देविका बहुत confidence के साथ , अब अपने अगले कदम की ओर आगे बढ़ रही थी | और उसे अंजाम देने के लिए वो मेंटली ओर फिजिकली पूरी तरह तैयार थी |
देविका का अगला कदम , उसे उसकी सपनों की दुनिया में ले जाने वाला था | वो दुनिया जो उसने खुद , इंसानियत की सारी हदे पार करके अपने दिमाग बनायी थी | अपने लिए और अपनी छोटी सी बच्ची के लिए |
देविका की ऑखो के सामने ! विकास के साथ रहने का सपना , अब उसके लिए बस एक कदम दूर था |
अगले कुछ ही दिनों बाद करवाचौथ आने वाला था | और देविका ने करवाचौथ के लिए नई साड़ी भी खरीद ली थी |
देविका ने , पिछले कुछ दिनों से अरनव को दवाएं देना बंद कर दिया था | और उसने स्कूल से कुछ दिनो के लिए छुट्टियाँ भी ले ली थी | जिससे वह हर समय अरनव पर नजर रख सके |
अरनव को दवाई न देने की वजह से , अब उसकी हालत में सुधार हो रहा था | और वह अब पहले से अच्छा महसूस कर रहा था |
अरनव : - " देविका पिछले एक हफ्ते से मुझे वो दवाईयां नही दे रही है | जिन्हें वो मुझे रोज खिलाती रही थी | शायद इसीलिए में अब पहले से better feel कर रहा हूँ |
लेकिन ये देविका की कोई चाल तो नही है | वो कुछ और तो नहीं सोच रही है | कुछ बड़ा करने की | वरना इतनी आसानी से वो मुझे छोड़कर जाने वाली नहीं है | "
लेकिन अरनव अभी भी देविका के सामने पहले की तरह ही बहुत बीमार होने का नाटक कर रहा था | क्यूंकि वो जानना चाहता था । कि देविका के मन में आखिर चल क्या रहा है ?
देविका रूम में अपना मोबाइल फोन चला रही थी | वहीं बेड पर अरनव लेटा हुआ था |
अरनव : - " देविका तुमने स्कूल छोड़ दिया है क्या ? आजकल तुम कुछ दिनों से स्कूल नही जा रही हो | "
देविका ( मोबाइल चलाते हुए कहती है ) : - " मैंने कुछ दिनों की छुट्टियाँ ली है स्कूल से | "
अरनव : - " लेकिन क्यूं ? तुम्हे कोई काम है क्या ? "
देविका : - " आप पर नजर रखने के लिए | "
ये कहकर देविका , अरनव की ओर देखकर जोर से हंसने लगती है | और फिर
" अब तो अच्छा फील कर रहे होगे ना आप । दवा जो नही खा रहे हो | वैसे कुछ दिन बाद देखना आपको और भी अच्छा फील होगा | "
अरनव : - " तुम्हारे दिमाग में आखिर चल क्या रहा है । "
देविका : - " वही जो आप सोच रहे हो । "
अरनव : - " तुम मुझे ठीक से बता क्यूं नही रही हो ? और तुम मुझे कौन सी दवा खिला रही थी अभी तक ? "
देविका : - " थोड़ा और सब्र कर लो | फिर तो बस आपको सुकून ही सुकून मिलेगा चारो ओर शांति ही शांति होगी | और तब वहाँ मे आपके साथ नही रहूंगी । आप अकेले सुकुन से रहना | "
अरनव : - " ऐसा मेरा नसीब कहाँ ? जिस तरह से तुमने मेंरी जिंदगी बर्बाद की है | उसे देखकर तो कभी - कभी मुझे लगता है । कि मरने के बाद भी मुझे सुकून नही मिलेगा | वैसे तुम कहाँ जा रही हो ? "
देविका : - " आप ही तो चाहते थे ना। कि में आपको छोड़कर चली जाऊं । तो बस आपका सपना पूरा करने में लगी हुई हूँ | बस फर्क सिर्फ इतना है कि आपको छोड़कर में नही जाऊंगी । बल्कि आप जाओगे |
वैसे ये बताओ कि आपको शांति कब मिलेगी ? "
अरनव : - " जब तुम्हे और तुम्हारा साथ दे रहे विकास को अपनी करनी की सजा मिलेगी | मेरी जिंदगी बर्बाद करने की सजा | ये जो तकलीफे दी है ना तुमने मुझे उसकी सजा | समझी तुम | "
देविका : - " फिर तो मुश्किल है | क्यूंकि मेरे और विकास के अलावा ये सब सच तो सिर्फ आप ही जानते हो | और आप तो बहुत जल्द . . . हा . . हा . . हा . . . "
देविका ; अरनव से आप तो बहुत जल्द कहकर रुक जाती है | और जोर - जोर से हंसने लगती है | और उसकी इस हंसी के पीछे बहुत सारे राज छुपे हुए थे | जिन्हे अरनव समझने की कोशिश कर रहा था |
लेकिन अरनव को देविका की इन बातो सें साफ - साफ समझ आ रहा था । कि वो कुछ बड़ा करने वाली है | और अरनव ये भी जानता था । कि इन सबके पीछे देविका का दिमाग नहीं है |
वो जो कुछ भी कर रही है और अभी तक करती आ रही थी | उसके पीछे विकास का दिमाग है | वो उसने खिलौने की तरह इस्तेमाल कर रहा है |
अरनव ये बात नहीं जानता था | कि विकास की पत्नी श्वेता अब इस दुनिया में नही है | और उसकी मौत के पीछे विकास का ही हाथ था |
अरनव ; देविका की चाल समझने की कोशिश कर रहा था | लेकिन उसे ये अंदाजा नही था । कि ये दोनो मिलकर श्वेता की तरह ही उसे भी मौत के घाट उतारने की सोच रहे है |
2 दिन बाद . . . .
देविका इतने दिनों से स्कूल से छुटटी लेकर , अरनव की हर हरकत पर नजर रख रही थी | और वो सबको यही बता रही थी | कि अरनव के लिए उसका प्यार , और उसकी मेहनत दोनो ही सफल हो गई ।
एक दिन देविका सारिका दीदी को फोन करती है |
देविका : - " हेलो दीदी ! आज आप घर आजाइए ना । आपको कुछ दिखाना है | "
सारिका : - " क्या हुआ देविका ? आज बहुत खुश लग रही है । "
देविका : - " हाँ दीदी ! बात ही कुछ ऐसी है | इसीलिए तो आपको घर बुला रही हूँ । आप जल्दी फ्री होकर आ जाओ ना दीदी ! प्लीज । जीजा जी को भी ले आना l "
सारिका : - " ठीक है देविका में आती हूँ थोड़ी देर में । "
सारिका फोन रख देती है | और सोचती है । कि आज देविका इतनी खुश क्यूं है ? हाँ लेकिन अरनव अब पहले से थोडा ठीक हो रहा है । शायद इसीलिए |
तभी सारिका के पति पीछे से निकल रहे होते है | और सारिका को इस तरह बहुत ध्यान से कुछ सोचते हुए ; और हाथ में फोन लेकर बुदबुदाते हुए देखते है |
" क्या हुआ सारिका ? अकेले बैठकर क्या सोच रही हो ? वो भी इतने ध्यान से कि मेरे आने का तुम्हे पता ही नही चला | "
सारिका : - " देविका का फोन आया था । हम दोनों को घर पर बुला रही है | आज फोन पर बहुत खुश लग रही थी देविका | बस इसलिए कुछ सोच रही थी मैं | "
सारिका के पति : - " ये तो बहुत अच्छी बात है | बहुत दिनों बाद उसे थोड़ी खुशी मिली है | और तुम भी अब कुछ मत सोचो | अरनव अब जल्दी ही पूरी तरह ठीक हो जाएगा । "
सारिका : - " वो तो वहाँ पहुंचकर ही मुझे पता चलेगा | चलो चलते है । "
सारिका और उनके पति दोनो देविका के घर पहुंचते है ।
देविका : - " आइए दीदी , जीजा जी में आप दोनों का ही इंतजार कर रही थी | क्यूंकि मुझे आप दोनों को कुछ दिखाना था इसलिए | "
देविका ; सारिका दीदी और जीजा जी को अरनव के रूम में ले जाती है ।
देविका : - " अरनव देखो ना कौन आया है ? "
अरनव कुछ काम कर रहा था | देविका की आवाज सुनकर वो पीछे पलटकर देखता है | और सारिका दीदी , जीजा जी को देख कर वो चौंक जाता है |
अरनव : - " अरे दीदी ! जीजा जी आप । "
और फिर बेड से उठ कर अरनव अपनी दीदी के गले लग जाता है | ये देखकर सारिका और उसके पति भी खुश हो जाते है |
सारिका : - " अरनव आज मै बहुत खुश हूं । न जाने कितने दिनों बाद तुझे ऐसे अपने पैरो पर खड़ा होकर चलते हुए देख रही हूं | "
जीजा जी : - " अरनव ये तो सच मै ! आज बहुत खुशी की बात है | अच्छा किया देविका जो तुमने हमै बुला लिया | "
देविका : - " मै जानती थी जीजा जी | कि आप लोग भी मेरी तरह इन्हें इस तरह देखकर बहुत खुश होगे | "
और फिर ये कहते - कहते देविका , सारिका दीदी और जीजा जी के सामने रोने लगती है |
सारिका ; देविका को चुप कराते हुए उसे अपने गले लगा लेती है |
सारिका : - " अब क्यूं रो रही हो ? अब तो ठीक हो गया । "
देविका : - " हाँ दीदी ! ये तो बस खुशी के आंसु है | मेरे दिल मै इनके लिए जो सच्चा प्यार था | और अभी तक की मेरी सारी मेहनत भी सफल हो गई । बस इसलिए दीदी रोना आ गया | "
जीजा जी : - " हाँ देविका ! तुमने अरनव को ठीक करने के लिए बहुत मेहनत की है । "
अरनव ये सब देखकर कुछ समझ नही पा रहा था | कि देविका कैसे उनके सामने इस तरह Acting कर रही है | और वो लोग भी इसकी बातों में आ रहे है | क्यूंकि कोई भी देविका के पीछे का सच नही जानता था |
लेकिन अब अरनव अपनी दीदी को देविका का पूरा सच बताना चाहता था | लेकिन कैसे ?
तभी 3 - 4 दिन बाद . . . . .
रात का समय था | करीब रात के 8 बज रहे थे | तभी देविका ; अरनव के पास आती है |
देविका : - " ये लीजिए आपका मोबाइल "
अरनव एक पल के लिए सोच में पड़ जाता है । कि ये , सब कुछ जानकर भी आज मुझे मोबाइल क्यूं दे रही है ? और अरनव देविका के हाथ से फोन ले लेता है |
देविका : - " अब आप ठीक हो ! इसलिए में कल सुबह से स्कूल जाऊंगी | "
ये सुनकर अरनव मन ही मन खुश हो जाता है | कि अब कल जब देविका स्कूल चली जाएगी | मै बिना देर किए दीदी और जीजा जी को इसके बारे में सब सच बता दूंगा |
अरनव अपना फोन ऑन करके देखता है | उसमें से सारे नंबरर्स डिलीट कर दिए थे |
अरनव मन में सोचता है | कोई बात नही देविका दीदी का नंबर तो मुझे कहीं से भी मिल जाएगा | बस आज रात की ही तो बात है | और अरनव इस खुशी के साथ सो जाता है |
लेकिन वो नही जानता था | कि कल उसके साथ क्या होने वाला है ? देविका ने उसे उसका मोबाइल क्यूं दिया ?
आखिर कल क्या होने वाला था अरनव के साथ ? क्या था विकास और देविका का आखिरी प्लान ?
जानने के लिए आगे पढ़ते रहे . . . . . .