अरनव , अपने जीजा जी के साथ ! वहाँ के एक अच्छे डॉक्टर को दिखाने जाता हैं | अरनव ! उस डॉक्टर को अपनी सारी प्रॉब्लम बताता हैं |
डॉक्टर : - " ऐसा कितने दिनो से महसूस हो रहा हैं आपको ? "
अरनव : - " यही , अभी 5 - 6 दिन से . . . . "
डॉक्टर : - " अरनव आप कोई दवा ले रहे हैं क्या ? "
अरनव : - " नहीं ! बस फीवर आया था | तब दो दिन ये दवा ली थी । लेकिन तब मुझे वीकनेस नही लग रही थी | ये सब फीवर आने के बाद से हुआ हैं । "
अरनव डॉक्टर को बताते हुए कह रहा था | इसलिए डॉक्टर अरनव को कुछ दवा लिखकर देते है |
डॉक्टर : - " कुछ दिन अरनव इन दवाओ को लो फिर बताना | "
अरनव और जीजा जी डॉक्टर को दिखाकर घर आते है | तब देविका उनसे पूछती है ।
" जीजा जी क्या कहा डाँक्टर ने ? कुछ बताया , क्यूं हो रहा है इन्हें ये सब ? "
जीजा जी : - " नहीं ! अभी बस ये दवा दी हैं | इन्हें कुछ दिन तक टाइम पर लेना है | फिर कितना आराम मिलता है उस हिसाब से तब देखेंगे । "
देविका : - " अच्छा ! ठीक है जीजा जी । "
अरनव को , देविका ने सारी दवाएं अगले कुछ दिनों तक टाइम पर दी | लेकिन फिर भी उसकी तबीयत में 1 % भी ! आराम नही मिल रहा था | उल्टा ; अरनव की तबीयत ! पहले से भी ज्यादा बिगड़ती ही जा रही थी |
देविका : - " जीजा जी ! इनकी तबीयत तो ; उन दवाओ से और खराब होती जा रही हैं | आप और दीदी घर आ जाओ जल्दी । इन्हें पता नही क्या हो रहा हैं ? "
देविका ; सारिका दीदी को फोन करके उन्हे और जीजा जी को घर पर आने के लिए कहती हैं l
थोड़ी ही देर में दोनों घर आ जाते है |
जीजा जी : - " क्या हुआ अरनव को ? 4 - 5 दिन में उन दवाओं से बिलकुल भी आराम नही मिला क्या ? "
सारिका और जीजा जी दोनों देविका से अरनव की तबीयत के बारे मे पूछते हैं ।
देविका : - " नहीं दीदी , जीजा जी ! देखो इनकी हालत तो और बिगड़ती ही जा रही हैं | "
ये कहते हुए देविका उनके सामने रोने लगती हैं ।
अरनव : - " दीदी , जीजा जी ; अब मुझे पहल से और भी बहुत अजीब सा लग रहा है | पता नही ! बस पागल सा हुआ जा रहा हूं |
मेरी भूंख , प्यास भी बिल्कुल खत्म हो गई हैं जैैैसे I आंखों के सामने हर पल अंधेरा सा छाया रहता हैं | कुछ भी ठीक से याद नहीं रहता | "
ये कहते - कहते अरनव की आंखो मे आंसु आ जाते हैं और वो अपनी सारिका दीदी के गले लगकर रोने लगता हैं |
सारिका : - " तू चिंता मत कर ! मेरे बच्चे अरनव | हम तुझे कहीं बाहर किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाने ले जाएंगे | तू देखना जल्दी ही ठीक हो जाएगा | "
सारिका को भी ! अरनव की ऐसी हालत देखकर रोना आ जाता हैं | और वो अरनव की पीठ पर प्यार से हाथ फेरते हुए , उसके आंसु पोंछकर उसे चुप कराती है |
वहीं देविका को अंदर ही अंदर ये टेंशन हो रही थी । कि अरनव कहीं दीदी और जीजा जी को मेरे और विकास के बारे में न बता दें । इसलिए देविका उन तीनों को एक मिनिट के लिए भी ; अकेला नहीं छोड़ रही थी |
और अरनव मन ही मन ये सोच रहा था । कि देविका थोड़ा इधर - उधर जाए तो दीदी को देविका के बारे में कुछ बताऊँ | हालांकि ! अरनव की तबीयत ; इतनी ठीक नही थी । कि वह सही से दीदी को पूरी बात बता पाता |
अरनव : - " दीदी ! कितने दिनों से तो मैं स्कूल नही गया । बस खुशी के साथ खेलकर ! मेरा मन थोडा हल्का हो जाता है । "
अरनव सारिका दीदी से अपने मन की बात कह कर थोड़ा अच्छा फील करता है |
देविका : - " में ! कल ही अपने बड़े भईया को बुलावा लेती हूँ | भोपाल , इंदौर में उनकी पहचान के बहुत डाँक्टर है | भईया ; इन्हे किसी अच्छे डॉक्टर को दिखा देंगे | "
अरनव की बात सारिका दीदी से पूरी भी नही हुई थी । कि देविका बीच में ही अपने भईया की कहने लगती हैं |
जीजा जी : - " एक काम करेंगे ! फिर में भी साथ में चला जाऊंगा तुम्हारे | "
जीजा जी देविका से कहते हैं |
देविका : - " देख लेना जीजा जी ! वैसे तो भईया हैं ही | फिर आप क्यूं परेशान होते हैं | वो मेरा मतलब था कि आप दोनों परेशान होंगे | एक ही बहुत है । बस इन्हें दिखाकर ही तो वापस आना हैं | "
( देविका नही चाहती कि जीजा जी साथ मैं जाएं नही तो उसका सारा प्लान बिगड़ जाएगा I और अगर रास्ते में अरनव ने जीजा जी को कुछ बता दिया तो । वो अलग टेंशन I )
जीजा जी : - " अरे नहीं ! देविका इसमे परेशानी कैसी ? में साथ में चलूंगा । "
जीजा जी देविका से साथ में ही जाने के लिए कहते है ।
अरनव : - " हाँ ! जीजा जी सही कह रहे है । वो भी साथ चलेंगे । "
अरनव मन ही मन देविका का सच कैसे सबको बताऊँ यही सोच रहा था ।
" अगर आज सारिका दीदी को देविका के बारे में कुछ भी बताने का मौका नही मिला मुझे । तो डॉक्टर को दिखाने जाएंगे तब में जीजा जी को ही रास्ते में मौका देखकर बता दूंगा । और वो फिर दीदी को बता देंगे | "
देविका : - " जीजा जी ! हम जब जाएंगे तो आपके घर होते हुए ही निकल जाएंगे । तब तक आप और सोच लेना अगर चलना हो तो | "
देविका थोड़ी बात को घुमाते हुए कहती है |
अरनव के मन में , एक आइडिया उस समय ये भी चल रहा था । कि सारिका दीदी के घर पहुंचकर भी उन्हे बता सकता हूँ | जब देविका ! दीदी के बच्चो से बात कर रही होगी | तब में दीदी को अकेले में जल्दी से बता दूंगा |
यहाँ तो देविका हमारा पीछा ही नही छोड रही | तब दीदी के यहाँ ; अपने बडे भईया के सामने ! वो मुझ पर इतनी नजर भी नही रख पाएगी |
अगले दिन ही ! देविका के भईया आ जाते हैं | और अरनव को जब उन्होंने घर पर देखा तब उन्हें भी ये समझ नहीं आ रहा था । कि एक दम से अच्छा भला अरनव उसे ऐसा क्या हुआ ? जो उसकी इतनी कंडीशन खराब हो गई ।
पर वो अपनी बहन देविका से इस बारे मे कुछ भी इसलिए नहीं कह रहें थें । क्यूंकि उन्हें कुछ तो गड़बड़ लग रही थी | जिसका कारण शायद उनकी बहन ही थी ।
और फिर अगले दिन इंदौर के एक डॉक्टर को दिखाने का डिसाइड हुआ | जो एक बहुत बड़ा साइकाइट्रिस्ट डॉक्टर था |
अरनव : - ( देविका के भैया से ) " भईया ! जीजा जी भी हमारे साथ चलेंगे ; हम वहीं से होकर निकल जाएंगे | उन्हें अपने साथ मे लेते हुए । "
देविका : - " नही ! वो हम देख लेंगे . . . "
देविका ऐसे ही थोड़ी दबी हुई आवाज में कहने लगती है |
देविका के ऐसे बडबडाते ही अरनव समझ जाता है । कि इसके मन में कुछ गड़बड़ चल रही है | लेकिन चलो देविका के भईया है वो कुछ गड़बड नही होने देंगे | उनसे तो मैंने कह ही दिया है |
अगले दिन देविका अकेले में . . . .
देविका : - " भईया ! वो अब जीजा जी को क्यूं परेशान करते हैं । हम ही दिखा लेंगे इन्हें ! फिर वापस आते टाइम उनके घर होते हुए आएंगे । "
भईया : - " ठीक हैं देविका । "
भईया , देविका के कहते ही समझ जाते है कि उनका अपनी बहन पर शक ठीक ही था | उसके दिमाग में सच में कुछ चल रहा है ।
देविका ने , भईया से ये कहा ! ये बात अरनव नहीं जानता था |
अगले दिन - - - -
घर से सुबह 10 बजे अरनव , देविका , भईया और उनका बेटा राहुल ; चारों इंदौर के लिए गाडी से रवाना होते है |
अरनव : - " भईया , जीजाजी का घर लेफ्ट साइड हैं । "
जब भईया किसी और रास्ते पर गाडी ले जा रहे थे ।
देविका : - " नहीं ! हम सही जा रहे हैं | लौटकर आएंगे ; हम जीजा जी के घर । "
देविका बीच में ही अरनव को टोकते हुए कहने लगती है l
अरनव को अब ! उसके डॉक्टर को दिखाने जाने में भी कुछ तो गडबड लग रही थी |
गाड़ी में अरनव मन ही मन सोच रहा था । कि देविका के भईया को बता दूं अगर में देविका के बारे में तो ? जैसे - ही रास्ते में मौका मिलेगा |
नहीं ! नहीं ! वो देविका के भाई हैं | वो मेरी बात क्यूं मानेंगे ? और मुझे तो देविका ने ; वैसे भी सबके सामने रो - रो कर ! मेंटली डिस्टर्ब खोबित कर दिया है |
और क्या पता भईया भी देविका से मिलें हो ? तभी तो उन्होंने अभी कुछ भी नहीं कहा उसे | और फिर हो सकता है । कि उन्हें देविका और विकास के बारें में पहले से ही पता हो तो I इसलिए वो चुप हो |
और फिर मैंन भईया से कहा भी तो वो उसे बता देंगे और देविका तो मेरे मुंह खोलने का ही इंतजार कर रही हैं | इसीलिए तो मेरा फोन भी रख लिया है उसने ।
अरनव बहुत ही असमंजस में पड़ जाता है । और उस वक्त अपने आप को चारो ओर से परेशानियों से घिरा हुआ पाता है |
" हे भगवान ! में क्या करूं ? आपने मेरी शादी करवाई ही क्यूं ? और वो भी इस लड़की से | क्यूं भगवान ? इसने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी | देख रहे हो ना आप क्या से क्या हो गया ?
माँ ! आज मुझे आपकी बहुत याद आ रही हैं | आप क्यूं चली गई | आपका मेरी जिंदगी से जाना जैसे मेरा सब कुछ ले गया माँ | "
अरनव अपनी जिंदगी मै ; दूसरो के षड़यंत्र की वजह से आ रहे उतार - चढ़ाव से अब बहुत परेशान हो गया था । वो शांति से जीना चाहता था | भगवान भी अब जैसे उसकी कुछ भी सुन ही नही रहे हो ।
इंदौर जाने के लिए ये लोग , गुना तक पहुंच गए थे | गुना पहुंचते ही
देविका : - " भईया ! मैंने इन्हें दिखाने के लिए दिल्ली के एक बहुत अच्छे डॉक्टर से अपायमेंट लिया था | अभी मैसेज आया है | कि 4 दिन बाद ही जाना हैं | तो में सोच रही हूं कि वहीं ले जाऊंगी इन्हें | अब इंदौर जाकर हम क्या करेंगे वापस चलते है | "
भईया : - " अरे ! ये क्या मजाक हैं देविका | पहले बताना चाहिए था ना तुझे | अब रहने दे हम इंदौर ही चल रहे है । यहीं दिखा लेते हैं | दिल्ली नही जाना अब । "
भईया देविका से परेशान होकर कहते है | कि तुम्हें दिखाना भी है या नहीं । जो अब आधे रास्ते में ये कह रही हैं |
देविका : - " अरे ! नहीं भईया ! प्लीज ! प्लीज ! प्लीज . . बडी मुश्किल से ये अपायमेंट मिली है मुझे | बहुत अच्छे डॉक्टर हैं वो | में ले जाऊंगी इन्हें ! वहाँ तो सरला दीदी हैं ना . . . इसलिए ... प्लीज वापस चलते हैं । "
भईया : - " ठीक है ! देविका लेकिन फिर में कभी तेरे साथ कहीं नहीं जाऊंगा | "
देविका : - " सॉरी भईया | लेकिन . . भईया ! सारिका दीदी और जीजा जी के यहां आप ये मत कहना । कि हम इन्हे दिखाकर नहीं आए है डॉक्टर को | "
देविका भईया से गिडगिड़ाते हुए कहती है |
भईया : - " लेकिन . . . अब ये क्यूं देविका ? "
भईया देविका से ये झूठ बोलने का कारण पूछते है |
देविका : - "क्यूंकि वो यहीं सोचेंगे कि मैं इन्हें दिखाना नहीं चाहती हूं ।इसलिए बस ! प्लीज भईया ! प्लीज . . . . . "
और देविका बीच रास्ते से ही ; सबको वापस लौटा कर ले आती हैं । भईया और देविका के बीच हुई ! कोई भी बात ; देविका ने जानबूझ कर अरनव के सामने नही की |
लेकिन . . . क्या भईया समझ पाएंगे अपनी ही बहन की चाल ?
अरनव वापस लौट आने पर सारिका दीदी को बता पाएगा सच ? देविका की हकीकत या आगे होने वाला था कुछ और ही ?
जानने के लिए आगे पढते रहें . . . . . . . . .