भाई को पसंद आए | वह देविका को देखने के लिए आए | लेकिन देविका जब उनसे अकेले में बात करती थी | तो कुछ न कुछ ऐसा कर देती थी ! जिससे वह खुद ही सामने से मना कर देते थे I भाईयों को इस बात का पता नहीं था |
एक दिन , देविका जब विकास से मिलने गई थी l तब देविका के बडे भाई अमित ने , देविका को विकास के साथ देख लिया था |
घर आकर देविका के भाई अमित ने , देविका की बहुत डाँट लगायी |
अमित : - " कौन था वो लड़का ? जिसके साथ तुम इस तरह अकेले सुनसान जगह पर खडी थी |
यही काम और बाकी रह गया था करना | "
देविका : - " भईया वो . . . अ . . अ . . . "
देविका कांपते हुए भईया से कहने की कोशिश करती है | लेकिन कुछ भी कहने की हिम्मत नही कर पाती है |
अमित : - " अब समझा . . . कि हर बार लड़के वाले क्यूं मना कर देते थे ? वो भी लड़के के तुझसे अकेले में बात करने के बाद . . . . में एक बार भी समझ ही नही पाया |कि मेरी बहन ही ये सब कर रही है |
क्यूं कर रही थी देविका तुम ऐसा ? बोलो . . . . जबाव दो मुझे | "
( देविका , भईया के गुस्से की वजह से डरी सहमी सी खडी थी और उसकी आँखो से आंसु बह रहे थे l )
लेकिन फिर भी देविका डरते हुए कहती है |
" भईया उसका नाम विकास सक्सेना है | हम एक - दूसरे को पसंद करते हैं | और शादी करना चाहते है l "
अमित विकास का नाम सुनकर और गुस्सा हो जाता है |
" एक तो लव मैरिज और वो भी दूसरी कास्ट में . . . . समाज में इतनी इज्जत जो मैंने दिन - रात एक करके बनाई है | वह सब मिट्टी में मिलवाना चाहती हो तुम ?
उस पर वो लड़का ! कुछ करता भी नहीं है । अपने पिता के पैसो पर ही ऐश करता है | गुंडा है वो एक नंबर का | मैंने तुम्हारे लिए इतने अच्छे लड़के देखे और तुम . . . .
ये शादी कभी भी नहीं हो सकती | समझी तुम . . . और बोल देना उसे भी . . . . कि आइंदा मुझे ! तेरे आस - पास भी दिखा , तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा | और तुम अगर घर से बाहर गयीं तो समझ लेना | "
गुस्से मे इतना कहकर भईया वहाँ से चले जाते है |
देविका रोये जा रही थी | तब देविका विकास को फोन पर भईया की कही सारी बात बताती हैं |
विकास भी अपने घर पर किसी को भी , देविका के बारे में बताने की हिम्मत नही कर पाया | और वह अब अपने पिता के साथ , कॉन्ट्रेक्टर के काम को सभालने में ही लग जाता है |
( कुछ दिन बाद . . . )
बडे भाई अमित , देविका के रूम में आते है | और देविका से कहते है |
" मैने तुम्हारी शादी फाइनल कर दी है | लड़का बहुत अच्छा हैं | सुन्दर है , गवरमेंट जाँब करता है l तुम्हें अच्छे से रखेगा । परिवार भी अच्छा है |
2 - 3 दिन बाद ही , लड़का तुमसे मिलेगा | तब तुम भी देख लेना उसे | लेकिन . . . इस बार मुझे तुम्हारी तरफ से कोई भी गड़बड नहीं चाहिए | "
भईया की ये बात सुनकर देविका , बस रोये जा रही थी |
उधर विकास ने भी देविका से झूठ कहा कि वो अपने घरवालो को शादी के लिए मना लेगा | लेकिन वो कुछ नहीं कर पाया | क्यूंकि विकास ने एक बार भी कोशिश ही नहीं की थी |
कि तभी देविका डरकर अपनी ऑखे खोल लेती है l वह सब सोच रही थी |
अपना वो बीता हुआ कल . . . . जो आज फिर उसे अंदर तक झकझोर रहा था ।
पर क्या देविका , अभी भी विकास को पसंद करती है ? या वह अब अरनव के साथ खुश है |
लेकिन क्यूं आया था आखिर विकास का फोन ?
आगे अरनव और देविका की जिंदगी क्या नया मोड लेती है ?
जानने के लिए आगे पढ़ते रहिए _ _ _ _